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व्यक्तित्व का आईना शब्दों में इतनी ताक़त होती है कि वो आपका व्यक्तित्व बना भी सकती है और बिगाड़ भी. जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जोे बहुत प्यार व सम्मान से बात करता है, तो आप तुंरत उसके मुरीद बन जाते हैं, उस व़क्त आप उसके विचार/भावनाओं से अवगत नहीं रहते हैं, मगर उसके शब्दों का जादू आप पर ऐसा चल जाता है कि आपकी नज़र में वो नेक इंसान बन जाता है. दूसरी तरफ़ पहली मुलाक़ात में यदि कोई इंसान आपसे बेरूख़ी से बात करे, तो दुबारा उससे मिलना तो दूर आप उसका ज़िक्र भी पसंद नहीं करेंगे और ऐसा इंसान आपकी नज़रों में अकड़ू कहलाएगा. आपके कहे शब्द ही हैं, जो आपको लोगों का प्रिय या अप्रिय बना सकते हैं, अब फैसला आप पर है कि आप क्या बनना चाहते हैं. मुश्किल काम बनाए आसान यदि आपको किसी व्यक्ति से कोई काम करवाना है, तो वहां भी शब्द बहुत अहम् हो जाते हैं. यदि आप उससे प्लीज़ सर/मैडम करके विनम्रता से बात करते हैं, तो आपका काम ज़रूर हो जाएगा. इसके विपरित यदि आप अपनी ताकत या किसी और चीज़ का धौंस जमाते हुए बेरुख़ी से कहेंगे तो हो सकता है सामने वाला आपका काम करने से इनकार कर दे या जानबूझकर देर करे. दरअसल, जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि आपकी भाषा शालीन और शब्द सुंदर हों. ऑफिस में बॉस व कलीग से लेकर घर में जीवनसाथी और बच्चों तक, हर जगह बोलते समय शब्दों पर ध्यान देना ज़रूरी है. यदि आपके शब्द सकारात्मक व सुंदर हैं तो हर जगह आपकी छवि अच्छी बनेगी, बच्चे भी आपका अनुसरण करके विनम्र बनेंगे. इतना ही नहीं किसी से प्यार से बात करने पर आपका मन भी शांत व ख़ुश रहता है और जब आप अंदर से ख़ुश रहेंगे तो आपको हर चीज़ अच्छी लगेगी, हर काम मन लगाकर करेंगे, ऐसे में ज़ाहिर है अपने काम में सफलता भी मिलेगी. क्या कभी आपने महसूस किया है कि किसी से कठोरता/बदतमीज़ी से बात करने या किसी को झिड़क देने पर आपका मन भी अशांत हो जाता है, आप स्थिर होकर अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाते. अतः जब कठोर शब्द सामने वाले के साथ ही आपको भी अशांत/अस्थिर कर देते हैं, तो भला क्यों न ऐसे शब्दों से दूर ही रहा जाए और सुंदर शब्दों से लोगों का दिल जीतने के साथ ही अपना व्यक्तित्व निखारने की कोशिश की जाए.कंचन सिंह
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