गोधूलि-सी शाम में, तुम्हारे मखमली एहसास हैं… रेशम-सी रात में, शबनमी तुम्हारे ख़्वाब हैं… एक मुकम्मल रुत हो तुम, मैं अधूरा पतझड़-सा… तुम रोशनी हो ज़िंदगी की और मैं गहरा स्याह अंधेरा… थक गया हूं ज़माने की रुसवाइयों से… डरने लगा हूं अब जीवन की तनहाइयों से… तुम्हारे गेसुओं की पनाह में जो गुज़री महकती रातें, अक्सर याद आती हैं वो तुम्हारे नाज़ुक-से लबों से निकली मीठी बातें… मुझे अपनी पनाह में ले लो, बेरंग से मेरे सपनों में अपने वजूद का रंग भर दो… लौट आओ कि वो मोड़ अब भी रुके हैं तुम्हारे इंतज़ार में… सूनी हैं वो गालियां, जो रहती थीं कभी गुलज़ार तुम्हारे दीदार से… गुलमोहर-सी बरस जाओ अब मेरे आंगन में, मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू सी बिखर जाओ इस सावन में… अपनी उलझी लटों मेंमेरे वजूद को सुलझा दो… तुम्हारा बीमार हूं मैं और बस तुम ही मेरी दवा हो… गीता शर्मा
सुनो आज मुझे मुझे बेहद ख़ूबसूरत शब्द देना जैसे गुलाब चेहरे के लिए झील आंखों के लिए हंस के पंख…
बातों में बेखटकी है हंसने में बेफ़िक्री है पंख फैलना आता है हवा से हाथ मिलना भाता है पंछी की…
सुबह होते ही बंट जाता हूं ढेर सारे हिस्सों में नैतिकता का हिस्सा सर्वाधिक तंग करता है मुझे जो मेरी…
मेरी आवाज़ ख़ामोशियों में कही जा रही मेरी बात का पर्याय नहीं है बल्कि वह तो ख़ामोशियों में चल रही…
तुम्हारे चेहरे की लाली मुस्कुराहट हंसी और आंखों की चमक मेरे दिल में कुछ इस तरह क़ैद है कि तमाम…
कभी कभी सोचता हूं तमन्ना में जी लूं वह अधूरी ज़िंदगी कि जिसे जीने की ख़्वाहिश में उम्र गुज़र गई…
श्रद्धा के सुमनों से सजी, पूजा की थाली मुबारक धनतेरस और दूज सहित, सबको दिवाली मुबारक खट्टी-मीठी बहस के बीच,…
प्रभु इतनी सद्बुद्धि देना हमें उज्जवल सबकी दिवाली हो कोई न घायल या बीमार पड़े कल भी घर में ख़ुशहाली…
सुनो-सुनो मज़े की एक कहानी उस दुनिया की जो हुई सयानी है कुछ साल पहले की बात दिवाली के कुछ…