Shayeri

काव्य- कसक (Kavay- Kasak)

बिखरते ख़्वाबों को देखा

सिसकते जज़्बातों को देखा

रूठती हुई ख़ुशियां देखीं

बंद पलकों से

टूटते हुए अरमानों को देखा…

अपनों का बेगानापन देखा

परायों का अपनापन देखा

रिश्तों की उलझन देखी

रुकती सांसों ने

हौले से ज़िंदगी को मुस्कुराते देखा…

तड़प को भी तड़पते देखा

आंसुओं में ख़ुशियों को देखा

नफ़रत को प्यार में बदलते देखा

रिश्तों के मेले में

कितनों को मिलते-बिछड़ते देखा…

नाकामियों का मंज़र देखा

डूबती उम्मीदों का समंदर देखा

वजूद की जद्दोज़ेहद देखी

एक ज़िंदगी ने

हज़ारों ख़्वाहिशों को मरते देखा…

– ऊषा गुप्ता

यह भी पढ़ेShayeri

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- सजना है तुम्हें अपने लिए (Short Story- Sajna Hai Tumhe Apne Liye)

पूर्ति खरे “हंस क्या रही हो. सच ही तो कह रही हूं. बचपन में मां…

June 21, 2025

THE OCEAN TOUCH

Get a cue from our rain-kissed and wind-swept looks. Stay in style with a hint…

April 15, 2025
© Merisaheli