कविता- करवा चौथ (Poetry- Karwa Chauth)

जीवन की आपाधापी में
शौक सिंगार का सोया सा
फिर पुलक उठा, मुस्काया
सखी फिर करवा चौथ आया
दीवान के निपट अंधेरे में
दबा-सिमटा सुहाग का जोड़ा
पा मेरे हाथों की आहट
बिसरे लम्हों संग मुस्काया
सखी फिर करवा चौथ आया
‘तुमको अच्छे लगते हैं
इसलिए बरे, फरे बनाऊंगी मैं’
‘ज़्यादा थकना नहीं, कि व्रत है
जो भी होगा, मैं खा लूंगा’
सुन प्यार की पावन बातचीत
पति-पत्नी का रिश्ता इठलाया
सखी फिर करवा चौथ आया…

भावना प्रकाश

Photo Courtesy: Freepik

यह भी पढ़े: Shayeri

Usha Gupta

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