रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने से हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है. लेकिन कुछ स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां यानी हेल्थ कंडीशंस ऐसी…
हेल्दी और फिट रहने के लिए आपको अलग से कुछ बड़ा प्लान करने की ज़रूरत नहीं, बल्कि छोटे-छोटे स्टेप्स अपने डेलीरूटीन में फ़ॉलो करेंगे तो हमेशा फिट और हेल्दी रहेंगे. सुबह समय से उठने का नियम बनाएं. अपने दिन की शुरूआत बेहतर करें. पॉज़िटिव माइंड के साथ अपनी दिनचर्या को हेल्दी रखें.सबसे पहले एक ग्लास गुनगुना पानी पीएं.अगर नींबू और शहद मिलाकर पानी पिएं तो भी अच्छा है.हेल्दी ऑयल्स को अपने डायट में शामिल करें. रोज़ सुबह 1 टीस्पून फिश ऑयल लेना भी काफ़ी हेल्दी होता है.डेली आधा घंटा एक्सरसाइज़, योग या वॉक ज़रूर करें.ब्रेकफ़ास्ट ज़रूर करें क्योंकि आपको हेल्दी व फिट बनाए रखने में इसका बहुत बड़ा हाथ है. रिसर्च बताते हैं कि जोलोग नाश्ता करते उन्हें डायबिटीज़ का ख़तरा नाश्ता ना करनेवालों की तुलना में कम रहता है. इसके अलावा जो लोग नाश्ता नहीं करते उनकी वेस्ट लाइन यानी कमर नाश्ता करनेवालों की तुलना में अधिक होतीहै, क्योंकि हेल्दी ब्रेकफ़ास्ट आपको मीठा और जंक फ़ूड खाने की क्रविंग्स से बचाता है. रोज़ाना भरपूर पानी पीएं. ये बॉडी को टॉक्सिन फ्री रखने में मदद करता है.इसके अलावा पानी का एक और हेल्थ बेनीफिट ये भी है कि यदि आपको सिर दर्द हो रहा है तो थोड़े-थोड़े अंतरालपर पानी पीते रहें, इससे आपकी बॉडी हाइड्रेट रहेगी और सिर दर्द में भी राहत मिलेगी.छोटी-मोटी तकलीफ़ों में पेन किलर्स लेने की बजाय घरेलू नुस्ख़े आज़माएं. गले में ख़राश, दर्द या खांसी है तो चुटकीभर दालचीनी पाउडर शहद में मिलाकर चाटें.दालचीनी पाउडर लेकर ऊपर से पानी पीने से सिर दर्द में भी आराम मिलता है.आप इसे सलाद, चाय या दही में भी मिक्स करके ले सकते हैं, ये वेट लॉस में भी मदद करता है. फेफड़ों में कफ जमा हो जाए तो गुनगुने सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर छाती की मालिश करें. सरसों के तेल में लहसुन की कलियां मिलाकर भी मालिश करने से आराम मिलता है. माइग्रेन या सामान्य सिर दर्द में भी सेब पर नमक बुरककर खाने से राहत मिलती है.इतना ही नहीं, सेब में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे माने जाते हैं. सेब फाइबर का अच्छा स्रोत भी है और गुड बैक्टीरिया को पनपाने में भी मदद करता है. अपना आहार संतुलित व पौष्टिक रखें. मौसमी फल और सब्ज़ियां ज़रूर खाएं. हर रंग के फल व सब्ज़ियां खाएं.पपीते में विटामिन ए, बी और सी और कई तरह के एन्ज़ाइम्स होते हैं, जो खाने को डायजेस्ट करने में मदद करतेहैं. स्टडीज़ बताती हैं कि पपीता खाने से डायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है. ग्रीन टी को अपने रूटीन में शामिल करें. बहुत ज़्यादा नमक और मीठा खाने से बचें.बहुत ज्यादा चाय-कॉफी या अल्कोहल से बचें.हेल्दी रहने के लिए अपने डायट में प्रोटीन, फ़ाइबर, कैल्शियम और फ़ैटी एसिड्स शामिल करें.केले में फाइबर और पेक्टिन भरपूर मात्रा में होता है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिएबहुत फायदेमंद होता है. दूध, छाछ, दही, ग्रीन लीफी यानी हरी पत्तेदार सब्ज़ियों को ज़रूर लें.फिश ब्रेन हेल्थ के लिए काफ़ी फायदेमंद है. अगर आप नॉन वेज खाते हैं तो फिश को डायट में शामिल करें.अगर आप नॉन वेज नहीं खाते तो अखरोट का सेवन करें. ये भी ब्रेन हेल्थ के लिए काफ़ी लाभकारी है.खाना खाने के कुछ देर बाद लेमन शॉट लें. ये आपकी पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. हेल्दी स्नैकिंग करें. ड्राई फ़्रूट्स, सलाद, सूप्स, ब्राउन ब्रेड सैंडविच, सूखा भेल आदि लें. ड्राई फ़्रूट्स और फ़्रूट सलाद में एक बात का ध्यान रखें कि अगर आपकी फ़िज़िकल एक्टिविटी कम है तो ड्राई फ़्रूट्सऔर शुगरी फ़्रूट्स कम लें या फिर शाम को 6-7 बजे se पहले ही खा लें.खाने के फ़ौरन बाद पानी न पिएं. डिनर भी सोने से 3-4 घंटे पहले ही कर लें. नींद पूरी लें. रिलैक्स होकर सोएं. सोने से पहले मीठा दूध पिएं. अगर नींद की समस्या है तो सोते समय सारे विचारमन से निकालकर मंत्र का जाप करें. अपना ध्यान सांस पर केंद्रित रखें. सिर से लेकर पैर तक शरीर को रिलैक्स कर दें. कहते हैं पेट ठीक रहेगा तो पूरा शरीर सही रहेगा इसलिए अपने पाचन तंत्र को ठीक रखने की कोशिश करें. इसी तरह अपनी इम्यूनिटी को भी बेहतर बनाने की तरफ ध्यान दें. संतरा, नींबू, टमाटर, बेरीज़, अंगूर, गाजर, मेथी, पालक- ये सभी इम्यूनिटी बूस्टर फूड्स हैं. साथ ही शहद, तुलसी, गिलोय, सीड्स, ओट्स, बींस, दालें भी आपको हेल्दी रखते हैं- इनको अपने डायट में शामिल करें.लहसुन, अदरक, शकरकंद, मशरूम, विटामिन डी, दही आदि भी इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं.योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन भी इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं. गोल्डी शर्मा
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बच्चों को पोषण देना बेहद ज़रूरी है क्योंकि बढ़ती उम्र में अगर उन्हें ज़रूरी तत्व नहीं मिले तो उनके विकास में बाधा आसकती है. लेकिन इन दिनों अक्सर अधिकांश पेरेंट्स ये गलती करते हैं कि वो पोषण देने के चक्कर में बच्चों को एक्स्ट्रापोषण यानी ओवर नूट्रिशन देने लगते हैं. सीधी सी बात है, अगर बच्चा ठीक से खा रहा है, हेल्दी है तो उसे कुछ भी एक्स्ट्रा देने की ज़रूरत नहीं. दूसरी तरफ़ बच्चे की शारीरिक गतिविधियां भी महत्व रखती हैं. बच्चे को आप अतिरिक्त पोषण दे तो रहे हैं लेकिन बच्चाअगर फ़िज़िकली एक्टिव ही नहीं है तो उस एक्स्ट्रा नूट्रिशन का क्या होगा? ये बात ज़्यादातर पेरेंट्स जानते ही नहीं कि ओवर नूट्रिशन बच्चों की हेल्थ के लिए ख़तरनाक हो सकता है. इसकी वजह सेवो कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. यूं भी अति तो किसी भी चीज़ की सही नहीं होती तो फिर नूट्रिशन के मामले मेंहम ये क्यों नहीं समझते? इसकी वजह है कि पेरेंट्स को इस बात की जानकारी ही नहीं और वो जागरुक ही नहीं हैं कि हरचीज़ की तरह बच्चों को नूट्रिशन भी संतुलित ही दिया जाना चाहिए. इस संदर्भ में हमें अधिक जानकारी दे रहे हैं नूट्रिशनिस्ट और फिटनेस एक्सपर्ट आनंद गुप्ता. ओवर नूट्रिशन क्या है? ये एक तरह का मैलनूट्रिशन यानी असंतुलित पोषण है जो अत्यधिक पोषण को लेने से होता है. और जिससे बहुत ज़्यादाबॉडी फ़ैट जमा हो जाता है यानी ये मोटापे को जन्म देता है जिससे कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स जन्म लेती हैं. जब आप हद सेअधिक पोषक तत्व व पोषक आहार खाने लगते हैं, तो एक सीमा के बाद वो आपके स्वास्थ्य में बाधा डालने लगता है. इसे बीएमआइ यानी बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स से आंका जाता है. उम्र और हाइट के अनुसार उनका वज़न और सही हैया नहीं. साथ ही फ़िज़िकल एक्टिविटी कितनी है इसकी जनकारी भी ज़रूरी है. ओवर नूट्रिशन के साइड इफ़ेक्ट्स… सबसे बड़ा और ख़तरनाक साइड इफ़ेक्ट है, वज़न बढ़ना, मोटापा. इसके कारण कार्डीओवैस्क्युलर यानी हार्ट संबंधीबीमारी, हाई बीपी, कैन्सर और टाइप 2 डायबिटीज़ की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा बच्चे हाइपरएक्टिव भी होजाते हैं. बात मोटापे की करें तो चीन के बाद भारत 14.4 मिलियन ओबेस बच्चों के साथ विश्व में दूसरे नंबर पर है, जो कि चिंताका एक विषय है. माना जा रहा है कि साल 2025 तक भारत में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 17 मिलियन तक पहुंचजाएगी. शहरीकरण इस बढ़ते मोटापे की सबसे बड़ी एकमात्र वजह है, जिसमें आहार यानी खानपान व लाइफ़स्टाइल, पेरेंट्स का काम, पढ़ाई व पारिवारिक माहौल, मानसिक कारण व अन्य एपिजेनेटिक वजहें प्रमुख हैं. मोटापे के बढ़ते खतरे के कारण बच्चों में उच्च रक्तचाप, खून में कॉलेस्टरॉल व फैट्स का अत्यधिक जम जाना, टाइप 2 डायबिटीज़, नींद की समस्या, सांस लेने में दिक़्क़त आदि नज़र आते हैं. इसके अलावा कई माओं की इन दिनों ये शिकायत रहती है कि उनका बच्चा इतनी मस्ती करता है कि वो उनको थका देताहै, इसकी वजह है बच्चों के ओवर नूट्रिशन के कारण उनका हाइपरएक्टिव होना. बच्चे विटामिन से लेकर मिनरल व हरचीज़ तो एक्स्ट्रा ले रहे हैं लेकिन वो एनर्जी वो रिलीज़ कहां और कैसे करेंगे? ज़ाहिर है इसी तरह क्योंकि इन दिनों बच्चेफ़िज़िकल एक्टिविटी नहीं करते, खेल के मैदानों की बजाय वो मोबाइल या लैप्टॉप के सामने ज़्यादा नज़र आते हैं, इसलिए कोई भी एक्स्ट्रा पोषण, चाहे- प्रोटीन हो, विटामिन हो उनमें एक्स्ट्रा कैलरी ही बढ़ाएगा और उनमें हेल्थ प्रॉब्लमऔर फैट्स बढ़ेगा. कैसे कंट्रोल करें ओवर नूट्रिशन को? जंक फूड कम दें. बेहतर होगा घर पर ही उनकी मनपसंद चीज़ें बनाकर दें.मार्केट से रेडीमेड चीज़ें व पैक्ड फ़ूड न दें.टिफ़िन में हेल्दी रेसिपी दें, जैसे- सैंडविच में वाइट ब्रेड की बजाय अगर ब्राउन ब्रेड यूज़ करें तो फूड और हेल्दी होजाएगा.पेरेंट्स अपने बच्चों को अक्सर ढेर सारा चीज़, घी और अखरोट, बादाम और काजू जैसे ड्राई फ़्रूट्स भी देते हैं, क्योंकि उनकी यही सोच होती है कि बढ़ते बच्चों को ये तमाम चीज़ें हेल्दी पोषण देती हैं, लेकिन आजकल बच्चों मेंशारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और मोटापा व हाइपर एक्टिविटी की समस्या बढ़ती जा रही है. इसलिए ओवरनूट्रिशन और ओवर ईटिंग दोनों ही नुक़सान पहुंचाएंगे, बजाय उनको हेल्दी बनाने के.उनकी लाइफ़स्टाइल को और ज़्यादा एक्टिव बनाएं. शुरू से ही उन्हें लाइट एक्सरसाइज़ की आदत डालें. मोबाइल गेम व लैप्टॉप की आदत की जगह खुले मैदानों में खेलने का महत्व बताएं व गार्डन में घूमने ले जाएं. टीवी या फ़ोन देखते हुए खाना खाने की आदत न पड़ने दें. शुगरी फ़्रूट्स बहुत ज़्यादा न दें क्योंकि अक्सर हम सोचते हैं कि फ़्रूट्स तो हेल्दी है, मिल्क शेक, फ़्रूट शेक भी बच्चोंको पोषण देंगे लेकिन ध्यान रहे कि इनमें शुगर बहुत ज़्यादा होती है जिससे फ़ैट्स बढ़ता है. ऐसे में बेहतर होगा किखाना खाने के बाद ये सब न दें. बल्कि अलग से ख़ाली पेट उन्हें ये दें, जैसे- नाश्ते में या शाम को 4 बजे केआसपास, लेकिन सीमित मात्रा में और वो भी सनसेट से पहले और खाली पेट, क्योंकि सनसेट के बाद फ़्रूट्स भीशुगर बढ़ाते हैं. बच्चों को अपने हाथों से सब्ज़ियां उगाने को कहें, रिसर्च बताते हैं कि अपने हाथों से उगी सब्ज़ियां वो ज़्यादा शौक़ सेखाते हैं. ऐसा नहीं है कि बच्चों को नूट्रिशन इतना कम दें कि वो कुपोषित रह जाएं, उनको बस हेल्दी खाना दें, जिसका स्वादवही हो लेकिन उसमें फैट्स कम हो. बच्चों को हेल्दी खाने की आदत तभी पड़ेगी जब आप भी उसके साथ वही खाएंगे.बच्चे के साथ वॉक पर जाएं. उसे आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. स्विमिंग, डान्स क्लास आदि भी अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इससे ओवर नूट्रिशन से प्राप्त हुई एक्स्ट्रा कैलरी बर्न होंगीऔर बच्चे में मोटापे की समस्या भी नहीं होगी. कभी-कभी आनुवंशिक कारणों से भी मोटापा होता है, ऐसे में एक्सपर्ट सलाह लेकर वेट मैनेजमेंट प्रोग्राम डिसाइडकरें.आपको बस अनहेल्दी चीजों को हेल्दी से रिप्लेस करना है, जैसे- फ़्राइड की जगह स्टीम्ड व बेक्ड फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्सकी जगह स्किम्ड मिल्क, लो शुगर फ़्रूट जूस आदि दें. फ़्रूट्स में पपीता बेहद हेल्दी होता है, वो डायजेशन भी बेहतरकरता है, इसी तरह नींबू पानी, नारियल पानी आदि भी बेहद हेल्दी हैं, जो बिना फैट्स बढ़ाए काफ़ी पोषण देते हैं. गीता शर्मा
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