आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आता ये त्योहार है,
दुर्गा पूजा कहते जिसको पूजे सब संसार है।
दस दिवसीय हिंदू पर्व ये, संस्कृति का उपहार है
जीत बुराई पर अच्छाई, का ही बस ये सार है।
दुर्गोत्सव भी कहलाता है, अहम पर करता वार है,
नारी शक्ति को देता बल ये, महिषासुर संहार है।
दुष्टों पर हमला करने दुर्गा लेती अवतार है,
पावन धरती पर अपनी जब, बढ़ता अत्याचार है।
स्नेह बूंदों से करके सिंचित भर देती भंडार है,
जगजननी ही सब भक्तों का करती बेड़ा पार है।
मां की महिमा गा पाए हम, हम पर मां का उपकार है,
उत्तर भारत में भी पूरब में भी जय जयकार है।
– पिंकी सिंघल
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