हां, मैंने भी जिया है मोहब्बत के इस ख़ूबसूरत एहसास को और आज भी जब उन हसीन पलों को याद करती हूं, तो ख़ुशी के साथ-साथ इस बात की तसल्ली होती है कि हां, मैंने ज़िंदगी को पूरी शिद्दत के साथ जिया है... हां, मैंने भी प्यार किया है. अपनी मोहब्बत के रिश्ते को नाम दिया, अपने हमसफ़र के साथ एक हसीन दुनिया बसाई, दो प्यारी बेटियों की मां बनी... एक औरत को ज़िंदगी से और क्या चाहिए?
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हाल ही में हमने अपनी शादी की 38वीं सालगिरह मनाई. धरमजी और बेटियों के साथ ये 38 साल कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला. ज़िंदगी में इससे ज़्यादा और कुछ मैं मांग भी नहीं सकती, क्योंकि जितना मिला, उसने मुझे संपूर्ण बनाया... कहीं भी कोई अपूर्णता का एहसास दिल के आसपास फटक ही नहीं सकता. जिससे प्यार किया, उसे ही अपने हमसफ़र के रूप में पाया... और मां बनने के बाद तो ज़िंदगी और भी हसीन हो गई. अपने बच्चों को अपनी आंखों के सामने बढ़ते देखने का एहसास ही कुछ अलग होता है. आज मेरी दोनों बेटियों की शादी हो गई है. वो अपनी गृहस्थी में ख़ुश हैं. आहना के बेटे के साथ जब मैं और धरमजी खेलते हैं, तो हमें अपनी बेटियों का बचपन याद आ जाता है. हमने अपने रिश्ते और ज़िम्मेदारियोें को बख़ूबी निभाया है. हमने एक-दूसरे को अपने करियर में आगे बढ़ने का हौसला दिया है. शादी के बाद भी मैंने डांस, एक्टिंग, पॉलिटिकल करियर को जारी रखा, लेकिन धरमजी ने मुझे कभी किसी चीज़ के लिए रोका नहीं, बल्कि वो हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते हैं.
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यही है सच्चा प्यार, जो बिना किसी चाह और बिना किसी शर्त के स़िर्फ अपने साथी की ख़ुशी चाहता है. अपने हमसफ़र को आगे बढ़ते देख वो भी ख़ुश हो जाता है. मैं ख़ुशनसीब हूं कि मुझे धरमजी जैसे हमसफ़र मिले. उन्होंने मुझे न स़िर्फ अपनी ज़िंदगी में शामिल किया, बल्कि मेरी ज़िंदगी को बहुत हसीन बना दिया.
आज पीछे मुड़कर देखती हूं, तो इस बात की ख़ुशी होती है कि मैंने ज़िंदगी से जो भी चाहा, वो मुझे मिला है. सच, मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत ख़ुश हूं. जहां तक हमारे इश्क़ की बात है, तो मुझे धरमजी से तब प्यार हुआ, जब मुझे फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी-खासी शोहरत मिल चुकी थी. धरमजी के साथ मैंने कई फिल्मों में काम किया और साथ काम करते हुए हम एक-दूसरे के क़रीब आ गए.
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उस व़क्त मैं अपने करियर के पीक पर थी और मेरे हाथ में कई अच्छी फिल्में थीं, इसलिए मेरी मां भी यही चाहती थीं कि मैं फ़िलहाल अपने करियर पर ध्यान दूं. इसी बीच मैंने यह भी महसूस किया कि धरमजी और मैं बेहद क़रीब आ चुके हैं, क्योंकि मोहब्बत पर कहां किसी का ज़ोर चलता है. मैं चाहकर भी ख़ुद को धरमजी के आकर्षण से रोक नहीं पाई, लेकिन मेरे मन में यह भी दुविधा थी कि मेरे और धरमजी के रिश्ते को कैसे सही दिशा मिले? धरमजी पहले से शादीशुदा थे, तो मेरे मन में यह ख़्याल तक नहीं आया कि हमारी मुहब्बत की मंज़िल शादी हो सकती है. हम दोनों के परिवार भी हमारी मुहब्बत को स्वीकार नहीं पा रहे थे, क्योंकि यह ग़लत था. मैं भी यही सोचती थी कि धरमजी से शादी तो संभव ही नहीं, तो कैसे हमारे रिश्ते को एक मुकाम मिलेगा? लेकिन फिर मेरी दुविधा का अंत मेरी फैमिली व घर के सदस्यों ने किया. वो बड़े थे और वो ही मुझे सही राह दिखा सकते थे. सो उन्होंने निर्णय लिया कि इस तरह से यह रिश्ता यूं ही नहीं चलता रह सकता, इसे एक मुकाम व नाम मिलना चाहिए. उनके निर्णय ने हमारी सोच को सही दिशा दी और हमने शादी कर ली. मेरी ज़िंदगी में मोहब्बत और ख़ुशियों ने एक साथ दस्तक दी और उसके बाद मेरी ज़िंदगी ही बदल गई.
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हालांकि यह सही है कि बिना शादी के यूं ही प्यार में बने रहना... इस तरह का रिश्ता हम दोनों के परिवारवालों को मंज़ूर नहीं था, लेकिन हम एक-दूसरे के प्यार में इतने ज़्यादा डूबे हुए थे कि हम भी ख़ुद को असहाय महसूस कर रह थे और किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे. हमारे प्यार को देखते हुए ही पैरेंट्स ने हमें शादी करने की सलाह दी. कह सकते हैं कि हमारी क़िस्मत शायद एक-दूसरे से बंधी थी, हमें साथ रहना ही था, इसीलिए लाख मुसीबतें पार करके भी हम एक हो गए.
मेरे पिताजी ने मेरे लिए कई लड़के देखे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी. फिल्म इंडस्ट्री में भी किसी से शादी का संयोग इसीलिए नहीं बना, क्योंकि भगवान ने मेरे लिए धरमजी को ही चुना था. किसी ने सच ही कहा है कि आप प्यार को नहीं चुनते, प्यार आपको चुनता है. मुझे प्यार ने धरमजी के लिए चुन लिया था. उनसे शादी होना मेरे भाग्य में लिखा था और जब आप अपने प्यार को पा लेते हो, तो आपके लिए ज़िंदगी की राह बहुत आसान हो जाती है. आप ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव को हंसी-ख़ुशी झेल जाते हैं. हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ. हमने साथ मिलकर अपनी दुनिया बसाई और निखारने की हर मुमकिन कोशिश की.
मैंने अपने अनुभव से यही सीखा है कि आप प्यार जैसे पाक एहसास को प्लान नहीं कर सकते... क्योंकि प्यार उस शबनम की बूंद की तरह होता है, जो किसी के दिल में बसकर नायाब मोती बन जाता है. प्यार ख़ुद-ब-ख़ुद होता है... यह मन का बंधन है, जिसे सोच-समझकर नहीं किया जाता. यही वजह है कि हमारे समाज में प्यार को आज भी सबसे बड़ा दर्जा दिया जाता है. इस एहसास को जो जी लेता है, वो फिर इससे कभी उबरना नहीं चाहता...!
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