कविता- अतीत (Poetry- Ateet)

अतीत की ओर
किवाड़
मज़बूती से भेड़
और विस्मृति की चादर ओढ़
मैं तो लगभग सो ही चुकी थी
ओ भूली हुई यादों
तुमने क्यों
फिर आकर
मेरा द्वार खटखटाया है?

खिड़की पर पर्दा डाल
मैंने सोचा
यादों से भरी चांदनी
अब भीतर नहीं घुस पाएगी

पर आंख मूंदते ही मेरे
यादें इतनी ढेर
मेरे मन से निकल
बाहर आने लगीं
कि थोड़ी ही देर में
कमरा
तुम्हारे चेहरों से भर गया…
उषा वधवा


यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

रिश्तों में क्यों बढ़ रहा है इमोशनल एब्यूज़? (Why is emotional abuse increasing in relationships?)

रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता…

July 3, 2025
© Merisaheli