अतीत की ओर
किवाड़
मज़बूती से भेड़
और विस्मृति की चादर ओढ़
मैं तो लगभग सो ही चुकी थी
ओ भूली हुई यादों
तुमने क्यों
फिर आकर
मेरा द्वार खटखटाया है?
खिड़की पर पर्दा डाल
मैंने सोचा
यादों से भरी चांदनी
अब भीतर नहीं घुस पाएगी
पर आंख मूंदते ही मेरे
यादें इतनी ढेर
मेरे मन से निकल
बाहर आने लगीं
कि थोड़ी ही देर में
कमरा
तुम्हारे चेहरों से भर गया…
– उषा वधवा
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का गिफ्ट वाउचर.
"विनय, क्या हुआ है मनीषा को? तुमसे लड़ाई हुई है क्या?.. रस्में तो सब हो…
बदलती लाइफस्टाइल, बदलते मौसम और हार्मोन्स में बदलाव के चलते अगर आपकी स्किन भी मुंहासे,…
अभिनेता भूषण प्रधानने नुकताच त्याचा ३८ वा वाढदिवस साजरा केला. यावेळी त्याची जवळची मैत्रिण अनुषा…
बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham baba) के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Shastri) इन दिनों…
पुस्तकी ज्ञान घेऊन नोकरी करणे म्हणजेच करिअर असते. याला अपवाद ठरतोय सिडकोत राहणारा मेकॅनिकल इंजिनिअरचे…
ग्लैमर इंडस्ट्री के दिग्गज म्यूजिशियन एआर रहमान (AR Rahman) और उनकी पत्नी सायरा बानो (Saira…