Poetry,
वह जो स्त्री है
उसे तुमने देखा है क्या?
जाने दो
तुम जिसे देख रहे हो
और देखना समझ रहे हो
उसे एक बार ध्यान से देख लेना
हो सके तो
देखने की कोशिश करना उसे
अभी समझने की बात मत करना
इंसान हो कर भी
अभी तुम उसे समझने से बहुत दूर हो
वह जो स्त्री है
जिसे तुम देखने, समझने और
जानने का दावा करते हो
मुझे एक बार तुम्हारे उस देखने और जानने पर
संदेह होता है
हो सके तो
मेरे कहने के बाद एक बार फिर
देख लो स्त्री को
कहीं ऐसा न हो
जब तुम उसे देखने की कोशिश करो
वह तुम्हारी ज़िंदगी से जा चुकी हो
और तब तुम
सिर्फ़ उसके कदमों के निशा
ख़्वाबों ख़्यालों में ढूढ़ते
अपनी उम्र गुज़ार दो
तब तुम्हारे पास
सिर्फ़ शिकायतें होंगी
ढेर सारी शिकायतें
जिनमें फिर तुम
न जाने किस किस को दोष देते फिरोगो
सिर्फ़ ख़ुद को छोड़ कर
अब भी वक़्त है
देख सकते हो स्त्री को
तो देख लो
क्योंकि
तुम जिसे अपने नज़रिए से
जानते देखते सुनते और समझते हो
कम से कम वह स्त्री नहीं है
उसे देखने के लिए
कम से कम तुम्हें कुछ देर ही सही
उसकी भावनाओं व विचारों के साथ जीना होगा
क्योंकि स्त्री सब कुछ कहती नहीं है…
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