Health

वर्ल्ड मेडिटेशन डे 2021: मेडिटेशन से दूर होता है डिप्रेशन, क्योंकि ध्यान भावनाओं को संतुलित कर, बदलता है सोचने का तरीक़ा, महामारी के इस दौर में रोज़ करें मेडिटेशन! (World Meditation Day 2021: How Meditation Helps Fight Depression)

मेडिटेशन यानी ध्यान की वो अवस्था जहां सारा फोकस मन पर होता है. भीतर की ओर होता है. भीतरी शक्तियों व ऊर्जाको पहचानने व जगाने पर होता है. मेडिटेशन के बहुत से फ़ायदे हैं और चूँकि यह मन पे फोकस करता है तो ज़ाहिर हैडिप्रेशन जैसे रोग जो मन से ही जुड़े होते हैं उनसे निपटने में यह बेहद कारगर साबित हुआ है. ध्यान से कैसे दूर भागता है डिप्रेशन? मेडिटेशन किस तरह डिप्रेशन को कम कर सकता है इसके कई वैज्ञानिक आधार हैं. दरअसल ध्यानावस्था में मस्तिष्क अल्फा स्टेट में पहुंच जाता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है, यही वजह है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस वडिप्रेशन संबंधी तकलीफ़ों में भी राहत मिलती है.  मेडिटेशन करने पर शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, क्योंकि मेडिटेशन शरीर के चक्रों को जागृत करता है, जिससे होर्मोन्समें संतुलन पैदा होता है और विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं. रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन से ब्रेन में रक्त संचार और इम्यूनिटी बढ़ती है स्टडीज़ व कई तरह के शोधों से यह पता चला है कि मेडिटेशन से पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्थामें पहुंच जाता है, जिससे ब्रेन के उस हिस्से में एक्टीविटी बढ़ जाती है, जो फील गुड केमिकल्स व हार्मोंस रिलीज़करता है.   मेडिटेशन आपके सोचने का नज़रिया बदलकर अकेलेपन की भावना को दूर करता है जिससे नेगेटिविटी दूर होतीऔर डिप्रेशन से राहत मिलती है. रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन कार्टिसॉल हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे ब्रेन हैप्पी स्टेट में पहुंच जाता है. स्टडीज़ यह साबित कर चुकी हैं कि मेडिटेशन स्ट्रेस के कारण बने इंफ्लेमेटरी केमिकल्स को कम करता है. येकेमिकल्स मूड को प्रभावित करके डिप्रेशन पैदा करते हैं. ऐसे में मेडिटेशन के ज़रिए इन केमिकल्स को कम करकेडिप्रेशन को भी कम किया का सकता है. मेडिटेशन से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है और शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है.मेडिटेशन से सेल्स का निर्माण बेहतर होता है. स्टैमिना बढ़ता है और साथ ही इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है. इस तरहमेडिटेशन पॉज़िटिविटी बढ़ाता है डिप्रेशन के एहसास को दूर करता है. यही नहीं मेडिटेशन कर चुके लोगों ने भी अपने अनुभवों में यह बताया है कि मेडिटेशन सेल्फ डिस्ट्रक्शन से जुड़े विचारों और भावनाओं को दूर करता है और पॉज़िटिव विचारों को बढ़ाता है. मेडिटेशन चक्रों को जगाकर भावनाओं को संतुलित करता है. हमारे शरीर में मौजूद सात ऊर्जा चक्र शरीर के किसी ना किसी अंग और भावना से जुड़े होते हैं. ये चक्रों सुप्त अवस्था मेंरहते हैं तो इनकी ऊर्जा का हम इस्तेमाल नहीं कर पाते. ये तभी जागते हैं जब हम प्रयास करते हैं और उस प्रयास का रास्तामेडिटेशन से होकर ही गुज़रता है.  मेडिटेशन से इन चक्रों में वाइब्रेशन पैदा होता है जिससे ये चक्र जाग जाते हैं. इनके जागने से ऊर्जा पैदा होती है, ग्लैंड्सएक्टीव होते हैं, टॉकसिन्स दूर होते हैं, होर्मोन्स बैलेंस्ड होते हैं और भावनायें संतुलित व नियंत्रित रहती हैं. सकारात्मकभावनायें बढ़ती हैं. नकारात्मक और डिप्रेशन से जुड़ी भावनायें दूर होती हैं. सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाकर, थिंकिंग प्रोसेस को बदलता है मेडिटेशन मेडिटेशन हमें भीतर से जागरुक करता और सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाता है, जिससे हम अपने विचारों को कंट्रोल करसकते हैं. मेडिटेशन से हम अपने प्रति अच्छा महसूस कर पाते हैं, सही दिशा में सोच पाते हैं, क्योंकि मेडिटेशन हमारेथिंकिंग प्रोसेस को बदलता है. जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर होती है. जब मेंटली हम मज़बूत होंगे तो डिप्रेशन दूर रहेगा. मेडिटेशन से ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर होता है जिससे हानिकारक केमिकल्स घटते हैं.मेडिटेशन से नींद बेहतर होती है और हम सभी जानते हैं कि डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छी और बेहतर नींदकितनी ज़रूरी है.मेडिटेशन आपके कॉन्फ़िडेंस को बूस्ट करता है, जिससे खुद पर विश्वास बढ़ने लगता है, शरीर में एनर्जी महसूस होनेलगती है और नकारात्मक भाव दूर होने लगते हैं. बढ़ा हुआ आत्मविश्वास ही डिप्रेशन को दूर करता है क्योंकिडिप्रेशन में सबसे ज़्यादा कमी आत्मविश्वास में आती है, जिससे एनर्जी लो होने लगती है. ऐसे में मेडिटेशन किसी वरदान से कम नहीं. - गुड्डु…

May 21, 2021

कृष्ण की माखनचोरी हो, गर्भावस्था में मंत्रों का प्रभाव या पीपल के पेड़ की पूजा… जानें ऐसी 10 मान्यताओं के पीछे क्या हैं हेल्थ व विज्ञान से जुड़े कारण! (10 Amazing Scientific Reasons Behind Hindu Traditions)

खड़ाऊ पहनें और स्वस्थ रहें... खड़ाऊ हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन इसके हेल्थ बेनीफिट्स भी हैं. खड़ाऊ से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है, पैरों केएक्युप्रेशर पॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता है, जिससे रक्त संचार संतुलित रहता है. साथ ही यह पैरों की मांसपेशियों को भीरिलैक्स करता है.  क्या आप जानते हैं पैरों में बिछिया पहनने से बढ़ती है फर्टिलिटी यह नसों व प्रेशर पॉइंट्स को दबाती है, जिससे यूटेरस, ब्लैडर व आंतों में रक्त प्रवाह तेज़ होता है. इससे मासिक धर्म भीनियमित होता है और प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है.  एक गोत्र में विवाह न करने के पीछे छिपा है सेपरेशन ऑफ जींस का विज्ञान! हिंदू धर्म में एक गोत्र में शादी करना वर्जित है, ताकि जींस विभाजित रहें. जेनेटिक व कई गंभीर रोगों से बचना है, तो साइंसकहता है सेपरेशन ऑफ जींस ज़रूरी है. यही वजह है कि हिंदू धर्म में नज़दीकी रिश्तेदारों में शादी नहीं की जाती, ताकिसेपरेशन ऑफ जींस का सिद्धांत बना रहे.  गर्भावस्था के दौरान मंत्रों का प्रभाव... मंत्रों को सुनना गर्भस्थ शिशु के विकास में काफ़ी सहायक होता है. 23वें हफ़्ते के बाद गर्भस्थ शिशु कुछ आवाज़ों परप्रतिक्रिया भी करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में मंत्रों को सुनने से व भक्तिमय वंदना से शिशु के मस्तिष्क का विकास तेज़ी सेहोता है.  कानों में छेद करवाने से बौद्धिक क्षमता व बोलने की शक्ति का होता है विकास... हिंदू धर्म में लड़कियों के ही नहीं, लड़कों के भी कानों को छिदवाने का रिवाज़ था. इससे कानों से होकर मस्तिष्क तकजानेवाले नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है, जिससे सोचने की शक्ति व बोलने की क्षमता बेहतर होती है.  ज़मीन पर बैठकर भोजन करना होता है स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद पालथी मारकर बैठना एक तरह का योगासन माना जाता है, जिससे मस्तिष्क शांत व पाचन क्रिया बेहतर होती है.  भोजन से पहले तीखा, अंत में मीठा क्यों? धार्मिक अनुष्ठानों में भोजन से पहले तीखा और अंत में मीठा खाने की परंपरा है. इससे पाचन तंत्र ठीक से काम करता है. अंत में मीठे से पेट में जलन नहीं होती और एसिड का असर कम होता है.  चम्मच की जगह हाथों से भोजन करना है बेहद फ़ायदेमंद हाथों की उंगलियां पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं. जब हम हाथों से भोजन ग्रहण करते हैं, तो ये तत्व सक्रिय हो जातेहैं और शरीर में इनका संतुलन बेहतर होता है. पीपल के पेड़ की पूजा का ये है वैज्ञानिक कारण... हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पूजनीय व पवित्र माना जाता है, क्योंकि पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन रिलीज़ करता हैऔर वातावरण शुद्ध करने में अहम् भूमिका निभाता है. अधिकतर पेड़ दिन में कार्बनडाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजनरिलीज़ करते हैं, लेकिन रात के समय यह प्रक्रिया उलट जाती है.…

May 7, 2021

पर्सनलाइज़्ड डायट प्लान व लाइफ़स्टाइल से जुड़े ये 6 तत्व रखेंगे आपके पेट और गट यानी आंतों को हमेशा हेल्दी! (6 Components For A Personalized Diet Plan To Achieve A Healthy Gut)

हमारा स्वास्थ्य काफ़ी हद तक पेट और आंतोंके स्वास्थ्य से संबंध रखता है, लेकिन आजकल हमारी लाइफ़स्टाइल और हमारा खानपान ऐसा हो चुका है कि पेट संबंधी कई तकलीफ़ें अब आम हो चुकी हैं, जैसे- गैस, एसिडिटी और पाचन संबंधी परेशनियां और जब ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं तो गंभीर रूप औरअन्य रोगों को हुई जन्म देती हैं, जैसे- फ़ैटी लिवर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और जब इन समस्याओं का समय पर इलाज नहींहो पाता तो ये और गंभीर होकर डायबिटीज़ टाइप 2 और हृदय रोगों ke जन्मों का कारण बन जातीं हैं.  इनसे बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप अपनी ज़रूरत अनुसार अपनी लाइफ़स्टाइल और डायट चेंज करें ताकि आपकापेट और पाचन रहे फिट, हेल्दी और गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से मुक्त! इसलिए गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से ग्रसित रोगियों को उनकी स्थिति और व्यक्तिगत परिस्थितियों केअनुसार, आहार और जीवनशैली की में बदलाव की आवश्यकता होती है, जो एक्सपर्ट अड्वाइस से ही संभव है.  डॉ. रमेश गर्ग, सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट इस संदर्भ में दे रहे हैं ज़रूरी जानकारी- पूरे भारत में गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधीसमस्याएं काफ़ी व्यापक हैं, जिसकी मुख्य वजह है- इनएक्टिव लाइफ़स्टाइल यानी गतिहीन जीवनशैली और अनहेल्दीडायट! इनसे निपटने का एक ही तरीक़ा है- दवाओं व इलाज के साथ-साथ डायट में बदलाव और एक्सरसाइज़, जिनमेंइस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि भारत भिन्नता का देश है, आपकी भौगोलिक स्थिति, जलवायु, मौसम, खान-पान, रहन-सहन आदि इसमें बड़ी भूमिका अदा करते हैं! इसलिए लाइफ़स्टाइल और डायट में बदलाव के लिए ये 6 तत्व हैं बेहदमहत्वपूर्ण-  खाना कितनी मात्रा में और कितनी बार खाया जाए: ये हर किसी की व्यक्तिगत ज़रूरत पर निर्भर करता है लेकिन जिन्हेंपेट और आंत संबंधी समस्या है वो 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं और हाई बीपी से हो ग्रसित हैं वो दिन में 3 बार खाना खाएंजिससे एसिड का अधिक निर्माण और स्राव संतुलित हो. खाना बनाने का तरीक़ा: जी हां, आप खाने को उबालते हैं, स्टीम करते हैं या तलते हैं- ये तमाम बातें प्रभावित करती हैं. जैसेडीप फ़्राई यानी तला हुआ खाना डायबिटीज़, फ़ैटी लिवर और क़ब्ज़ से परेशान लोगों को अवॉइड करना चाहिए. इसकेअलावा सब्ज़ियों को अगर बिना छीले पकाया जाए तो वो सबसे बेहतर है क्योंकि धोने और साफ़ लेने के बाद बिनाछिलका निकाले उन्हें पकाया जाए तो हेल्दी होता है क्योंकि छिलके पोषण और फाइबर का बेहतरीन स्रोत होते हैं जिससेआंतों का स्वास्थ्य भी बना रहता है. …

April 15, 2021

रिसर्च कहता है ये डायट हैबिट्स आपको हमेशा रख सकती हैं फिट और स्लिम! (Healthy Diet Habits: Eat To Stay Fit & Slim)

हर कोई स्लिम दिखना चाहता है लेकिन स्लिम होने के साथ-साथ आपका फिटनेस लेवल भी उतना ही बेहतर होना चाहिए!…

April 14, 2021

बच्चों में बढ़ रहा है कोरोना का रिस्क, क्या करें जब बच्चे में दिखाई दें कोरोना के ये लक्षण (Coronavirus: Now Kids Are At High Risk, What To Do If Your Child Tests Positive)

भारत समेत कई देशों में कोरोना फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है और हालात खराब ही होते जा रहे हैं.…

April 12, 2021

क्या होता है वॉटर रिटेंशन? जानें कारण, लक्षण और होम रेमेडीज़ (What is water retention? Know Causes, Symptoms And Home Remedies)

क्या आपको अपना ही शरीर अचानक से भारी लगने लगा है? क्या आपका वज़न अचानक बढ़ गया है? क्या आपके…

April 6, 2021

ऐसे खाएंगे खाना, तो आसान होगा वज़न घटाना, ये 15 आदतें बदल देंगी वेट लॉस के प्रति आपका नज़रिया! (Top 15 Habits That Can Help You Lose Weight)

हेल्दी भला कौन नहीं रहना चाहता और यह ज़रूरी भी है, लेकिन हेल्दी रहने के लिए बेहद ज़रूरी है कि…

April 4, 2021

हेल्दी रहने के 50 सिंपल गोल्डन रूल्स, इन छोटे-छोटे स्टेप्स को फॉलो करें और रहें हमेशा फिट (50 Simple Tips To Stay Healthy & Fit)

हेल्दी रहना भले ही आज के दौर में इतना आसान नहीं लेकिन छोटी-छोटी कोशिशें बड़े रंग ला सकती हैं. आप…

March 30, 2021

आंखों की रोशनी इम्प्रूव करने के लिए 10 ईज़ी आई एक्सरसाइज़ (10 Easy Eye Exercises That Can Improve Your Vision)

अगर आप चाहती हैं कि आपकी आंखें स्वस्थ और ख़ूबसूरत रहें, उसकी रोशनी बनी रहे और झुरिर्र्यां-उम्र की लकीरें नज़र…

March 25, 2021

18 कॉमन हेल्थ मिथ्स, जिनकी सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे आप… (18 Common Health Myths You Hear Every Day)

हेल्थ और फिटनेस से जुड़े कई ऐसे भ्रम हैं, जिनका सच से कोई वास्ता नहीं होता, लेकिन हम इन्हें इतनी…

March 15, 2021

युवाओं में तेज़ी से बढ़ रहे हैं विटामिन D की कमी के मामले, क्या आपको भी पर्याप्त सनलाइट नहीं मिलती? इन 4 तरीकों से विटामिन D की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं (Not Getting Enough Sunlight? Here Are 4 Tips To Up Your Vitamin D Intake)

विटामिन डी के कई लाभ हैं- हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मज़बूती देने से लेकर इम्यूनिटी बढ़ाने तक में ये लाभकारीहै. सबसे अच्छी बात तो यह है कि हमारा शरीर धूप के द्वारा खुद ही विटामिन डी का निर्माण कर सकता है. लेकिनआजकल की लाइफ़स्टाइल और कम फ़िज़िकल एक्टिविटी के चलते हमें सूरज की रोशनी पर्याप्त रूप में नहीं मिल पाती. इसके अलावा और भी कई तरह की रुकावटें आती हैं जिनमें से बढ़ती उम्र भी एक है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ हीविटामिन डी का निर्माण कम होने लगता है. इसके अलावा वायु प्रदूषण जो कि भारत में बहुत ज़्यादा है वो भी हमारे औरसूरज की रोशनी के बीच रुकावट का काम करता है और फिर सर्दियों में तो वैसे ही विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है. इसीलिए भले ही भारत गर्म प्रदेशों में आता है लेकिन भारतीयों में विटामिन डी की कमी काफ़ी पाई जाती है. डॉक्टर संजीव गोयल द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया कि 76% भारतीय आबादी में विटामिन डी की कमी है, जिनमेंसे 18-30 वर्ष के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं, लगभग 82.5%. इस शोध पर एबॉट के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर श्रीरूपा दास ने कहा है कि शोध से ये बात साफ़ हो जाती है कि सिर्फ़उम्रदराज़ लोगों में ही नहीं, युवाओं में भी विटामिन डी की कमी सोचनीय है. ये एक तरह से लोगों की सेहत के साथ जोखिमवाली बात है. विटामिन डी की कमी हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, ऑस्टीओपरोसिस व अन्य हड्डियों से जुड़े रोगों को जन्म दे सकती है.  ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि विटामिन डी के महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई जाए ताकि हर कोई इसमहत्वपूर्ण पोषक तत्व को प्राप्त करने की दिशा में क़दम उठा सके और स्वस्थ रह सके. यहां कुछ बेहद आसान टिप्स हैं जिन पर आप फ़ौरन अमल करके विटामिन डी का स्तर बढ़ाने की दिशा में क़दम उठासकते हैं. 1. सूर्य के प्रकाश में अधिक समय बिताएं  सबसे पहला समाधान यही है कि सूरज की रोशनी में अधिक देर तक रहें लेकिन ये भी ज़रूरी है कि आप सही समय परधूप लें जिससे सबसे अधिक लाभ मिले. दोपहर के समय 35-40 मिनट की सीधी धूप सबसे बेहतर होगी. आप अपनी छतया बाल्कनी का उपयोग कर सकते हैं, वो भी अपना लैपटॉप लेकर आप वहां काम भी जारी रख सकते हैं जिससे माहौल मेंभी बदलाव महसूस होगा... या आप ख़ाली समय में वहां कोई बुक पढ़ सकते हैं और इस तरह से आसानी से अपनी सेहतकी ज़रूरतों का भी ख़्याल रख सकते हैं. 2. बाहरी गतिविधियों को तवज्जो दें  आजकल की लाइफ़स्टाइल ने शारीरिक गतिविधियों को कम कर दिया है और इसी वजह से विटामिन डी का स्तर कम होरहा है और मोटापा भी बढ़ रहा है. नियमित रूप से वॉक, साइकल, योगा या अन्य कसरत करने से ना सिर्फ़ धूप के संपर्कमें अधिक रहेंगे बल्कि बनाने भी नियंत्रण में रहेगा और सेहत भी बनी रहेगी. हालाँकि आज जब लोग घर से काम कर रहे हैं और कम्प्यूटर व ऑनलाइन ही सारी मीटिंग्स होती हैं तो बाहर जाना इतनाआसान भी नहीं, इसलिए यहां कुछ विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ हम दे रहे हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. 3. अपनी ग्रोसरी शॉपिंग लिस्ट में इन पदार्थों को शामिल करें  विटामिन डी के बेहतरीन स्रोत हैं ये- सालमन, टूना और सर्ड़िन जैसी मछलियां, कॉड लिवर ऑइल और झींगा. ये तमामपदार्थ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भी भरपूर हैं. शाकाहारी लोगों को भी परेशान होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि मशरूम औरचीज़ भी विटामिन डी से भरपूर होते हैं. 4. अपने डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें ताकि आप सही दिशा की ओर बढ़ सकें …

February 25, 2021

बनाए अपने सेहत का पंचांग… (4 Steps To A Healthy Lifestyle)

यदि पंचांग की बात करें, तो उससे तात्पर्य यह होता है कि जहां ज्योतिष ग्रह, नक्षत्र द्वारा सौभाग्य, शुभ आदि…

February 18, 2021
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