कानपुर में पुलिस टीम पर हमले के मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से ही उनकी पत्नी ऋचा दुबे के बारे में कई तरह की बातें की जा रही थीं कि विकास का रिमोट उन्हीं के हाथों में था और वो क्राइम में उन्हें सपोर्ट करती थीं... वसूली या अपराध से विकास की जो भी कमाई होती थी, उसका पूरा एकाउंट ऋचा के पास ही होता था... और भी कई तरह की बातें की जा रही थीं, लेकिन ऋचा ने अब मीडिया से बात करके विकास के बारे में कई सच बताए हैं और अपनी निजी जिंदगी की भी कई बातें साझा की.
विकास के बारे में बहुत कुछ नहीं जानती थी
ऋचा ने कहा कि विकास के किस पुलिस अधिकारी, अफसर या राजनेताओं से संबंध थे, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. ऋचा ने बताया कि वो गांव में बहुत कम जाती थीं, जब उन पर गांव आने का दवाब बनाया जाता था केवल तभी वह पहुंचती थीं. विकास की ऐसी बहुत सी बातें हैं जिनके बारे में वह नहीं जानती थीं, ''हमारे बीच संबंध सिर्फ इतने थे कि विकास अपने बच्चों की परवरिश के लिए पैसे देते थे और मैं सिर्फ बच्चों के लिए जी रही थी.''
मुझे उस रात वाली घटना की कोई जानकारी नहीं थी
जिस रात पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई और जिसमें 8 पुलिस कर्मी मारे गए और कई घायल हो गए, कहा जा रहा था कि विकास की पत्नी को इसकी जानकारी पहले सी ही थी, लेकिन ऋचा ने इस बात से साफ इंकार कर दिया, उनका कहना है, ''अगर मुझे इसकी कोई भी जानकारी होती, तो मैं ये घटना होने ही न देती. घटना वाली रात दो बजे विकास का फोन आया था. उसने फोन पर कहा कि गांव में कुछ झगड़ा हो गया है. तुम बच्चों को लेकर निकल जाओ. इस पर मैं नाराज़ भी हुई कि मैं तुम्हें समझाकर थक चुकी हूं. तुमने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया तो उसने गालियां देनी शुरू कर दी, इसके बाद मैंने गुस्से में फोन पटक दिया था. मैं इतना डर गई थी कि जिस हालत में थी, उसी हालत में बच्चों को लेकर निकल गई. घबराहट में मैं अपना फोन लेना भी भूल गई. अगले दिन बस स्टैंड पर जब मैंने टीवी देखा तो पता चला कि विकास ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है और कई लोग घायल हो गए हैं.'' ऋचा कहती हैं कि विकास उन्हें कभी कुछ नहीं बताते थे. ना उनसे कुछ डिस्कस करते थे. बस वो खर्चा पानी भेजते थे.
बहुत मुश्किल से गुजारा एक हफ्ता
रिचा के मुताबिक वह अपने दोनों बच्चों के साथ लखनऊ के एक ऐसी बिल्डिंग के छत पर छिपकर एक सप्ताह तक रहीं, जो अंडर कंस्ट्रक्शन थी. रात के समय वह बच्चों को लेकर छत पर चली जाती थीं और वहीं रात बिताती थीं. अलग-अलग होटलों में जाकर उन्होंने खाना खाया और किसी तरह एक सप्ताह समय काटा.
गाली गलौज करता था विकास, घर का माहौल भी ठीक नहीं था
ऋचा दुबे ने बताया कि विकास उनके बड़े भाई का दोस्त था. उनकी मुलाकात घर पर हुई थी. विकास उनके घर आता-जाता था. इस दौरान उनकी दोस्ती विकास से हो गई और लगा कि वो दोनों साथ रह सकते हैं. और फिर 23 साल पहले उन्होंने शादी कर ली, उन्होंने कोर्ट मैरिज की थी. ''लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही मुझे लगने लगा कि गांव का माहौल अच्छा नहीं था. विकास आए दिन लड़ाई झगड़ा करता था. जब मैं विकास को रोकने की कोशिश करती थी, तो वो गाली गलौज करने लगता था. टॉर्चर करता था. इस वजह से 1998 में मैं अपनी मां के घर रहने चली गई थी. इसके बाद 7 साल तक वहीं रही. इस दौरान विकास दुबे बच्चों से मिलने के लिए वहां आता जाता था. मैं भी गांव में जाती थी.''
बच्चों को बदमाश की औलाद नहीं कहलाना था
''मुझे बिकरू गांव स्थित अपनी ससुराल का माहौल बिल्कुल पसंद नहीं था. आमतौर पर लोग कहते हैं चोर का बच्चा चोर होता है और बदमाश का बच्चा बदमाश. मैं नहीं चाहती थी कि मेरे बच्चे बदमाश के बच्चे कहलाएं. मैं अपने बच्चों को अपराध की दुनिया से दूर रखना चाहती थी, इसलिए 2008 में लखनऊ आकर रहने लगी. मैं बिकरू फोर्सफुली ही जाती थी. सिर्फ बच्चों को मिलवाने लेकर वहां जाती थी. सुबह जाती थी और शाम को वापस आ जाती थी. मैं बच्चों को उस माहौल से दूर रखना चाहती थी, उन्हें काबिल बनाना चाहती थी. मेरा एक बेटा मेडिकल में है. दूसरे ने भी अच्छे नंबर हासिल किए हैं. मेरे जीवन का केवल एक ही उद्देश्य था, बच्चे.''
ऋचा ने बताया कि विकास एक अच्छा पति और पिता था. वह चाहता था कि उसके बच्चे पढ़-लिख कर काबिल बनें, लेकिन वह खुद अपराध की दुनिया से बाहर नहीं निकलना चाहता था. ज्यादा समझाने पर मारपीट करता था.
पीड़ितों से मांगी माफी, कहा पता होता तो खुद विकास को गोली मार देती
ऋचा ने बिकरू एनकाउंटर पर बोलते हुए कहा, ''मैं हाथ जोड़कर उन सबसे माफी मांगती हूं. शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के परिवार व घायल सभी जवानों से और उनके घर वालों से मैं क्षमा मांग रही हूं. इस कृत्य से उनका कोई लेना-देना नहीं था. पुलिस हमारी रक्षक होती है, नहीं होना चाहिए था ऐसा. मैं बस सब से हाथ जोड़कर यही कहना चाहती हूं कि विकास दुबे ने जो किया, उसकी सजा मुझे या मेरे परिवार को ना दी जाए. अब हम लोग चैन से जीना चाहते हैं. मुझे ज़रा भी अंदाजा होता कि विकास इस तरह की हरकत करेगा तो मैं उसे खुद गोली मार देती. इससे सिर्फ एक ही विधवा होती न, उसने तो 8 लोगों को विधवा बना दिया.''