गोधूलि-सी शाम में, तुम्हारे मखमली एहसास हैं… रेशम-सी रात में, शबनमी तुम्हारे ख़्वाब हैं… एक मुकम्मल रुत हो तुम, मैं अधूरा पतझड़-सा… तुम रोशनी हो ज़िंदगी की और मैं गहरा स्याह अंधेरा… थक गया हूं ज़माने की रुसवाइयों से… डरने लगा हूं अब जीवन की तनहाइयों से… तुम्हारे गेसुओं की पनाह में जो गुज़री महकती रातें, अक्सर याद आती हैं वो तुम्हारे नाज़ुक-से लबों से निकली मीठी बातें… मुझे अपनी पनाह में ले लो, बेरंग से मेरे सपनों में अपने वजूद का रंग भर दो… लौट आओ कि वो मोड़ अब भी रुके हैं तुम्हारे इंतज़ार में… सूनी हैं वो गालियां, जो रहती थीं कभी गुलज़ार तुम्हारे दीदार से… गुलमोहर-सी बरस जाओ अब मेरे आंगन में, मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू सी बिखर जाओ इस सावन में… अपनी उलझी लटों मेंमेरे वजूद को सुलझा दो… तुम्हारा बीमार हूं मैं और बस तुम ही मेरी दवा हो… गीता शर्मा
एक घने जंगल के पास एक नदी बहती थी और उसी जंगल के बीचोंबीच एक तालाब था, जिसमें ढेर सारे…
सुनो आज मुझे मुझे बेहद ख़ूबसूरत शब्द देना जैसे गुलाब चेहरे के लिए झील आंखों के लिए हंस के पंख…
घर के भीतरवाला पौधा देखते ही उसने ख़ुश होकर कहा, "देखो दादू, यह कितना हरा-भरा खड़ा है. मैंने कहा था…
इस जीवन यात्रा में मेरे अनेक मित्र रहें. कारोबारियों, ज़मींदारों से मेरा संपर्क घनिष्ठ रहा है. अक्सर मैंने उन्हें दयनीय…
बातों में बेखटकी है हंसने में बेफ़िक्री है पंख फैलना आता है हवा से हाथ मिलना भाता है पंछी की…
मेरी मम्मी, दादी और भाभी कितनी भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे परिवार में हैं, जहां महिलाओं को कितना मान-सम्मान दिया…
सुबह होते ही बंट जाता हूं ढेर सारे हिस्सों में नैतिकता का हिस्सा सर्वाधिक तंग करता है मुझे जो मेरी…
सोशल मीडिया पर तमाम कौरव योद्धा ललकार रहे हैं, लेकिन धर्मयोद्धाओं की समझ में नहीं आ रहा है कि पक्ष…
अपने मम्मी-पापा की बंदिशों में उसे और नहीं रहना था. वह ज़िंदगी को अपने ढंग से जीना चाहती थी. एक…