यदि आप चाहते हैं कि लक्ष्मीजी की कृपा और आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहे, तो अपने घर के प्रवेश द्वार पर कुछ ख़ास चीज़ों को रखें, जिस से लक्ष्मीजी को प्रसन्न किया जा सके.
वास्तु शास्त्र में घर के प्रवेश द्वार का बहुत महत्व होता है. इस प्रवेश द्वार के ज़रिए ही घर में पॉजिटिव एनर्जी और सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इसलिए घर के प्रवेश द्वार को साफ़-सुथरा रखने की सलाह दी जाती है. अपने इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें प्रवेश द्वार पर रखने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं.
लक्ष्मी किस दरवाज़े से आती हैं- जब द्वार में होता है प्रकाश, शुद्धता और स्वागत का भाव
देवी लक्ष्मी उस घर में निवास करती हैं, जहां प्रकाश, स्वच्छता और स्वागत भाव का वातावरण हो. वह उन घरों में नहीं आतीं, जहां अंधकार, अव्यवस्था या उदासी फैली हो. मुख्य द्वार जितना स्वच्छ, सजा हुआ और उजला रहेगा, घर में उतनी ही हल्की और जीवंत ऊर्जा प्रवाहित होगी. इसलिए दरवाज़े के पास पीली या सुनहरी रोशनी सदैव जलती रहनी चाहिए. यह प्रकाश घर के प्रत्येक कोने में आशा, अवसर और सौभाग्य का प्रसार करता है.

सुबह की शुद्धि ऊर्जा का पुनर्जन्म
हर सुबह दरवाज़े की सफ़ाई करना सिर्फ़ एक दिनचर्या नहीं, बल्कि यह एनर्जी क्लींजिंग प्रोसेस है. यदि आप गंगाजल या नमक मिले जल से मुख्य द्वार और उसके आसपास का क्षेत्र धोते हैं, तो यह जल नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर वातावरण को पुनः पवित्र बना देता है. यह क्रिया घर में देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए ऊर्जा का नया प्रवाह उत्पन्न करती है.
संध्या का दीपक - प्रकाश का आमंत्रण
संध्या के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है. दीपक की लौ केवल पूजा का प्रतीक नहीं, बल्कि यह प्रकाश का आमंत्रण है, जब दीपक की लौ जलती है, तो वह आसपास की नकारात्मक तरंगों को जलाकर समाप्त कर देती है और सकारात्मक ऊर्जा को स्थिर करती है.
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शुभ प्रतीक और सजावट- ऊर्जा कवच का निर्माण
दरवाज़े पर ॐ, स्वस्तिक या शुभ-लाभ का चिह्न बनाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह ऊर्जा का सुरक्षा कवच है. ये चिह्न ब्रह्मांडीय तरंगों को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित करते हैं और घर के ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूत बनाते हैं.
प्राकृतिक सजावट और सुगंध की भूमिका
मुख्य द्वार को आम या अशोक के पत्तों के तोरण, ताज़े फूलों की माला और कपूर, चंदन या गुग्गल की हल्की ख़ुशबू से सजाएं. यह सजावट केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि यह द्वार को लिविंग वायब्रेशन प्वॉइंट बना देती है, जहां से शुभ तरंगें घर में निरंतर प्रवाहित होती हैं. फूलों की सुगंध और पत्तों की हरियाली घर के वातावरण को जीवंत और सौभाग्यशाली बनाती है.
यंत्रों की शक्ति
मुख्य द्वार के ऊपर श्री यंत्र या पंचमुखी हनुमान यंत्र लगाने से द्वार की ऊर्जा स्थिर होती है. ये यंत्र नकारात्मक शक्तियों को घर से दूर रखते हैं और केवल शुभ तरंगों को प्रवेश करने देते हैं. इससे घर के चारों ओर एक अदृश्य ऊर्जा कवच बनता है.
दिशा और रंग- ऊर्जा प्रवाह का रहस्य
मुख्य द्वार की दिशा और रंग दोनों ही घर के भाग्य और ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिशा का अपना तत्व और प्रभाव होता है-
दरवाज़े के शुभ रंग
मुख्य द्वार के लिए हल्का पीला, क्रीम, हल्का भूरा या सुनहरा रंग सबसे शुभ माना गया है. ये रंग प्रकाश को आकर्षित करते हैं और ऊर्जा को प्रवाहित करते हैं, इसके विपरीत काला या बहुत गहरा रंग ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है और प्रवाह को रोक देता है, जिससे घर का वातावरण भारी हो जाता है.
लक्ष्मी कब और क्यों चली जाती हैं- जब द्वार अपनी ऊर्जा खो देता है
लक्ष्मी का जाना अचानक नहीं होता, यह धीरे-धीरे ऊर्जा के क्षरण के साथ होता है. जब द्वार अव्यवस्थित, गंदा, या निष्क्रिय हो जाता है, तो उसकी सकारात्मक तरंगे समाप्त हो जाती हैं. धीरे-धीरे घर की शांति, सौभाग्य और प्रसन्नता भी चली जाती है.

ऊर्जा के क्षय के संकेत
- दरवाज़े की चरमराहट या टूटी कुंडी यह संकेत है कि द्वार थक चुका है.
- जूतों का ढेर या कूड़े का जमाव यह नकारात्मक ऊर्जा को रोक देता है.
- झाडू या कूड़ादान द्वार के पास रखना यह पृथ्वी तत्व की भारी ऊर्जा उत्पन्न करता है.
अंधकार या गंदगी लक्ष्मी को दूर करती है.
- सामने दीवार- ऊर्जा टकराकर लौट जाती है, जिससे योजनाएं अधूरी रह जाती हैं.
- इन स्थितियों में दरवाज़े के पास क्रिस्टल बॉल या वास्तु मिरर लगाना ऊर्जा को पुनः सक्रिय करता है और प्रवाह को संतुलित करता है.
वातावरण और संवाद
मुख्य द्वार के पास झगड़े, शिकायतें या कठोर शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए. यहां उच्चारण की गई प्रत्येक वाणी ऊर्जा को प्रभावित करती है. यदि यह स्थान शांत और प्रसन्न रहेगा, तो घर की कंपन भी स्थिर और शुभ रहेगी.
उम्बरा- ऊर्जा का सूक्ष्म संतुलन बिंदु
वास्तु शास्त्र में उम्बरा (Umbra) उस सूक्ष्म स्थान को कहा गया है, जहां दीवार और द्वार मिलते हैं. यह वही रेखा है, जहां बाहरी और आंतरिक ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है. यदि यह बिंदु असंतुलित हो जाए, तो घर की ऊर्जा डगमगा जाती है. इसलिए उम्बरा पर वास्तु यंत्र स्थापित करना अत्यंत शुभ माना गया है. यह घर की ऊर्जा को स्थिर करता है और नकारात्मक तरंगों को प्रवेश से रोकता है.
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उम्बरा पर यंत्र लगाने के लाभ
श्री यंत्र या पंचमुखी हनुमान यंत्र घर को अदृश्य ऊर्जा कवच प्रदान करते हैं. यह यंत्र बाहर से आने वाली नकारात्मक तरंगों को नष्ट कर केवल शुभ ऊर्जा को भीतर लाता है. यह घर के भीतर संतुलन, समरसता और शांति बनाए रखता है. उम्बरा पर लगा यंत्र घर का मौन रखवाला होता है. हर व्यक्ति जो इस द्वार से गुज़रता है, वह अनजाने में उस यंत्र की सकारात्मक ऊर्जा से आशीर्वाद प्राप्त करता है. धीरे-धीरे यह घर की कंपन को स्थिर करता है, मतभेदों को समाप्त करता है और लक्ष्मी के स्थायी निवास का मार्ग खोल देता है.
ऋचा पाठक की प्रेरणादायक सलाह
- लक्ष्मी केवल धन नहीं, वह प्रवाह है, जहां ऊर्जा रुकती है. जहां प्रकाश, आभार और सजगता है, वहीं उनका स्थायी निवास होता है.
- हर सुबह जब आप दरवाज़ा खोर्ले, तो केवल बाहर न देखें एक क्षण के लिए महसूस करें कि उसी दरवाज़े से आज नई ऊर्जा, नई संभावना और नई कृपा आपके घर में प्रवेश कर रही है.
- गंगाजल का छिड़कें, दीपक जलाएं और मन में यह भाव रखें मां लक्ष्मी, आज मेरे घर में प्रकाश, शांति और आनंद का प्रवेश हो,
- यह केवल पूजा नहीं, बल्कि एक ऊर्जा संवाद है, जो धीरे-धीरे आपके घर को एक जीवंत मंदिर में परिवर्तित कर देता है.
- जब द्वार पवित्र होता है, तब जीवन की हर दिशा शुभ होती है.
मुख्य द्वार किसी भी घर की आत्मा होता है. वह जितना स्वच्छ, रोशन और सुव्यवस्थित रहेगा, घर उतना ही शुभ फल देगा. वास्तु शास्त्र केवल नियम नहीं, बल्कि ऊर्जा के सम्मान की परंपरा है, जब दरवाज़ा मुस्कुराता है, तो देवी लक्ष्मी स्वयं वहां ठहरती हैं. इसलिए हर दिन अपने दरवाज़े को केवल सजाएं नहीं, उसे आशीर्वाद दें, उसकी ऊर्जा को पहचानें और उससे संवाद करें... क्योंकि वही द्वार आपकी किस्मत का पहला कदम है और जब द्वार पवित्र होता है, तब जीवन में हर दिशा शुभ होती है.
ज्योतिषाचार्य ऋचा पाठक
(वास्तु, अंकशास्त्र और कुंडली विश्लेषण की विशेषज्ञ)
वेबसाइट: www.jyotishdham.com

