हर रात देर तक
मैं अपने मन में गड़े शूल चुनती हूं
एक-एक और एक करके
और हर दिन वहां नए शूल उग आते हैं
पहले से अधिक तीखे
पहले से अधिक गहरे..
कौन कहता है कि
समय हर ज़ख़्म को भर देता है?
मेरा तो हर दिन
मेरे घावों को और हरा कर देता है..
कुछ कांटे मुरझा चुके हैं
बाक़ी हैं बस उनके निशां
वह कांटे परायों ने चुभोए थे..
पर जो घाव दिन-रात रिसते हैं
उन्हें चुभोनेवाला
समाज की नियमावली में
मेरा बहुत अपना था…
– उषा वधवा
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
कॉमेडी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में दयाबेन का मुख्य किरदार निभाने वाली दिशा…
रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता…
देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) इन दिनों स्पिरिचुअल जर्नी पर हैं और पति शाहनवाज़ (Shanwaz Shaikh)…
नेहा शर्मा “सब मुस्कुराते हैं, कोई खुल कर तो कोई चुपचाप और चुपचाप वाली मुस्कुराहट…
'ये रिश्ता क्या कहलाता है' (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) स्टार रोहित पुरोहित (Rohit Purohit)…
आपके पास चाहे कितना भी महंगा और लेटेस्ट फीचर्स वाला स्मार्टफोन क्यों न हो, लेकिन…