सुबहों को व्यस्त ही रखा, दुपहरियां थकी-थकी सी रही
कुछ जो न कह सकी, इन उदास शामों से क्या कहूं..
चुन-चुनकर रख लिए थे जब, कुछ पल सहेज कर
वो जो ख़र्चे ही नहीं कभी, उन हिसाबों का क्या कहूं..
न तुमने कुछ कहा कभी, मैं भी चुप-चुप सी ही रही
हर बार अव्यक्त जो रहा, उन एहसासों का क्या कहूं..
यूं तो गुज़र ही रहे थे हम-तुम, बगैर ही कुछ कहे-सुने
अब कि जब मिलें, छूटे हुए उन जज़्बातों से क्या कहूं..
हां है कोई चांद का दीवाना, कोई पूजा करे सूरज की
वो जो भटकते फिर रहे, मैं उन टूटे तारों से क्या कहूं..
न ख़त का ही इंतज़ार था, और न किसी फूल का
सिर्फ़ लिखी एक कविता, खाली लिफ़ाफ़ों से क्या कहूं…
यह भी पढ़े: Shayeri
कॉमेडी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में दयाबेन का मुख्य किरदार निभाने वाली दिशा…
रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता…
देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) इन दिनों स्पिरिचुअल जर्नी पर हैं और पति शाहनवाज़ (Shanwaz Shaikh)…
नेहा शर्मा “सब मुस्कुराते हैं, कोई खुल कर तो कोई चुपचाप और चुपचाप वाली मुस्कुराहट…
'ये रिश्ता क्या कहलाता है' (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) स्टार रोहित पुरोहित (Rohit Purohit)…
आपके पास चाहे कितना भी महंगा और लेटेस्ट फीचर्स वाला स्मार्टफोन क्यों न हो, लेकिन…