छोटे बच्चे बहुत नाजुक होते हैं. उनके प्रत्येक अंग की उचित देखरेख ज़रूरी होती है. लेकिन कानों की देखरेख, उनकी सफ़ाई के लिए क्या करना आवश्यक है, इसके बारे में कुछ सुझाव यहां प्रस्तुत हैं.
* कानों में मैल जमा हो जाने से बच्चे कान खुजलाने लगते हैं. ऐसे में कानों में इयर ड्रॉप्स डालकर कान साफ करें.
* स्नान करते समय बच्चों के कान में पानी चले जाने की आशंका रहती है. लिहाज़ा नर्म तौलिए से बच्चों के कानों को अच्छी तरह से पोंछ दें.
* नहलाते समय बच्चों के कानों में रुई के फाहे डालकर कानों में पानी जाने से रोक सकते हैं.
वायु के अवरोध से कभी-कभी बच्चे का पेट फूल जाता है. पेट में गुड़गुड़ आवाज होती है, दर्द होता है, कभी-कभी बच्चा तेज रोता है और बेचैन हो जाता है. ऐसे में गैस की समस्या के लिए निम्न नुस्ख़े कारगर सिद्ध होते हैं.
* एक चम्मच लहसुन के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर पिलाएं. तुरंत गैस से राहत मिलेगी.
* सरसों भर सेंकी हुई हींग का चूर्ण घी में मिलाकर पिलाने से गैस से बच्चे को आराम मिलता है.
* जीरा या अजवायन को पीसकर पेट पर लेप करने से वायु का अवरोध दूर होता है और बच्चा राहत महसूस करता है.
* हींग को भूनकर उसे पानी में घिसकर नाभि के चारों ओर लेप करें. गैस का शमन होगा और बच्चा चैन की सांस लेगा.
कब्ज़ की शिकायत होने पर…
माता के अनुचित आहार-विहार के कारण उसका दूध दूषित हो जाता है, जिसकी वजह से बच्चे की पाचन शक्ति ख़राब होकर उसे वायु विकार हो जाता है और मल का सूख जाना, मल त्याग का अभाव, पेट में दर्द, गुड़गुड़ाहट, उल्टी आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं और बच्चा रोते-रोते बेहाल हो जाता है.
* नीम के तेल का फाहा गुदा मार्ग में लगाने से कब्ज दूर होता है.
* रात को बीज निकाला हुआ छुहारा पानी में भिगो दें. सुबह उसे हाथ से मसलकर निचोड़ लें और छुहारे के गूदे को फेंक दें. छुहारे के इस पानी को बच्चे को आवश्यकतानुसार 3-4 बार पिलाएं. इससे कब्ज की शिकायत दूर होगी.
* बड़ी हरड़ को पानी के साथ घिसकर उसमें मूंग के दाने के बराबर काला नमक मिलाएं. इसे कुछ गुनगुना गर्म करके आवश्यकतानुसार दिन में 2-3 बार दें. अवश्य लाभ होगा.
बच्चों की हिचकी
बच्चों को प्रायः हिचकी आती रहती है. वैसे यह लाभदायक है, क्योंकि यह शरीर के विकास की निशानी मानी जाती है. हिचकी से आंतें बढ़ती हैं और स्वस्थ रहती हैं. फिर भी यदि हिचकी बार-बार आती है और बच्चे को कष्ट होता हो तो निम्न नुस्खा प्रयोग करें.
* अदरक के रस में (4-5 बूंद) आधी चुटकी भर पीसी हुई सोंठ, काली मिर्च और दो बूंद नींबू का रस मिलाकर बच्चे को चटाएं. तुरंत लाभ होगा.
* नारियल की जटा जलाकर उसकी थोड़ी-सी राख तीन चम्मच पानी में घोलकर और उसे छानकर बच्चे को पिलाने से हिचकी बंद हो जाती है.
– ऊषा गुप्ता
अधिक पैरेंटिंग टिप्स के लिए यहां क्लिक करेंः Parenting Guide
जाड़े के मौसम अथवा बदलते मौसम के कारण अक्सर बच्चों को खांसी की शिकायत हो जाती है. सर्दी-जुकाम, ठंडा वातावरण भी खासी के प्रमुख कारणों में से एक है. धूल भरे वातावरण में रहना, गंदी जगह और भीड़वाले इलाके, औद्योगिक क्षेत्र, धुओं की तरह अन्य प्रदूषणों के कारण भी खांसी के जन्मदाता हैं. खांसी से बचने के लिए उपरोक्त कारणों से बचने की भरसक कोशिश करनी चाहिए. ठंडी के दिनों में गर्म कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए. बच्चे और बूढ़े सर्दी से अधिक प्रभावित होते हैं. अतः इनका विशेष ध्यान रखना चाहिए. खांसी होने पर निम्न घरेलू उपाय करें.
* एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से कफ तथा खांसी से राहत मिलती है.
* अंजीर खाने से छाती में जमा बलगम निकल जाता है और खांसी से छुटकारा मिलता है.
* बड़ी इलायची का चूर्ण दो-दो ग्राम दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से सभी प्रकार की खांसी से आराम मिलता है.
* काली खांसी होने पर कपूर की धूनी सूंघने से लाभ होता है.
* खांसी को कम करने के लिए मिश्री के साथ अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा मुंह में रखकर चबाइए. इससे खांसी से शीघ्र आराम मिलेगा.
* अदरक का रस शहद के साथ रात को सोते समय चाटें. इसके बाद पानी न पीएं. इससे खांसी में राहत पहुंचेगी.
यह भी पढ़े: कैसा हो 0-3 साल तक के बच्चे का आहार?
* कालीमिर्च तथा मिश्री या मुलहठी को मुख में रखकर चूसें. इससे सूखी खांसी में आराम मिलता है.
* तवे पर फिटकरी भून लें और उसका चूर्ण बनाकर मिश्री या शहद के साथ सेवन करें. सूखी खांसी से राहत मिलेगी.
* एक चम्मच सोंठ का चूर्ण (भूना हुआ), थोड़ा-सा गुड़ और एक चुटकी अजवाइन इन तीनों को एक साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से गर्म दूध पीकर कम्बल ओढ़कर सो जाएं. खांसी से छुटकारा मिलेगा.
* काली खांसी को खत्म करने के लिए काले बांस को जलाकर राख बना लें. इसे शहद के साथ मिलाकर चाटें.
* एक तोला मुलहठी, चौथाई तोला काली मिर्च, आधा तोला सोंठ, आधा तोला अदरक- इन सबको बारीक पीसकर छान लें और दो तोले गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें. 1-1 गोली सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करें. इससे काली खांसी खत्म हो जाएगी.
* बादाम की 5 गिरी, 5 मुनक्का और 5 काली मिर्च- इन्हें मिश्री के साथ पीसकर गोली बना लें. चार-चार घंटे पर एक गोली चूसें. इससे खांसी दूर हो जाएगी.
* खांसी में थोड़े-से नमक में बराबर मात्रा में हल्दी मिलाकर फांक लें और ऊपर से एक कप गुनगुना दूध पी लें.
* चाय के पानी में चुटकीभर नमक मिलाकर सोते समय गरारे करने से भी खांसी में लाभ होता है.
* खांसी आने पर अरवी की सब्जी खाएं. इससे खांसी तुरंत ठीक हो जाएगी.
* अकरकरा और गुड़ की गोली बनाकर चूसने से खांसी तुरंत ठीक हो जाती है.
बच्चे का अचानक या अकारण रोना पैरेंट्स या परिवार के लिए बेहद चिन्ता का विषय बन जाता है. कभी-कभी तो कारण समझ में नहीं आता कि आख़िर बच्चा रो क्यों रहा है? बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसी कारण उन्हें बीमारियां जल्दी घेरती हैं. ऐसे में पैरेंट्स का चिन्तित होना स्वाभाविक है. यदि घर में कोई बड़ा या बुज़ुर्ग है, तो सलाह मिल जाती है, अन्यथा करें भी तो क्या? उन्हें तो खांसी-ज़ुकाम, उल्टी, दस्त, कब्ज़, गैस जैसी तकलीफ़ या दांत निकलने के दौरान होनेवाली परेशानियों के लिए भी डॉक्टर की सलाह लेनी ही पड़ेगी. वैसे ऐसे छोटे-मोटे रोगों के लिए कुछ एक घरेलू नुस्ख़े अपनाएं जा सकते हैं.
* बदन पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाएं, तो चंदन का लेप लगाने से आराम आ जाता है.
* खांसी होने पर एक चम्मच तुलसी रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार चटाने से लाभ होगा.
* अंजीर चूसने से छाती में जमा बलगम साफ़ हो जाता है.
* हल्दी, गुड़ व घी का मिश्रण चटाने से भी खांसी से राहत मिलती है.
* सोते समय अजवाइन का तेल बनाकर (सरसों के तेल में अजवाइन पकाकर छान लें) छाती व गले पर लगाएं. ठंड के कारण हुई खांसी में लाभ होगा. इसी प्रकार गाय का घी भी लगाया जा सकता है.
* काली खांसी को खत्म करने के लिए बांस को जलाकर राख बना लें और शहद मिलाकर चटाएं, लाभ होगा.
* नवजात शिशु को शहद चटाने से जल्दी ठंड नहीं लगती है.
* बच्चे के आस-पास कुचली हुई प्याज़ की पोटली रख देने से भी सर्दी का प्रभाव जल्दी नहीं पड़ता.
* रात को सोते समय तुलसी का रस उसके नाक, कान और माथे पर मलें. तुलसी के रस का सेवन सर्दी से बचाव का अच्छा साधन है. इसमें शहद मिला कर भी चटाया जा सकता है.
* जायफल को पत्थर पर घिस कर चटाना भी सर्दी का अच्छा उपाय है.
* दांत निकलते समय बच्चों को काफ़ी तकलीफ़ होती है. वे बेवजह ही रोते दिखाई देते हैं. ऐसे में दस्त, कब्ज़, बुखार जैसे विकार सामने आने लगते हैं. दांत निकलने के दौरान भुना सुहागा व मुलहठी पीसकर बच्चों के मसूड़ों पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं.
* शहद और सुहागा पाउडर मसूड़ों पर मलने से भी दांत बिना कष्ट के निकल आते हैं.
* कच्चे आंवले व कच्ची हल्दी का रस मसूड़ों पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं.
* अनार के रस में तुलसी का रस मिलाकर बच्चों को चटाने से उनके दांत सुगमता से निकल आते हैं और दस्त नहीं लगती.
* सुहागे की खील 125 ग्राम की मात्रा में मां के दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह-शाम चटाएं. साथ ही इसे शहद में मिलाकर मसूड़ों पर मलें. बच्चे को इस दौरान तकलीफ़ नहीं होने पाएगी.
* अक्सर दांत निकलने के दौरान मतली या उल्टी होने लगती है. ऐसे में अदरक, नींबू व शहद समान मात्रा में मिलाकर चटाएं, आराम आ जाएगा.
* इलायची के छिलकों को जलाकर उसकी भस्म चटाने से भी मतली में लाभ होता है.
* अजवाइन और लौंग पाउडर की एक-एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर चटाएं.
* बच्चे को नैपी रैश हो जाने पर मक्खन में हल्दी मिलाकर उसका लेप लगाने से लाभ होता है.
* बच्चे को गैस की तकलीफ़ हो तो एक चम्मच लहसुन के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर पिलाएं, गैस से तुरन्त राहत मिलेगी.
* हींग को भूनकर उसमें पानी मिलाकर नाभि के चारों ओर लेप करें, आराम आ जाएगा.
* कच्ची हींग व थोड़ा-सा बेसन मिलाकर हल्के हाथ से पेट पर मलें, गैस निकल जाएगी.
* अजवाइन पाउडर का लेप करने से भी राहत मिलती है.
* यदि बच्चे को कब्ज़ की शिकायत हो, तो चार मुनक्का रात को पानी में भिगो दें. सुबह उसे मसल कर उसका रस छान कर बच्चे को पिलाएं.
* बड़ी हरड़ को पानी के साथ घिसें. इसमें ज़रा-सा काला नमक मिलाकर हल्का-सा गर्म करके दिन में 2-3 बार पिलाएं, अवश्य लाभ होगा.
* यदि बच्चे के पेट में कीड़े हो गए हों तो शहद में काले जीरे का चूर्ण मिलाकर चटाएं.
* सौंफ का कपड़छान चूर्ण 1/4 चम्मच भर शहद के साथ सुबह-शाम चटाएं.
* नवजात शिशुओं को सर्दी के प्रभाव से बचाए रखने के लिए आप उन्हें खूब हंसाएं या फिर रोते समय कुछ पल उन्हें रोने दें. सर्दी से बचाव का यह कुदरती प्राणायाम है. इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
स्पर्श का अपना एक अनूठा एहसास होता है. स्पर्श द्वारा यानी कि मसाज के ज़रिए मां-शिशु का एक अटूट रिश्ता बनता है. और जब एक मां अपने बच्चे की मालिश करती है, तो वह शिशु को सुखद अनुभूति के साथ सुरक्षा का एहसास भी कराती है. बच्चों के शुरुआती देखभाल के लिए बेबी मसाज बहुत ज़रूरी होता है. हाल ही में मेडिकल रिसर्च द्वारा इसके कई फ़ायदों के बारे में बताया गया है.
*शोधों से यह साबित हुआ है कि शिशु की नियमित रूप से मसाज की जाए, तो उसके बीमार होने की गुंजाइश कम रहती है. * जिन नवजात शिशुओं का हर रोज़ अच्छी तरह से मसाज होता है, वे हेल्दी रहते हैं, उनका वज़न सही रहता है और सुचारू रूप से उनका शारीरिक विकास भी होता है. * एक अच्छे बेबी ऑयल से मसाज करने से बच्चे को आराम और ख़ुशी मिलती है. इसके अलावा शिशु को अच्छी नींद आती है और उठने पर उसे तरोताज़गी का एहसास होता है. *मसाज एक अच्छी एक्सरसाइज़ भी है. इससे बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा मिलती है. *मसाज से शिशु की कई छोटी-छोटी हेल्थ समस्याएं भी दूर होती हैं, जैसे- बच्चे के पेट में गैस होना, सुस्त रहना, नींद न आना आदि. यह शिशु की पाचन क्रिया को भी सही करता है.
*मसाज करते समय ध्यान रहे कि आपके हाथ ठंडे न हों और हमेशा हल्के हाथों से मसाज करें. *मालिश के समय सफ़ाई का विशेष ख़याल रखें. *यदि शिशु ने दूध पिया हो या कुछ खाया हो यानी कि उसका पेट भरा हो तो मसाज न करें. *तीन-चार माह तक के शिशु को स्नान कराने से पहले उसके सभी अंगों पर बेबी ऑयल से मसाज करें. मसाज के बाद यदि ठंड का मौसम हो, तो गरम पानी से, गर्मी के मौसम में सादे पानी से और बारिश में गुनगुने पानी से स्नान कराएं. *शिशु को दिन में तीन-चार बार मालिश करना चाहिए. *मसाज करते समय बच्चे को अपनी बातों से लोरी-गाने आदि से व्यस्त रखें, ताकि शिशु मसाज का पूरी तरह से आनंद उठा सके. *ध्यान रहे, मसाज करते समय आपकी उंगलियां बच्चे के मुंह या आंखों के अंदर स्पर्श न करने पाएं. *यदि आप चाहें, तो बच्चे को तीन-चार साल तक मसाज कर सकती हैं, इससे वह शारीरिक रूप से और भी मज़बूत होगा.