दिवाली के तुरंत बाद बहनें भाई दूज का इंतजार करती हैं, क्योंकि ये त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम की डोर को और मजबूत बनाता है. परदे पर तो कलाकारों के कई भाई-बहन होते हैं, लेकिन असली भाई-बहन के साथ त्योहार मनाने की बात ही कुछ और है. इन टीवी सेलिब्रिटीज़ ने अपने रियल भाई-बहन के साथ ऐसे मनाया भाई दूज का त्योहार.
शरद मल्होत्रा (Sharad Malhotra) यह भाई दूज मैं अपने परिवार और चचेरे भाइयों के साथ कोलकाता में हूं. 10 महीनों के बाद उन्हें देखने के लिए मैं बहुत उत्सुक हूं, विशेष रूप से इस महामारी में परिवार से दूर रहना काफी मुश्किल था इसलिए इस बार अपने परिवार से मिलने की ख़ुशी और भी बढ़ गई है. हालांकि इस बार त्योहार में पहले की तरह सबसे एक साथ मिलना नहीं हो पाया, लेकिन अपने माता-पिता को देखने और उन्हें गले लगाने के सुख से बड़ी और कोई ख़ुशी नहीं है.
प्रणिता पंडित (Pranitaa Pandit) मेरे भाई मुझसे ग्यारह साल बड़े हैं और मेरी बहन मुझसे नौ साल बड़ी हैं. मेरा उनके साथ बहुत प्यारा रिश्ता है और वो मुझे बहुत लाड़ करते हैं. मेरे भाई ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मेरा मार्गदर्शन कियाहै. मुझे एक घटना याद है जब मैं उनसे कहा था कि आप मुझे दिवाली या भाई दूज पर कुछ भी न दें, मैं उस समय बहुत छोटी थी, लेकिन उन्होंने मुझे बहुत सारी स्टेशनरी, बहुत महंगी चीजें देकर इस त्योहार को मेरे लिए बहुत खास बना दिया था. हमारे लिए ये त्योहार बहुत ख़ास है.
अक्षित सुखिजा (Akshit Sukhija) मेरी एक बड़ी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है. उसकी शादी करीब पांच साल पहले हो चुकी है और वो मुझसे सात साल बड़ी है. हमारे बीच बहुत प्यारी बॉन्डिंग है. वो दिल्ली में रहती है और उसका एक बच्चा भी है, इसलिए वो महामारी के कारण मुंबई नहीं आ सकती. मैं जल्द ही उनसे मिलने जा रहा हूं, लेकिन भाई दूज पर उनसे नहीं मिल पा रहा हूं. मुझे आज भी तीन साल पहले का भाई दूज का वो दिन याद है जब मेरी दिल्ली में शूटिंग हो रही थी और मुझे सुबह 6 बजे तक वहां पहुंचना था, इसलिए मैं सुबह 5 बजे अपनी बहन के घर पहुंच गया. हमने साथ मिलकर भाई दूज का त्योहार मनाया और फिर मैं शूटिंग के लिए निकल गया. इससे पता चलता है कि ये त्योहार कितने खास हैं और ये त्योहार हमें इस रिश्ते की अहमियत सिखाता है.
राजश्री रानी (Rajshri Rani) मेरे तीन बड़े भाई हैं जो मुझसे काफी बड़े हैं. उन्होंने हमेशा मुझे लाड़ किया है. उनके साथ मेरा रिश्ता प्यार और देखभाल का अधिक है, लेकिन मेरे एक चचेरे भाई हैं जो मेरी उम्र के हैं और हमारा रिश्ता नोकझोंक भरा है. बचपन में मैं भाई दूज के लिए बहुत उत्साहित रहती थी, क्योंकि इस दिन मुझे पैसे मिलते थे. लेकिन अब सिर्फ इस दिन का इंतजार इसलिए रहता है, ताकि मैं घर पर अपने भाइयों के साथ कुछ समय बिता सकूं.
भाई दूज के लिए स्मार्ट गिफ्ट आइडियाज़… (Smart Gift Ideas For Bhai Dooj)
इस भाई दूज (Bhai Dooj) अपने भाई को स्पेशल फील करवाने के लिए दें उसे कोई स्पेशल गिफ्ट (Special Gift)..
कोई ऐसी चीज़ गिफ्ट करें, जो वो लंबे समय से ख़रीदने की सोच रहा हो, चाहे वो कोई बुक हो, कोई एक्सेसरी हो या कोई ड्रेस.
आप उसकी फेवरेट मिठाई के साथ चांदी का ब्रेसलेट भी दे सकती हैं. यह एक ऐसा गिफ्ट होगा, जो सभी को पसंद आएगा.
पर्सनलाइज़्ड गिफ्ट दे सकती हैं. कार्ड होल्डर, डायरी या पेन.
इमेज प्रिंट वाली नोटबुक, कुशन कवर, न्यू ईयर कैलेंडर, वॉल डेकोरेटिव पीस या फिर टी शर्ट भी दे सकती हैं.
अगर वह पढ़ने का शौकीन है, तो आप लेटेस्ट बुक या उसके मनपसंद लेखक की क़िताबों का सेट भी गिफ्ट कर सकती हैं या डिक्शनरी भी गिफ्ट की जा सकती है.
आप गिफ्ट हैंपर्स भी दे सकती हैं, जो अपने आप में कंप्लीट होता है.
गिफ्ट वाउचर्स भी ग्रेट आइडिया है. यह लोगों को काफ़ी पसंद भी आता है और वो अपना मनचाहा गिफ्ट ले सकते हैं.
स्वीट्स, फ्रूट्स और ड्राय फ्रूट्स हैंपर्स भी अच्छा ऑप्शन है. साथ में बुके व ग्रीटिंग भी दे सकती हैं.
फ्लोटिंग या एरोमैटिक कैंडल सेट्स भी दे सकती हैं.
कोई टूर स्पॉन्सर करके भी गिफ्ट दिया जा सकता है.
हैंड मेड कोई चीज़ उपहार में दे सकते हैं. यह बहुत ही पर्सनल भी लगेगा और दिल को छू लेनेवाला गिफ्ट होगा.
कुछ यादगार पुरानी तस्वीरों को फ्रेम करवाकर गिफ्ट करें. अपने बचपन की यादों को संजोकर फोटोज़ फ्रेम करवाकर दे सकती हैं.
अगर आपका भाई हेल्थ कॉन्शियस है, तो आप शुगर फ्री चॉकलेट्स व मिठाइयां गिफ्ट कर सकती हैं. इसके गिफ्ट हैंपर्स की काफ़ी वेरायटी उपलब्ध है.
हैंडमेड वास या पेन होल्डर भी पेंट करके या डेकोरेट करके गिफ्ट किया जा सकता है.
बेडशीट्स भी प्रिंट करवाकर दी जा सकती हैं. यह आइडिया भी लोगों को काफ़ी पसंद आता है.
वुडन फ्रेम को भी कलर्स से पेंट करके एथनिक झरोखा बनाकर विंडो फ्रेम या वॉल डेकोरेटिव पीस के तौर पर गिफ्ट कर सकते हैं. यह बहुत ही क्लासी लगता है.
परफ्यूम, ग्रूमिंग या कॉस्मेटिक्स से जुड़ी चीज़ें भी गिफ्ट की जा सकती हैं.
अपने हाथों से पेंट या एंब्रायडरी की हुई पेंटिग, बैग या कोई ड्रेस भी दे सकती हैं.
होम अप्लायन्सेस भी गिफ्ट कर सकते हैं, जैसे- कॉफी मेकर, हैंड ब्लेंडर या सैंडविच मेकर्स, ताकि वो आसानी से अपने लिए कुछ कुक कर सके.
आप भाई-बहन के मैसेजेस के मग्स या कुशन कवर्स विद कोट्स भी गिफ्ट कर सकती हैं यानी उन पर कुछ कहावतें, जोक्स, दिलचस्प या दार्शनिक बातें छपी हों.
मोबाइल या लैपटॉप एक्सेसरीज़ भी बहुत अच्छा गिफ्ट आइडिया है. आजकल कलरफुल ईयरफोन्स, मोबाइल व लैपटॉप कवर्स, स्लीव्स और जैकेट्स आते हैं. इनमें भी बीडेड और बहुत ही एथनिक कवर्स आते हैं, जो फेस्टिवल के समय गिफ्ट किए जा सकते हैं.
पेन सेट, पर्स या वॉलेट्स भी गिफ्ट करना अच्छा ऑप्शन है.
होम डेकोर एक्सेसरी, लैंप्स या लैनटर्न्स भी अच्छा गिफ्ट आइडिया है. फेस्टिवल सीज़न में तो यह और भी अच्छा लगेगा.
हैंड मेड चॉकलेट्स, केक और मिठाइयां भी पसंद आएंगी. इसमें उसे पर्सनल टच महसूस होगा. आप सरप्राइज़ के तौर पर उसे बताए बगैर उसके लिए इसे तैयार करें.
फेस्टिवल के दौरान कई कॉम्बो ऑफर्स भी मिलते हैं, जैसे- एक पर एक फ्री या फिर ड्राय फ्रूट्स, चॉकलेट्स या मिठाइयों के हैंपर्स भी ऑफर्स में आते हैं, जो बड़ों और बच्चों दोनों को बहुत भाते हैं.
दिवाली के अंतिम दिनों का पांचवां त्योहार भैया दूज है.
भाई दूज के दिन विवाहित या अविवाहित बहनों को प्रात: स्नान आदि से निपटकर भाई के स्वागत की तैयारी करनी चाहिए.
इस दिन यम की पूजा या भाई के आवभगत का तरीक़ा अलग होता है. इसके अनुसार बहनों को भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारनी चाहिए और कलावा बांधकर मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन-मिश्री खिलानी चाहिए.
इस विधि के संपन्न होने तक दोनों को व्रती रहना चाहिए.
बहनों को शाम के समय यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखना चाहिए. इस समय आसमान में चील उड़ती दिखाई देने पर बहुत ही शुभ माना जाता है.
बहन को अपने भाई का आतिथ्य सत्कार करना चाहिए और तिलक लगाकर उनके उज्ज्वल भविष्य, जीवन, स्वास्थ्य आदि की कामना करनी चाहिए.
क्या न करें?
भाई को अपने घर बहन के आने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे ही बहन के घर जाना चाहिए.
बहन यमदेव की पूजा तक कुछ भी न खाए-पीए.
– मनीषा कौशिक
(वास्तु-फेंगशुई एक्सपर्ट)
दीपावली में सुख, समृद्धि और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहे, इसके लिए इन पांच दिनों में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, जैसे- पूजा की विधि, शुभ फल प्राप्ति के लिए क्या करें, किन बातों से बचें आदि. दीपावली के शुभ पर्व की शुरुआत होती है धनतेरस से, इस दिन किस तरह से पूजा-अर्चना करें और किन बातों का ख़्याल रखें, ताकि मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे, सबसे पहले यही जानते हैं.
नरक चतुर्दशी
यह दूसरे दिन मनाया जानेवाला पर्व है, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन की शाम को दीपदान करने की मान्यता है, जो यमराज के लिए किया जाता है.
– इस दिन स्नानादि के बाद मंदिर में भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करें.
– रात को घर के सबसे बुज़ुर्ग सदस्य द्वारा एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाने के बाद उस दीप को घर से बाहर कहीं दूर इस मान्यता और विश्वास के साथ रखें कि सभी बुराइयां और हानिकारक शक्तियां घर से बाहर चली जाएं.
– मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में चावल की ढेरी बनाकर उस पर दीया जलाएं.
– यमराज को अकाल मृत्यु से दूर रखने की प्रार्थनाकरें.
धार्मिक व सामाजिक मान्यता के अनुसार पांच दिनों तक हिंदू रीति से उत्सव की तरह मनाया जानेवाला त्योहार है दिवाली.
पूजन सामग्री और विधि
सामग्री: दीपक, कमल के फूल, जावित्री, केसर, रोली, चावल, पान के पांच पत्ते, सुपारी, एक थाली में फल, दूसरी थाली में गुलाब और गेंदा आदि के फूल, दूध, खील-बताशे, नारियल, सिंदूर, सूखे मेवे, मिठाई की भरी थाल, दही, गंगाजल, दूब, अगरबत्ती, आंगन आदि में जलाने के लिए 11 या 21 की संख्या में मिट्टी के दीपक, रूई, कलावा, तांबे का कलश और तांबे के अन्य पात्र, सिक्के तथा रुपए.
विधि: सबसे पहले थाली में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनाएं या नवग्रह का यंत्र स्थापित करें. इसके साथ ही एक तांबे या मिट्टी का कलश रखें, जिसमें गंगाजल, दूध, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग वग़ैरह डालें तथा उसे लाल कपड़े से ढंककर एक कच्चे नारियल और कलावे से बांध दें.
– बनाए गए नवग्रह यंत्र के स्थान पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, देवी लक्ष्मी की मूर्ति और मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां या चित्रों से सजाएं.
– यदि कोई धातु की मूर्ति हो, तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत-चंदन का शृंगार करें और फल-फूल आदि से सजाएं. इसके दाहिनी ओर घी या तिल का एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलाएं.
– घर के किसी मुख्य सदस्य या नित्य पूजा-पाठ करनेवाले व्यक्ति को महालक्ष्मी पूजन के समय तक उपवास रखना चाहिए.
– ध्यान रहे पूजन के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठें.
– सबसे पहले गणेश और अंबिका का पूजन करें. फिर कलश स्थापन और नवग्रह पूजन के बाद लक्ष्मी समेत दूसरे देवी-देवताओं का पूजन करें.
– इस पूजन के बाद तिजोरी में गणेश तथा लक्ष्मी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें. पूजन के स्थान पर चौमुखा दीपक जलाएं तथा पूजा के बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें.
– कारोबारियों को अपने कार्यक्षेत्र पर बही-खातों की पूजा करना चाहिए. पूजा के बाद जितनी जैसी श्रद्धा हो, उसके अनुरूप घर के छोटे बच्चों, बहू-बेटियों को रुपया-पैसा या दूसरी वस्तुओं का दान देना चाहिए.
– रात के बारह बजे दुकान की गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें. परंपरा के अनुसार दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रूई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल-बट्टा तथा सूप पर तिलक करना चाहिए.
– देवी लक्ष्मी की पूजा के समय उनके मंत्र-ॐ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: का लगातार उच्चारण करते रहें.
क्या करें?
दीपावली की पूजा किसी योग्य पुजारी से विधि-विधान से संपन्न करवाएं.
– पूजा की तैयारी सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म एवं स्नान आदि से निबटकर कर लें.
– पूजन से पहले घर की अच्छी तरह साफ़-सफ़ाई करें. घर को फूल, आम के पत्ते, रंगोली, रंगीन बल्ब आदि से सजाएं.
– पूजाघर सही तरह से सुसज्जित होना चाहिए. सजावट में विविध रंगों का
इस्तेमाल करें.
– पूजा के क्रम में अच्छी ख़ुशबूदार अगरबत्ती या धूप का इस्तेमाल करें. इनमें गुलाब या चंदन की धूप सबसे बेहतर रहती है.
– घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीया जलाएं.
क्या न करें?
– घर में व प्रवेश द्वार पर कहीं भी गंदगी न रहने दें.
– रंगों, फूलों आदि से सजावट करते हुए या रंगोली बनाते समय ध्यान रहे कि काले या गाढ़े भूरे रंग का इस्तेमाल न के बराबर हो.
– पूजा का स्थान घर के दक्षिण, पश्चिम या उत्तर की ओर न बनाएं. किसी भी एक देवी या देवता की दो मूर्तियां या तस्वीरें न रखें.
– घर के कोने-कोने में नमक मिश्रित जल का छिड़काव करने के बाद अपना हाथ धोना नहीं भूलें.
– घर के आंगन, बड़े हॉल या फिर प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाएं. उसके बीच में दीपक जलाएं. दीये के मुख को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखकर जलाने से सुख-समॄिद्ध बढ़ती है. इसी के साथ मुख्य द्वार पर घर में प्रवेश करते हुए पैरों के
निशान बनाएं.
– घर का उत्तरी भाग धन का प्रतिनिधित्व करता है, अत: लक्ष्मी पूजा इसी हिस्से में की जानी चाहिए.
– पूजाघर में भगवान गणेश को देवी लक्ष्मी के बाईं ओर तथा देवी सरस्वती को लक्ष्मी के दाईं ओर रखना चाहिए. सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें बैठी हुई अवस्था में होनी चाहिए, जिन्हें उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए
रखना चाहिए.
– पानी का कलश पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. पूजा स्थल या पूजा घर में मूर्तियां रखते समयइस बात का ध्यान रखें कि वे किसी भी दरवाज़े के सामने या रास्ते में न पड़ें.
– पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर की दिशा में एक चौड़े बर्तन के पानी में तैरती हुई ताज़ा गुलाब की पंखुड़ियां रखें.
– ॐ या स्वस्तिक के चिह्न को उत्तर या पूर्व दिशा की दीवारों पर ही लगाएं.
– जब घर के बाहर दीये जलाएं, तो इन्हें चार के गुणक के रूप में रखें. प्रत्येक दीया लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र का प्रतिनिधित्व करता है.
– उपहार के लिए धातु के सामान या कपड़े आदि को उपयुक्त माना गया है. सजावटी वस्तुओं में पेंटिंग, क्रिस्टल बॉल आदि हो सकते हैं.
– घर की सजावट के क्रम में प्रकाश-व्यवस्था घर के मुख्य द्वार की दिशा के अनुरूप होनी चाहिए. यदि मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पश्चिम की ओर हो, तो हरे या पीले रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
– यदि मुख्य प्रवेश पूर्व की ओर हो, तो पीले रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
– यदि मुख्य प्रवेश दक्षिण-पूर्व हो, तो लाल रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
– यदि प्रवेश द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम की ओर हो, तो लाल और नीले रंग की रोशनी का उपयोग करना चाहिए. इसी तरह से उत्तर-पूर्व की दिशा में प्रवेश द्वार होने की स्थिति में नीला रंग सही होता है.
गोवर्धन पूजा
दिवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा होती है. इस दिन गायों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि गाय देवी लक्ष्मी का स्वरूप है. भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इंद्र का मान-मर्दन कर गिरिराज पूजन किया था.
– गायों को सुबह स्नान करवाकर फूल- माला, धूप, चंदन आदि से उनकी पूजा की जाती है. गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है.
– पूजा के बाद गोवर्धनजी की सात परिक्रमाएं उनकी जय-जयकार करते हुए की जाती है.
– गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं. इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है. फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.
क्या करें?
– गोवर्धन पूजा पूरे विधि-विधान के साथ शुभ मुहूर्त में करें. बेहतर होगा किसी पंडित से पूजा करवाएं.
– पूजा से पहले प्रात:काल तेल मालिश कर स्नान करें.
– घर के बाहर गोवर्धन पर्वत बनाएं. फिर पूजा करें.
क्या न करें?
– गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें.
– गायों की पूजा करते हुए ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें.
दिवाली के अंतिम दिनों का पांचवां त्योहार भैया दूज है.
– भाई दूज के दिन विवाहित या अविवाहित बहनों को प्रात: स्नान आदि से निपटकर भाई के स्वागत की तैयारी करनी चाहिए.
– इस दिन यम की पूजा या भाई के आवभगत का तरीक़ा अलग होता है. इसके अनुसार बहनों को भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारनी चाहिए और कलावा बांधकर मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन-मिश्री खिलानी चाहिए. इस विधि के संपन्न होने तक दोनों को व्रती रहना चाहिए.
– बहनों को शाम के समय यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखना चाहिए. इस समय आसमान में चील उड़ती दिखाई देने पर बहुत ही शुभ माना जाता है. इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं, उसे यमराज ने क़बूल कर लिया है.
क्या करें?
– भाई को अपनी विवाहिता बहन के घर अवश्य जाना चाहिए.
– बहन को अपने भाई का आतिथ्य सत्कार करना चाहिए और तिलक लगाकर उनके उज्ज्वल भविष्य, जीवन, स्वास्थ्य आदि की कामना करनी चाहिए.
क्या न करें?
– भाई को अपने घर बहन के आने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे ही बहन के घर जाना चाहिए.
– बहन यमदेव की पूजा तक कुछ भी न खाए-पीए.
– मनीषा कौशिक (वास्तु-फेंगशुई एक्सपर्ट)
आपस में लड़ते-झगड़ते न जाने कब बड़े हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. रिश्तों में ये रिश्ता सबसे अहम् होता है. यहां किसी तरह का स्वार्थ नहीं होता. दोनों एक-दूसरे के अभिन्न अंग की तरह होते हैं, लेकिन देखने से लगता नहीं. दिन के 24 घंटे में एक बार भी दोनों बिना लड़े नहीं रह सकते, लेकिन जब बात प्यार जताने की हो, तो दोनों एक-दूसरे से कम भी नहीं रहते. पापा से भाई के बाहर देर तक खेलने की बात छुपानी हो या फिर मां से बहन के लिए घर से दूर हॉस्टल में जाकर पढ़ाई करने की, हर मोड़ पर भाई-बहन एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं. भाई-बहन के इसी रिश्ते को हर साल एक नया आयाम देता है भाई दूज का पर्व. इस दिन बहनें अपने भाई की पूजा और प्रार्थना करती हैं. भाइयों की रक्षा करने की क़सम खाती हैं और उसे ताउम्र निभाती भी हैं.
क्या होता है भाई दूज पर?
शास्त्रों के अनुसार भाई दूज या भैया दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है. इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीष देती हैं. भाइयों की लाडली बहनें इस दिन यमराज से अपने भाइयों के लिए लंबी उम्र की कामना करती हैं.
इंटरेस्टिंग स्टोरी
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार इस दिन भगवान यमराज ने अपनी बहन यमुना को दर्शन दिया था, जो बहुत दिनों से उनसे मिलने के लिए व्याकुल थीं. अपने घर भाई के आगमन से यमुना बहुत खुश हुईं और भाई का स्वागत किया. जाते समय यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि इस दिन जो भी भाई बहन के घर जाकर उससे तिलक लगवाएगा और उसके हाथों का बना भोजन खाएगा उसकी आयु बढ़ेगी और उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा. तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा की शुरुआत हुई.
फिल्में, जो दर्शाती हैं भाई-बहनों के प्यार को
अगर आप भी इस दिन को यादगार बनाना चाहते हैं, तो आपकी लंबी उम्र की कामना करनेवाली बहनों के साथ पूरा दिन स्पेंड करें. उनके साथ घूमें-फिरें और हो सके, तो ये फिल्में ज़रूर देखें. ये फिल्में आपकी बॉन्डिंग और भी मज़बूत करेंगी.
– हम साथ-साथ हैं
– माई ब्रदर निखिल
– इक़बाल
बहनों को दें स्पेशल गिफ्ट
वैसे तो बहनें आपसे हर मौ़के पर गिफ्ट लेना नहीं भूलतीं, लेकिन भाई दूज के दिन उनके बिना मांगे ही आप उन्हें कुछ स्पेशल गिफ्ट करें, जो उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेर दे.
इस ख़ास दिन पर जिस तरह से बहनें तुम्हारा ख़्याल रखने और जीवन में हमेशा सुखी और ख़ुश रहने की कामना करती हैं, ठीक उसी तरह तुम भाइयों की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि आज जो भी हालात हैं देश में उसे बदल दो. इस समाज को इतना सुरक्षित बना दो कि किसी की भी बहन के साथ किसी तरह की कोई अनहोनी न हो. आख़िर दूसरे साल भी भाई दूज आएगा और ऐसे में उन भाइयों का क्या होगा, जिनकी बहनों के साथ कुछ असामाजिक तत्व बुरा करके उनकी ज़िंदगी तबाह कर देते हैं. ख़ुद का ख़्याल रखें और उससे भी ज़्यादा अपनी बहनों का, तभी सही मायने में भाई दूज का पर्व ख़ुशियां लेकर आएगा.