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मैं 20 साल की हूं. मेरी समस्या (Problem) यह है कि अन्य लड़कियों की तुलना में मेरे स्तन (Breast) बहुत छोटे हैं. मैंने कई ऐसे विज्ञापन पढ़े हैं, जो बिना किसी सर्जरी (Surgery) के स्तन का आकार बढ़ाने का दावा करते हैं. मेरी जल्दी ही शादी होनेवाली है. मैं उन इलाजों और उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना चाहती हूं.
– राशि शुक्ला, जयपुर.
ये सच है कि ब्रेस्ट एनलार्जमेंट के लिए आए दिन विज्ञापन प्रकाशित होते रहते हैं, लेकिन उनकी सच्चाई के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. अगर आप चाहें तो एक्सरसाइज़ करके अपने स्तनों का आकार बढ़ा सकती हैं. इसके लिए आप जिम ज्वाइन कर सकती हैं और इंस्ट्रक्टर को अपना उद्ददेश्य बता दें. इसके अलावा आप गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. ये न सिर्फ़ स्तनों का आकार बढ़ाएंगी, बल्कि अनचाहे गर्भ से भी सुरक्षित रखेंगी. वैसे सबसे अच्छा तरीका है-ब्रेस्ट इम्प्लांट, जिसमें 40,000 से 80,000 रुपए ख़र्च आता है. वैसे मेरा मानना है कि ये सब दिमागी फ़ितूर है. अगर आप अपने शरीर के बारे में पॉज़िटिव सोच रखें तो ब्रेस्ट का साइज़ कोई मायने नहीं रखता.
यह भी पढ़ें: Personal Problems: क्या ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है? (Is Breast Cancer Lump Painful?)
मैं 28 वर्षीया महिला हूं और कुछ महीने पहले ही मेरी नॉर्मल डिलीवरी हुई है, पर उसके कुछ हफ़्तों बाद से ही मुझे प्रोलैप्स जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं. क्या मुझे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए?
– इशिता शुक्ला, जबलपुर.
कभी-कभी महिलाओं को प्रोलैप्स जैसा महसूस होता है, पर वैसा होता नहीं. हो सकता है कि गर्भाशय अपनी जगह से हल्का-सा खिसक गया हो, पर यह तो कीगल एक्सरसाइज़ से भी ठीक हो जाएगा. सबसे पहले आप किसी गायनाकोलॉजिस्ट से मिलकर ज़रूरी टेस्ट्स करवा लें, ताकि पता चल सके कि प्रोलैप्स है या नहीं. फ़िलहाल के लिए डॉक्टर आपको दवाएं देकर 6 हफ़्तों तक ऑब्ज़र्व कर सकते हैं. दरअसल, डिलीवरी के बाद आयरन पिल्स लेने के कारण महिलाओं को कब्ज़ की शिकायत हो जाती है और इंट्रा एब्डॉमिनल प्रेशर से पेल्विक मसल्स कमज़ोर हो जाती हैं, जिसके कारण ऐसा महसूस होता है. आप हेल्दी डायट लें और कुछ पेल्विक एक्सरसाइज़ेज़ करें.
यह भी पढ़ें: Personal Problems: क्या मेडिकल एबॉर्शन सेफ और इफेक्टिव है? (Is The Medical Abortion Safe?)
डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
[email protected]
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कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनकर आज भी लोग सिहर उठते हैं. तमाम जागरुकता अभियानों के बावजूद कैंसर पेशेंट को आज भी सामाजिक स्वीकार्यता नहीं मिली है. यही कारण है कि शिक्षित महिलाएं भी इस बात को जल्दी स्वीकार नहीं कर पातीं कि वो कैंसर की शिकार हो चुकी हैं. हमारे देश में हर साल लगभग ब्रेस्ट कैंसर के एक से सवा लाख नए केस सामने आ रहे हैं और ज़्यादातर मामलों में शर्म व संकोचवश महिलाएं डॉक्टर के पास नहीं जाती. यदि समय रहते कैंसर का पता चल जाए, तो इलाज संभव है. गांव व कस्बों की तुलना में शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा बढ़ रहा है. आख़िर क्या है इसकी वजह जानने के लिए हमने बात की कैंसर स्पेशलिस्ट व गायनाक्लोजिस्ट डॉ. राजश्री कुमार से.
ख़ुद करें जांच
अपने शरीर को आपसे अच्छी तरह भला और कौन जान सकता है, अगर आप कैंसर के ख़तरे से बचना चाहती हैं, तो सेल्फ एग्ज़ामिनेशन (ख़ुद अपनी जांच) करें.
* सीधा लेटकर या नहाते समय हाथ ऊपर करके ब्रेस्ट पर हाथ घुमाकर महसूस करें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं है. कई बार ये गांठ बहुत छोटी भी होती है, इसलिए थोड़ा भी शक़ होने पर बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं.
* यदि आपको महसूस हो रहा है कि स्तनों का आकार असामान्य तरी़के से बढ़ रहा है या बगल में सूजन है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत जांच करवाएं.
* निप्पल का आकार बिगड़ने लगे, लाल होने लगे या उसमें से ख़ून आने लगे तो ये ख़तरनाक हो सकता है.
12 से 14 साल की उम्र में बच्चे
को एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस)
वैक्सीन दिलाएं. ये भविष्य में सर्वाइकल
कैंसर से बचाव करता है.
क्या हैं कारण?
ब्रेस्ट कैंसर होने की कोई एक वजह नहीं है, इसके लिए कई कारण ज़िम्मेदार हो सकते हैं.
* कई बार ये अनुवांशिकता के कारण होता है. यदि परिवार में नज़दीकी रिश्तेदारों (मम्मी, चाची, दादी, नानी) को ये हुआ है, तो आपका इसका शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है.
* ब्रेस्टफीड न कराना और बच्चे न होना भी इसकी एक बड़ी वजह हो है. शहरों में कामकाजी महिलाएं देर से शादी करती हैं, जो बच्चे में लेट होते हैं और ज़्यादातर महिलाएं फिगर ख़राब होने या नौकरी की वजह से बच्चों को ज़्यादा समय तक ब्रेस्टफीड नहीं करा पातीं.
* ग़लत लाइफस्टाइल यानी ज़्यादा फैटी फूड, एक्सरसाइज़ न करना आदि से भी ये हो सकता है.
* ज़रूरत से ज़्यादा मोटापा, शराब, सिगरेट आदि का अधिक सेवन भी इसकी वजह हो सकता है.
शहरी महिलाओं में जहां ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा बढ़ रहा है, वहीं गांव/कस्बों में सर्वाइकल कैंसर की तादाद बढ़ रही है. हमारे देश में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के बढ़ने की दर 2.4 प्रतिशत है. इसका कारण गांवों की महिलाओं में जागरूकता की कमी, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही, हाइजीन का ख़्याल न रखना आदि है. ज़्यादा बच्चे होने, सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान कंडोम का इस्तेमाल न करने से भी सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा रहता है. यदि सही समय पर इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है, मगर ज़्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज पर पहुंचने पर ही मरीज़ को बीमारी का पता चल पाता. इसके लक्षणों को समझना मुश्किल है. अतः चेकअप करवाना ही सबसे बेहतर उपाय है. 30 की उम्र के बाद पैप स्मीयर टेस्ट करवाएं. यदि सब सामान्य है तो हर 5 साल में एक बार चेकअप करवाएं.
कैसे बचें?
* शराब और सिगरेट से तौबा कर लेें.
* वज़न नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें.
* भोजन में फैटी फूड की मात्रा कम कर दें. हेल्दी फूड खाएं.
* जितना ज़्यादा हो सके बच्चे को ब्रेस्टफीड कराएं.
* यदि परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है, तो नियमित रूप से चेकअप ज़रूर करवाएं.
* यदि उम्र 35 से कम है, तो सोनोग्राफी करती रहें.
* यदि आपकी उम्र 35 से ज़्यादा है, तो मेमोग्राफी की जाती है.
* 40 साल की उम्र में 1 बार और फिर हर 2 साल में मेमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि शुरुआती स्टेज में ही कैंसर का पता चल जाए.
पिछले क़रीब 25 साल में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में दुगुनी बढ़ोतरी हुई है.
यदि शुरुआती स्तर पर ही कैंसर का पता चल जाए तो इसके ठीक होने की संभावना ज़्यादा रहती है, मगर हमारे देश में क़रीब 30 प्रतिशत मामले एडवांस स्टेज पर पहुंचने के बाद सामने आते हैं, जिससे मरीज़ को बचा पाना मुश्किल हो जाता है.

क्या एक्सरसाइज़ से ढीले व लटके हुए स्तनों में कसाव लाया जा सकता है?
ब्रेस्ट में मसल्स नहीं होती इसलिए इन्हें टोन नहीं किया जा सकता, परंतु ब्रेस्ट के चारों ओर मसल्स होती हैं, इनमें एक्सरसाइज़ करके कसाव लाया जा सकता है. इसके लिए चेस्ट प्रेस, डंबलफ्लाय व पुशअप जैसी एक्सरसाइज़ करें. इसके अलावा नीचे दी गई एक्सरसाइज़ भी ब्रेस्ट टाइटनिंग के लिए फ़ायदेमंद है.
♦ बैकवर्ड फेसिंग वॉल स्लाइड दीवार से पीठ की ओर टिककर इस तरह खड़े हों कि आपकी कमर कंधे और सिर दीवार को छुए. अपनी बाहें कंधों की सीध में फैलाएं. अब अपनी कोहनियां 90 डिग्री कोण पर इस तरह मोड़े कि हाथों कि ऊंगलियां छत की ओर उठी रहें. धीर-धीरे बाहों को दीवार से लगकर ऊपर की ओर उठाएं, फिर नीचे लाएं और वापस अपनी पूर्व स्थिति में आएं. इस अभ्यास को दोहराएं.
♦ फ्रंट फेसिंग वॉल स्लाइड दीवार की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं, ध्यान रहे पैरों की ऊंगलियां दीवार से 6 इंच की दूरी पर हों.
हथेली को दीवार पर इस तरह दबाएं कि हाथों की ऊंगलियां छत की ओर उठी रहें. धीरे-धीरे हथेली को दीवार से लगकर ऊपर की ओर तब तक उठाएं जब तक बांह सीधी न हो जाए. बांह को धीरे-धीरे इस तरह ऊपर लाएं कि हाथ कानों तक पहुंचेे. अब दोनों कुहनियों को जोड़ें अब बाहों को पीछे दीवार की ओर ले जाएं. अब नीचे लाकर पूर्व स्थिति में आएं. इस अभ्यास को दोहराएं.
♦ अपने घुटनों और हाथों के बल चौपाया जानवर की तरह आएं. अब दाहिने हाथ को आगे की ओर और बाएं पैर को पीछ की ओर उठाएं. ध्यान रहे आपके नितंब और कंधे फर्श के समानांतर हों. हाथ इस तरह उठाएं कि रीढ की हड्डी की बजाय कंधे और नितंब पर दबाव पड़े. अब धीरे-धीरे नीचे पूर्व स्थिति में आएं. यही क्रिया दूसरे हाथ और पैर पर भी दोहराएं.
क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है?
सामान्यतः अधिकांश ब्रेस्ट इम्प्लांट में आसानी से स्तनपान कराया जा सकता है. 20% केसेसे में इम्प्लांट को पहले वर्ष में सर्जरी से पुनः एडजस्ट करना पड़ता है. 30 % केसेसे में इम्प्लांट 10 वर्ष बाद टूट जाता है और पुनः कराना पड़ता है. पहली बार इम्प्लांट के बाद स्तनपान कराने में कोई दिक्क़त नहीं आती, परंतु जितनी ज़्यादा बार सर्जरी कराई जाती है, ब्रेस्ट के लिगामेंट को उतना ही ज़्यादा नुक़सान पहुंचता है. इसके कारण मिल्क डक्ट (दूध की नलियां) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. जिससे स्तनपान कराना मुश्किल हो जाता है. अतः ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने से पहले डॉक्टर से इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में ज़रूर पूछ लें.
क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने के बाद ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है?
यदि ब्रेस्ट में इम्प्लांट हो तो डॉक्टर द्वारा किए गए रोगी के शारीरिक परीक्षण में ब्रेस्ट में गांठ का पता नहीं चलता. इसलिए इस परीक्षण को अंतिम नहीं माना जाता. मेमोग्राम और एम.आर.आई. करवाना आवश्यक होता है. इससे ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है.
प्रेग्नेंसी ना होते हुए भी ब्रेस्ट निपल से डिस्चार्ज (स्राव) होना क्या रिस्की होता है?
– यदि निपल से डिस्चार्ज होता है तो पहले उसका रंग देख लें कि कहीं वो पीला, हरा, गुलाबी या ख़ून के रंग का तो नहीं है. इसके अलावा यह भी देखें कि डिस्चार्ज गाढ़ा, पतला या चिपचिपा किस तरह का है?
– यदि दोनों ब्रेस्ट दबाने पर पीला हरा या गहरा हरा डिस्चार्ज निकलता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
– प्रेग्नेंसी ना होते हुए भी यदि बार-बार डिस्चार्ज निकलता है तो यह इन्फेक्शन (संक्रमण) या किसी दवाई का साइड इफेक्ट हो सकता है.
– यदि डिस्चार्ज दूध या पानी जैसा है तो ये किसी बीमारी की शुरुआत हो सकती है, अतः डॉक्टर की सलाह लें.
– कुछ ख़ास तरह के केसेस में डिस्चार्ज हार्मोेनल, इम्बैलेंस या ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट में बहुत पीड़ा क्यों होती है?
– ब्रेस्ट के टिशूज़ स्वाभाविक रूप से कोमल व नाज़ुक होते हैं. ओव्युलेशन के दौरान और उसके बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स के लेवल कम ज्यादा होते रहते हैं. इसके साइड इफेक्ट्स शारीरिक लक्षणों, जैसे- सिरदर्द, मूड स्विंग, खाने का लालच, पैरों में क्रैम्पस आना व ब्रेस्ट में पीड़ा आदि के रूप में दिखाई देते हैं.
– डायट कोक, चाय या कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन भी ब्रेस्ट की पीड़ा बढ़ा सकता है.
– दर्द कम करने के लिए पीरियड्स के दौरान नमक का सेवन कम करें. खाने में विटामिन बी6 और विटामिन ई युक्त आहार लें.
क्या यह संभव है कि वज़न घटाते समय ब्रेस्ट का साइज़ कम ना हो?
ब्रेस्ट का साइज़ अनुवांशिक रूप से निर्धारित होता है. ब्रेस्ट का ज़्यादातर भाग फैट से बना होता है. जब वज़न घटता है तो जैसे शरीर के बाकी हिस्से से फैट कम होता है, वैसे ही ब्रेस्ट से भी कम होता है, परंतु इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि हमारा शरीर क्रमबद्ध तरी़के से फैट कम करता है. इससे ब्रेस्ट का साइज़ भी हमारी शारीरिक संरचना के अनुसार ही कम होता है. इसलिए वज़न कम होने पर भी हमारा शारीरिक अनुपात वैसा ही बना रहता है.

मैं 37 वर्षीया महिला हूं. मेरा 9 साल का बेटा भी है. कुछ महीने पहले ही मैंने बाएं ब्रेस्ट में एक गांठ महसूस की. डॉक्टर ने बायोप्सी करके बताया कि वो कैंसर की गांठ नहीं है, पर मैं बहुत डरी हुई हूं. क्या मुझे बार-बार मैमोग्राफी (Mammography) करानी पड़ेगी?
– रश्मि कुंद्रा, नोएडा.
अगर आपकी बायोप्सी की रिपोर्ट यह कहती है कि वह गांठ कैंसर की नहीं है, तो आपको डरने की कोई ज़रूरत नहीं. आपको पता करना होगा कि आपकी मां, मौसी या नानी में से किसी को ब्रेस्ट कैंसर तो नहीं था, क्योंकि कुछ ब्रेस्ट कैंसर फैमिली हिस्ट्री के कारण ही होते हैं, ऐसे में आपको ध्यान रखना होगा. सबसे ज़रूरी बात, नियमित रूप से हर महीने आपको ब्रेस्ट्स का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करना होगा, ताकि किसी तरह की गांठ के बारे में आपको समय से पता चल सके. मैमोग्राफी (Mammography) हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही कराएं. डॉक्टर को ज़रूरत महसूस होगी, तभी वो इसकी सलाह देंगे.
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मैं 24 वर्षीया कॉलेज स्टूडेंट हूं. हर महीने पीरियड्स के एक-दो दिन पहले से ही मेरे ब्रेस्ट्स में बहुत दर्द होता है, पर मुझे डॉक्टर के पास जाने में बहुत डर भी लग रहा है. मैं क्या करूं? कृपया, मेरी मदद करें.
– आराध्या वासवानी, बनारस.
इसमें डरने की कोई बात नहीं है. आप ऐसी अकेली नहीं हैं, जिसके साथ यह हो रहा है, ऐसीबहुत-सी लड़कियां व महिलाएं हैं, जिन्हें पीरियड्स से पहले ब्रेस्ट्स में दर्द होता है. दर्द से राहत पाने के लिए पीरियड्स के दौरान अच्छी फिटिंगवाली ब्रा पहनें और पेनकिलर ले लें. ज्यादातर मामलों में इससे फ़र्क़ पड़ता है, लेकिन अगर आपको इससे राहत न मिले, तो किसी गायनाकोलॉजिस्ट को ज़रूर दिखाएं. वो आपको सही दवाइयां देंगे, ताकि आपको दर्द से राहत मिले.
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ब्रेस्ट कैंसर शहरी महिलाओं में मौत का प्रमुख कारण
हाल ही में जारी आंकड़ों पर नज़र डालें, तो पता चलेगा कि ब्रेस्ट कैंसर शहरी महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बनता जा रहा है. ऐसे में इसके प्रति जागरूकता बहुत ज़रूरी है. हर महीने पीरियड्स के बाद अपने ब्रेस्ट्स को सेल्फ एक्ज़ामिन करें. यह आप लेटकर या शावर लेते समय भी कर सकती हैं. इसके कारण समय रहते महिलाओं को गांठ या सूजन का पता चल जाता है, जिससे सही समय पर इलाज हो जाता है. मैमोग्राफी एक ख़ास एक्स-रे है, जिसकी मदद से ब्रेस्ट की जांच होती है, पर यह हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करवाएं. अगर ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है, तो नियमित रूप से ब्रेस्ट्स का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करें.
डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
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मेरी चचेरी बहन 28 साल की है. वह प्रेग्नेंट है. शुरुआती जांच में डॉक्टर को आशंका है कि उसे ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) है. प्रेग्नेंसी के व़क्त ब्रेस्ट कैंसर और वो भी इतनी कम उम्र में? क्या यह मुमकिन है?
– नेहा देसाई, सोलापुर.
प्रेग्नेंसी के दौरान बे्रस्ट कैंसर (breast cancer) काफ़ी असामान्य है, पर जिनके घर में फैमिली हिस्ट्री हो, उन महिलाओं के लिए इसकी संभावना अन्य महिलाओं के मुक़ाबले 5-10% बढ़ जाती है. आमतौर पर प्रीनैटल चेकअप के दौरान डॉक्टर ब्रेस्ट्स भी चेक करते हैं, पर सभी महिलाओं को नियमित रूप से क्लीनिकली अपने ब्रेस्ट्स चेक करवाने चाहिए यानी डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर मैमोग्राफी कराते रहना चाहिए. ज़्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि गांवों के मुक़ाबले शहरी महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं.
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मैं 40 वर्षीया महिला हूं और पिछले एक साल से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से पीड़ित हूं. पिछले एक साल में यह क़रीब पांच-छह बार हो चुका है. गायनाकोलॉजिस्ट ने सारे चेकअप्स के बाद सब नॉर्मल बताया, पर फिर भी इंफेक्शन बार-बार हो रहा है. मैं फिर से एंटीबायोटिक्स नहीं खाना चाहती. कृपया, उचित सलाह दें.
– पुनीता शुक्ला, मेरठ.
कभी-कभी अगर इंफेक्शन पूरी तरह ठीक न हो, तो वह फिर से हो सकता है. वहीं कुछ लोग थोड़ा आराम मिलते ही एंटीबायोटिक लेना बंद कर देते हैं, जिससे कोर्स पूरा नहीं होता और इंफेक्शन वापस से आ जाता है. चूंकि आप इस समस्या से काफ़ी दिनों से परेशान हैं, तो आपको यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए. सिस्टोस्कोपी के ज़रिए वो आपका ब्लैडर आदि चेक करेंगे, जिससे इंफेक्शन के बार-बार होनेे का कारण पता चल जाएगा.
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5 स्टेप्स में करें सेल्फ ब्रेस्ट एक्ज़ामिनेशन
स्टेप 1: बिना कपड़ों के आईने के सामने खड़ी हो जाएं और हाथों को कूल्हे पर रखें. ध्यान से दोनों ब्रेस्ट्स को देखें कि कहीं उनके कलर और शेप में कोई फ़र्क़ तो नहीं आया है.
स्टेप 2: अब दोनों हाथों को ऊपर उठाकर देखें, कहीं कोई बदलाव तो नज़र नहीं आ रहा.
स्टेप 3: निप्पल्स को ध्यान से देखें, वो अंदर की तरफ़ धंसे हुए तो नहीं या उनसे किसी तरह का द्रव तो नहीं निकल रहा.
स्टेप 4: बेड पर लेटकर दाएं हाथ की उंगलियों से बाएं ब्रेस्ट को और बाएं हाथ की उंगलियों से दाएं ब्रेस्ट को सर्कुलर मोशन में चेक करें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं.
स्टेप 5: अब बैठकर या खड़े होकर बिल्कुल स्टेप 4 के अनुसार ब्रेस्ट एक्ज़ामिन करें.
डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
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