यह तो आप जानते ही होंगे कि अगर समय रहते कैंसर का इलाज शुरू कर दिया जाए तो उसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि ज़्यादातर लोग कैंसर के शुरुआती संकेतों व लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास ही नहीं होता या यूं कहें कि विश्वास नहीं करना चाहते कि वे कैंसर जैसी बीमारी के शिकार हो सकते हैं. कैंसर के शुरुआती लक्षण (Cancer symptoms) भ्रमक हो सकते हैं, क्योंकि सामान्य दिखते हैं, लेकिन इन पर ध्यान देना ज़रूरी है, नहीं तो जान पर भी बन सकती है.
स्तनों में बदलाव
ब्रेस्ट कैंसर दुनियाभर में से सबसे कॉमन कैंसर है, जिसकी चपेट में महिला व पुरुष दोनों ही आते हैं. इसके बहुत-से लक्षण हैं, जैसे-स्तन में गांठ, निप्पल के रंग में परिवर्तन, निप्पल में खुजली, रैश, निप्पल का अंदर की ओर मुड़ना इत्यादि. इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि ये लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के पक्के सबूत नहीं हैं. कभी-कभी ऐसे बदलाव हार्मोनल चेंजेज या स्वास्थ्य संबंधी अन्य कारणों से भी हो सकते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच करा लें.
मूत्र या मल के साथ ख़ून निकलना
यदि पेशाब या मल के साथ ख़ून निकले तो तुंरत अस्पताल जाकर चेकअप कराएं, क्योंकि यह किडनी या पेशाब की थैली में कैंसर का संकेत हो सकता है. इसके अलावा पाचन या शौच संबंधी आदतों में स्थायी बदलाव आना, जैसे- लंबे समय तक कब्ज़, डायरिया या अधिक मल का होना कोलोन कैंसर का लक्षण हो सकता है. अतः बेहतर होगा कि डॉक्टर से मिलकर संतुष्टी कर लें.
अचानक वज़न कम होना
यदि बिना कोशिश किए अचानक बहुत ज़्यादा वज़न कम हो जाए तो आपको ख़ुश होने के बजाय चिंतित होना चाहिए. इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, लेकिन पैनक्रियाटिक, लंग या स्टमक कैंसर की संभावना को भी पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता.
मुंह में छाले आना
सामान्यतः दो हफ़्तों में कोई भी छाला ठीक हो जाता है. लेकिन यदि छाला ठीक होने में इससे अधिक समय लगे तो यह चिंता का विषय है. इसके अलावा आवाज़ में बदलाव, निगलने में तकलीफ़, मुंह के अंदर स़फेद या लाल रंग के चट्टे पड़ना भी मुंह के कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं.
बुखार
लम्बे समय तक ठीक न होनेवाला बुखार ब्लड कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है. वैसे कैंसर के पीड़ित तक़रीबन सभी मरीजों को बुखार होता है, क्योंकि इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने के कारण होता है. इसलिए बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से मिलकर तुरंत इसकी गहन जांच कराएं.
खांसी
एक महीने से ज़्यादा समय तक लगातार खांसी, खांसी के साथ ख़ून निकलना, सांस लेने में तकलीफ इत्यादि कैंसर के शुरुआती संकेत हैं. अगर यह तकलीफ बार-बार हो रही है तो डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.
दर्द
दर्द के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि बिना किसी वजह के एक महीना या उससे अधिक समय तक दर्द हो यह हड्डी, ब्रेन या दूसरे कैंसर का संकेत हो सकत है. इसे नज़रअंदाज न करें और डॉक्टर से मिलकर वजह जानने की कोशिश करें. इसी तरह लगातार होनेवाला सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है, जबकि कोलोन, रेक्टम या ओवरी में कैंसर के कारण पीठदर्द हो सकता है. लंग कैंसर से पीड़ित कुछ मरीज सीने में दर्द की शिकायत भी करते हैं. हम आपको बताना चाहेंगे कि आमतौर पर कैंसर के कारण होनेवाले दर्द कैंसर के फैलने का है.
थकान
दिनभर की भागदौड़ व तनाव के बाग थकान महसूस करना बेहद सामान्य बात है, लेकिन यदि आप बिना मेहनत किए व ठीक ढंग से खानेपीने के बावजूद भी लगातार बहुत दिनों तक बहुत अधिक थकावट ब्लड कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा कोलोन या पेट के कैंसर होने पर भी रक्त की कमी हो जाती है, जिसके कारण थकान होता है.अतः लगातार थकावट होने पर उसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय डॉक्टर से चेकअप करवाकर तसल्ली कर लें.
रक्तस्राव
मासिकधर्म के अलावा अचानक ब्लीडिंग कार्विनल कैंसर का संकेत हो सकता है. इसके अलावा रेक्टम यानी मलद्वार से रक्तस्राव (जोकि काले मल की तरह दिखता है) कोलोन कैंसर का लक्षण हो सकता है. ऐसी किसी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से बात करें व संदेह होने पर गहन जांच कराएं. स़िर्फ इतना ही नहीं, मासिकधर्म के दौरान भी सामान्य से बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग या दर्द होना भी खतरे की घंटी है.
पेट फूलना
पेट का फूलना एक बेहद सामान्य समस्या है, ख़ासतौर पर महिलाओं में. यह अक्सर अपच, प्रीमेन्सुरल सिंड्रोम व प्रेग्नेंसी इत्यादि के कारण होता है. लेकिन यदि लगातार दो हफ़्ते से ज़्यादा समय तक पेट फूल रहे और साथ ही ब्लीडिंग व वेटलॉस भी हो यह चिंता का विषय है. उपरोक्त लक्षण ओवेरियन कैंसर के संकेत हो सकते हैं.
अंडकोश में बदलाव
पुरुषों के अंडकोश यानी टेस्टिकल्स में गांठ, सूजन, दर्द या किसी तरह के अन्य बदलाव या परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि टेस्टिकुलर कैंसर बहुत तेज़ी से फैलता है. डॉक्टरों के अनुसार 15 से 55 वर्ष तक की आयुवाले पुरुषों को एक-दो महीनों में इसकी जांच करा लेनी चाहिए.
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यूरिन पास करने में परेशानी
उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ता है. जिसके कारण पेशाब करने के परेशानी, बार-बार पेशाब लगना जैसी समस्याएं होती हैं. लेकिन ये प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती संकेत भी हो सकते हैं. अतः डॉक्टर से मिलकर समस्या का कारण जानने की कोशिश करें.
घोंटने में दिक्कत
कभी-कभी गला सूखने या गले में सूजन होने के कारण खाना या पानी घोंटने में परेशानी होती है. हालांकि सामान्यतौर पर ऐसा गले में इंफेक्शन के कारण होता है, पर यह मुंह या गले में कैंसर के कारण भी हो सकता है. इसलिए यदि लगातार बहुत दिनों तक खाना या लिक्विड घोंटने में दिक्कत हो तो डॉक्टर से जांच करा लें.
मस्सा या तिल में परिवर्तन
तिल, मस्सा इत्यादि के रंग, आकार या शेप में अचानक बदलाव आना स्किन कैंसर का सूचक हो सकता है. इसी तरह त्वचा का काला या पीला पड़ना, खुजली या बहुत तेज़ी से बाल बढ़ना, त्वचा का लाल पड़ना भी कैंसर के लक्षण होते हैं. अतः त्वचा में किसी तरह का बदलाव आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि सही समय इलाज करने पर स्किन कैंसर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.
भूख न लगना
यह ओवेरियन कैंसर का लक्षण हो सकता है. यदि बहुत देर तक कुछ खाने पर भी भूख न लगे और पेट हमेशा भरा-भरा लगे तो ये ओवेरियन कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है.
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नाख़ूनों में परिवर्तन
अचानक नाख़ूनों में होनेवाला बदलाव विभिन्न प्रकार के कैंसर का संकेत होता है. नाख़ून पर काली या भूरी धारी या डॉट स्किन कैंसर की ओर इशारा हो सकता है. इसी तरह नाख़ूनों के अंतिम सिरों का बड़ा होना लंग कैंसर का संकेत हो सकता है. इसी तरह स़फेद या पीले नाख़ून लंग कैंसर का लक्षण हो सकता है.
चेहरे पर सूजन
लंग कैंसर से पीड़ित कुछ मरीज़ चेहरे पर सूजन व रेडनेस की शिकायत करते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि लंग ट्यूमर के छोटे सेल्स छाती के रक्त धमनियों को ब्लॉक कर देते हैं, जिसके कारण चेहरे व सिर तक रक्त के प्रवाह में बाधा आ जाती है.
मुंह के अंदर स़फेद पैच या जीभ में स़फेद दाग़
ऐसा मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण होता है. यह ध्रूमपान या तंबाकू के सेवन के कारण होता है. ऐसे लोगों को मुंह का कैंसर होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. इसलिए मुंह के अंदर इस तरह के बदलाव आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
अन्य संकेत
ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा भी यदि आपको अपने शरीर में किसी तरह असमान्य बदलाव महसूस होने पर, ख़ासतौर पर यदि वो ज़्यादा समय तक रहे तो डॉक्टर से जांच करा लें. कैंसर न होने की स्थिति में भी डॉक्टर समस्या की वजह जानकर उसका ट्रीटमेंट कर सकता है.
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