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Corona Lockdown
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साल 2020 जाते जाते बॉलीवुड को बड़ा नुकसान कर गया है, इस साल बॉक्स ऑफिस पर लॉक डाउन का काफी बुरा असर पड़ा है.खबरों की माने तो फिल्म इंडस्ट्री को इस साल करीबन 3500 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है. साल की शुरुआत में जिन फिल्मों का जोर शोर से प्रमोशन किया गया वे फ़िल्में रिलीज़ नहीं हो पायीं। रोहित शेट्टी की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘सूर्यवंशी’ और रणवीर सिंह की फिल्म ’83’ का दर्शक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन थिएटर महामारी के कारण बंद हो गए और फिल्म रिलीज़ नहीं हो पायीं।
इस साल फिल्म ‘सूर्यवंशी’ और फिल्म ’83’ ही नहीं वरुण धवन की ‘कुली नं.1’ ,सलमान खान की ‘राधे’ समेत तमाम बड़ी फिल्मों से काफी उम्मीदें थीं. इसके अलावा जॉन अब्राहम, इमरान हाशमी और सुनील शेट्टी की फिल्म ‘मुंबई सागा’, जॉन अब्राहम की ही अगली फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ अजय देवगन की ‘भुज; द प्राइड ऑफ़ इंडिया’ और ‘मैदान’ फ़िल्में रिलीज़ होने वालीं थीं लेकिन लॉकडाउन के कारण ये सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ नहीं हो पायीं।
हालाँकि कोविड के कारण बंद की घोषणा होते ही अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की चर्चित फिल्म ‘गुलाबो सीताबो’ जल्द ही वेब पर रिलीज़ कर दी गयी, लेकिन दर्शकों को ये फिल्म कुछ खास पसंद नहीं आयी. इस साल की बड़ी फ़िल्में ‘सड़क 2’, ‘लक्ष्मी’, ‘खुदा हाफिज़’, ‘दिल बेचारा’ जैसी फिल्मों पर भी बंद का असर दिखाई दिया, ये फ़िल्में भी बीना देरी किये लॉक डाउन में ही वेब पर रिलीज़ हो गयीं। डेविड धवन ने अपनी फिल्म ‘कुली नं.1’ को अभी हाल ही में डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ कर दिया। अजय देवगन की फिल्म ‘भुज’ भी जल्द ही हॉटस्टार पर रिलीज़ होनेवाली है. अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘बिग बुल’ भी डिजिटल पर ही रिलीज़ होगी। दर्शक फ़िल्में हमेशा बड़े परदे पर देखना पसंद करते हैं लेकिन थिएटर में एंट्री न होने के कारण फ़िल्में डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुईं पर इन फिल्मों को कोई खास अच्छा प्रतिसाद नहीं मिला।
कुछ फ़िल्में तो इस साल डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ हो गयीं हैं लेकिन बड़े बजट की कई फ़िल्में हैं, जिनका दर्शक लम्बे समय से रिलीज़ होने का इंतज़ार कर रहे हैं, उन फिल्मों की लिस्ट भी काफी लम्बी है. रणबीर कपूर और अलिया भट्ट की फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ ,संजय दत्त की फिल्म ‘केजीएफ-चैप्टर 2’ ,प्रभास की बहुचर्चित फिल्म ‘राधेश्याम’ और एस एस राजामौली की लम्बे समय से चर्चा में रही फिल्म ‘आरआरआर’.ये वो फ़िल्में हैं जो सिनेमाघरों के पूरी तरह खुलने का इंतज़ार कर रही हैं.
इस साल दुर्भाग्यवश टाइगर श्रॉफ की फिल्म बाग़ी-3 के बाद कोई फिल्म ना ही रिलीज़ हुई और न ही कोई कमाई कर सकी. बाग़ी-3 ने कुल 95 करोड़ का बिज़नेस किया,और मार्च के मध्य से अक्टूबर के मध्य तक सिनेमाघर बंद हो गए. हालाँकि सिनेमाघर खुलने के बाद कुछ फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हुई, लेकिन लोग फिल्म देखने सिनेमाघर गए ही नहीं और ये फ़िल्में फ्लॉप साबित हुईं। इन फिल्मों में मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सूरज पे मंगल भारी’ ,किआरा आडवाणी की फिल्म ‘इंदु की जवानी’,और ऋचा चढ्ढा की फिल्म ‘शकीला’ शामिल है.
लॉक डाउन के बाद सिनेमाघर खुल तो गए हैं और फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही हैं लेकिन चिंता इस बात की है की दर्शक फ़िल्में देखने आ ही नहीं रहे हैं.और थिएटर खाली पड़े हैं. ख़बरों की माने तो पिछले साल बॉलीवुड ने करीबन 4400 करोड़ का बिज़नेस किया था. लेकिन इस साल सिर्फ 780 करोड़ की ही कमाई हुई है, इसमें से भी अकेले साल की शुरुआत में 10 जनवरी 2020 को रिलीज़ हुई अजय देवगन की फिल्म ‘तान्हाजी;द अनसंग वॉरियर’ ने अकेले 280 करोड़ कमाए थे. अब सिनेमाघर खुलने के बाद भी महामारी के कारण दर्शक नहीं हैं, ऐसे में इंडस्ट्री का नुकसान लगातार बड़ा होता जा रहा है.

कोविड-19 के खिलाफ जंग में इस समय स्कूल और पैरेंट्स दोनों साथ मिलकर लड़ रहे हैं और इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि महामारी के इस दौर में बच्चों की शिक्षा में कोई कमी न आए. इस महामारी ने एजुकेशन का पैटर्न भी बदल दिया है. ई-लर्निंग अब बच्चों को क्लासरूम का अनुभव दे रहा है. लेकिन लॉकडाउन के बाद बच्चों को स्कूल के लिए कैसे तैयार करें, इसके बारे में जानने के लिए हमने बात की रायन इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की मैनेजिंग डायरेक्टर मैडम ग्रेस पिंटो से, उन्होंने हमें ई-लर्निंग और लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलने को लेकर विस्तृत जानकारी दी. आप और आपके बच्चों के लिए ये जानकारी बहुत जरूरी है.
1) अगस्त के मध्य तक स्कूलों के फिर से खुलने की उम्मीद है, ऐसे में रायन ग्रुप ऑफ स्कूल्स द्वारा सुरक्षा मानकों और दिशानिर्देशों का पालन किस तरह किया जाएगा?
महामारी के इस दौर में छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिक है, इसलिए एक बड़े स्कूल नेटवर्क होने के नाते हमने हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट से कंसल्ट किया है, साथ ही हम डब्लूएचओ (WHO), यूनिसेफ (UNICEF), सीडीसी CDC स्कूल गाइडलाइन का भी पालन कर रहे हैं तथा भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों की भी समीक्षा की है. एसओपी और हमारे छात्रों की सुरक्षा के लिए हमने स्टाफ (वेंडर स्टाफ सहित) के लिए विभिन्न ट्रेनिंग वर्कशॉप भी आयोजित किए हैं.
2) जब स्कूल फिर से शुरू होंगे, तो पैरेंट्स को स्कूल को सपोर्ट करने के लिए अपनी तरफ से क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? आप पैरेंट्स को क्या सलाह देंगी?
कोविड-19 के खिलाफ इस जंग में स्कूल और पैरेंट्स दोनों साथ मिलकर लड़ेंगे, तो हम इसे आसानी से हरा सकते हैं. पैरेंट्स के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सबसे पहले स्थिति को समझें और फिर अपने बच्चों को खासतौर पर मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ साफ करना, सैनिटाइजर का उपयोग आदि के बारे में समझाएं. यदि बच्चे को सर्दी-खांसी, बुखार आदि की शिकायत है, तो पैरेंट्स को चाहिए कि वे उस समय बच्चे को स्कूल न भेजें. पैरेंट्स को स्कूल का पार्टनर बनकर दिए गए गाइडलाइन का पालन करना चाहिए और बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए.
3) स्कूल के संचालन को आगे बढ़ाने के लिए आप दिन-प्रतिदिन कैसे कदम उठाएंगे? क्या स्कूल फिर से खोलने की योजना तैयार हो चुकी है?
स्कूल के संचालन के दौरान हेल्थ और हाइजीन, एमरजेंसी आदि के बारे में व्यापक योजना तैयार की गई है. स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर हम हर चीज़ का बारीकी से निरिक्षण कर रहे हैं. महामारी के इस मुश्किल समय में हमने अपने स्कूलों में सभी आवश्यक उपकरण रखे हुए हैं, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा में कोई कमी न रहने पाए. हमारी आगे की प्रक्रिया सरकारी अधिकारियों द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार तय होगी.
4) लॉकडाउन के दौरान बच्चों ने बहुत से बदलाव देखे हैं खासकर पढ़ाई को लेकर, ऐसे बच्चों के भावनात्मक स्वास्थ्य को जानने-समझने के लिए मांओं के लिए कोई सलाह देना चाहेंगी आप?
बच्चों के दिमाग पर कोरोनोवायरस के प्रकोप के जबरदस्त प्रभाव को समझना बहुत जरूरी है. माता-पिता और अभिभावकों को चाहिए कि वे इस स्थिति को समझते हुए अपने बच्चों की भावनाओं को समझें, बच्चों को चिंता, तनाव आदि से दूर रखें और उनके शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें. ये माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इस समय धैर्य से काम लें और अपने बच्चे को घर में विभिन्न गतिविधयों में बिज़ी रखें. स्कूल भी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रहे हैं, लेकिन पैरेंट्स को भी बच्चों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
5) जब स्कूल फिर से शुरू होंगे तो हर बच्चे की लिए डिस्टेंसिंग मेन्टेन करना बहुत जरूरी है. ऐसे में बच्चे अपने दोस्तों और सहपाठियों के साथ खुलकर घुलमिल नहीं सकेंगे, आपको क्या लगता है, इससे बच्चों के मन पर प्रभाव पड़ेगा? इस स्थिति में बच्चे कैसे एडजस्ट करेंगे, पैरेंट्स और टीचर्स इसमें बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं?
स्कूल खुलने के बाद छात्रों के लिए स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करना हमारी पहली प्राथमिकताओं में से एक होगा. इसके लिए स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों को एक साथ काम करना होगा, ताकि छात्रों के साथ जुड़ने और बातचीत करने के लिए एक माहौल तैयार किया जा सके, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को भी मेन्टेन किया जा सके. टीचर्स को सिर्फ पाठ्यक्रम पूरा करने पर ध्यान देने की बजाय इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि बच्चे क्या सीख रहे हैं. पैरेंट्स और टीचर्स को काउंसलर्स के साथ मिलकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना होगा. साथ ही बच्चों को इस परिस्थिति में सामंजस्य करना सिखाकर उन्हें अपनी पढ़ाई को एंजॉय करना भी सिखाना होगा.
6) बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए कई स्कूलों द्वारा ई-एजुकेशन शुरू की गई थी? ऐसे में आपको पैरेंट्स और बच्चों के दृष्टिकोण से ई-लर्निंग के क्या फायदे देखने को मिले?
लॉकडाउन के दौरान स्कूलों ने ई-लर्निंग के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी रखी, ताकि बच्चे अपने घर में सुरक्षित रहते हुए अपनी पढ़ाई कर सकें. ई-लर्निंग छात्रों को आत्मनिर्भर होकर पढ़ाई करना सिखाता है. इससे बच्चों की खुद से पढ़ाई करने की क्षमता बढ़ती है और वे नई टेक्नीक को भी सीख पाते हैं. ई-लर्निंग बच्चों को क्लासरूम का एक्सपीरियंस देते हुए उन्हें स्वतंत्र रूप से पढ़ने का कॉन्फिडेंस देता है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. लॉकडाउन पीरियड में पैरेंट्स को भी ई-एजुकेशन की झलक मिली है, जिससे वे भी एजुकेशन के इस नए माध्यम की अपार संभावनाओं के बारे में समझ पाए होंगे.
7) बच्चों के लिए ई-एजुकेशन को और ज्यादा रोचक कैसे बनाया जा सकता है?
न्यू नॉर्मल के इस दौर में ई-एजुकेशन द्वारा स्कूल बच्चों की पढ़ाई में उनका सहयोग किया जाएगा और उनकी पढ़ाई में रुचि बरकरार रखी जाएगी. शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण टूल है, जो शिक्षा को आसान बनाती है. इसके अलावा, ई-लर्निंग की स्ट्रेटेजी में भी काफी विकास हो रहा है, ये बच्चों के लिए सीखने का एक नया अनुभव है. ई-लर्निंग की स्ट्रेटेजी बिल्कुल नई और दिलचस्प है, ये बच्चों को उनकी पढ़ाई में बहुत मदद करेगी और उन्हें आत्मनिर्भर व ज़िम्मेदार बनाएगी.
8) बहुत सारे पैरेंट्स को अपने बच्चे को पढ़ाई में मदद करने में मुश्किल हो रही है? क्या आप उनके लिए कोई सुझाव देंगी, जो उन्हें अपने बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन करने में मदद कर सकता है?
लॉकडाउन ने निश्चित रूप से पैरेंट्स को अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने और उनके बीच एक मजबूत बॉन्डिंग बनाने में मदद की है. न्यू नॉर्मल के इस दौर में पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को पढ़ाई की ज़िम्मेदारी लेना सिखाएं. ऐसा करके आप अपने बच्चों को आत्मनिर्भर और कॉन्फिडेंट बना सकते हैं. इस समय बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा बात करना और उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताना बहुत जरूरी है, साथ ही बच्चों को उनके डे टु डे के काम करने की जिम्मेदारी लेना भी सिखाएं. बच्चे अपने सभी काम नियम से करें, इस बात का ध्यान पैरेंट्स को रखना चाहिए. पैरेंट्स की निगरानी में जब बच्चे स्वतंत्र रूप से ई-लर्निंग करेंगे, तो इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और बच्चे आत्मनिर्भर बन सकेंगे. बच्चे अपने पैरेंट्स को देखकर सीखते हैं इसलिए पैरेंट्स को अपने बच्चे का रोल मॉडल बनकर ई-लर्निंग के माध्यम से उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना होगा.
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9) आप देश में K-12 एजुकेशन के लीडर्स में से एक हैं, आपको क्या लगता है, कोविड के बाद भारत में K12 शिक्षा का भविष्य क्या होगा?
कोविड-19 के इस युग में अब स्कूलों का ध्यान ऑनलाइन एजुकेशन पर होगा. ई-लर्निंग आज की जरूरत है, इसलिए स्कूलों द्वारा ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर फोकस किया जा रहा है. ई-लर्निंग के माध्यम से क्लासरूम का अनुभव दिए जाने की पूरी कोशिश की जा रही है. एजुकेशनिस्ट समुदाय होने के नाते इस न्यू नॉर्मल में खुद को ढालते हुए आगे बढ़ना आज समय की मांग है. इसमें कई चुनौतियां होंगी, जिनका सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों को नई टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग देना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन शिक्षक हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते हैं इसलिए हम ये उम्मीद करते हैं कि वे शिक्षा के इस नए पैटर्न को सीख जाएंगे.
- इस महामारी से उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कर्मचारियों और छात्रों को गाइड करना और उन्हें न्यू नॉर्मल को सामान्य रूप से अपनाने और भविष्य का सामना करने के लिए बहुत सावधानी, देखभाल और समझदारी से तैयार करना होगा.
- बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी के कारण, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी एक समस्या है, वहां पर बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है. लेकिन हमें ई-लर्निंग को एक मौका जरूर देना चाहिए और इसमें सुधार के प्रयास करने चाहिए. उम्मीद है, इस कमी को भी जल्दी पूरा कर लिया जाएगा.

लॉकडाउन के चलते बॉलीवुड से लेकर टीवी इंडस्ट्री का काम ठप्प पड़ा हुआ है. ऐसे में कई कलाकार और प्रोडक्शन टीम आर्थिक तंगी से गुजर रही है. इसी बीच खबर आई है कि ‘ससुराल सिमर का’ के एक्टर आशीष रॉय ICU में भर्ती हैं. उससे भी दुखद बात ये है कि इस एक्टर के पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. आशीष रॉय ने फेसबुक पर पोस्ट करके मदद की गुहार लगाई है. बता दें कि अशीष रॉय काफी समय से बीमार चल रहे हैं और अब उन्हें ICU में भर्ती कराया गयाहै. बीमारी के साथ-साथ आशीष रॉय आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे हैं, उनके पास अपने इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, जिसके चलते उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद मांगी है. ‘ससुराल सिमर का’, ‘बनेगी अपनी बात’, ‘ब्योमकेश बख्शी’, ‘यस बॉस’, ‘बा बहू और बेबी’, ‘मेरे अंगने में’, ‘कुछ रंग प्यार के ऐसे भी’ , ‘आरंभ’ जैसे कई टीवी शोज में काम कर चुके आशीष रॉय की आज ये स्थिति हो गई है कि उनके पास अपने इलाज तक के लिए पैसे नहीं हैं.
लकवा मार गया था आशीष रॉय को
बता दें कि इससे पहले भी आशीष रॉय तबीयत बहुत खराब हो गई थी, उन्हें लकवा मार गया था. लकवा ठीक होने के बाद उन्हें इंडस्ट्री में काम नहीं मिला, जिसके कारण उन्हें अपनी जमापूंजी से गुजारा करना पड़ा. आखिर जमा पैसे कितने समय तक टिकते हैं. बीमारी का खर्च और काम न मिल पाने के कारण आशीष कई समय से आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे हैं. इस साल की शुरुआत में भी आशीष बीमारी के चलते हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे, तब उनके शरीर में 9 लीटर के करीब पानी जमा हो गया था. जब डॉक्टर्स उनके शरीर से पानी निकाला, तब वो थोड़ा ठीक हो सके थे और अब एक बार आशीष रॉय की तबीयत नाज़ुक स्थिति में है.
आशीष रॉय ने फेसबुक पर अपने फैन्स से मदद की गुहार लगाई है
आशीष रॉय इस समय ICU में भर्ती हैं, लेकिन उनके पास अपने इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. आर्थिक तंगी के चलते आशीष रॉय ने फेसबुक पर अपने फैन्स से मदद की गुहार लगाई है. आशीष रॉय ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि वो अभी ICU में डायलिसिस पर हैं और बहुत बीमार हैं. एक और पोस्ट लिखकर उन्होंने बताया है कि इस समय डायलिसिस के लिए उन्हें पैसों की तत्काल ज़रूरत है.

‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ सीरियल की लाजो यानी रतन राजपूत आजकल लॉकडाउन की वजह से गांव में फंसी हुई हैं. टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत आजकल गांव का सादा जीवन जी रही हैं और सोशल मीडिया पर पॉज़िटिव वीडियो शेयर कर रहे हैं. रतन राजपूत के फैंस को उनका ये नया अंदाज़ बहुत पसंद आ रहा है. रतन राजपूत अपने वीडियोज़ के माध्यम से ये बता रही हैं कि समय और परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, आप यदि चाहें, तो हर हाल में ख़ुद को खुश और बिज़ी रख सकते हैं.
टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत के गांव में सुविधाएं बहुत कम हैं
भारत के अधिकतर गांवों की तरह टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत के गांव में सुविधाएं बहुत ज़्यादा नहीं हैं. रतन ने अपने वीडियो के माध्यम से बताया कि जिस घर में वो रहती हैं, वहां टीवी नहीं है, जिसके कारण वो ख़बरों से कट गई हैं. रतन ने वीडियो में अपना बाथरूम दिखाया, जहां कोई गेट ही नहीं है. बाथरूम के बाहर सिर्फ कपड़े लटके हुए हैं. गांव में रतन अपना सारा काम खुद करती हैं, खाना बनाती हैं, कपड़े धोती हैं. आप भी देखिए टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत का ये नया रूप-
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टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत ऐसे एंजॉय कर रही हैं गांव का सादा जीवन
रतन राजपूत लॉकडाउन की वजह से गांव में फंसी हुई हैं, लेकिन वो अपनी परिस्थिति पर चिढ़ नहीं रही हैं, बल्कि वो गांव का सादा जीवन एंजॉय कर रही हैं. पहले रतन राजपूत को लगा कि ये कुछ दिनों की बात है और जल्दी ही वो शहर चली जाएंगी, लेकिन अब जबकि लॉकडाउन पीरियड बढ़ गया है, तो रतन उस जगह को अपने रहने लायक बना रही हैं और गांव का सादा जीवन एंजॉय कर रही हैं.
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आपको टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत का गांव का सादा जीवन और उनकी पॉजिटिविटी कैसी लगी, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.
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कोरोना वायरस का प्रकोप हमारे जीवन ही नहीं, हमारे खानपान पर भी पड़ रहा है. लॉकडाउन पीरियड में लोग बाज़ार से सब्ज़ी, दूध, फल आदि खरीदते समय डरते हैं कि कहीं इस चीज़ों के माध्यम से उनके घर कोरोना वायरस न पहुंच जाए. आप यदि सही एहतियात बरतकर घर का ज़रूरी सामान, जैसे- सब्ज़ी, दूध, फल आदि खरीदने जाते हैं और घर आकर उन्हें सही तरीके से साफ़ करते हैं, तो आप कोरोना वायरस से आसानी से बच सकते हैं. एक्टर हिना खान (Hina Khan) अपने फैंस को बाज़ार से खरीदी हुई सब्ज़ी, फल, दूध, जूस आदि को साफ़ करने का सही तरीका बताने के लिए सोशल मीडिया पर एक इंफॉर्मेटिव वीडियो शेयर किया है, आपको भी ये वीडियो ज़रूर देखना चाहिए.
कोरोना वायरस से बचने के लिए एक्टर हिना खान (Hina Khan) से सीखिए बाज़ार से खरीदी हुई सब्ज़ी और फल साफ़ करने का सही तरीका
एक्टर हिना खान अपने फैंस को बाज़ार से खरीदी हुई सब्ज़ी, फल, दूध, जूस आदि को साफ़ करने का सही तरीका बताने के लिए सोशल मीडिया पर ये वीडियो शेयर किया. हिना खान का ये इंफॉर्मेटिव वीडियो उनके फैंस को बहुत पसंद आया. आप भी देखें एक्ट्रेस हिना खान का ये वायरल वीडियो:
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कोरोना वायरस से बचने के लिए बाज़ार से खरीदी हुई सब्ज़ी और फलों को आप कैसे साफ़ करते हैं, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.

कोरोना वायरस से उन लोगों के लोगों को ज़्यादा ख़तरा रहता है, जिन्हें सर्दी-खांसी, जुकाम, अस्थमा आदि की शिकायत हो. कोरोना वायरस लॉकडाउन पीरियड में खुद को सर्दी-खांसी, जुकाम से बचाए रखने के लिए आप ये 10 घरेलू नुस्खे ट्राई कर सकते हैं. जिन लोगों को हमेशा सर्दी, खांसी, जुकाम की तकलीफ रहती है, उनके लिए सर्दी-जुकाम से बचने के ये 10 घरेलू उपाय बहुत लाभदायक हैं. कोरोना लॉकडाउन में सर्दी, खांसी, जुकाम से बचने के लिए आप भी ये 10 घरेलू उपाय ज़रूर ट्राई करें.
सर्दी, खांसी, जुकाम से बचने के लिए ट्राई करें ये 10 घरेलू नुस्ख़े
1) तुलसी के पत्ते और नमक
यदि आपको सर्दी-जुकाम की शिकायत है, तो तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ खाएं. ऐसा नियमित रूप से करने से आपको जल्दी ही आराम मिल जाएगा.
2) हल्दी वाला दूध
जिन लोगों को हमेशा सर्दी, खांसी, जुकाम की तकलीफ रहती है, उन्हें रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना चाहिए. हल्दी वाला दूध पीने से आपकी सर्दी, खांसी, जुकाम की तकलीफ भी ठीक हो जाएगी और सेहत भी बनी रहेगी.
3) नींबू और अदरक
जिन लोगों को अक्सर सर्दी-जुकाम, खांसी की शिकायत रहती है, उन्हें नींबू का रस अदरक के साथ लेना चाहिए. नींबू-अदरक का रोज़ाना सेवन करने से सर्दी-जुकाम, खांसी की तकलीफ से छुटकारा मिल जाता है.
4) लहसुन
यदि आपको हमेशा सर्दी-जुकाम, खांसी की तकलीफ रहती है, तो लहसुन को घी में भूनकर गरम-गरम ही खा लें. ऐसा करने से सर्दी-जुकाम, खांसी से छुटकारा मिलता है और इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है.
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5) भुने हुए चने
रात को सोने से पहले भुने चने खाकर ऊपर से गरम दूध पीएं. इससे सांस की नली साफ़ होती है और सर्दी-जुकाम, खांसी की शिकायत दूर हो जाती है.
6) मसाला चाय
सर्दी-जुकाम, खांसी से राहत पाने के लिए गरम-गरम मसाला चाय पीएं. इसके लिए चाय में अदरक, तुलसी और काली मिर्च मिलाएं. मसाला चाय स्वाद में भी अच्छी होती है और सर्दी-जुकाम, खांसी से भी छुटकारा देती है.
7) काली मिर्च
सोने से पहले 2-3 काली मिर्च चबाने से सर्दी-जुकाम, लंबी खांसी की समस्या से छुटकारा मिल जाता है. काली मिर्च को तुलसी के पत्तोें में मिलाकर खाने से भी सर्दी-जुकाम दूर हो जाता है.
8) गाजर का जूस
जिन लोगों को हमेशा खांसी-जुकाम की तकलीफ रहती है, उन्हें नियमित रूप से गाजर का जूस पीना चाहिए. गाजर के जूस से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और खांसी-जुकाम की तकलीफ दूर हो जाती है.
बीमारी से बचने के वास्तु उपाय जानने के लिए देखें ये वीडियो
9) अदरक और नमक
यदि सर्दी-जुकाम से आपका गला बैठ गया है, तो अदरक को छोटे टुकड़ों में काटकर उसमें नमक मिलाकर खा लें. ऐसा करने से सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है और बैठा गला भी खुल जाता है.
10) गरम पानी और नमक से गरारे
खांसी-जुकाम से छुटकारा पाने के लिए गरम पानी में नमक मिलाकर गरारे करें. खांसी-जुकाम से छुटकारा पाने का ये बहुत ही आसान और कारगर घरेलू नुस्खा है.
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