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Dadi Ma Ka Khazana
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सर्दियों में ठंड के कारण खाने-पीने की इच्छा पूरी तरह से बदल जाती है. इस मौसम में लोग गर्म और मौसमी चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. विंटर में एक और चीज़ है, जो लोग खाना पसंद करते हैं, वो है गजक. सर्दियों में हर कोई गजक को बड़े चाव से खाना पसंद करता है. स्वाद और मिठास के अलावा गजक में सेहत के कई राज़ भी छिपे हुए हैं. सर्दियों में गजक के सेवन से कई तरह की समस्याओं से निजात मिलती है. आइए जानते हैं इससे होनेवाले फ़ायदों के बारे में.
गजक के तिल और गुड़ में मौजूद कैल्शियम हड्डियां मज़बूत करती हैं. गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है. इसे खाने से हड्डियां मज़बूत होती हैं. गुड़ आपके शरीर को साफ़ करने में मदद करता है, जिससे आपकी त्वचा पर भी निखार आता है. डॉक्टर्स भी सर्दी में एक बार खाने के बाद बीस ग्राम गुड़ की गजक नियमित खाने की सलाह देते हैं.
गजक आर्थराइटिस जैसी बीमारी से भी बचाता है. इसका कारण यह है कि इसमें तिल और मूंगफली पर्याप्त मात्रा मे होती है.
गजक मे तिल होता है और इसमें सीसामोलिन पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करता है.
गजक का तिल, मूंगफली और गुड़ लिवर को हेल्दी और फिट रखता है.
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फाइबर से भरपूर गजक पेट की तकलीफ़ दूर करते हैं.
गजक में जिंक, सेलेनियम जैसे मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बुढ़ापे की प्रोसेस को स्लो करने में सहायक हैं.
आयरन का सबसे शानदार स्रोत है गजक. शरीर में लौह तत्व बनता है. इसके सेवन से एनीमिया की बीमारी भी दूर होती है.
गजक में मौजूद तिल, मूंगफली, मेवे, इलायची आदि सर्द मौसम में शरीर को गर्म रखते हैं.
तिल और गुड़ शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर सर्दी-ज़ुकाम जैसी बीमारियों से बचाता है.
गजक खाने से कमज़ोरी दूर होती है, शरीर में ऊर्जा पैदा होती है और एनर्जी लेवल भी बढ़ जाता है.
– पूनम पांडे
Photo Courtesy: Freepik

औषधिय गुणों से भरपूर गुड़ एक सुपर फूड है, जो अच्छी सेहत के लिए ज़रूरी है. इसके नियमित इस्तेमाल से शरीर निरोगी और स्वस्थ बना रहता है. गुड़ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है. यह दोनों तत्व हड्डियों को मज़बूती देने में सहायक हैं. इससे शरीर मज़बूत व एक्टिव भी रहता है. गुड़ स्वाद का ही नहीं बल्कि सेहत का भी ख़ज़ाना है. इसके फ़ायदों के बारे में लोग कम ही जानते हैं. गुड़ का इस्तेमाल आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा कड़वी दवा को मीठा करने और कई बीमारियों में दवा के तौर पर भी किया जाता था. अधिकतर लोग सर्दियों के मौसम में ही इसका प्रयोग करते हैं, जबकि गुड़ सालभर खाया जा सकता है और शरीर को इससे भरपूर लाभ भी मिलते हैं.
घरेलू नुस्ख़े
• खट्टी डकारें आने या पेट की अन्य समस्या में गुड़ में काला नमक मिलाकर चाटने से लाभ होता है.
• जोड़ों में दर्द की समस्या हो, तो गुड़ का अदरक के साथ सेवन लाभदायक है. हर रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.
• अस्थमा के इलाज में गुड़ फ़ायदेमंद है. गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाकर खाने से अस्थमा की तकलीफ़ नहीं होती और शरीर में आवश्यक गर्मी भी बनी रहती है.
• पीलिया हो जाने पर पांच ग्राम सोंठ में दस ग्राम गुड़ मिलाकर खाने से लाभ मिलता है.
• काफ़ी थकावट है, तो गुड़ को दूध के साथ लें. यदि आपको दूध नहीं पसंद, तो एक कप पानी में पांच ग्राम गुड़, थोड़ा-सा नींबू का रस और काला नमक मिलाकर सेवन करने से शरीर की थकान दूर होती है.
• पेट में गैस बनने की समस्या होने पर हर रोज़ एक ग्लास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से पेट में ठंडक होती है और गैस भी नहीं बनती.
• गला बैठ जाने और आवाज़ जकड़ जाने पर पके हुए चावल में गुड़ मिलाकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक होता है व आवाज़ भी खुल जाती है.
• कान में दर्द होने पर गुड़ को घी के साथ मिलाकर खाने से कान में होनेवाले दर्द की समस्या ये निजात मिलती है.
• गुड़ सर्दी-ज़ुकाम भगाने में भी बेहद असरदार है. काली मिर्च और अदरक के साथ गुड़ खाने से सर्दी-ज़ुकाम में आराम मिलता है.
• खांसी की शिकायत है, तो गुड़ खाएं. गुड़ को अदरक के साथ गर्म कर खाने से गले की खराश में राहत मिलती है.
• सांस संबंधी बीमारियों के लिए पांच ग्राम गुड़ को समान मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर खाने से सांस संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
• शारीरिक कमज़ोरी में दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से ताक़त आती है और शरीर ऊर्जावान बना रहता है.
सुपर टिप
गुड़ को अदरक के साथ हल्का गर्म कर खाने से गले की जलन दूर होती है.
– अभिषेक गुप्ता
Photo Courtesy: Freepik

महिलाएं अजवाइन का उपयोग रसोई के मसाले के रूप में करती हैं. अजवाइन भोजन को स्वादिष्ट तो बनाती ही है, साथ ही साथ तमाम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी राहत पहुंचाती है. अजवाइन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद मानी जाती है.
अगर खाली पेट अजवाइन का पानी पिया जाए, तो पेट की चर्बी कम होती है. अजवाइन के पानी के साथ-साथ, लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव और डायट के साथ कुछ घरेलू उपचार किया जाए, तो वज़न को नियंत्रण में किया जा सकता है.
इसके अलावा डायबिटीज़, कब्ज़, पेट की गैस, डायरिया और अस्थमा जैसी बीमारियों में अजवाइन दवा का काम करती है. इससे साफ़ पता चलता है कि अजवाइन में औषधीय गुण भी होते हैं. अजवाइन में प्रोटीन, फैट, खनिज पदार्थ, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व रहते है. इसके अलावा उसमें कैल्शियम, थायामिन, राइबोफ्लेविन, आयरन, फास्फोरस और नियासिन भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं.
अपच
अगर आप पेट की गैस की समस्या से पीड़ित हैं, तो अजवाइन के पानी से आप को लाभ मिलेगा. अजवाइन के पानी से गैस, अपच और पेट संबंधी तमाम समस्याओं से निजात मिलने में मदद मिलती है. अजवाइन में स्पास्मोडिक और कार्मेनेटिव के गुण होते हैं.
कोलेस्ट्रॉल
अजवाइन के बीज में एंटी-हाइपर लिपिडेमिक के गुण होते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड्स और टोटल लिपिड को कम करने में मदद करता है.
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दांत दर्द में राहत
अजवाइन का पानी दांत दर्द में राहत पहुंचाता है. अजवाइन में स्थित एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण यह ओरल बैक्टीरिया से बचाने में मदद करता है. अजवाइन का पानी दांत दर्द में बहुत लाभकारी है.
चर्बी घटाता है
शरीर में चर्बी बढ़ने से शरीर का वज़न बढ़ जाता है. मोटापे के नियंत्रण के लिए भी अजवाइन के पानी का उपयोग किया जा सकता है.
प्रेग्नेंसी के दौरान भी लाभकारी
ज़्यादातर गर्भवती महिलाओं के आहार में अजवाइन का समावेश किया जाता है. गर्भावस्था के दौरान अक्सर कब्ज़, गैस जैसी पेट संबंधी अन्य समस्याएं बनी रहती हैं. अजवाइन का पानी पीने से इन सभी समस्याओं से राहत मिलती है.
सर्दी में राहत पहुंचाता है
अजवाइन का पानी एक प्राकृतिक सर्दी-ज़ुकाम की दवा है, जो सर्दी के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है. इसके लिए अजवाइन को पीस कर एक ग्लास पानी में मिला कर पीने से राहत मिलती है. इसके अलावा अजवाइन का पेस्ट मुंहासे, फुंसी और एक्जिमा के कारण होने ववाली त्वचा की खुजली, सूजन को कम करने में बहुत उपयोगी है.
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मासिक के दौरान
अजवाइन महिलाओं के मासिक चक्र को नियंत्रण में रखने के लिए दवा के रूप में काम करता है. इसके लिए रात के समय मिट्टी के बर्तन में अजवाइन के बीज को भिगोकर सुबह उसका पानी पीने से महिलाओं का मासिक चक्र नियंत्रण में रहता है. इसके अलावा पीरियड्स के समय होनेवाले पेटदर्द में भी अजवाइन बहुत कारगर है.
किस तरह बनाएं अजवाइन का पानी
एक ग्लास पानी में एक चम्मच अजवाइन डाल कर रात को रख दें. सुबह उसे छानकर पी लें. अगर खाली पेट अजवाइन का पानी पिएंगे, तो अच्छा रहेगा. अगर अजवाइन का पानी पीने में कड़वा लगे, तो उसमें शहद या नींबू मिला लें.
– स्नेहा सिंह

गिलोय की पत्तियां पान के पत्ते की तरह होती हैं. इसकी पत्तियों में प्रोटीन, कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है. ये पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे व तीखे होते हैं. वात, कफ़ और पित्त की समस्या को गिलोय के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है. गिलोय पचने में आसान होने के साथ भूख भी बढ़ाता है. ये नुक़सानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों तक को मार देती है. साथ ही टीबी की बीमारी में बननेवाले जीवाणु को बढ़ने से भी रोकती है. आंत व यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करनेवाले रोगाणुओं को भी दूर करती है. गिलोय डायबिटीज़, पीलिया, बुखार, उलटी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर आदि बीमारियों में फ़ायदेमंद है.
घरेलू नुस्ख़े
- गिलोय की पत्तियों को पानी में उबालकर पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है. साथ ही इसकी पत्तियों को अन्य फलों के साथ जूस में मिलाकर भी पी सकते हैं.
- गिलोय के 10-20 मि. ली. जूस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज़ की समस्या दूर होती है.
- हिचकी हो रही हो, तो गिलोय व सोंठ के चूर्ण को मिक्स कर लें और इसे सूंघे. इसके अलावा गिलोय व सोंठ के चूर्ण की चटनी बनाकर इसे दूध में मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाता है.
- एनीमिया की समस्या हो तो गिलोय में घी और शहद मिलाकर लेने से खून की कमी दूर होती है.
- गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान की गंदगी निकल जाती है.
- एसिडिटी के कारण उलटी हो, तो 10 मि. ली. गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें. इसे सुबह- शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है.
- हरड़, गिलोय तथा धनिया को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें. इसमें गुड़ डालकर सुबह-शाम पीने से पाइल्स की प्रॉब्लम दूर होती है.
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- गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक ग्लास छाछ में मिलाकर छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है.
- 10 मि. ली. गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज़, वात विकार के कारण होनेवाली बुखार व टायफायड में लाभ होता है.
- गिलोय के 5-10 मि. ली. रस या 20-30 मि. ली. काढ़ा रोज़ कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में लाभ होता है. इसके अलावा सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है.
- 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर मिट्टी के बर्तन में रखें. फिर इसे पाव लीटर पानी मिलाकर रातभर ढककर रख लें. सुबह मसल लें और छानकर 20 मि. ली. की मात्रा में दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है.
- 20 मि. ली. गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली और एक चम्मच शहद मिला लें. इसे सुबह-शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ़, खांसी, अरुचि आदि परेशानी दूर होती है.
- ब्लड कैंसर के मरीज़ों पर गेहूं के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.
- अडूसा छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं. ठंडा होने पर 10-30 मि. ली. काढ़े में शहद मिलाकर पीने से बदहजमी, सूजन, सूखी खांसी, सांस तेज चलना, बुखार आदि परेशानी दूर होती है.
- गिलोय के 10-20 मि. ली. रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है.
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- 10-20 मि. ली. गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित रूप से पिलाने से कुष्ठ यानी लिप्रोसी बीमारी में फ़ायदा होता है.
- 10 मि. ली. गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिक्स करके आंखों में लगाने से आंखों के आगे अंधेरा छाना, चुभन, काला व सफ़ेद मोतियाबिंद ठीक हो जाता है.
सुपर टिप
कफ़ की तकलीफ़ में गिलोय को शहद के साथ लें.
– ऊषा गुप्ता
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Photo Courtesy: Freepik

हल्दी ही एक ऐसी जड़ है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं, इसलिए इसे हेल्दी हल्दी नाम दिया गया है. आइए, इसके गुणकारी फ़ायदों के बारे में जानते हैं.
हल्दी बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
हल्दी एक ऐसी संजीवनी है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उसे बीमारियों से दूर रखती है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं. यह खून को साफ़ करती है. बैक्टीरिया से लड़ती है. लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी हल्दी के बहुत सारे कामों में से एक है. ये दोनों ही अंग खून को साफ़ करने का काम करते हैं.
ठीक करती है बुखार
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है, तो उसे गुनगुने पानी में हल्दी डालकर उसका घूंट- घूंट सेवन करना चाहिए. हल्दी निमोनिया, टायफाइड आदि हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है. इसलिए डेंगू के मरीज़ों को भी हल्दी के सेवन की सलाह दी जाती है. डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आनेवाले बुखार से भी हल्दी छुटकारा दिलाती है.
हल्दी के फ़ायदे डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए
हल्दी एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है. इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फ़ायदा टाइप टू डायबिटीज़ के मरीज़ों को होता है.
पाचन शक्ति बढ़ाती है
यह पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करती है. इससे व्यक्ति कब्ज़ और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है.
कम करती है स्ट्रेस
गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है. हल्दी एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता के स्तर को कम करती है. इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है, बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है.
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अस्थमा में भी फ़ायदेमंद
मौसम के परिवर्तन पर ख़ासकर सर्दियों में अस्थमा के मरीज़ों को काफ़ी परेशानी होती है. ऐसे में अस्थमा के मरीज़ों को नियमित रूप से गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना चाहिए. इससे उन्हें काफ़ी आराम मिलेगा.
गठिया में मिलेगा आराम
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है. हल्दी पाउडर में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फ़ायदा पहुंचाती है
अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए हल्दी का सेवन
भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित रहती हैं. इससे उन्हें हर वक़्त थकान और कमज़ोरी महसूस होती है. हल्दी के नियमित सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है.
कम होगी पेट की चर्बी
हल्दी शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज़्म) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है. ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वज़न कम होता है.
ख़ूबसूरती बढ़ाती है
हल्दी न केवल सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है. हल्दी को उबटन की तरह इस्तेमाल करने से चेहरे पर ग्लो आता है.
जवां रखती है हल्दी
हल्दी में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं. इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है. अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं. त्वचा पर लगाने के लिए हल्दी का पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है.
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बालों की समस्या भी होगी दूर
अगर आप बालों में ड्रैंडफ, बाल झड़ने या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो हल्दी पानी के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी.
दांतों की मज़बूती
दो चुटकी हल्दी और नमक दांतों पर रगड़ने से मसूड़े स्वस्थ और दांत मज़बूत होते हैं. हल्दी एक प्राकृतिक रक्त शोधक है. इसके अनेक गुण हैं.
साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान
वैसे तो हल्दी को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है. इसलिए इस बात पर नज़र रखें कि ब्लड शुगर ज़रूरत से ज़्यादा कम न हो जाए. दो साल से छोटे बच्चों को भी बिना डाॅक्टर की सलाह हल्दी दूध न दें. अपने घर में बड़े गमले या आंगन में जहां भी उचित स्थान हो हल्दी की जड़ अवश्य लगाएं. यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय वरदान है.
– पूनम पांडे
Photo Courtesy: Freepik

जामुन को सबसे अधिक मधुमेह यानी डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए जाना जाता है. जामुन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेड प्रचुर मात्रा होता है, इस कारण ये बच्चों की सेहत के लिए भी काफ़ी अच्छा है. जामुन पाचन क्रिया को ठीक रखने, दांत, आंख, पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ किडनी स्टोन के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है.
घरेलू नुस्ख़े
- डायबिटीज़ वाले जामुन की 100 ग्राम जड़ को साफ़ करके उसे 250 मि. ली. पानी में पीस लें. इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर सुबह-शाम भोजन से पहले पीएं. 300-500 मि. ग्रा. जामुन के बीज को सूखाकर उसका चूर्ण बनाकर दिनभर में तीन बार लेने से भी डायबिटीज़ फ़ायदा होता है. या फिर 250 ग्राम जामुन के पके हुए फलों को 500 मि. ली. उबलते हुए पानी में डालें. कुछ देर उबलने के बाद ठंडा करके मसलकर कपड़े से छान लें. इस जूस को हर रोज़ तीन बार पीएं.
- बार-बार उल्टी होने पर आम व जामुन के पत्तों को 20-20 ग्राम की मात्रा में लें. इसे 400 मि. ली. पानी में उबालें. जब एक चौथाई बच जाए, तब इसे ठंडा करके पीएं.
- अगर गले की कोई बीमारी है, तो हर रोज़ 10-15 मि. ली. जामुन का रस पीएं. साथ ही जामुन के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर शहद मिलाकर लेने से भी गले के दर्द में लाभ मिलता है.
- लिवर में सूजन है, तो 10 मि. ली. जामुन की गुठली का रस लें. अगर जामुन का सिरका भी हर रोज़ 10 मि. ली. सेवन करें, तो लिवर के बढ़ने के विकार में फ़ायदा होता है.
- आंखें दुखती हैं या फिर आंखों से जुड़ी कोई समस्या है, तो 15-20 जामुन के पत्तों को 400 मि. ली. पानी में उबाल लें. जब वह एक चौथाई बच जाए, तब इससे आंखों को धोएं.
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- पथरी या किडनी स्टोन की तकलीफ़ में जामुन रामबाण इलाज है. पके हुए जामुन को खाने से पथरी गल कर निकल जाती है. साथ ही 10 मि. ली. जामुन के रस में सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन 2-3 बार पीने से मूत्राशय में रहनेवाली पथरी भी टूटकर बाहर निकल जाती है.
- मोतियाबिन्द में जामुन की गुठली के चूर्ण को शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें. रोज़ सुबह-शाम दो गोली खाएं. इन्हीं गोलियों में थोड़ा शहद मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाएं, इससे भी लाभ होगा.
- कान से पस निकलने पर जामुन की गुठली को शहद में अच्छी तरह से डुबोकर कान में एक दो बूंद डालें.
- पायरिया या दांत संबंधी किसी समस्या में जामुन के पत्तों की राख बनाकर मंजन की तरह रगड़ें. इसके अलावा जामुन के पके हुए फलों के रस को मुंह में भरकर अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करने से भी पायरिया की समस्या दूर होती है.
- डायरिया में भी जामुन फ़ायदेमंद है. जामुन के पत्तों का रस बनाकर 100 मि. ली. बकरी के दूध 5-10 मि. ली. की मात्रा में मिलाकर पीएं.
- गठिया के दर्द को कम करने के लिए जामुन की जड़ को उबालकर पीस लें. इसे जोड़ों पर रगड़ने से दर्द में लाभ मिलता है.
- पेचिश में जामुन की छाल का 10 मि. ली. जूस निकालकर 10 मि. ली. बकरी के दूध के साथ सेवन करें. इसके अलावा जामुन के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाएं. इसे पाव लीटर दूध के साथ लें. यदि जामुन के पेड़ की छाल को 500 मि. ली. पानी में पकाकर जब एक चौथाई रह जाए, तब उसे पीएं. इससे भी पेचिश में फ़ायदा होता है.
- बवासीर या पाइल्स होने पर जामुन के 20 मि. ली. जूस में शक्कर मिलाकर दिन में तीन बार लें.
- पीलिया होने पर 10-15 मि. ली. जामुन के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीएं. इससे पीलिया के अलावा खून की कमी व रक्त-विकार में भी फ़ायदा होता है.
- सिफलिस रोग में प्रभावित हिस्से में जामुन के पत्तों से पकाया हुआ तेल लगाएं.
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- त्वचा के विकारों, जैसे- दाद, खुजली में जामुन के रस को लगाने से आराम मिलता है.
- घाव होने जामुन के पेड़ की छाल को बारीक़ पीसकर घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत भर जाता है या फिर जामुन के तने को उबालकर काढ़ा बना लें. इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी ठीक होते हैं.
- जूतों के कारण पैर में ज़ख़्म हो जाए, तो जामुन की गुठली को पानी में पीसकर लगाएं.
- जामुन के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप करने से आग से जला बना सफ़ेद दाग़ मिट जाता है.
सुपर टीप
मुंह में छाले होने पर जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने से फ़ायदा होता है.
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दही को अमृत के समान आहार माना जाता है. इसके प्रतिदिन सेवन से शरीर स्वस्थ और लंबे समय तक युवा रहता है. यह आपको ऊर्जावान बनाए रखने में बेहद कारगर साबित होता है. दही पाचन तंत्र को मज़बूत और सक्रिय रहने में मददगार होता है. इसमें विटामिन सी और आयरन की बहुत अधिक मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को सही बनाए रखती है.
दही में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, बी, सी व ई से भरपूर होता है. एंटीऑक्सीडेंट की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, वहीं इसमें मौजूद वसा शरीर की दूसरी आवश्यकतों को भी पूरा करते हैं. इसमें फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, ज़िंक और मैग्नीशियम जैसे प्रमुख लवण पाए जाते हैं.
दही में कई प्रकार के विटामिन और आयरन पाए जाते हैं, जिसकी वजह से शरीर को ताकत मिलती है और मांसपेशियां भी मज़बूत बनती हैं.
दही में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है. ऐसे में जो लोग नहीं चाहते कि उनका वजन बढ़े, वे दही को अपनी डायट का हिस्सा बना सकते हैं. नाश्ते में एक बाउल दही खाने से पेट दिनभर भरा रहता है, जिससे आप ओवरइटिंग से बच जाते हैं और वज़न कंट्रोल में रहता है.
दही मधुमेह यानी डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए रामबाण है. मधुमेह रोगी को बार-बार भूख लगती है, ऐसे में दही का सेवन बिल्कुल सही है, क्योंकि इससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अपनी डायट का ख़ास ख़्याल रखने की ज़रूरत होती है. ऐसे में दही का सेवन बहुउपयोगी है.
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इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट्स गुण शरीर से विषैले टॉक्सिंस को निकालने में मदद करते हैं, जिससे आप कब्ज़ और पेट से जुड़ी समस्याओं से बचे रहते हैं. दही का नियमित सेवन त्वचा को कांतिमान बनाता है.
नियमित रूप से दही का सेवन पेट व आंतों का कैंसर, ब्रेस्ट और अन्य तरह के कैंसर से भी बचाव करता है. इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व ट्यूमर जैसी ख़तरनाक बीमारियों से भी बचाते हैं.
दही व ताज़ी रोटी का नाश्ता करने से आपका दिल भी सुरक्षित रहेगा. दही दिल की बैचेनी व घबराहट कम करने मे बड़ा सहायक होता है, जो दिल के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होता है. यह निम्न रक्तचाप, हाई बीपी और हार्ट अटैक के ख़तरे को कम करता है. साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल लेवल भी को भी कंट्रोल करता है.
आयरन, खनिज के साथ इसमें विटामिन सी व ए की भी भरपूर मात्रा होती है, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है. इतना ही नहीं, दही का नियमित इस्तेमाल दिमाग़ को भी तेज़ करता है, जिससे आप बुढ़ापे में होनेवाली अल्जाइमर जैसी बीमारियों से बचे रहते हैं.
विटामिन सी से भरपूर होने के कारण इसका सेवन बालों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है. इससे बालों का झड़ना, टूटना जैसी समस्या दूर हो जाती है और बाल जड़ों से मज़बूत होते हैं.
– पूनम पांडे
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एलोवेरा में विटामिन ए, सी और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसमें फॉलिक एसिड, कोलीन, बी1, बी2, बी3 व बी6 भी होता है. इसे घृतकुमारी और ग्वारपाठा भी कहा जाता है. एलोवेरा की पत्तियों में पाए जानेवाले जेल में 99% पानी होता है. औषधीय गुणों से भरपूर एलोवेरा कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. एलोवेरा में कई ऐसे गुण भी होते हैं, जो त्वचा को हेल्दी और शाइनिंग बनाते हैं. दाग़-धब्बों, त्वचा, बालों, पाचन, डायबिटीज़, पेट की बीमारियों, जोड़े के दर्द, आंखों आदि समस्या में एलोवेरा का इस्तेमाल बेहद फ़ायदेमंद साबित होता है.
घरेलू नुस्ख़े
- अपच की समस्या में 10-20 ग्राम एलोवेरा के जड़ को उबाल लें. इसे छानकर इसमें भुनी हुई हींग मिला लें. इसे पीने से पेटदर्द में आराम मिलता है और बदहजमी की तकलीफ़ भी दूर होती है.
- खांसी-ज़ुकाम में एलोवेरा का भस्म तैयार कर पांच ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें. इससे पुरानी खांसी-ज़ुकाम में भी लाभ होता है.
- पीलिया में 10-20 मि.ग्रा. एलोवेरा के रस को दिन में दो-तीन बार पीने से फ़ायदा होता है.
- सिरदर्द होने पर एलोवेरा पल्प में थोड़ी मात्रा में दारु हल्दी का चूर्ण मिला लें. इसे गर्म करके दर्दवाले स्थान पर बांधें. इससे वात और कफ़ से होनेवाले सिरदर्द में लाभ होता है.
- बुखार हो, तो एलोवेरा की जड़ का काढ़ा बनाएं. 10-20 मि. ग्रा. काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से बुखार ठीक होता है.
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- एलोवेरा के कोमल गूदे को नियमित रूप से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से गठिया में लाभ होता है.
- यदि आप कमरदर्द की तकलीफ़ से परेशान हैं, तो एलोवेरा का लड्डू खाएं. इसके लिए गेंहू का आटा, घी और एलोवेरा के पल्प लेकर गूंथ लें. इससे रोटी बनाएं. फिर इसका चूर्ण बनाकर लड्डू बना लें. हर रोज़ एक-दो लड्डू खाने से कमरदर्द ठीक होता है.
- एलोवेरा का गूदा आंखों में लगाने से आंखों की लालिमा और गर्मी दूर होती है. यह आंखों की सूजन और वायरल कंजंक्टिवाइटिस में भी लाभदायक है. साथ ही इसके गूदे पर हल्दी डालकर थोड़ा गर्म करके आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द दूर होता है.
- यदि बवासीर की समस्या है, तो 50 ग्राम एलोवेरा के पल्प में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाएं. इसे रूई के फाहे पर फैलाकर गुदा स्थान पर बांध दें. इससे मस्सों में होनेवाली जलन और दर्द में आराम मिलता है.
- कान में दर्द हो तो एलोवेरा के रस को हल्का गर्म करके जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ़ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम मिलता है.
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- एलोवेरा के रस को तिल व कांजी के साथ पकाकर घाव पर लेप करने से लाभ होता है.
- 6 ग्राम एलोवेरा का पल्प, 6 ग्राम गाय का घी, 1 ग्राम हरड़ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधा नमक लेकर मिक्स कर लें. इसे सुबह-शाम खाने से वात विकार से होनेवाले गैस की समस्या दूर हो जाती है.
- एलोवेरा के पत्ते को एक ओर से छीलकर उस पर थोड़ा-सा हरड़ का चूर्ण डालकर हल्का गर्म कर लें. इसे गांठों पर बांधने से गांठों की सूजन दूर होती है.
- चेचक से होनेवाले घावों पर एलोवेरा के गूदे का लेप करने से लाभ होता है.
- दो भाग एलोवेरा के पत्तों का रस और एक भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में एक हफ़्ते रखने के बाद सेवन करने पर लीवर से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है.
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- 5-10 ग्राम एलोवेरा जेल में शक्कर मिलाकर खाने से पेशाब में दर्द और जलन से आराम मिलता है.
- चेहरे पर चकत्ते या फिर खुजली-जलन को दूर करने में भी एलोवेरा फ़ायदेमंद है. इसके लिए रात के समय प्रभावित जगह पर एलोवेरा लगाकर उसे छोड़ दें. फिर सुबह धो लें.
- एलोवेरा के गूदे को पेट के ऊपर बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है. इससे आंतों में जमा हुआ मल भी सरलता से बाहर निकल जाता है.
- एलोवेरा को स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल कर चेहरे पर रौनक और ताज़गी ला सकते हैं. एलोवेरा जेल में ग्राउंड ओटमील मिला लें. ख़राब होने से बचाने के लिए उसमें चुटकीभर बेकिंग सोडा मिला लें. फिर रोज़ाना इससे अपने चेहरे पर स्क्रब करें. इससे चेहरे की रंगत निखर आएगी.
सुपर टिप
- एलोवेरा के पल्प को आग से जले स्थान पर लगाने से जलन शांत होती है और फफोले भी नहीं उठते.
– ऊषा गुप्ता

मक्का, कॉर्न कहे या भुट्टा स्वाद के साथ-साथ हमारे सेहत के लिए भी काफ़ी फ़ायदेमंद है. आयुर्वेद के अनुसार, यह पित्तनाशक है. इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है. पके हुए भुट्टे में कैरोटीनायड होता है, जो विटामिन ए का अच्छा स्रोत है. यह कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है. पके हुए भुट्टे में फोलिक एसिड होता है, जो कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में सहायता करता है. कच्चा मक्का मूत्र संबंधी बीमारियों में दवा की तरह काम करता है. साथ ही पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है. कॉर्न में मिनरल्स व विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं. यह एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीज़ों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है.
घरेलू नुस्ख़े
- किडनी में पथरी हो, तो एक ग्लास पानी में 65 मि. ग्रा. मक्के की भस्म को मिलाकर लें.
- यदि यूरिन के समय दर्द हो, तो मक्के का काढ़ा बनाकर इसे 15-20 मि. ली. मात्रा में लेने से आराम मिलता है.
- टीबी के मरीज़ों के लिए कॉर्न लाभदायक है. उन्हें रोज़ मक्के की रोटी खानी चाहिए. इससे टीबी के इलाज में फ़ायदा होता है.
- ताज़ा भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमज़ोरी दूर होती है.
- यदि मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है, तो भुने मक्के का सेवन करें. खांसी में राहत मिलेगी.
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- मक्के के बाल (सिल्क) यानी रेशे का उपयोग पथरी की समस्या को दूर करता है. रातभर बाल को पानी में भिगोकर रख दें. सुबह इस पानी को छानकर पी लें. इसके अलावा बाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से भी लाभ होगा.
- भुट्टे के कोमल बाल दर्द कम करनेवाला और मूत्र को बढ़ानेवाला भी होता है. साथ ही पथरी के अलावा सूजाक या गोनोरिया और सूजन में भी भुट्टे का काढ़ा बनाकर पीने से फ़ायदा होता है.
- मक्के के दानों का काढ़ा बनाकर कमर से स्नान करने से बवासीर में भी फ़ायदा होता है.
- खुजली की समस्या हो, तो भुट्टे का स्टॉर्च इस्तेमाल करें.
- कॉर्न स्टार्च चेहरे की सुंदरता भी बढ़ाता है. इसके प्रयोग से त्वचा ख़ूबसूरत और नर्म-मुलायम बनती है.
- ज़ुकाम की समस्या में भी भुट्टा लाभकारी है. भुट्टे के दानों को खाने के बाद भुट्टे को बीच से तोड़कर सूंघें. इससे ज़ुकाम में फ़ायदा होता है यानी भुट्टे के दोनों बीचवाले हिस्सों को एक साथ नाक के पास रखकर ज़ोर से सूंघना है. ऐसा 4- 5 बार करें. ज़ुकाम में आराम मिलेगा.
- लीवर के लिए मक्के के आटे का उपयोग फ़ायदेमंद है, क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है, इसलिए इसे खाने से पेट ठीक रहता है. इससे कब्ज़, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना भी नहीं रहती.
- मक्के के आटे में भरपूर मात्रा में फाइबर और ग्लूटेन होता है, जिससे इसका सेवन करने से यह शरीर को डायबिटीज़, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से बचाता है. साथ ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है.
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- बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत उपयोगी होता है. ताज़े दूधिया मक्के के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर धूप में रखें. जब उसका दूध सूखकर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए, तो उसे छान लें. इस तेल से शिशु के पैरों की मालिश करें. इससे उसके पैर मज़बूत होंगे और वह जल्दी चलने लगेगा.
- साथ ही इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली भी होता है. हर रोज़ एक टीस्पून तेल को शक्कर के बने शर्बत में मिलाकर पीने से ताक़त मिलती है.
हेल्थ अलर्ट
- ध्यान दें कि कॉर्न हर किसी को सूट नहीं करता. कई लोगों को इसे खाने से एलर्जी, त्वचा पर चकत्ते आदि समस्याएं हो ती है.
- मीठे मक्के को कच्चा न खाएं. इससे दस्त की समस्या हो सकती है.
- कुछ लोगों को कॉर्न का अधिक सेवन करने से गैस, पेट फूलना, सूजन जैसी समस्याएं होती है.
- मक्का खाने से वज़न बढ़ता है, इसलिए जो अपना वज़न कम करना चाहते हैं, उन्हें मक्के का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
- कुछेक को मक्के की रोटी डाइजेस्ट नहीं होती. यदि मक्के की रोटी के साथ छाछ या लस्सी पीएं, तो रोटी आसानी से डाइजेस्ट होगी.
– ऊषा गुप्ता
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रोज नींबू पानी पीने के ये 10 हेल्थ बेनिफिट्स जानकर हैरान रह जाएंगे आप. आपके किचन में मौजूद नींबू आपके लिए कितना फायदेमंद है, इसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा. नींबू पानी से आप अपनी सुंदरता और स्वास्थ्य दोनों को बढ़ा सकते हैं. हम आपको नींबू पानी के 10 फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानकर आप भी रोज नींबू पानी पीना शुरू कर देंगे.
1) नींबू पानी इम्युनिटी बढ़ाता है
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर है उन्हें रोज़ाना नींबू पानी पीना चाहिए, इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) मज़बूत होगी. कोरोना वायरस से बचने के लिए भी नींबू पानी पीना फायदेमंद है.
2) नींबू पानी वजन कम करने में मदद करता है
यदि आप अपना बढ़ा हुआ वजन कम करना चाहते हैं, रोज सुबह नींबू पानी पीएं. वजन घटाने के साथ ही नींबू पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है, जिससे शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन भी हो जाता है.
3) नींबू पानी मुंहासों से राहत देता है
जिन लोगों को मुंहासे की समस्या ज़्यादा होती है उन्हें नींबू पानी का सेवन करना चाहिए, इससे उनके शरीर में मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया मर जाएंगे और स्किन ग्लो करेगी. नींबू पानी को आप फेसवॉश की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे डेड स्किन और एक्स्ट्रा ऑयल निकल जाता है.
4) नींबू पानी भूख बढ़ाता है
यदि आपको भूख नहीं लगती, तो नींबू पानी पीएं. इससे भूख तेज़ी से लगती है.
5) नींबू पानी किडनी स्टोन में फ़ायदेमंद
किडनी स्टोन यदि शुरुआती दौर में है, तो नींबू पानी पीना बहुत फ़ायदेमंद होगा. नींबू पानी में प्राकृतिक साइट्रेट होता है, जो स्टोन को तोड़ देता है या उसे बनने से रोकता है.
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6) नींबू पानी सर्दी/फ्लू से बचाता है
जिन्हें सर्दी और फ्लू अक्सर होता रहता है, उन्हें नींबू पानी का सेवन करना चाहिए. इससे उन्हें जकड़न नहीं होगी और शरीर भी डिहाइड्रेट नहीं होगा. नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है.
7) नींबू पानी सूजन व सांस संबंधी समस्या से राहत देता है
यदि किसी व्यक्ति को कहीं भी सूजन है तो नींबू पानी लाभदायक होता है. साथ ही अस्थमा के मरीज़ों के लिए भी नींबू पानी फ़ायदेमंद है. इसके सेवन से जोड़ों में दर्द व सूजन की समस्या दूर होती है.
8) नींबू पानी हैंगओवर दूर करता है
जिन लोगों को अल्कोहल की लत है और सुबह उठने पर चलना भी मुश्किल हो जाता है, तो उनके लिए नींबू पानी लाभदायक होगा. आधे ग्लास नींबू पानी से ही आंखें खुल जाती हैं और सिर घूमना बंद हो जाता है.
9) नींबू पानी फूड पॉइज़निंग में फायदेमंद है
फूड पॉइज़निंग होने पर नींबू पानी का सेवन करें, इसमें मौजूद एसिड शरीर को लाभ पहुंचाते हैं और मरीज़ को ठीक होने में मदद करते हैं.
10) नींबू पानी पेट संबंधी समस्या से छुटकारा देता है
यदि आप भी अक्सर गैस, कब्ज़, अपच जैसी पेट संबंधी समस्या से परेशान रहते हैं, तो नींबू पानी का सेवन शुरू कर दीजिए.
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विटामिन सी से भरपूर नाशपाती वज़न कम करने में मददगार है. नाशपाती में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है और हार्ट अटैक से भी बचाता है. यह पौष्टिकता से भरपूर फल है और इसे रोज़ाना डाइट में शामिल करके आप अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता आसानी से बढ़ा सकते हैं. नाशपाती मधुर, रसीली अम्लीय गुणोंवाली, ठंडे तासिर की, वात-पित्त को कम करती है. यह स्पर्म काउन्ट और क्वालिटी को बढ़ाने में भी सहायक है. यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करती है. कैंसर, त्वचा की समस्या, आंखों आदि के लिए उपयोगी है. स्किन प्रॉब्लम और कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए भी नाशपाती का उपयोग औषधि के रुप में किया जाता है. यह अतिसार या दस्त में लाभदायक है. इन सभी फ़ायदों को देखते हुए हर रोज़ नाशपाती ज़रूर खाना चाहिए.
घरेलू नुस्खे़
- यदि सिरदर्द हो, तो एक ग्लास नाशपाती के रस में शक्कर, बेलगिरि चूर्ण, बेर चूर्ण, सेंधा नमक, कालीमिर्च पाउडर और भुना हुआ जीरा मिलाकर पिएं. इस जूस को पीने से सिरदर्द दूर होने के अलावा यूरिन करते समय होनेवाली जलन या दर्द, रक्त की उल्टी तथा खाने में अरुचि जैसे समस्याओं में भी काफ़ी लाभ होता है.
- आंखों में जलन या दर्द जैसे किसी भी तरह की तकलीफ़ हो, तो नाशपाती को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ़ लगाने से आराम मिलता है.
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- नाशपाती का सेवन करने से यकृत व प्लीहा संबंधी बीमारियों के अलावा पाचनतंत्र संबंधी समस्या भी दूर होती है. ये फेफड़े के बीमारी में भी फ़ायदेमंद होता है, इसलिए हर रोज़ नाशपाती खाना सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है.
- डाइजेस्टिव टैक्ट में सूजन या इंफेक्शन होने पर पेट में सूजन हो जाता है, जिसके कारण बदहजमी, एसिडिटी जैसी समस्याएं होने लगती है. ऐसे में दो टेबलस्पून नाशपाती के जूस में 500 मि. ग्रा. पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से अपच की समस्या से निजात मिलता है और भूख भी अच्छी तरह से लगती है.
- नाशपाती के मुरब्बे में 250 मि. ग्रा. नागकेशर चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बवासीर की परेशानी से छुटकारा मिलता है.
- किडनी में स्टोन हो, तो 2 टेबलस्पून नाशपाती के रस को सुबह-शाम भोजन के पहले सेवन करने से स्टोन टूट-टूटकर निकल जाता है.
- चेहरे पर दाग़-धब्बे या झांइयां हों, तो इसे नाशपाती के पौधे के रस से इसे ठीक किया जा सकता है. इसके रस से मेलानिन का बनना नियंत्रित होता है, जिसके कारण दाग़-धब्बे का होना कम हो जाता है.
- यदि सांप काट लें, तो नाशपाती के पत्तों को पीसकर पिलाने से जिस जगह पर काटा है, उस जगह का विषाक्त प्रभाव कम होता है.
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- नाशपाती के सेवन से प्रेग्नेंट महिलाओं को कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है. इसके अलावा नाशपाती में उपलब्ध फॉलिक एसिड के कारण बच्चे को जन्म लेते समय कई प्रकार के दोषों से भी मुक्ति मिलती है.
सुपर टिप
नाशपाती के पत्तों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है.
– ऊषा गुप्ता
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लौकी में विटामिन ए और सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इनसे न केवल शरीर की कई ज़रूरतों की पूर्ति होती है, बल्कि शरीर कई बीमारियों से सुरक्षित भी रहता है. लौकी की इन्हीं गुणों के कारण कई बीमारियों में औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. घीया यानी लौकी शीतल व पौष्टिक होती है. यह पित्त व कफ़ को दूर करती है. यह एक बेहद फ़ायदेमंद सब्ज़ी है और हर मौसम में शरीर को फ़ायदा पहुंचाती है. लौकी में 96% तक पानी होता है. इसमें डायटरी फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जबकि फैट और कोलेस्ट्राॅल बहुत ही कम मात्रा में होता है. लौकी में भरपूर मात्रा में थायमिन, राइबोफ्लेविन, मिनरल्स, फास्फोरस और सोडियम पाया जाता है, जो स्वस्थ रहने में मदद करता है. लौकी को छिलके सहित खाना अधिक लाभदायक होता है.
घरेलू नुस्ख़े
- यदि शरीर की गर्मी के कारण सिरदर्द या फिर अपच होता है, तो लौकी के जूस में अदरक मिलाकर पिएं. इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी ठीक होती है.
- लौकी का जूस कब्ज़, दस्त, एसिडिटी और ख़राब पाचनशक्ति को ठीक करने में मदद करता है. पानी की भरपूर मात्रा होने से लौकी का नियमित इस्तेमाल सुबह आसानी से पेट साफ़ करने में मदद करता है.
- लौकी के जूस में नमक डालकर पीने से शरीर में पानी की कमी से होनेवाली बहुत सारी समस्याएं दूर होती हैं.
- लौकी को पैर के तलुवों पर मलने से पैर की गर्मी यानी जलन निकल जाती है.
- ज्यादा तेल और मसालेवाला भोजन लीवर को नुक़सान पहुंचाता है, पर रोज़ाना लौकी के जूस का सेवन लीवर से संबंधित परेशानियों को ठीक करने में मदद करता है. लौकी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी लीवर में सूजन या दर्द जैसी समस्याओं को कम करते हैं.
- बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लौकी पीसकर लेप करें और इसका रस निकालकर पिलाएं. इससे बिच्छू का जहर उतर जाता है.
- लौकी का रायता बनाकर दस्त में देने से दस्त का बार-बार आना बंद हो जाता है.
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- गुर्दे के दर्द में लौकी को पीसकर लेप करने से आराम मिलता है.
- लौकी वज़न भी कम करता है. इसके लिए आप लौकी को हर रोज़ सब्ज़ी, जूस आदि रूप में लें. यदि चाहें तो बदलाव के लिए इसे उबालकर नमक डालकर लें.
- लौकी में नेचुरल पानी होता है. ऐसे में इसके नियमित इस्तेमाल से प्राकृतिक रूप से चेहरे की रंगत निखरती है. इसके जूस पीने के अलावा थोड़ा-सा हाथों में लेकर चेहरे पर मसाज करें. इसके स्लाइस को काटकर भी चेहरे पर मसाज कर सकते हैं. इससे स्किन ग्लो करती है.
- शुगर के मरीजों के लिए लौकी बहुत ही फ़ायदेमंद है. इसलिए जिन्हें डायबिटीज़ है, उन्हें हर रोज़ सुबह खाली पेट लौकी का जूस ज़रूर पीना चाहिए.
- लौकी के बीजों को पीसकर होंठों पर लगाने से जीभ और होंठों के छाले ठीक होते हैं.
- यह पेट की गड़बड़ी को भी दूर करता है. दरअसल, लौकी का जूस काफ़ी हल्का होता है और इसमें ऐसे कई तत्व होते हैं, जो बदहजमी, कब्ज़ और गैस की समस्या से निजात दिलाते हैं.
- लौकी नियमित रूप से खाने से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की समस्या कम होती है, जिससे हृदय संबंधी कई बीमारियों और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल से होनेवाली तकलीफें नहीं होतीं.
- मूत्र संबंधी परेशानियों में भी लौकी लाभदायक है. यह शरीर में सोडियम की अधिकता को कम करने में सहायक है, जो यूरिन के ज़रिए बाहर निकल जाता है. * प्रतिदिन तरोताजा बने रहने के लिए नमक या मसाले मिलाकर लौकी का जूस पीना बेहद उपयोगी है.
- दांत के दर्द में भी उपयोगी है लौकी. 75 ग्राम लौकी में 20 ग्राम लहसुन पीसकर एक लीटर पानी में उबालें. जब आधा पानी रह जाए, तब छानकर इससे कुल्ला करने से दांत दर्द दूर होता है.
- लीवर की या फिर पेट की समस्या हो, तो लौकी को धीमी आंच पर हल्का-सा पकाकर इसका रस निकाल लें. फिर इसमें थोड़ा-सा मिश्री मिलाकर पीएं.
- लौकी में ढेर सारा घुलनशील फाइबर पाया जाता है जो उसमें मौजूद ढेर सारे पानी के साथ मिलकर पाचन क्रिया को आसान बनाता है. इस जूस को नियमित पीने से एसिडिटी की तकलीफ़ नहीं होती.
- लौकी के टुकड़ों को तलुओं पर मालिश करने से टायफाइड बुखार की जलन दूर होती है.
- लौकी की गिरी खाने से कफ़-खांसी की तकलीफ़ दूर होती है.
- लौकी या तुलसी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर बवासीर के मस्से पर दिन में दो-तीन बार लगाएं. इससे दर्द व जलन कम होती है तथा मस्से भी नष्ट होते हैं.
लौकी के पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से भी मस्से खत्म हो जाते हैं. - लौकी के छिलके को छाया में सुखाकर पीसकर पाउडर बना लें. इसे एक चम्मच हर रोज़ सुबह-शाम पानी के साथ लें. 6-7 दिन लगातार लेने से बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है.
- घीया के टुकड़ों से पैरों के तलुवों पर मालिश करने से लू के कारण होनेवाली जलन दूर हो जाती है.
- लौकी को उबालकर खाने से नकसीर में राहत मिलती है.
- यूरिन प्रॉब्लम में 10 मि.ली. लौकी के रस में 20-20 ग्राम मिश्री और कलमी शोरा को 250 मि. ली. पानी में मिलाकर दिन में दो बार सुबह-शाम लें.
- घुटने के दर्द में कच्चे लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर कपड़े से बांध लें. तुरंत आराम मिलता है.
- चेहरे पर झांइयां हो तो लौकी के ताज़े छिलके को पीसकर चेहरे पर लेप करें.
- यदि कभी बीमार नहीं पड़ना चाहते हैं, तो हर रोज़ सुबह खाली पेट एक ग्लास लौकी का जूस पिएं.
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- लौकी का जूस बनाने के लिए 250 या 300 ग्राम लौकी, आधा चम्मच जीरा पाउडर, चुटकीभर कालीमिर्च पाउडर, 4-5 पुदीने के पत्ते, नमक स्वादानुसार लें. लौकी को छीलकर धोकर टुकड़े करके पुदीने के पत्ते डालकर मिक्सी में पीस लें. जूस बन जाने पर जीरा, कालीमिर्च और नमक मिला लें. इस जूस को नियमित पीने से भूख कंट्रोल में रहती है.
सुपर टीप
- यदि आप तनाव में रहते हैं और नींद भी ठीक से नहीं आती है, तो लौकी का जूस हर रोज़ पिएं. सावधानियां
- दमे के मरीज़ लौकी न खाएं.
- पुरानी पकी लौकी से कब्ज होने की संभावना रहती है, इसलिए इसका इस्तेमाल न करें.
- कडवी लौकी विषैली होती है, अतः इसका उपयोग भी न करें.
– ऊषा गुप्ता
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