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पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने रचा इतिहास. जी हां, चीन के ग्वांग्झू में बी.डब्ल्यू.एफ. वर्ल्ड टूर फाइनल्स प्रतियोगिता के महिला सिंगल्स फाइनल में उन्होंने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को २१-१९, २१-१७ से हराकर बैडमिंटन वर्ल्ड टूर खिताब जीत लिया है. साथ ही इस प्रतियोगिता में गोल्ड जीतनेवाली वे पहली भारतीय बैडमिंटन महिला खिलाड़ी बन गई हैं. चैम्पियन सिंधु को बहुत-बहुत बधाई!
पुसरला वेंकट सिंधु ने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को हराकर अपने ३०० जीत हासिल की. इस साल पांच बार खिताबी फाइनल में हारने के बाद सिंधु की फाइनल में यह पहली खिताबी जीत है.
फाइनल में ६२ मिनट तक चले मुकाबले में शुरुआत से ही सिंधु ने गेम पर अपनी पकड़ बना ली थी. वे पहले गेम में १४-६ से आगे थीं, तब नोज़ोमी ने ज़बर्दस्त वापसी करते हुए १० अंक जीतकर १६-१६ पर स्कोर ला दिया. लेकिन सिंधु ने अपना पूरा दमख़म दिखाते हुए २१-१९ से पहला गेम जीत लिया और फिर २१-१७ से दूसरा गेम जीतकर अपने खिताबी जीत के सूखे को ख़त्म किया.
वैसे २०१८ साल उनके लिए यादगार रहा है, क्योंकि इस साल उन्होंने ४५ सिंगल जीते हैं. विश्व नंबर छह की सिंधु ने विश्व नंबर पांच की नोज़ोमी को बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स में हराकर गोल्ड मेडल जीतकर एक नया कीर्तिमान भी बनाया है. अब तक दोनों के बीच ११ मुकाबले हुए हैं, जिनमें महज तीन में सिंधु ने जीत हासिल की है. वैसे फाइनल तक पहुंचना और जीत हासिल करने का सफ़र सिंधु के लिए इतना आसान न था.
इस प्रतियोगिता के अपने पहले मैच में उन्होंने जापान की अकाने यामागुची को हराया, इसके बाद विश्व की नंबर वन खिलाड़ी चीनी ताइपे की ताई जू यिंग को हराकर अपने कई हिसाब बराबर किए, क्योंकि अब तक दोनों के बीच हुए सात मुकाबलों में सिंधु लगातार छह बार हारी थीं, अब जाकर इस टूर्नामेंट में जीत हासिल कर पाईं. इसके बाद अमेरिका की बेइवेन झेंग को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचीं और वहां पर थाइलैंड की रत्चानोक इंतेनान को हराया. इसके बाद फाइनल में नोज़ोमी को सीधे सेटों में हराकर इतिहास रच दिया.
शानदार उपलब्धियां
* रियो ओलिंपिक में एकल खिताब में सिल्वर मेडल जीतनेवाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी.
* साल २०१६ में चीन ओपन जीती.
* पद्मश्री, राजीव गांधी खेल रत्न आदि पुरस्कारों से सम्मानित.
* साल २०१८ के फोर्ब्स इंडिया सेलिब्रिटी १०० की सूची में १८ महिलाओं में से एक सिंधु रही हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
* विश्व चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियाई खेल, थाइलैंड ओपन व इंडिया ओपन में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं.
* दस सबसे अधिक कमाई करनेवाले स्पोर्ट्स खिलाड़ियों में से एक हैं पीवी सिंधु.
* उन्होंने आज १६ दिसंबर, रविवार को वर्ल्ड टूर फाइनल्स जीतकर पहली भारतीय शटलर द्वारा यह उपलब्धि हासिल करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया.
अपडेट
* वर्ल्ड टूर फाइनल्स इसके पहले सुपर सीरीज़ फाइनल के नाम से जाना जाता था.
* इस प्रतियोगिता में विश्व के आठ टॉप प्लेयर हिस्सा लेते हैं.
* अब तक भारतीय शाइनिंग स्टार साइना नेहवाल ने इसमें सात बार हिस्सा लिया है और साल २०११ में उपविजेता रही थीं.
* इसके अलावा साल २००९ में मिक्स डबल्स में ज्वाला गट्टा-वी दीजू की जोड़ी उपविजेता रही थी.
* पीवी सिंधु लगातार तीन बार से इस प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं.
“आपको पूर्ण भागीदारी व प्रतिबद्धता के साथ चीज़ें करनी चाहिए. जब भी मैं फाइनल में हारी थी, तो कुछ समय के लिए उदास ज़रूर हुई थी, लेकिन मुझे कभी नहीं लगा कि खेल मेरे लिए खत्म हो गया है, क्योंकि यह एक विकल्प नहीं है. याद रहे जीत के लिए ख़ुद पर विश्वास बेहद ज़रूरी है…” – पी. वी. सिंधु
– ऊषा गुप्ता

Proud Moment: विनेश फोगाट ने रचा इतिहास… एशियाड में भारत का महिला कुश्ती वर्ग का पहला गोल्ड (Vinesh Phogat Creates History After Winning Gold At Asian Games)
एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर ढेरों शुभकामनाएं… विदेश (Vinesh Phogat) ने इतिहास रच दिया, एशियाड में भारत का महिला कुश्ती वर्ग का पहला गोल्ड. पूरे देश को आप पर गर्व है! ग़ौरतलब है कि इन दिनों जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में भारत का ये दूसरा गोल्ड है… रविवार को रेस्लर बजरंग पुनिया ने भी भारत की झोली में गोल्ड डाला था!

अक्षय कुमार की गोल्ड हॉकी खेल में भारत के सुनहरे दौर की कहानी है. आज़ादी के बाद जब देश ने साल 1948 में अपना पहला ओलिंपिक गोल्ड लंदन के वेंबले स्टेडियम में जीता था. इसके पहले अंग्रेज़ों का देश पर राज था और हम उनके लिए खेलते थे. इसमें कोई दो राय नहीं कि फिल्म देश के गर्व से जुड़ी हुई है. किस तरह हॉकी टीम के कोच बने अक्षय और सभी खिलाड़ी अपने देश के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं और उसके लिए सब एकजुट होकर संघर्ष करते हैं.
एक्सेल एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी गोल्ड मूवी इतिहास के पन्नों में दर्ज एक सच्ची घटना पर आधारित है. इसकी कहानी साल 1936 से लेकर 1948 के बीच की है.
रीमा कागती का बेहतरीन निर्देशन फिल्म को नई ऊंचाइयां देती है. अक्षय कुमार-मौनी रॉय के अलावा सभी कलाकारों ने लाजवाब अभिनय किया है.
अक्षय कुमार इसमें भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर तपन दास की भूमिका में अपने शानदार अभिनय से हर किसी का दिल जीत लेते हैं. उनकी पत्नी की भूमिका में मौनी रॉय पहली बार टीवी से फिल्मों में पर्दापण कर रही हैं.
अमित साध, कुणाल कपूर, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह, सन्नी कौशन, निकिता दत्ता, भावशील सिंह सहानी, जतीन सरना, अब्दुल कादिर अमिल भी अहम् भूमिका में है. हर किसी ने अपने क़िरदार के साथ न्याय किया है.
आज़ादी के बाद पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद सभी का जश्न मनाना, हर किसी के दिलोदिमाग़ में जीत के जज़्बे और देशभक्ति के भाव को रोमांच से भर देता है.
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गोल्ड के निर्माता रितेश सिधवानी और फरहान अख़्तर की यह पहल क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. उस पर जावेद अख़्तर के प्रभावशाली संवाद फिल्म को और भी जानदार बनाते हैं. राजेश देवराज की पटकथा व कहानी फिल्म की जान हैै. संगीत का जादू सचिन-जिगर, तनिष्क बागची और आक्रो पार्वो मुखर्जी ने बिखेरा है.
स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ आज़ादी के उमंग-उत्साह को दुगुना कर देती है यह फिल्म. जितने बाजू उतने सर देख ले दुश्मन जान के… हारेगा वो हर बाज़ी जब हम खेले जी जान से… इस गीत को सार्थक करती है फिल्म गोल्ड.
– ऊषा गुप्ता

भारतीय ऐथ्लीट हिमा दास ने गुरुवार को आईएएएफ विश्व अंडर २० एथलेटिक्स चैम्पीयन्शिप की ४०० मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है.
ये चैम्पीयन्शिप फ़िनलैंड के टेम्पेयर शहर में हुई थी. ऐसा करके अब हिमा ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतनेवाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनकी तारीफ़ करते हुए उन्हें बधाई दी… मोदी जी ने कहा…जीत के बाद तिरंगे के लिए जो प्यार हिमा के जज़्बे में दिखा और राष्ट्रगान के समय उनका भावुक होना मेरे मन को भीतर तक छू गया! यह देखने के बाद आख़िर किस भारतीय की आँखें नम ना होंगी!
आप देखें प्रधानमंत्री मोदी ने जो वीडियो ट्विटर पर शेयर किया
Unforgettable moments from @HimaDas8’s victory.
Seeing her passionately search for the Tricolour immediately after winning and getting emotional while singing the National Anthem touched me deeply. I was extremely moved.
Which Indian won’t have tears of joy seeing this! pic.twitter.com/8mG9xmEuuM— Narendra Modi (@narendramodi) July 14, 2018
असम की रहनेवाली हिमा १८ साल की हैं और ग़रीब किसान की बेटी हैं… हम सबको उनपर गर्व है!
– गीता शर्मा
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रीमा कागती की आगामी फिल्म ‘गोल्ड’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है. अक्षय ने रविवार को अपनी एक तस्वीर साझा की जिसमें वह खुशी से कूदते नजर आ रहे हैं. तस्वीर के साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा, “एक अच्छी शुरुआत से अंत भी अच्छा होता है. ‘गोल्ड’ की शूटिंग पूरी हुई. बेहतरीन टीम के साथ अविश्वसनीय यात्रा. फिल्म में आपसे मुलाकात होगी.”
A good beginning makes a good ending…true story 🙃 It's a wrap for #GOLD, an incredible journey with a great team. See you at the movies 😉 pic.twitter.com/zBMTw23VGW
— Akshay Kumar (@akshaykumar) December 10, 2017
आपको बता दें कि ‘गोल्ड’ रीमा कागती द्वारा निर्देशित है. ‘गोल्ड’ लोकप्रिय टीवी अभिनेत्री मॉनी रॉय की पहली बॉलीवुड फिल्म है. इसमें अमित साध काम कर रहे हैं.यह फिल्म वर्ष 1948 में लंदन में 14वें ओलंपिक खेलों में भारत के पहले ओलंपिक पदक जीतने के बारे में है. यह वर्ष 2018 में स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ होगी.
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अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड की शूटिंग शुरू हो गई है. फिल्म में अक्षय का लुक कमाल का है. अब इस फिल्म में शामिल हो गई हैं टीवी की नागिन मौनी रॉय. फिल्म के सेट से एक तस्वीर लीक हुई है, जिसमें मौनी ब्लैक एंड रेड साड़ी में बेहद ख़ूबसूरत लग रही हैं. अक्षय सफ़ेद धोती और खाकी रंग के कुर्ते में नज़र आ रहे हैं. दोनों का ये बंगाली लुक इस फिल्म में दिलचस्पी को और बढ़ा रहा है.
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टेलिविजन की नागिन मौनी रॉय जल्द ही बॉलीवुड में एंट्री ले सकती हैं. मॉनी रॉय का शो नागिन 2 टीवी का हाइएस्ट रेटेड शो है. मौनी टीवी का एक बड़ा नाम हैं. ऐसे में उनके फैन्स को इंतज़ार थी कि कब वो फिल्मों में ऐक्टिंग करेंगी. ख़बरें हैं कि अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड के लिए मौनी को अप्रोच किया गया है. पहले ख़बरें थी कि सलमान खान मौनी को लॉन्च करने वाले हैं. ये ख़बरें तब और भी तेज़ हो गईं, जब मौनी सलमान खान के शो बिग बॉस 10 में बतौर गेस्ट पहुंची थीं. फिलहाल जो ख़बरें आ रही हैं, उसके मुताबिक़ मौनी खिलाड़ी कुमार के साथ डेब्यू कर सकती हैं, जिसका निर्देशन रीमा कागती करेंगी. फिलहाल इस ख़बर पर अब तक कोई ऑफिशियल घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अगर ये बात सच है तो यक़ीनन अक्षय कुमार के ऑपोज़िट कास्ट होना मौनी रॉय के लिए एक बड़ा ब्रेक साबित हो सकता है.

27 नवम्बर 1952 में जन्मे बप्पी(Bappi Lahiri) दा के जन्म का नाम आलोकेश लहिरी था. म्यूजिक और फिल्म इंडस्ट्री में उनका योगदान लाजवाब है. उनके जन्मदिन पर मेरी सहेली (MERI SAHELI) टीम की ओर से उन्हें शुभकामनाएं !
संगीत के इस बादशाह के बर्थडे पर उनके बेस्ट songs के कलेक्शन के वीडियोज़ का लुत्फ़ उठाएं !
फिल्म- द डर्टी पिक्चर (2011)
फिल्म- डिस्को डांसर (1982)
https://www.youtube.com/watch?v=7JdEZoffm-Q
फिल्म- साहेब (1985)
https://www.youtube.com/watch?v=FZKwV9gJz4A
फिल्म- वारदात (1980)
https://www.youtube.com/watch?v=vlv9O4HB15s
फिल्म- सुरक्षा (1979)

बात चाहे रियो ओलिंपिक 2016 की हो या किसी दूसरे खेल इवेंट की, भारतीय खिलाड़ियों का जवाब नहीं. हर जगह वो अपना अच्छा प्रदर्शन करने के साथ ही मेडल के साथ दर्शकों का दिल जीतना नहीं भूलते. सिंगापुर में ख़त्म हुए कॉमनवेल्थ सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप के इंडियन मेन्स रेसलर ने एक बार फिर अपना दबदबा बनाए रखा.
सिंगापुर में चल रहे कॉमनवेल्थ सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों ने 13 गोल्ड सहित कुल 29 मेडल देश की झोली में डाले हैं. फ्री स्टाइल कैटिगरी के 61 किलोग्राम में हरफूल ने हमवतन विकास को हराकर गोल्ड मेडल जीता. इसी तरह 65 किलोग्राम कैटिगरी में बजरंग पुनिया ने राहुल मान को, 74 किलोग्राम कैटिगरी में जितेंदर कुमार ने संदीप काटे को और 125 किलोग्राम कैटिगरी में हितेंदर ने कृष्ण कुमार को हराकर गोल्ड जीता. 86 किलोग्राम कैटिगरी में दीपक को गोल्ड जबकि अरुण को ब्रॉन्ज़ मिला. फ्री स्टाइल कैटिगरी के 59 किलोग्राम में रविंदर सिंह ने हमवतन विक्रम को, 71 किलोग्राम कैटिगरी में दीपक ने रफिक को और 98 किलोग्राम कैटिगरी में हरदीप ने सचिन को हराकर गोल्ड अपने नाम किया.
साक्षी के सुल्तान ने जीता स्वर्ण
रियो ओलिंपिक में देश को पहला मेडल दिलानेवाली साक्षी के मंगेतर सत्यव्रत ने पुरुष वर्ग से 97 किग्रा भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है.
रितु फोगट ने दिलाया देश को गोल्ड
स़िर्फ पुरुष ही नहीं, महिला पहलवानों ने भी देश का नाम रोशन किया. रितु फोगट ने 48 किग्रा में गोल्ड जीता. 63 किग्रा में रेशमा माने ने स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला. इसके अलावा बाकी महिला रेसलर ने भी कमाल का प्रदर्शन करते हुए सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का गौरव बढ़ाया.

क्या आपको भी लगता है कि आप कुछ ख़ास मौक़ों पर ही गोल्ड ज्वेलरी पहनती हैं और बाकी के समय में ये बैंक के लॉकर में बेकार पड़े रहते हैं, तो चलिए हम आपको बताते हैं एक बेहतरीन आइडिया. वैसे तो सरकार की ओर से पिछले साल ही इस नई योजना की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन आप अभी तक अगर इसका फ़ायदा नहीं उठा पाए हैं और इसके बारे में सही जानकारी नहीं है, तो चलिए एक बार फिर से हम आपको अपडेट कर देते हैं.
क्या है गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम?
हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दो प्रमुख स्कीम आम लोगों के लिए लॉन्च किया. इसमें से एक है- गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम. इसके तहत आप अपने घर में पड़े पुराने गहने, गोल्ड बिस्किट आदि बैंक में कुछ समय के लिए जमा कर सकते हैं, जिस पर आपको बैंक ब्याज देगा. इसका मतलब ये हुआ कि आपके पुराने गहनों पर आपको ब्याज तो मिलेगा साथ ही आपके गहने भी आपको मिल जाते हैं.
कौन कर सकता है इन्वेस्ट?
ये कुछ विशेष वर्ग के लिए नहीं है. इस स्कीम में आम आदमी से लेकर मंदिर, ट्रस्ट और बड़े बिज़नेसमैन भी इन्वेस्ट कर सकते हैं.
गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम का उद्देश्य
गोल्ड बॉन्ड स्कीम को मंज़ूरी देने का सबसे बड़ा कारण है कि लोगों को घर में पड़े सोने के आभूषण और दूसरे गोल्ड पर पैसे मिल सकें और इसके साथ ही सरकार को भी फ़ायदा पहुंच सके. गोल्ड मॉनिटाइजेशन का मकसद भारतीय परिवारोें के पास पड़े लगभग 20 हज़ार टन सोने को
निकालकर बैंकिंग तंत्र में लाना है ताकि विदेशों से सोना आयात न करना पड़े.
गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम की ख़ास बातें
कोई भी व्यक्ति न्यूनतम 1.94 ग्राम सोना (आभूषण या बुलियन) इस योजना के तहत जमा कर सकता है.
इस स्कीम में सोना शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म के लिए जमा कर सकते हैं. शॉर्ट टर्म में 1-3 साल, मिड टर्म में 5-7 और लॉन्ग टर्म में 12-15 साल तक के लिए आप अपना सोना बैंक में जमा कर सकते हैं.
जमा सोने पर मिलने वाला ब्याज रुपए में होगा.
छोटी अवधि यानी कम समय के लिए रखे गए सोने पर ब्याज बैंक निश्चित करेंगे, जबकि मिड टर्म और लॉन्ग टर्म के लिए रखे गए सोने की ब्याज दरें और बैंकों को उनकी सेवा के लिए दी जाने वाली फीस सरकार रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श करके तय करेगी.
कोई भी व्यक्ति गोल्ड सेविंग अकाउंट खुलवा सकता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम
आमतौर पर भविष्य का ख़्याल रखते हुए हर व्यक्ति अपने शक्ति और सामर्थ के हिसाब से इन्वेस्टमेंट करता है. कभी शेयर मार्केट में, तो कभी म्यूचुअल फंड में, कभी इंश्योरेंस, तो कभी फिक्स डिपॉज़िट. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो गोल्ड में ही इन्वेस्ट करना चाहते हैं. ऐसे में बहुत होता है, तो वो हर साल ज्वेलरी शॉप से किसी स्कीम के तहत हर महीने पैसे जमा करते रहते हैं और बाद में लास्ट की इंस्टॉलमेंट ज्वेलरी शॉप भर देती है और फिर स्कीम मेच्योर होने पर लोग ज्वेलरी ख़रीद लेते हैं. इसी तरह के लोगों को सम्मोहित करने और फ़ायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने एक स्कीम लॉन्च की है, जो गोल्ड में इन्वेस्ट करने की रुचि रखते हैं. इस स्कीम का नाम है- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की ख़ास बातें
– गोल्ड बॉन्ड 5, 10, 50 और 100 ग्राम के वर्ग में उपलब्ध होंगे.
– गोल्ड बॉन्ड की अवधि 5-7 साल होगी.
– अपने गोल्ड बॉन्ड को गिरवी रखकर आप लोन भी ले सकते हैं.
– बॉन्ड के मेच्यौरिटी पर गोल्ड बॉन्ड के मूल्य के बराबर राशि मिलेगी.
– इन गोल्ड बॉन्ड्स को शेयर बाज़ार में ख़रीदा और बेचा जा सकता है.
– एक साल में कोई भी 500 ग्राम से ज़्यादा के बॉन्ड नहीं ख़रीद सकेगा.
– गोल्ड बॉन्ड पर किस दर से ब्याज मिलेगा, ये सरकार तय करेगी.
– गोल्ड बॉन्ड पेपर और डीमैट दोनों स्वरूप में उपलब्ध होगा.
भारत हर साल तक़रीबन 1 हज़ार टन गोल्ड दूसरे देशों से आयात करता है. इसका असर देश के एक्स्टर्नल अकाउंट पर भारी पड़ता है. इन दोनों स्कीम से आम लोगों के साथ ही देश को भी फ़ायदा मिलेगा.
– श्वेता सिंह
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दिल में अगर दुनिया जीतने का जज़्बा हो, तो कोई भी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता. इसकी मिसाल पूरी दुनिया को रियो पैरालिंपिक में देखने को मिली, ख़ासतौर पर हर भारतीय के लिए गर्व करने का समय है ये. रियो में चल रहे पैरालिंपिक में देश के मरियप्पन थांगावेलू ने हाई जंप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. गोल्ड की प्यास तो देश को रियो ओलिंपिक में थी, लेकिन उन खिलाड़ियों ने देश को निराश किया. मरियप्पन के गोल्ड के साथ ही वरुण सिंह भाटी ने हाई जंप के कांस्य पदक पर क़ब्ज़ा जमाया.
यहां हम आपको बता दें कि पैरालिंपिक उन खिलाड़ियों का खेल है, जो किसी न किसी तरह से शारीरिक रूप से अपूर्ण हैं. ज़रा सोचिए शारीरिक रूप से पूर्ण न होते हुए भी मरियप्पन ने देश की झोली में गोल्ड मेडल डाला है. इसे मरियप्प्न का जज़्बा ही कहेंगे. कभी न हार मानने की वो ज़िद्द, जो देश का नाम रोशन कर गई.
जब मरियप्पन गंवा बैठे थे अपना एक पैर
रियो में चल रहे पैरालिंपिक में देश की झोली में चमचमाता स्वर्ण पदक डालने वाले मरियप्पन दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा बैठे थे. बात
1995 की है. मरियप्पन महज़ पांच साल के थे. तब उनके स्कूल के पास एक सरकारी बस से टक्कर होने के बाद वह अपना पैर खो बैठे. मरियप्पन की तरह और भी लोग हैं, जो इस तरह की दुर्घटना के बाद हारकर बैठ जाते हैं, लेकिन मरियप्पन की मां ने उन्हें कभी हारना सिखाया ही नहीं. ये उनकी मां का ही विश्वास और मनोबल था कि उन्होंने आज देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपनी मां के साथ मातृभूमि का नाम भी रोशन कर दिया.
सब्ज़ी बेचती हैं मरियप्पन की मां
शारीरिक रूप से कमज़ोर होने के साथ ही 22 साल के मरियप्पन की आर्थिक स्थिति भी कमज़ोर है. उनकी मां ने सब्ज़ी बेचकर बच्चों की परवरिश की है. मरियप्पन की ग़रीबी का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे दिन सब्ज़ी बेचने के बाद स़िर्फ 100 रुपए की आमदनी में पूरे घर का ख़र्च चलाना पड़ता था. फिर भी उनकी मां ने हार नहीं मानी और न ही अपने बच्चों को हारना सिखाया. शायद यही कारण है कि आज देश के लिए उनका बेटा स्वर्ण पदक जीत सका.
कौन हैं वरुण सिंह भाटी?
जमालपुर गांव के पैरा एथलीट वरुण सिंह भाटी का परिवार किसान है. बचपन में पोलियो ने वरुण के एक पैर को तो प्रभावित कर दिया, लेकिन उनके हौसले को नहीं. अपनी इस कमी को वरुण ने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और खेल की दुनिया में क़िस्मत आज़माने निकल पड़े. हम आपको बता दें कि वरुण देश के चुनिंदा पैरा
एथलीट में से एक हैं. वो कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दी बधाई
देश का नाम रोशन करनेवाले दोनों खिलाड़ियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बधाई दी.
मेडल जीतकर सिखा गए की जीत क्या होती है!
मरियप्पन और वरुण सिंह शारीरिक रूप से दिव्यांग होते हुए भी देश के तमाम उन लोगों को एक सबक सिखा गए कि जीत कहते किसे हैं. हार तो आपके भीतर है. बस उस पर जिस दिन आप विजय पा लेंगे दुनिया आपके क़दमों में होगी.
– श्वेता सिंह