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Hanuman Kavach
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8 अप्रैल 2020 के दिन आज देशभर में हनुमान जयंती मनाई जा रही है. सभी हनुमान भक्त उनकी पूजा- आराधना कर रहे हैं. संकटमोचन, रामभक्त, बजरंगबली, पवनपुत्र, केसरीनंदन, आंजनेय जैसे कई नामों से प्रसिद्ध हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था इसीलिए हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करता है, हनुमान जी उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. हनुमान जयंती के पावन अवसर पर आप भी जानें हनुमान जी से जुड़े 10 रोचक तथ्य.
हनुमान जयंती के पावन अवसर पर जानें हनुमान चालीसा का पाठ करने और हनुमान जी की आराधना के ये लाभ
1) हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था इसीलिए हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है.
2) तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के साथ हनुमान चालीसा की भी रचना की थी. हनुमान चालीसा में हनुमान जी के बाल्यकाल की घटनाओं के साथ प्रभु श्रीराम की सहायता, सीता माता की खोज, लंका दहन जैसी कई पराक्रमी घटनाओं का वर्णन है.
3) पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं ने जिन मंत्रों से हनुमान जी को शक्तियां प्रदान की थीं और उनके गुणों का गान किया था, उनके सार को ही तुलसीदास जी ने चौपाई और दोहों का रूप दिया और हनुमान चालीसा की रचना की.
4) हनुमान चालीसा में कोई मंत्र नहीं है, लेकिन हनुमान चालीसा की चौपाइयों में मनुष्य की कई समस्याओं का समाधान छिपा हुआ है.
5) जो लोग नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें इसके चमत्कारी लाभ मिलते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
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6) हनुमान जी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं.
7) ऐसी मान्यता है कि बाल्यकाल में हनुमान जी सूर्यदेव को एक लाल फल समझ कर निगल गए थे.
8) इस दुनिया में हनुमान जी जैसा अवतारी और कोई नहीं है.
9) हनुमान जी प्रभु राम के ऐसे भक्त हैं कि प्रभु राम का नाम जपने वाले लोग हनुमान जी का नाम लिए बिना अपनी पूजा-आराधना अधूरी समझते हैं.
10) हनुमान जी ने रावण जैसे पराक्रमी को सच्ची भक्ति का पाठ पढ़ाया. हनुमान जी समुद्र लांघकर लंका पहुंचे, वहां कई राक्षसों को मारा, रावण की लंका जलाई और इस तरह उन्होंने शक्तिशाली रावण को अपनी शक्ति का परिचय दिया.
हनुमान जयंती के पावन अवसर पर आप भी हनुमान जी की पूजा-आराधना अवश्य करें.
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हनुमान जयंती(Hanuman Jayanti) की सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं! हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह हर वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. आज विशेष रूप से हनुमानजी का हर रूप व तरीक़े से स्तुति करना फलदायी रहता है, ख़ासतौर पर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना. साथ ही लाल रंग का भी विशेष महत्व है, आराधना करते समय इसका प्रयोग ज़रूर करें. लॉकडाउन के चलते मंदिर तो नहीं जा सकेंगे, लेकिन घर पर ही श्रद्धा भाव से हनुमानजी की पूजा-अर्चना व स्मरण कर अपने व सभी के लिए शक्ति का आह्वान ज़रूर कर सकते हैं. यहां पर आपके लिए हम हनुमान चालीसा, कवच, आरती आदि दे रहे हैं. साथ ही यह प्रार्थना करते हैं कि हिंदुस्तान, विश्व ही नहीं पूरे ब्रह्माण्ड में आरोग्य, सुख, शांति और ख़ुशियों की वर्षा हो.
कहते हैं, राम भक्त अनेक नामों से विभूषित हनुमानजी, जैसे- पवनपुत्र, बजरंगबली, अंजनीपुत्र, केसरीनंदन, मारुतीनन्दन, पवनसुत, महावीर, कपीश, आंजनाय बेहद दयालु और प्रभावशाली हैं. हर रूप रंग में उनकी उपासना करें. सच्ची लगन से की गई उनकी भक्ति हर कष्ट, रोग, परेशानियों और आपदा को दूर करती है. ऐसे में कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन से जुझ रहे दिलों में विश्वास और आस्था के दीप जलाए और हनुमानजी की पूजा-गुणगान, मंत्र, जाप, आरती, चालीसा के द्वारा रोग मुक्ति और सुख-शांति का प्रकाश फैलाएं…
हनुमान कवच मंत्र
ॐ श्री हनुमते नम:
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥
हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
जय बजरंग बली: अनुपम खेर की भी ईश्वर में बेहद श्रद्धा है. उन्होंने भी हनुमानजी की स्तुति कर सभी को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं दीं.
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