india

Harnaaz Sandhu

भारत की हरनाज़ कौर संधू Harnaaz Sandhu ने मिस यूनिवर्स 2021 (Miss Universe 2021) का ख़िताब अपने नाम किया. इज़राइल में हुए इस प्रतियोगिता में 80 देशों के प्रतियोगी शामिल हुए थे, जिसमें हरनाज़ ने मिस यूनिवर्स का अवॉर्ड जीत कर देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया. 21 साल बाद भारत को यह सुखद पल देखने मिला है. Harnaaz Sandhu Miss Universe 2021

अंतिम बार साल 2000 में मॉडल-अभिनेत्री लारा दत्ता ने मिस यूनिवर्स का ख़िताब अपने नाम किया था. सबसे पहले मॉडल-एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स की प्रतियोगिता में पहली बार यह अवॉर्ड जीत कर देश का मान बढ़ाया था. अब इसी फ़ेहरिस्त में हरनाज़ संधू भी शामिल हो गई हैं. अपनी इस जीत के साथ हरनाज़ कौर संधू ने ‘चक दे फट्टे इंडिया’ का नारा भी ख़ूब ज़ोर से लगाया. जीत की ख़ुशी उनकी आंखों से छलक-छलक रही थी और उनका ख़ुशी का पारावार न था.

चंडीगढ़ की रहनेवाली हरनाज़ की ख़ूबसूरती और उनके जवाबों से प्रतियोगिता के जजों को लाजवाब कर उनका दिल जीत लिया था. सभी प्रमुख हस्तियां और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने भी हरनाज़ संधू, देश की बेटी को इस उपलब्धि के लिए बधाइयां और शुभकामनाएं दीं!

इज़राइल में हुए मिस यूनिवर्स 2021 कंपटीशन में जहां हरनाज़ विजेता रहीं, वही पराग्वे की नाडिया फरेरा पहली रनर-अप और दक्षिण अफ्रीका की लालेला स्नुवे दूसरी रनर-अप रहीं.

यह भी पढ़ें: 6 रिलेशनशिप गुरु, जो रिश्ते में दे सकते हैं आपको बेस्ट सलाह ( 6 Relationship Gurus, Who Can Give You Best Relationship Advice)

2000 साल की मिस यूनिवर्स रही लारा दत्ता ने भी हरनाज़ कौर संधू को बधाइयां दी और कहा कि हमने इसके लिए 21 साल लंबा इंतज़ार किया. मिस यूनिवर्स क्लब में आपका स्वागत है. करोड़ों सपने सच हुए. आपने हमें गौरवान्वित किया…
मेरी सहेली की तरफ़ से हरनाज़ कौर संधू को बहुत-बहुत बधाई! कांग्रेचुलेशन!

Harnaaz Sandhu

Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu
Harnaaz Sandhu

यह भी पढ़ें: कैटरीना कैफ ने बहनों के साथ के शादी के ख़ूबसूरत लम्हों को शेयर किया, देखें तस्वीरें.. (Katrina Kaif- Growing up, we sisters always protected each other…)

Photo Courtesy: Instagram

एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर दिखाया और भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया. उन्होंने भाला फेंक प्रतियोगिता में सीधे गोल्ड मेडल पर क़ब्ज़ा कर किया. भारत के लिए ये पहला गोल्ड है. नीरज ने 87.58 मीटर दूर भाला फेंक गोल्ड मेडल जीता.
नीरज ने पहले हि दो राउंड में मेडल अपने नाम कर लिया था. नीरज जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बन चुके हैं. यह ओलंपिक के ‘ट्रैक एंड फील्ड’ में भी भारत का पहला मेडल है.

Neeraj Chopra

नीरज ने क्वालीफिकेशन में जिस तरह का प्रदर्शन किया और वह ग्रुप ए में पहले स्थान पर रहे थे उसके बाद उनसे पूरी उम्मीद थी कि गोल्ड तो पक्का है! देश और सभी लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं!

नीरज चोपड़ा भारत के लिए व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल वाले दूसरे खिलाड़ी हैं. इससे पहले शूटर अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीता था. भारत के गोल्ड की शुरुआत अब हो गई है. देश की उम्मीदों पर भी नीरज खरे उतरे क्योंकि पहले ही उन्हें गोल्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. हरियाणा सोनीपत के रहनेवाले नीरज काफ़ी युवा है और आगे भी उनसे ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी!

बधाई हो नीरज!

टोक्यो से भारत के लिए अच्छी खबर आई है और ओलंपिक की बेहद शानदार शुरुआत हुई. मीराबाई चानू ने महिला वेटलिफ्टिंग में 49 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीत देश का नाम ऊंचा कर दिया.

मीराबाई वेट लिफ़्टिंग में पदक जीतनेवाली भारत की दूसरी महिला हैं. इससे पहले 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था. 21 साल बाद देश को इस वर्ग में पदक मिला और इस उपलब्धि पर पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति तक ने उन्हें बधाई दी. मोदी जी ने कहा कि इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती!

Mirabai Chanu
Mirabai Chanu

मीराबाई ने स्नैच में 87 किलोग्राम भार उठाया. क्लीन एंड जर्क में मीराबाई चानू में 115 किलोग्राम का भार सफलतापूर्वक उठाया और देश के इक्कीस साल के इंतज़ार को ख़त्म कर गौरव दिलाया!

Photo Courtesy: Twitter (All Photos)

रीना राय और मोहसिन खान : इंडस्ट्री की हिट नागिन इस पाकिस्तानी क्रिकेटर के प्यार में ऐसी पड़ी कि अच्छा ख़ासा फ़िल्मी करियर छोड़ के मोहसिन की बेगम बन गई. शत्रुघ्न सिन्हा से भी रीना का रिश्ता था और वो उनसे शादी करना चाहती थीं लेकिन शत्रु ने पूनम और रीना के बीच पूनम को चुन लिया तो रीना ने भी अपना रस्ता ऐसा बदला कि देश ही छोड़ दिया. लेकिन मोहसिन से शादी के बाद भी रीना खुश नहीं थीं क्योंकि मोहसिन के तौर तरीक़े रीना को परेशान करने लगे थे. दोनों लंदन में रहते थे जिससे रीना खुश नहीं थीं. रीना की मां ने रीना को शादी निभाने की सलाह दी तो उन्होंने काफ़ी हद तक बर्दाश्त किया लेकिन एक समय के बाद रीना शादी तोड़ के मुंबई लौट आई. मोहसिन ने भी कुछ फ़िल्मों में अपनी क़िस्मत आज़माई लेकिन फिर वो भी रिश्ता टूटने के बाद कराची लौट गए. दोनों की एक बेटी है जो पहले मोहसिन के साथ रहती थी लेकिन मोहसिन की तीसरी शादी के बाद उनको बेटी जन्नत रीना के पास आ गई जिसका नाम रीना ने बदल कर सनम रखा. रीना के अनुसार मोहसिन अच्छे इंसान थे लेकिन दोनों की सोच व तरीक़े अलग थे. बेटी के साथ मोहसिन अब भी संपर्क में रहते हैं aur पिता का फ़र्ज़ पूरा कर रहे हैं.

Reena Roy Mohsin khan
Reena Roy Mohsin khan
Reena Roy Mohsin khan
Reena Roy Mohsin khan

ज़ीनत अमान-इमरान खान: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान उस ज़माने में सबसे हॉट क्रिकेटर हुआ करते थे. उनके रंगीन मिज़ाज के चलते ही उन्हें प्ले बॉय कहा जाता था. ज़ीनत और उनके प्यार के क़िस्से उन दिनों काफ़ी मशहूर थे. ज़ीनत और इमरान के प्यार के चर्चे पाकिस्तान के अख़बारों की भी सुर्खियों में थे. दोनों को काफ़ी जगहों पर साथ साथ देखा जाता था और पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम में भी इमरान को उनके साथी ज़ीनत का नाम लेके छेड़ा करते थे. हालांकी ये रिश्ता बहुत आगे नहीं बढ़ पाया. इमरान की मां को ज़ीनत से उनकी दोस्ती पसंद नहीं थी और इमरान भी शादी तक इस रिश्ते को नहीं ले जाने चाहते थे. इसलिए दोनों के रास्ते अलग हो गए.

imran khan zeenat aman
imran khan zeenat aman
imran khan zeenat aman
imran khan

सुष्मिता सेन-वसीम अकरम: दोनों की मुलाक़ात एक डांस रियलिटी शो के दौरान हुई थी और दोनों उसमें जज बने थे. उसके बाद इनकी दोस्ती गहरी होती गई जो प्यार में बदल गई. यहां तक कि खबरें तो यह भी आई थीं कि दोनों जल्द शादी करनेवाले हैं. सुष्मिता ने भी दबे शब्दों में इस ओर इशारा किया था और कहा था कि वो जल्द ही शादी करेंगी क्योंकि उन्हें लगता है अब सेटल होने का वक़्त आ गया है. लेकिन उसके बाद वसीम और सुष्मिता अलग हो गए क्योंकि वसीम को अपना नया प्यार ऑस्ट्रेलिया में मिल गया था.

wasim akram and sushmita sen
wasim akram and sushmita sen
wasim akram and sushmita sen

सानिया मिर्ज़ा-शोएब मलिक: भारत की टेनिस स्टार सानिया को अपना जीवनसाथी पाकिस्तान में मिला. दोनों की पहले से ईवेंट्स के दौरान मुलाक़ातें हुई थीं जिसके बाद शोएब ने मन ही मन यह सोच लिया था कि सानिया के क़रीब आना है. इसका रास्ता उन्हें ऑस्ट्रेलिया के एक होटल में मिला जहां सानिया खाना खाने आई थीं और शोएब को जब यह खबर मिली तो उन्होंने भी वहां जाकर सानिया से उनका मैच देखने की इच्छा ज़ाहिर की. सानिया ने अपना फ़ोन नंबर ऊँसेंट दिया जिसके बाद प्यार की बातें और मुलाक़ातों का सिलसिला चल पड़ा. दोनों के प्यार व शादी को लेके काफ़ी चर्चे और हंगामे भी हुए थे लेकिन दोनों के प्यार को मंज़िल मिली और आज दोनों खुश हैं.

sania mirza shoaib malik
sania mirza shoaib malik
sania mirza shoaib malik
sania mirza shoaib malik
sania mirza shoaib malik

रीता लूथरा और ज़हीर अब्बास: दोनों की सिंपल सी लव स्टोरी है. इनकी मुलाक़ात 1980 में हुई थी. उस समय रीता यूके में इंटीरियर डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थीं. दोनों में प्यार हुआ और फिर 1988 में रीता और ज़हीर ने शादी कर ली. शादी के बाद रीता ने अपना नाम समिना अब्बास रख लिया. दोनों के परिवार भी इस शादी के ख़िलाफ़ नहीं थे क्योंकि रीता के पिता और ज़हीर के पिता दोस्त थे.

rita luthra zaheer abbas
rita luthra zaheer abbas

निगार खान- खय्याम शेख़: फेमस मॉडल और गौहर की बहन निगार ने भी अपने पाकिस्तानी बॉयफ़्रेंड से 2015 में दुबई में शादी की. दोनों लम्बे समय से रिश्ते में थे. खय्याम आबु धाबी में रहते हैं और वो बिज़नेसमैन हैं.

Nigaar Khan Khayyan Sheikh
Nigaar Khan Khayyan Sheikh
Nigaar Khan Khayyan Sheikh

यह भी पढ़ें: 10 बॉलीवुड ब्यूटीज़ जो बिना मेकअप के लगती हैं ज़्यादा हसीन! (10 Bollywood Hotties Blessed With Natural Beauty)

कोरोना के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश देते हुए २४ मार्च रात बारह बजे से १४ एप्रिल तक यानी पूरे २१ दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर दी. मोदी जी ने यह कड़ा कदम इसलिए भी उठाया क्योंकि लोग कर्फ़्यू को भी गम्भीरता से नहीं ले रहे थे और बाहर निकलकर कोरोना के ख़तरे को बढ़ा रहे थे.

PM Modi

इसके बाद गृह मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई और गाइडलाइन जारी की कि इस दौरान ज़रूरी चीजों यानी आवश्यक वस्तुओं की दुकान व सर्विसेज़ जारी रहेंगी, जिसमें दूध, फल, सब्ज़ी, मेडिकल, बैंक, ATM और LIC आदि शामिल हैं.

बात इकोनॉमिक पार्टिसिपेशन यानी आर्थिक रूप से भागीदारी की हो, फाइनेंशियल प्लानिंग की हो या फिर फाइनेंस से जुड़े अन्य मुद्दे, महिलाओं में वित्तीय जागरूकता की कमी साफ़ नज़र आती है. किसी भी देश व समाज के विकास के लिए यह ज़रूरी है कि फाइनेंस को लेकर जो लिंगभेद है, वह दूर हो. आख़िर क्या वजह है कि महिलाओं में वित्तीय जागरूकता की इतनी कमी है, जानने का प्रयास करते हैं.

–  रिसर्च बताते हैं कि विश्‍व में मात्र 20% महिलाओं को ही फाइनेंशियल कॉन्सेप्ट की समझ है.

–  इसकी कई वजहें हैं और उनमें से एक वजह यह भी है कि ख़ुद महिलाएं ही इसमें दिलचस्पी नहीं लेतीं.

–  दरअसल, बचपन से हमारे समाज में महिलाओं को घरेलू कामों में दक्ष बनाने पर अधिक ज़ोर दिया जाता है बजाय अन्य गुणों के विकास पर.

–  इस वजह से महिलाओं की मानसिकता ऐसी बन जाती है कि वित्तीय मामलों की समझ व उन पर निर्णय लेना पुरुषों का काम है.

–  घर में भी बचपन से वो देखती हैं कि पिता या भाई ही इस तरह के ़फैसले लेते हैं, मां का हस्तक्षेप ना के बराबर होता है और यहां तक कि उनसे राय भी नहीं ली जाती, तो वो भी अपना रोल उसी के अनुसार समझ लेती हैं.

–  भारत में ट्रेड एसोसिएशन द्वारा किए गए सर्वे भी इस ओर साफ़-साफ़ इशारा करते हैं कि स्वयं महिलाएं भी वित्तीय मामलों में सेकंडरी रोल प्ले करके ख़ुश व संतुष्ट रहती हैं. अपने पिता, भाई या पति से ही वो उम्मीद करती हैं कि फाइनेंस व पैसों के मामले वही हैंडल करें.

–  इस रिपोर्ट में वो कारण भी सामने आए, जो भारत में महिलाओं में फाइनेंशियल लिट्रसी यानी वित्तीय साक्षरता को प्रभावित करते हैं.

–  सबसे पहली वजह है- आत्मनिर्भरता व ख़ासतौर से आर्थिक आत्मनिर्भरता की कमी. पैसों के लिए आज भी अधिकांश महिलाएं अपने पति पर ही निर्भर रहती हैं, जिससे उन्हें फाइनेंशियल आत्मनिर्भरता का ख़्याल तक नहीं आता.

–  सामाजिक व पारिवारिक संरचना भी एक बड़ी वजह है. हमारे समाज व परिवार में पुरुष को ही घर का मुखिया माना जाता है. यही वजह है कि पैसों से जुड़े सारे मामलों में उनकी ही रज़ामंदी होती है. चाहे घर ख़रीदना हो, बेचना हो, लोन लेना हो, कहीं घूमने जाना हो- सब वो ही मैनेज करते हैं. महिलाएं न तो इसमें दिलचस्पी लेती हैं और न ही उन्हें इतने अधिकार हैं कि आर्थिक मसलों पर वो आगे बढ़कर बड़े फैसले ले सकें.

–  शैक्षिक योग्यता आज भी बड़ा कारण है. महिलाओं को स्पेशलाइज़्ड कोर्सेस कम कराए जाते हैं. उनकी परवरिश शादी को ध्यान में रखकर अधिक की जाती है बजाय करियर के. ऐसे में उनकी एजुकेशन का मतलब होता है- होम साइंस, ग्रैजुएशन, फैशन डिज़ाइनिंग, कुकिंग आदि…

–  आत्मविश्‍वास की कमी के चलते भी महिलाएं आर्थिक मामलों में कमज़ोर रहती हैं. उन्हें डर लगता है कि कहीं उनका निर्णय ग़लत न साबित हो जाए. ऐसे में घर व आस-पड़ोस के लोग भी उसे ताने मारने से बाज़ नहीं आएंगे.

यह भी पढ़ें: महिलाओं से जुड़े चौंकानेवाले 7 अविश्वसनीय फैक्ट्स (7 Incredible Facts Related To Women)

–  इन सब कारणों के अलावा एक अन्य वजह यह भी है कि उनके पास इतने पैसे ही नहीं होते कि वो कोई निर्णय ले सकें. अगर बाहर काम करनेवाली महिलाओं की बात छोड़ दें, तो अधिकांश हाउसवाइफ का अपना अलग अकाउंट तक नहीं होता. पति के नाम पर या फिर जॉइंट अकाउंट होता है, जिसमें पैसों व ख़र्च के लिए वो पार्टनर पर ही निर्भर रहती हैं. ऐसे में उनकी पहुंच ही नहीं होती इतनी कि वो आर्थिक मामलों के बारे में कुछ सोच सकें.

– यही नहीं, नौकरीपेशा महिलाएं भी अपनी ही सैलरी या कमाए हुए पैसों से संबंधित निर्णय अकेले नहीं ले पातीं. उन्हें यह छूट ही नहीं है. वो घरवालों से व पार्टनर से पूछे बिना कोई कदम नहीं उठातीं.

– कई बार मात्र अपने पार्टनर के ईगो को संतुष्ट करने के लिए व घर में शांति बनाए रखने के लिए भी महिलाएं इस तरह के निर्णय लेने से हिचकिचाती हैं.

– ज़्यादातर महिलाएं यही कहती हैं कि पति इस बारे में हमसे बेहतर जानते हैं और इसीलिए उनका निर्णय ही फाइनल व बेस्ट होगा.

– ऐसे में यह भी संभव होता है कि महिलाओं को आर्थिक मुद्दों की समझ व बेहतर जानकारी होने के बाद भी वो इनसे जुड़े मामलों में हस्तक्षेप नहीं करतीं.

– हालांकि सरकार व प्रशासन द्वारा कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें महिलाओं को ध्यान में रखकर उन्हें आर्थिक तौर पर जागरूक, शिक्षित व सक्षम किया जा सके. कई बैंक भी महिलाओं के लिए ख़ासतौर से अलग व नई स्कीम्स लाते रहते हैं, जिससे आर्थिक मामलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़े, लेकिन इनकी जानकारी भी बहुत कम महिलाओं को होती है या वो इनका लाभ लेने की ज़रूरत ही महसूस नहीं करतीं. घरवाले भी यही कह देते हैं कि तुम्हें इसकी क्या ज़रूरत…?

–  चूंकि महिलाओं के करियर को भी पुरुषों के मुक़ाबले कम तवज्जो मिलती है, इसलिए उनकी सैलरी भी पुरुषों से कम होती है, उनका करियर ग्राफ भी ऊपर-नीचे होता रहता है और फाइनेंस को लेकर पति भी सारी बातें डिसकस नहीं करते.

–  शादी के बाद, बच्चे होने के बाद महिलाओं को ही अपने करियर से समझौता करना पड़ता है.

क्यों ज़रूरी है फाइनेंशियल अवेयरनेस?

–  चाहे पुरुष हो या महिला यह सबके लिए ज़रूरी है.

–  निर्णय लेने की आज़ादी व जागरूकता के चलते आप अपने पैसों को बेहतर तरी़के से मैनेज कर सकती हैं.

–  बुरे व़क्त के लिए प्लानिंग कर सकती हैं.

–  सेविंग्स के अधिक ऑप्शन्स यूज़ कर सकती हैं.

–  आपका आत्मविश्‍वास बढ़ेगा.

–  आप छोटा-मोटा बिज़नेस भी शुरू कर सकती हैं.

–  छुट्टियों या हॉलीडे प्लान के लिए अलग से कुछ सोच सकती हैं. ट्रैवल फंड अलग से जमा कर सकती हैं.

–  अपनी लाइफस्टाइल बेहतर बना सकती हैं.

–  हर छोटी-मोटी ज़रूरतों के लिए पति पर निर्भर रहने की मजबूरी नहीं रहेगी, तो आपकी आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी.

–  आर्थिक निर्णयों में आपकी राय को भी अहमियत मिलेगी.

सोच बदलें…

और भी कई कारण हैं, जिनके चलते आपके लिए वित्तीय मामलों में जागरूक होना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि अपनी जानकारी बढ़ाएं. बैंक के काम अपने हाथों में ले लें, नई स्कीम्स का पता करें. बैंक जाने या लोन संबंधी जानकारी लेने से हिचकिचाएं नहीं. सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाएं. पूरे समाज की उन्नति तभी संभव है, जब हर वर्ग व हर तबका जागरूक होगा. लिंग के आधार पर आपको दोयम दर्जा मिले, यह सही नहीं है, लेकिन इसके लिए आपको ही पहला कदम उठाना व बढ़ाना पड़ेगा. अपने कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलें और देखें दुनिया बहुत अलग है. चुनौतियों का सामना करें, ताकि आपको अपने अस्तित्व के एहसास से संतुष्टि मिले. पति तो सब देख ही रहे हैं, हमें अपना दिमाग़ ख़राब करने की क्या ज़रूरत है… इस सोच से बाहर निकलें और अपनी आर्थिक जागरूकता को बढ़ाएं और इस आर्थिक आज़ादी का आनंद लें.

– गीता शर्मा

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने इस मौक़े पर एक वीडीयो संदेश जारी किया. गुजरात के केवडिया में पटेलजी की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर शानदार समारोह हो रहा है. गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम में शामिल होकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी. एकता दिवस समारोह में एकता परेड भी निकाली गई. सरदार वल्लभ भाई पटेलजी को शत् शत् नमन! आज के दिन हमें उनके विचारों व दृढ़ता से प्रेरणा व सीख लेते हुए जीवन में उसे अपनाने की पुरज़ोर कोशिश करते रहना चाहिए.

Rashtriya Ekta Diwas 2019  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व गृहमंत्री अमित शाह ने पटेलजी को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए, वहीं देशभर में रन फॉर यूनिटी का आयोजन हो रहा है. इस अवसर पर मोदीजी ने ख़ास वीडीयो संदेश जारी कर पटेल के विचारों को लोगों के सामने रखा.

आज सरदार पटेलजी के 146 वीं जयंती पर भारतभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इनमें एकता की दौड़, परेड के साथ-साथ विचार-विमर्श से जुड़े भी कई कार्यक्रम हैं.

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

प्रधानमंत्री मोदीजी ने पटेलजी को याद करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारों में देश की एकता को हर शख़्स महसूस कर सकता है.

इस मौक़े पर सरदार पटेल से जुड़ी ख़ास बातें…

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

लौह पुरुष…

* सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नडियाद में हुआ था.

* उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था, पर वे सरदार पटेल के नाम से विख्यात हुए.

* उन्हें लौह पुरुष व आयरन मैन के रूप में जाना जाता है.

* उनकी पत्नी का नाम झावेरबा पटेल था.

* पटेलजी अपने साहसिक निर्णय के लिए जाने जाते थे.

* इसमें कोई दो राय नहीं कि वे एक कुशल राजनीतिज्ञ और बेहतरीन व्यक्ति थे.

* उनके विचार आज के संदर्भ में भी उतने ही सार्थक व तर्कपूर्ण हैं.

* तमाम विरोधों व अवरोधों के बावजूद वे सत्य पर अडिग रहे और देश की एकता व अखंडता से कभी भी समझौता नहीं किया. इसी कारण उनकी लौह पुरुष की छवि बनीं.

Sardar Vallabhbhai Patel JayantiSardar Vallabhbhai PatelSardar Vallabhbhai Patel JayantiSardar Vallabhbhai Patel Jayanti

विशेष: आज ही के दिन लद्दाख व जम्मू-कश्मीर नए केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं.

– ऊषा गुप्त

Banned Drugs In India
प्रतिबंधित दवाओं पर प्रतिबंध क्यों नहीं…? (Banned Drugs Available In India)

मर्यादा, नियम-क़ायदा, क़ानून, अनुशासन या रूल्स… ये तमाम शब्द काफ़ी सख़्त लगते हैं, लेकिन अक्सर जब इन्हें कार्यान्वित या यूं कहें कि लागू करने की बारी आती है, तो ये बेबस और लाचार लगने लगते हैं… वजह! लालच, मुनाफ़ा, कालाबाज़ारी, भ्रष्टाचार… हर किसी को कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने हैं, पर वो पैसे किस क़ीमत पर कमाए जा रहे हैं इस पर शायद ही ध्यान जाता है. अगर हम बात करें दवाओं के बिज़नेस की, तो भारत में एफडीसी दवाओं का बिज़नेस लगभग 3000 करोड़ रुपए का है, इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यदि इन दवाओं पर प्रतिबंध लगता है, तो इससे मुनाफ़ा कमानेवालों को कितना नुक़सान हो सकता है. यही कारण है कि दवा कंपनियां नहीं चाहतीं कि नुक़सान करनेवाली ये दवाएं प्रतिबंधित हों और इनका बेहतर विकल्प उन्हें तलाशने में पैसा व समय ख़र्च करना पड़े.

इसके अलावा कुछ ऐसी भी दवाएं हैं, जो अपने गंभीर साइड इफेक्ट्स के चलते अन्य देशों में तो प्रतिबंधित हैं, पर भारत में नहीं. क्या हैं वजहें, क्या होती हैं एफडीसी दवाएं और सरकार का क्या रवैया है, इसका जायज़ा लेते हैं.

वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने 300 से अधिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था, जिनमें से अधिकतर एफडीसी दवाएं हैं.

क्या होती हैं एफडीसी दवाएं?

इसका अर्थ है फिक्स्ड डोज़ कॉम्बिनेशन यानी वे दवाएं, जो दो या अधिक दवाओं के कॉम्बिनेशन से बनी हों. भारत में बिना क्लीनिकल ट्रायल के ये दवाएं बिकती हैं, लेकिन इनका शरीर पर काफ़ी दुष्प्रभाव होता है. अन्य देशों के मुक़ाबले भारत में ही सबसे अधिक ये दवाएं बिकती हैं.

डॉक्टर्स कहते हैं कि बैन इन दवाओं पर नहीं, इनके कॉम्बिनेशन पर लगा है यानी यही दवाएं अलग-अलग सॉल्ट में बाज़ार में अभी भी उपलब्ध हैं, पर वो सिंगल सॉल्ट हैं. अमेरिका व अन्य विकसित देशों में एफडीसी दवाएं काफ़ी कम व सीमित मात्रा में ही बिकती हैं, जबकि भारत में ये सबसे अधिक बिकती हैं. अन्य देशों में सख़्त नियम व क़ानून तथा प्रशासन की जागरूकता इसकी बड़ी वजह है. भारत में इन चीज़ों के अभाव के चलते अब तक सब कुछ चल रहा था. हालांकि वर्ष 2016 में भी सरकार ने इन दवाओं को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया था, लेकिन दवा कंपनियां इस ़फैसले के ख़िलाफ़ कोर्ट में चली गई थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में आदेश दिया, जहां  दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने मामले की समीक्षा की और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. सरकार ने कमेटियां बनाईं और दवा कंपनियों से जवाब मांगा कि एफडीसी दवाओं की ज़रूरत क्यों है, क्योंकि इनमें ऐसी दवाओं का मिश्रण होता है, जो कई देशों में प्रतिबंधित हैं. दवा कंपनियां इस पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाईं. भारत में अब केंद्र सरकार द्वारा 328 दवाओं को बैन कर दिया गया है.

क्यों बनाती हैं कंपनियां ऐसी दवाएं?

दवा कंपनियों को इन दवाओं से भारी मुनाफ़ा होता है, क्योंकि इन्हें बनाना सस्ता व आसान होता है. ये पहले से टेस्ट किए गए सॉल्ट पर बनती हैं, ऐसे में नया सॉल्ट ढूंढ़ने की मश़क्क़त व ज़रूरत नहीं पड़ती. साथ ही ये बिकती भी अधिक हैं, क्योंकि ओवर द काउंटर इन्हें ख़रीदा जाता है, जहां डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन की ज़रूरत नहीं.

सख़्त नियमों की कमी भी है एक वजह

नियमों की बात की जाए, तो क्लीनिकल टेस्ट व ड्रग कंट्रोलर की मंज़ूरी के बाद ही इन दवाओं को बाज़ार में उतारा जाना चाहिए. परंतु केंद्र से मंज़ूरी न मिलने के डर से ये कंपनियां राज्य सरकार के ड्रग कंट्रोलर से मंज़ूरी ले लेती हैं, क्योंकि हर राज्य के नियम अलग-अलग हैं, जिससे इन्हें परमिशन आसानी से मिल जाती है. हालांकि केंद्र की मंज़ूरी के बिना इनका बाज़ार में खुलेआम बिकना ग़ैरक़ानूनी ही है.

बेहद नुक़सानदेह होती है एफडीसी दवाएं

आपको अपनी समस्या के लिए एक ही दवा की ज़रूरत है, लेकिन यदि आप एफडीसी दवा लेते हैं, तो बेवजह दूसरे सॉल्ट यानी दवाएं भी आपके शरीर में जा रही हैं. एक दवा से किडनी या लिवर पर यदि प्रभाव पड़ता है, तो अन्य दवाओं के साथ में शरीर में जाने से यह नुक़सान बढ़ जाता है.

इसी तरह से यदि आपको दवा से एलर्जी हो रही है, तो यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कॉम्बिनेशन में इस्तेमाल कौन-सी दवा के कारण ऐसा हो रहा है.

एक दवा के साइड इफेक्ट हमें पता होते हैं, इसी तरह से दूसरी दवा के भी साइड इफेक्ट्स की जानकारी होती है, लेकिन इनके मिश्रण से होनेवाले प्रभाव व साइड इफेक्ट्स का डाटा उपलब्ध नहीं होता, जिससे पता नहीं लगाया जा सकता कि इनके क्या साइड इफेक्ट्स हैं. लेकिन स्टडीज़ बताती हैं कि एफडीसी दवाओं को लेने से शरीर को नुक़सान की आशंका लगभग 40 फ़ीसदी बढ़ जाती है.

मरीज़ अपने डॉक्टर से पूछें ये सवाल…

  • आपको जो भी दवाएं लिखी जाती हैं, आपका हक़ है कि अपने डॉक्टर से उसकी पूरी जानकारी लें.
  • उनसे पूछ लें कि ये किस तरह की दवाएं हैं?
  • क्या इनमें से कोई एफडीसी भी हैं? यदि हां, तो इन्हें लेना कितना ज़रूरी है?
  • उनके विकल्प के बारे में पूछें.
  • दवाओं के साइड इफेक्ट्स की जानकारी लें.
  • आपको किन चीज़ों से एलर्जी है, यह भी डॉक्टर को बता दें.
  • यदि दवा से कोई समस्या महसूस हो रही हो, तो फ़ौरन डॉक्टर को बताएं.
  • यदि आप किसी अन्य बीमारी के लिए पहले से कोई दवा ले रहे हैं, तो उसके बारे में भी डॉक्टर को बताएं और उससे पूछें कि उस दवा के साथ आप इन दवाओं का सेवन कर सकते हैं या नहीं.

यह भी पढ़ें: क्यों मुस्कुराने में भी कंजूसी करते हैं लोग? (Why Don’t Some People Smile)

Banned Drugs

विदेशों में प्रतिबंधित, पर भारत में नहीं…

कुछ दवाएं हैं, जो प्रतिबंध होने के बाद भी बिक रही हैं और कुछ ऐसी भी हैं, जिन पर अन्य देशों में तो प्रतिबंध है, लेकिन भारत में वो काफ़ी पॉप्युलर हैं. उनकी जानकारी भी ज़रूरी है…

निमेस्यूलाइड: यह प्रतिबंधित दवा है, इसके बावजूद बिक रही है. यह दर्द, शोथ व बुख़ार के लिए दी जाती है. पैरासिटामॉल जहां 4-6 घंटे तक ही असर दिखाती है, वहीं निमेस्यूलाइड 12-18 घंटे तक असरकारक होती है, लेकिन लिवर पर इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने वर्ष 2011 में इस पर रोक लगाई थी, पर यह अब भी आसानी से उपलब्ध है.

एनाल्जिन: यह पेनकिलर है और विश्‍वभर में प्रतिबंधित है, पर भारत में नहीं. बोन मैरो पर इसका बुरा प्रभाव देखते हुए इस पर रोक लगी हुई है, पर भारत में इस पर रोक नहीं है.

फिनाइलप्रोपनॉलअमाइन (ब्रांड – डिकोल्ड/ विक्स):  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा विक्स वेपोरब को टॉक्सिक घोषित किया गया है. इससे अस्थमा व टीबी जैसे रोग तक होने की आशंका रहती है. यही वजह है कि नॉर्थ अमेरिका व यूरोप के कई देशों में इस पर प्रतिबंध लगया हुआ है. इसी तरह से डिकोल्ड व विक्स एक्शन 500 भारत में छोड़कर कई जगहों पर बैन्ड है, क्योंकि इनसे ब्रेन हैमरेज का ख़तरा रहता है.

डिस्प्रिन: ब्रेन व लिवर में सूजन की एक वजह बन सकती है यह दवा, इसीलिए अमेरिकी सरकार ने वर्ष 2002 में इस पर प्रतिबंध लगाया था. इसकी वजह से नींद की ख़ुमारी, मतली, उल्टी जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं. लेकिन यह भारत में सबसे फेवरेट पेनकिलर है.

नाइट्रोफ्यूराज़ोन: यह एंटीबैक्टीरियल मेडिसिन है, लेकिन इससे कैंसर का ख़तरा हो सकता है.

ड्रॉपेरिडॉल: एंटीडिप्रेसेंट मेडिसिन है यह, जिससे अनियमित हार्ट बीट की समस्या हो सकती है और यही इसके प्रतिबंध का कारण है.

इसी तरह से और भी कुछ दवाएं हैं, जो ग्लोबली बैन्ड हैं, पर भारत में उपलब्ध हैं.

भारत में प्रतिबंधित कुछ कॉमन दवाएं

सैरिडॉन: यह प्रॉपीफैनाज़ॉन, पैरासिटामॉल और कैफीन के कॉम्बिनेशन से बनती है. यह एकमात्र पेनकिलर है, जो तीन एक्टिव केमिकल के मिश्रण से बनी है, जिसमें कैफीन भी एक है. प्रॉपीफैनाज़ॉन ब्लड सेल्स को कम कर सकता है. बोन मैरो पर बुरा असर डाल सकती है यह दवा.

डोलामाइड: यह जॉइंट पेन के लिए यूज़ होती है, जिसमें प्रतिबंधित निमेस्यूलाइड भी है.

रिलीफ/एलकोल्ड: किडनी व लिवर पर बुरा प्रभाव, साथ ही सिरदर्द व कब्ज़ जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

एज़िथ्रोमाइसिन के 6 कॉम्बिनेशन्स को भी बैन किया गया है. इसी तरह से कैल्शियम ग्लूकोनेट और कैफीन के भी कुछ कॉम्बिनेशन्स हैं. निमेस्यूलाइड और पैरासिटामॉल के बहुत सारे कॉम्बिनेशन्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लिस्ट बहुत लंबी है और सभी प्रतिबंधित दवाओं की जानकारी आप सीडीएससीओ यानी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं.

Banned Drugs

आप क्या कर सकते हैं?

  • प्रतिबंधित दवाओं की जानकारी हासिल करें.
  • मामूली सिरदर्द व बुख़ार के लिए सिंगल सॉल्टवाली दवा लें. बेतहरीन विकल्प है- पैरासिटामॉल.
  • बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स न लें.
  • डॉक्टर द्वारा बताई दवा का पूरा कोर्स करें.
  • दवा लेते समय एक्सपायरी डेट चेक करें.
  • दवाओं को स्टोर करने के नियमों का भी सही पालन करें.
  • ओवर द काउंटर यानी अपनी मर्ज़ी से बिना डॉक्टरी सलाह के दवा लेना बंद कर दें.

ओवर द काउंटर सस्ता व आसान विकल्प लगता है…

केमिस्ट शॉप ओनर विकी सिंह का कहना है कि एक फार्मासिस्ट को सभी बैन्ड ड्रग्स के बारे में पता होता है, लेकिन छोटे केमिस्ट बैन्ड ड्रग्स को भी बेचने से हिचकिचाते नहीं और वो भी मनचाहे दाम पर.

भारत में दूसरी ओर लोगों की प्रवृत्ति कुछ ऐसी है कि वो ओवर द काउंटर मेडिसिन्स पर ही अधिक निर्भर रहते हैं, क्योंकि उन्हें यह आसान और सस्ता विकल्प लगता है.

  • अधिकांश ग़रीब व सामान्य वर्ग के लोग सीधे केमिस्ट से दवाएं लेते हैं, क्योंकि बड़े डॉक्टर के पास जाना उन्हें महंगा लगता है और उनकी सोच यही होती है कि जितना गली-नुक्कड़ के क्लीनिक में बैठे डॉक्टर को जानकारी है, उतनी तो केमिस्ट को भी होती है, ऐसे में डॉक्टर की फीस व भीड़ आदि से बचने के लिए वो सीधे मेडिकल से दवा लेना पसंद करते हैं.
  • ऐसे लोगों को दवाओं के साइड इफेक्ट्स के बारे में पता नहीं होता और न ही वो जानने के इच्छुक होते हैं, उनमें उतनी जागरूकता ही नहीं होती. इसी का फ़ायदा केमिस्ट उठाते हैं. वो भी उन्हें बैन्ड ड्रग्स व दवाओं के साइड इफेक्ट्स के बारे में कुछ नहीं बताते. अपनी बातों से घुमा देते हैं और कहते हैं कि ये दवाएं काफ़ी असरकारी हैं.
  • अधिकांश लोगों की यह भी प्रवृत्ति होती है कि उन्हें यदि पता भी हो कि दवा का कुछ साइड इफेक्ट है, तब भी वो जल्दी आराम पाने के लिए उन दवाओं के सेवन से हिचकिचाते नहीं. उनका मक़सद तुरंत आराम पाना होता है.
  • जहां तक क़ानून की बात है, तो वो काफ़ी सख़्त है. बैन्ड ड्रग्स को बेचने पर फार्मासिस्ट का लाइसेंस तक रद्द हो सकता है, लेकिन ज़्यादा कमाने की भूख के चलते क़ानून को भी नज़रअंदाज़ करके केमिस्ट ग़लत काम करते हैं.
  • कुल मिलाकर सभी चीज़ों के तार मुना़फे से जुड़े हैं. आपको अंदाज़ा भी नहीं कि नशीली दवाओं यानी नार्कोटिक ड्रग्स की बिक्री भी ख़ूब चलती है, जैसे- कोडिन, ट्रामाडोल, लोराज़ेपाम, स्पास्मो प्रॉक्सिवॉन, जो आसानी से मिल जाते हैं और जिनका इस्तेमाल बहुत-से युवा नशे के लिए करते हैं. जो बैन्ड भी हैं, पर उनका व्यापार भी ख़ूब ज़ोरों पर चलता है.
  • कुछ ख़ास तरह की बीमारियों में कुछ ड्रग्स ज़रूरी होते हैं, जिसके चलते डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर वो मिल जाते हैं.
  • इसके अलावा जिस तरह अन्य चीज़ों की ब्लैक मार्केटिंग होती है, उसी तरह बैन्ड मेडिसिन्स की भी होती है, जिससे वो आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.

– गीता शर्मा

यह भी पढ़ें: जानें डिजिटल पेमेंट्स की एबीसी (Different Methods And Benefits Of Digital Payments In India)

Child Abuse

यौन शोषण: लड़के भी हैं उतने ही अनसेफ… (Child Abuse: Myths And Facts About Sexual Abuse Of Boys)

एक सर्वे के मुताबिक़ लगभग 71% पुरुषों ने यह स्वीकारा है कि बचपन में वे यौन शोषण के शिकार हो चुके हैं.

71%, जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं… यह आंकड़ा ज़ेहन को हिला देनेवाला है. अविश्‍वसनीय लग रहा है न, लेकिन यह सच है.

लड़कों (Boys) का बलात्कार (Rape) नहीं हो सकता… हमारे देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में कुछ ऐसी ही सोच थी कुछ समय पहले तक… दरअसल, यह एक माइंडसेट है, जो समय के साथ भी अब तक बदला नहीं है. हमें लगता है यौन शोषण (Sexual Abuse) स़िर्फ लड़कियों (Girls) का ही होता है, क्योंकि हम यह मानने को तैयार ही नहीं कि लड़के भी होते हैं शोषण के शिकार.

भारत में अब भी है चुप्पी!

–  हमारे देश में वैसे भी सेक्स, बलात्कार, शोषण आदि विषयों पर बात नहीं होती, तो लड़कों के यौन शोषण पर विचार करने तक की बात यहां कोई कैसे सोच सकता है?

–   लेकिन चूंकि अब इस विषय पर भी बात होने लगी है, तो भारत में भी कुछ वर्ग इस पर बात करने से हिचकिचाते नहीं हैं और यह ज़रूरी भी है.

–   भारत सरकार द्वारा जो रिसर्च किया गया था, उसमें भी चौंकानेवाला आंकड़ा ही सामने आया था कि 53.2% बच्चों ने सेक्सुअल एब्यूज़ की बात बताई थी, जिनमें से 52.9% लड़के थे.

–   चाइल्ड एब्यूज़ दरसअल जेंडर न्यूट्रल है. यह बात मेनका गांधी (महिला-बाल कल्याण मंत्री) ने कही थी और यह सच भी है.

–   दरअसल, चाइल्ड एब्यूज़ के शिकार लड़कों पर कभी कोई स्टडी हुई ही नहीं, क्योंकि न तो इस तरफ़ किसी का ध्यान गया और न ही किसी ने इसकी ज़रूरत समझी.

–   जो 71% पुरुष यौन शोषण के शिकार हुए थे, उनमें से 84.9% ने इस बारे में कभी भी किसी को कुछ नहीं बताया. क्योंकि इसकी मुख्य वजह थी- शर्म. इसके अलावा डर, कंफ्यूज़न और अपराधबोध की भावना भी उनके मन में थी.

–   दरअसल, हमारे समाज में यह मान्यता है कि लड़कों का रेप नहीं हो सकता. यही वजह है कि लड़के अपने यौन शोषण के बारे में कभी बात ही नहीं करते, क्योंकि उनका भरोसा कौन करेगा?

यह भी पढ़ें: अंडरगार्मेंट से जुड़ी 10 सच्चाइयां (10 Interesting Facts About Undergarment)

व्यक्तित्व पर असर डालता है यह शोषण!

–   बचपन में इस तरह के शारीरिक शोषण का असर पूरे मन-मस्तिष्क पर पड़ता है.

–   सबसे पहले तो बच्चा यही सोचता है कि इससे उसे अकेले ही जूझना है.

–  चूंकि वो पुरुष है, तो उसे स्ट्रॉन्ग बनना है, इसलिए उसे अपने शोषण को स्वीकारना होगा.

–   इसका असर उनके इमोशनल व्यवहार पर भी पड़ता है.

–   वो जल्दी से किसी पर भरोसा नहीं करते. एक डर की भावना मन में बैठ जाती है. कॉन्फिडेंस पर असर पड़ता है.

–   उनमें एक तरह का अपराधबोध भी घर कर जाता है कि उन्होंने कुछ ग़लत किया है, ख़ासतौर से तब जब वो शोषण के दौरान इजैक्यूलेट करते हैं.

–   उन्हें यह भी लगता है कि लोग उनकी बातों पर भरोसा नहीं करेंगे यदि उन्होंने किसी से शेयर किया भी तो.

–   वो दोस्तों से कतराने लगते हैं. अकेलापन उन्हें बेहतर लगता है.

–   उन जगहों पर जाने से डरते हैं, जहां शोषण की यादें जुड़ी हों.

पैरेंट्स को रहना होगा अलर्ट

–   बच्चे के व्यवहार में कुछ अलग-सा नज़र आने लगे, तो उससे बात करें.

–   यदि बच्चा न बताए, तो दूसरे तरीक़ों से जानने की कोशिश करें, क्योंकि हो सकता है आपका बच्चा उन तकलीफ़ों से जूझ रहा हो, जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते.

–   कई स्कूलों में लड़कों के यौन शोषण की घटनाएं बीते सालों में प्रकाश में आ चुकी हैं. ऐसे में पैरेंट्स को सतर्क रहना चाहिए.

–   बेटी के साथ-साथ बेटे की पूरी सुरक्षा की ओर भी ध्यान देना होगा.

–   उन्हें सेक्स एजुकेशन दें और उनमें यह कॉन्फिडेंस जगाएं कि वो खुलकर आपसे हर बात शेयर कर सकें.

–   उन्हें सही-ग़लत, सेफ-अनसेफ टच के बारे में बताएं.

–   लड़का है, इसलिए उसकी कुछ बातों को इग्नोर न करें.

–  उनके छोटे-छोटे इशारों को समझने का प्रयास करें. हो सकता है उनके पीछे कोई बड़ी बात हो.

कैसे हैंडल करें शोषण के शिकार बच्चों को?

–   बेहतर होगा उनसे बहुत ज़्यादा डिटेल्स न पूछें कि कब, कहां, कैसे हुआ…

–   उन्हें डांटें नहीं कि तुमने पहले क्यों नहीं बताया, बता देते तो तुम्हें बचा लेते… ऐसी बातों से उनके मन में गिल्ट आएगा.

–   उन्हें सपोर्ट करें, लेकिन ओवर पॉज़िटिव वाक्य न बोलें, जैसे- समय के साथ-साथ बेहतर हो जाएगा सब कुछ और ऐसा होता है ज़िंदगी में… या फिर इसके बारे में तुम्हें बुरा महसूस करने या अपराधी महसूस करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इस तरह के वाक्य उन्हें यह महसूस करवाएंगे कि उनके साथ बहुत ज़्यादा बुरा हुआ है.

–  बेहतर होगा आप सिंपल तरी़के से कहें कि हमें तुम पर पूरा भरोसा है और हम हैं तुम्हारे साथ हमेशा… यह उन्हें कॉन्फिडेंस देगा.

–   काउंसलर की मदद भी ज़रूर लें और उन्हें एक सामान्य माहौल देने की कोशिश करें.

– कोशिश हमारी यही होनी चाहिए कि शुरुआत में ही हमें पता चल जाए या फिर बच्चों को यह सब झेलना ही न पड़े, इसके लिए बच्चों को ही ट्रेनिंग देनी होगी, जो हर स्कूल में अनिवार्य होनी चाहिए.

– साथ ही बच्चों पर भरोसा करना होगा कि वो अगर कुछ कह रहे हैं, तो उसके पीछे कोई वजह ज़रूर होगी. बेहतर होगा उनकी बातों को भी गंभीरता से लिया जाए और लड़कों को यौन शोषण का डर नहीं, यह सोचकर उनकी अनदेखी या उनकी ओर से लापरवाह रहना छोड़ना होगा.

– गीता शर्मा

यह भी पढ़ें: जानें हिंदू मैरिज एक्ट… समय के साथ क्या-क्या बदला? (Hindu Marriage Act: Recent Changes You Must Know)

. स्टार कास्ट: इमरान हाशमी , श्रेया धनंवतरी

– निर्देशक: सौमिक सेन

. रेटिंगः 3 स्टार

Why Cheat India

 

इमरान हाशमी स्टारर इस फिल्म में भारतीय एजुकेशन सिस्टम से जुड़ी परेशानियों और परीक्षा के दौरान होने वाले वाली चीटिंग को दर्शाया गया है जिसे चीटिंग माफिया अंजाम देते हैं.

Why Cheat India

कहानीः राकेश सिंह उर्फ रॉकी(इमरान हाशमी) अपने परिवार और सपनों को पूरा करने के लिए चीटिंग की दुनिया में निकल पड़ता है. राकेश वह माफिया है जो शिक्षा व्यवस्था की खामियों का जमकर फायदा उठाता है. राकेश गरीब और अच्छे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को इस्तेमाल करता है. वो उन गरीब बच्चों से अमीर बच्चों की जगह एंट्रेंस एग्जाम्स दिलवाता है और बदले में उन्हें पैसे देता है. उसे लगता है कि अमीर बच्चों से पैसे लेकर गरीब बच्चों को उनकी जगह एग्जाम दिलाकर और उन्हें पैसे देकर वो कोई अपराध नहीं कर रहा है. लेकिन फिर तभी उसका एक गेम गलत हो जाता है और वो पुलिस के हत्ते चढ़ जाता है.

एक्टिंगः परफॉर्मेंस की बात करें तो इमरान हाशमी ने हमेशा की तरह बेहतरीन परफॉर्म किया है .इमरान ने जिस तरह खुद को राकेश के किरदार में ढाला है, वो काबिलेतारीफ हैं. फिल्म में श्रेया धनवंतरी ने भी अच्छा परफॉर्म किया है, जिनकी यह पहली फिल्म है. सहयोगी कास्ट परफेक्ट हैं.

संगीतः फिल्म में कई संगीतकारों की मौजूदगी में ‘दिल में हो तुम’, ‘कामयाब’, ‘फिर मुलाकात’ जैसे गाने अच्छे बन पड़े हैं.

क्यों देखेंः अगर आपको एजुकेशन सिस्टम में होने वाली चीटिंग के बारे में जानना है तो आप ये फिल्म देख सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः शाहिद कपूर को ये एक्ट्रेस बेहद अट्रैक्टिव लगती हैं (Shahid Finds This Actress ‘Very Attractive’!)

Priyanka Nick Wedding

प्रियंका-निक की संगीत सेरेमनी का फ़र्स्ट लुक… देखें पिक्चर्स (Priyanka-Nick Wedding: First Pics From Sangeet Ceremony Out)

प्रियंका (Priyanka) और निक (Nick) की संगीत सेरेमनी (Sangeet Ceremony) की पहली तस्वीरें (Pictures) ख़ुद प्रियंका ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिसमें दोनों ही मस्ती के मूड में नज़र आ रहे हैं. दोनों ही परिवारों ने इस मौक़े पर काफ़ी मस्ती और डान्स किया. डान्स कॉम्पटिशन का भी मज़ा लिया गया. प्रियंका-निक देसी लुक में लग रहे हैं बेहद प्यारे! 

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Nick Wedding

Priyanka Wedding

World's Tallest Statue

स्टैच्यु ऑफ यूनिटी: दुनिया में सबसे ऊंचे सरदार! (Statue Of Unity: World’s Tallest Statue)

देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) के सम्मान में बनाई जा रही दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (World’s Tallest Statue) स्टैच्यु ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) अब तैयार है. उसका अनावरण भी 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के द्वारा किया जा चुका है. सरदार पटेल की जन्म तिथि के अवसर पर इस मूर्ति का अनावरण किया गया. यह प्रतिमा गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार सरोवर बांध के पास एक टापू पर स्थापित की गई है. यह ऊंचाई 597 फीट यानी 182 मीटर ऊंची है. इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है.
इससे पहले चीन में बनी भगवान बुद्ध की दुनिया की सबसे उंची मूर्ति लोगों के आकर्षण का केंद्र थी, लेकिन अब दुनिया में हैं सबसे ऊंचे सरदार!
इस मूर्ति के बनने से जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का श्रेय व गौरव भी भारत को मिलेगा. इसके आसपास ख़ूबसूरत गार्डन बनाया गया है.
हालांकि कुछ लोगों ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर आई लागत की बात कहते हुए इसका विरोध भी किया था, लेकिन वही लोग जब चीन या अमेरिका जाते हैं, तो स्प्रिंग टेंबल ऑफ बुद्धा या स्टैच्यु ऑफ लिबर्टी के सामने फोटो क्लिक करवाकर बड़ी शान से सोशल मीडिया पर डालते हैं.
इन तमाम विवादों के बीच भी यह मूर्ति अब बनकर तैयार है और लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

यह भी पढ़ें: गरीबों का मसीहा- मेडिसिन बाबा (The Incredible Story Of ‘Medicine Baba’)

स्टैच्यु ऑफ यूनिटी से जुड़ी ख़ास बातें…
– सरदार पटेल कॉम्प्लेक्स में सरकार ने तीन सितारा होटल, शॉपिंग सेंटर और रिसर्च सेंटर भी बनाया है.
– हाई स्पीड एलीवेटर्स आपको 400 फीट की ऊंचाई पर लेकर जाएंगे, जहां से आपको आसपास का पैनोरैमिक व्यू मिलेगा.
– सेल्फी के शौक़ीनों का भी ख़ास ध्यान रखा गया है और उनके लिए बनाया गया है ख़ास सेल्फी पॉइंट.
– एक म्यूज़ियम और ऑडियो-विज़ुअल गैलरी भी तैयार की गई है.
– लेज़र लाइट शो का भी प्रबंध है.
– 3 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए फ्री एंट्री है.
– उसके बाद 350 रूपए प्रति व्यक्ति टिकट है.
– इसके अलावा सस्ता विकल्प भी मौजूद है.

– गीता शर्मा

यह भी पढ़ें: पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन्स एक्ट: बुज़ुर्ग जानें अपने अधिकार (Parents And Senior Citizens Act: Know Your Rights)

×