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Indian classical flautist
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अपनी बांसुरी की धुन से सभी को मंत्रमुग्ध कर देने वाले पं. हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म १ जुलाई १९३८ के दिन इलाहाबाद में हुआ, लेकिन उनका बचपन गंगा किनारे बनारस में बीता. बचपन से ही उनका रुझान संगीत की ओर था, इसलिए जब उनके पिता उन्हें पहलवानी के लिए अखाड़े में ले जाया करते थे, तब उनका मन वहां नहीं लगता था. अपने पिता की मर्ज़ी के बिना पं. उन्होंने अपने पड़ोसी राजाराम से संगीत की बारीकियां सीखीं और इसके बाद बांसुरी सीखने के लिए वाराणसी पं. भोलाराम प्रसन्ना के पास चले गए.
गुरु प्रसन्ना से शिक्षा लेने के बाद १९ साल की उम्र तक पं. हरिप्रसाद बांसुरी-वादन में इतने कुशल हो गए कि उनकी नियुक्ति आकाशवाणी में हो गई. उन्होंने अपना करियर ऑल इंडिया रेडिओ से शुरू किया और जल्द ही संगीतकार संतूर-वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के साथ जोड़ी बनाकर फिल्मों में संगीत देना भी शुरू कर दिया. शिव-हरि के नाम से मशहूर इस जोड़ी ने चांदनी, विजय, सिलसिला, लम्हें, डर जैसी फिल्मों में सुपरहिट संगीत दिया. इनकी इस अद्वितीय प्रतिभा के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाज़ा. इसके अलावा उन्हें फ्रांसीसी सरकार का नाइट ऑफ द आर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स पुरस्कार और ब्रिटेन के शाही परिवार की तरफ से भी ख़ास सम्मान दिया गया है.
मेरी सहेली की ओर से बांसुरी के सम्राट पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं.