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आपके सफ़र का साथी ट्रैवल इंश्योरेंस (Why Travel Insurance Is Necessary For You?)
छुट्टियों में अक्सर लोग परिवार सहित घूमने के लिए देश-विदेश की यात्रा पर निकल जाते हैं. यात्रा पर निकलने की तैयारी भी महीनों पहले शुरू हो जाती है, लेकिन इस दौरान वे ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी (Travel Insurance Policy) लेना ज़रूरी नहीं समझते हैं. नतीजतन यात्रा में होनेवाली परेशानियां सफ़र का सारा मज़ा ख़राब कर देती हैं. अगर आप भी अन्य लोगों की तरह अपने सफ़र का मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहते हैं, तो ऐसे उठाएं ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी का लाभ.
क्यों कराएं ट्रैवल इंश्योरेंस?
- विदेश यात्रा के दौरान मेडिकल ख़र्च आपकी जेब पर बहुत भारी पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में ट्रैवल इंश्योरेंस आपके लिए बहुत मददगार साबित होता है.
- अगर आप अपनी विदेश यात्रा के दौरान होनेवाली परेशानियों, जैसे- ट्रिप रद्द होना, सामान खोना, विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना आदि से बचना चाहते हैं, तो ऐसे में ट्रैवल इंश्योरेंस बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है.
- विदेश यात्रा के दौरान अगर आपका पासपोर्ट खो जाता है, तो इस स्थिति में ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी की सहायता से आप उस देश के दूतावास से डुप्लीकेट पासपोर्ट हासिल कर सकते हैं.
किससे कराएं ट्रैवल इंश्योरेंस?
सफ़र के लिए अगर ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीद रहे हैं, तो जिस एयरलाइंस से आप टिकट बुक कर रहे हैं, उसी एयरलाइंस से यात्री ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं. इसके अलावा ट्रैवल एजेंट से भी यह इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि ट्रैवल एजेंट ऑथोराइज़्ड होना चाहिए.
ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीदने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान
- ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी कई तरह की होती हैं, जैसे- सोलो ट्रिप, मल्टी ट्रिप, सालभर घूमने के लिए जाना आदि. यदि आप सोलो ट्रिप पर जा रहे हैं, तो ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि पॉलिसी लेने की अवधि यात्रा की अवधि से कम नहीं हो.
- पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि यदि किसी कारण से यात्रा में देरी हो रही हो, तो तब तक ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी एक्सपायर न हो जाए.
- यात्रा पर निकलने से पहले यात्री यानी बीमाकर्ता इंश्योरेंस कंपनी से जांच-पड़ताल कर लें कि वे उस डेस्टिनेशन को कवर करते हैं या नहीं, जहां वे घूमने के लिए जा रहे हैं.
- ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीदते समय अगर बीमाकर्ता या उनके पारिवारिक सदस्य को पहले से ही कोई बीमारी है, तो उसके बारे में बीमा कंपनी को अवगत कराए, क्योंकि ट्रैवल इंश्योरेंस कंपनियां पहले से होनेवाली बीमारियों को कवर नहीं करती हैं. ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी में केवल कुछ जानलेवा बीमारियों को ही कवर किया जाता है.
- बीमाकर्ता को चाहिए कि वह तय डेस्टिनेशन के अलावा उन सुविधाओं की भी एक लिस्ट बनाए, जिन पर वह एक तय राशि क्लेम कर सकता है.
- यदि यात्री किसी ऐसी जगह पर घूमने के लिए जा रहे हैं, जो शेंगेन अप्रूव्ड (Schengen Approved) है, तो यात्री को बीमा कंपनी से यह ज़रूर पूछना चाहिए कि ऐसे डेस्टिनेशन के लिए आपका ट्रैवल इंश्योरेंस वैध है या नहीं. शेंगेन अप्रूव्ड एरिया यानी कि यूरोपीय देशों द्वारा किया गया एक समझौता है, जो यात्रियों को उन देश की सीमाओं के पार बिना पासपोर्ट के कहीं भी घूमने की अनुमति नहीं देता है. इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यात्री वीएफएस वेबसाइट चेक कर सकते हैं.
- बहुत सारे यात्री ऐसे विशेष ट्रैवल इंश्योरेंस की मांग करते हैं, जो किसी विशेष क्षेत्र के लिए हो. इन विशेष ट्रैवल इंश्योरेंस योजनाओं की कीमत उस विशेष क्षेत्र के चिकित्सा उपचार की लागत को ध्यान में रखते हुए या फिर अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है.
- बीमा पॉलिसी के दस्तावेज़ों पर एक कस्टमर केयर हेल्पलाइन नंबर दिया होता है. अगर यात्री को बीमा पॉलिसी संबंधी किसी तरह की पूछताछ करनी है, तो वह इस कस्टमर केयर पर फोन करके सारी जानकारी हासिल कर सकता है.
- यात्री को पॉलिसी क्लेम करने की समयसीमा का ध्यान रखना चाहिए. वह केवल तय या सीमित समयसीमा के भीतर ही क्लेम कर सकता है, पॉलिसी ख़त्म होने के बाद नहीं. यदि बीमा कंपनी किसी लोकल सर्विस प्रोवाइडर के साथ टाइ-अप करती है, तो उस स्थिति में यात्री पॉलिसी के कॉन्ट्रैक्ट में दिए गए निर्देेशों को ध्यान में रखें.
- ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले यात्री पॉलिसी के कॉन्ट्रैक्ट को अच्छी तरह से पढ़ लें कि उसमें क्या-क्या सुविधाएं शामिल की गई हैं. उदाहरण के लिए- बहुत-सी बीमा कंपनियां एडवेंचर स्पोर्ट्स और ऐसे खेलों को कवर नहीं करती हैं, जिनमें नेचुरल डेथ होने का संभावना होती है. इन सब नियम-निर्देशों जानने के बाद ही यात्री ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी लें.
ऑनलाइन ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी भी लेना है आसान
अगर आप टेक्नो फ्रेंडली हैं, तो आपके लिए ऑनलाइन ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बहुत आसान है. कुछ ही मिनटों में सारी प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी करके आप ट्रैवल इंश्योरेंस ले सकते हैं. ऑनलाइन ट्रैवल इंश्योरेंस इंस्टेंट प्रोसीज़र है, जिसे आप अपनी यात्रा शुरू करने से पहले हवाई अड्डे पर मौजूद रहकर भी पूरा कर सकते हैं.
यात्री क्या-क्या कवर कर सकते हैं ट्रैवल इंश्योरेंस में?
- उड़ानों में देरी होना या उनके कैंसल होने पर यात्रा में देरी होती है. ऐसी स्थिति में ट्रैवल इंश्योरेंस बहुत मददगार साबित होता है.
- यात्रा में देरी होने के अलावा उस दौरान खाने-पीने में होनेवाले ख़र्च और होटल में रुकने का ख़र्च भी ट्रैवल इंश्योरेंस में कवर होता है.
- सफ़र में अगर किसी यात्री का सामान खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो इसे भी ट्रैवल इंश्योरेंस में कवर किया जाता है.
- यात्रा के दौरान यदि परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है या किसी का एक्सीडेंट हो जाता है, तो अस्पताल का सारा ख़र्च, जैसे- अस्पताल का बिल, डॉक्टर की फीस, मेडिकल जांच (एक्स-रे आदि) के बिल भी ट्रैवल इंश्योरेंस में कवर होता है.
- यात्रा के दौरान यदि किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो इस स्थिति को भी ट्रैवल इंश्योरेंस में कवर किया जा सकता है. जिन परिस्थितियों में यात्री की मृत्यु होती है, उसी के अनुसार कवरेज मिलता है.
– देवांश शर्मा
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अपनी ज़िंदगी को सिक्योर करने के लिए लोग समय-समय पर अपने हिसाब से सेविंग करते हैं, ताकि उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े. अपनों के सुरक्षित भविष्य के लिए लोग कई तरह के इंश्योरेंस प्लान लेते हैं. जीवन के किस मोड़ पर आपको इंश्योरेंस की ज़्यादा ज़रूरत होती है? आइए हम आपको बताते हैं.
शादी के समय
समय के साथ प्राथमिकताएं बदल गई है, इसलिए दोनों पार्टनर का वर्किंग होना ज़रूरी है. दोनों के वर्किंग होने के बाद भी घर को सामान्य रूप से चलाना और लाइफ को एंजॉय करना आजकल मुशिकल होता जा रहा है. शादी के बाद भले ही आपका पार्टनर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है, लेकिन भविष्य के लिए अनिश्चित होता है. अत: शादी के बाद अपने और अपने पार्टनर के सुरक्षित भविष्य के लिए शादी के बाद अच्छी इंश्योरेंस पॉलिसी लें. इससे अपा दोनों का कल सुरक्षित रहेगा और टेंशन फ्री होकर आप अपनी लाइफ एंजॉय कर सकेंगे.
पैरेंट्स बनने पर
शादी होने के बाद भी कपल्स को अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास नहीं होता. इसका कारण है दोनों का वर्किंग होना. लेकिन जब आप पैरेंट्स बन जाते हैं, तो ज़िम्मेदारियां और भी बड़ जाती हैं. भविष्य में आपके बच्चे को कोई तकलीफ़ न हो, इसलिए ऐसी पॉलिसी ले, जो उसके भविष्य के लिए बेहतर हो.
पैरेंट्स के रिटायरमेंट पर
आप अपने पैरेंट्स की वजह से यहां तक पहुंचे हैं. इसलिए उनके रिटायरमेंट के बाद उनकी ज़िम्मेदारी भी आप पर आ जाती है. ऐसे में आपका बोझ बढ़ सकता है. अत: बेहतर होगा कि आप कोई एडिशनल इंश्योरेंस लें, जिससे आपको मदद मिल सके.
जब लेना हो बड़ा लोन
पैसों की कमी के कारण लोगों को हर सामान ईएम आई पर लेने पर लेना पड़ता है. ऐसे में अगर कल को आपकी जॉब चली जाए, तो भारी-भरकम लोन की किश्त भरना आपके परिवार के लिए संभव नहीं है. अत: समझदारी इसी में है कि लोन अमाउंट के बराबर ही काई इंश्योरेंस कवर लें, ताकि भविष्य में आपके अपनों को कोई तकलीफ न हो.
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नया व्यवसाय शुरू करने पर
यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पैसे की ज़रूरत पड़ेगी. ऐसे में फायनेशियली स्ट्रॉन्ग न होने पर आपको कई तरह की दिक्कतें आती है. इस समय पर कोई ऐसी पॉलिसी लें, जो आपके बिजनेस के लिए भी मददगार साबित हो.
बच्चों की हायर स्टडीज़ के लिए
पैरेंट्स बनने के बाद बच्चों के लिए कोई पॉलिसी लेना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है उनकी आगे की पढ़ाई के लिए भी प्लानिंग करना. इसकी तैयारी पहले से ही कर लें. अपनी आय का कुछ हिस्सा ऐसी पॉलिसी में लगाएं, जो आपके बच्चे की हायर स्टडीज़ में सहायक हो
जब आप हो सिंगल पैरेंट
सिंगल पैरेंटिंग किसी चुनौती से कम नहीं है. पार्टनर के न रहने पर बच्चे के प्रति आपकी ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहयोग के साथ ही आर्थिक मज़बूती भी आपको ही देनी पड़ती है. एक अच्छी पॉलिसी आपको सुखी रख सकती है, इसलिए बिना देर किए अपने बच्चे की ज़रूरत के अनुसार कोई पॉलिसी लें.
मेडिकल इंश्योरेंस लें
जीवन अनिश्चितकालीन होता है, इसलिए अपने परिवार को सुरक्षित बनाए रखने के लिए मेडिकल इंश्योरेंस ज़रूर लें. कुछ अनहोनी पर आपकी सैलरी प्रभावित नहीं होगी और जीवन सुचारू रूप से चलता रहेगा.
और भी पढ़ें: जब लें पॉलिसी ध्यान रखें इन बातों का
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जब भी हम बैंक में सेविंग्स अकाउंट खोलते हैं, म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं, प्रॉपर्टी/शेयर्स ख़रीदते हैं या फिर जीवन बीमा करवाते हैं, तो हर बार हमें ‘नॉमिनी’ अपॉइंट करना होता है. ज़्यादातर लोगों को यही ग़लतफ़हमी है कि उसकी मृत्यु के बाद सारी रक़म नॉमिनी को मिल जाएगी, जबकि ऐसा है नहीं. नॉमिनी स़िर्फ आपके पैसों का केयरटेकर होता है, न कि मालिक. तो क्यों ज़रूरी है नॉमिनी बनाना और क्या हैं उसके अधिकार, आइए जानते हैं.
कौन है नॉमिनी?
क़ानूनन नॉमिनी वह व्यक्ति है, जो आपकी मृत्यु के बाद कंपनी से मिली रक़म को आपके क़ानूनी वारिसों तक पहुंचाता है. वह क़ानूनन उस रक़म का मालिक नहीं होता, स़िर्फ एक ट्रस्ट होता है. सरल शब्दों में कहें, तो नॉमिनी एक केयरटेकर की तरह होता है, जो हमारे न रहने पर हमारी जमा-पूंजी को हमारे अपनों तक पहुंचाता है.
– अगर आपके अकाउंट के जॉइंट होल्डर्स हैं या फिर आपने वसीयत बनाई है, तो वसीयत के मुताबिक़ सारी जमा-पूंजी आपके क़ानूनी वारिस में बांट दी जाएगी. पर अगर आपने अपने क़ानूनी वारिस को ही अपना नॉमिनी बनाया है, तो उसके लिए चीज़ें आसान हो जाती हैं.
– मान लीजिए कि आपने अपनी पत्नी को सब जगह नॉमिनी बनाया है और वह आपकी क़ानूनी वारिस भी है, पर आपकी मृत्यु के बाद सब कुछ उसी को नहीं मिलेगा, जो भी आपकी जमा-पूंजी होगी, वह आपकी पत्नी और बच्चों में बराबर बंटेगी, लेकिन अगर आपने अपनी वसीयत में यह लिख दिया है कि मेरी पत्नी को फलां-फलां हिस्सा मिलेगा, तो क़ानूनन बाध्य हो जाता है, जिस पर आपके बच्चे क्लेम नहीं कर सकते.
क्या है नॉमिनी का रोल व अधिकार?
नॉमिनी का अहम् रोल उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद ही शुरू होता है. इंश्योरेंस कंपनी से इंश्योरेंस के पैसे निकालना बहुत ही पेचीदा होता है. कई क़ानूनी दस्तावेज़ों के बावजूद कई बार पैसा लंबे समय तक अटका रहता है, ऐसे में नॉमिनी के रहने से यह प्रक्रिया आसान हो जाती है. नॉमिनी बनाए ही इसीलिए जाते हैं, ताकि आपके न रहने पर आपके अपनों को इन क़ानूनी झंझटों का सामना न करना पड़े.
किसे और कैसे करें अपॉइंट?
आप अपने परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को नॉमिनी अपॉइंट कर सकते हैं. जब भी आप प्रॉपर्टी, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड्स, स्टॉक्स, बैंक डिपॉज़िट्स आदि में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको एप्लीकेशन के साथ-साथ एक और फॉर्म दिया जाता है, जहां आप अपने नॉमिनी के बारे में जानकारी देते हैं. कहीं-कहीं इसके लिए 1 या 2 गवाहों की ज़रूरत भी पड़ती है.
कहां-कहां बनाते हैं नॉमिनी?
जीवन बीमा: पॉलिसी होल्डर अपने माता/पिता, पति/पत्नी या फिर बच्चों को नॉमिनी बनाते हैं, तो वो अपने आप बेनीफीशियल नॉमिनी बन जाते हैं. इसलिए जीवन बीमा में हमेशा अपने क़ानूनी वारिस को ही नॉमिनी बनाएं. इसमें आप एक से ज़्यादा नॉमिनी अपॉइंट कर सकते हैं.
बैंक अकाउंट: बैंक डिपॉज़िट अकाउंट या फिर लॉकर अकाउंट के लिए भी अपने किसी क़रीबी को नॉमिनी बना सकते हैं. यहां पर एक छूट है कि आप अपने किसी भरोसेमंद दोस्त को भी अपना नॉमिनी बना सकते हैं, ज़रूरी नहीं कि वो आपका क़ानूनी वारिस ही हो. लेकिन आप किसी एक व्यक्ति को ही नॉमिनी बना सकते हैं. यहां मल्टीपल नॉमिनी का ऑप्शन नहीं है. अगर जॉइंट अकाउंट हो, तो दूसरे होल्डर को अमाउंट मिलेगा और उसके ना रहने पर नॉमिनी को.
फिक्स्ड डिपॉज़िट: एफडी में इन्वेस्ट करते समय भी आपको किसी को नॉमिनी बनाना पड़ता है. यहां भी केवल किसी एक व्यक्ति को ही नॉमिनी बनाया जा सकता है.
डीमैट अकाउंट: शेयर्स और सिक्योरिटीज़ के इन्वेस्टमेंट डीमैट अकाउंट के ज़रिए किए जाते हैं. इसके लिए आप मल्टीपल नॉमिनी नियुक्त कर सकते हैं. यहां नॉमिनी स़िर्फ केयरटेकर नहीं, बल्कि मालिक होता है. उसे क़ानूनी वारिस को शेयर्स ट्रांसफर नहीं करने होते.
म्यूचुअल फंड: यहां आप तीन लोगों को अपना नॉमिनी बना सकते हैं. आप चाहें तो उनके लिए शेयर्स भी बांट सकते हैं. उदाहरण के लिए आप अपनी पत्नी और दो बच्चों को नॉमिनी बना सकते हैं. पत्नी को 50% और बच्चों को 25-25% शेयर्स दे सकते हैं.
प्रॉपर्टी: प्रॉपर्टी के मामले में वसीयत और सक्सेशन लॉ काम करते हैं, नॉमिनी की कोई ख़ास भूमिका नहीं होती. पर हां, अगर आप किसी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रहते हैं, तो आपको नॉमिनी नियुक्त करना ज़रूरी होता है, क्योंकि सोसाइटी में आप किसी एक फ्लैट में रहते हैं, जो एक बड़ी यूनिट है. इसलिए यहां नॉमिनी बनाना ज़रूरी हो जाता है.
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नॉमिनी से जुड़े 5 ज़रूरी सवाल-जवाब
नॉमिनी अपॉइंट करते समय आपके ज़ेहन में भी कई सवाल आएंगे, इसलिए ज़रूरी है कि पहले उन सभी सवालों को सुलझा लें.
1. क्या नाबालिग नॉमिनी बन सकता है?
जी हां, 18 साल से कम उम्रवाले को भी नॉमिनी बनाया जा सकता है, लेकिन उसके साथ आपको कोई गार्जियन भी अपॉइंट करना पड़ेगा. उदाहरण के लिए आप अपने बच्चे को अपना नॉमिनी बनाकर पत्नी को गार्जियन बना सकते हैं. और चूंकि दोनों ही आपके क़ानूनी वारिस हैं, तो आपके जाने के बाद कोई क़ानूनी समस्या भी नहीं आएगी.
2. क्या एक से ज़्यादा नॉमिनी हो सकते हैं?
आप चाहें, तो एक से ज़्यादा लोगों को अपना नॉमिनी बना सकते हैं और अगर चाहें तो उनके लिए शेयर्स भी बांट सकते हैं.
3. क्या नॉमिनी बदल सकते हैं?
आप जब चाहें, जितनी बार चाहें नॉमिनी बदल सकते हैं. इसके लिए आपको स़िर्फ एक फॉर्म भरकर देना होगा और आपका नॉमिनी बदल जाएगा. यह पूरी तरह आपका अधिकार है.
4. नॉमिनी बनाने पर भी क्या वसीयत बनानी ज़रूरी है?
बिल्कुल. नॉमिनी सिर्फ़ आपकी संपत्ति का रखवाला है, लेकिन उसका मालिक वही होता है, जिसको आपने अपनी वसीयत में अधिकार दिया है. मान लीजिए कि आपने अपनी जीवन बीमा में मां को नॉमिनी बनाया, तो आपके न रहने पर मां को बीमा की सारी रक़म मिलेगी, पर वो उन्हें आपकी पत्नी और बच्चों के साथ बांटनी होगी और अगर आपने अपनी वसीयत में वो रक़म मां के नाम लिखी है, तो उस पर स़िर्फ मां का अधिकार होगा, इसलिए नॉमिनी के साथ-साथ वसीयत बनानी भी बहुत ज़रूरी है.
5. वसीयत न होने पर नॉमिनी संपत्ति किसे देगा?
ऐसे भी कई मामले सामने आते हैं, जहां नॉमिनी तो बना दिया जाता है, पर व्यक्ति की कोई वसीयत नहीं होती, ऐसे में उस संपत्ति का बंटवारा इंडियन सक्सेशन लॉ, हिंदू लॉ और मोहम्मडन लॉ के अनुसार किया जाता है.
जानें अपने रेलवे इंश्योरेंस नॉमिनी को भी
– हमारे देश में एक बहुत बड़ा तबका रेलवे से सफ़र करता है, पर यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि रेलवे किसी भी तरह के हादसे के व़क्त लोगों को इंश्योरेंस देता है.
– आईआरसीटीसी की वेबसाइट से जब आप टिकट बुक करते हैं, तो अंत में इंश्योरेंस का एक कॉलम होता है, जिसे बहुत से लोग अनदेखा कर देते हैं. इंश्योरेंस पर टिक करने से आपके खाते से महज़ 95 पैसे इंश्योरेंस में जाते हैं, पर आपको 10 लाख तक का इंश्योरेंस कवर मिलता है.
– यहां भी आपको नॉमिनी सिलेक्ट करना ज़रूरी होता है.
– आईआरसीटीसी की तरफ़ से आपको नॉमिनेशन के लिए मैसेज भी आता है, जिसके लिंक पर जाकर आपको अपना नॉमिनी नियुक्त करना होता है.
– हालांकि यह सुविधा 5 साल से छोटे बच्चों और विदेशी पर्यटकों के लिए नहीं है.
– अगर हादसे में व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो 10 लाख रुपए, परमानेंट या पार्शियल डिसेबिलिटी के लिए 7.5 लाख और हॉस्पिटलाइज़ेशन के लिए 2 लाख का कवर मिलता है.
– सबसे ज़रूरी बात नॉमिनी को हादसे के 4 महीने के भीतर इंश्योरेंस क्लेम करना होता है.
– अनीता सिंह
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आपके जाने के बाद भी आपके परिवार को जीवन में किसी दूसरे के सामने हाथ न फैलाना हो और वो एक सही तरह का जीवन जी सकें इसके लिए आप कई तरह के इंश्योरेंस करवाते हैं. ख़ुद के बाद अगर किसी पर सही भरोसा करते हैं, तो वो है बीमा. हर व्यक्ति अपनों की चाह और सुखी जीवन के लिए कई तरह की बीमा योजना करता है, लेकिन कई बार सही तरह से उसकी पूरी जानकारी न होने पर आगे चलकर परेशानी हो सकती है. बीमा से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातों का विशेष ध्यान रखें.
इंश्योरेंस कंपनी के बारे में जानें
किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर लें. कई बार ऐसा होता है कि इंश्योरेंस मेच्यौर होने पर भी कंपनी इंश्योरेंस का अमाउंट देने पर कई तरह से परेशान करती है. ऐसे में आपके जाने के बाद आपकी फैमिली को कई तरह से परेशान होना पड़ सकता है. इस परेशानी से बचने के लिए पॉलिसी लेने से पहले अच्छी तरह बीमा कंपनी, उसके इतिहास, पॉलिसियों, नियमों आदि के बारे में सही तरह से जांच-पड़ताल कर लें.
सही राशि के बारे में जानें
इंश्योरेंस करवाते समय अपनी इनकम का ध्यान ज़रूर रखें. आपकी आय में से कितना हिस्सा आप बीमा में ख़र्च कर सकते हैं, उसके अनुसार ही पॉलिसी ख़रीदें. बिना सोचे-समझे भारी-भरकम पॉलिसी आपके बजट को बिगाड़ सकती है. अपने घर के बाकी ख़र्च और आने वाली तमाम योजनाओं के बारे में पूरी तरह से जानने के बाद ही एक सही पॉलिसी पर ख़र्च करें.
प्रिमियम का भुगतान
सही कंपनी जानने और पॉलिसी लेने के बाद ही आपकी ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हो जाती. इससे भी ज़रूरी होता है कि आप पॉलिसी के प्रिमियम के भुगतान की सही जानकारी रखें. मंथली, क्वाटर्ली, हाफ इयर्ली या फिर इयर्ली, आपको जिसमें सुविधा हो उसी तरह के प्रिमियम के भुगतान का चुनाव करें.
अतिरिक्त प्रस्तावों की जानकारी
इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़े अतिरिक्त प्रस्तावों (राइडर्स) और उन पर आने वाली लागत की पड़ताल करें. बीमा कंपनी की ओर से कोई राइडर नहीं है, तो अपनी ओर से अनुरोध करें और देखें कि कंपनी उसे स्वाकार करती है या नहीं.
ज़्यादा पॉलिसी न ख़रीदें
कुछ लोग टैक्स बचाने के चक्कर में कई इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीद लेते हैं. ज़रूरत से ज़्यादा पॉलिसी लेने में कोई समझदारी नहीं है. एक समय में कई पॉलिसी को मैनेज करना आसान नहीं होता. हर पॉलिसी से जुड़ी जानकारी को याद रखना मुश्किल होता है. उदाहरण के लिए किसी पॉलिसी का प्रिमियम कब भरना है और उसकी मेच्यौरिटी कब होगी आदि बातें आपको परेशान कर सकती हैं.
एक्सपर्ट की सलाह
आपकी आय और आवश्यकता के अनुसार आपके लिए कौन-सी पॉलिसी सही होगी? इसकी जानकारी के लिए आप किसी एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं. अपनी ज़रूरतों को उसे बताकर आप अपनी सुविधानुसार एक अच्छी पॉलिसी का चुनाव कर सकते हैं, जिससे आपका बजट और मूट भी ख़राब न हो और जीवन भी सुरक्षित रहे
एजेंट के बहकावे में न आएं
आपने भी ऐसा महसूस किया होगा कि पॉलिसी लेने की आपकी चाह को जान लेने के बाद कई एजेंट आपके आगे-पीछे घूमने लगते हैं. वो कई तरह के लुभावने प्रस्ताव आपके सामने रखते हैं. आपको रिझाने के लिए वो कई बार आपको फोन करते हैं और पॉलिसी के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बात करते हैं. एक बार अगर आपने उनसे पॉलिसी ले ली तो बाद में वो आपकी किसी भी बात का सही तरह से जवाब भी नहीं देते. जिस पॉलिसी के बारे में वो आपको समझाते हैं वास्तविकत में वो होती ही नहीं. इस तरह के एजेंट से बचिए और ख़ुद सोच-समझकर ही पॉलिसी लीजिए.
ऑनलाइन ख़रीदने से बचें
आजकल आपके इनबॉक्स में कई तरह की कंपनियां अपनी लुभावनी पॉलिसी के बारे में देती हैं, लेकिन बेहतर होगा कि कभी भी ऑनलाइन पॉलिसी न लें. इंटरनेट का सही उपयोग करें. जिस पॉलिसी के बारे में दिया गया है उसे पहले इंटरनेट पर सर्च करें. उसके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करें और जिस कंपनी से आपको पॉलिसी लेनी है उसके कस्टमर केयर में फोन करके उनके एजेंट को घर पर आने को कहें. इससे आप अच्छी तरह से पॉलिसी को समझने में भी सफल होंगे और अपने मन में उठने वाले सवालों के जवाब भी मांग सकेंगे.
ध्यान से पढ़ें दस्तावेज
किसी भी तरह की पॉलिसी लेने से पॉलिसी दस्तावेज को पूरा पढ़ें. जल्दबाज़ी में कभी भी पॉलिसी की जानकारी न पढ़ें. अच्छी तरह से पढ़कर और थोड़ा-सा अतिरिक्त समय देकर आप लंबी अवधि में बड़ा लाभ उठा सकते हैं और बीमा कंपनी के साथ भविष्य में होने वाले किसी विवाद से बच सकते हैं.