Close

कविता- दूर पर साथ साथ… (Poetry- Dur Par Sath Sath…)

भोर के सफ़ेद मखमली कोहरे में
हम एक साथ खड़े थे
यह सत्य अंकित है मेरे स्मृति पटल पर
ज्यों पाषाण पर खुदा
कोई ऐतिहासिक तथ्य

कोहरा छटने पर
हम सेतु के दो छोरों पर खड़े हैं
और हमारे बीच है
तेज़ बहती धारा
समय की

जो पुल को भी अपने साथ
बहा ले गई है
अपने बोध में ही तुम चल कर
उधर गए हो?
या
मैं ही स्वप्नवश
इधर आन पहुंची हूं?
कौन बताएगा?

हम फिर मिलेंगे
झूठा है यह आश्वासन
या
यह विश्वास
कि
शेष होगा कभी सरिता का जल
आओ
हम बहती नदी के दोनों किनारों पर
चलें
यात्रा के अंत तक
दूर पर साथ साथ…

Usha Wadhwa
उषा वघवा

यह भी पढ़े: Shayeri

सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का 12 अंक (फिज़िकल कॉपी) सिर्फ़ 999 में (840+159 रजिस्टर्ड पोस्ट/कुरियर व अन्य शुल्क) और पाएं 1000 का गिफ्ट कूपन और 12 डिजिटल अंक बिल्कुल फ्री

Photo Courtesy: Freepik

Share this article

कविता- शक्ति स्त्री की (Poetry- Shakti Stri Ki)

स्त्री शक्ति का अवतार है
वो प्रेम, ममता, वात्सलय
और स्नेह से मालामाल है
जगत को जीवन देने वाली
वो इस सृष्टि की पालनहार है
हर कर्तव्य पथ पर अडिग चलते जाना
कहे कुछ बिना बहुत कुछ कर जाना
हर परेशानी का मुस्कुराते हुए
सामना करते जाना
ये सब उसके संस्कार हैं
वो समाज का भविष्य बनाने वाली
हर परिस्थिति को अच्छे से संभालने वाली
वो निराकार ईश्वर का आकार है
त्याग की मूरत कहलाती
अपना सुख परिवार पर लुटाती
सबके लिए ख़ुद को भूल जाती
वो मानव जाति के लिए उपकार है…

- रिंकी श्रीवास्तव

Photo Courtesy: Freepik

यह भी पढ़े: Shayeri

Share this article

कविता- वह जो स्त्री है… (Poetry- Woh Jo Stri Hai…)

वह जो स्त्री है
उसे तुमने देखा है क्या?
जाने दो
तुम जिसे देख रहे हो
और देखना समझ रहे हो
उसे एक बार ध्यान से देख लेना
हो सके तो
देखने की कोशिश करना उसे
अभी समझने की बात मत करना
इंसान हो कर भी
अभी तुम उसे समझने से बहुत दूर हो
वह जो स्त्री है
जिसे तुम देखने, समझने और
जानने का दावा करते हो
मुझे एक बार तुम्हारे उस देखने और जानने पर
संदेह होता है
हो सके तो
मेरे कहने के बाद एक बार फिर
देख लो स्त्री को
कहीं ऐसा न हो
जब तुम उसे देखने की कोशिश करो
वह तुम्हारी ज़िंदगी से जा चुकी हो
और तब तुम
सिर्फ़ उसके कदमों के निशा
ख़्वाबों ख़्यालों में ढूढ़ते
अपनी उम्र गुज़ार दो
तब तुम्हारे पास
सिर्फ़ शिकायतें होंगी
ढेर सारी शिकायतें
जिनमें फिर तुम
न जाने किस किस को दोष देते फिरोगो
सिर्फ़ ख़ुद को छोड़ कर
अब भी वक़्त है
देख सकते हो स्त्री को
तो देख लो
क्योंकि
तुम जिसे अपने नज़रिए से
जानते देखते सुनते और समझते हो
कम से कम वह स्त्री नहीं है
उसे देखने के लिए
कम से कम तुम्हें कुछ देर ही सही
उसकी भावनाओं व विचारों के साथ जीना होगा
क्योंकि स्त्री सब कुछ कहती नहीं है…

मुरली मनोहर श्रीवास्तव

यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

Share this article

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष पद्य- बिगड़ता पर्यावरण (Poetry- Bigadta Paryavaran)

सर्व प्रदूषण दूर हो, खुल कर लेवें सांस।
स्वच्छ जगत फिर से बने, रहे न मन में फांस।।

जहां कहीं भी नज़रें जातीं, वहीं प्रदूषण की भरमार।
आँख मूंद कर हुई प्रगति ने, बदल दिया जग का व्यापार।।

पॉलिथीन प्लास्टिक कचरे से, हमको मिलती नहीं निजात।
नष्ट नहीं होता यह वर्षों, लगता जाता है अम्बार।।

सस्ता सुलभ भले लगता है, कौन सहेगा इसकी हानि।
बीमारी के बीज छिपे हैं, जो दुख देते हमें अपार।।

उड़-उड़ कर हर कोने पहुंचे, खाकर मरतीं कितनी गाय।
अगर जलाते गैसें बनतीं, जिनसे मचता हाहाकार।।

आज शपथ यह लेनी मिल कर, नहीं करेंगे अब उपयोग।
प्लास्टिक मुक्त बने भूमंडल, बदलेगा फिर से संसार।।

चलो बनाएं मिल सभी, धरती स्वर्ग समान।
स्वस्थ्य प्रगति चहुँ दिशि करे, रचें नया विज्ञान।।

कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट

Share this article

काव्य: सिर्फ़ तुम… (Poetry: Sirf Tum…)

सर्द मौसम में सुबह की गुनगुनी धूप जैसी तुम… 

तपते रेगिस्तान में पानी की बूंद जैसी तुम…

सुबह-सुबह नर्म गुलाब पर बिखरी ओस जैसी तुम…

हर शाम आंगन में महकती रातरानी सी तुम…

मैं अगर गुल हूं तो गुलमोहर जैसी तुम… 

मैं मुसाफ़िर, मेरी मंज़िल सी तुम…

ज़माने की दुशवारियों के बीच मेरे दर्द को पनाह देती तुम…

मेरी नींदों में हसीन ख़्वाबों सी तुम… 

मेरी जागती आंखों में ज़िंदगी की उम्मीदों सी तुम… 

मैं ज़र्रा, मुझे तराशती सी तुम… 

मैं भटकता राही, मुझे तलाशती सी तुम… 

मैं इश्क़, मुझमें सिमटती सी तुम… 

मैं टूटा-बिखरा अधूरा सा, मुझे मुकम्मल करती सी तुम… 

मैं अब मैं कहां, मुझमें भी हो तुम… बस तुम… सिर्फ़ तुम!

गीता शर्मा

Share this article

काव्य: मुहब्बत के ज़माने… (Poetry: Mohabbat Ke Zamane)

खामोशी के साये में खोए हुए लफ़्ज़ हैं… रूमानियत की आग़ोश में जैसे एक रात है सोई सी…

 सांसों की हरारत है, पिघलती सी धड़कनें… जागती आंखों ने ही कुछरूमानी से सपने बुने… 

मेरे लिहाफ़ पर एक बोसा रख दिया था जब तुमने, उसके एहसास आज भी महक रहे हैं… मेरी पलकों पर जब तुमने पलकें झुकाई थीं, उसे याद कर आज भी कदम बहक रहे हैं…

लबों ने लबों से कुछ कहा तो नहीं था, पर आंखों ने आंखों की बात पढ़ ली थी, वीरान से दिल के शहर में हमने अपनी इश्क़ की एक कहानी गढ़ ली थी… 

आज भी वोमोड़ वहीं पड़े हैं, जहां तुमने मुझसे पहली बार नज़रें मिलाई थीं, वो गुलमोहर के पेड़ अब भी वहीं खड़े हैं जहां तुमने अपनेहोंठों से वो मीठी बात सुनाई थी… 

आज फिर तुम्हारी आवाज़ सुनाई दी है, आज फिर प्यार के मौसम ने अंगड़ाई ली है, तुम्हारे सजदे में में सिर झुकाए आज भी बैठा हुआ हूं, तुम्हारी संदली ख़ुशबू से मैं आज भी महका हुआ हूं… 

आ जाओ किमौसम अब सुहाने आ गए, हवा में रूमानियत और मेरी ज़िंदगी में मुहब्बत के ज़माने आ गए!

गीता शर्मा

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Share this article

कविता: …फिर याद आए फुर्सत के वो लम्हे और चंद दोस्त! (Poetry: Phir Yaad Aaye Fursat Ke Wo Lamhe Aur Chand Dost)

आज फिर याद आने लगे हैं फ़ुर्सत के वो लम्हे, जिन्हें बड़ी मसरूफ़ियत से जिया था हमने… 

चंद दोस्त थे और बीच में एक टेबल, एक ही ग्लास से जाम पिया था हमने… 

न पीनेवालों ने कटिंग चाय और बन से काम चलाया था, यारों की महफ़िल ने खूब रंग जमाया था… 

हंसते-खिलखिलाते चेहरों ने कई ज़ख्मों को प्यार से सहलाया था… 

जेब ख़ाली हुआ करती थी तब, पर दिल बड़े थे… शरारतें और मस्तियां तब ज़्यादा हुआ करती थीं, जब नियम कड़े थे… 

आज पत्थर हो चले हैं दिल सबके, झूठी है लबों पर मुस्कान भी…  चंद पैसों के लिए अपनी नियत बेचते देखा है हमने उनको भी, जिनकी अंगूठियों में हीरे जड़े थे… 

माना कि लौटकर नहीं आते हैं वो पुराने दिन, पर सच कहें तो ये ज़िंदगी कोई ज़िंदगी नहीं दोस्तों तुम्हारे बिन… 

Poetry

जेब में पैसा है पर ज़िंदगी में प्यार नहीं है… कहने को हमसफ़र तो है पर तुम्हारे जैसा यार नहीं…

वक़्त आगे बढ़ गया पर ज़िंदगी पीछे छूट गई, लगता है मानो सारी ख़ुशियां जैसे रूठ गई…

कामयाबी की झूठी शान और नक़ली मुस्कान होंठों पर लिए फिरते हैं अब हम… अपनी फटिचरी के उन अमीर दिनों को नम आंखों से खूब याद किया करते हैं हम… 

  • गीता शर्मा

Share this article

काव्य- ख़ामोशियां (Kavya- Khamoshiyan)

मेरी आवाज़
ख़ामोशियों में कही जा रही
मेरी बात का
पर्याय नहीं है
बल्कि वह तो
ख़ामोशियों में चल रही पूर्णता
की अभिव्यक्ति का
अधूरा आईना है
ख़ामोशी मल्टी डायमेंशनल है
और आईना
अभी टू डी से आगे
नहीं देख पाता
वह भी इमेज को
रिवर्स कर के
इसलिए
शब्दों में कही मेरी बात
ख़ामोशियों में कही हुई बात
को नापने का पैमाना नहीं है
रही ख़ामोशियां पढ़ने की बात
तो यह
मैं
तुम्हारे चेहरे पर
बख़ूबी पढ़ लेता हूं
मेरी ख़ामोशी कौन पढ़ता है
यह मुझे नहीं पता…

- मुरली

Kavya


यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

Share this article

काव्य- विरही मन… (Kavya- Virahi Mann…)

दुख में भीगे मन के काग़ज़
सूख गयी कलम की स्याही
बीच विरह की लंबी रात है
कैसे मिलन के गीत लिखूँ

एक छोर पर तुम बह रहे
एक छोर पर मेरी धारा
दो दिशाओं में दोनों के मन
कैसे किनारों का गठबंधन लिखूँ

विकल उधर तुम्हारे प्राण है
व्याकुल इधर मेरा अंतर्मन
अश्रुओं से धुँधलाए नयन हैं
कैसे प्रेम के ढाई आखर लिखूँ

कितनी पीड़ा भरी हृदय में
साँसें रुक सी जाती हैं
रोम-रोम विरह में तपता
कहो कैसे श्रृंगार लिखूँ

इन नयनों को दरस दे जाओ
तप्त हृदय को छाँह मिले
आलिंगन से पावन कर दो
जीवन तुम्हारे नाम लिखूँ

Dr. Vinita Rahurikar
विनीता राहुरीकर

यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

Share this article

काव्या ने इस मामले में कोमोलिका को भी छोड़ा पीछे, जीत लिया ये खिताब (Kavya Also Left Komolika Behind In This Matter, Won This Title)

टीवी सीरियल 'अनुपमा' हमेशा टीआरपी की लिस्ट में टॉप पर बना रहता है. सीरियल में लीड रोल प्ले करने वाली रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) को ऑडियंस का प्यार भर-भर के मिलता है. तो वहीं नेगेटिव रोल प्ले करने वाली मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) भी लोगों का प्यार पाने में पीछे नहीं है. तभी तो मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) को एक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. जिसे पाकर वो काफी खुश हैं. 

Madalsa Sharma
फोटो सौजन्य - इंस्टाग्राम

हाल ही में मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर अपनी एक तस्वीर शेयर की है. तस्वीरों में उन्होंने एक अवॉर्ड अपने हाथ में पकड़ा हुआ है. फोटोज शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने बताया है कि उन्हें ये अवॉर्ड बेस्ट खलनायिका के लिए मिला है. बता दें कि मदालसा को ये अवार्ड इंटरनेशनल आइकॉनिक अवार्ड्स द्वारा प्रदान किया गया है. 

ये भी पढ़ें : करण के सामने इमोशनल हुईं शमिता शेट्टी, ‘शिल्पा शेट्टी की बहन’ वाली पहचान पर छलका दर्द- सालों से ढो रही हूं (Shamita Shetty Becomes Emotional In Front Of Karan, Has Been Carrying Pain Over The Identity Of ‘Shilpa Shetty’s Sister’- For Years)

https://www.instagram.com/p/CSqs-6hIkB_/

मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) को मिलने वाले इस सम्मान के लिए हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है. उनके चाहने वालों ने उनके लिए खुशी जाहिर की है.    

ये भी पढ़ें : मयूरी देशमुख ने दिवंगत पति के लिए लिखी इमोशनल कविता, फैंस का भी भर आया दिल (Mayuri Deshmukh Wrote An Emotional Poem For Her Late Husband, Fans Were Also Heart Broken)

Madalsa Sharma
फोटो सौजन्य - इंस्टाग्राम
Madalsa Sharma
फोटो सौजन्य - इंस्टाग्राम

बता दें कि मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) ना सिर्फ हिंदी बल्कि उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों में भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है. मदालसा की मां शीला शर्मा ने भी कई हिंदी फिल्मों में काम किया है. जिनमें 'हम साथ-साथ' हैं, 'चोरी-चोरी चुपके-चुपके' और 'नदिया के पार' जैसी फिल्में शामिल हैं. फिल्मों के अलावा शीला शर्मा 'दिल्ली वाली ठाकुर गर्ल्स', 'इश्क एक जुनून' और 'माता की चौकी' जैसे शोज में भी काम कर चुकी हैं. 

ये भी पढ़ें : निया शर्मा ने फिर पार की बोल्डनेस की हद, ओपन जैकेट में लगाया हॉटनेस का जबरदस्त तड़का (Nia Sharma Again Crossed The Limits Of Boldness, Put A Tremendous Amount Of Hotness In The Open Jacket)

Madalsa Sharma
फोटो सौजन्य - इंस्टाग्राम
Madalsa Sharma
फोटो सौजन्य - इंस्टाग्राम

मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) ने तेलुगु फिल्म 'फिटिंग मास्टर' से साल 2009 में अपने करियर की शुरुआत की थी. वहीं फिल्म 'जंगल' से उन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा था. हालांकि बड़े पर्दे पर उनका सफर ज्यादा अच्छा नहीं रहा. ऐसे में उन्होंने टीवी की ओर रुख किया. आज के समय में उन्होंने टीवी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना ली है. 

Share this article

नज़्म- एहसास (Nazam- Ehsaas)