महिलाएं खाना बनाने में निपुण होती हैं, पर अक्सर खाना बनाते समय वे ऐसी ग़लतियां कर बैठती हैं, जिससे भोजन के अधिकतर पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और भोजन का स्वाद भी कम हो जाता है. हम यहां पर ऐसी ही कुछ आम ग़लतियों के बारे में बता रहें है, जिससे महिलाएं अपनी कुकिंग संबंधी आदतों में सुधार कर सकती हैं.
मिस्टेक: खाने में अधिक तेल डालने से खाना स्वादिष्ट बनता है. सोल्यूशन: अधिक महिलाओं का ऐसा माना है कि अधिक तेल डालने से भोजन का स्वाद बढ़ जाता है. यह सरासर उनकी भूल है. कार्डियोलॉजिस्ट का मानना है कि भोजन में अधिक तेल का इस्तेमाल करने से मोटापा, ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी बीमारियां हो सकती है. खाने में कुकिंग ऑयल की जगह ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें. यदि फ्राइड खाने के शौक़ीन हैं, तो भी कुकिंग ऑयल की जगह ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें.
मिस्टेक: स्नैक्स को डीप फ्राई करने के बाद ऑयल को दोबारा इस्तेमाल करना. सोल्यूशन: कुकिंग करने का सबसे अनहेल्दी तरीक़ा है डीप फ्राइंग करना. डीप फ्राई स्नैक्स खाने से वज़न बढ़ता है और मोटापा भी. इसके अलावा अधिकतर महिलाओं की यह आदत होती हैं कि वे फ्राइड फूड बनाने के बाद बचे हुए तेल को कई बार गरम करती हैं. इस तेल को दोबारा तेज़ आंच पर गरम करने से तेल का ट्रांस-फैट बढ़ता है और अधिक मात्रा में ट्रांस फैट का सेवन करने मोटापा, ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी बीमारियां होने की संभावना होती है.
मिस्टेक: सब्ज़ियां और स्प्राउट्स उबालने के बाद उनके पानी को फेंक देना. सोल्यूशन: उबले हुए स्प्राउट्स और सब्ज़ियों में ‘बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स’ प्रचूर मात्रा में होते हैं. अधिकतर ‘बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स’ वॉटर सोलुबल होते हैं. जब सब्ज़ियों और स्प्राउट्स को उबालकर उनका पानी निथारते हैं, तो ये ‘बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स’ बाहर निकल जाते हैं. इसलिए सब्ज़ियों व स्प्राउट्स को उबालने की बजाए भाप में पकाएं. यदि सब्ज़ियां, दाल और स्प्राउट्स को उबालकर ही इस्तेमाल करना है, तो उनके निथारे हुए पानी को फेंकें नहीं, बल्कि ग्रेवी के तौर पर दूसरी सब्ज़ियों में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त निथारे हुए पानी से आटा भी गूंध सकते हैं.
मिस्टेक: खाने से 4-5 घंटे पहले फलों को और सब्ज़ियों को बनाने से 5-6 घंटे पहले काटकर रखना. सोल्यूशन: फलों को खाने से और सब्ज़ियों को पकाने से थोड़ी देर पहले ही काटना चाहिए. फलों और सब्ज़ियों में ‘विटामिन सी’ और ‘बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स’ होते हैं. फलों और सब्ज़ियों को 5-6 घंटे पहले काटकर लाइट व हीट में रखने पर ‘विटामिन सी’ और ‘बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स’ नष्ट हो जाते हैं. समय का अभाव होने के कारण यदि फलों व सब्ज़ियों को काटकर रखना ही है, तो उन्हें फ्रिज में अच्छी तरह पैक करके या ढंककर रखें. ऐसा करके फलों व सब्ज़ियों में मौजूद विटामिन्स को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
मिस्टेक: खाना बनाते समय सही मेजरमेंट का यूज़ न करना. सोल्यूशन: खाना बनाते समय अधिकतर महिलाएं सही मेजरमेंट का प्रयोग नहीं करती और अंदाज़ से पानी, मसाले आदि डाल देती है, जिससे भोजन का स्वाद तो ख़राब होता ही है और खाना पकाने में भी अधिक समय लगता है. इसलिए खाना बनाते समय पानी या मसाले सही मेजरमेंट के अनुसार ही डालें.
मिस्टेक: कम क़ीमत पर सस्ता सामान ख़रीदना. सोल्यूशन: अमूमन महिलाओं में यह बुरी आदत होती है कि बचत करने के चक्कर में कई बार वे कम क़ीमत पर सामान की क्वालिटी चैक किए बिना ही मिलावटी व घटिया मसाले और दूसरे खाद्य पदार्थों को ख़रीद लेती हैं. इस तरह के मिलावटी मसालों व खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पूरे परिवार के स्वास्थ्य को नुक़सान हो सकता है. इसलिए मीट व चीज़ आदि ग्रासरी फूड व मसाले अच्छी जगह से ख़रीदें और उनकी एक्सपायरी डेट चेक करना न भूलें.
– पूनम नागेंद्र
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आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफ़ी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है, जो जीवन के लिए अति आवश्यक है. इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है. उदाहरण के द्वारा इसे और स्पष्ट किया जा सकता है- सड़क पर बायें ही क्यों चलते हैं, क्योंकि सड़क की बायीं ओर चलना आवागमन का एक सरल नियम है. नियम का उल्लंघन होने पर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. इसी तरह वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
वास्तु में रसोईघर के कुछ निर्धारित स्थान दिए गए हैं, इसलिए हमें रसोईघर वहीं पर बनाना चाहिए. वास्तुशास्त्र के अनुसार रसोईघर, चिमनी, भट्टी, धुएं की चिमनी आदि मकान के विशेष भाग में निर्धारित की जाती है, ताकि हवा का वेग धुएं तथा खाने की गंध को अन्य कमरों में न फैलाए तथा इससे घर में रहने व काम करनेवालों का स्वास्थ्य न बिगड़े.
रसोईघर की ग़लत दिशा
* यदि रसोईघर नैऋत्य कोण में हो तो यहां रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं.
* यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहां रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है. मन में शांति की कमी आती है और कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.
* यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहां रहने वालों को धन हानि होती है.
* यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं. साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी होती है.
* यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहां रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
* यदि रसोईघर से कुआं सटा हुआ होे तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी. अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी-मांदी रहेगी.
* रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है. वैसे यह उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है.
* यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते. ये लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं.
* यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहां रहने वालों का ़ज़्यादा नुक़सान नहीं होता है.
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिए या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिए. वैसे तो रसोईघर के लिए उत्तम दिशा आग्नेय ही है.
क्या करें, क्या न करें?
* उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं.
* रसोईघर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें.
* रसोई के बीचोंबीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि नहीं जलाएं और न ही रखें.
* कभी भी उत्तर दिशा की तरफ़ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए. स़िर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं.
* रसोई में तीन चकले न रखें, इससे घर में क्लेश हो सकता है.
* रसोई में हमेशा गुड़ रखना सुख-शांति का संकेत माना जाता है.
* टूटे-फूटे बर्तन भूलकर भी उपयोग में न लाएं, ऐसा करने से घर में अशांति का माहौल बना रहता है.
* अंधेरे में चूल्हा न जलाएं, इससे संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है.
* नमक के साथ या पास में हल्दी न रखें, ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है.
* रसोईघर में कभी न रोएं, ऐसा करने से अस्वस्थता बढ़ती है.
* रसोई घर पूर्व मुखी अर्थात् खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए. उत्तर मुखी रसोई खर्च ज़्यादा करवाती है.
* यदि आपका किचन आग्नेय या वायव्य कोण को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में हो, तो कम से कम वहां पर बर्नर की स्थिति आग्नेय अथवा वायव्य कोण की तरफ़ ही हो.
* रसोई घर की पवित्रता व स्वच्छता किसी मंदिर से कम नहीं होनी चाहिए. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है.
* रसोईघर हेतु दक्षिण-पूर्व क्षेत्र का प्रयोग उत्तम है, किन्तु जहां सुविधा न हो वहां विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का सदैव त्याग करना चाहिए.
वास्तु-दोष कैसे दूर करें?
– घर के द्वार पर आगे वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति को स्थान दें. बाहर की दीवारों पर हल्का हरा या पीला रंग लगवाएं.
– मुख्य द्वार पर वास्तु मंगलकारी यंत्र लगाएं.
– घर की मुख्य पूजा में गणपति को स्थान दें.
डायनिंग रूम
* डायनिंग एरिया में हल्का हरा या हल्का नीला रंग करें.
* डायनिंग टेबल पर या ग्रुप में बैठकर भोजन करते हों तो दिशाओं पर ध्यान न दें, पर घर के मुखिया या विशेष मेहमान का मुंह पूर्व दिशा में अवश्य होना चाहिए एवं वह स्थान कभी खाली नहीं रहना चाहिए. स्वामी के अभाव में उस ग्रुप में जो प्रमुख हो, वह वहां बैठे.
* पूर्व की ओर मुख करके खाने से मनुष्य की आयु बढ़ती है, दक्षिण की ओर मुख करके खाने से प्रेतत्व की प्राप्ति होती है, पश्चिम की ओर मुख करके खाने से मनुष्य रोगी होता है और उत्तर की ओर मुख करके खाने से आयु तथा धन की प्राप्ति होती है.
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यदि आप नया किचन बनाना या पुराने किचन का रिनोवेशन करना चाहती हैं, तो पहले किचन के डिजाइन और उसके लेआउट के बारे में अच्छी तरह से सोच-विचार कर लें.
यू शेप किचन
ये डिज़ाइन छोटे और बड़े दोनों तरह के किचन पर सूट करता है. इसमें गैस बर्नर, सिंक और रेफ्रीजरेटर ट्राइएंगुलर शेप में रखे जाते हैं. किचन के बीच में एक छोटा-सा टेबल भी बनवा सकती हैैं जिसमें काम करते हुए आप बच्चों का होमवर्क करा सकती हैं या ब्रेकफास्ट भी कर सकती हैं.
स्मार्ट टिप्स- यदि आपका किचन बहुत छोटा है तो ये डिज़ाइन सलेक्ट न करें, क्योंकि इससे किचन में काम करने में परेशानी हो सकती है. इससे बचने के लिए स्टोरेज को एकदम कॉर्नर में बनवाएं.
एल शेप किचन
ये किचन लेआउट संकरे, लंबे और ओपन किचन सबके लिए फायदेमंद हैं. इसमें किचन प्लेटफॉर्म के नीचे ही सारा स्टोरेज आ जाता है. जिससे काफ़ी जगह बच जाती है.
स्मार्ट टिप्स- ऐसे किचन में कॉर्नर पर ऊंचे स्टोरेज बनवाएं.
पैरलल किचन
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह सीधे रूम के लिए अच्छा विकल्प है, इसमें कैबिनेट्स पैरलल दीवार पर आ जाते हैं.
स्मार्ट टिप्स- इसमें चलने-फिरने के लिए बहुत कम जगह बचती है, क्योंकि सामने और पीछे दोनों तरफ़ कैबिनेट्स आ जाते हैं. इस डिज़ाइन का बेहतर उपयोग करना हो, तो ध्यान रहे कि चलने फिरने की जगह और कैबिनेट्स के बीच कम से कम 4 फीट का अंतर हो. इसलिए यह लेआउट ऐसे किचन के लिए बेहतर होता है, जो कम से कम 8 फुट चौड़ा हो.
सिंगल लाइन किचन
ये लेआउट बहुत छोटी जगह के लिए बेहतर होता है. इसमें बहुत से किचन उपकरण, जैसे माइक्रोवेव आदि दीवार पर फिट किए जाते हैं. जिससे काउंटर टॉप या किचन प्लेटफॉर्म के लिए काफ़ी जगह बच जाती है.
स्मार्ट टिप्स- जगह छोटी होने की वजह से खाना बनाते समय किचन प्लेटफॉर्म पर बहुत जल्दी चीजें जमा हो जाती हैं. इस तरह के लेआउट के लिए
कमरा कम से कम 6-7 फीट चौड़ा होना चाहिए, ताकि कैबिनेट्स आदि लगाने के बाद चलने-फिरने के लिए कम से कम 4 फीट चौड़ी जगह बची रहे.
कलर
– अगर आपका किचन छोटा है तो ब्राइट कलर का इस्तेमाल करें. व्हाइट, क्रीम जैसे सॉफ़्ट, मॉडर्न कलर भी किचन के लिए अच्छे होते हैं. छोटे किचन को पेंट करते समय इस बात का ध्यान रखें कि एक साथ दो-तीन से ज़्यादा रंगों का इस्तेमाल न करें.
– अगर किचन बड़ा है तो आप ब्राइट व डार्क दोनों कलर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. बड़े किचन में किचन के अलग-अलग हिस्सों के लिए अलग- अलग रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है. काउंटरटॉप के लिए डार्क कलर के टाइल्स व दीवारों को हल्के रंग का प्रयोग करें.
– अगर किचन बड़ा है और डायनिंग टेबल भी किचन में ही है, तो फ़्लोरिंग, वॉल कलर, वॉल पेपर आदि के ज़रिए कुकिंग और डायनिंग एरिया को अलग लुक दें. डायनिंग एरिया के लिए ऐसे रंगों का चुनाव करें जो आपको सुकून दें. साथ ही इस एरिया में चारों तरफ़ से लाइटिंग की भी सही व्यवस्था होनी चाहिए.
– अगर आप ज़्यादातर समय स़िर्फ शाम में ही डायनिंग टेबल का इस्तेमाल करती हैं तो इस एरिया को डार्क कलर से पेंट करा सकती हैं. खाने के समय माहौल को और ़ज़्यादा रिलैक्स बनाने के लिए सॉफ़्ट टैक्सचर के परदे, कारपेट, कुशन, वॉल हैंगिंग आदि लगाएं.
टाइल्स
– किचन के लिए टाइल्स चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि डार्क कलर के टाइल्स उभरकर दिखते हैं, जबकि हल्के रंग के टाइल्स फ़ीके नज़र आते हैं.
– छोटे किचन के लिए छोटे व मोज़ेक टाइल्स अच्छे होते हैं जबकि बड़े किचन के लिए बड़े टाइल्स का इस्तेमाल करना चाहिए. बड़े किचन में छोटे टाइल्स लगाने से किचन अव्यवस्थित नज़र आता है.
– पारंपरिक किचन में ़ज़्यादातर स़फेद टाइल्स का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन आप अगर किचन को डिज़ाइनर लुक देना चाहती हैं तो ़फैशनेबल टाइल्स का इस्तेमाल कर सकती हैं.
डेकोरेशन टिप्स
– किचन में लाइटिंग की सही व्यवस्था होनी ज़रूरी है. आमतौर पर किचन में फ्लोरेसेंट लाइट लगाई जाती है, लेकिन कुछ लोग स्पॉट लाइट भी लगाते हैं.
– जगह हो तो किचन में हरे पौधे लगाएं, इससे किचन हराभरा और फ्रेश लगेगा.
– किचन काउंटर बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि ख़ूबसूरत होने के साथ ही वो टिकाऊ भी हो. आमतौर पर इसके लिए ग्रेनाइट, स्लेट और मार्बल स्लैब का इस्तेमाल किया जाता है. मोज़ेक टाइल्स से किचन को यूनिक लुक दिया जा सकता है.
– बोन चाइना और डिज़ाइनर बर्तनों को कांच के कैबिनेट में रखें और बाकी चीज़ों के लिए लकड़ी के कैबिनेट का इस्तेमाल करें.
– किचन में बेकार की चीज़ों का ढेर न लगाएं, क्योंकि किचन में बर्तन, ओवन, डिशवॉशर, सिंक आदि के लिए पर्याप्त जगह की ज़रूरत होती है.
– किचन के ड्रॉवर्स, शटर्स व वॉल आदि को ब्राइट यलो, इलेक्ट्रिक ब्लू, जैसे वायब्रेंट कलर थीम देना चाहती हैं तो फ्लोरिंग वुडन शेड में ही रखें. ये कॉम्बिनेशन आपके किचन को मॉड लुक देगा.
किचन किसी भी महिला की ज़िंदगी का अहम् हिस्सा होता है और इसमें ही उनका अधिकांश समय भी बीतता है, मगर बदलते व़क्त के साथ यदि आप स्मार्ट होम मेकर बनना चाहती हैं, तो अपने किचन में कुछ ज़रूरी चीज़ें रखें, जिससे न स़िर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि कुकिंग भी आसान हो जाएगी.
मॉड्यूलर किचन कैबिनेट
मॉड्यूलर किचन कैबिनेट होने पर किचन न स़िर्फ साफ़-सुथरा दिखता है, बल्कि चीज़ें भी व्यवस्थित रखी जा सकती हैं और काम पड़ने पर आसानी से मिल जाती हैं. इसमें कई कंपार्टमेंट और अलमारी बनी रहती है जिसमें अपनी सुविधानुसार आप सामान अरेंज करके किचन के रोज़ाना का काम आसान बना सकती हैं, जैसे- रोज़ाना इस्तेमाल में होने वाली चीज़ें एकसाथ रखें.
कंवेक्शन माइक्रोवेव
झटपट खाना गरम करना हो या कम तेल में कोई डिश बनानी हो, कंवेक्शन माइक्रोवेव बेस्ट होता है. समय की बचत करना चाहती हैं, तो किचन में इसे जगह ज़रूर दें.
डबल डोर फ्रिज
फ्रिज में आप न स़िर्फ हफ़्ते भर की सब्ज़ियां व फल लाकर इकट्ठे रख सकती हैं, बल्कि बचे हुए खाने को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. स्टोरेज के लिए ज़्यादा जगह होने पर आप बाज़ार से इकट्ठे ढेर सारी चीज़ें ख़रीदकर रख सकती हैं, जिससे आपको रोज़ाना बाज़ार नहीं जाना पड़ेगा.
चाकू सेट
किचन में चाकू का पूरा सेट रखें, क्योंकि अलग-अलग काम के लिए चाकू भी अलग होते हैं, जैसे- छीलने वाले चाकू, बोनिंग चाकू आदि. सख़्त और नरम चीज़ों को काटने के लिए अलग-अलग तरह के चाकू होते हैं. एक अच्छा शेफ हमेशा अच्छी क्वालिटी का चाकू ख़रीदता है, भले ही वो महंगा ही क्यों न हो, क्योंकि इससे न स़िर्फ कटिंग/चॉपिंग का काम आसान हो जाता है, बल्कि चाकू चलते भी ज़्यादा हैं.
कटिंग बोर्ड
पालक, मेथी जैसी पत्तेवाली सब्ज़ियों को अक्सर कई लोग किचन प्लैटफॉर्म पर रखकर ही काटने लगते हैं, इससे चाकू ख़राब हो जाता है, इसलिए किचन में अच्छी क्वालिटी का वुडन कटिंग बोर्ड ज़रूर रखें. प्लास्टिक के कटिंग बोर्ड से भी परहेज़ करें. कटिंग बोर्ड पर रखकर आप आसानी से और जल्दी सब्ज़ियां काट सकती हैं.
फूड प्रोसेसर
सुबह ऑफिस निकलने की जल्दबाज़ी और रात को लेट आने के बाद ज़ाहिर है आप खाना बनाने में ज़्यादा समय नहीं गंवाना चाहती, ऐसे में फूड प्रोसेसर आपके बहुत काम आ सकता है. कटिंग-चॉपिंग जैसे काम मिनटों में निपटाकर ये आपकी कुकिंग को आसान बना देता है, जिससे आपकी एनर्जी और समय दोनों की बचत होती है.
वॉटर प्यूरीफायर
अशुद्ध पानी से ढेरों बीमारियां होती हैं, अतः खाना बनाने और पीने के लिए हमेशा फिल्टर्ड वॉटर का इस्तेमाल करें. अपने परिवार को स्वस्थ रखने के लिए किचन में वॉटर प्यूरीफायर ज़रूर लगवाएं. इन दिनों मार्केट में कई वैरायटी, डिज़ाइन व रेंज के वॉटर प्यूरीफायर मौजूद हैं.
हैंड ब्लेंडर
केक, इडली, डोसा का बैटर फेंटना हो या अंडा व दही हैंड ब्लेंडर से ये काम आसानी से व मिनटों में हो जाता है, तो अपने किचन टूल्स में इसे शामिल करना न भूलें.
इलेक्ट्रिक तंदूर
आमतौर पर तंदूरी डिशेज़ लोग होटल में ही खा पाते हैं, क्योंकि घर पर तंदूर रखना संभव नहीं होता, मगर अब मार्केट में इलेक्ट्रिक तंदूर उपलब्ध हैं जो साइज़ में छोटे और हल्के होने के कारण आसानी से आपके किचन में फिट आ जाते हैं और आप घर पर ही हेल्दी-टेस्टी तंदूरी खाने का मज़ा ले सकती हैं, तो अपने किचन में इलेक्ट्रिक तंदूर ज़रूर रखें. इसमें आप बेकिंग, ग्रिलिंग, बार्बेक्यू, रोस्टिंग आदि आसानी से कर सकते हैं. लाइट वेट और आसानी से साफ़ होने वाला इलेक्ट्रिक तंदूर ऑयल फ्री कुकिंग के लिए बेहतरीन है.
एयरफ्रायर
कम तेल में टेस्टी चीज़ें बनाना चाहती हैं, तो एयरफ्रायर से अच्छा विकल्प दूसरा कुछ नहीं हो सकता. फ्रेंच फ्राइस से लेकर फ्राई चिकन/फिश आप सब कुछ इसमें बना सकती हैं. आमतौर पर कुछ भी फ्राई करने के लिए आपको कड़ाही में ढेर सारा तेल डालना पड़ता है, मगर एयरफ्रायर में ज़रा-सा तेल डालकर आप फ्राई चीज़ों का मज़ा ले सकती हैं.
डिशवॉशर
अगर बर्तन घिसकर आप अपने हाथ ख़राब नहीं करना चाहतीं और न ही कामवाली बाई का झंझट मोल लेना चाहती हैं, तो डिशवॉशर ले आइए. इसमें अलग-अलग साइज़ के बर्तनों के लिए अलग-अलग रैक्स बने होते हैं. बस एक बटन दबाते ही आपके बर्तन चका-चक हो जाएंगे.
इंडक्शन कुकटॉप
स्मार्ट कुकिंग के लिए किचन में पुराने गैस चूल्हे की जगह इंडक्शन कुकटॉप तो जगह दें. इको फ्रेंडली इंडक्शन कुकटॉप पर आप रोटी-सब्ज़ी बनाने के साथ ही चीज़ें उबाल और फ्राई भी कर सकती हैं. इंडक्शन चूल्हे में कोई वायर नहीं होता जिससे आप इसे कहीं भी आसानी से रख सकती हैं. बिजली से चलने वाले इंडर्शन कुकटॉप में टेम्प्रेचर कम-ज़्यादा करने का विकल्प मौजूद रहता है. इसमें गैस के मुकाबले खानी जल्दी पकता है. इसमें पैन डिटक्शन, चाइल्ड लॉक ऑप्शन के साथ टाइमर फंक्शन भी है.
मिक्सर ग्राइंडर
मसाला पीसना हो, इडली/डोसे का बैटर तैयार करना हो या फिर कुछ और सूखा/गीला पीसना हो मिक्सर आपका काम आसान बना देता है.
स्टीमर
यदि आपको स्टीम्ड वेजीटेबल पसंद है या फिर सेहत को ध्यान रखते हुए स्टीम्ट चीज़ें ही खाती हैं, तो स्टीमर ज़रूर रखें. इसमें सब्ज़ी के अलावा इडली, मोमोज़, पोहा और चावल भी बना सकती हैं. इसमें खाने के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते. स्टीमर में आप कई तरह की चाइनीज़ कुकिंग भी कर सकती हैं. इसकी देखरेख आसान है और इसमें बिजली भी कम ख़र्च होती है. स्टीमर में बने छेद से भाप ऊपर रखी चीज़ों तक पहुंचती है. मल्टी कंपार्टमेंट स्टीमर में आप एकसाथ कई चीज़ें बना सकती हैं.
इलेक्ट्रिक केटल
थोड़ा पानी गरम करना हो या 2-4 लोगों के लिए चाय/कॉफी बनानी हो, इलेक्ट्रिक केटल में ये काम मिनटों में हो जाता है.
चिमनी
खाना बनाते समय तेल मसालों की गंध और धुआं अंदर ही जमा होने से आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है, अतः किचन में चिमनी ज़रूर लगवाएं ताकि धुआं व गंध बाहर निकल जाए और किचन का वातावरण साफ़ रहे.
गार्लिक लेयर रिमूवर
लहसुन छीलना और काटना हमेशा बहुत मुश्किल काम लगता है, मगर आपका ये मुश्किल काम आसान हो सकता है, बाज़ार में मिलने वाले गार्लिक लेयर रिमूवर से. आजकल मार्केट में सिलिकॉन सेबना गार्लिक लेयर रिमूवर मिलता है. छोटी सी दिखने वाली ये चीज़ बहुत काम की है. इसमें एक-एक करके लहसुन की कली अंदर डालकर दबाइए और कली छिलकर बाहर आ जाएगी.
कॉर्न पीलर
भुट्टे से दाना निकालना वाक़ई आसान नहीं होता और दांतों से खाते व़क्त उसमें अक्सर भुट्टे के दाने फंस जाते हैं, तो अपनी मुश्किल हल करने के लिए कॉर्न पीलर ले आएं. कॉर्न पीलर को भुट्टे के ऊपर रखकर नीचे की ओर ले जाएं, दाने आसानी से निकलते जाएंगे.
किचन यदि बड़ा हो तो सारी चीज़ें अरेंज करना आसान हो जाता है, मगर शहरों में खासकर मेट्रो सिटीज़ में बड़ा किचन किसी सपने से कम नहीं है. वैसे आप थोड़ी-सी स्मार्टनेस दिखाकर अपने छोटे-से किचन को न स़िर्फ स्पेशियस लुक दे सकती हैं, बल्कि सारी चीज़ें अच्छी तरह अरेंज भी कर सकती हैं. कैसे दिखेगा आपका किचन बड़ा? आइए, जानते हैं.
स्टैैंड बनवाएं
यदि आपका किचन मॉड्यूलर नहीं है, तो दरवाज़े के पीछे से लेकर स्लैब तक बर्तनों व डिब्बों के लिए स्टैंड फिट करवाएं. इससे प्लेटफॉर्म पर बर्तनों का ढेर नहीं लगेगा. बर्तन और डिब्बे स्टैंड पर करीने से सजाकर रखने से किचन साफ़-सुथरा और व्यवस्थित दिखेगा.
पुलआउट ड्रॉअर
आजकल किचन में स्लाइडर वाले या बाहर की तरफ़ खींचने वाले (पुलआउट ड्रॉअर) का चलन है. इसमें सामान रखना और निकालना आसान होता है. ऐसे ड्रॉअर जगह कम घेरते हैं और इनमें सामान भी ज़्यादा आता है.
करें दीवारों का इस्तेमाल
यदि आपका किचन छोटा है तो दीवार पर हैंगर या बर्तन स्टैंड बनावकर किचन को व्यवस्थित कर सकती हैं. स्टैंड पर टूटने वाले बर्तनों की बजाय स्टील के बर्तन रखें और उसकी हाइट उतनी रखें जहां तक आप आसानी से पहुंच जाएं. हैंगर पर आप पैन, पॉट्स, लकड़ी के सर्विंग स्पून आदि हैंग कर सकती हैं.
लॉबी स्पेस
यदि आपके किचन के साथ लॉबी है, तो कैबिनेट और कुछ बड़े बर्तन वहां रखें. इससे किचन की जगह तो बचेगी ही, साथ ही लॉबी का भी सही इस्तेमाल हो जाएगा.
करें डायनिंग स्पेस का सही उपयोग
आपका किचन छोटा है, मगर उसके साथ यदि डायनिंग स्पेस है, तो आप डायनिंग टेबल में बॉक्स या स्टैंड बनवाकर क्रॉकरी या रोज़ाना इस्तेमाल में आनेवाले बर्तन रखकर किचन की जगह बचा सकती हैं.
रोज़ाना इस्तेमाल न होने वाले अप्लायंसेस
कॉफी मेकर, ब्लेंडर, टोस्टर जैसे अप्लायेंसेस जिन्हें आप रोज़ाना इस्तेमाल में नहीं लातीं, उन्हें प्लेटफॉर्म पर रखकर भीड़ लगाने की बजाय कैबिनेट में ही रखें. ज़रूरत के समय निकाल लें और इस्तेमाल के बाद वापस उसी जगह रख दें.
गहरा सिंक
आमतौर पर किचन में सिंक छोटा होता है, आप चाहें तो उसे रिप्लेस करके गहरा सिंक लगवाएं. इससे आप सिंक में ज़्यादा बर्तन रख पाएंगी और जगह भी बचेगी.
रखें लाइट का ध्यान
दिन में किचन की खिड़की हमेशा खोलकर रखें. नेचुरल लाइट में किचन बड़ा और सुंदर दिखता है. किचन में हमेशा हल्की लाइटिंग का इस्तेमाल करें.
लाइट कलर का चुनाव
किचन के लिए हमेशा ब्राइट कलर का इस्तेमाल करें. इससे किचन बड़ा नज़र आता है. किचन में बहुत ज़्यादा रंगों का इस्तेमाल न करें. हमेशा व्हाइट को बेसिक कलर रखें. इससे आपको सुकून का एहसास होगा.
छोटा फ्रिज
किचन यदि छोटा है, तो दूसरों की देखा देखी बड़ा फ्रिज ख़रीदने की ग़लती न करें. बड़ा फ्रिज रखने से किचन और भी छोटा दिखेगा और आपको काम करने में असुविधा होगी. अतः बेहतर होगा कि स्टैंडर्ड रेफ्रिजरेटर की बजाय छोटा फ्रिज ख़रीदें.
ग्लास कैबिनेट या स्टोरेज वाली जगह पर ग्लास के इस्तेमाल और ब्राइट लाइट से छोटा किचन भी बड़ा दिखता है.
होम डेकोर में लाइटिंग की काफ़ी अहमियत होती है. लाइटिंग से आप अलग ही एंबियंस क्रिएट कर सकते हैं. अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग मिक्स लाइटिंग से कमरे की ख़ूबसूरती को निखारा जा सकता है, दूसरी तरफ़ टास्क लाइटिंग से अपनी ज़रूरत के हिसाब से काम लिया जा सकता है.
लिविंग रूम
* चार में से तीन कोनों को लाइट करें, जिसमें से एक लाइट किसी आर्ट पीस को फोकस करती हुई हो, जैसे चेयर, प्लांट या वास आदि.
* फ्लोर और टेबल लैंप्स का कॉम्बीनेशन यूज़ करें, जिनमें से कुछ नीचे फ्लोर की तरफ़ ग्लो करते हुए हों और कुछ ऊपर यानी सीलिंग की तरफ़ शाइन करते हुए हों.
* नीचे की तरफ़ फोकस करते हुए लैंप्स के पास सीटिंग और रीडिंग अरेंजमेंट करें.
* डिमर्स भी यूज़ कर सकते हैं, ताकि अपने हिसाब से लाइट कम-ज़्यादा कर सकें.
डायनिंग रूम
* यहां सबसे ज़रूरी है कि आप अपने डायनिंग टेबल पर फोकस करें और उसकी ब्राइटनेस बढ़ाएं. रूम का वो सबसे ब्राइट स्पॉट होना चाहिए.
* टेबल के ऊपर शैंडेलियर या पेंडेंट यूज़ करें.
* कमरे के दूसरे हिस्सों में इंडायरेक्ट लाइटिंग ही बेस्ट है, यह रिलैक्सिंग और फ्लैटरिंग होती है.
* स्पेशियस जगह या फिर साइडबोर्ड पर छोटे टेबल लैंप्स या वॉल पर अटैच्ड लैंप या कैंडल से ग्लोइंग इफेक्ट दें.
* ग्लास डोरवाले कैबिनेट्स में बैटरीवाले छोटे लैंप्स या बल्ब से लाइटिंग करें. ये बेहद ख़ूबसूरत लगेंगे और आपको सामान ढूंढ़ने में भी आसानी होगी.
किचन
* ओवरहेड लाइटिंग पर फोकस करें. रात को कुकिंग के व़क्त भी जो आपके लिए मददगार हो. डिमर्स हों, तो और भी अच्छा होगा, ताकि आप अपनी ज़रूरत के अनुसार लाइट एडजस्ट कर सकें.
* सभी ग्लास के डोर्स वाले कैबिनेट्स में लाइटिंग करवाएं.
बेडरूम
* यहां का माहौल बेहद सुकून देनेवाला और रोमांटिक टच लिए हुए होना चाहिए.
* बेडरूम में हमेशा सॉफ्ट लाइटिंग ही रखें.
* बेड के साइड में रीडिंग लैंप रखें, लेकिन उसका फोकस बेड पर सीधे न हो.
* फिक्स्ड लाइट्स भी हैं अगर, तो यह ध्यान रखें कि उनका भी फोकस सीधे बेड पर न हो.
* लो वॉट के लैंप्स या बल्ब का भी ऑप्शन रखें. वह आपको रोमांटिक और रिलैक्सिंग फील देंगे.
* बेडरूम के लिए डिमर्स बेस्ट ऑप्शन हैं.
बाथरूम
* साइड लाइट्स यहां सबसे महत्वपूर्ण हैं.
* बाथरूम के मिरर के साइड्स में लाइट्स बहुत ही ख़ूबसूरत लगती हैं.
* इसके अलावा ओवरहेड लाइट भी बहुत ज़रूरी है, जिससे आप साफ़-साफ़ चेहरा भी देख सकेंगे और बाथरूम की लाइटिंग और एनहांस भी होगी.
* आप चाहें, तो शॉवर के ठीक ऊपर भी लाइट लगवा सकते हैं.
बचें इन लाइटिंग मिस्टेक्स से
* अगर आपके रूम की सीलिंग थोड़ी नीचे होती है, तो बेहतर होगा कि यहां शैंडेलियर या पेंडेंट का इस्तेमाल न करें.
* फिक्स्ड माउंटेड लैंप्स यहां के लिए बेस्ट ऑप्शन हैं.
* एक ही जगह बहुत ज़्यादा और शार्प लाइटिंग न रखें.
* रूम में लाइटिंग का एक ही सोर्स कभी न रखें. फिक्स सोर्स के अलावा लैंप्स और कैंडल्स भी रखें.
* लैंप्स पर शेड्स या बहुत ज़्यादा ओपेक लाइट अवॉइड करें, वरना आपका रूम बहुत ही ज़्यादा डार्क लगेगा.
* डेलीकेट कपड़ों के आसपास हॉट लैंप्स या लाइट्स कभी न रखें. बेहतर होगा आप फ्लोरोसेंट लाइट्स का इस्तेमाल करें. यह ब्राइट होती हैं, रोशनी अधिक देकर बिजली की बचत भी करती हैं.
ईज़ी टिप्स
* रेग्युलर यूज़ के लिए सॉफ्ट लाइटिंग का प्रयोग करें, ताकि आंखों पर ज़ोर न पड़े.
* फर्नीचर, आर्ट पीस या डेकोरेटिव एक्सेसरीज़ को हाइलाइट करने के लिए हेलोजन लाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है.
* ख़ास ओकेज़न के लिए दो तरह की लाइट्स का प्रयोग करें. ऐसा करते समय कलर कॉम्बीनेशन का ख़ास ध्यान रखें, ताकि लाइट का ख़ूबसूरत इफेक्ट देखने को मिले.
* मूड लाइटिंग के लिए लेड का प्रयोग करें, क्योंकि ये कम पावरवाले होते हैं.
आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफ़ी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है, जो जीवन के लिए अति आवश्यक है. इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है. उदाहरण के द्वारा इसे और स्पष्ट किया जा सकता है- सड़क पर बायें ही क्यों चलते हैं, क्योंकि सड़क की बायीं ओर चलना आवागमन का एक सरल नियम है. नियम का उल्लंघन होने पर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. इसी तरह वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. वास्तु में रसोईघर के कुछ निर्धारित स्थान दिए गए हैं, इसलिए हमें किचन (रसोईघर) वहीं पर बनाना चाहिए. Vastu tips
रसोईघर की ग़लत दिशा से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
* यदि रसोईघर नैऋत्य कोण में हो तो यहां रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं.
* यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहां रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है. मन में शांति की कमी आती है और कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.
* यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहां रहने वालों को धन हानि होती है.
* यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं. साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी होती है.
* यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहां रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
* यदि रसोईघर से कुआं सटा हुआ होे तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी. अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी-मांदी रहेगी.
* रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है. वैसे यह उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है.
* यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते. ये लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं.
* यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहां रहने वालों का ़ज़्यादा नुक़सान नहीं होता है.
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिए या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिए. वैसे तो रसोईघर के लिए उत्तम दिशा आग्नेय ही है.
क्या करें, क्या न करें?
* उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं.
* रसोईघर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें.
* रसोई के बीचोंबीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि नहीं जलाएं और न ही रखें.
* कभी भी उत्तर दिशा की तरफ़ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए. स़िर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं.
* भोजन कक्ष (डाइनिंग रूम) हमेशा पूर्व या पश्चिम में हो. भोजन कक्ष दक्षिण दिशा में बनाने से बचना चाहिए.
* रसोई में तीन चकले न रखें, इससे घर में क्लेश हो सकता है.
* रसोई में हमेशा गुड़ रखना सुख-शांति का संकेत माना जाता है.
* टूटे-फूटे बर्तन भूलकर भी उपयोग में न लाएं, ऐसा करने से घर में अशांति का माहौल बना रहता है.
* अंधेरे में चूल्हा न जलाएं, इससे संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है.
* नमक के साथ या पास में हल्दी न रखें, ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है.
* रसोईघर में कभी न रोएं, ऐसा करने से अस्वस्थता बढ़ती है.
* रसोई घर पूर्व मुखी अर्थात् खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए. उत्तर मुखी रसोई खर्च ज़्यादा करवाती है.
* यदि आपका किचन आग्नेय या वायव्य कोण को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में हो, तो कम से कम वहां पर बर्नर की स्थिति आग्नेय अथवा वायव्य कोण की तरफ़ ही हो.
* रसोई घर की पवित्रता व स्वच्छता किसी मंदिर से कम नहीं होनी चाहिए. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है.
* रसोईघर हेतु दक्षिण-पूर्व क्षेत्र का प्रयोग उत्तम है, किन्तु जहां सुविधा न हो वहां विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का सदैव त्याग करना चाहिए.
आपकी ज़िंदगी आसान बनाने वाले किचन अप्लायंसेस(Kitchen Appliances) की यदि सही तरह से देखभाल व सफ़ाई न की जाए, तो वो जल्दी ख़राब हो सकते हैं. अपने किचन अप्लायंसेस को लॉन्ग लास्टिंग बनाने के लिए कैसे करें उनकी सफ़ाई? आइए, हम बताते हैं.
माइक्रोवेव
खाना गरम करने के साथ ही कम समय में टेस्टी-हेल्दी खाना बनानेवाले माइक्रोवेव की साफ़-सफ़ाई पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
यूं करें सफ़ाई
* इस्तेमाल के बाद माइक्रोवेव को अंदर से अच्छी तरह साफ़ कर लें.
* सफ़ाई के लिएमाइक्रोवेव अवन क्लीनर का इस्तेमाल करें.
* डोर का ख़ास ख़्याल रखें, क्योंकि ये माइक्रोवेव के अंदर की एनर्जी को सुरक्षित रखता है.
* माइक्रोवेव की ठीक से सफ़ाई के लिए इसमें रातभर थोड़ा अमोनिया भरकर रखें और सुबह किसी सॉफ्ट कपड़े से पोंछ दें.
* माइक्रोवेव के किनारों की सफ़ाई के लिए एक कप पानी में नींबू का टुकड़ा डालकर ऑन कर दें. भाप बनने के साथ ही किनारों की गंदगी भी पिघल जाएगी, जिसे आसानी से साफ़ किया जा सकता है.
हैंडल विद केयर
* माइक्रोवेव में हमेशा ऐसे बर्तन का ही इस्तेमाल करें, जिन पर माइक्रोवेव सेफ लिखा हो.
* माइक्रोवेव से सामान बाहर निकालते समय ग्लव्स पहनें या कपड़े से पकड़कर बाहर निकालें.
* माइक्रोवेव में पॉपकॉर्न बनाते समय अवन के पास ही खड़ी रहें. कभी तापमान ज़्यादा होने से अवन के अंदर आग पकड़ने का ख़तरा रहता है.
फ्रिज
फल, सब्ज़ियों और खाने को सुरक्षित रखने वाले फ्रिज को हफ़्ते में कम से कम एक बार अच्छी तरह साफ़ ज़रूर करना चाहिए.
यूं करें सफ़ाई
* फ्रिज की सफ़ाई के लिए बेकिंग सोडा और पानी के मिश्रण का इस्तेमाल करें.
* ऊपर से लेकर नीचे तक सभी शेल्फ और सर्फेस को साबुन वाले पानी से साफ़ करें. साथ ही जार व बोतलों को भी साफ़ करके फ्रिज में रखें.
* साफ़ करने के बाद आधे घंटे के लिए फ्रिज को खुला छोड़ दें. फिर रूई में वेनीला एसेंस लगाकर फ्रिज में रखें और आधे घंटे के लिए बंद कर दें. इससे फ्रिज से आनेवाली दुर्गंध से छुटकारा मिल जाएगा.
* हर 6 महीने में फ्रिज के पिछले हिस्से की सफ़ाई भी ज़रूरी है.
हैंडल विद केयर
* फ्रिज में गरम खाना न रखें. इससे फ्रिज ख़राब हो सकता है.
* फ्रिज में रखी हुई सब्ज़ियों को 1 हफ़्ते के अंदर ही इस्तेमाल करें.
* फ्रिज को कभी भी गैस चूल्हा, हीटर आदि के पास न रखें और न ही नमी व सीलन वाली जगह पर रखें.
* फ्रिज को हमेशा हवादार जगह पर रखें. फ्रिज और दीवार के बीच 5 इंच की दूरी ज़रूरी है.
मिक्सर ग्राइंडर
मिक्सर-ग्राइंडर हर किचन की ख़ास ज़रूरत है, क्योंकि ये आपकी कुकिंग को आसान बनाता है और काफ़ी वक़्त भी बचाता है, इसलिए आपको भी इसकी सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखना होगा.
यूं करें सफ़ाई
* कुछ भी पीसने के बाद तुरंत मिक्सर को धो लें.
* ब्लेड निकालकर साबुन के पानी से मिक्सर की अच्छी तरह सफ़ाई करें. मिक्सर को धूप में अच्छी तरह सुखाकर रखें.
* मिक्सर में चिकनाई ज़्यादा होने या फिर कोई चीज़ चिपक जाने पर सूजी या सेंकी हुई ब्रेड डालकर चलाएं, मिक्सर साफ़ हो जाएगा.
हैंडल विद केयर
* मिक्सर में बहुत ज़्यादा गरम चीज़ न पीसें.
* मिक्सर को लगातार न चलाएं. 15-20 मिनट के बाद थोड़ा ब्रेक दें.
* कुछ भी पीसते समय मिक्सर के ढक्कन के ऊपर हाथ रखें.
* मिक्सर को आधे से ज़्यादा न भरें, वरना मोटर पर ज़्यादा लोड पड़ेगा.
* गीली चीज़ें जैसे चटनी आदि पीसने के बाद थोड़ा पानी डालकर मिक्सर चलाएं इससे ब्लेड के आस-पास चिपका सारा पदार्थ निकल जाएगा.
* मिक्सर यूज़ करने के बाद हमेशा प्लग निकाल दें, वरना लगातार इलेक्ट्रिक सप्लाई होने से मिक्सर की क्षमता पर असर पड़ेगा.
इलेक्ट्रिक केटल
इलेक्ट्रिक केटल का इस्तेमाल करके आप मिनटों में चाय/कॉफी का लुत्फ़ उठा सकती हैं. इलेक्ट्रिक केटल्स के ज़रिए आप गरम-गरम सूप एवं हॉट चॉकलेट का मज़ा भी ले सकती हैं, मगर इस्तेमाल के साथ ही इसकी अच्छी तरह सफ़ाई भी ज़रूरी है.
यूं करें सफ़ाई
* केटल के बाहरी और निचले हिस्से को गीले कपड़े से साफ़ करें.
* केटल को अंदर से साफ़ करने के लिए इसमें थोड़ा-सा डिटर्जेंट व पानी डालें. इसे ग़लती से भी डिशवॉशर में न डालें.
* केटल के अंदर जमी गंदगी साफ़ करने के लिए इसमें पानी और व्हाइट विनेगर समान मात्रा में डालकर गरम करें. अब पूरी तरह ठंडा होने पर पानी फेंक दें. फिर स्पंज से अंदर से अच्छी तरह साफ़ करके केटल को साफ़ कपड़े से पोंछ लें.
* जब केटल का इस्तेमाल नहीं करना हो, तो उसे सुखाकर रख दें.
हैंडल विद केयर
* खाली केटल को कभी गरम न करें.
* इसे किसी खुरदरी चीज़ से न रगड़ें/साफ़ करें.
* केटल में उतना ही पानी भरें, जितनी ज़रूरत हो. इससे बिजली और समय दोनों की बचत होगी.
* इस्तेमाल करने के बाद केटल को खाली कर दें. इसमें पानी भरकर न छोड़ें.
* केटल को महीने में कम से कम एक बार नींबू या विनेगर से साफ़ करें.
* केटल को हमेशा साफ़ रखें. गंदे केटल में पानी गरम होने में ज़्यादा व़क्त लगता है.
टोस्टर
बिज़ी लाइफ में झटपट ब्रेकफास्ट बनाने के लिए टोस्टर बेस्ट ऑप्शन है.
यूं करें सफ़ाई
* ठंडा होने पर ही टोस्टर की सफ़ाई करें.
* इसके बाहरी हिस्से को गीले कपड़े से पोंछें. अंदर की सफ़ाई के लिए क्रम्ब ट्रे को निकालकर साबुन के पानी में धोएं. यदि आपके टोस्टर में क्रम्ब ट्रे नहीं है, तो टोस्टर को उल्टा करके हिलाएं.
* टोस्टर के अंदर फंसे ब्रेड के टुकड़े निकालने के लिए पतले ब्रश का इस्तेमाल करें.
हैंडल विद केयर
* सफ़ाई करने के पहले इसका प्लग निकालना न भूलें.
* टोस्टर साफ़ करते समय ध्यान रखें कि इसके वायर को नुक़सान न पहुंचे.
* प्लग लगा होने पर टोस्टर को गीला करने की ग़लती न करें. इससे शॉक लग सकता है.
हैंड ब्लेंडर
मथने और फेंटने के काम को और आसान बनाने के लिए किचन में हैंड ब्लेंडर होना ज़रूरी है.
यूं करें सफ़ाई
* हैंड ब्लेंडर के सभी पार्ट्स को अलग कर लें. फिर गुनगुने पानी में थोड़ा-सा डिटर्जेंट डालकर जार और बाकी पार्ट्स (रबड़, कटिंग ब्लेड, लॉकिंग रिंग) की सफ़ाई करें.
* यदि ब्लेंडर में कोई खाद्य पदार्थ चिपक (सूख) गया है, तो बेकिंग सोडा और पानी की समान मात्रा डालकर ब्लेंडर चलाएं. फिर खाली करके सभी पार्ट्स अलग करें और ब्लेंडर को अच्छी तरह साफ़ करें.
* ब्लेंडर के बेस (मोटर) को गीले कपड़े से पोंछ दें. इसे पानी में डुबोने की ग़लती न करें.
* साफ़ करने के बाद ब्लेंडर के सभी पार्ट्स को अच्छी तरह सुखा लें. फिर स्टोर करें या दुबारा यूज़ करें.
हैंडल विद केयर
* ब्लेड चेंज और सफ़ाई करने के पहले ब्लेंडर को अनप्लग करना न भूलें.
* ब्लेंडर यूज़ करते समय कटिंग एरिया और ब्लेड पॉइंट को हमेशा ख़ुद से दूर रखें, वरना ब्लेंडर आपके कपड़े, ज्वेलरी और उंगली भी खींच सकता है.
* लगातार इस्तेमाल करते रहने से ब्लेड की धार कम हो जाती है, इसलिए हमेशा इसमें धार कराती रहें.
जूसर
अपने पूरे परिवार के लिए फ्रेश और हेल्दी जूस बनाइए स्मार्ट जूसर से और अपना क़ीमती वक़्त भी बचाइए.
यूं करें सफ़ाई
* इस्तेमाल के तुरंत बाद जूसर को धो लें, वरना पल्प आदि इसमें चिपक जाएंगे. धोने के लिए गुनगुने पानी और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें.
* जूसिंग स्क्रीन में आमतौर पर पल्प चिपक जाते हैं. इसे साफ़ करने के लिए ब्रश का उपयोग करें.
* जूसर के अलग होनेवाले पार्ट्स को आप डिशवॉशर में भी डाल सकती हैं, लेकिन पहले मैन्युअल ज़रूर देख लें.
* यदि आप बहुत ज़्यादा फल व सब्ज़ियों का जूस बनाती हैं, तो जूसर में थोड़ा पानी डालकर चला लें. इससे जूसर में चिपका पल्प आसानी से निकल जाएगा.
हैंडल विद केयर
* यदि आप दिन में 1 बार से ज़्यादा जूसर का इस्तेमाल करती हैं, तो हर बार उसके पार्ट्स अलग करके धोने की ज़रूरत नहीं है. बस, उसे पानी से धो लें और आख़िरी बार इस्तेमाल के बाद साबुन वाले पानी/डिटर्जेंट से धोएं.
* फल/सब्ज़ियों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर जूसर में डालें.
* स्टोर करने से पहले जूसर को अच्छी तरह सुखा लें.
डिशवॉशर
माइक्रोवेव और फ्रिज की तरह अब डिशवॉशर भी हर किचन की ज़रूरत बनता जा रहा है. कामकाजी महिलाएं इसे ज़्यादा महत्व दे रही हैं, क्योंकि इसने उनकी ज़िंदगी आसान बना दी है.
यूं करें सफ़ाई
* रोज़ाना इस्तेमाल करने पर इसे अंदर से साफ़ करने की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन हफ़्ते में एक बार यूज़ करने पर इसके अंदर से आनेवाली बदबू दूर करने के लिए इसे ग्लिस्टेन डिशवॉशर क्लीनर और डियोडराइज़र से साफ़ करें.
* बाहर से इसे डिटरजेंट से साफ़ करें.
* छोटे ब्रश की मदद से पहले डिशवॉशर के दरवाज़े की सफ़ाई करें, फिर धीरे-धीरे अंदर की जाली साफ़ करें.
* कई डिशवॉशर में फिल्टर लगे होते हैं. इन्हें समय-समय पर साफ़ करती रहें.
* डिशवॉशर के स्प्रे आर्म के छोटे-छोटे होल्स को ब्रश से साफ़ करें.
* निचले रैक को निकालकर ड्रेन एरिया को अच्छी तरह साफ़ करें और देखें कि कहीं कोई सख़्त चीज़ तो नहीं फंसी है, क्योंकि इससे ड्रेन ब्लॉक हो जाएगा. ब्लॉक होने की स्थिति में पंप को नुक़सान पहुंच सकता है. साथ ही बर्तनों में भी खरोंच लग सकती है.
हैंडल विद केयर
* हर बार डिशवॉशर का इस्तेमाल करने के बाद फिल्टर को तुरंत साफ़ कर दें. इससे इस्तेमाल करते समय ब्लॉकेज की समस्या नहीं आएगी.
* डिशवॉशर के अंदर से ज़ंग के दाग़ हटाने के लिए रस्ट रिमूवर का इस्तेमाल करें.
* डिशवॉशर से चिकनाई और दुर्गंध दूर करने के लिए उसमें एक कप व्हाइट विनेगर और गरम पानी डालकर चलाएं. इस बात का ध्यान रखें कि विनेगर वाले कप के अलावा उसमें कोई और बर्तन न हो.
घर के हर कोने को साफ़ और व्यवस्थित रखना चाहती हैं, तो अपनाएं ये स्मार्ट होम मैनेजमेंट ट्रिक्स और कहलाएं स्मार्ट होम मैनेजर. Home Management
लिविंग रूम
* सबसे पहले तो लिविंग रूम को फर्नीचर और एंटीक चीज़ों से भरने की ग़लती न करें. जितना ज़रूरी है, उतने ही फर्नीचर और डेकोरेटिव पीसेस रखें. इससे मैनेज करना आसान हो जाता है.
* सोफा कवर या पर्दे थोड़े डार्क कलर के सिलेक्ट करें. ये जल्दी गंदे नहीं लगते.
* अगर लाइट कलर इस्तेमाल कर रही हैं, तो बेहतर होगा कि सोफा कवर, पर्दे, कुशन कवर्स आदि के एक से ज़्यादा पेयर रखें, ताकि इसकी क्लीनिंग आसान हो जाए.
* कई सारे फोटोफ्रेम्स की बजाय सारे फोटो का कोलाज बनाकर एक-दो फ्रेम लगाएं. इससे लिविंग रूम को क्लीन लुक मिलेगा.
* सोफे के पीछे की जगह को स्मार्टली यूज़ करें. एक्स्ट्रा ब्लैंकेट, कुशन्स, डेकोरेटिव आइटम्स को बक्से में भरकर सोफे के पीछे रख दें. एक्स्ट्रा बुक्स को भी आप ट्रंक में भरकर यहां रख सकती हैं.
* अपना एंटरटेनमेंट कॉर्नर एक बार चेक करें. डीवीडी या सीडी का कलेक्शन चेक करें. जो मूवी आप देख चुके हैं और जिसका कलेक्शन आपको नहीं रखना है, उसे हटा दें. गैरज़रूरी चीज़ों को घर में न रखें. इससे घर मैनेज करना आसान हो जाएगा और समय की भी बचत होगी.
* हर डेकोरेटिव आइटम या पीस को ये सोचकर सहेजती न जाएं कि इतने पैसे ख़र्च किए थे या अब कहां मिलेंगी ऐसी चीज़ें. इससे आपका घर एंटीक चीज़ों का स्टोर बन जाएगा और आपके लिए उन्हें मैनेज करना भी मुश्किल हो जाएगा. अगर नई चीज़ें घर में लाती हैं, तो पुरानी चीज़ों को हटाना ही पड़ेगा.
* यदि आपने लिविंग रूम में लोटस पॉन्ड, वास आदि रखे हैं, तो उसकी क्लीनिंग का ख़ास ख़्याल रखें. उसका पानी रोज़ाना बदलती रहें, ताकि बीमारियां न पनपने पाएं.
* क़िताबों को शीशे की आलमारी में रखें. इससे क़िताबों को ढूंढ़ना आसान हो जाएगा. हां समय-समय पर इनकी सफ़ाई करना न भूलें.
* यह सोचकर सफ़ाई को टालती न रहें कि इकट्ठे ही सफ़ाई करेंगी. हर 15 दिन में सफ़ाई करती रहें. इससे जहां आपका घर हेल्दी बना रहेगा, वहीं क्लीन भी लगेगा.
किचन मैनेजमेंट
* जो चीज़ें अक्सर इस्तेमाल में आती हैं, उन्हें एक ही जगह रखें, ताकि उन्हें ढूंढ़ने में समय बर्बाद न हो.
* क्रॉकरी को भी उसके यूज़ के हिसाब से अरेंज करें. रोज़ाना या अक्सर यूज़ होनेवाली क्रॉकरी निचले शेल्फ में रखें और कभी-कभार होनेवाली क्रॉकरी को ऊपर के शेल्फ में रखें.
* गैस के पास ही कुकिंग रेंज सेट करें जैसे कि मसालों, नमक, शक्कर के जार, कुकिंग पैन, कड़ाही आदि को गैस के पास के शेल्फ में ही रखें, ताकि इस्तेमाल में आसानी हो.
* किचन में हर समय शॉपिंग लिस्ट लगाकर रखें. जैसे ही कोई चीज़ आउट ऑफ स्टॉक होती है, फ़ौरन उसे लिस्ट में शामिल कर लें. इससे आपको पता रहेगा कि किचन में क्या चीज़ें नहीं हैं और अंतिम समय में होनेवाली भागदौड़ से आप बच जाएंगे.
* कई महिलाओं की आदत होती है कि कोई भी प्लास्टिक कंटेनर खाली होता है, तो उसे किचन में यूज़ करने लगती हैं. इससे किचन अन ऑर्गनाइज़्ड तो लगता ही है, मेसी भी लगने लगता है. इसलिए बेहतर होगा कि प्लास्टिक कंटेनर्स का मोह छोड़ें और जितनी ज़रूरत हो, उतने ही कंटेनर्स रखें.
* फ्रिज को गैरज़रूरी चीज़ों का स्टोरेज युनिट न बनाएं. ख़राब हो चुकी सब्ज़ियों, बासी चीज़ों को रोज़ाना हटाती रहें. इससे फ्रिज आसानी से मेंटेन तो होगा ही, आपके हेल्थ के लिए भी ये ज़रूरी है.
* किचन में साफ़-सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखें. एग्ज़ॉस्ट फैन ज़रूर लगवाएं. इससे किचन में धूल-मिट्टी कम जमती है और किचन क्लीन रहता है.
* किचन प्लेटफॉर्म के पास एक प्लास्टिक बैग टांगकर रखें और कुछ भी काटने के बाद कचरा उसमें ही डालें. ऐसा करने से किचन साफ़-सुथरा रहेगा. साथ ही नैपकिन्स भी ज़रूर रखें. हाथ पोंछने के लिए सूखे तौलिए या हो सके तो डिस्पोज़ेबल पेपर नैपकिन का इस्तेमाल करें.
बेडरूम
* बेडरूम के ड्रॉवर्स का इस्तेमाल अक्सर हम ग़ैरज़रूरी चीज़ों को स्टोर करने के लिए करते हैं और जब उन चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है, तो उन्हें ढूंढ़ने में पूरा बेडरूम ही तहस-नहस कर देते हैं. इसलिए ऐसा करने से बचें. हर चीज़ के लिए एक जगह निर्धारित करें और उसे इस्तेमाल के बाद वहीं रखें. इससे आपका बेडरूम तो ऑर्गनाइज़ रहेगा ही, आपके समय की भी बचत होगी.
* बेड स़िर्फ सोने के लिए नहीं होते. इसके नीचे-ऊपर और आसपास की जगह को आप स्टोरेज के लिए स्मार्ट्ली यूज़ कर सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप कहीं भी कुछ भी रख दें.
* इसके लिए आप कलरफुल स्टोरेज ट्रे और प्लास्टिक बिन लेकर आएं और इसमें सामान रखें. इसे आप बेड के नीचे या साइड में अच्छी तरह अरेंज कर सकती हैं. इन ट्रे और प्लास्टिक बिन्स को समय-समय पर क्लीन करती रहें.
* बेडरूम के हर फर्नीचर यहां तक कि नाइट टेबल का सिलेक्शन करते समय भी स्टोरेज को ध्यान में रखें.
* छोटे घरों में ड्रेसिंग टेबल भी अक्सर बेडरूम में ही रखा जाता है. कॉस्मेटिक्स के लिए कलरफुल ट्रे यूज़ करें. ज्वेलरी और
एक्सेसरीज़ के लिए हैंगिंग ऑर्गेनाइज़र का इस्तेमाल करें. इसमें कई पॉकेट्स बने होते हैं और इसमें आपके ईयरिंग्स, ज्वेलरी, वॉचेस आदि अच्छे से अरेंज हो जाते हैं.
* हर सुबह उठने के बाद नियम बनाएं कि पांच मिनट बेडरूम ऑर्गनाइज़ करने के लिए देंगे. सारे बेडशीट, पिलो, रजाई वगैरह फोल्ड करके रखें. कोई चीज़ ग़ैरज़रूरी लगे, तो उसे हटा दें. इससे आपका बेडरूम हमेशा मैनेज रहेगा.
वॉर्डरोब मैनेजमेंट
* हर सीज़न के बाद अपना वॉर्डरोब चेक करें. उसमें से जो भी कपड़े अगले सीज़न में इस्तेमाल में न आनेवाले हों, उन्हें वॉर्डरोब से हटा दें.
* जिन कपड़ों के बारे में तय नहीं कर पा रहे हैं कि पहनेंगे या नहीं, उन्हें भी वॉर्डरोब से बाहर निकाल दें.
* इसी तरह जब भी नए कपड़े, खिलौने, बुक्स आदि ख़रीदें, तो पुरानी और अनुपयोगी चीज़ों को निकाल दें. इससे ग़ैरज़रूरी चीज़ों से घर भरा नहीं रहेगा और मैनेज करना भी आसान हो जाएगा.
* हर सीज़न के कपड़े अलग-अलग रखें और एक सीज़न के ख़त्म होते ही वो कपड़े अच्छी तरह से क्लीन करके पैक करके रख दें, ताकि अगले सीज़न में आसानी से यूज़ कर सकें. इससे आपका वॉर्डरोब क्लीन और मैनेजेबल हो जाएगा.
* एक जैसे कपड़े, जैसे- शर्ट, सूट, वेस्टर्न वेयर, इंडियन वेयर, पार्टी वेयर आदि को वॉर्डरोब के एक हिस्से में रखें. इससे ज़रूरत पड़ने पर आपको पूरा वॉर्डरोब ढूंढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
* हैवी सूट्स, साड़ियां, बच्चों के हैवी कपड़े, जेंट्स सूट, जो कभी-कभार ही पहने जाते हैं, उन्हें सूटकेस में रख दें.
* कई पॉकेट वाले हैंगिंग प्लास्टिक बैग्स को भी वॉर्डरोब में लटका कर रख दें. इसमें आप ज्वेलरी, कॉस्मेटिक्स, एक्सेसरीज़ आदि रख सकती हैं.
* स्टोरेज स्पेस बढ़ाने के लिए ड्रॉवर्स बनवाएं. इनमें कपड़े मैनेज करना भी आसान होता है.
* कपड़ों को हमेशा आयरन करके ही वॉर्डरोब में रखें. इससे जहां वॉर्डरोब आर्गनाइज़्ड रहेगा, वहीं कपड़े भी अच्छी कंडीशन में रहेंगे.
* अच्छी क्वालिटी के हैंगर्स ख़रीदें और इन पर ही कपड़े रखें. इससे कपड़ों पर सिलवटें नहीं पड़ेंगी और उनमें जंग लगने की संभावना भी नहीं रहेगी.
कुछ काम की बातें
* ऐसी कोई चीज़, जो अच्छी कंडीशन में हो, पर आपके काम न आती हो, उसे फेंकने से अच्छा है किसी को दान कर दें.
* बिज़नेस या विज़िटिंग कार्ड्स को मैनेज करना मुश्किल होता है, इसलिए बेहतर होगा कि उसे फोन में सेव कर लें या डिजिटल कॉन्टैक्ट लिस्ट
बना लें.
* ज़रूरी पेपर्स और बिल्स को यहां-वहां रखने की बजाय उसे फाइल करने की आदत डालें. इससे उनके खोने का डर नहीं रहेगा और ज़रूरत पड़ने पर वो आसानी से मिल भी जाएंगे.
घर को क्लीन लुक देने के लिए टूटी-फूटी, ख़राब हो चुकी और ग़ैरज़रूरी चीज़ों को तुरंत हटा दें, जैसे-
* एक्सपायर हो चुके फूड आइटम्स
* शॉपिंग, रेस्टोरेंट के बिल्स, जो ज़रूरी न हों
* टूटे हुए बेकार के इलेक्ट्रॉनिक या किचन अप्लायंसेस, गेम्स आदि
अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोग बहुत मेहनत करते हैं, अपने काम के प्रति निष्ठावान होते हैं, अच्छे स्वभाव के होते हैं, पर इन सब के बावजूद उन्हें कई बार असफलता ही हाथ लगती है. उनका काम बिगड़ जाता है फिर चाहे वो घर, परिवार, नौकरी, व्यापार, पढ़ाई किसी भी क्षेत्र का क्यों न हो. वास्तु द्वारा बिगड़े हुए कार्यों को सुधारा जा सकता है. आइए, इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ड्रॉइंगरूम
* कभी भी ड्रॉइंगरूम यानी बैठक में भारी परदे नहीं लगाएं. इससे धूल-मिट्टी परदे में चिपक जाती है, जिससे गृहिणियां अक्सर बीमार पड़ जाती हैं.
* जहां तक हो सके लकड़ी के फ़र्नीचर से कमरे को सजाएं, जैसे- कुर्सी, सोफा, टेबल आदि. दरअसल लकड़ी का फ़र्नीचर होने से सूर्य-प्रकाश, हवा आदि से प्रवाहित होनेवाली ऊर्जा व्यक्ति विशेष पर सीधे पड़ती है यानी लकड़ी इन्हें अपने में सोख नहीं लेती. इसके विपरीत लोहे, स्टील जैसी अन्य
धातुओं के फ़र्नीचर होने पर सभी ऊर्जा ज़मीन के अंदर चली जाती है.
* बहुत भारी पीतल के सजावट के सामान ड्रॉइंगरूम में दक्षिण व नैऋत्य दिशा में रखें.
* ताज़े फूल बैठक में लगाने से उनकी सुगंध से घर का वातावरण अच्छा रहता है, जबकि नकली फूल बनावटी जीवन का प्रतीक हैं.
* कई बार व्यक्ति अपने व्यवसाय से संबंधित बातें ड्रॉइंगरूम में करते हैं. ऐसे में अपनी दिशा के अनुरूप बैठकर वार्तालाप करें यानी जो दिशा व्यक्ति विशेष के अनुकूल हो, यदि वो वहां बैठें, तो सदैव सफलता हाथ लगती है. बिगड़े हुए काम बनते हैं.
कमरे का रंग
ड्रॉइंगरूम का रंग अगर गृहस्वामी से मैच नहीं करता, तो कभी भी उसका मन बैठक में नहीं लगेगा. उसका जो भी व्यवसाय है, उसमें वो सफल नहीं हो पाएगा. हल्के रंग ख़ासकर क्रीम रंग, जो सबको सूट करता है अर्थात् किसी भी लग्न प्रधान व्यक्ति को सूट करता है, इसे कमरे में लगवाएं. वैसे भी यह लक्ष्मी का प्रिय रंग है.
बेडरूम
इसका चुनाव व्यक्ति विशेष की दिशा पर निर्धारित किया जाता है. कमरे का प्रकाश बहुत अधिक तीव्र न रखें. हवा आने के लिए सही खिड़की लगी होनी चाहिए. बेडरूम में अपने किसी भी मित्र का चित्र नहीं लगाएं. इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव संचित होता है.
कमरे का रंग
बेडरूम में गहरे रंग के प्रयोग से बचें. कमरे में सदैव हल्के रंग लगाएं. इससे संबंधों में मधुरता बनी रहती है.
कमरे में पलंग
कमरे का पलंग लकड़ी का ही हो, किसी धातु का न हो. पलंग की ऊंचाई, लंबाई, चौड़ाई व्यक्ति के अनुरूप होनी चाहिए. बिस्तर नर्म होना चाहिए और चद्दर अधिकांशत: स़फेद रखनी चाहिए या हल्के क्रीम रंग की. व्यक्ति के अनुरूप रंग नहीं हुआ, तो व्यक्ति तकलीफ़ में आ जाता है. अत: इन पहलुओं पर भी ग़ौर करें.
बच्चों की पढ़ाई
बच्चों का कमरा या मेज़ पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. सबसे शुभ पूर्व होता है, क्योंकि यहां से सूर्य का प्रकाश आता है. उनके कमरे में थोड़े खिलौने वगैरह लगा दें और किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति का चित्र लगाएं, जो उन्हें हमेशा प्रेरित
करते रहें कि कैसे इन महापुरुषों ने जीवन में संघर्ष किया और महान बने. उनसे कभी नकारात्मक बातें न करें, हमेशा सकारात्मक बातें ही करें.
पूजाघर
घर में मंदिर पूर्वोत्तर (ईशान) दिशा में शुभ है. पश्चिम और दक्षिण दिशा में मंदिर नहीं रखना चाहिए. इसके अलावा मंदिर में मूर्ति बहुत ज़्यादा ऊंची या टूटी अथवा भगवान का चित्र कटे-फटे अवस्था में नहीं रखना चाहिए. जहां तक हो सके, केवल अपने आराध्य देव की और दो-तीन मूर्ति ही रखें. टूटी हुई, खंडित मूर्ति, पुरानी जगह या मंदिर से लाई हुई मूर्ति न रखें. धूप-दीप जलाएं, घंटी व शंख बजाने से नकारात्मक प्रभाव दूर होता है. शुद्ध वायु का प्रसार होता है.
रसोईघर
वेद, उपनिषद एवं समस्त वास्तु ग्रंथों के अनुसार, रसोईघर को अग्नि कोण में ही बनाना चाहिए. यदि ऐसा संभव नहीं हो, तो वायव्य कोण में भी रसोई बना सकते हैं. यदि यह भी संभव न हो, तो ईशान कोण को छोड़कर किसी भी कमरे के अग्नि कोण में रसोईघर बना सकते हैं, परंतु क्रमानुसार उसकी शुभता कम होती जाती है. ध्यान रहे, भोजन बनाते समय चेहरा पूर्व में रहे.
टॉयलेट और बाथरूम
प्राय: लोग बाकी सभी चीज़ें साफ़ रखते हैं, पर टॉयलेट व बाथरूम पर ध्यान नहीं देते. इसके कारण कई बार लोग फिसलकर गिर जाते हैं, जिससे हड्डी तक टूट जाती है. स्नानघर पूर्व दिशा और टॉयलेट दक्षिण और पश्चिम दिशा में होना चाहिए. मानसिक स्वास्थ्य के लिए टॉयलेट की सफ़ाई का विशेष रूप से ध्यान रखें. विशेष: ईशान/नैऋत्य कोण में बाथरूम सदैव अशुभ होता है.
भवन निर्माण के समय
कोई भी नया भवन निर्माण करते समय वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए. निर्माण के पूर्व नक्शा भी वास्तु के अनुरूप ही बनाना चाहिए. जहां तक संभव हो, निर्मित भवन में तोड़-फोड़ नहीं करनी चाहिए. उपाय के द्वारा भी वास्तु-दोष निवारण किया जा सकता है, जैसे- उस वास्तु-दोष के निवारण हेतु दोषयुक्त दिशा या स्थान पर यंत्र स्थापित कर पूरे भवन के वास्तु-दोष की शांति के लिए मुख्य द्वार एवं अंदर के सभी कमरों के द्वारों पर शुभ प्रतीक चिह्न- घोड़े की नाल, स्वस्तिक, ओम आदि का प्रतीक चिह्न अंकित कर सकते हैं. तुलसी का पौधा दोषयुक्त स्थान/दिशा में रखकर लाभ उठाया जा सकता है. घर में अखंड रूप से श्रीरामचरितमानस का नवाह पारायण नौ बार करने से वास्तु जनित दोष दूर हो जाता है. वास्तु में विभिन्न दिशाओं, स्थानों और कोणों से किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इन्हें कैसे दूर करें? आइए, इन पर एक नज़र डालते हैं-
ईशान कोण (उत्तर/पूर्व)
ईशान कोण वास्तु में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान या दिशा है. यदि ईशान कोण दूषित है तो अन्य सारे स्थान/दिशा सही होने पर भी कोई लाभ नहीं. इस दिशा को हमेशा साफ़ रखें. यहां गंदगी नहीं होनी चाहिए. यह स्थान खाली होना चाहिए. इस स्थान को देवता का वास/स्थान माना गया है. यहां पूजा स्थल सर्वाधिक उपयुक्त है. इस दिशा में झाड़ू भूलकर भी न रखें. विशेष: यह कोण बढ़ा हुआ हो, तो शुभ फलदायक होता है.
आग्नेय कोण ( दक्षिण/पूर्व)
इस दिशा में भारी सामान या गंदगी नहीं होनी चाहिए. पानी की टंकी (अंडरग्राउंड) कदापि नहीं होनी चाहिए.
नैऋत्य कोण (दक्षिण/पश्चिम)
परिवार के मुखिया के शयनकक्ष हेतु सर्वाधिक उपयुक्त है तथा दुकान के मालिक के लिए यह स्थान लाभदायक है. भारी मशीनें, भारी सामान इस दिशा में रखना चाहिए. विशेष: नैऋत्य कोण में किसी भी प्रकार का गड्ढा, बेसमेंट, कुआं नहीं होना चाहिए. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होता है.
वायव्य कोण (उत्तर/पश्चिम)
शौचालय, सेप्टिक टैंक के लिए उपयुक्त. अध्ययन कक्ष, गैरेज के लिए लाभदायक. इस दिशा में दुकान का गल्ला, कैश बॉक्स नहीं रखना चाहिए.
ब्रह्म स्थान
भूखंड के बीच के स्थान (आंगन) को ब्रह्म स्थान की संज्ञा दी गई है. आंगन खुला एवं स्वच्छ होना चाहिए. जूठे बर्तन या गंदगी आंगन में नहीं होनी चाहिए. आंगन में किसी प्रकार का गड्ढा न हो.
घर की सफ़ाई तो हम रोज़ाना करते हैं, पर क्या हमारा घर रोज़ाना जर्म फ्री हो पाता है. अच्छी सफ़ाई के बावजूद हम पूरे विश्वास से नहीं कह सकते कि हमारा घर 100% बैक्टीरिया फ्री है, क्योंकि घर में ऐसे कई बैक्टीरिया स्पॉट्स होते हैं, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. अगर हमें इनकी जानकारी हो, तो यक़ीनन हम अपने घर को बैक्टीरिया फ्री व हेल्दी बना सकते हैं.
किचन
हमेशा खाने-पीने की चीज़ों के कारण किचन में कीटाणुओं, जीवाणुओं और कीड़ों-मकोड़ों की संभावना सबसे ज़्यादा बनी रहती है.
बर्तन धोनेवाला स्पॉन्ज और किचन क्लॉथ: अगर इन्हें सही तरी़के से साफ़ व स्टोर न किया जाए, तो इनमें पनपते फंगस और असंख्य जीवाणु बर्तनों के ज़रिए हमारे शरीर में पहुंचकर हमें काफ़ी नुक़सान पहुंचा सकते हैं. हेल्थ टिप:हर बार इस्तेमाल के बाद इसे सूखने के लिए रख दें. यह जितनी ज़्यादा देर गीला रहेगा, कीटाणु उतनी ही तेज़ी से फैलेंगे. स्पॉन्ज को आप माइक्रोवेव में रखकर सैनेटाइज़ कर सकते हैं.
कटिंग बोर्ड: रिसर्च की मानें, तो किचन के कटिंग बोर्ड पर किसी टॉयलेट सीट की तुलना में 20 गुना ज़्यादा कीटाणु होते हैं. इसलिए इसकी सफ़ाई पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है. हेल्थ टिप: फल-सब्ज़ियों और बाकी की सामग्री के लिए एक और मीट, चिकन, फिश आदि नॉन वेज के लिए अलग-अलग कटिंग बोर्ड रखें, ताकि क्रॉस कंटैमिनेशन न हो. नियमित रूप से एंटी बैक्टीरियल क्लीनर से क्लीन करें.
काउंटर्स: किचन काउंटर्स पर हमेशा कुछ न कुछ खाने का सामान गिरता रहता है, जिसके कारण फूड बैक्टीरिया और कीड़े-मकोड़े तेज़ी से बढ़ते हैं, जो अस्थमा व एलर्जी का कारण हो सकते हैं. हेल्थ टिप: काउंटर को रोज़ाना साबुन से धोने के बाद पानी में 1 टीस्पून क्लोरीन ब्लीच डालकर साफ़ करें. कैबिनेट में मौजूद कंटेनर्स को अच्छी तरह से बंद करके रखें.
बर्तन रखने की ट्रॉली:भले ही बर्तनों को कितना भी चमका दें, लेकिन अगर बर्तन रखनेवाली जगह साफ़ व हाइजीनिक नहीं है, तो बर्तनों पर उनका सीधा असर पड़ेगा, जो हमारी हेल्थ को प्रभावित कर सकता है. हेल्थ टिप: नियमित रूप से बर्तन रखनेवाली ट्रॉली को साफ़ व हाइजीनिक रखें. खाने के तुरंत बाद बर्तनों को धो-पोंछकर रख दें, सिंक में यूं ही पड़े न रहने दें.
डस्टबिन: बैक्टीरिया के पनपने और फैलने के लिए सबसे आम जगह है, लेकिन अगर ध्यान दिया जाए, तो इसे कीटाणुमुक्त रख सकते हैं. हेल्थ टिप: डस्टबिन में हमेशा ब्लैक पॉलीथिन डालकर रखें. हर हफ़्ते डस्टबिन को साबुन के पानी से धोएं.
बाथरूम
बाथरूम मेें मौजूद नमी बैक्टीरिया को पनपने में काफ़ी मदद करती है, यही कारण है कि हमें बाथरूम को हमेशा सूखा रखने की कोशिश करनी चाहिए.
टॉयलेट हैंडल: टॉयलेट का हैंडल फ्लश करते व़क्त हमें यह ध्यान ही नहीं रहता कि इस हैंडल पर भी वायरस हो सकते हैं. दरअसल, बच्चों में डायरिया का एक बड़ा कारण रोटावायरस होता है, जो ज़्यादातर टॉयलेट हैंडल पर पाया जाता है. हेल्थ टिप: टॉयलेट साफ़ करते समय इसे अनदेखा न करें. साबुन के अलावा एंटी बैक्टीरियल क्लीनर का इस्तेमाल भी करें.
फ्लोर से सीलिंग तक: हमेशा नमी होने के कारण बाथरूम में फंगस बहुत तेज़ी से फैलता है. इसके कारण आंख व नाक से पानी आने के साथ-साथ सांस संबंधी कई परेशानियां हो सकती हैं. हेल्थ टिप: बाथरूम में हमेशा पानी भरकर न रखें. नहाने के तुरंत बाद बाल्टी को उल्टा करके रख दें और बाथटब को पोंछकर साफ़ कर दें. यदि शावर कर्टन्स का इस्तेमाल करते हैं, तो हर 15 दिन में इसे साफ़ करें.
सोप व टूथब्रश होल्डर: गीले साबुन और गीले टूथब्रश बैक्टीरिया को बहुत तेज़ी से आकर्षित करते हैं. कॉकरोच आपके टूथब्रश को जीवाणुओं से भर सकता है और अनजाने ही आप ओरल प्रॉब्लम्स के शिकार हो सकते हैं. हेल्थ टिप: टूथब्रश पर कैप लगाकर और साबुन का झाग धोकर रखें, ताकि वह जल्दी सूख जाए. एक ही साबुन अगर एक से ज़्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं, तो हमेशा साबुन धोकर इस्तेमाल करें. सोप व टूथब्रश होल्डर नियमित रूप से साफ़ करें.
बेडरूम
बेडशीट्स और तकियों में डस्ट माइट्स और एलर्जेंस को पनपने के लिए अनुकूल माहौल मिलता है, जिसके कारण लोगों को अक्सर सर्दी-ज़ुकाम, बदनदर्द और सांस संबंधी समस्याएं होती ही रहती हैं.
तकिया:इसके बिना हम सुकून की नींद सो भी नहीं सकते, पर हो सकता है कि इसमें मौजूद डस्ट माइट्स और जर्म्स
आपसे आपका सुकून छीन लें. पुराने तकियों में इनकी भरमार होती है, जिन पर हमारा ध्यान बमुश्किल जाता है. हेल्थ टिप: तकिये के कवर को हर 15 दिन में गर्म पानी में धोएं. हर दो साल में तकिया बदलते रहें.
बेडशीट्स, चादर और गद्दे: हम रोज़ाना 7-8 घंटे इनमें गुज़ारते हैं, अगर ये ख़ुद ही बीमार हों, तो भला हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं. डस्ट माइट्स और एलर्जेन्स चादर व गद्दों को अपना घर बनाकर हमें बीमार कर सकते हैं. हेल्थ टिप: चादर और गद्दे के कवर को हर 15 दिन में एक बार गर्म पानी में धोएं. गद्दों को समय-समय पर धूप में डालें, ताकि डस्ट माइट्स ख़त्म हो जाएं.
घर का बाकी हिस्सा
दरवाज़े के हैंडल: दरवाज़े के हैंडल में स्टैफ नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो हमारे मुंह, आंख और घाव में पहुंचकर नुक़सान पहुंचाता है. हेल्थ टिप: किसी एंटी-बैक्टीरियल क्लीनर से इसे रोज़ाना साफ़ करें.
दीवारें: दीवारों पर जमी धूल-मिट्टी में पनपते डस्ट माइट्स जहां हमारी सेहत को नुक़सान पहुंचा सकते हैं, वहीं दीवारों पर लगा पेंट भी नुक़सानदेह हो सकता है. कुछ पेंट्स में वोलाटाइल ऑर्गेनाइक कंपाउंड्स (वीओसी) होते हैं, जो इंडोर एयर पॉल्यूशन का कारण बनते हैं और कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी पैदा कर सकते हैं. हेल्थ टिप: घर के लिए लो वीओसी पेंट्स, मिल्क पेंट व व्हाइट वॉश चुनें. इस बात का भी ध्यान रखें कि पेंट में लेड न हो. नियमित रूप से दीवारों के जाले और धूल-मिट्टी को झाड़कर साफ़ करें.
कार्पेट व रग्स: इनमें डस्ट माइट्स व एलर्जेन्स बहुत तेज़ी से फैलते हैं, जो एलर्जी फैलाने के लिए काफ़ी हैं. कार्पेट्स को अगर नियमित रूप से साफ़ नहीं किया गया, तो नमी के कारण इसमें फंगस लगने लगता है. हेल्थ टिप:समय-समय पर कार्पेट निकालकर थोड़ी देर उल्टा करके धूप में रखें, ताकि किसी तरह के बैक्टीरिया या फंगस न पैदा हों.
शू रैक: अक्सर लोग इसे अनदेखा कर देते है, जबकि बाहर से हमारे जूते-चप्पलों के साथ आई गंदगी व बैक्टीरिया हमारे घर में घुस आते हैं. इसमें चिपके बैक्टीरिया घर में फैलकर हमें बीमार बना सकते हैं. हेल्थ टिप: हो सके, तो शू रैक को घर से बाहर ही रखें. समय-समय पर जूते-चप्पलों को निकालकर शू रैक साफ़ करें और कीटनाशक भी स्प्रे करवाएं.
हेल्दी होम टिप्स
* घर में वेंटिलेशन का ख़ास ख़्याल रखें. खिड़कियां खुली रखें, ताकि ताज़ी हवा व सूरज की रोशनी घर में आती रहे.
* घर के जिन हिस्सों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती, वहां बहुत तेज़ी से कीटाणु फैलते हैं. इसलिए सुबह के व़क्त खिड़कियां खोल दें, ताकि सूरज की रोशनी घर में आ सके.
* अपने किचन व बाथरूम को कीटाणुओं से मुक्त करने के लिए नीम व लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल करें.
* नियमित रूप से किचन के सिंक और ड्रेन में 1/4 कप विनेगर डालें, ताकि वे कीटाणु मुक्त रहें.
* खाना बनाते व़क्त किचन में एक्ज़ॉस्ट फैन ऑन रखें, ताकि सारा धुंआ तुरंत निकल जाए.
* घर के किसी भी हिस्से को दो हफ़्ते से ज़्यादा अनदेखा न करें, वरना यह नुक़सानदेह हो सकता है.
* समय-समय पर घर में पेस्ट कंट्रोल करवाएं.
* हर रोज़ फ्लोर क्लीनर से पोंछा लगाएं.
* एक स्प्रे बॉटल में 1 कप फिल्टर वॉटर, 5 बूंदें ऑरेंज एसेंशियल ऑयल, 3 बूंदें लैवेंडर एसेंशियल ऑयल, 2 बूंदें नीलगिरी एसेंशियल ऑयल और 2 बूंदें टी ट्री ऑयल मिलाकर नेचुरल एंटी बैक्टीरियल स्प्रे बनाकर रख लें, आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करें.
* एक स्प्रे बॉटल लें. आधे बॉटल में विनेगर भरें और आधे बॉटल में पानी भरकर एंटी बैक्टीरियल क्लीनर की तरह इस्तेमाल करें.
वास्तुशास्त्र के नियमानुसार कमरे की कौन-सी दीवार को किस रंग से रंगवाना लाभदायक होता है? चलिए, जानते हैं.
लाल रंग
लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक है. इस रंग का इस्तेमाल घर के दक्षिणी या दक्षिण-पूर्वी हिस्से में नाम मात्र के लिए करें, लेकिन इस हिस्से में अगर बेडरूम हो, तो यहां लाल रंग के प्रयोग से बचें और हल्के पिंक या हल्के क्रीम रंग का सिलेक्शन करें.
हरा रंग
हरा यानी बुध से संबंधित रंग. इस रंग का प्रयोग घर के उत्तर में करना चाहिए. इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और आपको उन्नति के अवसर मिलेंगे.
बच्चों, लड़कियों और नवविवाहित जोड़ों के कमरे में हल्के सी ग्रीन या आयवरी रंग का इस्तेमाल करें.
पीला रंग
रंग का इस्तेमाल घर के पूर्वोत्तर में स्थित किसी भी कमरे में किया जा सकता है. अगर यहां पर आपका ऑफ़िस, ड्रॉइंग रूम आदि है तो हल्का पीला रंग आपके लिए अति शुभ होगा. अगर इस दिशा में स्टडी रूम, लाइब्रेरी या बच्चों का कमरा हो तो भी हल्के पीले रंग का इस्तेमाल करें.
नीला रंग
आसमानी रंग का इस्तेमाल मकान की उत्तर दिशा में करना चाहिए. यह रंग जल तत्व को इंगित करता है. इसके अलावा घर की उत्तर दिशा में भी बहते जल वाली तस्वीरें या पेंटिंग्स लगानी चाहिए. इससे करियर में सफलता मिलती है.
स्मार्ट टिप्स
उत्तर दिशा में स्थित मकान के बाहरी हिस्से को ख़ूबसूरत बनाने के लिए हल्के नीले व पीले रंग का प्रयोग करें.
दक्षिण पूर्व में कभी भी हल्के या गहरे नीले रंग का इस्तेमाल न करें.
पूर्वोत्तर या उत्तर दिशा में स्थित कमरों में कभी लाल या ऑरेंज रंगों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये जल स्थान है और लाल रंग अग्नि का प्रतीक है.
मकान की बाहरी दीवारों पर ग्रे, ब्राउन या काले रंग का इस्तेमाल कभी न करें.