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कैसे बनाएं घर को बैक्टीरिया फ्री? ( How to create a bacteria-free home?)

bacteria-free 2 घर की सफ़ाई तो हम रोज़ाना करते हैं, पर क्या हमारा घर रोज़ाना जर्म फ्री हो पाता है. अच्छी सफ़ाई के बावजूद हम पूरे विश्‍वास से नहीं कह सकते कि हमारा घर 100% बैक्टीरिया फ्री है, क्योंकि घर में ऐसे कई बैक्टीरिया स्पॉट्स होते हैं, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. अगर हमें इनकी जानकारी हो, तो यक़ीनन हम अपने घर को बैक्टीरिया फ्री व हेल्दी बना सकते हैं.
किचन
हमेशा खाने-पीने की चीज़ों के कारण किचन में कीटाणुओं, जीवाणुओं और कीड़ों-मकोड़ों की संभावना सबसे ज़्यादा बनी रहती है. बर्तन धोनेवाला स्पॉन्ज और किचन क्लॉथ: अगर इन्हें सही तरी़के से साफ़ व स्टोर न किया जाए, तो इनमें पनपते फंगस और असंख्य जीवाणु बर्तनों के ज़रिए हमारे शरीर में पहुंचकर हमें काफ़ी नुक़सान पहुंचा सकते हैं. हेल्थ टिप: हर बार इस्तेमाल के बाद इसे सूखने के लिए रख दें. यह जितनी ज़्यादा देर गीला रहेगा, कीटाणु उतनी ही तेज़ी से फैलेंगे. स्पॉन्ज को आप माइक्रोवेव में रखकर सैनेटाइज़ कर सकते हैं. कटिंग बोर्ड: रिसर्च की मानें, तो किचन के कटिंग बोर्ड पर किसी टॉयलेट सीट की तुलना में 20 गुना ज़्यादा कीटाणु होते हैं. इसलिए इसकी सफ़ाई पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है. हेल्थ टिप: फल-सब्ज़ियों और बाकी की सामग्री के लिए एक और मीट, चिकन, फिश आदि नॉन वेज के लिए अलग-अलग कटिंग बोर्ड रखें, ताकि क्रॉस कंटैमिनेशन न हो. नियमित रूप से एंटी बैक्टीरियल क्लीनर से क्लीन करें. काउंटर्स: किचन काउंटर्स पर हमेशा कुछ न कुछ खाने का सामान गिरता रहता है, जिसके कारण फूड बैक्टीरिया और कीड़े-मकोड़े तेज़ी से बढ़ते हैं, जो अस्थमा व एलर्जी का कारण हो सकते हैं. हेल्थ टिप: काउंटर को रोज़ाना साबुन से धोने के बाद पानी में 1 टीस्पून क्लोरीन ब्लीच डालकर साफ़ करें. कैबिनेट में मौजूद कंटेनर्स को अच्छी तरह से बंद करके रखें. बर्तन रखने की ट्रॉली: भले ही बर्तनों को कितना भी चमका दें, लेकिन अगर बर्तन रखनेवाली जगह साफ़ व हाइजीनिक नहीं है, तो बर्तनों पर उनका सीधा असर पड़ेगा, जो हमारी हेल्थ को प्रभावित कर सकता है. हेल्थ टिप: नियमित रूप से बर्तन रखनेवाली ट्रॉली को साफ़ व हाइजीनिक रखें. खाने के तुरंत बाद बर्तनों को धो-पोंछकर रख दें, सिंक में यूं ही पड़े न रहने दें. डस्टबिन: बैक्टीरिया के पनपने और फैलने के लिए सबसे आम जगह है, लेकिन अगर ध्यान दिया जाए, तो इसे कीटाणुमुक्त रख सकते हैं. हेल्थ टिप: डस्टबिन में हमेशा ब्लैक पॉलीथिन डालकर रखें. हर हफ़्ते डस्टबिन को साबुन के पानी से धोएं.
बाथरूम
बाथरूम मेें मौजूद नमी बैक्टीरिया को पनपने में काफ़ी मदद करती है, यही कारण है कि हमें बाथरूम को हमेशा सूखा रखने की कोशिश करनी चाहिए. टॉयलेट हैंडल: टॉयलेट का हैंडल फ्लश करते व़क्त हमें यह ध्यान ही नहीं रहता कि इस हैंडल पर भी वायरस हो सकते हैं. दरअसल, बच्चों में डायरिया का एक बड़ा कारण रोटावायरस होता है, जो ज़्यादातर टॉयलेट हैंडल पर पाया जाता है. हेल्थ टिप: टॉयलेट साफ़ करते समय इसे अनदेखा न करें. साबुन के अलावा एंटी बैक्टीरियल क्लीनर का इस्तेमाल भी करें. फ्लोर से सीलिंग तक: हमेशा नमी होने के कारण बाथरूम में फंगस बहुत तेज़ी से फैलता है. इसके कारण आंख व नाक से पानी आने के साथ-साथ सांस संबंधी कई परेशानियां हो सकती हैं. हेल्थ टिप: बाथरूम में हमेशा पानी भरकर न रखें. नहाने के तुरंत बाद बाल्टी को उल्टा करके रख दें और बाथटब को पोंछकर साफ़ कर दें. यदि शावर कर्टन्स का इस्तेमाल करते हैं, तो हर 15 दिन में इसे साफ़ करें. सोप व टूथब्रश होल्डर: गीले साबुन और गीले टूथब्रश बैक्टीरिया को बहुत तेज़ी से आकर्षित करते हैं. कॉकरोच आपके टूथब्रश को जीवाणुओं से भर सकता है और अनजाने ही आप ओरल प्रॉब्लम्स के शिकार हो सकते हैं. हेल्थ टिप: टूथब्रश पर कैप लगाकर और साबुन का झाग धोकर रखें, ताकि वह जल्दी सूख जाए. एक ही साबुन अगर एक से ज़्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं, तो हमेशा साबुन धोकर इस्तेमाल करें. सोप व टूथब्रश होल्डर नियमित रूप से साफ़ करें.
बेडरूम
बेडशीट्स और तकियों में डस्ट माइट्स और एलर्जेंस को पनपने के लिए अनुकूल माहौल मिलता है, जिसके कारण लोगों को अक्सर सर्दी-ज़ुकाम, बदनदर्द और सांस संबंधी समस्याएं होती ही रहती हैं. तकिया: इसके बिना हम सुकून की नींद सो भी नहीं सकते, पर हो सकता है कि इसमें मौजूद डस्ट माइट्स और जर्म्स आपसे आपका सुकून छीन लें. पुराने तकियों में इनकी भरमार होती है, जिन पर हमारा ध्यान बमुश्किल जाता है. हेल्थ टिप: तकिये के कवर को हर 15 दिन में गर्म पानी में धोएं. हर दो साल में तकिया बदलते रहें. बेडशीट्स, चादर और गद्दे: हम रोज़ाना 7-8 घंटे इनमें गुज़ारते हैं, अगर ये ख़ुद ही बीमार हों, तो भला हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं. डस्ट माइट्स और एलर्जेन्स चादर व गद्दों को अपना घर बनाकर हमें बीमार कर सकते हैं. हेल्थ टिप: चादर और गद्दे के कवर को हर 15 दिन में एक बार गर्म पानी में धोएं. गद्दों को समय-समय पर धूप में डालें, ताकि डस्ट माइट्स ख़त्म हो जाएं. 1 घर का बाकी हिस्सा दरवाज़े के हैंडल: दरवाज़े के हैंडल में स्टैफ नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो हमारे मुंह, आंख और घाव में पहुंचकर नुक़सान पहुंचाता है. हेल्थ टिप: किसी एंटी-बैक्टीरियल क्लीनर से इसे रोज़ाना साफ़ करें. दीवारें: दीवारों पर जमी धूल-मिट्टी में पनपते डस्ट माइट्स जहां हमारी सेहत को नुक़सान पहुंचा सकते हैं, वहीं दीवारों पर लगा पेंट भी नुक़सानदेह हो सकता है. कुछ पेंट्स में वोलाटाइल ऑर्गेनाइक कंपाउंड्स (वीओसी) होते हैं, जो इंडोर एयर पॉल्यूशन का कारण बनते हैं और कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी पैदा कर सकते हैं. हेल्थ टिप: घर के लिए लो वीओसी पेंट्स, मिल्क पेंट व व्हाइट वॉश चुनें. इस बात का भी ध्यान रखें कि पेंट में लेड न हो. नियमित रूप से दीवारों के जाले और धूल-मिट्टी को झाड़कर साफ़ करें. कार्पेट व रग्स: इनमें डस्ट माइट्स व एलर्जेन्स बहुत तेज़ी से फैलते हैं, जो एलर्जी फैलाने के लिए काफ़ी हैं. कार्पेट्स को अगर नियमित रूप से साफ़ नहीं किया गया, तो नमी के कारण इसमें फंगस लगने लगता है. हेल्थ टिप: समय-समय पर कार्पेट निकालकर थोड़ी देर उल्टा करके धूप में रखें, ताकि किसी तरह के बैक्टीरिया या फंगस न पैदा हों. शू रैक: अक्सर लोग इसे अनदेखा कर देते है, जबकि बाहर से हमारे जूते-चप्पलों के साथ आई गंदगी व बैक्टीरिया हमारे घर में घुस आते हैं. इसमें चिपके बैक्टीरिया घर में फैलकर हमें बीमार बना सकते हैं. हेल्थ टिप: हो सके, तो शू रैक को घर से बाहर ही रखें. समय-समय पर जूते-चप्पलों को निकालकर शू रैक साफ़ करें और कीटनाशक भी स्प्रे करवाएं. हेल्दी होम टिप्स * घर में वेंटिलेशन का ख़ास ख़्याल रखें. खिड़कियां खुली रखें, ताकि ताज़ी हवा व सूरज की रोशनी घर में आती रहे. * घर के जिन हिस्सों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती, वहां बहुत तेज़ी से कीटाणु फैलते हैं. इसलिए सुबह के व़क्त खिड़कियां खोल दें, ताकि सूरज की      रोशनी घर  में आ सके. * अपने किचन व बाथरूम को कीटाणुओं से मुक्त करने के लिए नीम व लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल करें. * नियमित रूप से किचन के सिंक और ड्रेन में 1/4 कप विनेगर डालें, ताकि वे कीटाणु मुक्त रहें. * खाना बनाते व़क्त किचन में एक्ज़ॉस्ट फैन ऑन रखें, ताकि सारा धुंआ तुरंत निकल जाए. * घर के किसी भी हिस्से को दो हफ़्ते से ज़्यादा अनदेखा न करें, वरना यह नुक़सानदेह हो सकता है. * समय-समय पर घर में पेस्ट कंट्रोल करवाएं. * हर रोज़ फ्लोर क्लीनर से पोंछा लगाएं. * एक स्प्रे बॉटल में 1 कप फिल्टर वॉटर, 5 बूंदें ऑरेंज एसेंशियल ऑयल, 3 बूंदें लैवेंडर एसेंशियल ऑयल, 2 बूंदें नीलगिरी एसेंशियल ऑयल और 2  बूंदें टी ट्री ऑयल मिलाकर नेचुरल एंटी बैक्टीरियल स्प्रे बनाकर रख लें, आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करें. * एक स्प्रे बॉटल लें. आधे बॉटल में विनेगर भरें और आधे बॉटल में पानी भरकर एंटी बैक्टीरियल क्लीनर की तरह इस्तेमाल करें.  

- अनुश्री

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गुड लक के लिए चुनें सही रंग

वास्तुशास्त्र के नियमानुसार कमरे की कौन-सी दीवार को किस रंग से रंगवाना लाभदायक होता है? चलिए, जानते हैं.

 

लाल रंग

  • लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक है. इस रंग का इस्तेमाल घर के दक्षिणी या दक्षिण-पूर्वी हिस्से में नाम मात्र के लिए करें, लेकिन इस हिस्से में अगर बेडरूम हो, तो यहां लाल रंग के प्रयोग से बचें और हल्के पिंक या हल्के क्रीम रंग का सिलेक्शन करें.

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हरा रंग

  • हरा यानी बुध से संबंधित रंग. इस रंग का प्रयोग घर के उत्तर में करना चाहिए. इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और आपको उन्नति के अवसर मिलेंगे.
  •  बच्चों, लड़कियों और नवविवाहित जोड़ों के कमरे में हल्के सी ग्रीन या आयवरी रंग का इस्तेमाल करें.

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पीला रंग

  •  रंग का इस्तेमाल घर के पूर्वोत्तर में स्थित किसी भी कमरे में किया जा सकता है. अगर यहां पर आपका ऑफ़िस, ड्रॉइंग रूम आदि है तो हल्का पीला रंग आपके लिए अति शुभ होगा. अगर इस दिशा में स्टडी रूम, लाइब्रेरी या बच्चों का कमरा हो तो भी हल्के पीले रंग का इस्तेमाल करें.

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नीला रंग

  • आसमानी रंग का इस्तेमाल मकान की उत्तर दिशा में करना चाहिए. यह रंग जल तत्व को इंगित करता है. इसके अलावा घर की उत्तर दिशा में भी बहते जल वाली तस्वीरें या पेंटिंग्स लगानी चाहिए. इससे करियर में सफलता मिलती है.

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स्मार्ट टिप्स

  • उत्तर दिशा में स्थित मकान के बाहरी हिस्से को ख़ूबसूरत बनाने के लिए हल्के नीले व पीले रंग का प्रयोग करें.
  •  दक्षिण पूर्व में कभी भी हल्के या गहरे नीले रंग का इस्तेमाल न करें.
  •  पूर्वोत्तर या उत्तर दिशा में स्थित कमरों में कभी लाल या ऑरेंज रंगों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये जल स्थान है और लाल रंग अग्नि का प्रतीक है.
  • मकान की बाहरी दीवारों पर ग्रे, ब्राउन या काले रंग का इस्तेमाल कभी न करें.

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कितना हेल्दी और सेफ है आपका किचन ?

  किचन में अक्सर कई दुर्घटनाएं होती हैं, जैसे- कटना, जलना, फिसल जाना आदि. अत: किचन में निम्न बातों का ध्यान रखें. * किचन में एक पोंछने वाला कपड़ा, फर्स्ट एड किट, जिसमें बैंड एड, कटने व जलने की दवा और डेटॉल ज़रूर रखें. * डोमेस्टिक पॉल्यूशनका दूसरा सबसे बड़ा कारण है कुकिंग. गैस स्टोव से ख़तरनाक नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड आदि गैसें निकलती हैं. इनका स्तर कम करने के लिए वेंटीलेशन अच्छा रखें या एग्ज़ॉस्ट फैन लगाएं. इससे किचन में धूल-मिट्टी कम जमती है. एग्जॉस्ट फैन को दीवार की उस दिशा में लगाएं, जहां से विपरीत दिशा से अच्छी हवा आए. फैन को हर छह महीने में मैनुफेक्चरर के निर्देशानुसार क्लीन करें. यदि बाहरी हवा नहीं है तो किचन में भी सिलिंग फैन लगाएं. * कभी भी गरम कुकर को खिड़की (पिंडी) के पास न रखें, वरना हो सकता है कुकर की हीट से खिड़की का कांच तड़क जाए. * गैस का सिलेंडर खुली जगह पर रखें. यहां अन्य किसी चीज़ों का अंबार न लगाएं और गैस की पाइप को किसी चीज़ से ढंकें नहीं, अगर कहीं चीरे या कटने का निशान दिखे तो पाइप तुरंत बदलवाएं.   Gas Stove,Kitchen safety * रात को सोने से पहले गैस सिलेंडर का वॉल्व बंद करें. * घर से बाहर जाते समय चेक कर लें कि सिलेंडर का वॉल्व बंद है या नहीं. * यदि गैस की गंध आए तो वॉल्व बंद कर दें. खिड़की खोल दें. इलेक्ट्रिक स्विच बंद कर दें और गैस कंपनी में फ़ोन करें. * किचन में जिस जगह आप काम करती हैं, वहां फ्लोरसेंट लाइट ज़रूर लगवाएं. * इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि जहां माइक्रोवेव, कुकिंग रेंज या ओवन रखा हो, उसके कम-से-कम एक तरफ 40 सें.मी. चौड़ी जगह हो. * खाना बनाने का प्लेटफॉर्म इतनी ऊंचाई पर हो कि आपको ज़्यादा झुक कर भी काम न करना पड़े और न ज़्यादा ऊंचे होकर. * इसी तरह कबर्ड भी इतनी ऊंचाई पर हों कि आप आसानी से उनमें से सामान निकाल या रख सकें. सिंक के मामले में भी यही नियम लागू होता है. * कुकिंग रेंज इस तरह सेट करें कि गैस पर रखी चीज़ को आसानी से हिलाया जा सके. * माइक्रोवेव इस तरह रखा जाना चाहिए कि वह आपके आई लेवल पर हो, अन्यथा गर्म खाना आप पर गिर सकता है. स्मार्ट टिप्स * घर में ऐसे उपकरण रखें, जो लॉक हो सकें. मार्केट में चाइल्ड लॉक डिवाइस उपलब्ध हैं. यदि आपके घर में बच्चे हैं तो आपके लिए यह बहुत उपयोगी सिद्ध होगा. * ऐसी कुकिंग रेंज लें जो ऊपर से ग्लास से बनी हो. * हमेशा ड्राय पार्ट होल्डर्स का ही इस्तेमाल करें. गीला होल्डर हीट (ऊष्मा) ट्रांसमिट करता है. डिश टॉवेल इतने मोटे नहीं होते कि आपकी सुरक्षा कर सकें. * इस्तेमाल के बाद टोस्टर को बंद कर दें. यदि स्विच ऑन रह गया तो उपकरण ज़्यादा गरम हो जाएगा या फिर उसमें आग लगने का भी डर हो सकता है. दुर्घटना से बचाव करना है तो इलेक्ट्रिक उपकरण का ध्यान रखें. * यदि लिक्विड को मिक्सर में ब्लेंड करना है तो ध्यान रखें कि वह गरम न हो. पहले उसे ठंडा कर लें, फिर ब्लेंडर में डालें, वरना ब्लेंड करने के बाद जैसे ही आप जार का ढक्कन खोलेंगी तो हो सकता है वह उड़कर आपके चेहरे पर आ जाए. * रात को काम ख़त्म करने के बाद किचन की पूरी सफ़ाई करें. झाड़ने-पोंछने के कपड़े (डस्टर) को धोकर रखें. हर हफ़्ते इन्हें उबले हुए साबुन के पानी से धोएं और धूप में सुखाएं. हमेशा डस्टर के दो सेट रखें. * कभी भी कुकर के पास फ्रिज न रखें, वरना इससे फ्रिज की क्षमता पर फ़र्क पड़ेगा. फ्रिज को रोज़ाना अंदर से पोंछ लें. आइस ट्रे को भरने से पहले सुखा लें. जो खाने का सामान उपयोगी नहीं है, उसे निकाल दें. बचे हुए खाने को एक घंटे के बाद फ्रिज में रख दें. * सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में डालें. डस्टबिन को भी रोज़ाना साफ़ करें, ताकि गंदगी के कारण जीवाणु न फैलें. * टूटने वाले सामान, पेस्टिसाइड्स, डिटर्जेंट, माचिस, लाइटर, चाकू व कांटों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें. * खाना बनाते समय फिटिंग के कपड़े व एप्रेन पहनें. लूज़ स्लीव या दुपट्टा न पहनें. इनमें आग लगने का डर ज़्यादा रहता है. Kitchen safety_Dish washing_Kitchen Hygiene. गुड किचन हैबिट्स * काम ख़त्म होते ही सिंक, प्लेटफॉर्म और गंदे बर्तन तुरंत साफ़ कर लें. * गंदे बर्तन सिंक में इकट्ठा करने की बजाय तुरंत साफ़ कर लें. अगर तुरंत साफ़ नहीं करना चाहतीं तो बर्तन को कम-से-कम नल के नीचे रखकर पानी डाल दें, ताकि बाद में उन्हें धोना आसान हो सके. * सब्ज़ी इत्यादि पेपर पर काटें और बचा हुआ कचरा डस्टबिन में फेंक दें. * ग्रॉसरी शॉपिंग करके आने के बाद चीज़ें तुरंत जगह पर रख दें. खाली कंटेनर तुरंत हटा दें.

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