पूजा में सबसे पहले गणेश जी का ही स्मरण किया जाता है इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य कहा जाता है. भगवान शिव ने गणेश जी को ये आशीर्वाद दिया था कि जब भी पूजा होगी, तो सबसे पहले उनका ही स्मरण होगा, इसीलिए पूजा में सबसे पहले गणेश जी का ही स्मरण किया जाता है. भगवान गणेश के यूं तो अनेक नाम हैं, लेकिन श्री गणेश के 108 नामों की नामावली का जाप करने से विघ्नहर्ता सारे कष्ट हर लेते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. आप भी श्री गणेश के 108 नाम जरूर जपें, आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी.
श्री गणेश के 108 नाम और उनका अर्थ 1) बालगणपति – सबसे प्रिय बालक 2) भालचन्द्र – जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो 3) बुद्धिनाथ – बुद्धि के भगवान 4) धूम्रवर्ण – धुंए को उड़ाने वाले 5) एकाक्षर – एकल अक्षर 6) एकदन्त – एक दांत वाले 7) गजकर्ण – हाथी की तरह आंखों वाले 8) गजानन – हाथी के मुख वाले भगवान 9) गजवक्र – हाथी की सूंड वाले 10) गजवक्त्र – हाथी की तरह मुंह है 11) गणाध्यक्ष – सभी जनों के मालिक 12) गणपति – सभी गणों के मालिक 13) गौरीसुत – माता गौरी के बेटे 14) लम्बकर्ण – बड़े कान वाले देव 15) लम्बोदर – बड़े पेट वाले 16) महाबल – अत्यधिक बलशाली 17) महागणपति – देवादिदेव 18) महेश्वर – सारे ब्रह्मांड के भगवान 19) मंगलमूर्ति – सभी शुभ कार्यों के देव 20) मूषकवाहन – जिनका सारथी मूषक है 21) निदीश्वरम – धन और निधि के दाता 22) प्रथमेश्वर – सब के बीच प्रथम आने वाले 23) शूपकर्ण – बड़े कान वाले देव 24) शुभम – सभी शुभ कार्यों के प्रभु 25) सिद्धिदाता – इच्छाओं और अवसरों के स्वामी 26) सिद्दिविनायक – सफलता के स्वामी 27) सुरेश्वरम – देवों के देव 28) वक्रतुण्ड – घुमावदार सूंड वाले 29) अखूरथ – जिसका सारथी मूषक है 30) अलम्पता – अनन्त देव 31) अमित – अतुलनीय प्रभु 32) अनन्तचिदरुपम – अनंत और व्यक्ति चेतना वाले 33) अवनीश – पूरे विश्व के प्रभु 34) अविघ्न – बाधाएं हरने वाले 35) भीम – विशाल 36) भूपति – धरती के मालिक 37) भुवनपति – देवों के देव 38) बुद्धिप्रिय – ज्ञान के दाता 39) बुद्धिविधाता – बुद्धि के मालिक 40) चतुर्भुज – चार भुजाओं वाले 41) देवादेव – सभी भगवान में सर्वोपरि 42) देवांतकनाशकारी – बुराइयों और असुरों के विनाशक 43) देवव्रत – सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले 44) देवेन्द्राशिक – सभी देवताओं की रक्षा करने वाले 45) धार्मिक – दान देने वाले 46) दूर्जा – अपराजित देव 47) द्वैमातुर – दो माताओं वाले 48) एकदंष्ट्र – एक दांत वाले 49) ईशानपुत्र – भगवान शिव के बेटे 50) गदाधर – जिनका हथियार गदा है 51) गणाध्यक्षिण – सभी पिंडों के नेता 52) गुणिन – सभी गुणों के ज्ञानी 53) हरिद्र – स्वर्ण के रंग वाले 54) हेरम्ब – मां का प्रिय पुत्र 55) कपिल – पीले भूरे रंग वाले 56) कवीश – कवियों के स्वामी 57) कीर्ति – यश के स्वामी 58) कृपाकर – कृपा करने वाले 59) कृष्णपिंगाश – पीली भूरी आंख वाले 60) क्षेमंकरी – माफी प्रदान करने वाला 61) क्षिप्रा – आराधना के योग्य 62) मनोमय – दिल जीतने वाले 63) मृत्युंजय – मौत को हराने वाले 64) मूढ़ाकरम – जिनमें खुशी का वास होता है 65) मुक्तिदायी – शाश्वत आनंद के दाता 66) नादप्रतिष्ठित – जिन्हें संगीत से प्यार हो 67) नमस्थेतु – सभी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने वाले 68) नन्दन – भगवान शिव के पुत्र 69) सिद्धांथ – सफलता और उपलब्धियों के गुरु 70) पीताम्बर – पीले वस्त्र धारण करने वाले 71) प्रमोद – आनंद 72) पुरुष – अद्भुत व्यक्तित्व 73) रक्त – लाल रंग के शरीर वाले 74) रुद्रप्रिय – भगवान शिव के चहेते 75) सर्वदेवात्मन – सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता 76) सर्वसिद्धांत – कौशल और बुद्धि के दाता 77) सर्वात्मन – ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले 78) ओमकार – ओम के आकार वाले 79) शशिवर्णम – जिनका रंग चंद्रमा को भाता हो 80) शुभगुणकानन – जो सभी गुणों के गुरु हैं 81) श्वेता – जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध हैं 82) सिद्धिप्रिय – इच्छापूर्ति वाले 83) स्कन्दपूर्वज – भगवान कार्तिकेय के भाई 84) सुमुख – शुभ मुख वाले 85) स्वरूप – सौंदर्य के प्रेमी 86) तरुण – जिनकी कोई आयु न हो 87) उद्दण्ड – शरारती 88) उमापुत्र – पार्वती के पुत्र 89) वरगणपति – अवसरों के स्वामी 90) वरप्रद – इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता 91) वरदविनायक – सफलता के स्वामी 92) वीरगणपति – वीर प्रभु 93) विद्यावारिधि – बुद्धि के देव 94) विघ्नहर – बाधाओं को दूर करने वाले 95) विघ्नहत्र्ता – विघ्न हरने वाले 96) विघ्नविनाशन – बाधाओं का अंत करने वाले 97) विघ्नराज – सभी बाधाओं के मालिक 98) विघ्नराजेन्द्र – सभी बाधाओं के भगवान 99) विघ्नविनाशाय – बाधाओं का नाश करने वाले 100) विघ्नेश्वर – बाधाओं के हरने वाले भगवान 101) विकट – अत्यंत विशाल 102) विनायक – सब के भगवान 103) विश्वमुख – ब्रह्मांड के गुरु 104) विश्वराजा – संसार के स्वामी 105) यज्ञकाय – सभी बलि को स्वीकार करने वाले 106) यशस्कर – प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी 107) यशस्विन – सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव 108) योगाधिप – ध्यान के प्रभु
इन दिनों हर जगह गणपति बप्पा मोरया (Ganpati Bappa Morya)… की गूंज फ़िज़ाओं में फैली हुई है. इसी का असर स्टार किड्स (Star Kids) पर भी दिख रहा है. जी हां, सैफीना के लाडले तैमूर (Taimur) भी अपनों के संग मंगलमूर्ति मोरया… गणपति बप्पा मोरया… की जयकार लगाते हुए, झूमते-गाते, प्रार्थना करते दिख रहे हैं.
गणेशोत्सव में फैमिली गेट-टुगेदर पूरे ज़ोर पर रहता है. आज करण जौहर व कपूर खानदान ने गणेशजी की पूजा-अर्चना की और साथ में मिलने-मिलाने खाने-खिलाने का दौर भी ख़ूब चला. जहां छोटी-सी तस्वीर में पूरा भरापूरा बड़ा परिवार दिखा. कह सकते हैं कि कपूर-जौहर फैमिली के जौहर देखने को मिले. ख़ासतौर पर हीरू जौहर, रीतू नंदा, करिश्मा-करीना कपूर के बच्चे, कज़िन अरमान जैन भी अपने भाई-बहनों के साथ दिखे.
तैमूर जनाब तो पूरी तरह से गणपति बप्पा के रंग में रंगे हुए थे. वे कभी करण जौहर के बच्चों के साथ गणेश भगवान की पूजा-प्रार्थना करते दिखे, तो कभी करिश्मा कपूर के बेटे किआन और करण जौहर की बेटी रूही के साथ हाथ जोड़े मासूम निश्छल अदाओं में दिखे.
तैमूर का एक वीडियो भी ख़ूब वायरल हो रहा है, जिसे करिश्मा कपूर ने शेयर किया है. इसमें वे अपने अंकल अरमान और कज़िन किआन के साथ गणपति बप्पा मोरया… गाते हुए झूम रहे हैं. इसमें हाथ में एक हाथ में लॉलीपॉप लिए गणेश आराधना का उनका यह क्यूट अंदाज़ हर किसी को लुभा रहा है. तो तैमूर के साथ सब जन बोले- गणपति बप्पा मोरया… मंगलमूर्ति मोरया… मोरया रे… बप्पा मोरया रे…
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय…
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय…
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय..
* कुण्डलिनी योग के अनुसार, सात कुण्डलिनी चक्रों में से पहला चक्र, जो हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से या आधार में स्थित मूल चक्र गणेशजी का निवास स्थान है.
* महर्षि व्यास की महाभारत गणेशजी ने लिखी थी. वे बोलते गए, गणेशजी लिखते रहे. लिखने के लिए उनके पास कुछ नहीं था, तो उन्होंने अपना एक दंत तोड़कर महाभारत लिखी, जिससे वे एकदंत कहलाए.
* गणेश भगवान के कानों में वैदिक ज्ञान, मस्तक में ब्रह्म लोक, आंखों में लक्ष्य, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, सूंड में धर्म, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में ब्रह्मांड और चरणों में सप्तलोक है.
* हर युग में गणेश भगवान के अलग-अलग रूप की आराधना की गई है. गणेश पुराण के अनुसार, सतयुग में उनका दस भुजाओंवाला सिंह की सवारीवाला विनायक रूप, त्रेता युग में श्वेत वर्ण छह भुजाओंवाले मयूर की सवारी मयूरेश्वर रूप, द्वापर युग में चार भुजाओंवाले लाल वर्ण व मूषक की सवारीवाले गजानन, कलियुग में दो भुजाएं अश्व वाहन धूम्र वर्ण धूम्रकेतु रूप प्रचलित रहेगा.
* घर में गणेशजी का फोटो लगाते समय ध्यान दें कि फोटो मेें मोदक व चूहा ज़रूर हो. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
* जीवन में शांति बनी रहे, इसके लिए स़फेद गणपति की पूजा-अर्चना करें.
* कामयाब व मशहूर होने के लिए पन्नावाले भगवान गणेश की आराधना करें.
* बच्चे की कामना के लिए बाल गणेश की पूजा करें.
* डर व शत्रुओं से बचने के लिए मूंगावाले गणेश भगवान की स्तुति करें.
* धन-वैभव के लिए चांदी के गणपति घर में रखें. साथ ही कमल पर बैठे गणेशजी की भी पूजा कर सकते हैं.
* परिवार में आपसी स्नेह, प्यार, सहयोग बना रहे, लड़ाई-झगड़े, कलह आदि न हो, इसके लिए चंदन के गणपति की पूजा करें.
* सिंदूरी रंग के गणेश भगवान की आराधना करने से घर के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से होते हैं.
* घर के सेंटर में पूर्व दिशा में गणपतिजी को रखना शुभ होता है.
* मुख्यद्वार पर गणेशजी की दो मूर्ति लगाएं, जिनकी पीठ आपस में मिली हो. इससे सभी तरह के वास्तु-दोष दूर हो जाते हैं.
* घर में गणपतिजी की बैठी मुद्रा और शॉप-ऑफिस में खड़ी मुद्रा शुभदायक होती है.
किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ हम गणेश पूजन से करते हैं. गणेश जी मंगलकारी और विघ्नहर्ता हैं. ऐसा कहा जाता है कि जिस पर गणेश जी की कृपा हो जाए, उसके जीवन में आनेवाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. गणेश चतुर्थी के ख़ास मौके पर गणेश जी की पूजा-आराधना से कैसे पूरी करें मनोकामना? बता रहे हैं पंडित राजेंद्र जी.
गणेश चतुर्थी के दौरान बचें इन बातों से: * गणेश जी को कभी भी तुलसी अर्पण न करें यानी तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें.
* इसी तरह गणेश जी को स़फेद चंदन भी नहीं चढ़ाना चाहिए.
* भाद्रपद की चतुर्थी के चंद्रमा का दर्शन भी निषेध माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन चंद्रमा के दर्शन किए थे और उन पर चोरी का कलंक लगा था. इसीलिए भाद्रपद की चतुर्थी के चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए.
नीचे दिए गए वीडियो में गणेश जी को प्रसन्न करने के विभिन्न उपाय बताए गए हैं. आप भी ये उपाय करके अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं: * धनप्राप्ति के उपाय
* दरिद्रता दूर करने के उपाय
* पढ़ाई में अव्वल रहने के उपाय
* बुरी नज़र से बचने के उपाय
* विवाह में आ रही अड़चनें दूर करने के उपाय
* नया घर ख़रीदने के उपाय
* मनचाही नौकरी पाने के उपाय
* साढ़े साती या शनि महादशा से बचने के उपाय
साथ ही इस वीडियो में गणेश जी को विभिन्न पत्तों द्वारा प्रसन्न करने के उपाय भी बताए गए हैं. ऐसा करके आप हार्ट प्रॉब्लम्स, कार्य में आ रही बाधा, रोग आदि से मुक्ति पा सकते हैं. साथ ही आर्थिक लाभ, मान-सम्मान, व्यावसायिक लाभ, अच्छा स्वास्थ्य आदि पा सकते हैं.
जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा…
एकदन्त, दयावन्त, चारभुजाधारी,
माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा…
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ..
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया,
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा .
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ..
सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव