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Love Life
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तुम मुझे अब पहले की तरह प्यार नहीं करते, तुम्हें अब मेरी परवाह कहां रहती है, तुम्हें तो मुझमें सिर्फ कमियां ही नज़र आती हैं… जैसे उलाहने देना पति-पत्नी के बीच आम बात है. क्या होती हैं पति-पत्नी की शिकायतें और प्यार में क्या चाहते हैं स्री-पुरुष? आइए जानते हैं.
1) ख़ूबियां क्यों खामियों में बदल जाती हैं?
शादी के शुरुआती सालों में तो सब कुछ अच्छा लगता है, लेकिन साल-दो साल में ही मुहब्बत की स्क्रिप्ट कमज़ोर पड़ने लगती है. दूसरे शब्दों में कहें तो तुम्हारे दीदार से सुबह की शुरुआत हो, तुम्हारे पहलू में ही हर शाम ढले… के दावे धीरे-धीरे दम तोड़ने लगते हैं. शादी के बाद घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों के बोझ तले मुहब्बत अपना असर खोने लगती है और एक-दूसरे में सिर्फ ख़ूबियां ढूढ़ने वाले शख्स बात-बात पर एक-दूसरे की खामियां गिनाने लगते हैं.
2) क्यों टूटती हैं उम्मीदें?
एक-दूसरे पर दोषारोपण की एक ख़ास वजह होती है एक-दूसरे से ज़रूरत से ़ज़्यादा उम्मीदें, जिसमें महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे होती हैं. पुरुष पत्नी के साथ वैसा ही व्यवहार करता है, जैसा उसने अपने पिता का मां के प्रति देखा था, लेकिन पत्नी उसे एक अच्छे दोस्त, बहुत प्यार करने वाले प्रेमी, जिम्मेदार पिता के रूप में देखना चाहती है. पत्नी अगर कामकाजी हो, तो वो उम्मीद करती है कि पति घरेलू जिम्मेदारियों में भी उसका साथ दे. यदि वो ऑफिस से आकर खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रही है, तो पति किचन के कामों में उसकी मदद करे, बच्चे के स्कूल की पैरेंट्स-टीचर मीटिंग के लिए समय निकाले, ज़रूरत पड़े तो अपने कपड़े खुद प्रेस कर ले… लेकिन ़ज़्यादातर पुरुष इन तमाम ज़िम्मेदारियों को बांटना नहीं चाहते, उन्हें लगता है कि घरेलू काम सिर्फ पत्नी की ज़िम्मेदारी है.
3) क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट सीमा हिंगोरानी के अनुसार- स्त्री-पुरुष को प्रकृति ने एक-दूसरे से बिल्कुल अलग बनाया है. स्त्रियां अपनी भावनाओं को आसानी से अभिव्यक्त कर लेती हैं, लेकिन पुरुषों के लिए ये इतना आसान नहीं होता. दूसरा फर्क़ ये भी है कि महिलाएं इमोशनल और ड्रीमी होती हैं, जबकि पुरुष पैक्टिकल होते हैं. पुरुष प्यार तो करता है, लेकिन बात-बात में उसे ज़ाहिर करना ज़रूरी नहीं समझता. हमारे पास ऐसे कई केस आते हैं जहां बीवी की शिकायत होती है कि पति उसका हाथ नहीं पकड़ते, ऑफिस जाते समय उसे किस नहीं करते. जबकि पुरुष की शिकायत होती है कि बीवी ज़रूरत से ़ज़्यादा उम्मीदें रखती है. एक केस तो ऐसा भी आया, जिसमें पत्नी को पति से ये शिकायत थी कि पति ने उसे एनिवर्सरी ग़िफ़्ट देने के बजाय पैसे थमा कर कह दिया कि अपने लिए ग़िफ़्ट ख़रीद लेना. वहीं पति महोदय की शिकायत थी कि पत्नी को उनके लाए तोहफे कभी पसंद नहीं आते, इसलिए उन्होंने पत्नी से ख़रीद लाने को कहा. यदि वह चाहती तो मैं उसके साथ चल सकता था. दरअसल, स्त्री-पुरुष के ब्रेन की वायरिंग ही अलग-अलग होती है. पत्नी चाहती है कि पति उसे दिन में 2-3 बार फोन करे, एसएमएस करे, जबकि पति को लगता है कि जब शाम को घर ही जाना है तो फ़ोन या एसएमएस की ज़रूरत क्या है.
4) नज़रिया अपना-अपना
- बैंक कर्मचारी सागरिका शर्मा कहती हैं, बहुत खीज होती है जब ऑफिस टाइम पर पहुंचने के लिए सुबह जल्दी उठकर घर के सारे काम निपटाने पड़ते हैं और पति महोदय को बिस्तर पर चाय चाहिए होती है. उस पर उनके कपड़े, लंच बॉक्स, टाई, पेन सब कुछ हाथ में थमाने पड़ते हैं. कई बार इस बात को लेकर अनबन भी होती है, लेकिन इन पर तो कोई असर ही नहीं होता. आखिर थक-हारकर मुझे ही सारा कुछ करना पड़ता है. बच्चों का होमवर्क कराना भी इन्हें बोझ लगता है.
- एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत सार्थक मेहरा कहते हैं, औरतें वंडरलैंड से बाहर निकलना ही नहीं चाहतीं, उन्हें लगता है कि पति ज़िंदगीभर उनसे चांद-तारे तोड़ लाने की खयाली बातें करता रहे या फिर उनकी ख़ूबसूरती के कलमे पढ़े. हर दूसरे-तीसरे दिन पत्नी की शिकायत शुरू हो जाती है कि कितने दिन से कहीं घूमने नहीं गये, आप अब पहले की तरह बाय करके ऑफ़िस नहीं जाते, कभी डिनर पर ले जाने का नाम नहीं लेते… इन तमाम शिकायतों से बचने के लिए मैं जान बूझकर काम का बहाना बनाकर देर से घर लौटता हूं. ठीक है, शादी के शुरुआती दिनों में पति कुछ ज्यादा ही दरियादिली दिखा देते हैं, लेकिन ऐसा उम्रभर तो नहीं हो सकता, पर ये सब इन बीवियों को कौन समझाए.
- ऐड एजेंसी में कार्यरत मेघना पुरी कहती हैं, पुरुषों की शिकायत होती है कि पत्नी को हमेशा उनसे शिकायत रहती है, लेकिन इसके पीछे वजह भी तो साफ है, क्योंकि तकलीफ़ भी उन्हीं को ज़्यादा होती है. आज ज़्यादातर घरों में औरतें फाइनेंशियल, इमोशनल, सारे काम संभाल रही हैं, इसके बावजूद उनकी स्थिति पहले जैसी, बल्कि पहले से बदतर हो गई है. उसकी एडिशनल ज़िम्मेदारियों को तो पति एक्सेप्ट कर लेते हैं, बाहरी दुनिया में उससे मॉर्डन अप्रोच भी रखते हैं, लेकिन जहां घर की बात आती है तो उन्हें बिल्कुल पारंपरिक पत्नी चाहिए होती है.
- एक प्राइवेट फर्म में कार्यरत प्रणव मुखर्जी कहते हैं, जहां तक फ्रीडम की बात है, तो मुझे इसमें किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं. मैं प्राची (पत्नी) के पर्सनल मैटर में ख़ुद भी हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन जब वो इतनी स्मोकिंग क्यों करते हो, तुम्हारा यूं रात-रात तक दोस्तों में घिरे रहना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं, तुम्हारे ऑफिस की लड़कियां इतनी रात गये क्यों फोन करती हैं, इतना वल्गर एसएमएस किसने भेजा… ऐसी बेहूदा शिकायतें करती है तो मैं चिढ़ जाता हूं. भई मैं क्यों किसी के लिए अपनी ख़ुशी को दांव पर लगाऊं, फिर चाहे वो मेरी पत्नी ही क्यों न हो.
5) प्यार को प्यार ही रहने दो
प्यार जताने या एक-दूसरे पर दोषारोपण करने का सभी कपल्स का तरीक़ा भले ही अलग-अलग हो, लेकिन ये बात तो तय है कि जब भी पार्टनर ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद की जाती है, तब रिश्ते में कड़ुवाहट का सिलसिला शुरू हो जाता है. प्यार के इतिहास, भूगोल पर टीका-टिप्पणी किये बिना यदि प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो की तर्ज़ पर स़िर्फ महसूस किया जाए या निभाया जाए, तो शायद हम प्यार के इस ख़ूबसूरत रिश्ते का उम्रभर लुत्फ़ उठा सकते हैं.
6) कंसास यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि महिलाओं को अपनी प्रशंसा सुनना अच्छा लगता है. कॉम्प्लिमेंट्स या फ्लैटरिंग (प्रशंसा या चापलूसी) से महिलाओं में आत्मविश्वाछस बढ़ता है और वे अपने शरीर को लेकर हीनभावना की शिकार नहीं होतीं. शायद ये भी एक बड़ी वजह है पत्नी की पति से अपनी तारीफ़ की चाह रखने की.
7) ये है प्यार का केमिकल लोचा
रॉबर्ट फ्रेयर द्वारा किये गए प्रयोगों के अनुसार, जब किसी को प्यार हो जाता है, तो एक ख़ास तरह के न्यूरो केमिकल फिनाइल इथाइल अमीन की वजह से उसे प्रेमी/प्रेमिका में खामियां नज़र आना बंद हो जाता है. लेकिन यह रसायन हमेशा एक ही स्तर पर नहीं रहता. एक-दो साल बाद इसका स्तर शरीर में कम होता जाता है और चार-पांच साल बाद इसका प्रभाव शरीर पर बिल्कुल बंद हो जाता है. अतः इसके उतार-चढ़ाव का प्रभाव प्रेमियों के स्वभाव में भी साफ़ नज़र आता है. यानी जब प्रेम का उफान कम होने लगता है, तो एक-दूसरे की ख़ूबियां खामियों में बदलने लग जाती हैं.
8) प्यार बढ़ाने के असरदार फॉर्मूले
- ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षाओं से बचें.
- प्यार करें, अधिकार जताएं, पर हकूमत न करें.
- पति-पत्नी के परंपरागत फ्रेम से बाहर निकलकर अच्छे दोस्त बनें.
- पज़ेसिव होने से बचें.
- करीब रहें, पर इतना भी नहीं कि सांस लेना मुश्किल लगने लगे. रिश्तों के स्पेस को समझें.
– कमला बडोनी

“आई एम सॉरी” आप जितनी आसानी से ये शब्द अपने पार्टनर को कह देती हैं, क्या वो भी उतनी ही सजहता से आपसे माफ़ी मांग लेते हैं? शायद नहीं. कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो आमतौर पर पुरुष अपनी ग़लती के लिए माफ़ी मांगना ख़ासकर पार्टनर से, अपनी तौहीन समझते हैं. उनके लिए ‘सॉरी’ शब्द बेहद मुश्किल होता है. आख़िर इसकी क्या वजह है? आइए, जानते हैं.
मेल ईगो
पुरुषों के माफ़ी मांगने से कतराने की सबसे बड़ी वजह है मेल ईगो यानी उनका अहंकार. इसी अहंकार की वजह से ये जानते हुए भी कि वो ग़लत हैं, पार्टनर से माफ़ी नहीं मांगतें. ऐसे लोगों के लिए उनका ग़ुरूर हमसफ़र की भावनाओं से ज़्यादा अहमियत रखता है. वो अपने पार्टनर का दिल तो दुखा सकते हैं लेकिन सॉरी बोलकर अपने मेल ईगो को हर्ट नहीं कर सकते. ज़्यादातर महिलाएं भी इस बात से सहमत हैं. एक मीडिया ग्रुप से जुड़ी मीनाक्षी कहती हैं “पुरुषों के माफ़ी न मांगने की एकमात्र वजह मेल ईगो ही है, उन्हें लगता है पत्नी से माफ़ी मांगने से उनका क़द छोटा हो जाएगा.” विशेषज्ञों की भी कुछ ऐसी ही राय है उनके मुताबिक “पुरुषों को लगता है माफ़ी मांगने से उनकी शान घट जाएगी.”
कमज़ोरी की निशानी
साइकोलॉजिस्ट डॉ. हरीश शेट्टी के मुताबिक “पुरुष माफ़ी मांगने को कमज़ोरी की निशानी समझते हैं. उन्हें लगता है कि अगर वो पत्नी से माफ़ी मांगेगे तो वो उन्हें कमज़ोर समझने लगेगी, उसे लगेगा कि पति परिवार की ज़िम्मेदारी उठाने के क़ाबिल नहीं है.” इसलिए माफ़ी मांगकर वो ख़ुद को पार्टनर की नज़रों में गिराना नहीं चाहतें.
मैं ग़लत नहीं हो सकता
पुरुषों का अपनी ग़लती न मानने वाला रवैया भी उन्हें माफ़ी मांगने से रोकता है. दरअसल, माफ़ी मांगने से उनकी ग़लती साबित हो जाएगी और पुरुष ख़ासतौर से किसी महिला के सामने कभी ग़लत साबित होना नहीं चाहतें. डॉ. शेट्टी भी इस बात से सहमत हैं, उनका कहना है “पुरुषों को लगता है कि वो जो कर रहे हैं वही सही है और उन्हें किसी को जवाब देने की ज़रूरत नहीं है.” एक प्रतिष्ठित मीडिया ग्रुप से जुड़ी शिवानी का कहना है कि “पढ़े-लिखे होने के बावजूद मेरे पति बहुत डॉमिनेटिंग हैं, अगर कभी उनसे कोई ग़लती हो जाए, तो सॉरी बोलना दो दूर की बात है, वो अपनी ग़लती मानते तक नहीं हैं.”
सॉरी बोलने की बजाय जताना
कुछ पुरुष सॉरी कहने की बजाय माफ़ी मांगने का दूसरा तरीक़ा अख़्तियार करते हैं, जैसे- पार्टनर को फूल, ज्वेलरी, चॉकलेट या कोई और गिफ़्ट देकर अपनी माफ़ी मांगने की भावना व्यक्त करते हैं. इतना ही नहीं, कई बार वो पार्टनर का ज़्यादा ख़्याल रखकर भी अपनी ये भावना ज़ाहिर करते हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि महिलाओं को भी पुरुषों का बिना बोले माफ़ी मांगने का ये अंदाज़ पसंद आता है, बिना कहे ही वो उनकी भावनाओं को समझ जाती है.
अस्वीकृति का डर
कुछ पुरुष पार्टनर द्वारा अस्वीकार किए जाने के डर से माफ़ी नहीं मांगते. उन्हें लगता है कि माफ़ी मांगने से कहीं कोई नकारात्मक स्थिति न उत्पन्न हो जाए, इसी डर से वो भावनाओं की उधेड़बुन में उलझे रहते हैं और तय नहीं कर पाते कि माफ़ी मांगू या नहीं? माफ़ी मांगने के बाद शायद हालात उनके पक्ष में न रहें. इसी डर से वो ये निश्चित नहीं कर पाते कि कब और कैसे पार्टनर को सॉरी कहें. डॉ. शेट्टी के मुताबिक “पुरुषों को इस बात का भी डर रहता है कि कहीं माफ़ी मांगने के बाद पत्नी उन्हें एक्सप्लॉइट न करे.”
सामना करने से बचना
कुछ पुरुषों के माफ़ी न मांगने की एक वजह उनकी पार्टनर भी होती है. कई बार महिलाएं पार्टनर के माफ़ी मांगने पर उन्हें माफ़ करने की बजाय सबक सिखाने के इरादे से बहस या लड़ाई-झगड़ा करने लगती है, ऐसे में पार्टनर अगली बार माफ़ी मांगने से पहले सौ बार सोचता है. उसे डर रहता है कि सॉरी बोलने पर फिर कहीं कोई बहस न शुरु हो जाए.
रूढ़ीवादी विचारधारा
साइकोलॉजिस्ट डॉ. हरीश शेट्टी के मुताबिक “पुरुष अपने जिस ईगो या अहंकार की वजह से महिलाओं से माफ़ी मांगने से झिझकते हैं, उसकी एक वजह पुरुष प्रधान समाज वाली विधारधारा है. जिस वजह से उन्हें लगता है कि माफ़ी मांगना उनकी मर्यादा के ख़िलाफ़ है.” हालांकि अब हालात बदलने लगे हैं, बावजूद इसके कहीं न कहीं मेल डोमिनेटिंग वाली सोच उभर ही आती है. अगर लड़के परेशान या दुखी होकर रोते हैं, तो माता-पिता तुरंत कह देते हैं ‘क्या लड़कियों की तरह रो रहे हो’, इस तरह कहने से उनके ज़ेहन में ये बात बैठ जाती है कि लड़कियां कमज़ोर होती हैं और किसी कमज़ोर से भला वो माफ़ी कैसे मांग सकते हैं.
बदल रही है मानसिकता
वक़्त के साथ-साथ समाज और पुरुषों की मानसिकता में भी बदलाव आया है. आज के युवाओं को अपनी पार्टनर से माफ़ी मांगने में कोई शर्म या झिझक महसूस नहीं होती. एक रिक्रूटमेंट एजेंसी चलाने वाले धीरज सिंह का कहना है “मैं तो हर छोटी ग़लती के लिए अपनी पत्नी से सॉरी बोल देता हूं, कभी-कभी तो वो मेरे सॉरी से ही परेशान हो जाती है. मुझे लगता है अगर आप अपने पार्टनर से प्यार करते हो, तो सॉरी बोलने में भला कैसी शर्म.” धीरज की ही तरह एक न्यूज़ एजेंसी से जुड़े शैलेंद्र को भी लगता है कि पार्टनर से बेझिझक सॉरी बोल देना चाहिए. कुछ ऐसी ही राय एक प्रतिष्ठित कंपनी में बतौर बिज़नेस डेवलपमेंट मैनेजर काम कर रहे सुशील सिंह की भी है, लेकिन वो साथ ही ये भी मानते हैं कि सॉरी बोलने में कहीं न कहीं पुरुषों का मेल ईगो आड़े आता है.

वक़्त के साथ बहुत कुछ बदला है, प्यार करने अंदाज़ भी अब पहले जैसा नहीं रहा. पहले जहां मोहब्बत के नाम से ही एक सिहरन-सी होने लगती थी, अब वो सिहरन सीधे सेक्स तक पहुंच गई है. लव से लेकर लस्ट तक, प्यार से लेकर सेक्स तक… आज की पीढ़ी को सबकुछ फटाफट चाहिए. इनकी इंस्टेंट लव स्टोरी में सब्र जैसे शब्द के लिए कोई जगह नहीं. आज की युवा पीढ़ी के लिए सेक्स अब बंद कमरे में ढंके-छुपे तौर पर डिस्कस की जाने वाली चीज़ नहीं रही, अब लोग खुलकर अपनी सेक्स डिज़ायर को जाहिर करते हैं और इसे पाने के लिए उन्हें रिश्ते में बंधने का सब्र भी नहीं है. भूख-प्यास की तरह जब सेक्स की चाह होती है, तो लोग इसे फटाफट पा लेना चाहते हैं, इसके लिए उन्हें इंतज़ार करना मंज़ूर नहीं. सेक्स में नैतिकता जैसी बातें अब बहुत पुरानी हो गई हैं, आज की पीढ़ी इसे फिज़िकल हंगर से जोड़कर देखती है. बदलाव की ये लहर आख़िर हमें कहां ले जा रही है?
सेक्स चाहिए, पर बंधन नहीं
साइकोलॉजिस्ट डॉ. माधवी सेठ कहती हैं, आज के कई युवाओं को लगता है कि जब सेक्स आसानी से उपलब्ध है तो शादी के बंधन में में क्यों बंधें? आज की पाढ़ी की शहनशक्ति कम हो गई है, वो किसी भी मामले में एडजस्ट करने को तैयार नहीं, इसीलिए तलाक़ के केसेस बढ़ने लगे हैं. फिर पैरेंट्स भी बच्चों के तलाक़ पर बहुत ज़्यादा हो-हल्ला नहीं मचाते. पहले तलाक़ सोशल स्टिगमा समझा जाता था, लेकिन अब तलाक़ होना बड़ी बात नहीं समझी जाती. तलाक के प्रति लोगों की एक्सेप्टेबिलिटी बढ़ गई है. अब ये नहीं समझा जाता कि तलाक़ के बाद ज़िंदगी खराब हो गई. इसी तरह आज से 10 साल पहले शादी करना ज़रूरी समझा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब कोई शादी नहीं करना चाहता तो लोगों को इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता.
पार्टनर नहीं, पैकेज चाहिए
आजकल प्यार, शादी, बच्चे सबकुछ नाप-तौल कर होता है. लोगों को लाइफ पार्टनर नहीं, कंप्लीट पैकेज चाहिए, जो उनकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक हर ज़रूरत पूरी करे. जब दिल का रिश्ता ही शर्तों पर हो, तो उसके टिकने की उम्मीद कितनी की जा सकती है. यही वजह है कि आजकल के रिश्ते टिकाऊ नहीं हैं. इन रिश्तों में प्यार के अलावा बाकी सबकुछ होता है इसीलिए प्यार की तलाश बाकी रह जाती है और एक्स्ट्रा मैरिटल रिश्ते बन जाते हैं.
बदल गई है शादी की परिभाषा
साइकोलॉजिस्ट डॉ. माधवी सेठ कहती हैं, पहले शादी के बाद एक-दो साल पति-पत्नी एक-दूसरे को समझने में गुजार देते थे. सेक्स का नया-नया अनुभव उनके रिश्ते में रोमांच बनाए रखता था. फिर बच्चे, उनकी परवरिश, नाते-रिश्तेदार… लंबा समय गुजर जाता था इन सब में. आज के कई युवा शादी के पहले ही सेक्स का अनुभव ले चुके होते हैं, उस पर करियर बनाने के चलते शादियां देर से हो रही हैं, ऐसे में शादी में उन्हें कोई रोमांच नज़र नहीं आता. उन्हें शादी स़िर्फ ज़िम्मेदारी लगती है इसलिए वो शादी से कतराने लगते हैं.
इसका एक बड़ा नुक़सान ये भी है कि युवा जब सेक्स पर जल्दी एक्सपेरिमेंट करते हैं तो इससे जल्दी ऊब भी जाते हैं और 40 की उम्र तक उनकी सेक्स लाइफ बोरिंग हो जाती है. उनका ज़िंदगी से लगाव कम हो जाता है. कोई थ्रिल नहीं रहता. अब शादी की परिभाषा बदल गई है. लेट मेरिज, लेट चिल्ड्रेन (कई कपल तो बच्चे भी नहीं चाहते), वर्किंग कपल, न्यूक्लियर फैमिलीज़… समय के साथ परिवार का ढांचा और उसकी ज़रूरतें बदल गई हैं. बदलाव की ये लहर बहुत कुछ बदल रही है. 10 साल पहले जहां लोग इंटर कास्ट मैरिज को पचा नहीं पाते थे, अब सहजता से लेने लगे हैं. इसी तरह अब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, लिव इन रिलेशन जैसी बातें भी लोगों को चौंकाती नहीं हैं.
बढ़ रहे हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स
काम के बढ़ते घंटे, ऑफिस में महिला-पुरुष का घंटों साथ काम करना, पति-पत्नी की असंतुष्ट सेक्स लाइफ आदि के कारण एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की तादाद बढ़ रही है. कई पति-पत्नी सेक्स का पूरा आनंद नहीं ले पाते (ख़ासकर महिलाएं), फिर भी पार्टनर को ख़ुश करने के लिए झूठ बोलते हैं. ऐसे में जब आप अपनी सेक्स लाइफ़ से संतुष्ट ही नहीं हैं, तो आपका ध्यान यहां-वहां भटकेगा ही. अंतरंग रिश्ते में भी हम मुखौटा ओढ़ लेते हैं, तो संतुष्टि मिलेगी कैसे? ऐसे असंतुष्ट कपल्स जहां भी भावनात्मक सहारा पाते हैं, वहीं शारीरिक रूप से भी जुड़ जाते हैं. पति, बच्चे, घर-परिवार, ऑफिस सभी जगह मैकेनिक लाइफ जी रही महिलाएं जाने-अनजाने घर के बाहर सुकून तलाशने की चाह में मन के साथ-साथ तक का रिश्ता भी जोड़ लेती हैं.
सेक्स का विकृत रूप सामने आया है
मीडिया प्रोफेशनल अरुण कुमार कहते हैं, हमारे देश में आज भी लोग सेक्स पर बात करने से तो कतराते हैं, लेकिन हर पहलू को घोलकर पी जाना चाहते हैं. पहले भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते थे, पति नपुंसक हो तो परिवार के किसी और सदस्य के साथ सेक्स करके बच्चा पैदा किया जाता था, लेकिन तब इन बातों पर इतना हो-हल्ला नहीं मचाया जाता था. अब सेक्स को एक प्रोडक्ट के रूप में देखा जाने लगा है. सेक्स टॉनिक, कंडोम आदि बेचने वाली कंपनियां अपने विज्ञापनों में स्त्री के शरीर को अश्लील रूप में पेश करके सेक्स को भुनाती हैं, ऐसे विज्ञापान युवाओं को सेक्स पर एक्सपेरिमेंट करने के लिए उकसाते हैं. बदलते परिवेश में सेक्स विकृत रूप में सामने आ रहा है, तभी तो बाप ने बेटी का रेप कर दिया, भाई-बहन के शारीरिक संबंध बन गए जैसी ख़बरें देखने-सुनने को मिलती हैं. हम लोग सेक्स पर खुलकर बात करने से जितना ज़्यादा कतराते हैं, इसका उतना ही विभत्स रूप हमारे सामने आता है. हर कोई जैसे इसी में उलझ कर रह जाता है, सेक्स पर हर तरह की रिसर्च कर लेना चाहता है.
सेक्स में संतुष्टि ज़रूरी है
बैंक कर्मचारी रोहित सिंह कहते हैं, सेक्स अब इतनी छोटी चीज़ हो गई है कि किसी को नीचा दिखाने, बदला लेने, अपना कोई काम निकालने, झूठी शान बघारने, प्रमोशन पाने तक के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. सेक्स को साधना के रूप में किया जाए तो इसके आनंद को समझा जा सकता है. जो मिला उसी से शारीरिक संबंध बना लिया, नोच-खंसोटकर, बलात्कार करके शारीरिक भूख मिटा ली, ऐसा करके कभी तृप्ति नहीं मिलती, बल्कि लालसा बढ़ती जाती है और व्यक्ति इसी में उलझकर रह जाता है.
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ये है सेक्स का सच
* 33 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि शादी के कुछ सालों बाद उनकी सेक्स लाइफ बोरिंग हो गई है.
* 60% पुरुष चाहते हैं कि सेक्स के लिए महिला पहल करे.
* हर पुरुष हर सात मिनट में कम से कम एक बार सेक्स के बारे में ज़रूर सोचता है.
* पुरुष तथा महिलाएं दोनों ही एक दिन में कई बार ऑर्गेज़्म का अनुभव कर सकते हैं.
* जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में छपी रिपोर्ट के अनुसार, बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है.
* एक रिसर्च के अनुसार, कॉलेज के दौरान जो लड़के सेक्स में लिप्त रहते हैं, वे अक्सर डिप्रेशन में चले जाते हैं. जबकि सेक्स न करने वाले विद्यार्थी नॉर्मल रहते हैं.
* ऐसे पुरुष जिनके अनेक स्त्रियों से संबंध होते हैं, वे सेक्स को बहुत महत्वपूर्ण तो समझते हैं, लेकिन अपने रिलेशनशिप से पूरी तरह संतुष्ट नहीं रहते.
* जो पुरुष ज़्यादातर सेक्सुअल फैंटेसी में रहते हैं, वे अपने रोमांटिक रिलेशनशिप से कम संतुष्ट रहते हैं.
– कमला बडोनी

मनचाहा जीवनसाथी, मनचाहा प्रोफेशन, मनचाही ख़ुशियां… यदि ये सब हासिल हो जाएं तो ज़िंदगी से और क्या चाहिए? टेलीवुड के मेड फॉर ईच अदर कहलाए जाने वाले कपल रवि और सरगुन को भी ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं. वो पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ़ में स्टेप बाई स्टेप क़ामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं और ज़िंदगी का खुलकर लुत्फ़ उठा रहे हैं. एनर्जी से भरपूर इस सुपर स्टाइलिश कपल की प्रेम कहानी कैसे शुरू हुई? आइए, हम आपको बताते हैं.
एक-दूसरे के सपोर्ट सिस्टम बनकर एक-दूसरे की क़ामयाबी के हिस्सेदार कैसे बना जा सकता है, ये कोई रवि और सरगुन से सीखे. दोनों बहुत बिज़ी रहते हैं, फिर भी बहुत ख़ुश और एक-दूसरे से कनेक्टेड रहते हैं. दोनों ही बहुत आशावादी हैं और अपनी मंज़िल तक पहुंचना अच्छी तरह जानते हैं. आइए, रवि और सरगुन की ज़िंदगी को और क़रीब से जानें.
कैसी थी आप दोनों की पहली मुलाक़ात?
रवि दुबे: सरगुन से मैं पहली बार करोल बाग़ के सेट पर मिला. बहुत जल्दी हमारी दोस्ती हो गई और उतनी ही जल्दी मुझे ये एहसास हो गया मुझे सरगुन से प्यार हो गया है. फिर क्या था, मैंने सरगुन को प्रपोज़ किया और जल्दी ही हमने शादी कर ली.
सरगुन मेहता: पहली नज़र में तो हम इंसान का रूप-रंग ही देखते हैं. मैंने जब रवि को पहली बार देखा तो वो अपनी वैन से उतर रहे थे, वो करोल बाग़ की शूटिंग के लिए दिल्ली आए थे. ब्लैक कलर के जैकेट और ब्लू डेनिम में रवि को देखकर मैं सोचने लगी, ङ्गओह माय गॉड, ये हैंडसम लड़का कौन है!फ मेज़े की बात ये है कि जब मैंने रवि का लुक टेस्ट देखा था तो मेरा रिएक्शन था, ङ्गये चश्मिस लड़का कौन है?फ लुक टेस्ट में रवि एकदम ऑर्डिनरी लग रहे थे, क्योंकि वो फोटोग्राफ्स उनके कैरेक्टर की थी, लेकिन असल में उन्हें देखकर मैं देखती ही रह गई. फिर जल्दी ही हमारी दोस्ती हो गई. करोल बाग़ के बाद जब हम दिल्ली से मुंबई आए तो मैंने देखा कि रवि हमेशा मेरे आसपास रहते हैं, घर ढूंढ़ने से लेकर सेटल होने तक हर चीज़ में मेरी मदद कर रहे हैं, उनकी ये तमाम बातें मुझे अच्छी लगने लगीं. तब मेरे मन में भी मोहब्बत का एहसास जागने लगा था.
शादी के बाद कितनी बदली ज़िंदगी?
रवि दुबे: कुछ भी नहीं बदला है शादी के बाद, सिवाय इसके कि हम एक घर में रहने लगे हैं. हम दोनों शादी के पहले भी अपने पैरेंट्स से दूर अकेले रह रहे थे. घर और करियर दोनों संभाल रहे थे इसलिए शादी के बाद ज़िम्मेदारियां बढ़ी नहीं हैं, बल्कि बंटी हैं. अब हम साथ मिलकर अपनी तमाम ज़िम्मेदारियां पूरी कर रहे हैं. हां, इतना ज़रूर है कि शादी के बाद इंसान अपनी लाइफ को लेकर और ज़्यादा क्लियर हो जाता है, उसे पता होता है कि उसे अपनी फैमिली के लिए क्या करना है.
सरगुन मेहता: शादी के बाद ज़िंदगी में कोई बदलाव नहीं आया. शादी से पहले मैं मुंबई में अकेली रह रही थी इसलिए काम के साथ-साथ घर ढूंढ़ने से लेकर, फोन, लाइट के बिल भरना, खाने-पीने बंदोबस्त… सबकुछ मैं अकेले ही मैनेज कर रही थी. शादी के बाद भी मैं वही सारे काम कर रही हूं. अब रवि साथ है तो बल्कि ज़्यादा आसानी हो गई है.
आप दोनों के बीच नोकझोंक कितनी होती है?
रवि दुबे: नोकझोंक तो हर कपल के बीच होता है, लेकिन हमारे साथ ख़ास बात ये है कि हमें दूसरी चीज़ों पर भले ही ग़ुस्सा आ जाए, लेकिन एक-दूसरे पर कभी ग़ुस्सा नहीं आता.
सरगुन मेहता: डे टु डे लाइफ की नोंकझोक तो हर रिश्ते में होती है, उससे आप बच नहीं सकते. सोफे के कलर, एक्स्ट्रा टीवी या फिर किसी काम को लेकर नोंकझोंक हो ही जाती है, लेकिन वो उतनी ही जल्दी खत्म भी हो जाती है.
डेली सोप में काम करते हुए पर्सनल लाइफ के लिए कितना टाइम मिल पाता है?
रवि दुबे: हर इंसान के पास दिन में चौबीस घंटे ही होते हैं, ये आप पर है कि आप अपने काम को कितना और कैसे इस्तेमाल करते हैं. मेरी पत्नी मेरी प्राथमिकता है और मैं ये अच्छी तरह जातना हूं कि मैं उसके साथ क्वालिटी टाइम कैसे बिता सकता हूं. दरअसल, जो लोग ढीले होते हैं वो बहुत टाइम पास करते हैं और काम न कर पाने हज़ार एक्सक्यूज़ देते हैं, लेकिन जो लोग एक साथ कई काम करते हैं, वो अपने हर काम के लिए टाइम निकाल ही लेते हैं और टाइम मैनेज करना भी अच्छी तरह जानते हैं.
सरगुन मेहता: आप कितने घंटे काम करते हैं इससे ज़्यादा ज़रूरी है कि आप अपने काम से कितना प्यार करते हैं, उसे कितना एंजॉय करते हैं. हम लकी हैं कि हम वही काम कर रहे हैं जो हमें पसंद है. साथ ही मैं उस इंसान के साथ रह रही हूं जिसे मैं प्यार करती हूं इसलिए मैं ख़ुद को बहुत लकी मानती हूं. फिलहाल मेरे पास टाइम ज़्यादा है, क्योंकि मुझे मेरी फिल्म की डेट्स के हिसाब से काम करना पड़ता है, लेकिन रवि डेली सोप कर रहे हैं इसलिए उनके पास बिल्कुल भी टाइम नहीं है, हम दोनों एक छत के नीचे रह रहे हैं, हमारे लिए इतना ही काफ़ी है.
प्रोफेशनल लाइफ में एक-दूसरे को कितना सपोर्ट करते हैं?
रवि दुबे: हम दोनों एक ही प्रोफेशन में हैं इसलिए अपने काम और शेड्यल को अच्छी तरह समझते हैं. अब कुछ ही दिनों में सरगुन अपनी फिल्म की शूटिंग के लिए बीस दिनों के लिए चली जाएगी और मैं इसके लिए मेंटली तैयार हूं, क्योंकि यही हमारे काम का पैटर्न है. मेरे शहर से बाहर जाने पर सरगुन भी सबकुछ संभाल लेती है.
सरगुन मेहता: रवि और मेरी बॉन्डिग इतनी मज़बूत है कि हम एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते हैं. आप हमें एक-दूसरे का बैक बोन कह सकते हैं. हम एक-दूसरे को उसकी ख़ासियत और कमी दोनों बताते रहते हैं, ताकि हम साथ मिलकर आगे बढ़ सकें. रवि जानते हैं कि मैं क्या कर सकती हूं और मैं जानती हूं कि रवि में कितना पोटेंशियल है.
प्यार क्या है आपकी नज़र में?
रवि दुबे: मेरी नज़र में प्यार कंपैनियनशिप है. व़क्त के साथ आपके रिलेशनशिप के सारे पिलर्स टूटते जाते हैं, फिर चाहे वो लुक्स हो, फिज़िकैलिटी, लव-अफेयर का यूफोरिया… सबकुछ ध्वस्त हो जाता है. उसके बाद स़िर्फ एक-दूसरे की कंपनी बच जाती है. यदि आप दोनों को वाकई एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता है, दुनिया में ऐसा कोई टॉपिक नहीं जो आप एक-दूसरे के साथ शेयर नहीं करते, तो आपका रिश्ता मज़बूत है और आप अपने रिश्ते में हमेशा ख़ुश रहते हैं. यदि आप के बीच कंपैनियनशिप नहीं है, तो जब आपके रिश्ते के सारे पिलर्स ढलते चले जाएंगे, तो आपको अपने रिश्ते को जस्टिफाई करने की वजहें ढूंढ़नी पड़ेंगी.
सरगुन मेहता: मेरी नज़र में प्यार वो है जो अपने आप होता चला जाए, जहां आपको सोच-समझकर या एफर्ट लगाकर कुछ करना न पड़े. आप अपने पार्टनर से दुनिया की हर बात शेयर कर सकें.
भाग्य या ईश्वर में विश्वास करते हैं?
रवि दुबे: आपकी लाइफ वैसे डिज़ाइन होती है जैसे आप सोचते हैं. यदि आपको लगता है कि ये इंडस्ट्री आपकी दोस्त नहीं दुश्मन है, तो आपको वैसे ही लोग मिलेंगे, लेकिन आप यदि पॉज़िटिव रहेंगे तो आपके साथ सबकुछ पॉज़िटिव होता चला जाएगा. मैं और सरगुन बहुत आशावादी हैं, हम हर चीज़ में पॉज़िटिविटी ही ढूंढ़ते हैं.
सरगुन मेहता: ईश्वर कह लीजिए या यूनिवर्स मेरा उसमें अटूट विश्वास है. ओपरा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं मेहनत करती जा रही थी और मेरे लिए लक सही समय पर सही जगह रखा हुआ था. मैं भी यही मानती हूं, आपको मेहनत करते हुए ख़ुद को अपने लक के लिए तैयार रखना चाहिए, वो ज़रूर आपके पास आएगा. यदि आप सच्चे दिल से पूरी ताक़त लगाकर कोई काम करते हैं, तो यूनिवर्स आपको आपकी चीज़ उतनी ही शिद्दत से सौंप देता है.
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आपका स्टाइल स्टेटमेंट क्या है?
रवि दुबे: मेरा स्टाइल बहुत सिंपल है. मैं बहुत एक्सपेरिमेंट नहीं करता. कैजुअल वेयर में मुझे बसिक डेनिम और टी-शर्ट पहनना पसंद है. फॉर्मल वेयर में क्लासिक थ्री पीस सूट पहनना पसंद है. कपड़ों के मामले में मैं फिर भी समझौता कर लूंगा, लेकिन एक्सेसरीज़ मैं बेस्ट क्वालिटी की ही ख़रीदता हूं. मेरे पास वॉचेस और ग्लेयर्स का अच्छा-खासा कलेक्शन है.
सरगुन मेहता: रवि बहुत कॉन्शियस रहते हैं कि उन्होंने क्या पहना है, लेकिन मुझे सबकुछ चलता है. मैं शूटिंग के बीच में ही कोई ड्रेस ख़रीद लूंगी और उसे अगले अवॉर्ड फंक्शन के लिए रख दूंगी. मैं स्टाइल के लिए इतना एफर्ट नहीं लगाती कि डिज़ाइनर या स्टाइलिश के पास जाऊं.
पार्टनर की किस बात से चिढ़ जाते हैं?
रवि दुबे: सरगुन बहुत ही ऑर्गनाइज़्ड लड़की है और मैं बहुत ही कैजुअल हूं. अक्सर वो मेरे सामने सौ-दो सौ पेपर लाकर रख देती है और डेडलाइन दे देती है कि सुबह तक इन सब पर साइन हो जाना चाहिए. सच कह रहा हूं, उस व़क्त मुझे बहुत खीझ होती है. (हंसते हुए) सरगुन जानती है कि वो यदि मुझे डेडलाइन नहीं देगी तो वो काम 10-15 दिनों तक टल जाएगा. मुझे पेपर वर्क बिल्कुल भी पसंद नहीं. सरगुन ना हो तो मैं ये सब कर ही नहीं पाऊंगा.
सरगुन मेहता: रवि फोन एडिक्ट हैं, हर पल फोन से चिपके रहते हैं, उनकी इस आदत से मुझे बहुत चिढ़ होती है.
आपकी अपनी वीकनेस क्या है?
रवि दुबे: कई बार मैं बहुत ढीला हो जाता हूं. वैसे तो मैं बहुत एक्टिव हूं, मेरा दिन सुबह छह बजे शुरू हो जाता है और रात एक-डेढ़ बजे ही ख़त्म होता है और उस दौरान लगातार कुछ न कुछ चलता ही रहता है, कई बार तो बैठने की भी फुर्सत नहीं होती, लेकिन कई बार मैं बहुत आलसी हो जाता हूं, फिर मुझे ख़ुद को उस मूड से बाहर धकेलना पड़ता है.
सरगुन मेहता: मेरी भी यही वीकनेस है, कई बार मैं बहुत आलसी हो जाती हूं.
आपके पार्टनर की वो कौन-सी ख़ासियत है जिस पर आप गर्व महसूस करते हैं?
रवि दुबे: सरगुन मेरी स्ट्रेंथ है. मैं बहुत आशावादी हूं, लेकिन जब मैं लो फील करता हूं तो सरगुन ही मुझे समझा पाती है, क्योंकि वो भी मुझसे ज़्यादा आशावादी है.
सरगुनः रवि को आप गूगल मैन कह सकती हैं, वो बहुत अपडेटेड रहते हैं, उनके साथ आपको कुछ भी सर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
घूमने के कितने शौकीन हैं और कहां घूमना पसंद करते हैं?
रवि दुबे: हम दोनों ही घूमने के बहुत शौकीन हैं और टाइम मिलने पर घूमने निकल जाते हैं. हमारे हनीमून का टूर बहुत यादगार था, हम हनीमून के लिए यूरोप गए थे जहां हमने एक साथ कई यादगार पर बिताए, बहुत सारे नए दोस्त बनाए, यूरोप को पूरी तरह से एक्सप्लोर किया. मैं सरगुन के साथ फिर से यूरोप टूर पर जाना चाहूंगा.
सरगुन मेहता: हमें नई-नई जगहों पर घूमने जाना बहुत पसंद है. हालांकि हमें बहुत ज़्यादा टाइम नहीं मिल पाता, फिर भी हम टाइम निकालकर शॉर्ट ट्रिप तो प्लान कर ही लेते हैं. हां, हमारा हनीमून ट्रिप बहुत ख़ास था.
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कितने फिटनेस कॉनिशयस हैं?
रवि दुबे: एक्टिंग के फील्ड में फिटनेस बहुत मायने रखती है. हमें फिटनेस के लिए अलग से टाइम निकालना ही पड़ता है. मैं सुबह लगभग दो घंटे रोज़ वर्कआउट करता हूं. मैं खाने का बहुत शौकीन हूं इसलिए खाने की क़ीमत वर्कआउट करके चुकाता हूं, क्योंकि मुझे इसके लिए ज़्यादा वर्कआउट करना पड़ता है. मुझे मीठा बहुत पसंद है, ख़ासकर चॉकलेट्स.
सरगुन मेहता: हम दोनों फूडी हैं इसलिए हमें रोज़ जिम में बहुत टाइम बिताना पड़ता है. बटर चिकन-बटर नान हम दोनों बहुत चाव से खाते हैं.
जब मैंने ख़ुद को पहली बार स्क्रीन पर देखा: रवि दुबे
पहली बार मैंने ख़ुद को एक ऐड फिल्म में स्क्रीन पर देखा था और वो ख़ुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती. मुझसे पहले हमारे परिवार में कोई भी इस इंडस्ट्री में नहीं था इसलिए ऐसा लग रहा था कि मैंने कुछ स्पेशल अचीव किया है. इससे पहले ख़ुद को दूसरों की शादी के वीडियोज़ में देखा था.
जब से मैंने होश संभाला, तभी से मैं इस इंडस्ट्री में आना चाहता था, लेकिन कैसे आना है ये तब तय नहीं था. दिल्ली से ग्रैज्युएशन करने के बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने मुंबई आया. पढ़ाई के दौरान एक ऐड फिल्म में काम करने का मौक़ा मिला और उसके बाद एक के बाद एक मौ़के मिलते गए और मैं आगे बढ़ता गया.
…और मैंने एक्टिंग को चुन लिया: सरगुन मेहता
मेरे पैरेंट्स बहुत मॉडर्न ख़यालात के हैं. उन्होंने हम पर कभी अपने ़फैसले नहीं थोपे. हां, ये ज़रूर बताया कि क्या सही है और क्या ग़लत. जब मुझे इस इंडस्ट्री में पहला ब्रेक मिला, तो मैं पोस्ट ग्रैज्युएशन की पढ़ाई के लिए विदेश जा रही थी. जब मैंने अपने पैरेंट्स से इस ब्रेक के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा कि तुम करना चाहती हो तो ज़रूर करो. अगर इस इंडस्ट्री में तुम नहीं चली तो पोस्ट ग्रैज्युएशन एक साल बाद कर लेना, लेकिन ऐसा करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. मेरा एक्टिंग करियर चल पड़ा.
– कमला बडोनी

आप पिछले कुछ दिनों से अपने पति के बर्ताव में बहुत बदलाव महसूस कर रही हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि वे किसी और से प्यार करने लगे हैं? जी हां, किसी के प्रति भरोसेमंद रहने के लिए बहुत प्रयासों की ज़रूरत होती है, लेकिन किसी को धोखा देने के लिए बस थोड़ा-सा बहक जाना ही काफ़ी है. यदि आपको यह डर सता रहा है तो अपने पति में आए बदलाव पर ग़ौर कीजिए और समय रहते ही संभाल लीजिए उन्हें. यदि आपको इस बात का अंदेशा सता रहा है कि आपके पति किसी और के प्यार में पड़ गए हैं, तो इन बातों पर ग़ौर फ़रमाइए. यदि ये बातें उन पर सही बैठती हैं, तो व़क़्त है आपके संभलने का, साथ ही, उन्हें भी संभालकर सही ट्रैक पर लाने का.
1) क्या आपकी सेक्स लाइफ अब पहले जैसी नहीं है?
पहले आपकी सेक्स लाइफ़ बहुत रोमांटिक थी, लेकिन आजकल उन्हें सेक्स में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है. पहले आपकी पहल पर वे रोमांटिक हो जाते थे, पर आजकल जब आप पहल करती हैं तो भी वे कहते हैं कि मैं थका हुआ हूं, तनाव महसूस कर रहा हूं, काम का बोझ बहुत है… या फिर ऐसा ही कोई और बहाना. कई बार इसका कारण होता है वो गिल्ट जो दूसरे अ़फेयर की वजह से होता है. तो सतर्क हो जाइए और पता कीजिए कि उनके ये सेक्स से बचने के बहाने कितने सही हैं?
2) क्या आपके पति घर पर रेस्टलेस हो जाते हैं?
पहले तो वे घर पर आपके साथ व़क़्त बिताने में एंजॉय करते थे, लेकिन आजकल उनकी बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार से आपको लगता है कि वे बहुत रेस्टलेस (व्यग्र) हो रहे हैं. आपके साथ बाहर जाना तो उन्होंने लगभग बंद ही कर दिया है, लेकिन जब घर पर भी रहते हैं तो बड़ा बोर फ़ील करते हैं और अकेले बाहर जाने के मौ़के चूकना ही नहीं चाहते. उनकी आदतों में आए इस बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें और इसकी वजह ढूंढ़ने में ज़रा भी देर न लगाएं.
3) क्या आपके पति इन दिनों हमेशा महकते रहते हैं?
वो फैशन कॉन्शियस तो कभी नहीं थे. दिन में एक बार डियो या पऱफ़्यूम लगाना ही उनकी आदत में था, लेकिन अब वे सुबह-शाम, यहां तक कि रात में भी महकते रहते हैं यानी मामला नाज़ुक है… आप को चौकन्ना होना होगा.
4) क्या आपके पति इन दिनों नए ट्रेंड्स के बारे में जानने लगे हैं?
पहले तो उन्हें ब्रान्ड्स और फैशन का कोई ख़ास आइडिया ही नहीं होता था, पर इन दिनों अचानक ही वे अपने कपड़ों को ले कर ट्रेंडी हो चले हैं. बात यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि अब तो वे आपको भी लेटेस्ट ट्रेंड्स के बारे में मश्वरा देने लगे हैं. ये आप के लिए ख़तरे का साइन है और ज़रूरत है कि आप मामले की तह तक जाएं.
5) क्या आपके पति आजकल बनठन कर ऑफिस जाते हैं?
पहले सैटरडे को ऑफ़िस जाना हो तो मुंह बन जाता था, पर आजकल साहब सैटरडे को भी बहुत बनठन कर निकलते हैं. बाज़ार जा रहे हों या जिम… पहले तो कपड़े सलेक्ट करने में इतना टाइम नहीं लगता था जितना अब लगता है. घर से निकलने के पहले बनने-संवरने में इतना समय पहले तो नहीं लगाते थे. तो… अब ये तैयारी किस लिए? जी हां, आपके कान खड़े हो जाने चाहिए, क्योंकि दाल में कुछ तो काला ज़रूर है.
6) क्या आपके पति आजकल कुछ ज्यादा ही एक्सक्यूज़ेस देने लगे हैं?
अक्सर ही वो रात देर से घर आते हैं और आते ही ऑफ़िस कलीग्स, ऑफ़िस कल्चर को कोसना शुरू कर देते हैं. ऑफ़िस की लेट नाइट पार्टीज़ के सिर देर से आने का ठीकरा तो फोड़ देते हैं, लेकिन जब आप उनसे पार्टी के वेन्यू के बारे में पूछती हैं तो उनकी याददाश्त कुछ कमज़ोर-सी हो जाती है और वे अपनी थकान की आड़ लेते हुए आपको सोने की सलाह दे कर ख़ुद झट से गहरी नींद में सो जाते हैं. जितना लंबा एक्सक्यूज़ होगा, उनकी पोल खुलने का ख़तरा भी तो उतना ही ज़्यादा होगा यानी अब आपके डिटेक्टिव बनने का समय आ गया है.
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7) क्या आपके पति आजकल बात-बात पर चौंक जाते हैं?
जैसे ही आप बेडरूम में एंटर होती हैं, जनाब चौंक कर अपने लैपटॉप की विंडोज़ को बंद कर देते हैं. उनका मोबाइल ऑपरेट करने के लिए लगने वाला पासवर्ड या पिन नंबर अचानक ही बदल गया है. एक तो उन्होंने आपको अपना पिन नंबर बताया नहीं है और यदि बता दिया है तो उसे दोबारा बदल दिया है… यदि अचानक ही उन्होंने एक और मोबाइल ले लिया है और उसके बारे में पूछने से पहले आपको बताया ही नहीं तो समझ जाइए कि आपका शक़ बेबुनियाद नहीं है. ये जो इन दिनों वो आपसे सीक्रेट्स रखने लगे हैं, आपके सतर्क होनेे के लिए इतना बहुत है. अपने जासूसों का जाल फैलाइए और उनकी इन नई आदतों की वजह जानने की ईमानदार कोशिश कीजिए.
8) क्या आपके पति का डिफेंस दिनोंदिन मज़बूत हो रहा है?
उनके देर से आने को ले कर आप हमेशा ही शिक़ायत करती रही हैं और दस में से पांच बार वे आपको इसका कारण भी बताते रहे हैं, लेकिन इन दिनों एक तो वे अक्सर ही देर से आ रहे हैं और आपकी शिक़ायत पर उनका ड़िफेंस बहुत स्ट्रॉन्ग होता है. वे आपसे कहने लगे हैं कि एक तो वे इतना काम कर के, थक के आते हैं और आप से उन्हें हमेशा शिक़ायत ही मिलती है, प्रोत्साहन कभी नहीं. या फिर वे आप से ही प्रश्न करने लगते हैं कि तुम इतनी ओवर पज़ेसिव क्यों हो? या फिर तुम थोड़ा प्रैक्टिकल क्यों नहीं बन जातीं? ऐसे जवाब मिलने पर आपके सेंसर्स को मैसेज मिल जाना चाहिए कि मामला गड़बड़ है.
9) क्या आप दोनों के बीच अब टच थैरेपी अब नहीं रही?
पहले आप सप्ताह में एक बार साथ बैठ कर ढेर सारी बातें करते थे. एक-दूसरे के हाथों का वो स्पर्श किसी टच थैरेपी-सा काम करता था. अब उनके पास समय ही नहीं है कि वे आपके लिए समय निकाल सकें. तो ज़रूरी है कि आप इसकी वजह ढूंढ़ें और उन्हें खोने से पहले ही दोबारा पा लें.

करण जौहर को बॉलीवुड का सबसे फेमस और चर्चित चेहरा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. आजकल भी वो बहुत ज़्यादा चर्चा में बने हुए हैं, लेकिन बिल्कुल अलग मामले में. जी हां सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस के बाद वो कई तरह के विवादों में घिर गए हैं, उन पर नेपोटिज़्म के लगातार आरोप लग रहे हैं.
इससे पहले भी उन पर नेपोटिज़्म के आरोप लगते रहे हैं और इस मुद्दे पर हमेशा काफी बात भी की जाती है. करण से जुड़ा एक और मुद्दा है, जिस पर सबसे ज़्यादा चर्चा की जाती है, वो है उनकी सेक्सुअलिटी, उनके रिलेशनशिप्स और उनकी लव लाइफ.
अक्सर उनके सेक्सुआलिटी पर लोग सवाल उठाते हैं और सोशल मीडिया पर उनका खूब मजाक भी उडाते हैं लेकिन करण इस बारे में कोई बात नहीं करते.
आज तक करण का लव इंटरेस्ट एक डार्क सीक्रेट बना हुआ हैं. करण को लेकर कई अवार्ड शो में मजाक उड़ाया गया, उनके कई सितारों के साथ लव अफेयर होने की चर्चा भी हुई, लेकिन करण ने अभी तक खुल के अपनी लव लाइफ के बारे में मीडिया से कभी बात नहीं की. ऐसे में आज हम आपको उन सेलेब्रिटीज़ के नाम बताने जा रहे हैं जिनके लव अफेयर के चर्चे करण जोहर के साथ रहे थे.
ट्विंकल खन्ना
आपको जानकर हैरानी होगी कि करण जौहर की फर्स्ट लव कोई और नहीं, बल्कि अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना थीं. दोनों एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ते थे और साथ ही पले बढ़े हैं. ऐसे में करण जौहर का दिल ट्विंकल पर फिदा हो गया था. लेकिन इससे पहले कि करण अपने दिल की बात ट्विंकल से कहते, उससे पहले ही उनकी जिंदगी में अक्षय कुमार की एंट्री हो गई और वो ट्विंकल को अपनी दुल्हनियां बनाकर ले उड़े. इस बात का ज़िक्र खुद ट्विंकल खन्ना ने अपनी बुक ‘मिसेस फनीबोन’ में किया है. हालांकि आज भी ट्विंकल- करण बहुत अच्छे दोस्त हैं. कहते हैं कि फ़िल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में अंजली वाला किरदार करण ने टिवंकल के लिए ही लिखा था, लेकिन ट्विंकल ने फ़िल्म करने से इनकार कर दिया, इसके बाद ये रोल काजोल ने प्ले किया.
शाहरुख़ खान
करण और शाहरुख की फ्रेंडशिप भी बेहद गहरी है और दोनों एक दूसरे के बेहद करीब हैं. इन दोनों ने साथ मिलकर कई सारी हिट फ़िल्में भी दी हैं. शाहरुख़ और करण की इसी करीबी के चलते इन दोनों के बीच के रिश्ते पर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं. कई बातें की जाती रही हैं. इन्हें लेकर इंटरनेट पर आपको कई जोक्स भी मिल जाएंगे. अवार्ड फंक्शन में भी इन दोनों ने इस बात को लेकर कई बार हंसी मजाक किया है. यहां तक कि एक बार खुद शाहरुख़ ने करण के शो ‘कॉफ़ी विथ करण’ शो में इस पर जोक मारा था. हालांकि करण ने अपनी बायोग्राफी ‘ऐन अनसूटेबल बॉय’ में साफ साफ लिखा है कि शाहरुख उनके बहुत अच्छे फ्रेंड हैं और वो उन्हें अपने पिता जैसा मानते हैं.
सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ के साथ करण की खास दोस्ती भी बॉलीवुड में काफी फेमस हुई थी. दोनों में दोस्ती की शुरुआत तब हुई थी, जब सिद्धार्थ उन्हें फ़िल्म ‘माय नेम इज़ खान’ में असिस्ट कर रहे थे. उनमें इतनी दोस्ती हो गयी थी कि दोनों साथ में वेकेशन के लिए पेरिस भी गए थे. इसके बाद ही करण ने ‘स्टूडेंट ऑफ़ द इयर’ में सिद्दार्थ को बड़ा ब्रेक दिया था. इस फिल्म के बाद सिद्धार्थ का करियर ग्राफ भी आगे बड़ा था. सिद्धार्थ किसी फ़िल्मी बैकग्राउंड से भी नहीं आते हैं. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए करण और सिद्धार्थ के लव कनेक्शन की काफी चर्चा हुई थी. कहा तो ये भी जाता है कि उस दौरान करण ने जान बूझकर आलिया भट्ट के साथ सिद्धार्थ के अफेयर की अफवाह फैलाई थी, ताकि वे सिद्धार्थ संग अपने रिश्ते की बात छुपा सके. हालांकि बाद में किसी बात को लेकर इन दोनों में भी ब्रेकअप हो गया. कहा जाता है कि करण को सिड की पर्सनालिटी बेहद पसंद आई थी, इसलिए उन्हें उनसे प्यार हो गया था.
मनीष मल्होत्रा
फैशन की दुनिया का बड़ा नाम, मशहूर फैशन डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा के साथ करण जौहर की खास बॉन्डिंग की एक टाइम में इंडस्ट्री में काफी चर्चा थी. दोनों की जोड़ी मोस्ट स्पेक्युलटेड जोड़ी कहा जाता था. दोनों एक दूसरे को काफी लम्बे समय से जानते हैं. इस वजह से इनके लव अफेयर के चर्चे भी खूब होते थे. दोनों एक साथ जमकर पार्टीज़ करते थे. करण ने तो कई बार बातों बातों में ये कह भी दिया था कि सिद्धार्थ से उनकी स्पेशल बॉडिंग है, लेकिन दोनों ने ही अफेयर वाली बात कभी स्वीकार नहीं की और हमेशा यही कहा कि वे सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. सुनने में ये भी आया था कि किसी बात को लेकर उन दोनों का ब्रेकअप हो गया था और अब दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं.
एकता कपूर
ये नाम सुनकर आपको थोड़ा शॉक लगा होगा, लेकिन साल 2000 के दौरान करण और एकता के रिलेशनशिप को लेकर बहुत ख़बरें उड़ी थीं. यहां तक ये भी कहा जा रहा था कि ये दोनों जल्द ही शादी करने वाले हैं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

बॉलीवुड में लव स्टोरी बनती-बिगड़ती रहती हैं, लेकिन आज हम एक ऐसे कपल की बात कर रहे हैं, जिनकी जोड़ी बॉलीवुड में बहुत मशहूर थी. जी हां, हम बात कर रहे हैं करीना कपूर और शाहिद कपूर की लव स्टोरी की. कभी ये कपल एक-दूसरे पर जान छिड़कता था, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि करीना कपूर और शाहिद कपूर हमेशा के लिए अलग हो गए. ‘जब वी मेट’ फिल्म करीना कपूर और शाहिद कपूर की सुपरहिट फिल्म थी और इस फिल्म के दौरान ही इनका ब्रेकअप हो गया. ‘जब वी मेट’ फिल्म में करीना कपूर और शाहिद कपूर परदे पर रोमांस कर रहे थे, लेकिन असल ज़िंदगी में उसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनका रिश्ता टूटने लगा था. ‘जब वी मेट’ फिल्म में ऐसा क्या हुआ कि करीना कपूर और शाहिद कपूर हमेशा के लिए अलग हो गए.
ऐसे शुरू हुई करीना कपूर और शाहिद कपूर की लव स्टोरी
करीना और शाहिद पहली बार फिल्म फिदा के सेट पर मिले थे, जहां करीना कपूर अपना दिल शाहिद को दे बैठी. करीना कपूर ने ही शाहिद को प्रपोज किया और इस तरह इस दोनों की लव स्टोरी शुरू हुई. करीना कपूर और शाहिद कपूर की लव स्टोरी मीडिया में अक्सर सुर्ख़ियों में रहती थी. करीना और शाहिद एक-दूसरे के प्यार में पागल थे. ख़बरों के अनुसार, करीना कपूर ने शाहिद कपूर के लिए नॉन वेजीटेरियन खाना भी छोड़ दिया था. उस दौरान शाहिद और करीना ने कई फिल्में साथ में की. ये अलग बात है कि जब तक ये जोड़ी साथ थी, तब तक इनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन ‘जब वी मेट’ फिल्म में फिल्म में जब ये दोनों अलग हुए, तो वो फिल्म सुपरहिट हुई. करीना कपूर और शाहिद कपूर ने अपने ब्रेकअप के बारे में कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन करीना कपूर का अचानक सैफ अली खान को डेट करना उनके फैन्स को चकित कर गया.
क्या सैफ अली खान थे करीना कपूर और शाहिद कपूर के ब्रेकअप की वजह?
करीना कपूर की ज़िंदगी में सैफ अली का आना और करीना-शाहिद का ब्रेकअप, इसे करीना भाग्य का लिखा मानती हैं. शाहिद कपूर से ब्रेकअप के बारे में करीना कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा, “भाग्य के अपने कुछ प्लान होते हैं और ज़िंदगी उसके हिसाब से चलती है.” करीना कपूर ने कहा कि ‘जब भी मेट’ फिल्म ने जहां उनके करियर को बदलकर रख दिया, वहीं फिल्म ‘टशन’ के सेट पर करीना की सैफ अली खान से मुलाकात हुई और उस मुलाकात ने करीना की पूरी ज़िंदगी बदल दी. करीना ने कहा, “फिल्म ‘टशन’ के वक्त मैं अपने रोल और फिगर को लेकर बहुत उत्साहित थी. टशन फिल्म ने मेरी ज़िंदगी बदल दी, क्योंकि इस फिल्म के जरिए मैं अपने लाइफ पार्टनर से मिली.” अपने इंटरव्यू में करीना कपूर ने कहा, “फिल्म ‘जब वी मेट’ की शूटिंग के दौरान से लेकर फिल्म ‘टशन’ के बीच में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद हमने अपने-अपने रास्ते अलग कर लिए. मेरे लिए उस वक़्त पर्सनली और प्रोफेशनली सबकुछ हैंडल करना बहुत मुश्किल हो रहा था. फिल्म में जिस तरह गीत की ज़िंदगी सेकेंड हाफ के बाद बदल जाती है, ‘जब वी मेट’ फिल्म के बनते वक्त मेरी जिंदगी में भी वैसा ही हो रहा था.”
एक-दूसरे के लिए नहीं बनी थी करीना कपूर और शाहिद कपूर की जोड़ी
बता दें कि ‘जब वी मेट’ फिल्म की शूटिंग के दौरान ही करीना और शाहिद के रिश्ते खराब होने लगे थे और फिल्म ‘टशन’ की शूटिंग के दौरान सैफ अली खान और करीना कपूर एक-दूसरे के करीब आ गए थे. फिर सैफ और करीना ने साल 2012 में शादी कर ली. शाहिद कपूर ने भी 2015 में मीरा राजपूत से शादी कर ली. आज करीना कपूर और शाहिद कपूर दोनों अपनी-अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में खुश हैं. करीना कपूर एक बेटे तैमूर की मां बन चुकी हैं और शाहिद कपूर भी दो बच्चों के पिता बन चुके हैं. बॉलीवुड की ये क्यूट जोड़ी शायद एक-दूसरे के लिए नहीं बनी थी. लेकिन आज भी जब इनके फैन्स ‘जब वी मेट’ फिल्म देखते हैं, तो उन्हें करीना कपूर और शाहिद कपूर की लव स्टोरी याद आ जाती है.

बॉलीवुड और बरसात का गहरा कनेक्शन है. चाहे रोमांस हो, ख़ुशी का मौक़ा या दर्द भरे लम्हे, बरसती बूंदों ने बॉलीवुड को ऐसे कई यादगार गीत और सीन्स दिए हैं, जिन्हें यदि बरसात के बिना शूट किया जाता, तो शायद उनकी ख़ूबसूरती उतनी न निखर पाती. बॉलीवुड के ये 10 गाने बरसात को बनाते हैं और भी रोमांटिक, ये गाने सुने बिना आपका मॉनसून अधूरा रह जाएगा.
1) आज रपट जाएं – फिल्म नमक हलाल
2) रिमझिम गिरे सावन – फिल्म मंज़िल
3) भीगी-भीगी रातों में – फिल्म अजनबी
4) एक लड़की भीगी भागी सी – फिल्म चलती का नाम गाड़ी
5) प्यार हुआ इकरार हुआ – फिल्म श्री 420
6) टिप-टिप बरसा पानी – फिल्म मोहरा
7) बरसो रे मेघा – फिल्म गुरु
8) रिमझिम-रिमझिम – फिल्म 1942 ए लव स्टोरी
9) ताल से ताल मिला – फिल्म ताल
10) जो हाल दिल का – फिल्म सरफरोश

जब बॉबी रिलीज़ हुई तब यह अफ़वाह काफ़ी ज़ोरों पर थी कि मूवी में जो नई लड़की है वो राज कपूर और नरगिस की लव चाइल्ड यानी प्यार की निशानी है. इसकी मुख्य वजह थी कि डिंपल का लुक फ़िल्म में नरगिस के आवारा मूवी के लुक से काफ़ी मिलता जुलता था और दूसरी वजह यह थी कि फ़िल्म में डिंपल का एक सीन नरगिस और राज कपूर की रियल लाइफ में हुई मुलाक़ात का हूबहू चित्रण था.
उस समय यह खबर इतनी ज़ोरों पर थी कि संजय दत्त को उनके दोस्त ताने तक देते थे. कहा तो यह भी जाता है कि ऋषि कपूर और डिंपल एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित थे लेकिन दोनों में भाई बहन का रिश्ता होने के कारण ही उनके रिश्ते को राज कपूर ने आगे नहीं बढ़ने दिया.
तो क्या वाक़ई डिंपल नरगिस-राज कपूर के प्यार की निशानी हैं या यह महज़ अफ़वाह है?
नरगिस ने खुद इस सच्चाई से पर्दा उठाया था और एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि यह अफ़वाह कब और कहां से आई पता नहीं लेकिन यह बेहद ही बेवक़ूफ़ी भरी बात है. अगर वो मेरी बेटी होती तो मैं ज़रूर उसे अपनाती. लेकिन सिर्फ़ इस वजह से कि हम दोनों का लुक मिलता है डिंपल को मेरी बेटी बता देना बचकाना है. डिंपल समझदार लड़की है और मेरे बच्चे भी इस बात को तवज्जो नहीं देते. मुझे तो हंसी आती है यह सब सुनकर.
तो खुद नरगिस ने इस बात को नकार दिया कि डिंपल उनकी और राज की बेटी नहीं हैं और समय के साथ यह अफ़वाह भी ख़त्म हो गई. लेकिन आज भी बहुत से लोगों को यही लगता है कि डिंपल नरगिस और राज कपूर के प्यार की निशानी हें.
ग़ौरतलब है कि डिंपल एक गुजराती परिवार में 8 जून 1957 को जन्मी थीं. उनके पिता चुन्नीभाई कपाड़िया बहुत बड़े व्यापारी थे और उनके यहां अक्सर फ़िल्मी पार्टीज़ हुआ करती थीं. डिंपल अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी और उनकी छोटी बहन सिंपल भी मूवीज़ में आ चुकी हें.

अपनी बेहतरीन एक्टिंग और एक से बढ़कर एक अच्छी फिल्में देने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी आजकल अपनी फैमिली लाइफ को लेकर खूब चर्चा में हैं. इससे पहले तक लोग यही समझते थे कि उनकी मैरिड लाइफ में सब ठीक ठाक चल रहा है, लेकिन जब पिछले दिनों उनके बर्थडे पर उनकी पत्नी आलिया ने उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें तलाक की नोटिस भेजी, तब से नवाजुद्दीन तलाक की खबरों की वजह से खबरों में हैं.
और उनकी पत्नी आलिया सिद्दीकी करीब 15 सालों से साथ हैं, लेकिन अब आलिया ने अलग होने का फैसला किया है. आलिया सिद्दीकी ने ईमेल और व्हाट्सएप्प के ज़रिए लीगल नोटिस भेजकर तलाक और मैटेनेंस मांगा है. साथ ही उन्होंने नवाजुद्दीन के परिवार पर टॉर्चर करने के आरोप लगाए हैं.
आज भले ही आलिया और नवाजुद्दीन अलग होने जा रहे हों, लेकिन एक समय था जब उनकी लव स्टोरी काफी इंटरेस्टिंग हुआ करती थी और दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते थे.
पहले थीं अंजना किशोर पांडेय, फिर बनीं आलिया
आलिया सिद्दीकी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कई सालों के लंबे रिलेशनशिप के बाद शादी की थी. आलिया सिद्दीकी का असली नाम अंजना किशोर पांडेय है. उन्होंने शादी के बाद अपना नाम आलिया सिद्दीकी कर लिया. दोनों 15 सालों से साथ थे. शादी से पहले भी दोनों लंबे वक्त तक लिव इन में भी रहे थे.
काफी ट्विस्ट भी रहा दोनों की लव लाइफ में
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया था कि शादी से पहले वह अंजली के साथ रिलेशनशिप में थे, लेकिन अंजली काफी गुस्सा करती थीं और कई बार नाराज होकर अपने दोस्त के यहां चली जाती थीं और लंबे वक्त तक वापस नहीं आती थीं. एक बार ऐसी ही किसी बात पर बात बढ़ गई और उनका ब्रेकअप हो गया. इसके बाद उनकी मां ने उनकी शीबा से शादी तय कर दी और शादी हो भी गई. लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नहीं चल पाई और दोनों का तलाक हो गया. शीबा से तलाक होने के बाद नवाज और आलिया फिर से मिले और दोनों ने शादी का फैसला किया. शादी के बाद अंजली ने अपना नाम आलिया कर लिया. उनके दो बच्चे भी हैं.
5 रुपये उधार लेकर किया खिलाया थे ब्रेकफास्ट नवाज़ुद्दीन ने खुद एक बार कहा था- हम दोनों एक बहुत खुश हैं. आलिया और मेरी बहुत अच्छी ट्यूनिंग है. हमने बुरे से बुरा समय साथ बिताया है. एक समय ऐसा भी था जब मैं उससे दूर था और उसके पास मुझे कॉल करने के लिए एक रुपये भी नहीं होते थे. एक बार तो मैंने खुद अपने दोस्त से 5 रुपए उधार लेकर आलिया को ब्रेकफास्ट खिलाया है.’ जासूसी का भी आरोप लग चुका है एक बार नवाजुद्दीन सिद्दीकी पर अपनी पत्नी की जासूसी का आरोप भी लगा था, लेकिन तब आलिया खुद एक फेसबुक पोस्ट कर नवाजुद्दीन के साथ खड़ी हो गई थीं और सभी का मुंह बंद कर दिया था और तब आलिया ने जमकर नवाज़ुद्दीन की तारीफ भी की थी. |
आखिर क्यों बिगड़े दोनों के संबंध?
सूत्रों के अनुसार इसकी वजह है दो-तीन साल पहले नवाजुद्दीन की आत्मकथा, जिसमें उन्होंने खुलकर अपने विवाहेतर संबंधों का जिक्र किया था. बताया जाता है कि यह बात उनकी पत्नी को बहुत नागवार गुजरी और तभी से उनके संबंध बुरी तरह बिगड़ते चले गए.
आलिया तलाक की वजह ‘टॉर्चर’ बताती हैं
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में आलिया ने इस रिश्ते के टूटने के बारे में खुलकर बात की, “हमारी शादी में काफी पहले से ही प्रॉब्लम शुरू हो गई थी, लेकिन मैंने इस मामले को सुलझाने की कोशिश की, चीजों के ठीक होने का इंतजार किया, लेकिन कुछ नहीं बदला. मेरा आत्मसम्मान पूरी तरह से खत्म हो गया था. उनके परिवार के शारीरिक और मानसिक टॉर्चर से मैं थक चुकी थी. जब आप किसी रिश्ते को 10 साल देते हैं और इतने सालों बाद आपको ये एहसास होता है कि उसकी जिंदगी में आपके लिए खास जगह ही नहीं है, तो बहुत कुछ बदल जाता है. हालांकि नवाज ने मुझ पर कभी हाथ नहीं उठाया, लेकिन उनका हमेशा चिल्लाना और झगड़ा मेरी सहनशक्ति के बाहर हो गया था.”
एक अच्छे इंसान नहीं बन पाए नवाज
आलिया ने नवाजुद्दीन के बारे में बताते हुए ये भी कहा, “भले ही कितने बड़े एक्टर आप बन गए हों, लेकिन अगर आप अच्छे इंसान नहीं बन पाए या अगर आप अपने बच्चों और पत्नी का सम्मान नहीं कर सकते तो क्या फायदा. मेरे बच्चों को याद भी नहीं है कि उनके पिता उनसे आखिरी बार कब मिलने आए थे. मेरे बच्चों को अपने पिता से मिले हुए 3-4 महीने हो गए हैं, लेकिन उन्हें इस बात की परवाह नहीं है. कुछ लोग फेम नहीं झेल पाते और नवाज उनमें से एक हैं. “
आलिया ने तलाक की नोटिस में अपने बच्चों की कस्टडी भी मांगी है और मेंटेनेन्स की भी मांग कर रही हैं.
बता दें कि 45 वर्षीय अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिलहाल अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के अपने गांव बुढाना में हैं और उनकी तरफ से अब तक इस बारे में कोई बयान नहीं आया है.

सुष्मिता सेन हमेशा से ही अपनी ख़ूबसूरती, प्यार व बोल्ड निर्णय के लिए सुर्ख़ियों में रही हैं. उन्होंने अपनी दोनों बेटियों व प्रेमी रोहमन शॉल के साथ बेहद रोमांटिक अंदाज़ में वैलेंटाइन डे मनाया. इससे जुड़ी तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर की.
मॉडल, मिस यूनिवर्स बनने से लेकर अभिनेत्री बनने तक सुष्मिता सेन ने एक लंबा सफ़र तय किया है. अक्सर उनके प्रेम के क़िस्से भी काफ़ी चर्चा में रहे, फिर वो उनकी पहली फिल्म दस्तक के निर्देशक विक्रम भट्ट के साथ हो या फिर रणदीप हुड्डा. सुष्मिता ने कभी भी समाज या लोग क्या कहेंगे कि परवाह नहीं की. उन्होंने हमेशा से ही वो किया, जो उन्हें सही लगा और जो उनके दिल ने माना. दिल की वे हमेशा से ही सुनती आई हैं, तभी तो अपने से 15 साल छोटे रोहमान के प्यार को स्वीकारने में देर ही सही उन्होंने अपनाया. आज वे पूरी शिद्दत के साथ अपनी लव लाइफ एंजॉय कर रही हैं.
अक्सर सोशल मीडिया पर सुष्मिता की रोहमन, अपने परिवार, बेटियों के साथ प्यार बांटते, मौज-मस्ती करते तस्वीरें देखी जा सकती हैं. रोहमन के साथ उनके लव कनेक्शन व एक्सप्रेशन का स्टाइल तो हर किसी को रोमांचित कर देता है. उनकी लव जर्नी पर एक नज़र डालते हैं…
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दिल के रिश्ते का हर एहसास ख़ास होता है… दिल मिलने पर जितनी ख़ुशी होती है, दिल टूटने पर दर्द भी उतना ही ज़्यादा होता है… कहते हैं, पुरुष अपने दिल का दर्द ज़ाहिर नहीं करते… तो फिर दिल टूटने का पुरुषों पर क्या होता है असर?
ब्रेकअप का पुरुषों पर ये होता है असर
ब्रेकअप का अलग-अलग पुरुषों पर अलग असर होता है. ब्रेकअप का दर्द शायद सभी पुरुषों को एक-सा हो, लेकिन इस दर्द से उबरने के लिए हर पुरुष अपना अलग तरीका खोज निकालता है. आमतौर पर ब्रेकअप का पुरुषों पर ये असर होता है:
1) ख़ुद को नशे में डुबो देना
ब्रेकअप के बाद अक्सर कई पुरुष अपना दर्द और अपने एक्स को भुलाने के लिए बहुत ज़्यादा सिगरेट-शराब पीने लगते हैं. इसका असर उनकी पर्सनल, प्रोफेशनल और सोशल लाइफ पर भी पड़ने लगता है. ज़्यादा शराब पीकर कई पुरुष दूसरों से झगड़ा या गाली-गलौज भी करने लगते हैं. घर वालों के समझाने पर उन्हें भी भला-बुरा कह देते हैं. ब्रेकअप का दर्द उन्हें इतना आहत करता है कि वो न तो अपने करियर पर फोकस कर पाते हैं और न ही उनका किसी चीज़ में मन लगता है.
2) लोगों से मिलने से कतराना
ब्रेकअप को कई पुरुष अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं. उन्हें लगता है कि किसी से मिलने पर यदि किसी ने उनसे उनके रिलेशनशिप के बारे में पूछ लिया, तो वे उसे क्या जवाब देंगे. ब्रेकअप के बाद पुरुष अपने रिश्ते के बारे में डिस्कस नहीं करना चाहतेे इसलिए वो लोगों से मिलने से कतराने लगते हैं.
3) सच्चाई स्वीकार न कर पाना
कई पुरुष ये बात स्वीकार ही नहीं पाते कि कोई महिला उन्हें लाइफ पार्टनर बनाने से इनकार कर सकती है. ब्रेकअप की बात सोचते ही उनके अहम् को ठेस लगती है इसलिए वो ये ये सच्चाई स्वीकारना ही नहीं चाहते कि किसी महिला ने उनका दिल तोड़ा है. इस बात का उनकी पर्सनैलिटी पर भी गहरा असर होता है. ऐसे लोग समझ ही नहीं पाते कि अब उन्हें आगे क्या करना है.
4) सारा दोष महिला पार्टनर से सिर मढ़ देना
कई पुरुष ये बात मानना ही नहीं चाहते कि उनके ब्रेकअप के लिए वो भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं, जितना कि उनकी महिला पार्टनर. वो हर किसी से यही कहते फिरते हैं कि उनकी पाटर्नर इस रिश्ते की ज़िम्मेदारी उठाने लायक ही नहीं थी इसलिए उन्हें मजबूरन उससे रिश्ता तोड़ना पड़ा.
5) बिज़ी रहने की एक्टिंग करना
ब्रेकअप हो जाना कई पुरुषों को अपनी बेइज़्ज़ती लगती है इसलिए वो इस बात से डरते रहते हैं कि कोई उनसे उनके ब्रेकअप के बारे में न पूछ लें. दोस्तों और करीबियों के सवालों से बचने के लिए वो बिज़ी रहने की एक्टिंग करने लगते हैं. कई बार ऐसे लोग ख़ुद को काम में इतना डुबो देते हैं कि उन्हें अपने बारे में सोचने तक का समय नहीं मिल पाता.
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6) घंटों जिम में बिताना
कई पुरुष ब्रेकअप के बाद जिम में अधिक समय बिताते हैं. ऐसा वो इसलिए करते हैं ताकि अपना ग़ुस्सा और फ्रस्ट्रेशन जिम में जाकर रिलीज़ कर सकें. उन्हें किसी से मिलने या बात करने की इच्छा नहीं होती इसलिए वो जिम में ख़ुद को थकाकर अपना ग़ुस्सा शांत करते हैं. ब्रेकअप के बाद जो पुरुष जिम में अधिक समय बिताते हैं, कई बार वो अपनी क्षमता से अधिक एक्सरसाइज़ करके ख़ुद को नुक़सान तक पहुंचा देते हैं.
7) किसी भी महिला पर विश्वास न करना
ब्रेकअप के बाद कई पुरुषों का महिलाओं पर से विश्वास उठ जाता है. दिल का रिश्ता टूटने का उन पर इतना बुरा प्रभाव पड़ता है कि वो फिर किसी महिला पर विश्वास ही नहीं कर पाते. ऐसे पुरुषों को फिर से दिल लगाने में बहुत दिक्कत होती है. जब तक कोई महिला उनका विश्वास न जीत ले, वो तब तक महिलाओं से दूर ही रहते हैं.
8) मल्टीपल पार्टनर बनाना
दिल टूटने का अलग-अलग पुरुषों पर अलग असर होता है. दिल टूटने पर कई पुरुष महिलाओं से दूर रहते हैं, तो कई पुरुष मल्टीपल पार्टनर बना लेते हैं यानी एक साथ एक से ज़्यादा महिला पार्टनर के साथ रोमांस करने लगते हैं. मल्टीपल पार्टनर बनाने वाले पुरुष शादी के रिश्ते में नहीं बंधना चाहते, वो बस महिला पार्टनर का साथ चाहते हैं, उन्हें लाइफ पार्टनर नहीं बनाना चाहते.
9) डेटिंग ऐप्स का सहारा लेना
ब्रेकअप के दर्द से उबरने के लिए कई पुरुष डेटिंग ऐप्स का सहारा लेने लगते हैं. ऐसे पुरुष अपना अधिकतर समय डेटिंग ऐप्स में बिताने लगते हैं. वो डेटिंग ऐप्स के माध्यम से कई लड़कियों से मिलते-जुलते हैं और अपना ग़म दूर करने की कोशिश करते हैं.
10) सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना
सोशल मीडिया अकेलापन दूर करने का आसान माध्यम बन गया है. सोशल मीडिया का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आप अपने मोबाइल स्क्रीन पर उंगलियां फिराते हुए कई लोगों से जुड़ सकते हैं. आपको न उनसे मिलने की ज़रूरत है और न ही उन्हें अपना चेहरा दिखाने की ज़रूरत है. ऐसे में अकेलेपन के शिकार कई लोग सोशल मीडिया पर अपना अधिकतर समय बिताते हैं. अपने करीबियों से मिलने-जुलने के बजाय उन्हें घर बैठे अजनबियों से बातें करना अच्छा लगने लगता है. वो सोशल मीडिया की आभासी दुनिया अपना ग़म भुलाने की कोशिश करते रहते हैं.
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ब्रेकअप के दर्द से कैसे उबरें पुरुष?
हालांकि दिल टूटने के दर्द से उबरना आसान नहीं, लेकिन ज़िंदगी में आगे बढ़ना भी ज़रूरी है. ब्रेकअप के दर्द से उबरने के लिए क्या करें पुरुष? आइए, जानते हैं.
1) शी-टॉक्स शुरू करें
जिस तरह हम अपने शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकालने के लिए डीटॉक्स करते हैं, उसी तरह अपने पुराने रिश्ते से बाहर निकलने के लिए शी-टॉक्स शुरू करें. इसके लिए अपने एक्स से जुड़ी सभी यादों को ख़ुद से दूर करें. सोशल मीडिया पर उसे अनफ्रेंड करें, उसका नंबर डिलीट कर दें, इस तरह आप बार-बार उसे देखने या उसके बारे में जानने से बच पाएंगे और अपना ध्यान अपने काम पर लगा पाएंगे.
2) पुरानी यादों को जला दें
करीना कपूर और शाहिद कपूर की फिल्म जब वी मेट का वो सीन आपको याद होगा, जब शाहिद कपूर अपने एक्स की यादें मिटाने के लिए करीना कपूर से उसकी तस्वीर को जलाकर कमोड में फ्लश करने को कहते हैं, ताकि करीना उसकी यादों को भुला सके. आप भी ऐसा कर सकते हैं. बार-बार अपने एक्स की फोटो देखकर दुखी होने के बजाय उसकी फोटो को जलाकर अपने दिल को समझाएं कि अब वो आपकी ज़िंदगी में नहीं है.
3) एक्स से दोस्ती न रखें
कई लोग रिश्ता ख़त्म होने के बाद भी दोस्त बने रहना चाहते हैं. ऐसा करना तब सही होता है, जब आप अपनी दोस्ती को स़िर्फ दोस्ती की नज़र से देखें, लेकिन आपके मन में यदि अब भी अपने एक्स के लिए वही भावनाएं हैं, तो बेहतर होगा कि आप उससे दोस्ती भी न रखें. अपने एक्स को भुलाने के लिए आप उससे दूर ही रहें.
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4) ख़ुद को नशे से दूर रखें
ब्रेकअप के दर्द को भुलाने के लिए यदि आप भी ख़ुद को नशे में डुबो देते हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है. नशा करने की बजाय अपने शौक के लिए व़क्त निकालें, वो चीज़ें करें जो आपको अच्छी लगती हैं.
5) महिलाओं से दूर न भागें
यदि एक महिला ने आपका दिल तोड़ा है, तो इसका ये मतलब नहीं कि सभी महिलाएं ऐसी ही होती हैं. अत: महिलाओं से कतराएं नहीं, बल्कि उनसे बात करें. यदि कोई महिला दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाए, तो ख़ुद को एक और चांस दें और जीवन में आगे बढ़ें.
6) ख़ुद से प्यार करें
हर इंसान का ये फर्ज़ है कि वो दुनिया में सबसे ज़्यादा ख़ुद से प्यार करें. यदि आप ख़ुद से प्यार करेंगे, तभी आप दूसरों से भी उतना ही प्यार कर सकेंगे. हमेशा जीवन का सकारात्मक पहलू देखें. एक रिश्ता टूट जाने से ज़िंदगी ख़त्म नहीं होती. आज यदि आपका दिल टूटा है, तो इस बात पर विश्वास रखें कि आपके जीवन में इससे भी अच्छा लाइफ पार्टनर आने वाला है. ज़िंदगी एक बार मिलती है इसलिए उसे खुलकर जीएं. आप बस ख़ुद से प्यार करें, आपके जीवन में प्यार की कभी कमी नहीं होगी.
– कमला बडोनी