- Entertainment
- Story
- Relationship & Romance
- Sex Life
- Recipes
- Health & Fitness
- Horoscope
- Beauty
- Others
- Shop
- Apps
medical test guide
Home » medical test guide

बदलती लाइफस्टाइल और खाने-पीने की ग़लत आदतों के कारण हमारे शरीर को अनेक बीमारियों ने जकड़ लिया है. इन बीमारियों का पता लगाने के लिए ज़रूरी है कि उम्र के अनुसार नियमित रूप से मेडिकल चेकअप कराते रहें, ताकि समय रहते ही सही ट्रीटमेंट किया जा सके.
क्यों ज़रूरी है मेडिकल टेस्ट?
मेडिकल टेस्ट कराने का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि शुरुआत में ही बीमारी का पता चलने पर डॉक्टरी सलाह के अनुसार उसका सही उपचार किया जा सके. कुछ टेस्ट ऐसे होते हैं, जो बीमार न होने पर, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ कराने ज़रूरी होते हैं, जैसे- पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी 40 साल के बाद प्रत्येक महिला व पुरुष को हर 2 साल में अपना पूरा मेडिकल चेकअप कराना चाहिए और 55 साल के बाद हर 1 साल में महिलाओं व पुरुषों को अपना मेडिकल टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए.
उम्र के अनुसार कराएं टेस्ट
0-1 साल
टेस्ट: किसी मेडिकल टेस्ट की ज़रूरत नहीं.
ख़ास बात: यदि नवजात शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है, तो उसका कोई मेडिकल टेस्ट कराने की
आवश्यकता नहीं है, लेकिन उम्र के अनुसार यदि बच्चे का सही शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो रहा है, तो तुरंत चाइल्ड एक्सपर्ट को दिखाएं.
2 साल
टेस्ट: स्टूल टेस्ट.
क्यों ज़रूरी है: ये पता लगाने के लिए कि कहीं पेट में कीड़े तो नहीं.
ख़ास बात: 2-10 साल तक के अधिकतर बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत रहती है. इस टेस्ट के बारे में ज़्यादातर लोगों को भ्रम रहता है. कई बार स्टूल टेस्ट कराने पर भी पेट में कीड़े होने की पुष्टि नहीं होती.
4-5 साल
टेस्ट: बच्चे का नॉर्मल मेडिकल चेकअप (यानी क़द, वज़न, आंख व दांत आदि चेक) कराना.
क्यों ज़रूरी है: बच्चे के सही शारीरिक व मानसिक विकास के लिए.
ख़ास बात: स्कूल जाने से पहले बच्चे का पूरा चेकअप कराना ज़रूरी है, ताकि आरंभ में ही किसी बीमारी का अंदेशा होने पर तुरंत उसका उपचार किया जा सके.
10 साल
टेस्ट: आंख व दांतों का रेग्युलर चेकअप.
क्यों ज़रूरी है: यदि पहले के मेडिकल टेस्ट में कुछ गड़बड़ी हो, तो बच्चे का दोबारा रूटीन चेकअप ज़रूर कराएं.
15-18 साल
लड़कों के लिए
टेस्ट: एक्स-रे, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, ब्लड शुगर, थायरॉइड टेस्ट.
क्यों ज़रूरी है: यदि 15-18 साल तक लड़के ओवरवेट हैं, तो उनके लिए ये टेस्ट कराने ज़रूरी है, वरना कोलेस्ट्रॉल व ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है.
लड़कियों के लिए
टेस्ट: हार्मोनल व थायरॉइड टेस्ट.
क्यों ज़रूरी है: यदि 15-18 साल तक की लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हैं, तो उनके लिए यह टेस्ट कराने ज़रूरी हैं.
ख़ास बात: 15-18 साल तक के किशोर, चाहे लड़का हो या लड़की, उम्र और क़द के अनुसार उनका वज़न आइडियल होना चाहिए. इतनी कम उम्र में वज़न अधिक होने से शरीर अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है.
20-30 साल
इस उम्र के युवा यदि पूरी तरह से स्वस्थ हैं, तो उन्हें कोई विशेष टेस्ट कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार सारे मेडिकल टेस्ट कराने ज़रूरी हैं.
महिलाओं के लिए कुछ अन्य टेस्ट
पीरियड्स के लिए: यदि 20 से 30 साल की उम्र में भी महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हैं, तो पीसीओडी टेस्ट कराएं.
प्रेग्नेंसी के समय: प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में ब्लड शुगर, थायरॉइड, यूरिन टेस्ट, थैलीसीमिया, हीमोग्लोबिन और एचआईवी टेस्ट करवाने पड़ते हैं.
40 साल के बाद महिलाओं के लिए कुछ ज़रूरी टेस्ट
टेस्ट: मेमोग्राफी.
क्यों ज़रूरी है: ब्रेस्ट संबंधी बीमारियों की जांच करने के लिए मेमोग्राफी कराई
जाती है, विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए.
ख़ास बात: इंडियन कैंसर सोसाइटी के अनुसार 40 साल के बाद महिलाओं को साल में 1 बार मेमोग्राफी ज़रूर करानी चाहिए. वैसे तो महिलाएं घर पर ख़ुद ही ङ्गसेल्फ बे्रस्ट एग्ज़ामिनफ कर सकती हैं. एग्ज़ामिनेशन के दौरान ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ महसूस होने पर तुरंत एक्सपर्ट को दिखाएं.
टेस्ट: पैप स्मीयर.
क्यों ज़रूरी है: सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए.
ख़ास बात: सर्वाइकल कैंसर का इंजेक्शन लगाने के बाद भी पैप स्मीयर टेस्ट कराना आवश्यक है, क्योंकि इसके बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका बनी रहती है. यह इंजेक्शन केवल प्रिवेंशन का काम करता है, उपचार का नहीं.
टेस्ट: पेल्विक अल्ट्रासाउंड.
क्यों ज़रूरी है: पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, पीरियड्स अनियमित होना, पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द व ब्लीडिंग होना और ओवरी कैंसर की जांच कराने के लिए पेल्विक अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है.
ख़ास बात: ट्युमर और यूरिनरी ब्लैडर संबंधी बीमारियों की जांच कराने के लिए महिलाओं व पुरुषों को पेल्विक अल्ट्रासाउंड करवाने की ज़रूरत होती है.
45 साल के बाद महिलाओं व पुरुषों के लिए ज़रूरी टेस्ट
1. टेस्ट: यूरिन इंफेक्शन.
क्यों ज़रूरी है: पेशाब में संक्रमण होने पर यह टेस्ट कराया जाता है. बार-बार और लंबे समय तक यूरिन में इंफेक्शन होने से भविष्य में किडनी संबंधी बीमारी हो सकती है.
ख़ास बात: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं और पुरुषों में यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की समस्या बढ़ने लगती है. पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी हरेक महिला व पुरुष को हर 5 साल में यूरिन टेस्ट कराते रहना चाहिए.
2. टेस्ट: बीपी, ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) और टीएमटी.
क्यों ज़रूरी है: दिल से संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिए ये टेस्ट कराने ज़रूरी हैं.
ख़ास बात: 45 साल के बाद प्रत्येक पुरुष और महिला को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कराना चाहिए. इसके
अलावा बाकी के सारे मेडिकल टेस्ट भी हर 2-3 साल में कराते रहना चाहिए.
3. टेस्ट: बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी).
क्यों ज़रूरी है: ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी का कोई पुराना फ्रैक्चर, स्पाइनल डिफॉर्मिटी या ऑस्टियोपेनिया (बोन डेंसिटी का कम होना) से ग्रस्त महिलाओं व पुरुषों को यह टेस्ट कराने की ज़रूरत होती है.
ख़ास बात: ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या आमतौर पर महिलाओं में अधिक होती है. 45 साल के बाद महिलाओं को हर 5 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए और मेनोपा़ॅज़ होने के हर 2 साल बाद बीएमडी टेस्ट कराना चाहिए
पुरुषों के लिए
.
टेस्ट: प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (पीएसए).
क्यों ज़रूरी है: प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि के लिए यह टेस्ट कराया जाता है.
ख़ास बात: यूरिन संबंधी समस्या होने पर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है. अमूमन पुरुषों में 65 साल के बाद प्रोस्टेट कैंसर की समस्या होती है, लेकिन डॉक्टरी सलाह के अनुसार पहले भी पीएसए टेस्ट करवा सकते हैं.
– देवांश शर्मा
Krishna Emporia Men's Regular Fit Formal Shirt
Jewels Galaxy Zircon Leaf Silver Plated Plushy Adjustable Ring for Women/Girls (Style 10) (SMNJG-RNGS-5044)
Amazon Auto Links: Amazon Auto Links: No products found.