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meditation
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ॐ तीन अक्षरों से बना है, पहला अ, जिसका मतलब हैउत्पन्न होना, दूसरा उ, जिसका मतलब है विकास और तीसरा हैम, जिसका अर्थ है मौन यानी ब्रह्म में विलीन हो जाना. ॐ अस्तित्व की आवाज़ कही जाती है और इसके कई हेल्थ बेनीफिट्स भी हैं, आइए आपको ॐ के उच्चारण से होनवाले हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में बताते हैं…
– शरीर के टॉक्सिन्स निकल जाते हैं.
– वोकल कॉर्ड और गले की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है.ख़ासतौर से बढ़ती उम्र में यह और भी फ़ायदेमंद है.
– ॐ के नियमित उच्चारण से जो कंपन पैदा होता है, उसकाअसर वोकल कॉर्ड और साइनस पर भी पड़ता है.
– यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है. पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है.
– थकान को मिटाने का बेहतरीन उपाय है कि कुछ देर ॐ का उच्चारण किया जाए.
– कुछ लोगों के निजी अनुभव तो यह भी कहते हैं कि ॐ के जपसे उनका वज़न भी नियंत्रित रहता है, क्योंकि इसके वाइब्रेशन्स पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं और बढ़ते वज़न को कम करते हैं.
– थायरॉइड नियंत्रित रहता है.
– यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है,
– थकान दूर करके एनर्जी देता है, विशेष प्रकारके प्राणायाम के साथ इसका जाप करने से यह फेफड़ों को मज़बूत बनाता है, इससे नींद अच्छी आती है,
– हड्डियां मज़बूत होती हैं, क्योंकि इसकी फ्रीक्वेंसी शरीर में विशेष प्रकार का कंपन्न पैदा करती है. इसके अलावा यह मानसिक शांति प्रदान करता है,
यही वजह है मंत्रों में ॐ का इतना महत्व है. कई तरह के क्लिनिकल रिसर्च से भी यह पता चलता है कि ॐ के जाप से मस्तिष्क वशरीर में जो वाइब्रेशन होता है, उसका प्रभाव काफ़ी सकारात्मक होता है.

वैदिक काल से ही वायुमंडल का शुद्धीकरण करता आ रहा है कपूर
पूजा के दौरान या आरती के समय घरों में भी कपूर जलाने का चलन वैदिक काल से चला आ रहा है. इसके पीछे वैज्ञानिकतथ्य यही है कि कपूर जलाने से वायुमंडल शुद्ध होता है, क्योंकि वो हानिकारक संक्रामक बैक्टीरिया को नष्ट करके भीनी-भीनी शुद्ध ख़ुशबू से वातावरण को महका देता है.
बीज मंत्र क्या होते हैं?
बीज मंत्र किसी भी मंत्र का लघु रूप होते हैं, जो काफ़ी प्रभावी होते हैं. ये मात्र एक अक्षर के होते हैं, लेकिन इनका प्रभावइतना गहरा होता है कि स्वास्थ्य की कुंजी इनमें छुपी होती है.
भजन को भी एक प्रकार का मंत्र माना है
कीर्तन, प्रार्थना या भजन को भी एक प्रकार का मंत्र ही माना गया है, क्योंकि एक निश्चित लय, ताल व समयावधि में इन्हेंगाने पर आपका संपर्क भीतर की आध्यात्मिक ऊर्जा से होता है व सारे टॉक्सिन्स दूर हो जाते हैं.
मेडिटेशन करता है कई मानसिक रोगों को कंट्रोल
रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन घबराहट को कम करके कई तरह के मानसिक रोगों को भी नियंत्रित करने में सक्षम है. यहफोबिया, लत, विकृत सोच, ऑबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर आदि में भी फ़ायदेमंद है.
मेडिटेशन डिप्रेशन और स्ट्रेस पैदा करनेवाले केमिकल को कम करता है
स्टडीज़ में साबित हुआ है कि मेडिटेशन इंफ्लेमेटरी केमिकल्स को घटाता है. ये केमिकल्स स्ट्रेस के कारण बनते हैं, जो मूडको प्रभावित करके डिप्रेशन पैदा करते हैं. ऐसे में मेडिटेशन इस केमिकल को कम करके डिप्रेशन को कम करता है.

मेडिटेशन यानी ध्यान की वो अवस्था जहां सारा फोकस मन पर होता है. भीतर की ओर होता है. भीतरी शक्तियों व ऊर्जाको पहचानने व जगाने पर होता है. मेडिटेशन के बहुत से फ़ायदे हैं और चूँकि यह मन पे फोकस करता है तो ज़ाहिर हैडिप्रेशन जैसे रोग जो मन से ही जुड़े होते हैं उनसे निपटने में यह बेहद कारगर साबित हुआ है.
ध्यान से कैसे दूर भागता है डिप्रेशन?
मेडिटेशन किस तरह डिप्रेशन को कम कर सकता है इसके कई वैज्ञानिक आधार हैं. दरअसल ध्यानावस्था में मस्तिष्क अल्फा स्टेट में पहुंच जाता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है, यही वजह है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस वडिप्रेशन संबंधी तकलीफ़ों में भी राहत मिलती है.
मेडिटेशन करने पर शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, क्योंकि मेडिटेशन शरीर के चक्रों को जागृत करता है, जिससे होर्मोन्समें संतुलन पैदा होता है और विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं.
रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन से ब्रेन में रक्त संचार और इम्यूनिटी बढ़ती है
- स्टडीज़ व कई तरह के शोधों से यह पता चला है कि मेडिटेशन से पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्थामें पहुंच जाता है, जिससे ब्रेन के उस हिस्से में एक्टीविटी बढ़ जाती है, जो फील गुड केमिकल्स व हार्मोंस रिलीज़करता है.
- मेडिटेशन आपके सोचने का नज़रिया बदलकर अकेलेपन की भावना को दूर करता है जिससे नेगेटिविटी दूर होतीऔर डिप्रेशन से राहत मिलती है.
- रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन कार्टिसॉल हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे ब्रेन हैप्पी स्टेट में पहुंच जाता है.
- स्टडीज़ यह साबित कर चुकी हैं कि मेडिटेशन स्ट्रेस के कारण बने इंफ्लेमेटरी केमिकल्स को कम करता है. येकेमिकल्स मूड को प्रभावित करके डिप्रेशन पैदा करते हैं. ऐसे में मेडिटेशन के ज़रिए इन केमिकल्स को कम करकेडिप्रेशन को भी कम किया का सकता है.
- मेडिटेशन से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है और शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है.
- मेडिटेशन से सेल्स का निर्माण बेहतर होता है. स्टैमिना बढ़ता है और साथ ही इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है. इस तरहमेडिटेशन पॉज़िटिविटी बढ़ाता है डिप्रेशन के एहसास को दूर करता है.
- यही नहीं मेडिटेशन कर चुके लोगों ने भी अपने अनुभवों में यह बताया है कि मेडिटेशन सेल्फ डिस्ट्रक्शन से जुड़े विचारों और भावनाओं को दूर करता है और पॉज़िटिव विचारों को बढ़ाता है.
मेडिटेशन चक्रों को जगाकर भावनाओं को संतुलित करता है.
हमारे शरीर में मौजूद सात ऊर्जा चक्र शरीर के किसी ना किसी अंग और भावना से जुड़े होते हैं. ये चक्रों सुप्त अवस्था मेंरहते हैं तो इनकी ऊर्जा का हम इस्तेमाल नहीं कर पाते. ये तभी जागते हैं जब हम प्रयास करते हैं और उस प्रयास का रास्तामेडिटेशन से होकर ही गुज़रता है.
मेडिटेशन से इन चक्रों में वाइब्रेशन पैदा होता है जिससे ये चक्र जाग जाते हैं. इनके जागने से ऊर्जा पैदा होती है, ग्लैंड्सएक्टीव होते हैं, टॉकसिन्स दूर होते हैं, होर्मोन्स बैलेंस्ड होते हैं और भावनायें संतुलित व नियंत्रित रहती हैं. सकारात्मकभावनायें बढ़ती हैं. नकारात्मक और डिप्रेशन से जुड़ी भावनायें दूर होती हैं.
सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाकर, थिंकिंग प्रोसेस को बदलता है मेडिटेशन
- मेडिटेशन हमें भीतर से जागरुक करता और सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाता है, जिससे हम अपने विचारों को कंट्रोल करसकते हैं. मेडिटेशन से हम अपने प्रति अच्छा महसूस कर पाते हैं, सही दिशा में सोच पाते हैं, क्योंकि मेडिटेशन हमारेथिंकिंग प्रोसेस को बदलता है. जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर होती है. जब मेंटली हम मज़बूत होंगे तो डिप्रेशन दूर रहेगा.
- मेडिटेशन से ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर होता है जिससे हानिकारक केमिकल्स घटते हैं.
- मेडिटेशन से नींद बेहतर होती है और हम सभी जानते हैं कि डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छी और बेहतर नींदकितनी ज़रूरी है.
- मेडिटेशन आपके कॉन्फ़िडेंस को बूस्ट करता है, जिससे खुद पर विश्वास बढ़ने लगता है, शरीर में एनर्जी महसूस होनेलगती है और नकारात्मक भाव दूर होने लगते हैं. बढ़ा हुआ आत्मविश्वास ही डिप्रेशन को दूर करता है क्योंकिडिप्रेशन में सबसे ज़्यादा कमी आत्मविश्वास में आती है, जिससे एनर्जी लो होने लगती है.
- ऐसे में मेडिटेशन किसी वरदान से कम नहीं.
– गुड्डु शर्मा

ध्यान यानी मेडिटेशन, यह एक विज्ञान है. हमारा वैदिक विज्ञान. ध्यान विज्ञान हमें उस उच्च अवस्था में ला सकता है जहां से हम बेहतर जीवन और आत्मिक संतुष्टि के अलावा अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं. इसके लिए ध्यान को समझना ज़रूरी है.
मेडिटेशन क्या है?
मेडिटेशन यानी ध्यान वह अवस्था है, जहां सारा फोकस मन पर ही होता है. यह एक तकनीक है, जो प्रैक्टिस से ही आती है. यहां आप सतही विचारों को दूर करके मन पर केंद्रित हो जाते हैं और फिर जो कुछ भी सोचता है मन ही सोचता है. मन से एकाकार होने की क्रिया ही है मेडिटेशन. मन को शांत करने और मस्तिष्क को परम सुख की स्थिति में पहुंचाने के क्रिया ही है मेडिटेशन.
हेल्थ और मेडिटेशन में कनेक्शन…
ध्यानावस्था में मस्तिष्क अल्फा स्टेट में पहुंच जाता है, शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है और नई ऊर्जा का संचार हम अनुभव करते हैं. मेडिटेशन से स्ट्रेस संबंधी दर्द में भी मिलती है राहत… ध्यान में उतरने पर पॉज़िटिव एनर्जी बढ़ती है, जिससे हाई बीपी कम होता है और मन शांत व तनावमुक्त होता है. तनाव कम होने के कारण तनाव से उपजे दर्द, जैसे- सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, अनिद्रा, मांसपेशियों का दर्द आदि में भी काफ़ी राहत मिलती है. साथ ही इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है. तो जिन्हें अब तक लगता था कि मेडिटेशन मात्र मानसिक सुकून के लिए ही होता है, वो यह जान लें कि यह न स़िर्फ मानसिक शांति देता है, बल्कि कई तरह के शारीरिक कष्टों का भी निवारण करता है. यही नहीं, मेडिटेशन से हार्ट डिसीज़, डायबिटीज़, ओबेसिटी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी को भी बेहतर तरी़के से मैनेज किया जा सकता है. मेडिटेशन दरसअल बॉडी के रिलैक्सेशन रेस्पॉन्स को एक्टिवेट करता है, जिससे इन गंभीर बीमारियों और यहां तक कि चोट व दर्द आदि से भी उबरने में मदद मिलती है.
मेडिटेशन यानी ध्यान की संपूर्ण अवस्था. इस अवस्था में हम किस तरह की शक्तियों को जागृत कर सकते हैं और क्या क्या पा सकते आइए जानें-
हमारे मन में बहुत-सी शक्तियां छिपी होती हैं, लेकिन हम उन्हें पहचानते ही नहीं या फिर कभी प्रयास ही नहीं करते उनसे एकाकार होने का और मन में उतरकर उन शक्तियों को जागृत करने का. अपने मन को जानने या उससे एकाकार होने की प्रक्रिया ही है मेडिटेशन यानी ध्यान!
– यह शरीर के चक्रों को जागृत करके ऊर्जा प्रदान करता है.
– दरअसल हमारे शरीर का हर अंग किसी न किसी चक्र से संबंध रखता है. यदि किसी अंग में कोई समस्या आ जाए, तो संबंधित चक्र को एक्टिवेट करके उस अंग को संतुलित किया जा सकता है और उससे संबंधित बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
– ध्यान की अवस्था में शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है.
– मेडिटेशन कई तरह के शारीरिक कष्टों का भी निवारण करता है.
– मेडिटेशन से इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है. यह लंग्स को मज़बूत करता है, क्योंकि इसे करते समय ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ भी होती है. प्राण वायु हमारे शरीर में जाती है. ऑक्सिजन बेहतर तरीक़े से लंग्स व शरीर में पहुंचता है.
– हाई बीपी, अनिद्रा, मांसपेशियों के दर्द, हार्ट डिसीज़, डायबिटीज़, ओबेसिटी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी को भी बेहतर तरी़के से मैनेज किया जा सकता है.
मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है मेडिटेशन…
कई तरह के शोधों से पता चला है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस से संबंध रखनेवाले हार्मोन कार्टिसॉल का स्तर घटता है, पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्था का निर्माण करता है, जिससे मस्तिष्क के उस हिस्से में क्रियाशीलता बढ़ जाती है, जो हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ करता है. हार्ट रेट संतुलित होती है, मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ता है, स्टैमिना बढ़ता है, शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है, सेल्स का निर्माण बेहतर होता है.
–भोलू शर्मा

क्या कभी आपके ज़ेहन में यह बात आई है कि मंत्रों का क्या और कितना महत्व है? मंत्रों की शक्ति और उनके हेल्थ बेनीफिट्स के बारे में अक्सर हम सुनते रहते हैं, लेकिन शायद कभी भी हमने हेल्थ और मंत्र के साइंटिफिक कनेक्शन को जानने की कोशिश की हो. अगर हम मंत्रों के हेल्थ कनेक्शन को जान जाएंगे, तो ज़ाहिर है उन्हें बेहतर तरी़के से अपने जीवन में अपनाकर हेल्दी और बेहतर ज़िंदगी जी सकेंगे.
धर्म या अंधविश्वास नहीं, ये है विज्ञान
* अक्सर लोग आज भी इसी ग़लतफ़हमी में हैं कि मंत्रों का संबंध किसी विशेष धर्म से है, जबकि तमाम साइंटिफिक रिसर्च और शोधों से यह साफ़ हो चुका है कि मंत्रों का आधार विज्ञान है. धर्म से इनका कोई संबंध नहीं, इसीलिए हर धर्म, समुदाय के लोग इनका प्रयोग करके स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं.
* मंत्र का यदि गूढ़ अर्थ जानें, तो मन का मतलब है- माइंड और त्र का अर्थ है तरंग या कंपन. मंत्रों के जप से जो कंपन होता है, वह न स़िर्फ हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करता है, बल्कि मंत्रोच्चारण के समय श्वास-प्रश्वास की क्रिया व रिदम हमारे ग्लांड्स पर असर डालते हैं, जिसका सीधा प्रभाव हमारी हेल्थ पर होता है.
साउंड इज़ पावर
* मंत्र दरअसल साउंड यानी ध्वनि होते हैं, जिनकी एक निश्चित फ्रिक्वेंसी होती है और विज्ञान कहता है, ध्वनि ऊर्जा के सिवा कुछ नहीं है यानी मंत्र का सीधा-सीधा मतलब है- एनर्जी.
* मंत्र जप करने का अर्थ है शक्ति के अलग-अलग स्तर को महसूस करना.
* मंत्र किस तरह से हमारे जीवन व हेल्थ को प्रभावित करते हैं, इसका वर्णन वेदों में हज़ारों वर्ष पूर्व ही किया गया है. लेकिन इसके वैज्ञानिक आधार की खोज अब तक जारी थी. मंत्र और साइंस में बहुत ही गहरा कनेक्शन है.
* मंत्रों के नियमित जाप से हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में एक रिदम में दबाव यानी प्रेशर पैदा होता है, जिससे हमारे चक्र जाग जाते हैं और शरीर एवं मस्तिष्क में एनर्जी पैदा होती है.
* ओहायो यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक भी यह साबित हुआ है कि ध्यान यानी डीप मेडिटेशन से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफ़ी बढ़ जाती है. यही नहीं, जो लोग रोज़ाना ध्यान करते हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा भी कम हो जाता है, साथ ही मांसपेशियों के दर्द से भी राहत मिलती है.
* साउंड व मंत्रों पर किए गए रिसर्च से यह पता चलता है कि निश्चित साउंड फ्रिक्वेंसी हमारे माइंड को विशेष प्रकार की आरामदायक परिस्थिति में पहुंचा देती हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में अल्फा स्टेट कहा जाता है.
* मंत्रों के जप से शरीर रिलैक्स होता है और तनाव दूर होता है. मंत्र जप के व़क्त हम ध्यानावस्था में पहुंच जाते हैं और हमारा मस्तिष्क अल्फा स्टेट में, जिससे नर्वस सिस्टम बैलेंस होता है और तनाव दूर होता है.
* मंत्रों के नियमित जप से इम्यूनिटी बढ़ती है, क्योंकि इनका प्रभाव मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर इस तरह से होता है, जिससे हमारे हार्मोंस प्रभावित होते हैं. सेरोटोनिन और डोपामाइन को हैप्पीनेस हार्मोंस कहा जाता है, मंत्रों के सकारात्मक प्रभाव से हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होकर मस्तिष्क को सुखद अवस्था में पहुंचाते हैं. स़िर्फ इतना ही नहीं, हमारे मूड से लेकर भूख और नींद तक से जुड़े मस्तिष्क के केंद्रों को यह प्रभावित करके हार्मोंस के स्तर को बैलेंस करते हैं, जिससे हमारी इम्यूनिटी बेहतर होती है.
मुद्रा विज्ञान
मंत्र और साइंस में बहुत ही गहरा कनेक्शन है. मंत्रों के उच्चारण के साथ उनके जाप के समय आप किस मुद्रा में बैठे हैं, यह भी बहुत मायने रखता है. जिस तरह से मंत्रों का वैज्ञानिक आधार है, ठीक उसी तरह मुद्राओं का भी वैज्ञानिक आधार है.
मुद्राओं को यदि सिंपल तरी़के से समझें, तो यह हाथों का योगा है. हमारे हाथों और उंगलियों में जो ऊर्जा है, उसमें संतुलन बनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं.
आयुर्वेद के मूल सिद्धांत पर ही आधारित है योग मुद्रा. आयुर्वेद की मानें, तो वात, पित्त और कफ़- इन तीनों तत्वों के संतुलन से ही शरीर स्वस्थ रहता है. इनमें असंतुलन का अर्थ है शरीर में रोग या अस्वस्थता का पनपना. जिस तरह से योग हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करके तीनों तत्वों को संतुलित करता है, ठीक इसी तरह योग मुद्राएं भी काम करती हैं. हाथों में जो मैग्नेटिक वेव्स होती हैं, उनका प्रयोग करके हम वात, पित्त और कफ़ को संतुलित कर सकते हैं.
हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर 5 तत्वों से बना है- अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और ईथर. हमारे हाथों की उंगलियां इन तत्वों का प्रतीक हैं. इन तत्वों में असंतुलन से वात, पित्त और कफ़ भी असंतुलित हो जाते हैं और वही हमारी बीमारी व अस्वस्थ होने की वजह बनते हैं, क्योंकि इनमें असंतुलन होने पर हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है. इन तत्वों को संतुलित रखने का सबसे कारगर तरीक़ा है योग मुद्रा!
जो उंगली, जिस तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, उसे जब अंगूठे के संपर्क में लाया जाता है, तो वो तत्व संतुलन में आ जाता है. दरअसल मुद्रा शरीर में चुंबकीय तरंगें (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स) निर्मित करती है, जिससे शरीर में संबंधित तत्व संतुलित होता है.
मेडिटेशन: ध्यान की संपूर्ण अवस्था
हमारे मन में बहुत-सी शक्तियां छिपी होती हैं, लेकिन हम उन्हें पहचानते ही नहीं या फिर कभी प्रयास ही नहीं करते उनसे एकाकार होने का और मन में उतरकर उन शक्तियों को जागृत करने का. अपने मन को जानने या उससे एकाकार होने की प्रक्रिया ही है मेडिटेशन यानी ध्यान!
* यह शरीर के चक्रों को जागृत करके ऊर्जा प्रदान करता है.
* दरअसल हमारे शरीर का हर अंग किसी न किसी चक्र से संबंध रखता है. यदि किसी अंग में कोई समस्या आ जाए, तो संबंधित चक्र को एक्टिवेट करके उस अंग को संतुलित किया जा सकता है और उससे संबंधित बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
* ध्यान की अवस्था में शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है.
* मेडिटेशन कई तरह के शारीरिक कष्टों का भी निवारण करता है.
* मेडिटेशन से इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है.
* हाई बीपी, अनिद्रा, मांसपेशियों के दर्द, हार्ट डिसीज़, डायबिटीज़, ओबेसिटी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी को भी बेहतर तरी़के से मैनेज किया जा सकता है.
मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है मेडिटेशन…
कई तरह के शोधों से पता चला है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस से संबंध रखनेवाले हार्मोन कार्टिसॉल का स्तर घटता है, पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्था का निर्माण करता है, जिससे मस्तिष्क के उस हिस्से में क्रियाशीलता बढ़ जाती है, जो हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ करता है. हार्ट रेट संतुलित होती है, मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ता है, स्टैमिना बढ़ता है, शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है, सेल्स का निर्माण बेहतर होता है.
वैदिक हीलिंग मंत्रा ऐप से पाएं हेल्दी लाइफ
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- अगर हम यह कहें कि आज का दौर चुनौतियों से भरा पड़ा है, तो ग़लत नहीं होगा.
- हर जगह, हर तरफ़ चुनौतियां ही चुनौतियां हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारी बदली हुई जीवनशैली, जिसने हमें ढेरों तनाव व समस्याएं दे डाली हैं.
- इन तनावों के चलते सबसे अधिक जो प्रभावित हो रहा है, वह है हमारा स्वास्थ्य. यहां स़िर्फ शारीरिक स्वास्थ्य की ही हम बात नहीं कर रहे, बल्कि मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य का भी ज़िक्र कर रहे हैं.
- ऐसे में हम में से अधिकांश लोग आज मन की शांति व बेहतर स्वास्थ्य के जुगाड़ के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं.
- इस भटकाव को रोकने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है योग साधना.
- हम सभी योग के वैज्ञानिक आधार व लाभ से वाक़िफ़ हैं, यही वजह है कि अब पूरी दुनिया योग की शरण में आ रही है.
- इसी कड़ी में हमेशा की तरह बेहतरीन व सार्थक प्रयास हो रहा है डॉ. ओमानंदजी (गुरुजी) (Om Anandji) की देखरेख में, इंदौर (Indore) के स्वामी परमानंद इंस्टिट्यूट ऑफ योगा साइंसेस एंड रिसर्च (Parmanand Institute Of Yoga Science & Research) की ओर से. जी हां, 23-24 दिसंबर को छठे अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन प्रतियोगिता व उत्सव (6th International Yoga Convention/Competition & Festival) का आयोजन किया जाएगा, जिसका लाभ आप सभी ले सकते हैं.
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- उत्सव की ख़ास बातेंश्र अंतर्राष्ट्रीय योग कॉन्फ्रेंस की जाएगी, जिसमें योग का स्वास्थ्य, शिक्षा व विश्व शांति पर प्रभाव विषय पर चर्चा होगी.
- अंतर्राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिता का आयोजन.
- अंतर्राष्ट्रीय मलखम्ब प्रतियोगिता का आयोजन.
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- सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वादिष्ट व्यंजन व यौगिक कार्यक्रमों का आयोजन.
- ये तमाम कार्यक्रम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से किए जाएंगे, इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इटली, जर्मनी, सिंगापुर, इज़रायल व श्रीलंका से कई इंटरनेशनल योगी व प्रज़ेंटर्स हिस्सा लेंगे.
- इस संदर्भ में अधिक जानकारी व रजिस्ट्रेशन के लिए यहां संपर्क करें-परमानंद कैंपस, खंडवा रोड, लिंबोदी, न्यू दिगंबर स्कूल के पास, इंदौर- 452020.
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- योग व मलखम्ब प्रतियोगिता के लिए 500
- जो स्टूडेंट्स व प्रतिभागी सर्टिफिकेट पाना चाहते हैं, उनके लिए 100
- अन्य प्रतिभागी- निमंत्रण पत्र/पास के ज़रिए आ सकते हैं.

भागदौड़ और तनाव से भरी ज़िंदगी में मस्तिष्क और मन को शांत बनाए रखना बेहद ज़रूरी है. इसका एक आसान और कारगर तरीक़ा है मेडिटेशन यानी ध्यान. कुछ लोगों को लगता है कि ध्यान करने के लिए किसी ट्रेनर की आवश्यकता होती है या इसमें काफ़ी समय लगता है, पर ऐसा कुछ भी नहीं है. कुछ बातों का ध्यान रखकर आप घर पर ही आसानी से 5 मिनट मेडिटेट करके ख़ुद को स्वस्थ रख सकते हैं.
टाइम सेट कर लें
ध्यान लगाने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप अपने मन को शांत बनाए रखें. मोबाइल में टाइमर सेट कर दें, जिससे आपको ध्यान लगाते समय ये चिंता न रहे कि कहीं आप लेट तो नहीं हो रहे. टाइमर आपका ध्यान भटकने नहीं देगा.
आराम से बैठ जाएं
– घर में किसी एकांत और हवादार जगह पर आराम से बैठ जाएं.
– मेडिटेशन के दौरान ढीले-ढाले आरामदायक कपड़े पहनें.
– शरीर को तनावमुक्त रखें.
– ज़रूरी नहीं कि आप ध्यान लगाने के लिए सुखासन में ही बैठें. अगर पालथी मारकर बैठना आपके लिए असुविधाजनक है, तो आप उस अवस्था में बैठें, जिसमें आप सहज महसूस कर रहे हों. मेडिटेशन तभी पूरी तरह प्रभावकारी होगा जब आप कंफर्टेबल होंगे.
– आप बेड, कुर्सी या ज़मीन पर चादर या कालीन बिछा कर भी मेडिटेट कर सकते हैं.
ब्रीदिंग पर ध्यान दें
– ध्यान लगाने के लिए ज़रूरी है कि आप अपना पूरा ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें.
– टाइमर स्टार्ट करें और आंखें बंद करके मेडिटेशन शुरू करें.
– आराम से सांस लें और छोड़ें. इस प्रक्रिया की ओर ध्यान लगाएं.
– ब्रीदिंग पैटर्न न बदलें और न ही कोई और हलचल करें. जैसे सांस लेते हैं, वैसे ही लेते रहें.
– अगर आप आराम से गहरी सांस ले सकते हैं, तो और भी बेहतर होगा. धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें.
ध्यान केंद्रित करें
– मेडिटेशन के व़क्त मस्तिष्क में कई ख़्याल आते हैं, जो इस प्रक्रिया में बाधक बनते हैं.
– इन ख़्यालों को आने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन आपकी कोशिश यही होनी चाहिए कि आप उनसे अपना ध्यान हटाकर ब्रीदिंग पर लगाएं.
– हर एक सांस पर ध्यान दें. आपका पूरा ध्यान तब तक केवल सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर होना चाहिए, जब तक टाइमर का अलार्म समय समाप्ति की घोषणा न कर दे.
फ़ायदे
– रोज़ाना ध्यान लगाने से शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट रहा जा सकता है.
– तनाव और थकान दूर होता है.
– मस्तिष्क शांत रहता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है.
– काम में ध्यान लगता है और कार्यक्षमता भी बढ़ती है.
– भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाता है.
– हाई ब्लडप्रेशर नियंत्रण में रहता है.
– सिरदर्द से आराम मिलता है.
– जिन्हें ग़ुस्सा अधिक आता है, उन्हें ग़ुस्से पर कंट्रोल रखने के लिए मेडिटेशन करना चाहिए.
– 2011 में हुए एक रिसर्च के मुताबिक़, गठिया से ग्रसित लोग अगर नियमित रूप से मेडिटेशन करते हैं, तो उन्हें आराम मिलता है.
– गर्भावस्था के दौरान अक्सर पांच में से एक महिला डिप्रेशन की शिकार होती है. इस समस्या से बचने के लिए मेडिटेशन एकमात्र आसान उपाय है.
– मेडिटेशन आत्मबल को बढ़ाता है, जो एक स्वस्थ जीवन के लिए ज़रूरी है.
अगर आपके पास व़क्त है, तो 20 मिनट तक ध्यान करें. 20 मिनट तक मेडिटेशन करने से 4 घंटे तक सोने जितनी ऊर्जा मिलती है.
सावधानियां
अगर आप किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हों, तो ज़्यादा देर तक मेडिटेट न करें. आपके लिए मेडिटेशन का सही तरीक़ा कौन-सा है? ये जानने के लिए किसी प्रोफेशनल की मदद लें.