
नेशनल हॉकी टीम के कैप्टन और अर्जुन अवॉर्ड विनर संदीप सिंह के जीवन पर बनी फिल्म ‘सूरमा’ (Soorma) आज सिनेमा घरों में रिलीज़ हुई है. डायरेक्टर शाद अली की इस फिल्म में संदीप सिंह का किरदार निभाते दिख रहे हैं मशहूर पंजाबी एक्टर और सिंगर दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh). तो चलिए, ज़िंदगी और मौत के बीच हौसले व संघर्ष की गाथा को बयान करती इस फिल्म के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मूवी- सूरमा.
स्टार कास्ट- दिलजीत दोसांझ, तापसी पन्नू, अंगद बेदी, विजय राज, दानिश हुसैन.
डायरेक्टर- शाद अली.
अवधि- 2 घंटे 11 मिनट.
रेटिंग- 3/5.
कहानी-
फिल्म की कहानी साल 1994 के शाहाबाद से शुरू होती है, जहां संदीप सिंह (दिलजीत दोसांझ) अपने बड़े भाई विक्रमजीत सिंह (अंगद बेदी), पिता (सतीश कौशिक) और मां के साथ रहता है. दोनों भाईयों का यही सपना है कि वो भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बनें, लेकिन कोच के सख़्त रवैए से नाराज़ होकर संदीप अपने इस सपने से पीछे हटने लगता है. अचानक एक दिन संदीप की मुलाक़ात महिला हॉकी खिलाड़ी हरप्रीत (तापसी पन्नू) से होती है और उसे पहली नज़र में ही उससे प्यार हो जाता है.
हरप्रीत ही संदीप के दिल में एक बार फिर से हॉकी खेलने का जज़्बा जगाती है और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. जिससे एक बार फिर हॉकी प्लेयर बनना संदीप के जीवन का मक़सद बन जाता है और इसमें उसके बड़े भाई विक्रमजीत सिंह भी उसका पूरा साथ देता है, लेकिन इस कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आता है, जब अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए संदीप सिंह ट्रेन से सफर करते हैं, तब गलती से वो किसी की गोली का शिकार हो जाते हैं और उनके शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड हो जाता है. यही से शुरू होता है संदीप सिंह की ज़िंदगी का असली संघर्ष, लेकन अपने हौसले के दम पर वो एक बार फिर मैदान में वापस लौटने में कामयाब रहते हैं.
एक्टिंग-
फिल्म में हॉकी प्लेयर बनें दिलजीत दोसांझ ने संदीप सिंह का किरदार बेहतरीन ढंग से निभाया है. फिल्म में उन्होंने जैसा अभिनय किया है वह बेहतरीन है. वो अपने किरदार के हर भाव और लम्हे को जीते और जीवंत करते दिखाई देते हैं. जबकि तापसी पन्नू हर बार की तरह इस बार भी एक्टिंग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देती दिख रही हैं. अंगद बेदी ने संदीप के बड़े भाई के रूप में अच्छा काम किया है. वहीं सतीश कौशिक ने पिता और विजय राज ने कोच की भूमिका बखूबी निभाई है.
डायरेक्शन-
डायरेक्टर शाद अली ने फिल्म के फर्स्ट हाफ में संदीप सिंह के हॉकी प्लेयर बनने की कहानी को दिखाया है. इंटरवल के पहले की कहानी आपको भावुक कर सकती है. शाद ने इसमें कस्बे के छोटे-छोटे लम्हों और फिल्म के मुख्य कलाकारों के रोमांस को अच्छी तरह से पर्दे पर उतारा है. फिल्म में हॉकी से जुड़े कई सीन हैं जो दर्शकों को पसंद आएंगे. फिल्म का स्क्रीनप्ले कमाल का है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है और फिल्म के कुछ वाकये देखकर आप ख़ुद को इमोशनल होने से नहीं रोक पाएंगे. हालांकि फिल्म का म्यूज़िक अपना कमाल दिखाने में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया है.
बहरहाल अगर आप यह जानने में दिलचस्पी रखते हैं कि नेशनल हॉकी प्लेयर संदीप सिंह की ज़िंदगी में कब, क्या और कैसे हुआ, तो इस वीकेंड आप यह फिल्म देख सकते हैं.
बॉलीवुड के मुन्नाभाई संजय दत्त (Sanjay Dutt) की विवादित ज़िंदगी पर बनी फिल्म ‘संजू’ आज देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है. फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने संजय दत्त की लाइफ से जुड़े विवादित पहलुओं को बेहतरीन तरीक़े से पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है. फिल्म के ट्रेलर में संजय दत्त की ज़िंदगी से जुड़े कई ख़ुलासे पहले ही किए जा चुके हैं और फैंस तो उनकी ज़िंदगी के हर राज़ को जानने के लिए बेसब्री से फिल्म के रिलीज़ होने का इंतज़ार भी कर रहे थे. अब जब फिल्म रिलीज़ हो गई है तो हम आपको इस फिल्म से जुड़ी 10 ख़ास बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आप ख़ुद को इस फिल्म को देखने से नहीं रोक पाएंगे.
1- आपने फिल्म के ट्रेलर में देखा होगा कि संजू अपनी पत्नी के साथ अनुष्का शर्मा से बात करते नजर आ रहे हैं. वो संजू से पूछती हैं कि अब तक कितनी औरतों के साथ सो चुके हो. सबसे बड़ा खुलासा करते हुए संजू कहते हैं कि 308 तक याद है. चलो सेफ्टी के लिए 350 मान लो.
2- संजय दत्त की ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया था, जब वो ड्रग एडिक्ट बन गए थे. ट्रेलर के एक सीन में भी बताया गया था कि वो कैसे ड्रग एडिक्ट बन गए. संजय के ड्रग एडिक्ट बनने और इस लत से बाहर आने की कहानी यकीनन दर्शक जानना चाहेंगे.
3- जब संजय दत्त जेल में थे तो पूछताछ के दौरान एक पुलिस अफसर ने उन्हें थप्पड़ मारा था और यह फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है. एक स्टार होते हुए पुलिस अधिकारी से थप्पड़ खाने की यह कहानी कैसी है यह देखने के लिए फिल्म तो देखनी ही पड़ेगी.
4- ट्रेलर में एक डायलॉग है, जहां रणबीर कपूर कहते हैं, ”मैं बेवड़ा हूं, ड्रग एडिक्ट हूं लेकिन आतंकवादी नहीं हूं. बता दें कि संजय दत्त आर्म्स एक्ट के तहद जेल गए थे और पुलिस की पूछताछ के दौरान उन्हें एक आतंकी होने की बात कबूलने को कही गई थी.
5- संजय दत्त को जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा था, जेल में रहने के दौरान संजय को किन मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा था यह सब इस फिल्म में दिखाया गया है, जिसे देखने के लिए दर्शक ख़ुद को फिल्म देखने से नहीं रोक पाएंगे.
6- बताया जाता है कि संजय की एक गर्लफ्रेंड उनका साथ छोड़ देती है और किसी दूसरे का दामन थाम लेती है. अपनी गर्लफ्रेंड की इस बेवफाई से गुस्साए संजय एक दिन उसके घर पहुंच जाते हैं, जहां उसके मौजूदा बॉयफ्रेंड की गाड़ी को देखकर जलन के मारे उसे ठोक देते हैं.
7- फिल्म के एक पोस्टर में देखा गया था कि परेश रावल ने संजू बने रणबीर कपूर को गले लगाया है. दरअसल, संजय की पहली फिल्म ‘रॉकी’ रिलीज़ होने के कुछ दिन पहले ही उनकी मां नरगिस की मौत हो गई थी और फिल्म के प्रीमियर के दौरान संजय मां को याद करके इमोशनल हो गए थे और अपने पिता के गले लग गए थे. पिता के गले लगकर संजय ने बताया था कि वो कैसे ड्रग्स के आदी बने.
8- इस फिल्म में जिम सरब सलमान खान का किरदार निभाते नज़र आ रहे हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मान्यता दत्त के बर्थडे पार्टी पर संजय दत्त अपने अज़ीज दोस्त सलमान खान को थप्पड़ मार देते हैं. आख़िर संजय ने सलमान को थप्पड़ क्यों मारा था यह जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.
9- फिल्म में रणबीर कपूर के अलावा सोनम कपूर, दीया मिर्ज़ा, मनीषा कोईराला, अनुष्का शर्मा, परेश रावल, विक्की कौशल, जिम सरब और करिश्मा तन्ना जैसे मल्टी स्टार्स ने एक साथ काम किया है. इन सभी स्टार्स को एक साथ एक ही फिल्म में भला कौन नहीं देखना चाहेगा.
10- फिल्म में रणबीर कपूर संजय दत्त का किरदार निभा रहे हैं, संजू बने रणबीर को देखकर ख़ुद संजय दत्त भी धोखा खा गए थे. हर कोई रणबीर के इस लुक की तारीफ़ कर रहा है और उन्होंने संजय के अलग-अलग रुप में बेहद ख़ूबसूरती से ढाल लिया है. रणबीर के इस अलग अंदाज को देखने के लिए तो यह फिल्म देखनी होगी.
यह भी पढ़ें: एकता कपूर की देन हैं ये टॉप 10 सितारे, नंबर 6 वाली तो टीवी पर मचा रही है धमाल
आज फिल्मी फ्राइडे है और सिनेमा घरों में दो अलग कॉन्सेप्ट वाली फिल्में रिलीज़ हुई हैं. एक तरफ है सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की फिल्म ‘102 नॉट आउट’ है तो वहीं दूसरी तरफ इस फिल्म को टक्कर दे रही है अभिनेता राजकुमार राव की फिल्म ‘ओमेर्टा’. अमिताभ की यह फिल्म बुजुर्गों के एकाकीपन की कहानी बयां करती है तो राजकुमार राव की फिल्म एक आतंकी की कहानी को अलग अंदाज़ में दर्शकों के सामने पेश करती है.
उधर, बाबूलाल के 102 साल के पिता दत्तात्रेय वखारिया (अमिताभ बच्चन) एक ऐसे 102 साल का जवान हैं जो ज़िंदगी को ज़िंदादिली के साथ जीना पसंद करते हैं. एक दिन दत्तात्रेय अपने बेटे बाबूलाल के सामने कुछ शर्ते रखते हुए उसे वृद्धाश्रम भेजने की धमकी देते हैं. दरअसल वो अपने 75 साल के बेटे की जीवनशैली और सोच में इन शर्तों के ज़रिए बदलाव लाना चाहता हैं, लेकिन क्यों इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
इस फिल्म के ज़रिए निर्देशक उमेश शुक्ला ने विदेश में रहने वाले एनआरआई बच्चों से मिलने के लिए तड़पने वाले माता-पिता तक एक भावनात्मक संदेश भी पहुंचाने की कोशिश की है. इस फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा है, लेकिन इसके दूसरे हिस्से में फिल्म अपनी रफ्तार पकड़ लेती है और क्लाइमेक्स आपको इमोशनल करने के साथ-साथ जीत की खुशी का एहसास भी करा जाता है.
इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की जोड़ी क़रीब 27 साल बाद पर्दे पर साथ नज़र आ रही है. एक तरफ जहां दत्तात्रेय की भूमिका में अमिताभ बच्चन किरदार के नब्ज़ को पकड़ते हुए कभी दर्शकों को लुभाते तो कभी चौंकाते हुए नज़र आ रहे हैं तो वहीं बाबूलाल की भूमिका अदा कर रहे ऋषि कपूर ने भी अपने किरदार को बेहद सहजता और संयम के साथ निभाया है. एकाकीपन से लड़ते दो बुजुर्गों की मज़ेदार नोकझोंक आपको बेहद पसंद आएगी.
बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर शुजीत सरकार हर बार अपनी फिल्मों के ज़रिए दर्शकों तक कुछ नया पहुंचाने की कोशिश करते हैं. कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की है उन्होंने अपनी फिल्म ‘अक्टूबर’ के ज़रिए. जी हां, डायरेक्टर शुजीत सरकार और अभिनेता वरुण धवन की अक्टूबर सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. इसमें वरुण के अपोज़िट बनिता संधू मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म ‘अक्टूबर’ के अलावा प्रभूदेवा की फिल्म ‘मरक्यूरी’ भी रिलीज़ हुई है. रोमांच से भरी गूंगे-बहरों की यह एक साइलेंट हॉरर-थ्रिलर फिल्म है.
फिल्म- अक्टूबर
निर्देशक- शुजीत सरकार
कलाकार- वरुण धवन, बनिता संधू, गीतांजलि राव
रेटिंग 4/5
फिल्म ‘अक्टूबर’ की कहानी होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करनेवाले डैन यानी वरुण धवन की है जो एक फाइव स्टार होटल में इंटर्नशिप कर रहा है. डैन अपना एक रेस्तरां खोलने का सपना देखता है, लेकिन किसी भी काम को गंभीरता से नहीं लेता. इसलिए इंटर्नशिप के दौरान उसकी हरकतों और अनुशासनहीनता की वजह से उसे बार-बार निकाले जाने की चेतावनी दी जाती है. वहीं दूसरी तरफ उसकी बैचमेट शिवली (बनिता संधू) बहुत मेहनती और अनुशान का पालन करनेवाली स्टूडेंट हैं.
फिल्म की कहानी में शिवली और डैन के बीच कई ऐसे मौके आते हैं जो उनके बीच अनकहे प्यार की दास्तान को बयान करते हैं. वरुण धवन की गैर मौजूदगी में होटल का स्टाफ न्यू ईयर पार्टी करता है और इसी पार्टी में शिवली तीसरी मंजिल से नीचे गिर जाती है. हादसे के बाद वो कोमा में चली जाती हैं और उसकी इस हालत का डैन पर गहरा असर पड़ता है.
एक दिन बातचीत के दौरान डैन की एक दोस्त उसे बताती हैं कि हादसे से ठीक पहले शिवली ने पूछा था कि डैन कहां है. बस यही बात डैन के दिमाग में घर कर जाती है कि शिवली ने आखिर ऐसा क्यों पूछा था और इसी सवाल का जवाब पाने के लिए वो अपना सारा काम छोड़कर अस्पताल के चक्कर लगाने लगता है. इस दौरान शिवली धीरे-धीरे रिकवर करती है, लेकिन बिना कुछ बोले वो एक दिन इस दुनिया से चली जाती है.
इस फिल्म में प्रेम कहानी तो है, लेकिन वो स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है. पर इसका हर एक दृश्य डैन और शिवली के बीच एक अनकहे प्यार का अहसास ज़रूर कराता है. इस फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक जिस तरह की घटनाएं घटती हैं, उसे देखकर दर्शकों के दिल में एक बैचेनी पैदा हो सकती है और यह बेचैनी भी प्यार के सुकून का अहसास दिलाती है.
‘अक्टूबर’ एक धीमी फिल्म है इसलिए इसमें एक-एक चीज़ को आहिस्ता-आहिस्ता दिखाया गया है. फिल्म की रफ्तार धीमी होने के बावजूद यह दर्शकों को बोर बिल्कुल नहीं लगेगी. इसकी सबसे खास बात तो यह है कि प्यार के इस अनकहे अहसास को बयान करने के लिए संवादों का ज़्यादा सहारा नहीं लिया गया है.
इस फिल्म में वरुण धवन अपनी एक्टिंग से हैरान कर देते हैं. उन्होंने फिल्म में डैन के किरदार की मासूमियत और संजीदगी को बहुत ही बेहतरीन तरीके से पेश किया है. अपनी पहली फिल्म में ही बनिता संधू अपनी एक्टिंग से बेहद प्रभावित करती हैं. शिवली की मां के रूप में गीतांजलि राव ने बेहतरीन अभिनय किया है.
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत सुंदर है. इस फिल्म में दिल्ली के लैंडस्केप और कुल्लू के दृश्यों को बेहद खूबसूरती के साथ दर्शकों के सामने पेश किया गया है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक भी बेहतरीन है. इस फिल्म का हरसिंगार से गहरा संबंध है. फिल्म की नायिका शिवली को हर साल अक्टूबर महीने का इंतजार रहता है, क्योंकि इस महीने में हरसिंगार के फूल खिलते हैं. शिवली को ये फूल बहुत प्रिय होते हैं और वरुण धवन उसके लिए ये फूल चुनकर लेके जाते हैं.
फिल्म- मरक्यूरी
निर्देशक- कार्तिक सुब्बाराज
कलाकार- प्रभुदेवा, सनथ रेड्डी, दीपक परमेश, इंदुजा
रेटिंग- 3/5
वरुण धवन की अक्टूबर के साथ ही प्रभुदेवा की फिल्म ‘मरक्यूरी’ भी सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है. यह एक साइलेंट यानी मूक फिल्म है, जिसके किरदार गूंगे बहरे हैं. इस फिल्म में संवाद नहीं, लेकिन गूंगे-बहरों की सांकेतिक भाषा इस फिल्म में संवादों की कमी को खलने नहीं देती है. मरक्यूरी रोमांच से भरी एक हॉरर-थ्रिलर फिल्म है, इसलिए अगर आप रूटीन से हटकर कोई अलग फिल्म देखना चाहते हैं तो मरक्युरी आपकी उम्मीदों पर खरी उतर सकती है.
मरक्यूरी फिल्म की कहानी भी काफी दिलचस्प है. फिल्म में दक्षिण भारत के एक गांव को दर्शाया गया है. जिसकी हवा में मरक्यूरी (पारा) का ज़हर घुलने की वजह से गर्भवती महिलाओं की कई संतानें मूक-बधिर और नेत्रहीन पैदा हुई. यह कहानी ऐसे ही पांच युवाओं की है, जो गर्भ में ज़हरीले रसायनों से प्रभावित होने के कारण बोल-सुन नहीं पाते, लेकिन सामान्य लोगों की तरह जिंदगी का लुत्फ उठाते हैं. मौज-मस्ती की एक रात इन युवाओं से दुर्घटना हो जाती है, जिसमें एक व्यक्ति (प्रभु देवा) मारा जाता है. जिसके बाद इस व्यक्ति की आत्मा बदला लेते हुए, अपने हत्यारों को चुन-चुन कर मारती है, लेकिन यहां कहानी में ट्विस्ट है. जिसे जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी पड़ेगी.
फिल्म- टॉयलेट: एक प्रेम कथा
स्टारकास्ट- अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर, अनुपम खेर, सना खान
निर्देशक- श्री नारायण सिंह
रेटिंग- 3.5 स्टार
सच्ची घटना पर आधारित फिल्म टॉयलेट: एक प्रेम कथा कहानी है प्रियंका भारती की, जिसने अपने पति का घर सिर्फ़ इसलिए छोड़ दिया था, क्योंकि उसके घर में टॉयलेट नहीं था. इसी कहानी को फिल्म के ज़रिए दिखाने की कोशिश की है फिल्म के निर्देशक श्री नारायण सिंह ने. अक्षय कुमार के लिए ख़ास है ये फिल्म, क्योंकि उन्होंने फिल्म में केवल ऐक्टिंग ही नहीं की है, बल्कि वो इस फिल्म के को-प्रोड्युसर भी हैं.
कहानी
फिल्म की कहानी है मथुरा के पास एक गांव के रहने वाले 36 साल के केशव (अक्षय कुमार) की, जो मांगलिक है, इसलिए पहले उसकी शादी एक भैंस से कराई जाती है. साइकल की दुकान चलाने वाले केशव को तब प्यार हो जाता है, जब वो साइकल की डिलीवरी देने पहुंचता है कॉलेज टॉपर जया (भूमि पेडनेकर) के घर. केशव को जया से प्यार हो जाता है और दोनों शादी भी कर लेते हैं. यहां से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी, जब जया को पता चलता है कि जिस घर में उसकी शादी हुई है, वहां घर में शौचालय ही नहीं है, तब वो अपना ससुराल छोड़ कर मायके चली जाती है. रूढ़िवादी परंपराओं और बातों को दरकिनार कर क्या केशव गांव में शौचालय बनवाकर अपनी पत्नी को वापस ला पाता है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
फिल्म की यूएसपी
फिल्म का सब्जेक्ट इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है. खूले में शौच करने की समस्या पर पूरी फिल्म बनाने का निर्णय ही काबिल-ए-तारीफ़ है. गांव की रियल लोकेशन कहानी को सपोर्ट करती है.
निर्देशन की तारीफ़ किए बगैर ये रिव्यू पूरा नहीं हो सकता है. श्री नारायण सिंह ने फिल्म को वास्तिवकता के क़रीब लाने में कोई कमी नहीं रखी है. यहां तक की गांव के रहने वाले केशव यानी अक्षय कुमार को जो बड़े ब्रांड्स की नकली टी-शर्ट्स पहनाई गई हैं, उसमें भी ह्यूमर भर दिया है.
स्वच्छता अभियान को लेकर गावों में क्या नियम-कानून है, इसकी जानकारी भी आपको ये फिल्म दे देगा.
यह भी पढ़ें: Family Time!!! मीरा के साथ शाहिद चले छुट्टियां मनाने
क्या है कमज़ोरी?
कुछ डायलॉग्स, जो सुनने में थोड़े बुरे लगते हैं. इसके अलावा फिल्म का सेकंड हाफ, जो बहुत ही ज़्यादा लंबा और बोरिंग लगने लगता है.
किसकी ऐक्टिंग में था दम?
अक्षय कुमार एक बेहतरीन ऐक्टर हैं ये उन्होंने फिर साबित कर दिया है. अक्षय ने साबित कर दिखाया है कि अच्छा अभिनय दिखाने के लिए ऐक्टिंग आनी ज़रूरी है, न कि बड़े-बड़े फिल्मों के सेट्स और न ही बड़ा बजट. केशव के किरदार के साथ पूरा न्याय कर रहे हैं अक्षय कुमार.
भूमि पेडनेकर की ये दूसरी फिल्म है. इससे पहले दम लगाके हइशा में भी उनकी ऐक्टिंग की सराहना हुई थी. इस बार भी उनका काम अच्छा है.
फिल्म के बाक़ी कलाकारों का काम भी अच्छा है.
फिल्म देखने जाएं या नहीं?
बिल्कुल जाएं ये फिल्म देखने. एक ज़रूरी संदेश देती है ये फिल्म. अगर आप अक्षय कुमार के फैन हैं, तो इस फिल्म को मिस नहीं कर सकते हैं आप. फिल्म को देखने के बाद ऐसा बिल्कल नहीं लगेगा कि आपके टिकट के पैसे बर्बाद हुए हैं.
फिल्म- मॉम
स्टारकास्ट- श्रीदेवी, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, अक्षय खन्ना, अदनान सिद्दिकी, सजल अली, अभिमन्यु सिंह
निर्देशक- रवि उद्यावर
रेटिंग- 3.5/5
मॉम पूरी तरह से श्रीदेवी की फिल्म है. मॉम के रोल में श्रीदेवी के अलावा किसी और अभिनेत्री की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. मॉम की कहानी एक संजीदा विषय पर बनी है. इस फिल्म के साथ श्रीदेवी ने 300 फिल्मों के आंकड़े को छू लिया है. आइए, जानते हैं कैसी है मॉम.
कहानी
मॉम की कहानी है एक मां और उसके बदले की. कहानी शुरू होती है बायोलॉजी की टीचर देवकी (श्रीदेवी) के साथ. देवकी के स्कूल में उसकी सौतेली बेटी आर्या (सजल अली) भी पढ़ती है. आर्या अपनी मां से बिल्कुल प्यार नहीं करती, लेकिन उसकी मां उससे बहुत प्यार करती है. आर्या के स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मोहित, आर्या को अश्लील मैसेजेस भेज कर परेशान करता है. जब इस बात का पता देवकी को चलता है, तो वह उसे सज़ा देती है. मोहित बदला लेने के लिए एक दिन आर्या को किडनैप कर लेता है और उसका रेप करके सड़क पर फेंक देता है. पुलिस ऑफिसर मैथ्यू फ्रांसिस (अक्षय खन्ना) इस केस की तहकीकात करते हैं. कोर्ट केस में सबूतों के अभाव में मोहित केस जीत जाता है. लेकिन एक मां को ये फैसला नागवार गुज़रता है, वो डिटेक्टिव दयाशंकर (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) की मदद लेती है.यहां से शुरू होता है एक मां का बदला.
यूएसपी
फिल्म की कहानी भले ही नई नहीं हो, लेकिन उसे दिखाने का अंदाज़ बहुत ही अलग है. नए डायरेक्टर रवि उद्यावर का निर्देशन काबिले तारीफ़ है. श्रीदेवी की जितनी तारीफ़ की जाए, उतनी कम है. एक मां का अपने बच्चे के लिए इमोशन और फिर उसकी बेटी का रेप करने वालों के लिए ग़ुस्सा, ये सब देखकर आप एक बार फिर श्रीदेवी के अभिनय के फैन हो जाएेंगे. नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का लुक और उनकी ऐक्टिंग देखने के बाद इस बात का एहसास होता है कि फिल्म में अपने अभिनय की छाप छोड़ने के लिए बड़े-बड़े डायलॉग्स या ज़्यादा फ्रेम्स की ज़रूरत नहीं होती है. एक छोटा-सा रोल करके भी आप पूरी फिल्म अपने नाम कर सकते हैं. पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस सजल अली और अदनान सिद्दीकी का अभिनय भी लाजवाब है.
देखने जाएं या नहीं
ज़रूर देखने जाएं ये फिल्म. श्रीदेवी की ऐक्टिंग मिस नहीं कर सकते आप. नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को एक नए अंदाज़ में देखने का मौक़ा बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए. इस वीकेंड एक अच्छी और दमदार मैसेज वाली फिल्म आपका इंतज़ार कर रही है.
इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्म बाहुबली: द कंक्लुज़न का मुंबई में होने वाला प्रीमियर कैंसल कर दिया गया है. विनोद खन्ना को श्रद्धांजलि देने के लिए बाहुबली 2 के निर्माता करण जौहर ने फिल्म की टीम के साथ मिलकर ये फैसला लिया. इस ख़बर की जानकारी करण ने टि्वटर के ज़रिए दी. उन्होंने लिखा, “अपने प्रिय अभिनेता के सम्मान में बाहुबली की पूरी टीम ने तय किया है कि आज रात होने वाला प्रीमियर कैंसल कर दिया जाए.”
As a mark of respect to our beloved Vinod Khanna the entire team of Baahubali has decided to cancel the premiere tonight…
— Karan Johar (@karanjohar) April 27, 2017
बाहुबली 2 के प्रीमियर के लिए ख़ूब तैयारियां की गईं थी. एक ख़ास इनविटेशन कार्ड भी छपवाया गया था और बॉलीवुड के कई बड़े स्टार्स प्रीमियर अटेंड भी करने वाले थे. लेकिन विनोद खन्ना के निधन के बाद उनके सम्मान में फिल्म का प्रीमियर कैंसल कर दिया गया है.
आमिर खान ने किया दंगल. पाकिस्तान की मांग के सामने आमिर का दंगल देखने लायक है. दरअसल, बॉलीवुड की फिल्मों पर से हाल ही में पाकिस्तान ने बैन हटा लिया था और पाकिस्तान के फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स की मांग पर दंगल फिल्म वहां रिलीज़ होने वाली थी. लेकिन पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखने के बाद ऐसी शर्तें रख दी आमिर के सामने की वो भड़क उठे. पाकिस्तान सेंसर बोर्ड चाहता था कि फिल्म से दो सीन्स, जिसमें भारत का झंडा लहराता हुआ दिखाई देता है और दूसरा, जहां अंत में भारत का राष्ट्रीय गान बजता है, को हटाया जाए, तभी वो दंगल को पाकिस्तान में रिलीज़ की अनुमति देंगे. आमिर खान ने पाकिस्तान की इस मांग को ये कहते हुए ठुकरा दिया है कि यह फिल्म स्पोर्ट्स पर है, जिसका पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है. आमिर ने कहा कि वो इन दोनों ही सीन्स को फिल्म से नहीं निकालेंगे, भले ही दंगल पाकिस्तान में रिलीज़ हो ना हो.
उरी हमले के बाद भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन के बाद पाकिस्तान ने भी बॉलीवुड की फ़िल्मों की रिलीज़ पर रोक लगा दी थी. कुछ वक़्त पहले ही इस बैन को हटा लिया गया था और दंगल को रिलीज़ करने की बात चल रही थी. ख़ैर आमिर ने फिलहाल पाकिस्तान की इस डिमांड को मानने से इंकार कर दिया है.