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फिल्म समीक्षा- एन एक्शन हीरो/फ्रेडी (Movie Review- An Action Hero/Freddy)

आयुष्मान खुराना और कार्तिक आर्यन दोनों ने ही अपनी-अपनी फिल्मों में दमदार अभिनय के जलवे दिखाए हैं. एन एक्शन हीरो में आयुष्मान ने लीक से हटकर काम किया है. अक्सर उनकी फिल्में सिंपल, संदेशवाली और मनोरंजन से भरपूर रहती हैं. लेकिन इस बार उन्होंने अपना अलग ही दमखम दिखाया है. फिल्म में आयुष्मान खुराना मानव के क़िरदार में हैं, जो एक सुपरस्टार अभिनेता है, जिसकी अपनी फैन फॉलोइंग है. वो यूथ आइकॉन है. आयुष्मान ने मानव की भूमिका में अपने लाजवाब अभिनय से हर किसी को प्रभावित किया. फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि आयुष्मान खुराना द्वारा हरियाणा में फिल्म शूटिंग के दौरान कहासुनी होने पर भूरा जिसकी भूमिका में जयदीप अहलावत है, जो बाहुबली हैं के भाई विक्की की हत्या हो जाती है. मीडिया और तमाम कोर्ट-कचहरी के डर से मानव लंदन भाग जाते हैं. जहां पर भूरा भी अपने भाई की खून का बदला लेने के लिए मानव का पीछा करते हुए पहुंच जाता है.
फिर शुरू होता है असली एक्शन, आयुष्मान का ख़ुद को बचाना और जयदीप का उन पर अटैक करना. लंदन की सड़कों पर एक्शन सीन्स और सिनेमैटोग्राफी देखने लायक है. अक्षय कुमार के प्रशंसकों के लिए उनका स्पेशल एपीरियंस अलग ही जादू बिखेरता है. फिल्म में मीडिया, ट्रोलर्स, फिल्म इंडस्ट्री पर अच्छा कटाक्ष किया गया है.


क्या आयुष्मान जयदीप से बच पाते हैं यह तो फिल्म देखकर जान पाएंगे. फिल्म के गाने और सिनेमैटोग्राफी ख़ूबसूरत हैं. आयुष्मान खुराना का मलाइका अरोड़ा के साथ का गाना आप जैसा कोई… आकर्षक है. यह गीत एक अलग ही समां बांध देता है. वहीं नोरा फतेही के साथ वाला आइटम सॉन्ग भी धमाकेदार है. कुछ अलग और ख़ास देखनेवालों के लिए ख़ासकर आयुष्मान खुराना के फैंस के लिए खास तोहफा है यह फिल्म. निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर ने अपनी पहली ही फिल्म को लाजवाब बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी.


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'फ्रेडी' में कार्तिक आर्यन ने अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा है. इस साइको थ्रिलर फिल्म में कई उतार-चढ़ाव और दिलचस्प मोड़ देखने को मिलते हैं. कैसे एक दांत का डॉक्टर प्रेमी से किलर बन जाता है देखने क़ाबिल है.

कहानी एक पारसी परिवार से संबंधित फ्रेडी यानी कार्तिक आर्यन की है. जिसकी उम्र बढ़ती जा रही है और पिछले पांच साल से वह अपने लिए सोलमेट जीवनसाथी ढूंढ़ रहा है. उसके रिश्तेदारों का भी दबाव है. कई बार उसकी सादगी-भोलेपन और शादी को लेकर मज़ाक उड़ाया जाता है. ऐसे में आलया एफ. का उसकी ज़िंदगी में आना, दोनों का क़रीब आना, प्यार होना, आलया के पति की मौत… एक से एक रोमांचक हालात पैदा करते हैं. फ्रेडी का अपने अंदाज़ में बेवफ़ाई, धोखे का बदला लेना हैरान कर देता है. कार्तिक आर्यन के रोल का ग्रे शेड लोगों को बांधे रखता है. आलया के पति की मौत के बाद कई हैरान कर देनेवाले राज़ खुलते चले जाते हैं, जिसे डिज़नी प्लस हॉटस्टार के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देखकर ही एंजॉय किया जा सकता है. शशांक घोष का डायरेक्शन काबिल-ए-तारीफ़ है.


एन एक्शन हीरो हो या फ्रेडी दोनों ही फिल्मों के अलग और स्पेशल ट्रीटमेंट की वजह से दर्शक दोनों का ही भरपूर आनंद ले सकते है.
इसलिए दोनों ही फिल्मों की रेटिंग 3 स्टार है.
रेटिंग: 3***

Photo Courtesy: Instagram

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फिल्मी समीक्षा: झुंड- अमिताभ बच्चन के साथ अन्य कलाकारों के अभिनय की जादूगरी दिखाई निर्देशक नागराज मंजुले ने… (Movie Review- Jhund)

"झुंड नहीं सर, टीम बोलिए.. टीम…" अमिताभ बच्चन की 'झुंड' फिल्म में कहा गया यह डायलॉग बहुत कुछ कह देता है. एनजीओ स्लम सॉकर की स्थापना करनेवाले विजय बरसे, जिन्होंने नागपुर के झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को फुटबॉल सिखाया और काबिल खिलाड़ी बनाया था पर आधारित है निर्देशक नागराज मंजुले की फिल्म.
इसमें अमिताभ बच्चन ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से विजय के क़िरदार को एक नई ऊंचाई दीं.
रिटायर्ड होनेवाले खेल शिक्षक विजय को एक दिन झोपड़पट्टी के बच्चों को बरसात में टीन को बॉल बनाकर फुटबॉल खेलते देख, उनके मन में विचार आता है कि यदि इन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षण दिया जाए, तो बेहतर खिलाड़ी बन सकते हैं. यहीं से वे इस झुंड टीम को बनाने में तमाम संघर्ष के साथ प्रयास करना शुरू कर देते हैं.

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कह सकते हैं अमिताभ बच्चन की बेहतरीन फिल्मों में से एक है यह फिल्म. इससे जुड़ा एक दिलचस्प क़िस्सा भी है. दरअसल, आमिर खान ने अमिताभ बच्चन को इस फिल्म को करने की सलाह दी थी. अमिताभ बच्चन ने अपने इंटरव्यू में भी इसका ज़िक्र किया है. लेखक-निर्देशक नागराज मंजुले ने आमिर को जब झुंड की कहानी सुनाई थी, तब मुख्य किरदार के लिए आमिर के ख़्याल में अमिताभ बच्चन ही आए. उनका सोचना था कि अमितजी को इसे ज़रूर करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए उनसे बात भी की. वैसे भी अमिताभ और आमिर अक्सर किसी ख़ास भूमिका, क़िरदार फिल्म आदि को लेकर एक-दूसरे से चर्चाएं करते रहते हैं. दोनों ने साथ में 'ठग्स ऑफ हिंदुस्तान' फिल्म की है.

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झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों का कॉलेज के स्टूडेंट से मैच, देशभर के स्लम का टूर्नामेंट, इंटरनेशनल स्लम सॉकर चैंपियनशिप के लिए विजय की पहल पर भारत की टीम को आमंत्रित करने जैसी तमाम घटनाएं सुखद अनुभव का एहसास कराती हैं. इसी के साथ इन खिलाड़ी बच्चों द्वारा रोजी-रोटी के लिए छोटे-मोटे अपराध करना, ड्रग्स बेचना जैसी मजबूरी या चाह को भी सहजता, लेकिन सटीकता से बताया गया. लेकिन उनमें प्रतिभा भी हैं इसे समझना और उसे सही दिशा और मार्गदर्शन करने से बहुत कुछ बदल भी जाता है, यह फिल्म को देखने से समझ में आती है. इसमें बच्चों के व्यक्तिगत स्वभाव व उनके संघर्ष को भी बड़ी ख़ूबसूरती से निर्देशक ने उकेरा है. कह सकते हैं उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर बहुत मेहनत की है. साथ ही सामाजिक-राजनीतिक टिप्पणियां हो या हर क़िरदार के मनोभाव को सभी को बारीकी से दिखाया है.

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अमिताभ बच्चन की अभिनय की ख़ूबसूरती यह रही कि उन्होंने कहीं भी अपने महानायक वाली छवि को आड़े आने नहीं दिया और एक आम कलाकार की तरह सभी के साथ घुलमिल गए. यह उनके अभिनय के शिखर को दर्शाता है.
डायरेक्टर नागराज मंजुले की यह पहली हिंदी फिल्म है, पर मराठी में उनकी दो फिल्में फेंड्री और सैराट सुपर-डुपर हिट और सुर्खियों में रही थी.
टी-सीरीज़, तांडव फिल्म्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी फिल्म झुंड के निर्माताओं की लिस्ट काफ़ी लंबी है, जिसमें भूषण कुमार, कृष्णा कुमार, सविता राज, राज हिरामठ और नागराज मंजुले शामिल हैं.

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लाजवाब संगीत निर्देशक अजय-अतुल का संगीत हमेशा की तरह ही उम्दा है और इसमें लफड़ा झाला… और आया रे झुंड… गाने बेहद ही प्रभावशाली बने हैं. इसके संवाद तो है ही दमदार.
पुलिस ऑफिसर बने अजय देवगन की 'रूद्र' वेब सीरीज़ भी प्रभावशाली रही. पहली बार डिजिटल ओटीटी पर उन्होंने काम किया है और लोगों ने इसे काफ़ी पसंद भी किया.

फिल्मी- झुंड
कलाकार- अमिताभ बच्चन, अंकुश गेडम, आकाश ठोसर, रिंकू राजगुरु, सायली पाटिल
निर्देशक: नागराज मंजुले
रेटिंग: *** 3/5

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फिल्म समीक्षा- पीएम नरेंद्र मोदी- साहसी, अद्भुत, सशक्त प्रधान सेवक (Movie Review: PM Narendra Modi- Strong, Charismatic And Visionary Leader)

पीएम नरेंद्र मोदी- अब कोई रोक नहीं सकता..वाकई फिल्म के पोस्टर पर दिए गए ये स्लोगन आज के सच को बयां करते हैं. भला कौन रोक पाया मोदीजी को देश के हित में कठोर, सटीक, साहसी निर्णय लेते और देशप्रेम के अपने जज़्बे को अपने अथक कार्यों से पूरा करते हुए. इसी हक़ीक़त को फिल्मी जामा पहनाकर बड़े पर्दे पर दिखाया गया है. Movie Review PM Narendra Modi जब कभी किसी ख़ास व्यक्ति विशेष की ज़िंदगी पर बायोपीक फिल्म बनती है, तो हर किसी को उसे देखने-जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है. ऐसे में शख़्सियत हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी हों, तो भला कौन नहीं चाहेगा मूवी देखना. उनके बचपन, परिवार, वैराग्य, संन्यासी, राष्ट्रीय सेवा संघ, राजनीति, गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक की स्थिति-परिस्थिति को संक्षेप में निष्पक्ष रूप से दिखाने की कोशिश फिल्म में की गई है. पीएम की भूमिका में विवेक ओबेरॉय ने लाजवाब अभिनय किया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि यह उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन अदाकारी है. उनके मेकअप, हावभाव व अभिनय ने मोदीजी के व्यक्तित्व को नई परिभाषा दी है. अक्सर बायोपीक फिल्मों में हक़ीक़त व थोड़ी नाटकीयता का मिश्रण रहता है. लेकिन निर्देशक उमंग कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी फिल्म में ईमानदारी के साथ सच्चाई दिखाने व तथ्यों को स्पष्ट करने की प्रशंसनीय कोशिश की है. नमो यानी हमारे प्यारे प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदीजी के जीवन के उतार-चढ़ाव, श्रम, संघर्ष, आरोप-प्रत्यारोप का दंश, विपक्ष की नफ़रत, जनता का प्यार, लोगों का विश्‍वास, धर्म की आस्था, भगवा पर देश का प्यार... सभी को बेहतरीन ढंग से फिल्माया गया है, ख़ासकर हिमालय के लोकेशन काफ़ी ख़ूबसूरत बन पड़े हैं. इस फिल्म के ज़रिए मोदीजी का हिमालय के प्रति प्रेम, जप-तप, तपस्वी का जीवन, निस्वार्थ सेवा, मेहनत-लगन, प्रभावशाली भाषाशैली, भाषण आदि को फिल्म के माध्यम से और भी क़रीब से देखने-समझने का मौक़ा मिलता है. सुरेश ओबेरॉय, आनंद पंडित व संदीप सिंह द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित पीएम नरेंद्र मोदी फिल्म के डिस्ट्रिब्यूटर पैनोरमा स्टूडियोज और व आनंद पंडित मोशन पिक्चर्स है. फिल्म की कहानी संदीप सिंह ने लिखी है. संवाद और पटकथा में विवेक ओबेरॉय ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई है, इसलिए उन्हें भी इसका श्रेय दिया गया है. उनके अलावा अनिरुद्ध चावला व हर्ष लिंबचिया के ज़बर्दस्त डॉयलॉग ने फिल्म को और भी आकर्षक बनाया है. संगीतकार हितेश मोदक का संगीत फिल्म को गति देने के साथ दिल को सुकून भी देता है. सुखविंदर सिंह और सिद्धार्थ महादेवन की आवाज़ में हिंदुस्तानी, नमो नमो, सौंगध मुझे इस मिट्टी की... के गीत कर्णप्रिय हैं. राजेंद्र गुप्ता, ज़रीना वहाब, बरखा बिस्ट सेनगुप्ता, सुरेश ओबेरॉय, मनोज जोशी, किशोरी शहाणे, बोमन ईरानी, अंजन श्रीवास्तव, प्रशांत नारायणन, दर्शन कुमार, राज सलूजा, इमरान हसनी आदि कलाकारों ने प्रभावशाली अदाकारी के साथ अपने क़िरदार के साथ पूरा न्याय किया है. जहां देशभर में अबकी बार फिर मोदी सरकार पर देशवासियों ने मुहर लगा दी है, वहीं फिल्म भी सभी को यक़ीनन पसंद आएगी और बेहतरीन फिल्मों की श्रेणी में शामिल होगी.

- ऊषा गुप्ता

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