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Nandita Das
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10 महिला प्रधान फिल्में (Women Oriented Films) हर महिला को जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि इन फिल्मों ने महिलाओं के जीवन के ऐसे कई पहलुओं को उजागर किया है, जिन पर इससे पहले बात तक नहीं की जाती थी. 10 महिला प्रधान फिल्मों ने कई सामाजिक मान्यताओं को तोड़ा है और समाज को नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है. यदि आपने अभी तक ये फिल्में नहीं देखी हैं, तो आपको ये महिला प्रधान फिल्में जरूर देखनी चाहिए.
1) क्वीन (Queen)
महिला प्रधान फिल्मों की बात हो और कंगना रनौत की फिल्म क्वीन का ज़िक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. क्वीन फिल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत है इस फिल्म का मैसेज. इस फिल्म में ये बताया गया है महिलाओं की चाहतें पुरुषों के सहारे की मोहताज नहीं हैं और कंगना रनौत ने अपनी अदाकरी से महिलाओं की भावनाओं को बहुत दमदार तरीके से प्रस्तुत किया है. यदि आपने अभी तक क्वीन फिल्म नहीं देखी है, तो आपको ये फिल्म ज़रूर देखनी चाहिए.
2) द डर्टी पिक्चर (The Dirty Picture)
बॉलीवुड की मोस्ट टेलेंटेड एक्ट्रेस विद्या बालन की बेहतरीन फिल्मों में से एक द डर्टी पिक्चर 80 के दशक की दक्षिण भारतीय फिल्मों की कलाकार सिल्क स्मिता के जीवन पर आधारित थी. द डर्टी पिक्चर फिल्म में रुपहले पर्दे के की चमक के पीछे छुपे अंधेरे को उजागर किया गया. साथ ही महिला के शरीर के प्रति लोगों की मानसिकता को भी दर्शाया गया. इस फिल्म में विद्या बालन की एक्टिंग को खूब सराहा गया.
3) लिपस्टिक अंडर माय बुर्का (Lipstick Under My Burka)
विवादों से घिरी फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का अलग-अलग उम्र की चार ऐसी महिलाओं को कहानी है, तो अपने हिसाब से आज़ादी से ज़िंदगी गुज़ारने में विश्वास रखती हैं. कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, आहना कुमरा, पल्बिता बोरठाकुर ने लिपस्टिक अंडर माय बुर्का फिल्म में दमदार अभिनय किया है. हालांकि इस फिल्म को रिलीज़ होने से पहले सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलने के लिए काफ़ी इंतज़ार करना पड़ा था, लेकिन जब भी महिला प्रधान फिल्म की बात की जाएगी, तो लिपस्टिक अंडर माय बुर्का फिल्म का ज़िक्र ज़रूर होगा.
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4) पार्चड (Parched)
पार्चड यानी सूखा और इस फिल्म में गांव की तीन स्त्रियों के माध्यम से इस शब्द को भलीभांति प्रस्तुत किया गया है. पार्चड फिल्म में पुरुष प्रधान मानसिकता, महिलाओं पर अत्याचार, बाल विवाह जैसी समस्याओं का कटु सत्य को बहुत तीखे अंदाज़ में पेश किया गया है. पार्चड फिल्म को 24 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया और इस फिल्म ने 18 अवॉर्ड्स हासिल किए.
5) ऐंग्री इंडियन गॉडेसेस (Angry Indian Goddesses)
ऐंग्री इंडियन गॉडेसेस फिल्म की कहानी पांच लड़कियों के ईर्दगिर्द घूमती है. ये लड़कियां हंसती भी हैं और रोती भी हैं, मस्ती भी करती हैं और दर्द भी झेलती हैं. इस फिल्म में लड़कियों के साथ छेड़छाड़, कोर्ट में इंसाफ न मिलना, मां-बाप का प्यार न मिलना जैसी कई सामाजिक समस्याओं को उजागर किया गया है. महिलाओं को ये फिल्म भी ज़रूर देखनी चाहिए.
6) चांदनी बार (Chandni Bar)
चांदनी बार फिल्म मुंबई की बार बालाओं के जीवन पर आधारित है. मधुर भंडारकर की फिल्म चांदनी बार में तब्बू ने अपनी दमदार अदाकारी से मुंबई की बार बालाओं के जीवन को बहुत ही सटीक तरीके से प्रस्तुत किया है. चांदनी बार फिल्म के लिए तब्बू को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला और इस फिल्म को चार राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले.
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7) फायर (Fire)
दीपा मेहता की फिल्म फायर दो महिलाओं के समलैंगिग रिश्तों पर आधारित कहानी है. इस फिल्म को दो साल तक सेंसर बोर्ड की हरी झंडी का इंतज़ार करना पड़ा और दो साल बाद इस फिल्म को एडल्ट कैटेगरी में सिनेमाघरों में दिखाया गया. इस फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास की एक्टिंग को बहुत सराहा गया था.
8) नीरजा (Neerja)
नीरजा फिल्म को सोनम कपूर की बेस्ट फिल्मों में गिना जाता है. फिल्म में प्लेन हाइजैक के दौरान एक एयर होस्टेस किस तरह बहादुरी से अपनी नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी निभाती है, इसका बेहतरीन प्रस्तुतिकरण किया गया है. नीरजा फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस फिल्म में कहीं से भी हीरो या अभिनेता की कमी नहीं महसूस होती.
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9) मॉम (Mom)
बॉलीवुड की चांदनी श्रीदेवी जी भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी फिल्म मॉम महिलाप्रधाान फिल्मों में खास स्थान रखती है. इस फिल्म में बताया गया है कि एक मां अपने बच्चों के लिए क्या कुछ कर सकती है. पूरी फिल्म श्रीदेवी यानी मॉम के ईर्दगिर्द घूमती है. इस फिल्म में भी हीरो की ज़रूरत महसूस नहीं होती.
10) पिंक (Pink)
तापसी पन्नू की फिल्म पिंक भी लीक से हटकर थी. इस फिल्म की कहानी तीन महिलाओं के ईर्दगिर्द घूमती है और समाज को महिलाओं के बारे में काफी कुछ सोचने पर मजबूर करती है. फिल्म पिंक में बिग बी अमिताभ बच्चन ने भी दमदार अभिनय किया है.

पिछले कुछ दशकों से बॉलीवुड में ऐसी फ़िल्में बनी हैं, जिनमें गैंगस्टर या अंडरवर्ल्ड डॉन के रूप में एक्टर को ही बड़े परदे पर दिखाया जाता है. बॉलीवुड के इतिहास में अभी तक बहुत कम फ़िल्में हैं जहां एक्ट्रेसेस को गैंगस्टर के किरदार में दिखाया गया है. खास बात यह कि इन एक्ट्रेसेस ने अपनी शानदार एक्टिंग से लेडी गैंगस्टर के रोल जान डाल दी. आज हम आपको उन अभिनेत्रियों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने गैंगस्टर की भूमिका को शानदार ढंग से अदा किया.
- कंगना रनौत- फिल्म रिवाल्वर रानी
फिल्म रिवॉल्वर रानी’ में कंगना रनौत ने लेडी गैंगस्टर की भूमिका निभाई थी, बाद में यह लेडी गैंगस्टर बोल्ड पॉलिटिशियन बन जाती है और अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने के तैयार रहती है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, पर कंगना का यह अंदाज़ दर्शकों को खूब पसंद आया.
2. शबाना आज़मी- फिल्म गॉड मदर
गुजरात के चुनावी पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में दिग्गज अभिनेत्री शबाना आज़मी ने संतोकबेन जडेजा की भूमिका निभाई. उनका यह किरदार काल्पनिक न होकर वास्तविक था. इस किरदार का नाम था संतोखबेन, जिसे गुजरात के लोग गॉडमदर के नाम से जानते हैं, जो 14 से अधिक हत्या के मामलों में शामिल थी. संतोखबेन मजदूर मिल सरमन मंजू की पत्नी थी और अपने पति की हत्या के बाद अंडरवर्ल्ड में एंट्री करती है. शबाना आज़मी की दमदार परफॉरमेंस की ऑडियंस और क्रिटिक्स दोनों ने खूब प्रंशसा की. इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.
3. सुप्रिया पाठक- फिल्म रामलीला- गोलियों की रासलीला “
बॉलीवुड की उम्दा अभिनेत्रियों में सुप्रिया पाठक का नाम आता है. डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म रामलीला- गोलियों की रासलीला ” में सुप्रिया ने लेडी डॉन का किरदार निभाया है. इस फिल्म में उनके किरदार का नाम दंकौर था. अपनी दमदार एक्टिंग से उन्होंने फैंस को हैरान कर दिया. लेडी गैंगेस्टर रोल के इस किरदार की ऑडियंस ने खूब तारीफ की. इस फिल्म में उनकी शानदार एक्टिंग को देखकर लगता है, उनके अलावा ये किरदार कोई अन्य अभिनेत्री इतने बेहतरीन ढंग से नहीं कर सकती थी. उनकी जानदार आवाज़ ने इस किरदार को जीवंत बना दिया है. इस फिल्म के लिए सुप्रिया पाठक ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए कई पुरस्कार जीते.
4. श्रद्धा कपूर- फिल्म हसीना पारकर
कुछ समय पहले ही श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘हसीना पारकर आई थी, जिसमें श्रद्धा कपूर ने दाऊद इब्राहिम की बहन की भूमिका निभाई थी. हालाँकि इस फिल्म को दर्शकों का बहुत ज्यादा प्यार नहीं मिला, लेकिन फिल्म में दर्शकों को श्रद्धा कपूर का यह गैंगस्टर अवतार काफी पसंद आया था.
5. नेहा धूपिया- फिल्म फंस गए रे ओबामा
फिल्म इन फंस गए रे ओबामा में नेहा धूपिया ने मुन्नी मैडम नाम की लेडी गैंगस्टर की भूमिका निभाई है. इस फिल्म में अमेरिका में रहने वाला शख्स जिसकी नौकरी चली जाती है वो मंदी की वजह से भारत वापस आता है. अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर उन पैसों से वापस अमेरिका जाकर रोजी-रोटी की कुछ व्यवस्था कर सके. मगर वो भारत आते ही वो कुछ बदमाश लोगों के चंगुल में फंस जाता है. गैंगस्टर के रोल में नेहा का किरदार काफी दिलचस्प था. उनका दबंग और मज़ाकिया स्वभाव ऑडियंस को बहुत पसंद आया.
6. नंदिता दास- फिल्म सुपारी
बंगाली ब्यूटी नंदिता दास ने फिल्म सुपारी में एक सोफिटिकटेड़े लेडी डॉन का रोल प्ले किया है. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई. लेकिन गैंगस्टर के रोल में ऑडियंस ने नंदिता दास को खूब पसंद किया.
7. ऋचा चड्डा-फिल्म फुकरे
फिल्म फिकरे में ऋचा चड्डा ने भोली पंजाबन के रूप में दबंग लेडी का रोल अदा किया है. भोली पंजाबन यानी गीता अरोरा दिल्ली से बाहर देह व्यापार का धंधा करती है. उनके इस दबंग किरदार को दर्शकों ने बहुत पसंद किया. फिल्म फुकरे में ही नहीं फुकरे रिटर्न्स 2 में ऋचा ने भोली पंजाबन का रोल अदा किया है. इन दोनों फिल्मों को देखने के बाद दर्शकों के इस किरदार की खूब तारीफ की थी.

भारतीय समाज में आज भी गोरे रंग को ही सुंदरता की पैमाना माना जाता है. वैवाहिक विज्ञापनों में भी ‘गोरी और सुन्दर’ वधु की ही डिमांड होती है. और ये हाल सिर्फ इंडियन फैमिली का नहीं है. ‘गोरी और सुन्दर’ वाला फार्मूला बॉलीवुड में भी चलता है. हालांकि पिछले कुछ सालों में लोगों की सोच थोड़ी बदली है, फिर भी ऐसे कई एक्टर एक्ट्रेसेस हैं, जिन्हें डार्क कॉम्प्लेक्शन की वजह से भेदभाव झेलना पड़ा, लोगों के ताने सुनने पड़े. बिपाशा बासु |
बिपाशा बासु को भले ही इंडस्ट्री की हॉट एंड सेक्सी गर्ल कहा जाता हो, एक समय था जब लोग उनके सांवले रंग पर बुली करते थे यहां तक कि करीना ने बिपाशा को काली बिल्ली तक कह दिया था. आज भले ही अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके समर्थन में उतरीं करीना ने लिखा हो कि ‘सभी रंग खूबसूरत हैं और हम भले ही अलग-अलग रंगों में पैदा हुए हों लेकिन हम सब एक ही चीज की ख्वाहिश रखते हैं और वो है फ्रीडम और रिस्पेक्ट.’ लेकिन इसी करीना ने बिपाशा पर रेसिस्ट कमेंट करके उनके सांवले रंग को निशाना बनाया था. दरअसल फिल्म अजनबी में बिपाशा और करीना ने साथ काम किया था. उस दौरान खबर थी कि करीना और बिपाशा में कॉस्टयूम को लेकर कुछ विवाद हो गया था. इससे करीना इतनी नाराज हो गई थीं कि उन्होंने बिपाशा को काली बिल्ली कह दिया था और उन्हें थप्पड़ भी जड़ दिया था, ज़ाहिर है ये बिपाशा के डार्क कॉम्प्लेक्शन पर कमेंट था. ये बात और है कि बिपाशा ने कभी किसी कमेंट को सीरियसली नहीं लिया और बॉलीवुड की सेक्सिएस्ट एक्ट्रेस कहलाईं.
प्रियंका चोपड़ा
प्रियंका खुद कई बार ये कह चुकी हैं कि सांवलेपन की वजह से उन्हें यंग एज में कई बार तकलीफ झेलनी पड़ी. यहां तक कि जब वो यूएस में पढ़ाई के लिए गई थीं तो उनके सांवले रंग को लेकर लोग उनपर कमेंट किया करते थे. एक बार तो प्रियंका की इस बात पर किसी शख्स से लड़ाई भी हो गई थी. एक इंटरव्यू के दौरान प्रियंका ने कहा, “जब मैं बड़ी हो रही थी, तब टीवी पर मैंने कभी किसी को अपने स्किन टोन से मैच करते नहीं देखा. तब कॉस्मेटिक कंपनियां ऐसे शेड्स या प्रोडक्ट्स लाती ही नहीं थीं, जो एशियन या इंडियन स्किन टोन से मैच हो. पता नहीं क्यों सांवली लड़कियों पर सोसायटी का दबाव हमेशा रहता है कि खूबसूरती का पैमाना गोरी त्वचा ही होती हैं.” हालांकि अपने टैलेंट और मेहनत के बलबूते प्रियंका ने इन तमाम बातों को झुठला दिया है और आज बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड का भी पॉपुलर फेस बन चुकी हैं.
मलाइका अरोड़ा
मलाइका ने एक शो में खुद खुलासा करते हुए बताया था कि करियर के शुरुआती दौर में डार्क रंग की वजह से उनका खूब मजाक उड़ाया जाता था. इंडस्ट्री में उनके साथ भेदभाव किया जाता था. उन्होंने बताया कि लोग डार्क स्किन और फेयर स्किन के बीच भेदभाव करते थे. मलाइका का इस बारे में कहना है, “मैं उस समय इंडस्ट्री में आई थी जब गोरी त्वचा को ही सुंदर माना जाता था और वहीं सांवली रंगत वाले को काम तक नहीं मिलता था. मुझे हमेशा डार्क कॉम्प्लेक्शन की कैटेगरी में रखा जाता था. त्वचा के रंग को लेकर खुले तौर पर पक्षपात हुआ करता था.”
नवाजुद्दीन सिद्दीकी
एक समय ऐसा था जब नवाजुद्दीन के लिए टेलीविजन की दुनिया में भी रोल पाना कितना मुश्किल था. वह काले रंग के कारण लोगों के मजाक और हंसी का पात्र बनते थे. नवाजुद्दीन कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि किस तरह गोरी अभिनेत्रियां उनके साथ काम करने से ही इनकार कर देती थीं और कई प्रोड्यूसर्स उन्हें फेयरनेस क्रीम लगाने की सीख दे देते थे. इसी से दुखी होकर एक बार नवाज ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट करते हुए लिखा था कि मुझे यह एहसास दिलाने के लिए शुक्रिया कि मैं किसी गोरे और हैंडसम के साथ काम नहीं कर सकता, क्योंकि मैं काला हूं और मैं दिखने में भी अच्छा नहीं. लेकिन मैंने कभी उन चीजों पर खास ध्यान ही नहीं दिया. ये ट्वीट उन्होंने फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज़ के निर्देशक संजय चौहान के उस कथित बयान से दुखी होकर किया था, जिसमें संजय ने कहा था, ‘हम नवाज़ के साथ गोरे और सुंदर लोगों को कास्ट नहीं कर सकते. ये बहुत ख़राब लगेगा. उनके साथ जोड़ी बनाने के लिए आपको अलग नैन नक्श और व्यक्तित्व वाले लोगों को लेना होगा.’ ये बात अलग है कि नवाज ने इन सारी बातों को झुठलाते हुए खुद को बतौर एक्टर साबित किया और आज उनकी गिनती इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टरों में होती है.
शिल्पा शेट्टी
शिल्पा शेट्टी कुंद्रा आज चाहे फिटनेस और ब्यूटी क्वीन कहलाती हैं, लेकिन एक टाइम ऐसा भी था जब लोग उनके संवाले रंग का मजाक उड़ाते थे. बॉलीवुड में तो उन्हें सांवले रंग पर कमेंट सुनने ही पड़ते थे, आम जीवन में भी वो इसका शिकार हो चुकी हैं. एक बार तो वो सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) एयरपोर्ट पर रेसिज्म (रंगभेद) का शिकार हुई थीं. इस बारे में उन्होंने एक पोस्ट भी शेयर की थी जिसमें लिखा था ‘इस पर आपको ध्यान देना चाहिए!… मैं सिडनी से मेलबर्न की यात्रा पर गई थी. इसी दौरान एयरपोर्ट पर चेकइन काउंटर पर मुझे मेल नाम की एक एरोगेंट सी महिला मिली. उसका मानना था कि हमसे यानी ब्राउन लोगों के साथ बदतमीजी से ही बात की जाती है.’
स्वरा भास्कर
स्वरा अपने बेबाक बयानों की वजह से सुर्ख़ियों में बनी रहती हैं. स्वरा के डस्की कॉम्प्लेक्शन का भी बहुत मज़ाक उड़ाया गया, लेकिन उन्होंने कभी किसी की बात पर ध्यान दिया ही नहीं. बल्कि उन्होंने तो कई फेयरनेस क्रीम ब्रांड्स के ऐड करने से मना कर दिया और ऐसा आफर लाने वालों को खरी खोटी भी सुना दी. उनका कहना है, ‘हमें गोरेपन की सनक को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. चाहे आप सांवले हों, गेहुआं रंग के या डार्क, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.”
काजोल
काजोल की गिनती भी बॉलीवुड की डार्क एंड ब्यूटीफुल एक्ट्रेसेस में होती है. शुरुआती फिल्मों में उनके कॉम्प्लेक्शन ही नहीं, बल्कि चेहरे पर थ्रेडिंग न करवाने के लिए भी काफी कुछ कहा सुना गया. हालांकि काजोल ने इस बारे में कभी कोई कमेंट नहीं किया, लेकिन बाद में उन्होंने मेलानिन सर्जरी करवा ली, जो स्किन व्हाइटनिंग सर्जरी होती है. इसके बाद काजोल का कम्पलीट मेकओवर ही हो गया.
नन्दिता दास
नन्दिता दास को इंडस्ट्री की ब्लैक ब्यूटी कहा जाता है और अपने लिए ये शब्द ही उन्हें रेसिस्ट कमेंट लगता है,”पता नहीं क्यों जब भी मेरे बारे में कोई कुछ लिखता है, तो ये ज़रूर लिखता है कि ‘ब्लैक एंड डस्की’…क्या ये लिखे बिना मेरी पहचान नहीं हो सकती.” एक इंटरव्यू में अपने सांवलेपन पर नन्दिता ने खुलकर बोला था, “चूंकि मैं खूद सांवली हूं और आप जब खुद सांवले होते हैं तो आपको बचपन से ही कोई न कोई याद दिलाता रहता है कि आपका रंग औरों से कुछ कम है. या आपसे कहा जाता है कि धूप में मत जाओ और गहरी हो जाओगी या यह क्रीम इस्तेमाल करके देखो. कुल मिलाकर खूबसूरती की जो परिभाषा गढ़ी गई है, अगर आप उसमें आप फिट नहीं हो रहे, तो फिर आपका कोई काम नहीं है.” नंदिता दास ने साल 2009 में ‘डार्क इज ब्यूटीफ़ुल’ नाम से एक अभियान की शुरुआत भी की थी और इसी अभियान के तहत रंगभेद की समस्या को केंद्रित करके उन्होंने ‘इंडिया गॉट कलर’ नामक वीडियो भी बनाया था, जिसमें उन्होंने गोरे सांवले मुद्दे को बहुत इफेक्टिवली हैंडल किया था. उनका साफ कहना था कि हमारे समाज में गोरे व सांवले जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना ही बंद हो जाना चाहिए. यह बात समझाना ज़रूरी है कि किसी व्यक्ति की त्वचा का रंग उसके चरित्र और व्यक्तित्व को नहीं दर्शाता है.
स्मिता पाटिल
ये सच है कि स्मिता की फिल्में और उनकी एक्टिंग देखकर उनकी खूबसूरती के बहुत-से दीवाने बने. मगर फिल्मों में आने से पहले लोग उन्हें ‘काली’ कहकर बुलाते थे. मगर इन बातों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था. कॉलेज के दिनों में ही वो मुंबई आ गई थीं. एक दूरदर्शन डायरेक्टर ने उनकी तस्वीरें देखीं और उन्हें ‘मराठी न्यूज रीडर’ की नौकरी दे दी. लेकिन कहते हैं तब उन्हें काली कहे जाने का डर इस कदर परेशान करता था कि पहले वो जींस पहनती थीं, फिर उसके ऊपर साड़ी पहना करती थीं. ऐसा वो अपने सांवले पैरों को छुपाने के लिए करती थीं. लेकिन सारी बातों को झुठलाते हुए अपने टैलेंट के दम पर उन्होंने इंडस्ट्री में ऐसी जगह बनाई कि आज उनकी मौत के इतने सालों बाद भी लोग उन्हें याद करते हैं.