मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर लोगों को जागरूक करनेवाली फिल्म पैडमैन पर लगा है स्क्रिप्ट चोरी का आरोप. जी हां, बॉलीवुड के उभरते राइटर रिपु दमन ने अक्षय कुमार के ख़िलाफ़ स्क्रिप्ट चोरी को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है. रिपु दमन का कहना है कि डेढ़ साल पहले उन्होंने इस विषय पर स्क्रिप्ट लिखकर धर्मा प्रोडक्शन को भेजी थी. पैडमैन के कई दृश्य उसी स्क्रिप्ट से लिए गए हैं ऐसा रिपु दमन का आरोप है.
रिपु दमन ने सोशल मीडिया पर अपनी स्क्रिप्ट के कुछ स्क्रीनशॉट्स भी शेयर किए, जो उन्होंने धर्मा प्रोडक्शन को मेल किया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वो पैडमैन के प्रोडूसर्स को कोर्ट तक लेकर जाएंगे।
कुछ महीने पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर रिपु दमन ने अपनी बात रखते हुए लिखा, ”डेढ़ साल पहले मैंने अरुणाचलम मुरुगनाथम और साती बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स पर स्क्रिप्ट लिखी थी, जिसे मैंने स्क्रीन राइटर एसोसिएशन में रजिस्टर भी करवाया था. क्या आपने इनके बारे में सुना है, हाँ, अरुणाचलम वह शख़्श है, जिसने गांव की महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाए थे. ५ दिसंबर, २०१६ को मैंने वह स्क्रिप्ट धर्मा प्रोडक्शन के रेयान स्टीफन और विक्रमादित्य मोटवानी को भेजी थी. आप जानते हैं उसके बाद क्या हुआ, दस दिन बाद ही १६ दिसंबर,२०१६ को ट्विंकल खन्ना ने ऐलान किया कि उनका प्रोडक्शन हाउस अरुणाचलम की लाइफ पर फिल्म बनाने जा रहा है.
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रिपु दमन ने इस बारे में और भी कहा कि इससे पहले इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो अरुणाचलम की ज़िंदगी पर फिल्म बनाने वाले थे और मैंने उनके कामों पर स्क्रिप्ट लिखी थी. रिपु दमन के आरोपों पर फिलहाल एफआईआर दर्ज है.
जैसे-जैसे पैडमैन मूवी की रिलीज़ की डेट नज़दीक आ रही है, वैसे वैसे हर कोई इससे जुड़ी बातों व अपने अनुभव को बड़ी बेबाक़ी से शेयर कर रहा है. फिर इसमें फिल्म की प्रोड्यूसर अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना भी भला क्यों पीछे रहें.
हाल ही में एक इवेंट में उन्होंने अपने पीरियड्स से जुड़ी बातें शेयर की.
उन्होंने टीनएज के समय अपने पहले पीरियड की कहानी को साझा किया. तब वे बोर्डिंग स्कूल में थी और उन्हें पीरियड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. एक दिन अचानक स्कूल की कैंटिन में उन्हें लगा कि उनकी यूनिफॉर्म में दाग़ लग गया है, जिसे देख वे घबरा गईं और तुरंत अपने रूम में पहुंचने के लिए दौड़ पड़ीं. उन्हें इस बात की राहत मिली कि वे दाग़ किसी और ने नहीं, बल्कि केवल उन्होंने ही देखे थे. चूंकि उस समय वे बोर्डिंग स्कूल में थी, पास मां या मौसी भी नहीं थी कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी दे सकें. आख़िरकार अपने रूम में जाकर उन्होंने कपड़े बदलें.
इसी कड़ी में उन्होंने एक कहानी और बताई कि पिछले साल साउथ इंडिया में एक टीचर ने स्टूडेंट को इसलिए क्लास से बाहर कर दिया कि पीरियड्स के कारण उसकी यूनिफॉर्म और सीट पर दाग़ लग गए थे. दर्दनाक परिणाम यह रहा कि उस 12 साल की स्टूडेंट ने बाद में बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली थी.
ट्विंकल का यह मानना है कि पीरियड्स हमारे शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, फिर हम क्योंकर इसे लेकर शर्म-संकोच व शर्मिंदगी महसूस करते हैं. उन्हें यक़ीन ही नहीं पूरा विश्वास है कि पैडमैन मूवी देखने के बाद लड़कियों की सोच में परिवर्तन आएगा.
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि 9 फरवरी को आर. बाल्की निर्देशित अक्षय कुमार की पैडमैन रिलीज़ हो रही है.
यह फिल्म सत्य घटना यानी कोयंबटूर निवासी अरुणाचलम मुरुगनंथम की जीवनी पर आधारित है. उन्होंने अपने घर के एक वाक्ये से प्रेरित होकर महिलाओं के लिए सस्ते दाम पर सैनिटरी नैपकिन बनाने के बिज़नेस की शुरुआत की थी, जिसे बाद में लोगों का सराहनीय साथ मिला.
फिल्म में अक्षय के साथ सोनम कपूर, राधिका आप्टे भी हैं. विशेष भूमिका में अमिताभ बच्चन भी हैं.
गम्भीर सामाजिक विषयों को फ़िल्मों के ज़रिए लोगों तक पहुँचाने का काम आसान नहीं होता, लेकिन लगता है अक्षय कुमार इसमें माहिर हो गए हैं… इसी कड़ी में उनकी चर्चित फ़िल्म पैडमैन पर सबकी नज़र है. क्या कहते हैं अक्षय इस बारे में, ख़ुद उनसे ही पूछ लेते हैं.
बात पैडमैन की करें, तो ये एक ऐसे विषय पर है जिसके बारे में समाज में और परिवार में बात तक नहीं की जाती तो आपका क्या अनुभव रहा है?
आप सही कह रहे हैं, क्यूंकि मेरा भी यही अनुभव रहा था जब तक कि मैं ख़ुद इस विषय को समझ नहीं पाया था. असली बात समझते-समझते तो ज़ाहिर है वक़्त लगा कि हमारे समाज में ८२% महिलायें भी इस विषय को ठीक से नहीं समझ पातीं. यही वजह है कि पीरियड्स के दौरान वे राख, पत्ते, मिट्टी जैसी चीज़ें इस्तेमाल करने को मजबूर हैं और ये बेहद शर्मनाक बात है. जब मुझे इन बातों का पता चला तो मैंने सोचा ये तथ्य ज़रूर सामने आने चाहिए. लोगों को पता होना चाहिए कि ये प्राकृतिक क्रिया है इसे शर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
फिर मेरी मुलाक़ात हुई अरुणाचलम मुर्गनाथन से, उन्होंने अपनी पत्नी की कितनी केयर की ये पता चला, उनकी सोच बहुत बेहतरीन थी, इसलिए उन्होंने पैड्स की मशीन बनाई मात्र ६० हज़ार में, जिसे लोग करोड़ों रुपए में बनाते हैं.
मुझे उनकी कहानी ने बहुत प्रेरित किया और उनकी ये बात दिल को छू गई कि किसी भी देश को मज़बूत बनाना है तो उस मुल्क की महिलाओं को मज़बूत करना होगा.
मुझे लगा कितना सही कहा उन्होंने, हम क्यूं इतने हथियार ख़रीदते हैं, जबकि हमारे देश की महिलायें ही मज़बूत नहीं हैं.
मुझे ख़ुद को इतनी समझ और जानकारी मिली कि अपनी बेटी के साथ अब हम खुलकर इस विषय पर बात करते हैं. वो १३-१४ साल की है और अब ज़रूरी है कि वो समझे इन चीज़ों को. जबकि हमारे समाज में आज भी महिलाओं को इस दौरान भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है.
मेरी बेटी की प्यूबर्टी पर हमने सेलिब्रेट किया, ताली बजाई क्यूँकि बेटी सयानी हो गई है तो ये तो सेलिब्रेशन की बात है. जब आप सेलब्रेट करोगे तभी तो बेटी को भी एहसास होगा कि ये नॉर्मल है, इसमें शर्म की बात नहीं. वहीं अगर आप उसको ये सीख दोगे कि किसी को बताना नहीं, ये छिपाने की बात है तो वो भी इसको सहजता से नहीं ले पाएगी
फ़िल्म रिलीज़ कि बाद कैसा करेगी क्या करेगी मुझे नहीं पता लेकिन आज मैं सोशल मीडिया पर जब देखता हूं कि लड़के भी इस विषय पर खुलकर बात कर रहे हैं तो मेरी जीत वहीं है. मुझे ये फ़िल्म किसी भी हाल में करनी ही थी और मैंने अपने दिल की सुनी.
देश में आज भी अधिकतर लड़कियां सैनिटेरी नैप्किन अफ़ॉर्ड नहीं कर पातीं.
जी हां, मैं इसलिए कहता हूं कि सैनिटेरी नैप्किन फ़्री होने चाहिए. डिफ़ेन्स में पैसे थोड़े कम कर दो पर ये बेसिक नीड़ है जिसे सबको मिलना चाहिए. मैंने फ़िल्म कि ज़रिए संदेश दे दिया है अब ये समानेवाले को चाहिए इसे कैसे लेता है.
कोई ख़ास वजह कि सामाजिक मुद्दों पर फ़िल्में करना पसंद करते हैं?
ख़याल और चाहत पहले से ही थी लेकिन तब पैसे नहीं थे अब हैं तो produce करता हूं. मेरा यही मानना है कि गम्भीर विषय को मनोरंजक तरीक़े से समझाओ तो बेहतर है बजाय भाषण देने के.
अपनी कामयाबी का श्रेय किसको देंगे? फ़िल्म के सब्जेक्ट्स या अपनी फ़िट्नेस?
फ़िल्मों के हिट होने का कोई फ़ॉर्म्युला नहीं होता.
चाहे टॉयलेट एक प्रेम कथा हो या पैडमैन तो महिलाओं से जुड़े और किन विषयों पर अब आगे फ़िल्म बनाना चाहते हैं?
मेरे दिमाग़ में नहीं था कोई विषय लेकिन एक लड़की ने मुझसे कहा कि सर आप डाउरी यानी दहेज पर फ़िल्म बनायें.
आपको क्या लगता है कि इस तरह की फ़िल्में सामाजिक स्तर पर बदलाव लाती हैं.
बदलाव लाती हैं लेकिन सरकार के समर्थन से बदलाव और प्रभाव जल्दी और ज़्यादा आता है. जैसे टॉयलेट में हुआ था क्यूंकि सरकार का बहुत समर्थन मिला था.
क्या धर्म भी एक वजह है इस तरह कि विषयों पर खुलकर बात ना करने की?
धर्म भी है और हमारी सोच भी. लड़कों के लिए ये मज़ाक़ का विषय है इसलिए लड़कियां झिझकती हैं. मेरे एक दोस्त का क़िस्सा बताता हूं, देर रात उसकी नींद खुली और उसने देखा उसकी बेटी और पत्नी बात कर रहे हैं कि घर पे सैनिटेरी नैप्किन नहीं है और बेटी को उसकी पत्नी समझा रही है कि इतनी रात को क्या करें? तब वो अंदर गया और बेटी को बोला कि पीरियड्स हैं और पैड्स नहीं हैं? बेटी हैरान थी पर वो उसको गाड़ी में लेके गया, डे नाइट केमिस्ट से पैड्स लेके बेटी को दिया. उसके बाद उसने कहा कि उसकी बेटी उसको बेहद प्यार करने लगी, पहले से भी ज़्यादा! उसका रिलेशन पूरी तरह बदल गया. तो कहनी का मतलब है कि खुलकर बात करो, बच्ची को दोस्त बनाओ, उसकी समस्या को समझो और ख़ुद महिलाओं को भी यही करना चाहिए.
वो ख़ुद झिझकती हैं. मेरी फ़ैन ने मुझे कहा अक्षय मैंने ट्रेलर देखा बहुत अच्छा था, मैंने पूछा कौन सा ट्रेलर? तो वो बुदबुदाई यानी वो ख़ुद पैडमैन खुलकर नहीं बोल पा रही थी. तो ये चीज़ ख़त्म होनी चाहिए.
२०१७ आपका कैसा गुज़रा और नए साल में क्या कुछ नया करने का सोचा है आपने?
पिछला साल बहुत अच्छा गुज़रा. मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं है कि क्या resolution बनाऊं. सोचता हूं साल में चार की जगह तीन फ़िल्में करूं.
आप साल में चार फ़िल्में करते हैं जबकि ऐसे भी स्टार्स हैं जो एक ही फ़िल्म करते हैं तो इंडस्ट्री आप पर अच्छी फ़िल्मों के लिए काफ़ी निर्भर करती है, ऐसे में आप ख़ुद पर कीसी तरह का प्रेशर महसूस करते हैं?
प्रेशर क्यूं महसूस होगा… मैं तो ये पिछले २७ सालों से यह कर रहा हूं. एक मूवी ४०-५० दिनों में ख़त्म हो जाती है, तो इतना समय बचता है तो करूं क्या? इसलिए बीच बीच में ऐड कर लेता हूं.
अमेरिका के पास सुपरमैन है, स्पाइडमैन है, बैटमैन है, लेकिन इंडिया के पास पैडमैन है! अमिताभ बच्चन की आवाज़ से इसी डायलॉग के साथ शुरू होता है फिल्म पैडमैन (Padman) का ट्रेलर.
एक बार फिर अक्षय कुमार ने साबित कर दिया है कि ऐसे सेंसिटिव मुद्दों पर फिल्में बनाने और उनमें काम करने का दम सिर्फ़ उनमें है. सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल महिलाओं के लिए कितना ज़रूरी है, ये समझाएंगे अक्षय इस फिल्म के ज़रिए.
पैडमैन बायॉपिक रियल लाइफ हीरो अरुणाचलम मुरुगनाथम की, जिन्होंने महिलाओं के लिए पैड मेकिंग मशीन बनाई, ताकि उन्हें सस्ते दाम पर सैनिटरी नैपकिन मिल सके. इस मैसेज को फिल्म के ट्रेलर में बड़ी ही बेहतरीन तरीक़े से दिखाने की कोशिश की गई है. फिल्म में राधिका आप्टे अक्षय की पत्नी का किरदार निभा रही हैं, जबकि सोनम कपूर फिल्म में पैड बनाने में अक्षय की मदद करती नज़र आएंगी.
पैडमैन ट्विंकल खन्ना और गौरी शिंदे का प्रॉडक्शन वेंचर है. फिल्म का निर्देशन आर. बाल्की ने किया है और फिल्म 26 जनवरी 2018 को रिलीज़ होगी.
आपने सुपरमैन के बारे में तो सुना होगा और उनपर बनी फिल्में भी देखी होंगी. लेकिन क्या आपने कभी पैडमैन के बारे में सुना है. आइए, आपको मिलवाते हैं पैडमैन से. शौचायल की प्रॉब्लम सॉल्व करने के बाद अब अक्षय महिलाओं की सैनिटरी पैड से जुड़ी समस्या को सामने लाएंगे. इस फिल्म का फर्स्ट पोस्टर रिलीज़ हो गया है. फिल्म में अक्षय महिलाओं के लिए सस्ती सैनिटरी नैपकीन बनाते नज़र आएंगे.पैडमैन फिल्म अरुणाचलम मुरुगनाथम की बायोपिक है. कोयमंबटूर के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम ने एक ऐसी मशीन तैयार की है, जिससे सस्ते दाम पर वो सैनिटरी नैपकीन बनाते हैं. फिल्म के निर्देशक आर बाल्की हैं, जबकि इस फिल्म की प्रोड्यूसर हैं टि्ंवकल खन्ना और गौरी शिंदे. अक्षय की माने तो इस फिल्म को करने का आइडिया उन्हें टि्ंवकल ने ही दिया था. रिसर्च में ये बात सामने आई है कि भारत में लगभग 91 फ़ीसदी महिलाएं सैनिटरी नैपकीन का इस्तेमाल नहीं करती हैं. पीरियड्स के दौरान वो सैनिटरी नैपकीन के अलावा जो दूसरे विकल्प का इस्तेमाल करती है, उसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे.
Not all superheroes come with capes! Bringing you the true story of a real superhero, #Padman this Republic Day – 26th January, 2018! pic.twitter.com/hcEcJPO6Up
पैडमैन 26 जनवरी 2018 के दिन रिलीज़ होगी. ख़बरें थी कि गणतंत्र दिवस के मौक़े पर ही रजनीकांत और अक्षय कुमार की फिल्म 2.0 भी रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन अब इसकी रिलीज़ डेट को बदलकर 13 अप्रैल 2018 कर दिया गया है.