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painkillers
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मेरी उम्र 36 वर्ष है और मेरे दो बच्चे हैं. माहवारी (Menstruation) के दौरान मुझे असहनीय दर्द (Pain) होता है, जिससे राहत पाने के लिए मुझे दर्दनिवारक गोलियां लेनी पड़ती हैं? इसकी क्या वजह है? क्या मुझे किसी ख़ास तरह के टेस्ट की ज़रूरत है?
– शशिबाला, इंदौर.
हो सकता है कि आपको यूटेरस में फायब्रॉइड हो. यह एक प्रकार की गांठ होती है, जो अक्सर युवतियों के गर्भाशय में बन जाती है. फायब्रॉइड की स्थिति और आकार की वजह से ही माहवारी के दौरान दर्द और ज़्यादा ब्लीडिंग होती है. इसके अलावा ओवरी, पेल्विक या गर्भाशय में रक्त जमा होने से वहां सूजन आ जाती है और यह भारी रक्तस्राव और दर्द का कारण बन जाती है. पेल्विक सोनोग्राफ़ी से इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है. इसका इलाज सर्जरी से ही होता है. लेकिन इन दिनों लेप्रोस्कोपिक (कीहोल) सर्जरी से भी इसका इलाज किया जाता है.
मैं 18 वर्ष की हूं. शुरू से ही मुझे अनियमित माहवारी की समस्या थी. 1-4 महीने के बीच में कभी भी हो जाती है. इन दिनों मेरे चेहरे पर ख़ूब सारे बाल भी हो गए हैं. कृपया सलाह दें. मैं क्या करूं?
– नुपूर बबेरवाल, हरियाणा.
शुरुआत के एक-दो साल तक पारियड अनियमित हो सकता है. इसके बाद धीरे-धीरे नियमित होने लगता है. यदि आपका पीरियड शुरू से नियमित रहा और अब अनियमित है, तो आपको हार्मोनल प्रॉब्लम हो सकता है. हो सकता है कि आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम हो. इस तरह की समस्या में अनियमित माहवारी, चेहरे पर बहुत बाल, एक्ने और वज़न बढ़ने जैसे लक्षण होते हैं. समस्या के बारे में जानने के लिए आपको सोनोेग्राफ़ी व हार्मोनल टेस्ट करवा लेने चाहिए. दवाइयों से इस समस्या का निदान हो सकता है.
यह भी पढ़ें: Personal Problems: दो साल में सिर्फ दो बार पीरियड्स आए (Reasons For Irregular Periods)
डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
[email protected]
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यदि आप किसी भी तरह के बॉडी पेन (Body Pain) से परेशान हैं, तो डॉक्टर के पास जाने की बजाय एक नज़र अपने किचन में डालें. वहां पर आपको ऐसी अनेक चीज़ें मिल जाएंगी, तो आपके दर्द को चुटकियों में दूर कर देंगी.
1. हल्दी
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और करक्यूमिन नामक तत्व घाव को भरने के साथ-साथ दर्द में भी राहत दिलाते हैं, इसलिए हल्दी को अपनी रोज़ाना की डायट में शामिल करें, जिससे इम्युनिटी मज़बूत हो.
– हल्दी को पीसकर घी में भूनकर और शक्कर मिलाकर कुछ दिन खाने से डायबिटीज़ में लाभ होता है.
– यदि गले में दर्द या सूजन हो, तो कच्ची हल्दी अदरक के साथ पीसकर गुड़ मिलाकर गर्म कर लें और इसका सेवन करें.
– हल्दी की गांठ तुअर की दाल में पकाकर उसे छाया में सुखा लें. इसे पानी में घिसकर सूर्यास्त के पहले, दिन में दो बार आंखों में लगाने से आंखों की लालिमा दूर होती है.
– हल्दी के टुकड़े को सेंककर रात में सोते समय मुंह में रखने से ज़ुकाम, कफ़ और खांसी में लाभ होता है. कष्टदायक खांसी भी इससे कम हो जाती है.
– हल्दी की गांठ को आग में भूनकर उसका चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में एलोवीरा में मिलाकर सुबह-शाम सात दिन तक सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है.
2. नींबू
नींबू में ऐसी दर्दनिवारक प्रॉपटीऱ्ज होती हैं, जिससे दर्द में तुरंत आराम मिलता है. गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाएं. इसमें कपड़े को डुबोकर दर्दवाली जगह पर रखें. पांच-सात मिनट तक ऐसा करने से जल्द ही दर्द में आराम मिलेगा.
– नींबू का रस ठंडे पानी में मिलाकर पीने से गर्मी के कारण उत्पन्न बेचैनी दूर होती है.
– एक ग्लास पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर पीने से पित्त की समस्या दूर होती है.
– एक ग्लास ठंडे पानी में नींबू का रस मिलाकर सुबह पीने से कब्ज़ियत में बहुत लाभ होता है.
– नींबू के रस में सेंधा नमक मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित पीने से पथरी गल कर निकल जाती है.
3. अदरक
एंटीइंफ्लेमेट्री प्रॉपटीऱ्ज से भरपूर अदरक पेटदर्द व पेट संबंधी विकारों को दूर करने में मदद करता है. बुख़ार व गले में दर्द होने पर अदरक का सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है.
– अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से बैठी हुई आवाज़ खुलती है और सुरीली बनती है.
– अदरक और प्याज़ का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है.
– 4 ग्राम सोंठ का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मसूड़ों की सूजन तथा दांतों का दर्द दूर होता है.
– पतले दस्त होने पर अदरक कूटकर पानी में उबालें. फिर मरीज़ को वह पानी दिन में तीन बार पिलाएं. तुरंत लाभ होगा.
4. हींग
इसमें ऐसे इंफ्लेमेट्री ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जोे पेटदर्द, उल्टी, गैस, अपच जैसी समस्याओं को दूर करते हैं. पेटदर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर नाभि के आसपास लगाने से पेटदर्द और गैस में आराम मिलता है.
– हींग को शराब में खरल करके सुखा लीजिए. इसे दो रत्ती मक्खन के साथ खाने से खांसी, श्वास और दूषित कफ विकार में अत्यंत लाभ होता है.
– हींग, कपूर और आम की गुठली समभाग में लेकर पुदीने के रस में पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें. चार-चार घंटे पर यह गोली देने से हैजे में फ़ायदा होता है.
– हींग को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ले करने से दांत की पीड़ा दूर होती है. यदि दांत में पोल हो, तो पोल में हींग भरने से दंतकृमि मर जाते हैं और दांत की पीड़ा दूर हो जाती है.
5. मेथी
यह भी पेनकिलर का काम करती है.मेथी में ऐसे तत्व होते हैं, जो डायबिटीज़ को नियंत्रित करते हैं.
– पेट में जलन होने पर मेथी की सूखी पत्तियों और शहद को मिलाकर काढ़ा बनाएं. दिन में दो बार इसे पीने से पेट की जलन से राहत मिलती है.
– यदि स्किन प्रॉब्लम्स जैसे- रिंकल्स, ब्लैकहेड्स, पिंपल्स, ड्राईनेस आदि से परेशान हैं, तो मेथी की पत्तियों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं और क़रीब 20 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें.
– डिलीवरी के बाद महिलाओं को मेथी के लड्डू खाने को कहा जाता है. इससे प्रेग्नेंसी के बाद शरीर मज़बूत बनता है और कमज़ोरी महसूस नहीं होती. ब्रेस्टफीड करानेवाली महिलाओं के लिए मेथी के पत्तों की सब्ज़ी बहुत फ़ायदेमंद होती है. मेथी कैल्शियम का भी बेहतरीन स्रोत है.
6. नमक
गले में ख़राश और दर्द होने पर नमक मिले गरम पानी के गलारा करने से दर्द में आराम मिलता है. इसके अलावा नमक मिले पानी से नहाने पर थकान भी दूर होती है.
7. कॉफी
हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर में सूजन बढ़ानेवाली रक्त कोशिकाओं को कम करने में मदद करता है. इसके अलावा सिरदर्द होने पर कॉफी पीने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है.
8. कैलामाइन टी
इसे पीने से सिरदर्द, बॉडी पेन और तनाव दूर होता है.
9. लौंग
यह सिरदर्द, गठिया और दांत दर्द को दूर करने में मदद करता है.
10. चेरी
इसमें एंटीइंफ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज़ होने के कारण इसे ‘पावरहाउस ऑफ न्यूट्रीशन’ भी कहते हैं. चेरी में मौजूद एंथोकाइनिन नामक तत्व दर्द उत्पन्न करनेवाले एंज़ाइम्स को रोकने में मदद करता है. चेरी खाने से मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलता है. इसी वजह से खिलाड़ी भी अपनी डायट में चेरी जूस लेते हैं.
– अनुष्का कोठारी

मैं 32 वर्षीया कामकाजी व तलाक़शुदा महिला हूं. मुझे बच्चों का बहुत शौक़ है, इसलिए दोबारा घर बसाकर मां बनना चाहती हूं, पर इसमें कितना व़क्त लगेगा मुझे भी नहीं पता, इसलिए अपने एग्स को फ्रीज़ करके रखना चाहती हूं. क्या मुझे बता सकती हैं कि एग फ्रीज़िंग की प्रक्रिया में कितना व़क्त लगता है?
– रजनी ठाकुर, पुणे.
एग फ्रीज़िंग की प्रक्रिया में लगभग एक महीने का व़क्त लगता है, जिसमें पहले 2 हफ़्ते मेडिकेशन और अगले 2 हफ़्ते एग्स रिट्रिवल में लगते हैं. पहले 10-12 दिन मेडिकेशन में जाते हैं, जिसके दौरान 4-5 बार अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है. दो हफ़्ते बाद जब आपके एग्स मैच्योर हो जाते हैं और ओवरीज़ इसके लिए तैयार हो जाती हैं, तब डॉक्टर रिट्रिवल की प्रक्रिया शुरू करते हैं. इसके लिए आपको एक दिन की छुट्टी लेनी पड़ेगी, ताकि रिट्रिवल के बाद आप बेड रेस्ट ले सकें. आमतौर पर डॉक्टर यह प्रक्रिया वीकेंड पर रखते हैं, ताकि पेशेंट को आराम मिल सके.
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मैं 29 वर्षीया कामकाजी महिला हूं. पिछले कई सालों से पीरियड्स के दौरान मुझे काफ़ी दर्द होता था, तो मैं पेनकिलर ले लेती थी. पर जब ज़्यादा तकलीफ़ बढ़ी, तो गायनाकोलॉजिस्ट को दिखाया. उन्होंने चेकअप करके बताया कि मुझे एंडोमेटिरियोसिस है. यह क्या है, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.
– मनीषा राजभर, पटना.
यूट्रस की अंदरूनी लाइनिंग के टिश्यूज़ को एंडोमेट्रियम कहते हैं. जब ये टिश्यूज़ यूट्र्स के बाहर ओवरीज़ या पेल्विक एरिया में चले जाते हैं, तब उस अवस्था को एंडोमेटिरियोसिस कहते हैं. इसके सही कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. आमतौर पर यह 25-40 की उम्र की महिलाओं में होता है. इसके कारण महिलाओं को पेड़ू में और पीरियड्स के दौरान काफ़ी दर्द होता है. यह एक वंशानुगत समस्या है. ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के सेवन से इसके होने की संभावना कम हो जाती है.
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डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
[email protected]