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Personal hygiene
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प्री टीन यानी 9-12 साल की उम्र में बच्चों का शारीरिक विकास होने लगता है, ऐसे में उन्हें बॉडी हाइजीन का ख़ास ख़्याल रखने की ज़रूरत है, लेकिन अक्सर देखा गया है कि इस उम्र में बच्चे शरीर की साफ़-सफ़ाई के प्रति लापरवाही बरतने लगते हैं. अतः उन्हें जागरूक बनाने की ज़िम्मेदारी आपकी है.
प्यूबिक एरिया की सफाई
एक्सपर्ट्स प्यूबिक एरिया के बालों को काटना ज़रूरी बताते हैं. इस एरिया को साफ़ करने के लिए बच्चे लूफा का इस्तेमाल कर सकते हैं. लड़कियां दिन में 2-3 बार गर्म या ठंडे पानी से प्यूबिक एरिया की सफ़ाई कर सकती हैं. अगर आपकी बेटी को पीरियड्स शुरू हो चुके हैं तो उसे व्हाइट डिस्चार्ज भी होता होगा. ऐसे में हाइजीन का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. अपनी लाडली से दिन में दो बार अंडरवेयर चेंज करने को कहें. पीरियड्स के समय भी दो बार नैपकीन बदलनी ज़रूरी है. लड़कों को भी नहाते समय साबुन या एंटीसेप्टिक्स से प्यूबिक एरिया की सफ़ाई करनी चाहिए.
अंडर आर्म्स की सफाई
बॉडी हाइजीन को बनाए रखने के लिए अंडरआर्म्स के बालों को काटना ज़रूरी है, लेकिन इस उम्र में अपनी बेटी को वैक्सिंग और हेअर रिमूविंग क्रीम के इस्तेमाल से रोकें, क्योंकि इससे आपकी लाडली की त्वचा का रंग गहरा हो सकता है. साथ ही वैंक्सिंग के दौरान स्किन खिंचने से त्वचा में जलन और इं़फेक्शन की शिकायत हो सकती है. इसलिए बेहतर होगा कि उसके लिए आप बाज़ार से किड्स फ्रेंडली रेज़र या सेविंग क्रीम ले आएं. प्री टीन बच्चों को एंटी पर्सपीरैंट्स (दुर्गंधनाशक) से भी दूर रखें इसकी जगह डियोड्रेंट का इस्तेमाल करने के लिए कह सकती हैं. बाज़ार में ख़ासतौर से बच्चों के लिए 100 प्रतिशत एल्कोहल फ्री डियो मिलते हैं, लेकिन इसमें भी थोड़ी मात्रा में ट्राइक्लोज़न केमिकल होता है. दरअसल, ट्राइक्लोज़न बैक्टीरिया और फंगस को दूर रखता है लेकिन इसके ज़्यादा इस्तेमाल से शरीर के सीक्रेट हार्मोन्स को नुक़सान पहुंच सकता है. इसलिए विशेषज्ञ हाइजीन के लिए साफ़-सफ़ाई को ही सबसे कारगर तरीक़ा मानते हैं. वैसे आप अपने बच्चे को ख़ुशबूदार वेट वाइप्स दे सकती हैं. इसके अलावा फ्रेश फील के लिए टैलकम पाउडर भी यूज़ कर सकती है बशर्ते कि बच्चे को इससे इरिटेशन न हो.
सिखाएं नहाने का सही तरीका
बॉडी हाइजीन का पहला स्टेप है नियमित स्नान. अपने बच्चे को रोज़ाना दिन में कम-से-कम एक बार अच्छी तरह नहाने के लिए कहें. इसके अलावा जब भी वो खेलकर या कहीं बाहर से आए, तो उसे हाथ-पैर धोने को कहें. इस उम्र में शरीर की साफ़-सफाई पर ध्यान नहीं देने से तन की दुर्गंध की समस्या बढ़ जाती है. अंडरआर्म्स और प्युबिक एरिया में बालों की मौजूदगी भी तन की दुर्गंध के लिए ज़िम्मेदार है. दरअसल, प्युबर्टी की शुरुआत होते ही आर्मपिट्स और जेनिटल एरिया में मौजूद एपोक्राइन ग्लैंड्स के एक्टिव होने से इन जगहों पर तेल का स्राव होने लगता है, जिससे दुर्गंध फैलाने वाले बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. अतः इन जगहों की सफ़ाई पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है. आप बच्चे के लिए कोई भी फैमिली सोप इस्तेमाल कर सकती हैं. उसकी गंदी कोहनियों और घुटने पर नींबू रगड़ें. एक्सपर्ट्स हफ़्ते में 2-3 बार लूफा के इस्तेमाल की भी सलाह देते हैं.
चेहरे की देखभाल
इस उम्र के बच्चे अक्सर अपने पैरेंट्स की क्रीम और फेसवॉश आदि इस्तेमाल करने लगते हैं. यदि आपके फेसवॉश में हार्मफुल ग्रैन्यूल नहीं है, तो इसे इस्तेमाल करने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन उसमें अगर ग्रैन्यूल है तो इससे बच्चे को एक्ने की समस्या हो सकती है. ऐसे में विशेषज्ञ प्रोएक्टिव और क्लीअरसील जैसी एक्ने क्रीम लगाने की सलाह देते हैं. अगर क्रीम लगाने के दो हफ़्ते बाद भी एक्ने ठीक नहीं होता, तो डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लें. प्री टीन बच्चों को सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए लेकिन आपका बच्चा यदि ज्यादा देर तक धूप के संपर्क में रहता है, तो उसे एसपीएफ 15-20 युक्त सनस्क्रीन लगाने के लिए कहें.
बालों की देखभाल
क्या आपकी लाडली रोज़ाना शैंपू करती है? और बार-बार ब्रांड बदलती रहती है? अगर हां, तो ज़रा उसके बालों पर गौर करें कहीं वो रूख और बेजान तो नहीं हो गए? अपनी लाडली के बालों की देखभाल के लिए कंडीशनर युक्त अच्छी क्वालिटी का शैंपू रखें. इस बात का ध्यान रखें कि वो बार-बार शैंपू न बदलें. साथ ही हेयर फॉल कंट्रोल, डैमेज कंट्रोल और एंटी डैंड्रफ जैसे स्पेशलाइज़्ड शैंंपू का हफ़्ते में एक बार से ज़्यादा इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये बालों की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता. इसके अलावा किड्स शैंपू भी प्री टीन बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है. डर्मेटोलॉजिस्ट प्री टीन बच्चों के हेल्दी हेयर के लिए ऑयल मसाज की सलाह देते हैं. इससे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, लेकिन तेल लगाने के आधे घंटे बाद हेयर वॉश करना ज़रूरी है. क्योंकि तेल लगे बालों के साथ सोने से माथे पर पिंपल्स निकल सकते हैं.
पैरों की देखभाल
ज़्यादा देर तक जूते पहने की वजह से बच्चे के पैरों से अजीब-सी गंध आने लगती है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा अच्छी तरह पैर सूखने के बाद टैलकम पाउडर लगाकर ही जूता पहनें. साथ ही उसे हमेशा कॉटन के मोजे ही दें. इसके बाद भी अगर पैरों से बदबू आए, तो हफ़्ते में 2-3 बार जूते में कोई एंटी-फंगल पाउडर छिड़कें और जब बच्चा घर पर हो तो उसे जूते न पहनने दें.
होठों की देखभाल
कुछ बच्चे होंठों को हमेशा चाटते या चबाते रहते हैं जिससे उनके होंठ फट जाते हैं. ऐसे में जब वो घर पर हो तो उनके होंठों पर घी लगाएं. आप उसे ख़ुशबू रहित लिप बाम या पेट्रोलियम जेली भी दे सकती हैं, जिसे वो ज़रूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा फॉलिक एसिड, विटामिन बी, जिंक और आयरन की कमी भी होठों के आसपास की त्वचा को ड्राई बना देती है. इसलिए खाने में इन पोषक तत्वों का ध्यान रखें, लेकिन आपके बच्चे के होंठ अगर हमेशा ड्राई रहते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें.
नाखूनों की देखभाल
आजकल छोटे बच्चे भी बड़ों की देखा-देखी नाखून बढ़ाने लगे हैं. अगर आपका बच्चा भी ऐसा करता है, तो उसे ऐसा करने से रोकें क्योंकि बड़े नाखूनों में जमी गंदगी खाने के साथ उसके शरीर में जा सकती है. इसलिए समय-समय पर उसे नाखून काटने के लिए कहती रहें. उसे नाखून सीधा (स्ट्रेट) काटना सिखाएं फिर उसे नेल फाइल या एमरी बोर्ड की मदद से राउंड करने के लिए कहें. नाखूनों को एक ही दिशा में काटना चाहिए वरना वो टूट जाएंगे. नहाने के बाद हाथों के साथ ही नाखून व आस-पास की त्वचा पर भी मॉइश्चराइजर लगाना ज़रूरी है. इं़फेक्शन के ख़तरे को कम करने के लिए नाखून के आसपास की कटी-फटी त्वचा को काटकर अलग कर दें.
दातों की देखभाल
इस उम्र में बच्चे स्नैक्स और जंक फूड ज़्यादा खाने लगते हैं. अतः दांतों की सफ़ाई पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है. उन्हें कम से कम दो बार और यदि संभव हो तो हर बार खाने के बाद ब्रश करने के लिए कहें. बच्चे को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट दें. साथ ही हर 6 महीने में उसका डेंटल चेकअप करवाएं. ऐसा करने से कैविटी की समस्या शुरू होने से पहले ही रोकी जा सकती है. साथ ही अगर स्वस्थ दातों के लिए आपके बच्चे को एक्स्ट्रा फ्लोराइड या कुछ पोषक तत्वों की ज़रूरत होगी, तो डॉक्टर आपको बता देगा. साथ ही अगर आपके बच्चे के दांत टेढ़े-मेढ़े हैं, तो उसे ठीक करवाने का भी ये सही समय है.
बच्चों के पर्सनल हाइजीन के लिए एक्सपर्ट एडवाइस
- जब आपकी बेटी का साइज़ 30 हो, तो वो ब्रा पहन सकती है, लेकिन जब उसे 32 ए कप साइज़ की जरूरत पड़े, तो स्पोर्ट के लिए उसे रेग्युलर ब्रा का इस्तेमाल करना चाहिए.
- खेलते समय अपने बेटी को एक्स्ट्रा कंफ़र्ट के लिए स्पोर्टस ब्रा लाकर दें.
- किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचाने के लिए उसके साथ अपना मेकअप, हेयरब्रश या कंघी शेयर न करें.
- जब आपकी लाडली नेलपॉलिश यूज़ करने लगे, तो नेल पेंट उतारने के लिए उसे एसिटोन फ्री रिमूवर लाकर दें.
- अगर आपकी बेटी आर्टिफ़िशियल इयररिंग्स पहनना चाहती है, तो आप ख़ुद उसे पहनाएं ताकि आपको पता चल सके कि वो बहुत टाइट तो नहीं है. रात को सोने से पहले उसके इयररिंग्स ध्यान से निकाल दें.
- अपने बेटे को मूस और हेयर स्प्रे के इस्तेमाल से रोकें. अगर वो इनका इस्तेमाल करता है तो कुछ घंटों के अंदर ही बालों को शैंपू करने के लिए कहें.

मॉनसून में मौसम बेशक खुशनुमा हो जाता है, लेकिन साथ में लाता है ढेर सारी बीमारियां. मौसम में सावधानी नहीं बरती गई, तो वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, गले में संक्रमण और अन्य दूसरी बीमारियां होने खतरा बढ़ जाता है. लेकिन अगर इस मौसम में थोड़ी सी सावधानी बरती जाए, तो न सेहत बिगड़ेगी और मौसम का मज़ा भी ख़राब नहीं होगा. आइये हम आपको बताते है मानसून में कैसे रखें अपनी सेहत का ध्यान.
हेल्दी रहने के लिए क्या करें?
- पर्सनल हाइजीन का खास ख्याल रखें
बरसात के मौसम में सबसे पहले पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है. क्योंकि कई वायरस और बैक्टीरिया हमारे चारों तरफ़ फैले और छिपे हुए होते हैं, जिनकी ओर हमारा ध्यान बिलकुल नहीं जाता, और हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण इन वायरस और बैक्टीरिया की गिरफ़्त में आ जाता है. इसलिए हेल्दी डाइट के साथ-साथ पर्सनल हाइजीन का ध्यान भी जरूरी है.
2. अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें
जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती हैं, बीमारियां उन्हें जल्दी अपनी गिरफ़्त में ले लेती हैं. इसलिए आवश्यक है कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं. इम्युनिटी को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि विटामिन सी का सेवन बहुत अधिक मात्रा में किया जाए. अपनी डाइट में ड्राई फ्रूट्स, लहसुन, सब्जियां, फल और अनाज शामिल करें. ग्रीन टी पीने से भी इम्युनिटी मजबूत करने में मदद मिलती है.
3. साफ व सूखे कपड़े और जूते पहनें
पर्सनल हाइजीन के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि इस मौसम में साफ़ और सूखे कपडे तथा जूते पहनें। गीले कपडे और जूते पहनने से शरीर को ठण्ड लग सकती है और आपको सर्दी-जुकाम या फीवर भी हो सकता है.इसके अलावा नमी कपडे-जूते पहनने से बैक्टीरियल इंफेक्शन बह हो सकता है.
4. घर को साफ़-सुथरा रखें
बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी इकठ्ठा होने के कारण मच्छरों के लिए प्रजनन का खतरा और बढ़ जाता है, जिससे बीमारियां फैलने का डर रहता है, इसलिए अपने घर और घर के आसपास की जगह को साफ और सूखा रखें.
5. उबला हुआ पानी पिएं
बारिश के मौसम में दूषित पानी पीने से पेट संबंधी तकलीफें ओने का खतरा बढ़ जाता है. दूषित बीमारियों से बचने के लिए उबला हुआ पानी पिएं. कई शोधकर्ता इस बात को साबित कर चुके हैं कि गरम पानी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. साफ़ और शुद्ध पानी के लिए प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें अथवा पानी उबालकर पीना सबसे बेहतरीन उपाय है.
6. अस्थमा और डायबिटीज़ के खास ध्यान रखें
अस्थमा और डायबिटीज़ के मरीज़ों को इस मौसम में सतर्कता बरतनी चाहिए. बरसात के दिनों में वे लोग भीगी और नमी वाली दीवारों से दूर रहें. वरना दीवारों के फंगस उन्हें नुक़सानदायक पंहुचा सकते हैं.
7. रोज़ाना एक्सरसाइज करें
मॉनसून में जिम जाना मुश्किल होता है, लेकिन आलस करने की बजाय घर पर रहकर ही एक्सरसाइज करें. इंडोर एक्सरसाइज, जैसे- बर्प, स्क्वैट्स, पुश-अप,स्क्वाटस, स्किपिंग आदि करें. अगर इन्हें करने से बोरियत हो तो मेडिटेशन और योग भी कर सकते हैं.
8. हैंड हाइजीन का ध्यान रखें
स्कूल, कॉलेज और ऑफिस से आने के बाद और खाना खाने से पहले साबुन से हाथों को अच्छी तरह करें. ऐसा करने से कोई कीटाणु और जीवाणु आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगा. इसके अलावा हाथ धोने से पहले अपनी आँखें, नाक या कान न छुएँ.
9. बारिश में भीगने पर घर पहुंचने पर स्नान जरूर करें
बारिश में भीगने के बाद घर आकर साबुन लगाकर गरम पानी से स्नान करें. शरीर और बालों को सूखे टॉवल से पोछें. शरीर और बालों के गीले रहने पर सर्दी-खासी या बुखार आ सकता है.
10. ८-१० घंटे की अच्छी नींद लें
नींद पूरी नहीं पर चिड़चिड़ापन, सरदर्द और थकान महसूस होने लगती है, जिसका सीधा असर इम्युनिटी पर पड़ता है. इसलिए जरुरी है कि रोज़ाना ८-१० घंटे की अच्छी नींद लें.अच्छी नींद लेने पर शारीरिक और मानसिक तौर पर फ्रेश और एक्टिव महसूस होता है.
मॉनसून में बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो न करें ये काम
11. बारिश में भीगने से बचें
बारिश में भीगना सभी को अच्छा लगता है, लेकिन भीगने से वायरल, सर्दी-जुकाम, बदन दर्द करना नाक बहना, छींकें आना और गले में इंफेक्शन आदि तकलीफें हो सकती हैं. इसलिए बारिश में भीगने से बचें. भीगने के बाद तुरंत गर्म स्नान करें.
12. बाहर जाते समय अपने साथ रेनकोट और छाता ले जाना न भूलें.
13. रोड साइड पर स्टॉल लगाकर बैठे हुए हॉकर्स से स्ट्रीट फ़ूड लेकर न खाएं
बरसात के मौसम में ऑयली और स्पाइसी फ़ूड खाने का बहुत मन करता है. लेकिन सड़क किनारे बैठे हुए हॉकर्स से खरीदकर न खाएं. इस मौसम में बाहर का खाना खाने से बचें, रोड साइड फ़ूड खाने से पेट संबंधी बिमारियां होने खतरा हो सकता है. अच्छी तरह से पका हुआ, घर का बना भोजन और स्नैक्स ही खाएं.
14. गीला होने पर एसी सामने न बैठे
भीगने के बाद एसी वाले कमरे में भूलकर भी न बैठे. ऐसा करे से तबियत ख़राब हो सकती है. अच्छी तरह सूखने के बाद ही एसी रूम में जाएं
15. गंदे हाथों से बार-बार अपना चेहरा न छुएं
दिनभर के बाद जब शाम को घर लौटते हैं, तो आपके हाथों में सैकड़ों कीटाणु और जीवाणु छिपे होते हैं, जिनके बारे में हमने तनिक भी अंदाज़ा नहीं होता है. और हम गंदे हाथों से अपने मुंह, आंख, कान को छूतें हैं, जिसके कारण ये सूक्ष्मजीव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए बाहर के बाद सबसे पहले हाथ-पैरों धोएं
16. मच्छरों और कीड़े-मकोड़ों से बचें
रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और अपने घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाएं.
17. घर के आसपास पानी जमा न होने दें
बारिश के कारण जगह-जगह पानी भरना आम बात है. जिसके वजह से मच्छरों को पनपने का अवसर मिल जाता है, जो बीमारियों फैलने का मुख्य कारण बन सकता है. इसलिए बरसात के मौसम में खाली पड़े टैंक, टायर, कचरा के डिब्बे, बोतल, फ्लॉवर वास में पानी में जमा न होने दें.
18. बच्चों को बरसात के गंदे पानी में न खेलने दें
बारिश के गंदे पानी में खेलने से स्किन इंफेक्शन, सर्दी और गले में खराश, नाक बहना, छीकें आना और बुखार आने की संभावना बढ़ जाती है.
19. नियमित रूप से नाख़ून काटें
नाखूनों की जड़ों में गंदगी और जर्म्स भर जाते हैं, जो खाने के साथ पेट में चले जाते हैं, जिसके कारण पेटदर्द, मरोड़ सकता है .
20. बीमार लोगों के करीब जाने से बचें
मानसून में खुद को बीमारियों से बचाने का तरीका यह भी है कि बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें, ऐसा करके आप न केवल खुद को बीमार होने से बचा सकते हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी बीमार होने से रोक सकते हैं