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Petha
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त्योहारों का सीजन आ रहा है, पर मिठाई के बिना त्यहारों का मज़ा अधूरा है. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के चलते बाहर से मिठाइयां या स्नैक्स सामान भारी पड़ सकता है. ऐसे में अगर मिठाइयां के लिए सब्ज़ियों का इस्तेमाल लिया जाए तो कैसा रहेगा. वैसे भी पूरी दुनिया में स्वीट्स बनाने के लिए सब्ज़ियों का उपयोग तो किया ही जाता है. तो क्यों नहीं हम भी इस बार फेस्टिवल में बाहर से स्वीट्स खरीदने की बजाय घर पर ही बनाएं. हम आपको बताते हैं कैसे ?
1. कैरेट बर्फी (गाजर की बर्फी)
हम में से बहुत से लोगों को गाजर की सब्ज़ी पसंद नहीं होगी, लेकिन गाजर के हलवे का नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता है. गाजर के हलवे और गाजर की बर्फी में बस थोड़ा बहुत ही अंतर होता है. गाजर की बर्फी बनाने के किए पैन में कद्दूकस की हुई गाजर और दूध डालकर उसका दूध सूखने तक पका लें. फिर शक़्कर, इलायची पाउडर डालकर पकाएं। मिश्रण के एकसार होने पर मावा और देसी घी डालकर ३-४ मिनट भूनें. पैन के घी छोड़ने पर से उतार लें और चिकनाई लगी थाली में फैलाएं। एकसार होने पर कटे हुए पिस्ते से गार्निश करें और ५-६ घंटे तक सेट होने के लिए रखें। डायमंड की शेप में काट लें. गाजर की बर्फी को १-२ दिन पहले भी बनाकर रख सकते हैं. फ्रिज में रखने पर यह मिठाई ४-५ दिन तक ख़राब नहीं होती है. त्योहारों पर घर आये मेहमानों को सर्व करने का बेस्ट ऑप्शन है कैरेट बर्फी.
2. लौकी का हलवा
गाजर की तरह ज्यादातर लोगों को लौकी की सब्ज़ी अच्छी नहीं लगती है. लेकिन इस बार लौकी की सब्ज़ी की बजाय लौकी का हलवा बनाकर देखिए, इसका स्वाद आप भूल नहीं पाएंगे। वॉटरी वेजिटेबल होने के कारण यह टेस्टलेस होता है, इसमें कोई स्वाद हैं होता है, पर लौकी का हलवा बनाकर इसका स्वाद बढ़ाया जा सकता है. उत्तर भारत की लोकप्रिय मिठाइयों में से एक है लौकी का हलवा। इस मिठाई को खासियत है कि इस व्रत में भी खाया जा सकता है. इसे बनाने के लिए पैन में कद्दूकस की लौकी डालकर पानी सूखने तक भून लें. दूध, इलायची पाउडर और शक़्कर डालकर पकाएं। दूध के सूखने पर मावा डालकर भून लें. इच्छानुसार घी और कटे हुए मेवे डालकर भून लें. पैन के घी छोड़ने पर आंच से उतार लें. जिन लोगों को लौकी अच्छी नहीं लगती हैं, उनके लिए लौकी खाने का तरीका है.
3. पेठा
आगरे के पेठे का नाम तो हम सभी ने सुना है. यह भी कद्दू से बनाया जाता है. इसे बनाना भी बहुत आसान है. पेठे के छिलके निकालकर चौकोर टुकड़ों में काट लें. कांटे से गोद लें. नरम होने तक उबाल लें. चाशनी में डालकर सर्व किया जाता है. आप चाहे तो पेठे को अलग-अलग तरह का भी बना सकते हैं , जैसे अंगूरी पेठा और केसर पेठा। पेठे की खासियत है कि इसे बनाने के लिए ज्यादा सामान की जरूरत नहीं पड़ती है, आसानी से घर पर बनाया जा सकता है.
4. परवल की मिठाई
परवल की मिठाई बनाना आसान है. इसे पहले उबाला जाता है. छीलकर अंदर के बीज निकाल लें। शुगर सिरप में डुबोकर रखें। फिर इसमें मैश किया हुआ मावा भरें। ऊपर से इलायची पाउडर और कटे हुए बादाम-[पिस्ता से गार्निश करके मेहमानों को सर्व करें
5. बीटरूट कपकेक
बीटरूट सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन अधिकतर लोगों को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है. पर हम त्योहार के मौके पर आपको बीटरूट कप बना सकते हैं. कम शक्कर से बनाया हुआ यह कप केक आपको जरूर अच्छा लगेगा। इसे बनाने के लिए बीटरूट पेस्ट में मैदा, बटर, शक्कर, बेकिंग पाउडर, कोको पाउडर, तेल, नमक, दूध और डालकर फेंट लें. गाड़ा घोल बनाकर कप केक में डालें। प्री हीट अवन में सुनहरा होने तक बेक करें।
6. स्वीट पोटैटो ब्राउनी
स्वीट पोटैटो यानि शकरकंद की ब्राउनी सुनने में थोड़ी अजीब लगती है, पर खाने में उतनी ही टेस्टी होती है. शकरकंद को टुकड़ों में काटकर नरम होने तक उबाल लें. थोड़ा सा पानी मिलाकर मिक्सर में पीस लें. बाउल में शकरकंद का पेस्ट, ब्राउन शुगर, चावल का आटा, नमक, शहद और कोको पाउडर मिलाकर फेंट लें. इस चिकनाई लगी ट्रे में डालकर प्रीहीट अवन में ३०-४० मिनट तक बेक करें। ठंडा होने पर मन चाहे शेप में काटक्र मेहमानों को खिलाएं। जब तक आप बताएंगें नहीं, तब किसी को मालुम भी नहीं चलेगा कि यह शकरकंद की ब्राउनी है.
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पेठा (Health Benefits of Petha) में आयरन, विटामिन ए और बी हैं. वातशामक होने से इसका प्रयोग वात विकारों में किया जाता है. इसके सेवन से उन्माद व मानसिक समस्याएं दूर होती हैं. पेठे की सब्ज़ी पाचनशक्ति को बढ़ाती है, जिससे कब्ज़ की शिकायत दूर हो जाती है. पेठे के पाक के सेवन से मस्तिष्क के ज्ञानतंतुओं की दुर्बलता, याददाश्त की कमी आदि मानसिक विकार दूर होते हैं. जिन लोगों को सिरदर्द की शिकायत रहती है और जिन्हें मानसिक तनाव अधिक रहता है, उन्हें भी यह पाक शीघ्र लाभ पहुंचाता है.
* पेट और छाती की जलन, अम्लपित्त, उल्टी आदि समस्याएं होने पर पेठे का रस पीने या पेठे का साग बनाकर खाने से लाभ होता है.
* रक्तप्रदर की समस्या होने पर पेठे का साग घी में भूनकर खाएं या उसका रस निकालकर उसमें शक्कर मिलाकर पीएं. यह प्रयोग अधिक मासिक स्राव और रक्त की कमी में भी लाभकारी है.
* पेठे की सब्ज़ी और पेठे का चूर्ण नियमित सेवन करने से पीलिया की शिकायत दूर हो जाती है.
* अधिक पित्त के कारण होनेवाली बीमारियों में पेठे का पाक 2-2 टुकड़ा सुबह-शाम नियमित चबाकर खाने से लाभ होता है.
* 50 ग्राम पेठे के बीज को पानी के साथ पीसकर उसे पानी में घोलकर छान लें. फिर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर मरीज़ को पिलाने से पेट के भीतर चिपके छोटे-छोटे कीड़े निकल जाते हैं.
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* पेठे की गिरी को पीसकर नियमित सेवन करने से बल की वृद्धि होती है और शारीरिक कमज़ोरी दूर हो जाती है. पेठे का पाक बनाकर खाने से भी शरीर पुष्ट होता है.
* पेठे की लता की जड़ सुखाकर उसका कपड़छान चूर्ण बनाकर रख लें. इसे 2 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें थोड़ा-सा सोंठ चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से दमा और खांसी का दौरा शांत होता है.
* 5-5 लीटर पेठे का रस और गाय का दूध व 325 ग्राम आंवला चूर्ण लेकर धीमी आंच पर पकाएं. जब वह पककर पिंड-सा हो जाए, तो उसमें 325 ग्राम शक्कर मिलाकर रख लें.
इसे 25 से 40 ग्राम की मात्रा में नियमित कुछ दिनों तक सेवन करने से प्यास, अम्लपित्त, पीलिया, रक्तपित्त आदि रोग दूर होते हैं. गर्मी के मौसम में इसका सेवन अधिक लाभदायक होता है.
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उपयोगी पेठे का हलवा
100 ग्राम कद्दूकस किया हुआ पेठा लेकर उसे 50 ग्राम घी में भूनकर रख लें. फिर 2-2 ग्राम लौकी, पेठा, ककड़ी व तरबूज- प्रत्येक के बीज, 2-2 ग्राम बादाम, मखाना, चिरौंजी और इलायची- सबको एक साथ कूटकर भुने हुए पेठे में मिला दें और उसमें 50 ग्राम शक्कर मिलाकर घी में तलकर हलवा बना लें.
उपरोक्त हलवा छोटे बच्चों और विद्यार्थियों के मानसिक विकास के लिए, बुज़ुर्गों के सेहत के लिए बहुत लाभदायक है. इसको खाने से जलन, पित्त विकार, रक्तवात, प्रदर, मूत्र विकार आदि बीमारियां दूर होती हैं. इसका सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए.