कितना अजीब है ना दिसंबर और जनवरी का रिश्ता जैसे पुरानी यादों और नए वादों का क़िस्सा… दोनों काफ़ी नाज़ुक…
तुम मिल जाओगी किसी गली में तो कमाल हो जाएगा मगर पता है कि आज भी इस बात पर बवाल…
हे नारी! तू अबला नारी है क्यों हर युग में रही बेचारी है क्यों कभी रावण द्वारा चुराई गई फिर…
ढूंढे़ कोई हमें तो सिर्फ़ ठिकानों पर मिलते है ये बंजारापन देख के अब हम घर में नहीं मिलते मुझसे…
आई कार्तिक की पूर्णिमा लेकर ख़ुशियां हज़ार प्रतिवर्ष में एक दिन आता है ये पावन त्योहार आज दिन है गंगा…
जगमग जगमग दीप जलाओ शुभ दीपावली आई है सब मिलजुल ख़ुशी मनाओ संग कितनी ख़ुशियां लाई है पाँच दिनों का…
श्रम-निष्ठा जो हो सच्ची, माँ मेरे द्वारे तुम आना, आत्मा को तृप्त करें, वरदान मुझे वो दे जाना। युक्ति की…
बहुत ज़रूरी काम है ये, भाई मेरे मत झुठलाना इक बेटी की हंसी खो गई, कहीं मिले तो बतलाना ओढ़…
* रँगा अम्बर नील वर्ण में सूरज ने छिटका अबीर गुलाल हरसिंगार से झरा रँग नारंगी झूम उठी महुए की…
चाय में घुली चीनी सी मीठी बातें बिस्कुट सी कुरकुरी आ जाती हैं होंठों पर तैरती रहती हैं कमरे में…
पुरुष खोदता है कुआं स्त्री खिंचती है पानी पुरुष डालता है बीज स्त्री सिंचती है पौधा पुरुष उगता है सूरज…