जब से कैब यानी नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हुआ है, तब से इसके पक्ष-विपक्ष में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, इसमें फिल्मी कलाकार भी पीछे नहीं. इस पर सोनी राजदान से लेकर परेश रावल तक ने अपनी दिल की बात कही…
आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने पति महेश भट्ट का साथ देते हुए कैब का विरोध किया है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारत का अंत हो रहा है… पता नहीं कैसे लोगों को देश के प्रति इस तरह की नासमझीभरी राय रखने की हिम्मत हो जाती है. एक तरफ़ तो आप देश के अंत की बात करती हैं, दूसरी तरफ़ उससे प्यार का भी दंभ भरती है. इस तरह का विरोधाभास कहां तक जायज़ है?
This is the end of the India we all know and love. Or at least for many of us who do. 💔 https://t.co/qgMalHOZ1U
ऐसे में हमेशा अपनी बातों से सनसनी फैलानेवाली स्वरा भास्कर कहां पीछे रहनेवाली थीं. उन्होंने तो कठोर शब्दों में इसके ख़िलाफ़ कड़वाहट उगली. हमेशा की तरह उनके बिगड़े बोल का सिलसिला इस मुद्दे पर भी खुलकर सामने आया. आख़िर वे हेलो हिंदू पाकिस्तान… जैसी बात भला कैसे कह सकती हैं. वे ख़ुशनसीब हैं कि भारत में रहती हैं, वरना उनकी बातों पर दूसरे क्या करते यह तो वे ख़ुद भी बख़ूबी जानती हैं.
“(In India..) Religion is not basis of citizenship. Religion cannot be the basis of discrimination. And the state cannot take decisions based on religion. CAB pointedly excludes Muslims..” – in NRC/CAB project Jinnah is reborn! Hello Hindu Pakistan! 🙏🏿 🇮🇳 https://t.co/aVkmolFx2L
बिग बॉस विनर मॉडल व एक्ट्रेस गौहर ख़ान ने तो इस तरह से दुख प्रकट किया, मानो लोकतंत्र ख़तरे में पड़ गया है और उन्हें देश निकाला का फरमान दे दिया गया है. ऋचा चड्ढा ने भी इस विधेयक पर अपना रोष प्रकट करते हुए कठोर बात कही. भला देश को भगवान ही बचाए… कहकर वे क्या साबित करना चाहती थीं?
किसी भी मुद्दे पर बात करना, अपनी बात रखना, स्वीकार करना, विरोध करना सब कुछ सही है, पर एक मर्यादा और सीमा में. यह भारत जैसे लोकतंत्र में ही इस तरह की खुली छूट मिली हुई है कि जिसे जो चाहे देश, संविधान, क़ानून, प्रधानमंत्री के बारे में कह देता. एक तरह से देखा जाए, तो इस तरह से विरोधपूर्ण बातें कहकर वे ख़ुद के व्यक्तित्व को भी परिभाषित करते रहते हैं.
इसी कड़ी में परेश रावल भला कहां पीछे रहनेवाले थे. उन्होंने जहां नागरिकता संशोधन बिल ((उळींळूशपीहळि आशपवाशपीं इळश्रश्र) का समर्थन किया, वहीं सर्दियां आ रही हैं… एनआरसी आनेवाला है… जैसी बात कह माहौल को और भी अर्थपूर्ण व दिलचस्प बना दिया है.
नागरिकता संशोधन बिल में कुछ विरोध तो ख़ूब कर रहे हैं, पर शायद उन लोगों ने भारत के गृहमंत्री अमित शाह के बातों को न तो ठीक से सुना और न ही उसकी गहराई को समझ पाए. उन्होंने अपनी बात में यह स्पष्ट कर दिया था कि इस बिल के द्वारा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए सिख, ईसाई, हिंदू, पारसी, जैन व बौद्ध धर्म को माननेवाले लोगों को भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. विरोध करें, पर जो सभी के हित में सही बात है, उसे भी तो समझने की कोशिश करें. आपकी क्या राय है, हमें ज़रूर बताएं.
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) एक मज़बूत शख़्सियत, एक प्रखर नेता, पूर्व विदेश मंत्री, महान राजनीतिज्ञ अब हमारे बीच नहीं रही. 6 अगस्त मंगलवार की रात उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई. उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया और देर रात ह्रदयघात से उनका निधन हो गया.
वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं, इसी कारण वे साल 2019 के चुनाव में भी शामिल नहीं हुईं. साल 2016 में एम्स में ही उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. हमसे जुदा होने से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाया जाने पर अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर पर दी थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को धन्यवाद दिया था.
उनके निधन पर मोदीजी भी ग़मगीन हो गए- भारतीय राजनीति में एक शानदार अध्याय का समापन हो गया. भारत ऐसे नेता के निधन पर शोक व्यक्त करता है, जिन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक सेवा और गरीबों के जीवन को समर्पित किया..
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान- ईश्वर से दिवगंत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने की प्रार्थना करता हूं. आप अपने जनसहयोग और राष्ट्र उत्थान के कार्यों के माध्यम से देश और दुनिया के लोगों के दिलों में सदैव ज़िंदा रहेंगी. विनम्र श्रद्धांजलि..
महाराष्ट्र सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे- फूल नहीं चिंगारी है ये भारत की नारी है.. इस नारे को बदलकर फूल भी है चिंगारी है ये भारत की नारी है.. करनेवाली हमारी फूल सी कोमल और चिंगारी सी तेजस्वी नेता आज हमें छोड़कर चली गई. तीव्र दुख और वेदना का भाव हैं शब्द नहीं मेरे पास…
उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने सुषमाजी के न रहने को देश के लिए एक बहुत बड़ा क्षति बताया. उन्होंने उन्हें याद करते हुए उनके बेहतरीन वक्ता, कर्मठ महिला नेता, अद्भुत महिला होने की सराहना की.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडवनीस को तो सदमा-सा लगा. उन्होंने सुषमाजी के देहांत को व्यक्तिगत क्षति बताई.
खेल मंत्री किरण रिजीजू की राय भी उनसे अलग न थी. उनके अनुसार, सुषमाजी सही मायने में भारत की मातृभूमि के लिए जीती रही हैं.
नितिन गडकरी- सुषमा स्वराजजी के दुखद निधन से मुझे गहरा आघात लगा है. उन्होंने हमेशा मुझे बड़ी बहन का स्नेह दिया और संगठनात्मक सलाह देकर राजनीतिक अभिभावक का फ़र्ज़ निभाया.
अभिनेता अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, परेश रावल, किरण खेर, गौतम गंभीर, विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ-साथ देश-विदेश के जाने-माने राजनीतिज्ञ व शख़्सियतों ने भी अपनी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि अर्पित की.
राजनीति में आने से पहले वे सुप्रीम कोर्ट में वकील के पद पर भी रहीं. साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद उन्हें विदेश मंत्री का पद सौंपा गया. उन्होंने कई बार विदेशों में फंसे भारतीयों को सकुशल घर वापसी कराई. विदेशों में रह रहे भारतीयों को जब कभी भी परेशानी हुई, फिर चाहे वो वीज़ा की समस्या हो, विदेश में मुश्किल में फंसे हो या फिर अन्य दुविधाएं, सुषमाजी हमेशा ही स्वदेशी व प्रवासी सभी की तहेदिल से मदद करती थीं.
सुषमाजी की जीवन यात्रा…
* सुषमा स्वराज ने अपने उल्लेखनीय कार्य, चुनौतीपूर्ण फैसलों, बेबाक़ बयान से भारत की विदेश मंत्री के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई थीं.
* हर कोई उनकी तेजस्विता, दमदार आवाज़, गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित रहा है.
* उन्हें देश की पहली महिला विदेश मंत्री होने का गौरव हासिल है.
* सुषमाजी का जन्म अंबाला कैंट (हरियाणा) में 14 फरवरी, 1953 में हुआ था.
* यहीं के एसडी कॉलेज से उन्होंने बीए व चंडीगढ़ से लॉ की डिग्री हासिल की.
* वे लगातार तीन साल तक एनसीसी की बेस्ट कैडेट व राज्य की श्रेष्ठ वक्ता रहीं.
* साथ ही पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें सर्वोच्च वक्ता के रूप में भी सम्मानित किया गया.
* पढ़ाई के बाद उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में ज़ोर-शोर से हिस्सा लिया.
* साल 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उन्होंने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया.
* सुषमाजी सात बार सांसद, तीन बार विधायक रहीं.
* वे पूर्व केंद्रिय मंत्री व साल 1988 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं.
* उन्होंने साल 1977 में चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में 25 वर्ष की उम्र में ही राज्य की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया.
* साथ ही 27 साल की उम्र में वे जनता पार्टी (हरियाणा) की प्रमुख भी बनी थीं.
* वे भारतीय संसद की एकमात्र महिला सांसद हैं, जिन्हें ‘असाधारण सांसद’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
* वे भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री रही हैं.
* 1975 में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट स्वराज कौशल से उनका विवाह हुआ.
* सुषमा स्वराज और उनके पति स्वराज को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने विशेष कपल के रूप अपने बुक में स्थान दिया है.
* उनकी बेटी बांसुरी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री व इनर टैम्पल में वकालत की डिग्री ली है. फ़िलहाल वे दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रही हैं.
* उनकी जीजिविषा व अदम्य साहस का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी किडनी फेल होने की सूचना उन्होंने ख़ुद ट्विटर पर दी थी.
* उनमें आक्रामकता व सौम्यता का बेज़ोड़ संगम देखने को मिलता है.
* ये सुषमाजी के प्रभावशाली भाषण का ही कमाल है कि अक्सर संसद में विपक्ष भी उनकी तारीफ़ करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
* वे एक बेहतरीन वक्ता हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. तभी तो पाकिस्तान से भारतीय महिला गीता को लाने की मुहिम हो… ट्विटर पर गुहार लगानेवाले ज़रूरतमंदों की मदद करनी हो या फिर पाकिस्तान को लेकर साहसपूर्ण विवादास्पद बयान ही क्यों न हो… वे हर बार अपने एक्शन-रिएक्शन से हर किसी को चौंका देती थीं. साथ ही अपनी मधुर मुस्कान से सभी का दिल भी जीत लेती थीं.
* सुषमाजी हमेशा हर देशी-विदेशी को उचित मदद मुहैया करवाने के लिए तत्पर रही थीं. उनका यही सहयोगपूर्ण रवैया उन्हें ख़ास व आदरणीय बनाता है.
अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर प्रतिक्रिया, आख़री उद्गार-
प्रधानमंत्रीजी- आपका हार्दिक अभिनंदन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी..
Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime…
भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराजजी का योगदान अमर रहेगा. मेरी सहेली की तरफ़ से भावभीनी श्रद्धांजलि!…
हर बहन की यह ख़्वाहिश रहती है कि उसकी राखी सबसे अलग हो. इसी कारण रक्षाबंधन के दिन बहन भाई को सबसे सुंंदर राखी बांधने के लिए तमाम मेहनत-मशक्कत करती है. इस बार हर तरह की रंग-बिरंगी राखियों के अलावा फेंगशुई व ईको फ्रेंडली राखियों की सबसे अधिक मांग रही. इन राखियों की ख़ासियत यह है कि ये ख़ूबसूरत व आकर्षक होने के साथ-साथ सेहत व पर्यावरण के नज़रिए से भी हितकर हैं. सभी को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं!
नेताओं को सोशल मीडिया पर प्रचार की मनाही
देश के निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए गाइडलाइंस जारी की है. इसमें सबसे अहम् बात यह है कि राजनीतिक पार्टियां इलेक्शन के समय प्रचार के लिए सोशल मीडिया, जैसे- फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप आदि का इस्तेमाल नहीं करेंगे. अब नेताओं को चुनाव आयोग को अपनी अन्य सभी जानकारियों के अलावा अपना मोबाइल फोन नंबर, सोशल साइट्स अकाउंट, ईमेल आईडी आदि की भी विस्तृत जानकारी देनी होगी.
अमेरिकी कंपनी ऐपल ने अपने ऐप स्टोर को सेफ और बेहतरीन बनाए रखने के लिए चीन के ऐप स्टोर से २५ हज़ार ऐप हटा दिए हैं. ये सभी अवैध ऐप थे, जो फर्जी लॉटरी टिकट्स के साथ-साथ गैंबलिंग किया करते थे. पिछले साल भी कंपनी ने कम से कम सात सौ वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस ऐप्स को अपने ऐप स्टोर से हटा दिया था.
पति पर अश्लील मैसेज भेजने का इल्ज़ाम
बैतूल निवासी एक पत्नी ने अपने पति द्वारा अश्लील-गंदे मैसेज भेजकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पति अजय को स्किन की बीमारी हो गई है. इस कारण पत्नी यह कहकर मायके चली गई कि जब तक वो ठीक नहीं हो जाता, वो मायके ही रहेगी. इस पर पति ने पत्नी की भाभी के फोन पर वाहियात संदेश भेजने के अलावा जान से मारने की धमकी भी दी. पुलिस ने अजय को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया. कोर्ट ने भी उसकी जमानत की याचिका को खारिज कर दिया.
खिलाड़ियों का बेहतरीन प्रदर्शन
एशियन गेम्स में खिलाड़ियों की मेहनत-लगन दिनोंदिन रंग ला रही है. हर रोज़ पदकों में इजाफा हो रहा है. घुडसवारी में सिंगल इवेंट में फुआद मिर्ज़ा ने रजत पदक जीता. इसी में टीम इवेंट में भी भारत ने रजत जीता. इसमें जितेंद्र सिंह, राकेश कुमार, आशीष मलिक व फुआद मिर्ज़ा का प्रदर्शन लाजवाब रहा. अब तक ७-७ गोल्ड-सिल्वर व १७ ब्रॉन्ज़ मेडल के साथ भारत की झोली में ३१ पदक आ चुके हैं. बैडमिंटन में दोहरी ख़ुशी हाथ लगी, क्योंकि साइना नेहवाल व पीवी सिंधु ने सेमीफाइनल में पहुंचकर दो पदक पक्के कर लिए हैं. हिमा दास और मुहम्मद अनस ने ४०० मीटर दौड़ में सिल्वर पर कब्ज़ा किया. सभी खिलाड़ियों को उनके बेहतरीन योगदान के लिए बधाई!
– ऊषा गुप्ता
बर्थडे स्पेशल: कोमल मन और अटल इरादे… जानें अटलजी की ये दिलचस्प बातें… (Birthday Special: Happy Birthday Atal Bihari Vajpayee)
मन से कवि और कर्म से राजनेता, जी हां, यही पहचान है अटल बिहारी वाजपेयी की. अटलजी उन चंद राजनेताओं में से एक हैं, जिन्हें अपनी पार्टी के साथ-साथ विपक्षी दल भी उतना ही प्यार करते रहे हैं. उनका क़द इतना बड़ा है कि हर कोई उन्हें अदब और सम्मान की नज़र से देखता है.
– अटलजी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था.
– उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक कवि और स्कूल मास्टर के तौर पर की थी.
– आगे चलकर वो पत्रकारिता से जुड़े और फिर राजनीति में इस सितारे का आगमन हुआ.
– 1939 में वो स्वयंसेवक की तरह आरएसएस में शामिल हुए.
– वो भारत के प्रधानमंत्री भी बने और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने काफ़ी सराहनीय काम किए.
– अटलजी और उनके पिताजी ने एक साथ लॉ की पढ़ाई की, यहां तक कि उन्होंने होस्टल का रूम भी शेयर किया.
– 1957 में उन्होंने अपना पहला लोकसभा इलेक्शन यूपी की दो सीटों से लड़ा, जहां मथुरा में उन्हें हार मिली और बलरामपुर से जीत.
– उनकी वाकशक्ति यानी बोलने की कला व तर्कशक्ति से जवाहरलाल नेहरू भी इतने प्रभावित थे कि उन्होंने बहुत पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि एक दिन अटलजी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे.
– 1977 में वो मोरारजी देसाई मिनिस्ट्री में एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्टर बने थे और जब वो ऑफिस पहुंचे, तो देखा उनके कैबिन से पंडित नेहरू की तस्वीर गायब थी. इस पर उन्होंने कहा कि उनकी तस्वीर उन्हें वापस चाहिए.
– हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान व पहचान दिलाने का श्रेय अटलजी को ही जाता है, UN में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो यूनाइटेड नेशन में हिंदी में भाषण देनेवाले पहले शख़्स बने.
– वो तीन बार भारत के प्रधामंत्री बने- पहली बार 16 मई 1996 को 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 19 मार्च 1998 को 13 महीनों के लिए और फिर तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 को पूरे 5 साल के लिए. – मेरी सहेली की ओर से अटलजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं.
– अटलजी की कविता, जो अक्सर वो गुनगुनाते हैं…
1 गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,
टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ ।
गीत नही गाता हूँ ।
लगी कुछ ऐसी नज़र,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ ।
गीत नहीं गाता हूँ ।
पीठ मे छुरी सा चाँद,
राहु गया रेखा फाँद,
मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ ।
गीत नहीं गाता हूँ
2 मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, ग़ैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना.
बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल और भाजपा सांसद हेमा मालिनी अब गायिकी के क्षेत्र में कदम रखने जा रही हैं. जन्माष्टमी के पावन मौक़े पर हेमा मालिनी अपना एक भजन एल्बम जुहू के एस्कॉन मंदिर में लॉन्च करेंगी. गोपाल को समर्पण नाम के इस एल्बम में 8 ट्रैक्स होंगे.
हेमा मालिनी एल्बम को रिकॉर्ड करने से पहले काफ़ी नर्वस थीं, क्योंकी दूसरी ज़िम्मेदारियों के साथ रिहर्सल के लिए टाइम निकाल पाना मुश्किल था. लेकिन उन्होंने एक बेहतरीन एल्बम रिकॉर्ड किया है.
भजन के म्यूज़िक तो कंपोज़ किया है पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद पंडित जसराज, पंडित शिवकुमार शर्मा और राजन व साजन मिश्रा ने, जबकि इन आठों भजन को लिखा है कवि नारायण अग्रवाल ने. हेमा मालिनी इस एल्बम का सारा श्रेय नारायण अग्रवाल को देती हैं, क्योंकि उन्होंने ने ही भजन गाने के लिए हेमा मालिनी को राजी किया था.
6 महीने की रिहर्सल के बाद इस एल्बम को लता मंगेशकर स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया. इस भजन में कुछ लाइने ब्रज भाषा में भी हैं.
वैसे गायिकी हेमा मालिनी के लिए नई नहीं है, इससे पहले वो साल 1977 में किशोर कुमार के बंगाली गाने गुन गुन कोरे जे मोन… गा चुकी हैं.बाबुल सुप्रियो के साथ भी उन्होंने अजी सुनिए तो जरा नाम के म्यूज़िक एल्बम में अपनी आवाज़ दी थी.
* सुषमा स्वराज ने अपने उल्लेखनीय कार्य, चुनौतीपूर्ण ़फैसलों, बेबाक़ बयान से भारत की विदेश मंत्री के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है.
* हर कोई उनकी तेजस्विता, दमदार आवाज़, गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित रहा है.
* उन्हें देश की पहली महिला विदेश मंत्री होने का गौरव हासिल है.
* सुषमाजी का जन्म अंबाला कैंट (हरियाणा) में 14 फरवरी, 1953 में हुआ था.
* यहीं के एसडी कॉलेज से उन्होंने बीए व चंडीगढ़ से लॉ की डिग्री हासिल की.
* वे लगातार तीन साल तक एनसीसी की बेस्ट कैडेट व राज्य की श्रेष्ठ वक्ता रही हैं.
* साथ ही पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें सर्वोच्च वक्ता के रूप में भी सम्मानित किया गया.
* पढ़ाई के बाद उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में ज़ोर-शोर से हिस्सा लिया.
* साल 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उन्होंने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया.
* सुषमाजी सात बार सांसद, तीन बार विधायक रह चुकी हैं.
* वे पूर्व केंद्रिय मंत्री व साल 1988 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं.
* उन्होंने साल 1977 में चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में 25 वर्ष की उम्र में ही राज्य की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया.
* साथ ही 27 साल की उम्र में वे जनता पार्टी (हरियाणा) की प्रमुख भी बनी थीं.
* वे भारतीय संसद की एकमात्र महिला सांसद हैं, जिन्हें ‘असाधारण सांसद’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
* वे भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री रही हैं.
* 1975 में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट स्वराज कौशल से उनका विवाह हुआ.
* सुषमा स्वराज और उनके पति स्वराज को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने विशेष कपल के रूप अपने बुक में स्थान दिया है.
* उनकी बेटी बांसुरी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री व इनर टैम्पल में वकालत की डिग्री ली है. फ़िलहाल वे दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रही हैं.
* उनकी जीजिविषा व अदम्य साहस का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी किडनी फेल होने की सूचना उन्होंने ख़ुद ट्विटर पर दी.
* उनमें आक्रामकता व सौम्यता का बेज़ोड़ संगम देखने को मिलता है.
* ये सुषमाजी के प्रभावशाली भाषण का ही कमाल है कि अक्सर संसद में विपक्ष भी उनकी तारीफ़ करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
* वे एक बेहतरीन वक्ता हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. तभी तो पाकिस्तान से भारतीय महिला गीता को लाने की मुहिम हो… ट्विटर पर गुहार लगानेवाले ज़रूरतमंदों की मदद करनी हो या फिर पाकिस्तान को लेकर साहसपूर्ण विवादास्पद बयान ही क्यों न हो… वे हर बार अपने एक्शन-रिएक्शन से हर किसी को चौंका देती हैं. साथ ही अपनी मधुर मुस्कान से सभी का दिल भी जीत लेती हैं.
* सुषमाजी हमेशा हर देशी-विदेशी को उचित मदद मुहैया करवाने के लिए तत्पर रही हैं. उनका यही सहयोगपूर्ण रवैया उन्हें ख़ास व आदरणीय बना देता है.
– ऊषा गुप्ता
1 जनवरी 1971 में जन्मे तेज़-तर्रार और होनहार ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia) स़िर्फ एक राजनेता ही नहीं, बल्कि हर उस युवा वर्ग का प्रतीक हैं, जिनमें हुनर भी है और आगे बढ़ने का जौहर भी.
मध्य प्रदेश के सिंधिया राज घराने से ताल्लुक रखनेवाले ज्योतिरादित्य कांग्रेस पार्टी में हैं, उनके पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया भी कांग्रेस में थे, जबकि उनकी दादी और उनकी बुआ वंसुधरा राजे सिंधिया ने भाजपा में अपने राजनीतिक करियर को संवारा.
ज्योतिरादित्य ने देहरादून के दून स्कूल से शिक्षा लेने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1993 में इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन किया. वर्ष 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रैजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस से एमबीए की डिग्री हासिल की.
ज्योतिरादित्य ने गुना डिस्ट्रिक्ट से लगातार तीन बार लोकसभा के लिए चुनाव जीता और केंद्र में मंत्री भी बने.
इस बीच चुनावी जंग में कई बार वो अपने भाषणों और राजसी अंदाज़ को लेकर विवादों का हिस्सा भी बने, लेकिन वो एक पॉप्युलर नेता हैं और लोग उन्हें काफ़ी पसंद करते हैं.
उनके अंदाज़ और उनके व्यक्तित्व के सभी कायल हैं और उनमें भविष्य के एक होनहार नेता की छवि देखते हैं.
हमारी तरफ़ से भी यंग-डायनैमिक लीडर ज्योतिरादित्य सिंधिया को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!