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Pooja Bedi
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शादी को सफल और खुशहाल बनाने के लिए दो लोगों की ज़रूरत होती है. कई शादियां ज़िंदगी भर चलती हैं, जबकि कई रिश्ते ऐसे भी होते हैं, जिसमें एक समय के बाद दरार आने लगती है, लिहाजा कपल एक-दूसरे से अलग होना ही बेहतर समझते हैं. वैसे तो बॉलीवुड में प्यार, शादी और ब्रेकअप बहुत बड़ी बात नहीं है. चकाचौंध से भरी इस ग्लैमर इंडस्ट्री में अक्सर लिंकअप और ब्रेकअप की खबरें सुनने को मिल ही जाती हैं.
इस इंडस्ट्री में कई ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने एक रिश्ते में नाकाम होने के बाद किसी और को अपना हमसफर चुन लिया, लेकिन उनकी पत्नियों ने सिंगल रहना ही बेहतर समझा. चलिए जानते हैं बॉलीवुड स्टार्स की ऐसी ही पत्नियों के बारे में जो तलाक के बाद सिंगल हैं.
1- जेनिफर विंगेट
करण सिंह ग्रोवर ने एक बार नहीं, बल्कि तीन बार शादी की है. सबसे पहले उन्होंने 2008 में श्रद्धा निगम के साथ शादी की, लेकिन 2009 में तलाक हो गया. इसके बाद करण ने 2012 में जेनिफर विंगेट से शादी की, लेकिन 4 साल बाद बिपाशा बसु के लिए उन्होंने जेनिफर को तलाक दे दिया और बिपाशा से साल 2016 में शादी कर ली. तलाक के बाद जेनिफर अब भी सिंगल हैं. यह भी पढ़ें: अपने खाली समय को खास बनाने के लिए जानें क्या करते हैं बॉलीवुड के ये सितारे (Bollywood Stars Do These Things To Make Their Spare Time Special)
2- करिश्मा कपूर
करिश्मा कपूर ने अपने बचपन के दोस्त संजय कपूर से साल 2003 में शादी की थी. शुरुआत में कपल के बीच सब कुछ ठीक था और दोनों दो बच्चों के पैरेंट्स भी बने, लेकिन कुछ साल बाद उनके रिलेशनशिप में कड़वाहट आने लगी और साल 2016 में उनका तलाक हो गया. तलाक के बाद संजय कपूर ने प्रिया सचदेव से शादी कर ली, लेकिन करिश्मा अब भी सिंगल हैं.
3- अमृता सिंह
सैफ अली खान ने साल 1991 में अपने परिवार से बगावत करके अपने से 12 साल बड़ी अमृता सिंह से शादी कर ली थी. शादी के बाद कपल दो बच्चों के पैरेंट्स बनें, लेकिन शादी के 13 साल बाद कपल के रिश्ते में कड़वाहट आने लगी और कपल का 2004 में तलाक हो गया. साल 2012 में एक्टर ने करीना कपूर खान से शादी कर ली, लेकिन अमृता ने दोबारा शादी नहीं की.
4- रीना दत्ता
आमिर खान और रीना दत्ता ने अपने परिवार वालों की मर्ज़ी के खिलाफ शादी कर ली, लेकिन 16 साल बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे और दोनों ने आपसी सहमति से 2002 में तलाक ले लिया. आमिर ने किरण राव से साल 2005 में शादी कर ली, लेकिन रीना ने अपने दोनों बच्चों की परवरिश के लिए सिंगल रहने का फैसला किया.
5- पूजा बेदी
पूजा बेदी और फरहान फर्नीचरवाला ने साल 1994 में शादी की थी और शादी के बाद दो बच्चों के पैरेंट्स बनें, लेकिन कुछ साल बाद उनकी शादीशुदा ज़िंदगी में भूचाल आने लगा. आखिरकार कपल ने 2003 में तलाक ले लिया. फरहान ने 2010 में अभिनेता फ़िरोज़ खान की बेटी फातिमा से शादी कर ली, जबकि पूजा ने सिंगल रहने का विकल्प चुना. यह भी पढ़ें: अभिनेत्रियों के मंगलसूत्र ने जीता सबका दिल; वेडिंग ऑउटफिट की तरह मंगलसूत्र डिज़ाइन भी हुए हिट (Bollywood Actresses who flaunted Intricate Yet Trendy Mangalsutra after their Wedding)
6- आरती बजाज
अनुराग कश्यप और आरती बजाज कॉलेज के दिनों से एक-दूसरे को चाहते थे. करीब 9 साल की डेटिंग के बाद दोनों से शादी कर ली, लेकिन समय के साथ दोनों के रिश्ते से प्यार खत्म होने लगा और 2009 में दोनों का तलाक हो गया. आरती तलाक के बाद भी अकेली ही रहीं, लेकिन अनुराग को कल्कि कोचलिन से प्यार हो गया और साल 2011 में दोनों ने शादी कर ली. हालांकि शादी के बाद दो साल बाद कल्कि और अनुराग अलग रहने लगे और 2015 में दोनों का तलाक हो गया.

जो जीता वही सिकंदर के ज़रिये बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बननेवाली पूजा बेदी इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं और हो भी क्यों न उन्होंने दोबारा शादी का फ़ैसला जो कर लिया है. जी हां, पिछले 16 सालों से पूजा बेदी बतौर सिंगल मदर अपने दोनों बच्चों की परवरिश कर रही हैं, ऐसे में मानेक कॉन्ट्रैक्टर के रूप में उन्हें दोबारा प्यार मिला है. पिछले साल वैलेंटाइन्स डे पर दोनों ने सगाई भी कर ली है और अब लगता है, जल्द ही शहनाइयां भी बजेंगी.
पूजा बेदी के दो बच्चे हैं. बेटी अलाया और बेटा ओमर. अलाया फर्नीचरवाला ने हाल ही में सैफ अली ख़ान के साथ फिल्म जवानी जानेमन में नज़र आईं थी, जहां उन्होंने सैफ की बेटी का किरदार निभाया था. हाल ही में एक इंटरव्यू में पूजा बेदी ने बताया कि मेरे बच्चे चाहते हैं कि मैं भी औरों की तरह शादी करके लाइफ में सेटल हो जाऊं. वो हमेशा मुझे कहते हैं कि आप भी किसी के साथ लाइफ में सेटल हो जाओ, जिस तरह उनके पापा सेटल हो गए हैं.
पूजा ने बताया कि मानेक से मिलने से कुछ दिनों पहले से बच्चे मुझे शादी करने के लिए कह रहे थे. उनके इस प्रपोज़ल पर मैंने भी सोचा और फिर मुझे मानेक मिले और आज वो इंगेज्ड हैं. पूजा और मानेक सालों बाद अपने स्कूल के व्हाट्सऐप एलुमिनाई ग्रुप पर मिले. मानेक के प्रपोज़ल पर पूजा ने हां कर दी और सोशल मीडिया पर इसके बारे में सबको बताया. इस साल शादी करनेवाले सितारों में पूजा बेदी का नाम भी शामिल हो गया है.
He has literally swept me off my feet… ❤ i accepted Maneck Contractor's proposal whilst sailing in a hot air balloon ❤
— Pooja Bedi (@poojabeditweets) February 14, 2019
Wish all of you a lifetime of happiness & to always dream of a rainbow at the end of a storm ❤ pic.twitter.com/JGvBSoIc2V
आपको बता दें कि पूजा बेदी ने फरहान फर्नीचरवाला से 1990 में शादी की थी और 2003 में उनका तलाक़ हो गया था. उस समय उनका बेटा 3 साल का और बेटी 6 साल की थी.
– अनीता सिंह
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जिस तरह सारे पुरुष बुरे नहीं होते, उसी तरह सारी महिलाएं बेचारी नहीं होतीं. कई महिलाएं पुरुषों को इस कदर प्रताड़ित करती हैं कि उनकी मान-प्रतिष्ठा, नौकरी, पैसा, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक-सामाजिक जीवन… सब कुछ तबाह हो जाता है. हैरत की बात ये है कि पुरुषों को प्रताड़ित करनेवाली ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पेश है, महिलाओं द्वारा प्रताड़ित पुरुषों की सच्चाई पर एक स्पेशल रिपोर्ट.
* प्रिया की सौरभ के साथ अरेंज मैरिज हुई थी. शादी के बाद प्रिया की हरक़तों से सौरभ को शक़ हुआ कि उसका किसी के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अ़फेयर चल रहा था. जब एक दिन सौरभ ने प्रिया को रंगे हाथों पकड़ा, तो अपनी ग़लती मानने की बजाय प्रिया ने उल्टे सौरभ पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कर दिया. दरअसल, प्रिया के बॉयफ्रेंड ने ही उसे सौरभ से शादी करने को कहा था, ताकि बाद में वो सौरभ पर दहेज प्रताड़ना का केस करके उससे तलाक़ ले ले और साथ में मोटी रक़म भी वसूल ले. सौरभ को पत्नी द्वारा दहेज प्रताड़ना का झूठा आरोप लगाए जाने पर चार महीने जेल में गुज़ारने पड़े, नौकरी से हाथ धोना पड़ा, सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो गई, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया, केस चल रहा है, लेकिन ख़ुद को सही साबित करने की इस लड़ाई में सौरभ से बहुत कुछ छिन गया है.
* आदित्य के ऑफिस में एक नई लड़की रिया ने जॉइन किया. आदित्य का अपने ऑफिस में अच्छा नाम था. बॉस उसके काम से हमेशा ख़ुश रहते थे. रिया ने पहले तो आदित्य से नज़दीकियां बढ़ाने की कोशिश की, काम सीखने के बहाने वो हमेशा उसके आगे-पीछे घूमती रहती थी, लेकिन जब दाल नहीं गली, तो उसने आदित्य पर सेक्सुअल हैरासमेंट का केस दर्ज कर दिया. रिया की इस हरक़त से आदित्य को जॉब से तो हाथ धोना ही पड़ा, ख़ुद को सही साबित करने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़े, उसके परिवार को जिल्लत झेलनी पड़ी और नई नौकरी पाने के लिए, उसे फिर वो शहर ही छोड़ना पड़ा.
* रोहित और आरती ने अपनी मर्ज़ी से लिव इन रिलेशनशिप में साथ रहने का फैसला किया. कुछ समय तक सब ठीक चला, लेकिन आरती फिर रोहित पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. रोहित ने जब शादी के लिए इनकार किया, तो आरती ने रोहित पर बलात्कार का केस दर्ज कर दिया. रोहित अब ख़ुद पर लगाए गए झूठे इल्ज़ाम के लिए केस लड़ रहा है. रोहित अब किसी भी लड़की पर विश्वास नहीं कर पाता.
* मेन टू मूवमेंट के कारण हाल ही में सुर्ख़ियों में रहे टीवी एक्टर, सिंगर करण ओबेरॉय पर एक महिला एस्ट्रोलॉजर ने बलात्कार और वसूली का आरोप लगाया. इस महिला ने जान-बूझकर उस दिन एफआरआई दर्ज कराई, जिस दिन से मुंबई हाईकोर्ट की छुट्टियां शुरू हो रही थीं, ताकि करण ओबेरॉय बेल के लिए अप्लाई न कर सकें. उस महिला के झूठे आरोप के कारण करण को एक महीना जेल में गुज़ारना पड़ा.
ऊपर दिए गए केस मात्र उदाहरण हैं, महिलाओं द्वारा पुरुषों को प्रताड़ित किए जानेवाले मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिसके कारण अब कई पुरुष महिलाओं पर विश्वास करने से डरने लगे हैं, उनके क़रीब जाने से डरते हैं. कभी बेचारी समझी जानेवाली महिलाओं का अब एक अलग ही रूप सामने आ रहा है, जिसके परिणाम बहुत घातक साबित हो रहे हैं.
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…क्योंकि ये पुरुषों के हक़ की बात है
महिलाओं के शोषण के बारे में हम हमेशा से पढ़ते-सुनते आए हैं, लेकिन पुरुषों के शोषण के बारे में आमतौर पर बात नहीं की जाती. पुरुषों के बारे में ये मान लिया जाता है कि वो शारीरिक रूप से महिलाओं से शक्तिशाली हैं, इसलिए उनका शोषण नहीं हो सकता, लेकिन ये सच नहीं है. महिलाएं भी पुरुषों को प्रताड़ित करती हैं और अब ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. महिलाओं द्वारा पुरुषों को प्रताड़ित किए जाने के केसेस की बढ़ती तादाद को देखते हुए अब ये ज़रूरी हो गया है कि पुरुषों के हक़ की बात भी की जाए. महिलाओं द्वारा पुरुषों की शिकायत दर्ज किए जाने पर अक्सर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना ही पुरुषों को दोषी मान लिया जाता है, जिसके कारण निम्न समस्याएं सामने आती हैं:
* पुरुषों के शोषण के मामले पुलिस तक बहुत कम पहुंच पाते हैं, क्योंकि पुरुष इस बात से डरते हैं कि उनकी बात की सुनवाई नहीं होगी, इसलिए वो क़ानून की मदद लेने से डरते हैं.
* महिला यदि किसी पुरुष पर झूठा आरोप भी लगा दे कि उसने महिला का बलात्कार किया है, तो बिना जांच-पड़ताल या दोष साबित हुए ही पुरुष को दोषी मान लिया जाता है.
* कई महिलाएं रेप का आरोप लगाने की धमकी देकर पुरुषों को ब्लैकमेल करती हैं और उनसे मोटी रक़म वसूलती हैं. क़ानून महिलाओं की ही तरफ़दारी करता है, इसलिए पुरुष क़ानून का सहारा नहीं लेते और चुपचाप ऐसी महिलाओं की ज़्यादती बर्दाश्त करते हैं.
* झूठा आरोप लगने पर पुरुष की इज़्ज़त, पैसा, समय, नौकरी, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक और सामाजिक जीवन… सब कुछ तबाह हो जाता है. ऐसी स्थिति में कई पुरुष आत्महत्या तक कर लेते हैं.
* रेप का केस दर्ज करानेवाली महिला का नाम तो गोपनीय रखा जाता है, लेकिन पुरुष का नाम सार्वजनिक कर दिया जाता है. बाद में आरोप सिद्ध न होने के बाद भी पुरुष को सामाजिक अवहेलना का सामना करना ही पड़ता है.
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क़ानून का दुरुपयोग कर रही हैं महिलाएं
महिलाओं के हक़ में बने क़ानून का ख़ुद महिलाएं ही दुरुपयोग करने लगी हैं. कई महिलाएं क़ानून का धड़ल्ले से ग़लत इस्तेमाल करके पुरुषों को प्रताड़ित कर रही हैं और उनसे पैसे भी वसूल रही हैं.
* कई महिलाएं धारा 498 ए का इस्तेमाल अपने पति व ससुरालवालों को प्रताड़ित करने के लिए करती हैं. ऐसी महिलाएं अपने शादीशुदा रिश्ते से मुक्त होने, बदले की भावना, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर या मुआवज़े के पैसे ऐंठने के लिए धारा 498 ए का ग़लत इस्तेमाल करती हैं. इस क़ानून के बढ़ते दुुरुपयोग पर कई बार सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है.
* दहेज हत्या के मामले में भी पुरुषों के सिर पर तलवार लटकी रहती है. शादी के सात साल के भीतर यदि किसी शादीशुदा पुरुष की पत्नी की अप्राकृतिक तरी़के से मौत हो जाती है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी के तहत उसे दोषी करार दिया जा सकता है. ऐसे कई मामलों में निर्दोष होते हुए भी पुरुषों पर दहेज हत्या के आरोप लगाकर उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी जाती है.
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मेन टू मूवमेंट आज की ज़रूरत है – एक्टर, सिंगर करण ओबेरॉय
मैं ख़ुशनसीब हूं कि मुझ पर लगाए गए बलात्कार और वसूली के झूठे आरोप के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए मेरी बहन गुरबानी, मेरे फ्रेंड्स, एक्टर सचिन श्रॉफ, पूजा बेदी और हमारे बैंड के सभी सदस्य आगे आए और उन्होंने मुझे इंसाफ़ दिलाने के लिए एक साथ मिलकर आवाज़ उठाई, लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता है. महिलाओं द्वारा लगाए गए झूठे आरोप के कारण कई पुरुषों की ज़िंदगी बर्बाद हो रही है. जब मैं तलोजा जेल (नवी मुंबई) में था, तब मैंने देखा कि स़िर्फ तलोजा जेल में ही मेरे जैसे 600 मामले हैं, तो ज़रा सोचिए कि पूरे देश में ऐसे कितने मामले होंगे. इसीलिए हमने मेन टू मूवमेंट की शुरुआत की है. ये आज की ज़रूरत है, वरना न जाने कितने निर्दोष पुरुष यूं ही महिलाओं द्वारा लगाए गए झूठे आरोप की सज़ा भुगतते रहेंगे.
अधिकतर महिलाएं आज भी अपने अधिकार नहीं जानतीं- एडवोकेट व सोशल एक्टिविस्ट आभा सिंह, पूर्व ब्यूरोक्रेट
एडवोकेट आभा सिंह कहती हैं, पुरुषों को वही महिलाएं प्रताड़ित करती हैं, जो ख़ुद पावरफुल होती हैं और अपने अधिकार जानती हैं. पुरुषों को प्रताड़ित करने के मामले बड़े शहरों में ज़्यादा पाए जाते हैं, छोटे शहरों की महिलाओं को अपने अधिकारों की ही जानकारी नहीं होती, तो वो पुरुषों को क्या प्रताड़ित करेंगी. आज भी 24 घंटे में 21 महिलाएं दहेज के लिए जलाई जाती हैं. साल में यदि तीन हज़ार से ज़्यादा महिलाएं मर रही हैं और एफआरआई में मौत की वजह किचन फायर (रसोई में आग लग जाने से) लिखी जाती है, तो इसे क्या कहेंगे? किचन फायर से इतनी भारी तादाद में महिलाओं की मौत स़िर्फ भारत में होती है, दुनिया के अन्य किसी भी देश में ऐसा नहीं होता है. यदि सौ प्रतिशत मामलों में क़ानून का दुरुपयोग हो रहा है, तो महिलाओं द्वारा पुरुषों को प्रताड़ित किए जानेवाले मामलों की संख्या आठ से दस प्रतिशत ही है, बाकी केसेस में महिलाओं को ही तकलीफ़ उठानी पड़ती है. गरीब महिलाओं को न अपने हक़ पता होते हैं और न ही उनके पास इतने पैसे होते हैं कि वो वकील रखकर केस लड़ सकें. ऐसे केसेस स़िर्फ बड़े तबके में पाए जाते हैं.
प्रताड़ित पुरुषों के अधिकतर मामले सामने नहीं आते – काउंसलर, साइकोथेरेपिस्ट काव्यल सेदानी
हम सभी में एक फेमिनिन पार्ट होता है और एक मैस्न्युलन पार्ट. ऐसे में स्त्री-पुरुष में से जिसका, जो पार्ट जितना स्ट्रॉन्ग होता है, वो उतना स्ट्रॉन्ग या डेलिकेट होता है. जिन महिलाओं का मैस्न्युलन पार्ट स्ट्रॉन्ग होता है, वो टॉम बॉय की तरह व्यवहार करती हैं. ऐसी महिलाएं डॉमिनेटिंग और मुखर होती हैं. इसी तरह कई पुरुषों का फेमिनिन पार्ट स्ट्रॉन्ग होता है, इसलिए उनका व्यवहार बहुत सॉफ्ट होता है. ऐसे पुरुष अपनी बात मनवाने के लिए किसी पर दबाव नहीं डाल पाते और न ही किसी से झगड़ते हैं. ऐसे भावुक पुरुष ही अक्सर प्रताड़ित होते हैं. करण ओबेरॉय के मामले में तो सच्चाई सबके सामने आ गई, लेकिन जो पुरुष अपनी बात किसी से कह नहीं पाते, उनकी बात कभी सामने नहीं आ पाती. ऐसे लोग शोषण के शिकार होते चले जाते हैं. मी टू मूवमेंट की तरह ही मेन टू मूवमेंट की भी ज़रूरत है, क्योंकि कई महिलाएं क़ानून का ग़लत इस्तेमाल करके पुरुषों की ज़िंदगी बर्बाद कर देती हैं, झूठे आरोप लगाकर उनका फ़ायदा उठाती हैं, ऐसी महिलाओं का एक्सपोज़ होना ज़रूरी है.
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#MeToo के बाद अब #MenToo
एक्टर, सिंगर करण ओबेरॉय के केस से मेन टू मूवमेंट की शुरुआत हुई, जिसमें पुरुषों के ख़िलाफ़ झूठा आरोप लगाए जाने पर उनके हक़ के लिए आवाज़ उठाई जाएगी. महिलाओं के लिए शुरू हुए मी टू मूवमेंट की तरह ही पुरुषों के हक़ के लिए अब मेन टू मूवमेंट की शुरुआत हो गई है. पिछले साल मी टू अभियान बहुत ज़ोर-शोर से चलाया गया था, जिसमें दुनियाभर की महिलाओं ने उनके साथ हुए यौन अपराध पर खुलकर बात की थी. इसी तर्ज़ पर इस साल मेन टू अभियान चल रहा है, जिसमें पुरुष अपनी बात खुलकर कह रहे हैं.
– कमला बडोनी