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टेलीविज़न एक्ट्रेसेस को हमने कभी पत्नी, कभी बहू, कभी भाभी, तो कभी बहन के अवतार में देखा है. इनके हर अवतार के हम दीवाने हैं, तभी तो इनके ऑनस्क्रीन ब्राइडल लुक्स को देखकर हम सभी के मन में ये ख़्याल आता है कि ऑनस्क्रीन इतनी ख़ूबसूरत दिखनेवाली ये दीवा, जब सचमुच में दुल्हन बनेंगी, तो कितनी ख़ूबसूरत लगेंगी. और हुआ भी कुछ ऐसा ही, जब ये पॉप्युलर टीवी एक्ट्रेसेस रियल लाइफ में दुल्हन बनीं, तो दर्शक इनके लुक्स के इस कदर दीवाने हुए कि इन्हें देखते ही रह गए. अपनी मनमोहक ख़ूबसूरती और ग़ज़ब की अदाकारी से सबको सम्मोहित करनेवाली इन एक्ट्रेसेस के रियल लाइफ ब्राइडल लुक्स देखकर आप भी तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाएंगे.
आमना शरीफ
टीवी के पॉप्युलर शो ‘कहीं तो होगा’ शो में कशिश का किरदार निभानेवाली आमना शरीफ ने 2013 में डिस्ट्रीब्यूटर से प्रोड्यूसर बने अमित कपूर से शादी की थी. लाल लहंगे में सजी-धजी दुल्हन आमना ग़ज़ब की ख़ूबसूरत लग रही थीं. लाल लहंगे पर उन्होंने पीच कलर की चुनरी ओढ़ रखी थी, जो उन्हें बेहद गॉर्जियस लुक दे रहा था.
दृष्टि धामी
टीवी की मधुबाला यानी दृष्टि धामी की शादी 2015 में नीरज खेमका से मुम्बई के एक हॉटेल में बड़ी ही धूमधाम से हुई थी. दृष्टि ने मारसला कलर का क्लासिक लहंगा पहन रखा था, जिसमें उनकी खूबसूरती और भी निखरकर आ रही थी. उनकी प्यारी सी डायमंड नथ आज भी सभी को याद है.
काम्या पंजाबी
टेलीविज़न शोज में वैम्प यानी नेगेटिव किरदारों के लिए मशहूर पॉप्युलर एक्टर काम्या पंजाबी ने 2020 में शलभ डांग से शादी की. शादी में काम्या ने पारंपरिक चुनरी बेस्ड डिज़ाइनर लहंगा पहन रखा था, जिसमें वो बेहद हसीन लग रही थीं.
भारती सिंह
लाफ्टरक्वीन और होस्ट भारती सिंह ने 2017 में हर्ष लिम्बचिया से शादी की थी. इस ख़ास मौके पर भारती ने ब्लू और फुशिया पिंक लहंगा पहना था, कहने की ज़रूरत नहीं कि दुल्हन के रूप में भारती बहुत प्यारी लग रही थीं.
सनाया ईरानी
मिले जब हम तुम में गुंजन और इस प्यार को क्या नाम दूं में ख़ुशी का किरदार निभानेवाली सनाया ने 2016 में अपने ऑनस्क्रीन पार्टनर मोहित सहगल के साथ रोमांटिक बीच वेडिंग की थी. सनाया ने येलो और गोल्डन कलर का लहंगा पहना था और ट्रेडिशनल लाल चुनरी ओढ़ रखी थी.
अनीता हसनंदानी
काव्यांजलि और नागिन जैसे सीरियल्स से घर घर में अपनी पहचान बनानेवाली अनीता हसनंदानी ने 2013 में रोहित रेड्डी से शादी की. अनीता पंजाबी हैं, जबकि उनके पति आंध्र प्रदेश से हैं, इसलिए उनकी शादी में दोनों ही रीति रिवाज देखने को मिले. अनीता ने शादी के ख़ास मौके पर गोल्डन और व्हाइट कलर की साउथ इंडियन कांजीवरम साड़ी पहन रखी थी.
सरगुन मेहता
टीवी के पॉप्युलर कपल सरगुन मेहता और रवि दुबे 7 दिसंबर, 2013 को शादी के पवित्र बंधन में बंध गए. सरगुन ने मैरून और गोल्डन लहंगा पहन रखा था. इस पारंपरिक रंग में वो बेहद गॉर्जियस लग रही थीं.
दीपिका सिंह
दीया और बाती हम में संध्या का किरदार निभारकर घर घर में अपनी पहचान बनानेवाली दीपिका सिंह ने 2014 में अपने डायरेक्टर रोहित राज गोयल से शादी कर ली थी. शादी में दीपिका दुल्हन के पारंपरिक लिबास लाल और गोल्डन कलर का बेहद ख़ूबसूरत लहंगा पहना था, जिसमें उनकी खूबसूरती और निखर रही थी.
दीपिका कक्कड़
दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम ने 22 फरवरी, 2018 को एक दूसरे को क़ुबूल किया था. दीपिका ने पिंक कलर का शरारा पहना था, जिसमें उनकी ख़ूबसूरती और भी निखर रही थी. मुस्लिम रीति रिवाज से हुई यह शादी शोएब के घर भोपाल में हुई थी.
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मिलिए बॉलीवुड की इन फीमेल विलेन यानी वैंप्स से, जिनके एक्सप्रेशन्स ही होते थे जानलेवा! (Most Evil & Sizzling Vamps Of Bollywood)
बॉलीवुड की लेडी डॉन कौन है? फीमले विलेन यानी वैंप्स का नाम आते ही बहुत-से चेहरे ख़्यालों में आने लगते हैं. कभी बहू पर अत्याचार करती ज़ालिम सास, तो कभी मेल डॉन का साथ देती हॉट हसीना. आप भी मिलिए इन फीमेल विलेन से, जिनके बिना हर फिल्म अधूरी लगती है.
ललिता पवार: इनके एक्सप्रेशन्स हों या फिर डायलोग बोलने का अंदाज़, हर बात ने इन्हें बेहद फेमस किया. ये बॉलीवुड की सबसे ज़ालिम सास थीं, जो अपनी मासूम बहू पर अत्याचार करके भी लोगों की फेवरेट बन जाती थीं. हालांकि ललिता पवार ने कैरेक्टर रोल्स भी किए, पर उन्हें पॉप्युलैरिटी तो निगेटिव रोल्स ने ही दी. आज भी मंथरा का नाम याद आते ही ललिता पवार का चेहरा सामने घूम जाता है. हिंदी, मराठी और गुजराती मिलाकर कुल 700 से अधिक फिल्मों में काम कर चुकीं ललिता पवार की ज़िंदगी में ट्विस्ट तब आया, जब शूटिंग के दौरान भगवान दादा ने उन्हें ज़ोर से थप्पड़ मार दिया था, जिससे उनकी एक आंख की नस पर असर हुआ और उनकी आंख ख़राब हो गई थी. लेकिन इसके बाद उन्होंने इसे ही अपनी पहचान और मज़बूती बनाकर हर रोल को जीवंत कर दिया और वो बन गईं सबसे ज़ालिम सास. उनके काम के लिए भारत सरकार ने भी उन्हें सम्मानित किया और अमिताभ बच्चन ने भी उनकी 100वीं बर्थ एनीवर्सरी पर ट्वीट करके उन्हें याद किया.
नादिरा: फिल्म आन में लीड एक्ट्रेस के तौर पर अपना फिल्मी सफ़र शुरू करनेवाली नादिरा अपने स्टाइलिश अंदाज़ के लिए जानी जाती हैं. करियर की शुरुआत भले ही उन्होंने हीरोइन के रोल से की, लेकिन उन्हें याद किया जाता है निगेटिव रोल्स के लिए. मुड़-मुड़कर न देख गाना उनका इतना फेमस हुआ कि आज भी यह गाना सुनते ही उनका अंदाज़ याद आ जाता है. नादिरा एक बगदादी जूइश परिवार में जन्मी थीं. उनका मॉडर्न लुक उनकी सबसे बड़ी पहचान था और उनके एक्सप्रेशन्स उनके क़िरदार की जान. श्री 420 से लेकर फिल्म जूली तक उन्होंने कई तरह के रोल्स किए, पर जूली की मां के रोल ने उन्हें अलग पहचान दी.
बिंदू: फिल्मों की मोना डार्लिंग आज भी बेहद पॉप्युलर हैं. गुजराती परिवार में जन्मी बिंदू ने वैंप्स की एक नई पीढ़ी की शुरुआत की. बिंदू ख़ूबसूरत थीं, हॉट थीं और अच्छी डान्सर भी थीं. कभी विलेन की गर्लफ्रेंड बनकर, तो कभी सौतेली मां बनकर उन्होंने अपने क़िरदारों को अपने नाम कर लिया. बिंदू के पिता फिल्म प्रड्यूसर ही थे, पर जब वो मात्र 13 साल की थीं, तो उनके पिता की मृत्यु हो गई, जिससे परिवार की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई, क्योंकि वो घर में सबसे बड़ी थीं. बिंदू ने कई तरह के क़िरदार किए और अपने टैलेंट के साथ-साथ उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि वैंप्स भी हॉटनेस और बोल्डनेस से दर्शकों की फेवरेट बन सकती हैं. फिल्म कटी पतंग में इन्होंने पहली बार सेक्सी ड्रेस में कैबरा किया और वो गाना- मेरा नाम है शबनम सबका हॉट फेवरेट बन गया और बिंदू नई स्टार आयकॉन.
अरुणा ईरानी: इन्होंने भी अपने करियर की शुरुआत लीड एक्ट्रेस के तौर पर ही की थी, पर इन्हें दर्शकों ने निगेटिव रोल्स में ज़्यादा पसंद किया. ख़ूबसूरती और टैलेंट की इनमें कमी नहीं थी. अपने परिवार में ये सबसे बड़ी थीं और पैसों की कमी के चलते मात्र छठी क्लास तक ही पढ़ पाईं, पर इनके टैलेंट ने इन्हें स्टारडम के साथ-साथ पैसा और इज़्ज़त भी दिलवा दिया.
मनोरमा: चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर ये फिल्मों में आईं. मनोरमा हाफ आइरिश थीं. फिल्म सीता और गीता की चालाक व धूर्त चाची के रूप में लोगों के दिलों में इन्होंने अब तक जगह बनाई हुई है. उनका मेकअप और आंखें मटकाने का ख़ास अंदाज़ उन्हें बाकी वैंप्स से अलग करता था. मनोरमा ने 100 से भी अधिक फिल्मों में काम किया.
शशिकला: 100 से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुकीं शशिकला के टैलेंट का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र 5 वर्ष की उम्र से ही वो स्टे पर डान्सिंग, सिंगिंग और परफॉर्म करने लग गई थीं. किन्हीं कारणों से उनके पिताजी दिवालिया हो गए थे और वो अपने परिवार को मुंबई ले आए, क्योंकि उन्हें लगता था कि शशिकला की ख़ूबसूरती और टैलेंट उसे फिल्मों में काम दिलवा सकेगा. शुरुआत में स्टूडियो के धक्के खाने पर उन्हें छोटे-मोटे रोल्स मिले, पर एक्ट्रेस नूरजहां से मिलने के बाद उनका नसीब बदल गया. नूरजहां के पति ने शशिकला को अपनी फिल्म में रोल दिया. उसके बाद उन्हें रोल्स भी मिले और पहचान भी.
हेलन: डान्सिंग क्वीन हेलन ने 700 से भी अधिक फिल्मों में काम किया. एक समय था, जब लोग फिल्म इसलिए देखने जाते थे कि उसमें हेलन का डांस नंबर है. ये था उनकी पॉप्युलैरिटी का आलम. हॉट और सेक्सी हेलन ने कई कैरेक्टर रोल्स भी किए और आज की तारीख़ में लोग उन्हें सलमान ख़ान की स्टेप मदर के रूप में अधिक जानते हैं. भारतीय सरकार द्वारा इन्हें पद्मश्री से भी नवाज़ा जा चुका है. हेलन एंग्लो इंडियन पिता और बर्मीज़ मदर के यहां बर्मा के रंगून में पैदा हुई थीं. उनके की मृत्यु पिता वर्ल्ड वार 2 में हो गई थी और वो अपने परिवार के साथ शरण लेने के लिए मुंबई आ पहुंचीं. भारत आने के बाद भी उन्होंने व उनके परिवार ने बहुत बुरे दिन देखे. भूख-ग़रीबी ने उन्हें बेहाल कर रखा था. उनकी मां, भाई व उन्हें 2 महीने तक अस्पताल में रहने व इलाज के बाद नया जीवन मिला. इसके बाद वो कोलकाता गए, पर उनकी मां का वहां देहांत हो गया. परिवार के लिए उन्होंने स्कूल छोड़ फिल्मों का रुख किया और पहले ही ब्रेक ने उन्हें मशहूर कर दिया. जी हां, हावड़ा ब्रिज का गाना मेरा नाम चिन-चिन-चू… बेहद पॉप्युलर हुआ, पर उसके साथ हेलन का डांस और टैलेंट भी सबके सामने आया गया. रील लाइफ में हेलन ने जितनी पॉप्युलैरिटी देखी, अपनी रियल व पर्सनल लाइफ में उतनी ही परेशानियां. आज वो खान परिवार का हिस्सा हैं, क्योंकि सलीम खान ने उन्हें न स़िर्फ फिल्मों में बल्कि पर्सनल लाइफ में भी काफ़ी सपोर्ट किया.
प्रियंका और काजोल भी कर चुकी हैं निगेटिव रोल्स: प्रियंका चोपड़ा ने ऐतराज़ और सात ख़ून माफ़ में जिस ख़ूबसूरती से निगेटिव क़िरदार निभाया, उनकी अदाकारी का अलग रूप ही सामने आया. देसी गर्ल व़क्त आने पर हॉट वैंप भी बन सकती है और उसमें भी उतनी ही पसंद की जा सकती है, यह उन्होंने साबित कर दिया.
इसी तरह से काजोल ने भी गुप्त में एक सायको किलर का रोल करके सबको चौंका दिया था. काजोल के टैलेंट को लेकर कभी किसी को कोई शक नहीं था, पर वो इस तरह के क़िरदार को भी जीवंत कर सकती हैं, यह किसी ने नहीं सोचा था.

दिलीप कुमार-मधुबाला- एक अधूरी प्रेम कहानी, जो कोर्ट में जाकर ख़त्म हुई! (Tragic Love Story: How Dilip Kumar Confessed His Love For Madhubala In A Courtroom)
बॉलीवुड (Bollywood) की कुछ लव स्टोरीज़ (Love Stories) ऐसी होती हैं, जो हमारे लिए एक पहेली बन जाती हैं. उन्हीं में से एक लव स्टोरी थी- दिलीप कुमार और मधुबाला की. सिल्वर स्क्रीन की ब्यूटी क्वीन ने जब बॉलीवुड के इस किंग को पहली बार देखा, तब से ही दोनों एक-दूसरे के लिए स्पेशल फील करने लगे थे. फिल्म सेट पर हुई यह मुलाकात अब रियल लाइफ की प्रेम कहानी में तब्दील होने लगी थी. मधुबाला ने दिलीप कुमार की हिचकिचाहट को देखते हुए खुद ही पहल की और उन्हें प्रपोज़ किया. दिलीप तो बस इसी पल के इंतज़ार में थे. दोनों ने एक-साथ कई हिट फिल्में की और दोनों की जोड़ी को भी लोग पसंद करते थे, लेकिन मधुबाला के पिता को यह प्रेम रास नहीं आया.
]मधुबाला के पिता उन्हें शुरू से ही काफ़ी अनुशासन में रखते थे. वो शूटिंग के व़क्त हमेशा सेट्स पर उनके साथ साये की तरह रहते थे. दिलीप कुमार को मधुबाला के पिता का यह रवैया पसंद नहीं था. दिलीप मधुबाला से शादी करना चाहते थे, लेकिन उनकी यह शर्त थी कि मधुबाला शादी के बाद फिल्में व अपने पिता से भी दूरी बना लें. मधुबाला को यह बात पसंद नहीं आई.
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मधुबाला के पिता मधुबाला के करियर से संबंधित फैसले ख़ुद ही लेते थे. उन्होंने फिल्म नया दौर के दौरान दिलीप कुमार के साथ आउटडोर शूटिंग पर मधुबाला को जाने से रोक दिया था. नतीजा, मधुबाला की जगह यह फिल्म वैजंतीमाला की मिल गई और यह विवाद इतना बढ़ा कि मामला कोर्ट तक जा पहुंचा.
मधुबाला के पिता ने फिल्म के निर्देशक बी आर चोपड़ा पर केस कर दिया, क्योंकि उन्हें चोपड़ा का यह रवैया पसंद नहीं आया कि एक विज्ञापन के ज़रिये मधु को फिल्म से बाहर व वैजंतीमाला को फिल्म में लेने की बात कही गई थी.
कोर्ट में गवाही के दौरान दिलीप कुमार को भी बुलाया गया और दिलीप ने भी बी आर चोपड़ा के पक्ष में ही गवाही दी.
इस दौरान मधु व दिलीप के प्रेम की बात भी सबके सामने आई और कोर्ट में ही दिलीप कुमार ने यह स्वीकारा की वो मधु से प्यार करते हैं, लेकिन इस घटना ने दोनों को अलग व दूर कर दिया था.
यहां तक कि फिल्म मुग़ले आज़म की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच बातचीत तक बंद थी, हालांकि फिल्म पूरी हुई व हिट भी, लेकिन एक सच्ची मोहब्बत की दास्तान हमेशा के लिए अधूरी ही रह गई.

कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
हां, मैंने भी कुछ हसीन सपने देखे थे और ज़िंदगी ने मुझे ड्रीम गर्ल का ख़िताब दे डाला. मैंने आसमान छूने की ख़्वाहिश की और मेरे चाहनेवालों ने मुझे फलक पर बिठा दिया. मैंने ज़िंदगी में अपने हर क़िरदार को पूरी शिद्दत से निभाया और ज़िंदगी ने हमेशा मुझे मेरी ख़्वाहिश से ज़्यादा ही दिया है. हम दुनिया में आते हैं… बड़े होते हैं, फिर आंखों में कई नए-नए सपने पलने लगते हैं… उन्हें देखते हैं और जुट जाते हैं उन्हें पूरा करने में… दिल में कई अरमान जागते हैं… हम भागने लगते हैं उन्हें मुकम्मल करने के लिए… हसरतों के दायरे फिर हमें धीरे-धीरे कैद करने लगते हैं अपनी परिधि में… ये तो है इंसानी फ़ितरत, लेकिन इसमें भी यदि हम बात करें एक औरत की, तो उसके दायरे तो व़क्त के साथ-साथ और भी सिमटने लगते हैं… लेकिन जहां तक मेरी बात है, तो मुझे न तो अपने दायरे समेटने पड़े और न ही सपनों पर पाबंदी लगानी पड़ी, क्योंकि मेरे प्रयास सच्चे थे और मुझे अपनों का भी भरपूर साथ मिला.
मैं यही कहूंगी कि बेशक, हर सपना पूरा होता है, यदि आप सही दिशा में काम कर रहे हों और आपने अपने सपने को पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की हो. यदि हम अपने अतीत पर नज़र डालेंगे, तो पाएंगे कि आज हम जो कुछ भी हैं, वो अतीत में हमारे द्वारा किए गए प्रयासों का ही नतीजा है.
ख़्वाहिशें, अरमान, अपेक्षाएं, इच्छाएं… ये तमाम तत्व इंसानी फ़ितरत का हिस्सा हैं. ख़्वाहिशें रखना ग़लत भी तो नहीं है. किसी चीज़ को पाने की ख़्वाहिश रखना बहुत अच्छी बात है और ये भी सच है कि आप पूरी ईमानदारी के साथ जितने बड़े सपने देखते हैं, ज़िंदगी आपको उससे कहीं ज़्यादा देती है, लेकिन उसके लिए आपका अपने सपनों के प्रति ईमानदार होना ज़रूरी है. जैसे आप यदि मर्सिडीज़ ख़रीदने का लक्ष्य रखते हैं, तो उसके बाद आपका मस्तिष्क उसी दिशा में सोचना शुरू कर देता है, आप उसे पाने के रास्ते तलाशने लगते हैं, आपके हालात भी उसी के अनुरूप बदलने लगते हैं और आख़िरकार आप मर्सिडीज़ ख़रीद लेते हैं. इसलिए जीवन में लक्ष्य का होना बहुत ज़रूरी है.
हमें बचपन से अपने बच्चों को ये बात सिखानी चाहिए कि बड़े लक्ष्य रखो, बड़े सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करो, फिर आपको वो चीज़ पाने से कोई नहीं रोक सकता. अक्सर मैं लोगों को देखती हूं, जिन्हें ज़िंदगी से बहुत शिकायत रहती है… बहुत कुछ होने के बाद भी वो संतुष्ट नहीं होते. उन्हें शायद ख़ुद भी यह नहीं पता होता कि उन्हें आख़िर क्या चाहिए. यही वजह है कि न तो उनके पास कोई लक्ष्य होता है और न ही उसे हासिल करने के लिए कोई प्रेरणा. मन की चंचलता उन्हें ताउम्र असंतुष्ट रखती है और वो भटकते रहते हैं, इसलिए सबसे ज़रूरी है कि आपके मन में यह बात पूरी तरह से साफ़ होनी चाहिए कि आपकी मंज़िल क्या है और आपको उस तक किस तरह से पहुंचना है. आपके प्रयास किस तरह के होने चाहिए और आपके त्याग कितने बड़े हो सकते हैं.
अगर मैं अपनी बात करूं, तो मैं भी एक बेहद आम-सी लड़की थी, लेकिन मेरी मां ने मेरे लिए बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए मुझे सही दिशा दी. अगर मेरी मां कोई और होती, तो शायद मैं आज यहां न होती. मेरी मां ने मेरी ज़िंदगी को सही दिशा दी और मुझे उसके लिए मेहनत करने की हिम्मत भी दी. आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें मेरी मां का बहुत बड़ा रोल है.
यह भी देखें: हेमा मालिनी …और मुझे मोहब्बत हो गई… देखें वीडियो
आज जब मैं अपने बचपन को याद करती हूं, तो पाती हूं कि मेरी परवरिश बहुत अच्छे माहौल में हुई. मेरी मां ने मुझे कला के प्रति समर्पित होना सिखाया, इसीलिए मेरी कला आज मेरी पहचान बन गई है. मां ने मेरे लिए जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने मुझे सही राह दिखाई, इसीलिए आज मैं यहां पहुंच पाई हूं. बचपन में जब मैं अपनी खिड़की से बाहर देखती थी कि मेरे फ्रेंड्स बाहर खेल रहे हैं और मैं घर में डांस की प्रैक्टिस कर रही हूं, तो मुझे मां पर बहुत ग़ुस्सा आता था, लेकिन आज जब मैं देखती हूं कि वो लड़कियां कहां हैं और मैं कहां हूं, तब समझ में आता है कि मेरी मां ने मेरे लिए कितने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए कितनी मेहनत की. आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी मां की वजह से हूं. बच्चों को प्यार देना जितना ज़रूरी है, उन्हें अनुशासन में रखना भी उतना ही ज़रूरी है. मां ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया, उन्होंने मुझे सिखाया कि आपके पास यदि हुनर है, तो उसे इतना निखारो कि आपका हुनर ही आपकी पहचान बन जाए. मैंने यदि कला की साधना की है, तो कला ने भी मुझे नाम-शोहरत सब कुछ दिया है.
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हर पैरेंट्स को अपने बच्चों को सपने देखना और गोल सेट करना सिखाना ही चाहिए, फिर उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. वैसे भी आजकल इतने
छोटे-छोटे बच्चे रियालिटी शोज़ में कितना कुछ कर दिखाते हैं, उनके इस टैलेंट के पीछे उनके पैरेंट्स की मेहनत साफ़ दिखाई देती है. बच्चा पढ़ाई में ही अच्छा हो ये ज़रूरी नहीं, बच्चे के टैलेंट को पहचानें और उसे उसी फील्ड में आगे बढ़ने दें.यक़ीन मानिए, आप जिस भी चीज़ को शिद्दत से चाहते हैं, वो आपको मिलती है, आपको बस मेहनत करते रहना चाहिए.
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मोहब्बत का कोई दायरा नहीं होता… वो बेलौस होती है और बेकमान भी… बस दौड़ पड़ती है अपने हमसफ़र के पीछे-पीछे… हर राह, हर मुश्किल तय करके अपने अस्तित्व को मुकम्मल करने के लिए… पता ही नहीं चलता कब, कैसे, बिना किसी आहट के आपकी पलकों पर सपने सजने लगते हैं… आंखों में जैसे चांद चमकने लगता है… होंठों पर लफ़्ज़ आकर रुक से जाते हैं और गालों पर जैसे ढेरों गुलाब-से खिल जाते हैं… आप ख़ुद को सबसे ख़ास समझने लगते हो, क्योंकि किसी की चाहतभरी नज़रें आपको ख़ूबसूरत होने का एहसास कराती हैं और आप उन नज़रों में ज़िंदगीभर के लिए खो जाना चाहते हो. (देखें वीडियो)
कमसिन-सी उम्र में जब चुपके से मोहब्बत दिल के दरवाज़े पर दस्तक देती है, तो ज़िंदगी ही बदल जाती है… सारी कायनात ख़ूबसूरत नज़र आने लगती है… सच, हर इंसान को ज़िंदगी में मोहब्बत ज़रूर करनी चाहिए. मोहब्बत आपको ज़िंदगी से प्यार करना सिखाती है, किसी के लिए अपना सब कुछ लुटा देने का हुनर सिखाती है.
हां, मैंने भी जिया है मोहब्बत के इस ख़ूबसूरत एहसास को और आज भी जब उन हसीन पलों को याद करती हूं, तो ख़ुशी के साथ-साथ इस बात की तसल्ली होती है कि हां, मैंने ज़िंदगी को पूरी शिद्दत के साथ जिया है… हां, मैंने भी प्यार किया है. अपनी मोहब्बत के रिश्ते को नाम दिया, अपने हमसफ़र के साथ एक हसीन दुनिया बसाई, दो प्यारी बेटियों की मां बनी… एक औरत को ज़िंदगी से और क्या चाहिए?
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हाल ही में हमने अपनी शादी की 38वीं सालगिरह मनाई. धरमजी और बेटियों के साथ ये 38 साल कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला. ज़िंदगी में इससे ज़्यादा और कुछ मैं मांग भी नहीं सकती, क्योंकि जितना मिला, उसने मुझे संपूर्ण बनाया… कहीं भी कोई अपूर्णता का एहसास दिल के आसपास फटक ही नहीं सकता. जिससे प्यार किया, उसे ही अपने हमसफ़र के रूप में पाया… और मां बनने के बाद तो ज़िंदगी और भी हसीन हो गई. अपने बच्चों को अपनी आंखों के सामने बढ़ते देखने का एहसास ही कुछ अलग होता है. आज मेरी दोनों बेटियों की शादी हो गई है. वो अपनी गृहस्थी में ख़ुश हैं. आहना के बेटे के साथ जब मैं और धरमजी खेलते हैं, तो हमें अपनी बेटियों का बचपन याद आ जाता है. हमने अपने रिश्ते और ज़िम्मेदारियोें को बख़ूबी निभाया है. हमने एक-दूसरे को अपने करियर में आगे बढ़ने का हौसला दिया है. शादी के बाद भी मैंने डांस, एक्टिंग, पॉलिटिकल करियर को जारी रखा, लेकिन धरमजी ने मुझे कभी किसी चीज़ के लिए रोका नहीं, बल्कि वो हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते हैं.
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यही है सच्चा प्यार, जो बिना किसी चाह और बिना किसी शर्त के स़िर्फ अपने साथी की ख़ुशी चाहता है. अपने हमसफ़र को आगे बढ़ते देख वो भी ख़ुश हो जाता है. मैं ख़ुशनसीब हूं कि मुझे धरमजी जैसे हमसफ़र मिले. उन्होंने मुझे न स़िर्फ अपनी ज़िंदगी में शामिल किया, बल्कि मेरी ज़िंदगी को बहुत हसीन बना दिया.
आज पीछे मुड़कर देखती हूं, तो इस बात की ख़ुशी होती है कि मैंने ज़िंदगी से जो भी चाहा, वो मुझे मिला है. सच, मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत ख़ुश हूं. जहां तक हमारे इश्क़ की बात है, तो मुझे धरमजी से तब प्यार हुआ, जब मुझे फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी-खासी शोहरत मिल चुकी थी. धरमजी के साथ मैंने कई फिल्मों में काम किया और साथ काम करते हुए हम एक-दूसरे के क़रीब आ गए.
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उस व़क्त मैं अपने करियर के पीक पर थी और मेरे हाथ में कई अच्छी फिल्में थीं, इसलिए मेरी मां भी यही चाहती थीं कि मैं फ़िलहाल अपने करियर पर ध्यान दूं. इसी बीच मैंने यह भी महसूस किया कि धरमजी और मैं बेहद क़रीब आ चुके हैं, क्योंकि मोहब्बत पर कहां किसी का ज़ोर चलता है. मैं चाहकर भी ख़ुद को धरमजी के आकर्षण से रोक नहीं पाई, लेकिन मेरे मन में यह भी दुविधा थी कि मेरे और धरमजी के रिश्ते को कैसे सही दिशा मिले? धरमजी पहले से शादीशुदा थे, तो मेरे मन में यह ख़्याल तक नहीं आया कि हमारी मुहब्बत की मंज़िल शादी हो सकती है. हम दोनों के परिवार भी हमारी मुहब्बत को स्वीकार नहीं पा रहे थे, क्योंकि यह ग़लत था. मैं भी यही सोचती थी कि धरमजी से शादी तो संभव ही नहीं, तो कैसे हमारे रिश्ते को एक मुकाम मिलेगा? लेकिन फिर मेरी दुविधा का अंत मेरी फैमिली व घर के सदस्यों ने किया. वो बड़े थे और वो ही मुझे सही राह दिखा सकते थे. सो उन्होंने निर्णय लिया कि इस तरह से यह रिश्ता यूं ही नहीं चलता रह सकता, इसे एक मुकाम व नाम मिलना चाहिए. उनके निर्णय ने हमारी सोच को सही दिशा दी और हमने शादी कर ली. मेरी ज़िंदगी में मोहब्बत और ख़ुशियों ने एक साथ दस्तक दी और उसके बाद मेरी ज़िंदगी ही बदल गई.
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हालांकि यह सही है कि बिना शादी के यूं ही प्यार में बने रहना… इस तरह का रिश्ता हम दोनों के परिवारवालों को मंज़ूर नहीं था, लेकिन हम एक-दूसरे के प्यार में इतने ज़्यादा डूबे हुए थे कि हम भी ख़ुद को असहाय महसूस कर रह थे और किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे. हमारे प्यार को देखते हुए ही पैरेंट्स ने हमें शादी करने की सलाह दी. कह सकते हैं कि हमारी क़िस्मत शायद एक-दूसरे से बंधी थी, हमें साथ रहना ही था, इसीलिए लाख मुसीबतें पार करके भी हम एक हो गए.
मेरे पिताजी ने मेरे लिए कई लड़के देखे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी. फिल्म इंडस्ट्री में भी किसी से शादी का संयोग इसीलिए नहीं बना, क्योंकि भगवान ने मेरे लिए धरमजी को ही चुना था. किसी ने सच ही कहा है कि आप प्यार को नहीं चुनते, प्यार आपको चुनता है. मुझे प्यार ने धरमजी के लिए चुन लिया था. उनसे शादी होना मेरे भाग्य में लिखा था और जब आप अपने प्यार को पा लेते हो, तो आपके लिए ज़िंदगी की राह बहुत आसान हो जाती है. आप ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव को हंसी-ख़ुशी झेल जाते हैं. हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ. हमने साथ मिलकर अपनी दुनिया बसाई और निखारने की हर मुमकिन कोशिश की.
मैंने अपने अनुभव से यही सीखा है कि आप प्यार जैसे पाक एहसास को प्लान नहीं कर सकते… क्योंकि प्यार उस शबनम की बूंद की तरह होता है, जो किसी के दिल में बसकर नायाब मोती बन जाता है. प्यार ख़ुद-ब-ख़ुद होता है… यह मन का बंधन है, जिसे सोच-समझकर नहीं किया जाता. यही वजह है कि हमारे समाज में प्यार को आज भी सबसे बड़ा दर्जा दिया जाता है. इस एहसास को जो जी लेता है, वो फिर इससे कभी उबरना नहीं चाहता…!