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मीना कुमारी के अधूरे प्रेम की दर्दभरी दास्तान: कमाल अमरोही से लेकर धर्मेंद्र तक सबने प्यार में धोखा दिया (Tragic Love Story Of Tragedy Queen Meena Kumari)

फिल्मी दुनिया की सुपरस्टार मीना कुमारी ने अपनी खूबसूरती और बेहतरीन अदाकारी से लाखों दिलों पर राज किया, लेकिन असल ज़िंदगी में वो हमेशा अकेलेपन से लड़ती रही और हमेशा प्यार के लिए तरसती रह गई. कमाल अमरोही से लेकर धर्मेंद्र तक सबने मीना कुमारी को प्यार में धोखा दिया ही दिया. बॉलीवुड में ट्रेजेडी क्वीन के नाम से जानी जाने वाली मीना कुमारी का असली नाम महज़बीं बानो था. महज़ चार साल की उम्र से उनके पिता ने मीना कुमारी को फिल्मों में काम करने को मजबूर कर दिया था, फिर उसके बाद मीना कुमारी के संघर्ष का सफर कुछ यूं शुरू हुआ कि उनके इस दुनिया से जाने के बाद ही उनकी रूह को आराम मिला होगा. मीना कुमारी जितनी खूबसूरत थीं, उतनी दी दर्दभरी थी उनकी ज़िंदगी. आइए, हम आपको मीना कुमारी के अधूरे प्रेम की दर्दभरी दास्तान सुनाते हैं. मीना कुमारी ने हर बार टूटकर इश्क़ किया, लेकिन हर बार मोहब्बत में उन्हें धोखा ही मिला. 

Meena Kumari

पिता से लेकर प्रेमी तक, हर किसी ने मीना कुमारी को सिर्फ दर्द ही दिया
मीना कुमारी का बचपन ग़रीबी में गुजरा. मीना कुमारी का परिवार मुम्बई की एक चॉल में रहता था. जब मीना कुमारी का जन्म हुआ, तो घर में पहले से दो बेटियां होने के कारण उनके पिता उन्हें एक अनाथालय के बाहर छोड़ आए, लेकिन कुछ दूर जाने पर उनसे अपनी बेटी का रोना देखा नहीं गया और वो उसे घर ले आए. जब परिवार की तंगहाली और ज़्यादा बढ़ने लगी, तो मीना कुमारी के पिता ने महज़ चार साल की उम्र से ही उन्हें फिल्मों में काम करने को मजबूर कर दिया. महज़बीं उर्फ़ मीना कुमारी के अब्बू उन्हें जबरदस्ती मार-पीट कर फिल्मों के सेट पर ले जाया करते थे. नन्हीं महजबीं पढ़ना चाहती थीं, दूसरे बच्चों की तरह खेलना-कूदना चाहती थी, लेकिन उनके अब्बू ने न तो उन्हें पढ़ने दिया और न ही उन्हें अपना बचपन जीने दिया, उनके अब्बू ने सिर्फ उनसे काम करवाया. इसी वजह से मीना कुमारी को अपने पिता से नफरत-सी हो गई थी.

Meena Kumari

जब मीना कुमारी को कमाल अमरोही से हुआ प्यार 
ये उन दिनों की बात है जब 'महल' फिल्म को निर्देशित करने के बाद कमाल अमरोही रातोंरात स्टार बन गए. मीना कुमारी ने जब कमाल अमरोही की तस्वीर एक मैगजीन में देखी, तो वो उनसे बहुत प्रभावित हुई. फिर कुछ समय बाद मीना कुमारी किसी मित्र के माध्यम से कमाल अमरोही से मिलीं. इस मुलाक़ात के बाद कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को अपनी अगली फिल्म के लिए साइन किया. ये फिल्म तो नहीं बन पाई, लेकिन इन दोनों की प्रेम कहानी शुरू हो गई. कमाल अमरोही दो शादियां कर चुका थे और तीन बच्चों के पिता थे, फिर भी मीना कुमारी ने उन्हें टूटकर चाहा. जब मीना कुमारी का एक छोटा-सा एक्सीडेंट हुआ और वो उस वक़्त पुणे में हॉस्पिटल में भर्ती थी, तो कमाल अमरोही उनसे मिलने मुंबई से पुणे जाया करते थे. अपने अब्बू के डर से मीना कुमारी ने चुपके से कमाल अमरोही से निकाह कर लिया, जब उनके पिता को इस बात का पता चला, तो उन्हें ये बात बर्दाश्त नहीं हुई. उन्हें ये बात पसंद नहीं थी कि कमाल अमरोही की पहले से दो बीवियां और तीन बच्चें थे और वो मीना कुमारी से उम्र में बहुत बड़े थे. मीना कुमारी के पिता ने उनकी शादी तोड़ने की भी कोशिश की, लेकिन मीना कुमारी पूरी तरह कमाल अमरोही के प्यार में पागल थीं. आखिरकार मीना कुमारी अपनी सारी कमाई अपने अब्बू के घर छोड़ सिर्फ कुछ साड़ियां लेकर रात में  कमाल अमरोही के घर उनके साथ रहने चली गईं. शादी के पहले तक तो सब ठीक था, लेकिन शादी के बाद कमाल अमरोही बदलने लगे, वो अब प्रेमी से पति जो बन चुके थे. मीना कुमारी का करियर बहुत अच्छा चल रहा था, जिसके चलते कमाल अब मीना कुमारी की कामयाबी से जलने लगे थे. साथ ही वो उन पर शक भी करने लगे थे. कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को कभी अपने बच्चे की मां नहीं बनने दिया, मीना कुमारी ने अपना प्यार और अपनी गृहस्थी बचाने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन वो कामयाब न हो सकी. आखिरकार हार कर 12 साल बाद मीना कुमारी ने कमाल अमरोही का घर छोड़ दिया.

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Meena Kumari kamal amrohi

मीना कुमारी और धर्मेंद्र की प्रेम कहानी
जब धर्मेंद्र फिल्म इंडस्ट्री में आए, उस समय मीना कुमारी बहुत बड़ी स्टार बन चुकी थीं. मीना कुमारी की सिफारिश पर धर्मेंद्र को कई फिल्मों में काम मिला. दरअसल मीना कुमारी को धर्मेंद्र का मेंटॉर कहा जा सकता है. वो धर्मेंद्र को एक्टिंग की बारीकियां सिखाती थीं. मीना कुमारी ने ही धर्मेंद्र के व्यक्तित्व को निखारा. फिर फिल्मों में साथ काम करते हुए दोनों करीब आ गए, लेकिन मुश्किल ये थी कि वो दोनों ही उस समय शादीशुदा थे इसलिए उनका इश्क़ अधूरा ही रह गया. जानने वाले बताते हैं कि जब मीना कुमारी बहुत ज्यादा बीमार हो गईं, तो आखिर तक जो चंद फिल्मी दोस्त उनसे मिलने आते थे, उनमें धर्मेंद्र भी एक थे. 

Meena Kumari Dahrmender

मीना कुमारी और गुलज़ार की प्रेम कहानी
कमाल अमरोही हमेशा मीना कुमारी पर पहरे लगाकर रखते थे. उनके मेकअप रूम में किसी मर्द को जाने नहीं देते थे, लेकिन पति की ज़्यादतियों से तंग आ चुकी मीना कुमारी अब विद्रोही हो चुकी थी. मीना कुमारी कुछ पल अपने लिए जी लेना चाहती थी. इसी के चलते वो गुलज़ार के भी करीब आईं. उस समय मीना कुमारी और गुलज़ार की प्रेम कहानी का ज़िक्र भी खूब हुआ करता था. ऐसा कहा जाता है कि एक बार मीना कुमारी ने स्टूडियो में गुलज़ार को बुलाया और सबके सामने अपना प्यार ज़ाहिर किया. उसके बाद मीना कुमारी अपने पति के घर से चली गईं, फिर वो अपनी बहन के साथ रहने लगीं. दरअसल, मीना कुमारी को शायरी लिखना बहुत पसंद तह. शायरी का ये शौक़ ही उन्हें गुलजार के करीब ले गया था. मीना कुमारी के शायराना अंदाज़ और अदाकारी पर गुलजार भी फिदा थे. फ़ुर्सत के लम्हों में दोनों शेर-ओ-शायरी पर बातें किया करते थे. मीना कुमारी अपनी तमाम निजी डायरियां गुलज़ार को सौंपकर दुनिया से रुख़सत हो गईं. फिर मीना कुमारी की लिखी नज़्मों और ग़ज़लों को गुलज़ार ने एक नया कलेवर देकर 'मीना कुमारी की शायरी' नामक किताब प्रकाशित करवाई, लेकिन डायरियों में लिखा बहुत कुछ कभी बाहर नहीं आ सका.

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Meena Kumari Gulzar

कई लोगों से जोड़ा गया था मीना कुमारी का नाम
मीना कुमारी का नाम कई लोगों के साथ जोड़ा गया था. फिल्म बैजू बावरा के निर्माण के दौरान अभिनेता भारत भूषण भी मीना कुमारी के प्रति अपने प्रेम का इज़हार कर चुके थे. इसी तरह अभिनेता राजकुमार को मीना कुमार से इस कदर मोहब्बत हो गई थी कि वो मीना कुमारी के साथ काम करते हुए सेट पर अपने डायलॉग भूल जाते थे.

Meena Kumari

मीना कुमारी को ऐसे पड़ी थी शराब पीने की लत
फिल्मी करियर में बेहद सफलता मिलने के बाद भी मीना कुमारी को कभी प्रेम नहीं मिल पाया, वो हमेशा तन्हाई से लड़ती रहीं. ऐसा कहा जाता है कि कमाल अमरोही के साथ अपने असफल रिश्ते और धर्मेंद्र के साथ अपने अधूरे प्रेम संबंध की वजह से मीना कुमारी इस तरह डिप्रेशन में चली गईं कि उन्होंने शराब को अपना साथी बना लिया. अभिनय की दुनिया में आसमान-सी ऊंचाई हासिल करने वाली मीना कुमारी अपनी पर्सनल लाइफ से हार गई. मीना कुमारी को शराब की ऐसी लत लगी कि इस लत ने ही उनकी जान ले ली और महज चालीस साल की उम्र में महजबीं उर्फ मीना कुमारी ने ज़िंदगी को अलविदा कह दिया.

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शायरी: निदा फ़ाज़ली की उम्दा ग़ज़लें (Shayari: Nida Fazli Special)

Shayari, Nida Fazli Special
ग़ज़ल 1
गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया
इक इश्क़ नाम का जो परिंदा ख़ला में था उतरा जो शहर में तो दुकानों में बट गया
पहले तलाशा खेत फिर दरिया की खोज की बाक़ी का वक़्त गेहूँ के दानों में बट गया
जब तक था आसमान में सूरज सभी का था फिर यूँ हुआ वो चंद मकानों में बट गया
हैं ताक में शिकारी निशाना हैं बस्तियाँ आलम तमाम चंद मचानों में बट गया
ख़बरों ने की मुसव्वरी ख़बरें ग़ज़ल बनीं ज़िंदा लहू तो तीर कमानों में बट गया
ग़ज़ल 2
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता
कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं ज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता
चराग़ जलते हैं बीनाई बुझने लगती है ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
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मैं शायर तो नहीं… (Hindi Shayari: Main Shayar To Nahi…)

  mansoon (1)

 अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल

दिल को अब यूँ तेरी हर एक अदा लगती है
दिल को अब यूँ तेरी हर एक अदा लगती है जिस तरह नशे की हालत में हवा लगती है रतजगे खवाब परेशाँ से कहीं बेहतर हैं लरज़ उठता हूँ अगर आँख ज़रा लगती है ऐ, रगे-जाँ के मकीं तू भी कभी गौर से सुन, दिल की धडकन तेरे कदमों की सदा लगती है गो दुखी दिल को हमने बचाया फिर भी जिस जगह जखम हो वाँ चोट सदा लगती है शाखे-उममीद पे खिलते हैं तलब के गुनचे या किसी शोख के हाथों में हिना लगती है तेरा कहना कि हमें रौनके महफिल में “फराज़” गो तसलली है मगर बात खुदा लगती है

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मैं शायर तो नहीं… (Hindi Shayari: Main Shayer To Nahi…)

love

बशीर बद्र की ग़ज़ल 

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा!! कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा!! अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा!! मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा!! आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़ ये बदन मोम का है पिघल जायेगा!!

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मैं शायर तो नहीं… (Hindi Shayari: Main Shayar to Nahi…)

मैं शायर तो नहीं... (Hindi Shayari: Main Shayer to nahi...)
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