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महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) का पावन त्योहार हर शिव भक्त के लिए सबसे बड़ा दिन होता है, तभी तो वो अपने इष्ट बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने का कोई भी उपाय छोड़ना नहीं चाहते. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धापूर्वक पूजन व ध्यान करता है. महादेव की पूजा विधि आसान नहीं, पर ख़ासतौर से शिव भक्तों के लिए हम लेकर आए हैं आसान पूजा विधि, ताकि शिवजी आप पर प्रसन्न हों और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों.
क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि?
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था. इस कारण इसे पूरे देश में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. शिवरात्रि के दिन जो भी भगवान शिव की पवित्र मन से आराधना करता है, उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है.
कैसे करें पूजा?
– भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करेे.
– यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें. उसके बाद आसन की शुद्धि करें.
– पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें.
– अब जलाभिषेक करने के बाद पाठ करें. भगवान शिव का अभिषेक करते समय दूध, दही, शहद, पानी आदि का उपयोग कर सकते हैं.
– शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर, अभिषेक करके हाथ जोड़कर पाठ करें.
– पूजा ख़त्म होने के बाद क्षमा याचना करना न भलें. ये इसलिए कि अगर आप से पूजा करने में कोई भूल-चूक हो गई हो, तो भोलेनाथ उसे क्षमा कर दें.
क्यों चढ़ाते हैं सिंदूर?
सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शिव उपासना के लिए उत्तम माना जाता है. बैद्यनाथधाम प्रकृति और पुरुष का मिलन स्थल है, इसलिए यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है, ख़ासकर महिलाओं के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. उनकी माने तो माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शंकर को प्राप्त किया था और इसीलिए महिलाएं सौभाग्य और समृद्धि की कामना के लिए बाबा के दरबार पहुंचती हैं. ऐसे में सिंदूर चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ की तरह ही सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
क्या है भोलेनाथ को पसंद?
भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र अति प्रिय है. मंदिर में जाते समय आप इसे साथ ले जाएं और भगवान को अर्पित करें.
भोलेनाथ को पसंद हैं ये फूल
भगवान शिव को कुछ अलग तरह के फूल ही पसंद हैं. मंदिर जाते समय इन्हीं फूलों को ले जाएं.
– धतूरे के फूल
– अलसी के फूल
– बेला के फूल
– कनेर के फूल
शिव आरती
ॐ जय शिव ओंकारा….
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे|
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें|
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी|
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा….
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें|
सनकादिक, ब्रम्हादिक, भूतादिक संगें||
ॐ जय शिव ओंकारा…
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता|
जगकर्ता, जगभर्ता, जगसंहारकर्ता॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी|
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें|
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
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