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Ssharad Malhotraa
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कहते हैं ना, प्यार का रिश्ता भुलाए नहीं भूलता. कुछ ऐसा ही हुआ टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी के साथ. दिव्यांका के सामने जब उनके एक्स बॉयफ्रेंड शरद मल्होत्रा का ज़िक्र आया, तो वो ख़ुद को रोक नहीं सकीं और इमोशनल हो गयीं. बता दें कि दिव्यांका त्रिपाठी का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दिव्यांका त्रिपाठी अपने एक्स बॉयफ्रेंड शरद मल्होत्रा की बात करते हुए इमोशनल हो गयीं. ऐसा एक चैट शो में हुआ.
दिव्यांका त्रिपाठी हाल ही में एक चैट शो ‘जज़्बात’ में पति विवेक दहिया के साथ पहुंची थीं. शो के होस्ट राजीव खंडेलवाल ने जब दिव्यांका त्रिपाठी से पूछा कि हार्टब्रेक ने उनसे क्या लिया, तो दिव्यंका ने इमोशनल होकर बताया, “मेरे 8 साल, उस दौरान ऐसा लगा जैसे ज़िंदगी खत्म हो रही है. मैं अंधविश्वास के लेवल तक चली गई थी, मैं शायद बिना प्यार के नहीं रह सकती. इस शो में दिव्यांका त्रिपाठी ने प्रेग्नेंसी से जुड़े सवाल पर भी बात की.
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दिव्यांका त्रिपाठी ने इस शो का वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया है:
View this post on InstagramWaiting 😍 6th May… SUNDAY… 7pm…. On Zee… #JuzzBaatt #DiVek
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मदर्स डे के ख़ास मौके पर टीवी स्टार्स ने मां के लिए अपना प्यार जताया और दिल से कहा, मां तुझे सलाम!
रश्मि देसाई: मेरी मां टीचर हैं. उन्होंने मुझे अच्छे संस्कार के साथ ही डिसिप्लिन भी सिखाया, जो आज भी मेरे बहुत काम आता है. सभी बच्चों को अनुशासन का पालन ज़रूर करना चाहिए, इससे वो हमेशा जीवन में आगे ही बढ़ेंगे. बचपन में मैं बहुत शर्मीली थी, लेकिन स्कूल में एक्स्ट्रा करिक्युलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेने के बाद मेरी हिचक दूर हो गई. मां ने मुझे सिखया कि मेहनत ही वो जादू की छड़ी है, जो आपको कभी फेल नहीं होने देती. मां मेरी लाइफलाइन हैं. मैं उनके बिना ज़िंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती. मेरे लिए उनकी ख़ुशी से बढ़कर और कोई चीज़ नहीं है. उनकी पॉज़िटिविटी मुझे हमेशा आगे बढ़ने का हौसला देती है. ज़िंदगी के हर अच्छे-बुरे दौर में वो हमेशा मेरे साथ रही हैं.
शरद मल्होत्रा: मैं कलकत्ता में पला-बढ़ा हूं. मेरी मां ने मुझे बहुत अच्छी परवरिश दी है. उन्होंने हमें कभी किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया, लेकिन मुझे और मेरी बहन को पूरे अनुशासन में भी रखा. मैं मुंबई में रहता हूं, लेकिन ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरता जब मेरी मां से बात नहीं होती. मेरे कुछ कहने से पहले ही मां मेरे मन की बात समझ लेती हैं. ज़ी सिनेस्टार की खोज में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने ही मुझे प्रोत्साहित किया था. मुझसे इतनी दूर रहते हुए भी मां को यही चिंता रहती है कि मैंने ठीक से खाया कि नहीं. मां हर तीन महीने में मुझसे मिलने मुंबई आती हैं. मैं अपनी मां से हर बात शेयर कर सकता हूं. वो मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं. मैं जब भी निराश होता हूं, तो मां मुझे उस सिच्युएशन का पॉज़िटिव पहलू दिखाती हैं.
वाहबिज़ दोराबजी: मुझे इस बात का फख़्र है कि मैं फिरोज़ा दोराबजी की बेटी हूं. वो मेरी दोस्त भी हैं, बहन भी और राज़दार भी. मां की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि वो जितनी ख़ूबसूरत हैं, उतनी ही पॉज़िटिव और ज़िंदादिल भी हैं. आज मैं जो कुछ भी हूं अपनी मां की वजह से हूं. उनके दिए संस्कार हमेशा मेरे साथ रहेंगे. ग्लैमर इंडस्ट्री में रहते हुए भी मैं एक फैमिली पर्सन हूं और अपने परिवार के बिना नहीं रह सकती. सच कहूं, तो मैं अपनी मां की परछाईं हूं.
मृणाल जैन: मैं मां के बिना अपनी ज़िंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता. वो मेरे मन की हर बात बिना कहे ही समझ जाती हैं. मारवाड़ी फैमिली में एक्टिंग में करियर बनाना आसान नहीं था, लेकिन मेरी मां ने पापा को मनाया और मुझे मेरा मनपसंद करियर चुनने में मदद की. मां मेरी अच्छाई-बुराई सब जानती हैं, वो मेरा चेहरा पढ़ सकती हैं, मेरे झूठ पकड़ सकती हैं. पापा ऑफिस जाते हैं इसलिए बच्चे अपना ज़्यादा समय मां के साथ ही बिताते हैं इसलिए मां से एक अलग ही बॉन्डिंग हो जाती है. वो मुझे आज भी अक्सर अपने हाथों से खिलाती हैं. मां जैसा दुनिया में और कोई हो ही नहीं सकता.

जी हां, पॉप्युलर टीवी एक्टर शरद मल्होत्रा ने मुंबई के कमाटीपुरा स्थित रेड लाइट एरिया में जाकर विमेन्स डे सेलिब्रेट किया. एक एक्टर का समाज की उन औरतों के बारे में सोचना, जिन्हें मजबूरी में देह का व्यापार करना पड़ता है और समाज में उनके बारे में बात तक नहीं की जाती, वाकई एक सराहनीय कदम है.
शरद मल्होत्रा कहते हैं, “जब मैं कमाटीपुरा गया, तो मैंने उन चेहरों को देखा, जिन्हें हम कभी नहीं देखते. उस प्रोफेशन के लोगों से मिला, जिनके बारे में हम बात तक नहीं करते. जब सूरज ढलता है, तो इस इलाके की गतिविधियां बढ़ जाती हैं, रात से लेकर सवेरे तक इस इलाके में जाने कितनी कहानियां बनती हैं.
मेरे लिए ये एक बहुत ख़ास अनुभव था जब मैं उस इलाके की कई ख़ूबसूरत महिलाओं से मिला. ख़ास बात ये है कि उन महिलाओं ने मेरा मुस्कुराकर स्वागत किया. शुरुआत में मैं थोड़ा हिचकिचा रहा था, लेकिन कुछ समय बाद मैं उनके साथ घुल-मिल गया. मैं इस अनुभव को कभी नहीं भूल सकता.”