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स्ट्रेस या तनाव आजकल आज की भागदौड़भरी ज़िंदगी में हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है. आज हालात ये हैं कि हम हर छोटी-छोटी बात का स्ट्रेस ले लेते हैं, पर ये स्ट्रेस हमारी सेहत को न सिर्फ़ बुरी तरह प्रभावित करता है, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बन जाता है. बीमारियों की इस जड़ स्ट्रेस यानी तनाव को दूर रखने के लिए आज़माएं ये 4 योगासन- सुलभ जानुशिरासन, अधोमुख स्वस्तिकासन, सुप्त बद्धकोणासन, सुप्त सर्वांगासन. ये 4 योगासन नियमित रूप से करने से आप स्ट्रेस यानी तनाव से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं.
तनाव दूर करके मन को शांत रखने के लिए करें ये 10 आसान उपाय
1) रात में सोने से पहले ही अगले दिन की प्लानिंग कर लें. ऐसा करने से आप क्लियर रहेंगे कि अगले दिन आपको किस समय कौन सा काम करना है. काम का सही प्रबंधन करके आप अपना स्ट्रेस काफी हद तक कम कर सकते हैं.
2) रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें, ताकि आपको पर्याप्त नींद मिल सके. सुबह जल्दी उठने से आप वर्कआउट के लिए आसानी से समय निकाल पाएंगे.
3) किसी भी काम को लास्ट मिनट के लिए न रखें, आप अपने हर काम को जितनी जल्दी निपटा देंगे, आपका तनाव उतना ही कम होता चला जाएगा. अतः अपना हर काम समय से करें.
4) उतना ही काम हाथ में लें, जितना आप आसानी से कर सकें. मल्टीटास्किंग करने वाले कई लोग हमेशा तनाव में रहते हैं इसलिए काम के साथ-साथ अपनी सेहत का भी विशेष ध्यान रखें.
5) रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले मुस्कुराएं और मन में ये सोचें कि आपका आज का दिन बहुत अच्छा बीतने वाला है.
6) रोज़ सुबह कुछ समय योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ के लिए ज़रूर निकालें. ऐसा करने से आपका स्टेमिना बढ़ेगा और आप अपने काम के प्रति ज़्यादा फोकस्ड रहेंगे. तनाव दूर करके मन को शांत रखने के लिए हमारे बताए 4 योगासन ज़रूर करें, ये 4 योगासन रोज़ करने से आप स्ट्रेस फ्री रहेंगे और अपना हर काम आसानी से पूरा कर लेंगे.
7) अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें. हेल्दी डायट लें, ऐसा करने से आप हमेशा फिट और हेल्दी बने रहेंगे.
8) अपनी हॉबीज़ के लिए समय निकालें. हमारे शौक हमें खुश रखते हैं और हमारा तनाव दूर करते हैं.
9) ऐसे लोगों से दूर रहें जो हर समय नकारात्मक बातें करते हैं. ऐसे लोगों के साथ रहें जो हमेशा पॉज़िटिव रहते हैं.
10) हमेशा अच्छे कपड़े पहनें और बन-ठन के रहें. ऐसा करने से आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और आप अपना हर काम कॉन्फिडेंस से करेंगे, जिससे आपको हर काम में सफलता मिलेगी और आप खुश रहेंगे.
तनाव दूर करके मन को शांत रखने के लिए रोज़ करें ये 4 योगासन, इन 4 योगासन को करने की विधि जानने के लिए देखें ये वीडियो :

आज कहां नहीं है स्ट्रेस? घर-परिवार, करियर, नौकरी… हर जगह तनाव का मकड़जाल फैला हुआ है. और धीरे-धीरे इसने अंतरंग लम्हों में भी घुसपैठ कर दी है. क्या एक हेल्दी रिलेशन के लिए सेक्स स्ट्रेस को दूर करने की ज़रूरत नहीं है?
मनोचिकित्सक डॉ. अजीत दांडेकर के अनुसार, “स्ट्रेस लेवल बढ़ने के कारण शरीर के कई ऐसे हार्मोंस प्रभावित होते हैं, जिनकी वजह से सेक्स स्ट्रेस बढ़ जाता है. यदि पति-पत्नी अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी का विश्लेषण करने के लिए कुछ समय निकाल सकें तो सेक्स स्ट्रेस का कारण ख़ुद ही समझ में आ जाएगा. सेक्स स्ट्रेस का कोई एक कारण नहीं है. मॉडर्न लाइफ़स्टाइल व अनेक चाही-अनचाही परिस्थितियां इसके लिए ज़िम्मेदार हैं.” आइए, उन विभिन्न स्थितियों को समझें.
समय की कमी व अपनों की फ़िक्र
सेक्स क्रिया के लिए समय व तनावरहित वातावरण चाहिए, जो आजकल लोगों को नहीं मिलता है. यदि समय मिल भी गया तो मन तरह-तरह की चिंताओं से घिरा रहता है. बच्चों का प्रेशर, माता-पिता का प्रेशर, ऑफ़िस की चिंताएं अनेक ऐसी बातें हैं, जो व्यक्ति को तनावमुक्त होने ही नहीं देतीं. फिर अपनी-अपनी अलग सोच और थकान के कारण तालमेल की कमी भी सेक्स के प्रति उदासीनता की स्थिति पैदा करती है.
काम का प्रेशर
ऑफ़िस या बिजनेस में ख़ुद को बेहतरीन साबित करने का जुनून, प्रमोशन की चाह, बॉस की नज़रों में योग्य बने रहने के प्रयास में कभी-कभी व्यक्ति अपनी सारी एनर्जी ख़र्च कर डालता है. वैसे भी बड़े-बड़े पैकेज यानी लाखों में मिलने वाली सालाना तनख़्वाह व्यक्ति को निचोड़कर रख देती है. अधिक आमदनी के लिए 8 की जगह 12-15 घंटे काम करना पड़ता है. ऑफ़िस के बाद कभी-कभी घर पर भी काम पूरा करना पड़ता है. इस तरह के हाईप्रेशर जॉब के साथ प्रायः संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है. ऑफ़िस व घर दोनों ही ज़िम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में व्यक्ति इतना थक जाता है कि बिस्तर पर लेटते ही सो जाता है. इसका सीधा असर उसकी सेक्स लाइफ़ पर
पड़ता है.
करियर की चाह
करियर में आगे बढ़ने की चाह एक ओर सफलता की मंज़िल तक पहुंचने का उत्साह बढ़ाती है, तो दूसरी ओर रिश्तों की गर्माहट में बाधक भी बनती है. करियर के कारण कभी-कभी पति-पत्नी को एक-दूसरे से अलग रहना पड़ता है. वे वीकएंड पर ही साथ रह पाते हैं. ऐसे कपल्स अनेक कुंठाओं के शिकार होते हैं, भले ही यह स्थिति उन्होंने स्वेच्छा से चुनी हो. ऐसे में साथ होते हुए भी तरह-तरह की शंका-आशंका (जैसे- विवाहेतर संबंध) या अपराधबोध उन्हें जकड़ने लगता है, अनेक ऐसी बातें सेक्स लाइफ़ को प्रभावित करती हैं.
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असुरक्षा की भावना
आज की शादीशुदा ज़िंदगी में वर्किंग पति-पत्नी के रिश्तों में आजीवन साथ रह पाने की निश्चिंतता नहीं है. डर बना ही रहता है कि कब अलग हो जाना पड़े, क्योंकि दोनों के अहं होते हैं, जो कभी भी टकरा सकते हैं. दोनों में कोई भी समझौते के लिए तैयार नहीं होना चाहता है. लिहाज़ा महिलाओं के मन में अधिक बचत की चिंता रहती है. वे ज़्यादा से ज़्यादा कमाने की कोशिश में रहती हैं. वे सुरक्षित होना चाहती हैं. पुरुषों को स्त्रियों की सोच में स्वार्थ नज़र आता है. इस तरह की स्थिति तनाव व टकराहट को जन्म देती है.
प्लानिंग की कमी
आज का व्यक्ति अपनी चादर देख कर पैर नहीं पसारता, बल्कि पैर पसारने के बाद चादर की खींचातानी शुरू करता है. आधुनिक सुख-साधन जुटाना, रिसॉर्ट या विदेश में छुट्टियां बिताना हर दंपति की इच्छा होती है. संभव हो, न हो, उसकी कोशिश व चाह तो होती ही है. आज विकल्प के रूप में लोन व क्रेडिट कार्ड की उपलब्धता व बाद में उनकी किश्तें चुकाने का प्रेशर शरीर व मन दोनों को थका डालता है, बिना प्लानिंग के जो फ़ायनेंशियल स्ट्रेस झेलना पड़ता है, वो अंततः व्यक्ति की ज़िंदगी को पूरी तरह से प्रभावित करता है. सेक्स लाइफ़ के प्रति उदासीन कर देता है.
पोर्नोग्राफ़ी का असर
पोर्नोग्राफ़ी (यानी कामवासना संबंधी साहित्य, फ़ोटो, फ़िल्म आदि) के प्रभाव के कारण व्यक्ति सेक्स लाइफ़ फैंटेसी की दुनिया से जुड़ जाता है. उस तरह की इच्छा करने लगता है, जबकि वास्तविकता उससे कहीं दूर होती है. ऐसी फैंटेसी के कारण पार्टनर का सेक्स स्ट्रेस बढ़ने लगता है. वे साथ होकर भी काम-सुख या आनंद से वंचित रह जाते हैं. एक-दूसरे की उम्मीदों पर खरा न उतरने व पूर्ण संतुष्ट न कर पाने का तनाव व अनजाना भय रिश्तों में उदासीनता ले आता है.
मीडिया का रोल
आधी-अधूरी जानकारी व ग़लतफ़हमियां भी स्ट्रेस को बढ़ाती हैं. आज हर मैग़जीन में सेक्स कॉलम को ज़रूरी माना जाता है. कॉलम में सेक्सोलॉजिस्ट द्वारा पाठकों के प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं. लेकिन पढ़ने वाला ये भूल जाता है कि संबंधित लेख या कॉलम में दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी होती है जबकि हर व्यक्ति दूसरे से भिन्न होता है. इसके अलावा इंटरनेट सेक्स, होमोसेक्सुअलिटी आदि भी आम व्यक्ति के मन को भ्रमित करने में ख़ास रोल निभा रहे हैं और सेक्स स्ट्रेस को बढ़ा रहे हैं. इसलिए आज यह बेहद ज़रूरी हो गया है कि कपल्स एक-दूसरे के लिए थोड़ा व़क़्त निकालें. साथ ही उपरोक्त सभी मुद्दों पर एकबारगी विचार-विमर्श भी करें, ताकि सेक्स
स्ट्रेस पनपने ही न पाए और ज़िंदगी ख़ुशनुमा बन जाए.
– प्रसून भार्गव
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