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अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की ज़िंदगी से जुड़ी छोटी-सी-छोटी बात भी उनके प्रशंसक जानने के इच्छुक रहते हैं. ऐसे में क्यों न उनके जन्मदिन (Birthday) पर उनकी कुछ लाजवाब बेहतरीन तस्वीरे (Pictures) देखें.
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आज युग पुरुष अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) 78 साल के हो गए हैं, मानो एक युग बीत गया हो उनके अभिनय को देखते, गाते, हंसते-मुस्कुराते. उम्दा कलाकार, बेजोड़ अभिनय, लाजवाब एक्शन… उनका हर रूप, हर रंग, हर अदा बेमिसाल…
सात हिंदुस्तानी से जो सफ़र शुरू हुआ, वो आज भी बरकरार है. कितने दशक सतत काम करते रहे… हर युवा के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं वे. उनकी ख़ूबसूरत फिल्में, सशक्त अभिनय, बहुमुखी भूमिकाएं सदा हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ प्रेरणा भी देती हैं कि हम सदा कर्मठ बने रहें…
वैसे कौन बनेगा करोड़पति टीवी शो के ज़रिए आज भी वे उतने ही जवां, हरफनमौला परफॉर्मेंस को अंजाम दे रहे हैं और करोड़ों दिलों पर राज़ कर रहे हैं. वे यूं ही ताउम्र अभिनय करते रहें, यही दुआ और शुभकामनाएं!
मेरी सहेली परिवार की तरफ़ से उन्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई!
एबी जर्नी…
* अमिताभ बच्चन का जन्म इलाहाबाद में 11 अक्टूबर को हुआ था.
* उनके पिता हरिवंश राय बच्चन हिंदी के जाने-माने लेखक थे और मां तेजी बच्चन भी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं.
* पहले उनका नाम इंकलाब रखा गया था, पर बाद में अमिताभ रखा गया, जिसका मतलब ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा.
* बहुत कम लोग जानते हैं कि अमिताभ बच्चनजी का सरनेम श्रीवास्तव है, पर चूंकि उनके पिता कवि हरिवंश रायजी उपनाम बच्चन लगाते थे, उन्होंने भी अपने नाम के साथ यही उपनाम रहने दिया.
* अमितजी ने दो बार एमए किया था. इलाहाबाद और नैनीताल में अपनी शिक्षा पूरी की.
* करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने कोलकता की एक शिपिंग कंपनी में जॉब भी किया था.
* 3 जून 1973 को अपनी साथी कलाकार जया भादुड़ी के साथ उन्होंने विवाह किया. उनके दो बच्चे अभिषेक और श्वेता हैं.
* अपनी पहली ही फिल्म सात हिंदुस्तानी के लिए उन्हें न्यूकमर का नेशनल अवॉर्ड मिला था.
* आनंद फिल्म में उनके बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए उन्होंने बेस्ट सर्पोेंटिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था.
* फिल्मी करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने परवाना फिल्म में खलनायक की भी भूमिका निभाई थी.
* वे अपने संघर्ष के दिनों में कई सालों तक हास्य कलाकार महमूद के घर भी रहे थे.
* ज़ंजीर फिल्म उनके करियर का टर्निंग प्याइंट रहा. यही से उनके एंग्री यंग मैन का क़िरदार मशहूर हुआ.
* इसी दौर में उनके अभिमान और नमक हराम फिल्म को काफ़ी पसंद किया गया. राजेश खन्ना और रेखा के साथ की नमक हराम के लिए तो उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट सर्पोंटिंग एक्टर का अवॉर्ड भी मिला.
* फिर चुपके-चुपके, दीवार, शोले, अमर अकबर एंथोनी, कभी-कभी फिल्मों से जो कामयाबी का सिलसिला चल पड़ा, वो अब तक बरकरार है.
* रेखा के साथ की फिल्म मि. नटवरलाल के गाने मेरे पास आओ मेरे दोस्तों एक क़िस्सा सुनाऊ… गाने से उन्होंने पहली बार फिल्मों में अपनी आवाज़ दी. इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला.
* साल 1982 में कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान लगे चोट और गंभीर स्थिति होने, फैन्स व लोगों के प्यार, दुआओं के सिलसिले ने यह साबित कर दिया कि अमिताभ बच्चन कितने बड़े स्टार बन गए थे और दर्शकों के लिए उनके दिल में किस कदर प्यार है.
* साथ ही फिल्म के निर्देशक मनमोहन देसाई पर भी इसका ऐसा असर हुआ कि उन्होंने फिल्म का अंत बदल दिया. उनका कहना था कि यह महान शख़्स मौत को जीतकर वापस आया है, तो भला मैं फिल्म में ऐसे कैसे दिखा सकता था. आज भी कुली फिल्म के उस फाइट सीन में जिसमें अमिताभ बच्चन घायल हुए थे, फिल्म देखते समय पॉज़ करके नीचे इसके बारे में कैप्शन दिखाया जाता है.
* उन्हें राजनीति में भी न चाहते हुए दोस्ती की ख़ातिर आना पड़ा, पर आख़िरकार इसे उन्होंने अलविदा कह दिया.
* राजनीति, फिल्म से जुड़े तमाम विवादों के चलते उन्होंने काफ़ी लंबे समय तक मीडिया से भी दूरी बनाए रखी.
* शहंशाह से उनकी ज़बर्दस्त दूसरी इनिंग शुरू हुई. फिर हम, अग्निपथ फिल्मों की सफलता ने उन्हें फिर से स्थापित किया. अग्निपथ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.
* एबीसीएल के बैनर तले उन्होंने कई फिल्में भी बनाई.
* साल 2000 में टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति उनके करियर का मील का पत्थर साबित हुई. इस शो के ज़रिए अमितजी को लोगों का भरपूर प्यार, सराहना, मान-सम्मान मिला. जो अब तक बरकरार है.
– ऊषा गुप्ता
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कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
हां, मैंने भी कुछ हसीन सपने देखे थे और ज़िंदगी ने मुझे ड्रीम गर्ल का ख़िताब दे डाला. मैंने आसमान छूने की ख़्वाहिश की और मेरे चाहनेवालों ने मुझे फलक पर बिठा दिया. मैंने ज़िंदगी में अपने हर क़िरदार को पूरी शिद्दत से निभाया और ज़िंदगी ने हमेशा मुझे मेरी ख़्वाहिश से ज़्यादा ही दिया है. हम दुनिया में आते हैं… बड़े होते हैं, फिर आंखों में कई नए-नए सपने पलने लगते हैं… उन्हें देखते हैं और जुट जाते हैं उन्हें पूरा करने में… दिल में कई अरमान जागते हैं… हम भागने लगते हैं उन्हें मुकम्मल करने के लिए… हसरतों के दायरे फिर हमें धीरे-धीरे कैद करने लगते हैं अपनी परिधि में… ये तो है इंसानी फ़ितरत, लेकिन इसमें भी यदि हम बात करें एक औरत की, तो उसके दायरे तो व़क्त के साथ-साथ और भी सिमटने लगते हैं… लेकिन जहां तक मेरी बात है, तो मुझे न तो अपने दायरे समेटने पड़े और न ही सपनों पर पाबंदी लगानी पड़ी, क्योंकि मेरे प्रयास सच्चे थे और मुझे अपनों का भी भरपूर साथ मिला.
मैं यही कहूंगी कि बेशक, हर सपना पूरा होता है, यदि आप सही दिशा में काम कर रहे हों और आपने अपने सपने को पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की हो. यदि हम अपने अतीत पर नज़र डालेंगे, तो पाएंगे कि आज हम जो कुछ भी हैं, वो अतीत में हमारे द्वारा किए गए प्रयासों का ही नतीजा है.
ख़्वाहिशें, अरमान, अपेक्षाएं, इच्छाएं… ये तमाम तत्व इंसानी फ़ितरत का हिस्सा हैं. ख़्वाहिशें रखना ग़लत भी तो नहीं है. किसी चीज़ को पाने की ख़्वाहिश रखना बहुत अच्छी बात है और ये भी सच है कि आप पूरी ईमानदारी के साथ जितने बड़े सपने देखते हैं, ज़िंदगी आपको उससे कहीं ज़्यादा देती है, लेकिन उसके लिए आपका अपने सपनों के प्रति ईमानदार होना ज़रूरी है. जैसे आप यदि मर्सिडीज़ ख़रीदने का लक्ष्य रखते हैं, तो उसके बाद आपका मस्तिष्क उसी दिशा में सोचना शुरू कर देता है, आप उसे पाने के रास्ते तलाशने लगते हैं, आपके हालात भी उसी के अनुरूप बदलने लगते हैं और आख़िरकार आप मर्सिडीज़ ख़रीद लेते हैं. इसलिए जीवन में लक्ष्य का होना बहुत ज़रूरी है.
हमें बचपन से अपने बच्चों को ये बात सिखानी चाहिए कि बड़े लक्ष्य रखो, बड़े सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करो, फिर आपको वो चीज़ पाने से कोई नहीं रोक सकता. अक्सर मैं लोगों को देखती हूं, जिन्हें ज़िंदगी से बहुत शिकायत रहती है… बहुत कुछ होने के बाद भी वो संतुष्ट नहीं होते. उन्हें शायद ख़ुद भी यह नहीं पता होता कि उन्हें आख़िर क्या चाहिए. यही वजह है कि न तो उनके पास कोई लक्ष्य होता है और न ही उसे हासिल करने के लिए कोई प्रेरणा. मन की चंचलता उन्हें ताउम्र असंतुष्ट रखती है और वो भटकते रहते हैं, इसलिए सबसे ज़रूरी है कि आपके मन में यह बात पूरी तरह से साफ़ होनी चाहिए कि आपकी मंज़िल क्या है और आपको उस तक किस तरह से पहुंचना है. आपके प्रयास किस तरह के होने चाहिए और आपके त्याग कितने बड़े हो सकते हैं.
अगर मैं अपनी बात करूं, तो मैं भी एक बेहद आम-सी लड़की थी, लेकिन मेरी मां ने मेरे लिए बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए मुझे सही दिशा दी. अगर मेरी मां कोई और होती, तो शायद मैं आज यहां न होती. मेरी मां ने मेरी ज़िंदगी को सही दिशा दी और मुझे उसके लिए मेहनत करने की हिम्मत भी दी. आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें मेरी मां का बहुत बड़ा रोल है.
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आज जब मैं अपने बचपन को याद करती हूं, तो पाती हूं कि मेरी परवरिश बहुत अच्छे माहौल में हुई. मेरी मां ने मुझे कला के प्रति समर्पित होना सिखाया, इसीलिए मेरी कला आज मेरी पहचान बन गई है. मां ने मेरे लिए जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने मुझे सही राह दिखाई, इसीलिए आज मैं यहां पहुंच पाई हूं. बचपन में जब मैं अपनी खिड़की से बाहर देखती थी कि मेरे फ्रेंड्स बाहर खेल रहे हैं और मैं घर में डांस की प्रैक्टिस कर रही हूं, तो मुझे मां पर बहुत ग़ुस्सा आता था, लेकिन आज जब मैं देखती हूं कि वो लड़कियां कहां हैं और मैं कहां हूं, तब समझ में आता है कि मेरी मां ने मेरे लिए कितने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए कितनी मेहनत की. आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी मां की वजह से हूं. बच्चों को प्यार देना जितना ज़रूरी है, उन्हें अनुशासन में रखना भी उतना ही ज़रूरी है. मां ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया, उन्होंने मुझे सिखाया कि आपके पास यदि हुनर है, तो उसे इतना निखारो कि आपका हुनर ही आपकी पहचान बन जाए. मैंने यदि कला की साधना की है, तो कला ने भी मुझे नाम-शोहरत सब कुछ दिया है.
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हर पैरेंट्स को अपने बच्चों को सपने देखना और गोल सेट करना सिखाना ही चाहिए, फिर उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. वैसे भी आजकल इतने
छोटे-छोटे बच्चे रियालिटी शोज़ में कितना कुछ कर दिखाते हैं, उनके इस टैलेंट के पीछे उनके पैरेंट्स की मेहनत साफ़ दिखाई देती है. बच्चा पढ़ाई में ही अच्छा हो ये ज़रूरी नहीं, बच्चे के टैलेंट को पहचानें और उसे उसी फील्ड में आगे बढ़ने दें.यक़ीन मानिए, आप जिस भी चीज़ को शिद्दत से चाहते हैं, वो आपको मिलती है, आपको बस मेहनत करते रहना चाहिए.
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जवां दिलों की धड़कन शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की बेबी मिशा को एक नज़र देखने की हर किसी की ख़्वाहिश आखिरकार पूरी हो गई. जी हाँ शाहिद ने अपनी लाडली की एक बेहद ही ख़ूबसूरत फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें वो अपनी मां मीरा राजपूत के सीने से लगी दिखाई दे रही हैं.
मिशा के जन्म से शाहिद के फैंस उनकी लाडली बिटिया की एक झलक के लिए तरस रहे थे. जब भी शाहिद (Shahid) से इस बारे में पूछा जाता, उनका जवाब होता ‘सही समय पर’ और देखिये वो सही समय आ ही गया. मिशा का जन्म २६ अगस्त २०१६ को हुआ था.
सोशल मीडिया पर फोटो के आते ही उनके फैंस ने दिल खोलकर मिशा की तारीफ़ की. किसी ने उसे क्यूट कहा तो किसी ने शाहिद की कार्बन कॉपी…
आप क्या कहेंगे शाहिद की इस लाडली को देखकर?
– अनीता सिंह