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Tension
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इस कोरोना महामारी के दौर में हम सभी बेहद मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं. एनसीबीआई के अनुसार, इस महामारी के दौरान भारतीय आबादी में तनाव, चिंता, अवसाद, अनिद्रा और आत्महत्या की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है. अब यह स्थिति और भी भयावह हो गई है, क्योंकि बच्चे, बुज़ुर्ग, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता और पुराने बीमारी से ग्रस्त मरीज़ भी इसके चपेट में अधिक आ रहे हैं. इसी सन्दर्भ में मिलेनियम हर्बल केयर के सीईओ चिंतन गांधीजी के आयुर्वेद के महत्व को बताया और कई उपयोगी जानकारियां दीं.
आयुर्वेद के अनुसार, एक स्वस्थ दिमाग़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. एक समग्र विज्ञान होने के नाते आयुर्वेद मन, शरीर, आत्मा, इंद्रियों और उनके कामकाज के बीच संबंध की खोजता रहा है और बताता रहा है.
एकबारगी देखें तो तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा सकता है, रक्तचाप बढ़ा सकता है, याददाश्त में कमी कर सकता है, अवसाद, चिंता और अन्य विकारों को भी बढ़ा सकता है. ऐसे में मन और शरीर को ठीक करने में मदद करने के लिए आयुर्वेद के सिद्धांत सदियों से प्रचलन में हैं. आइए संक्षेप में इसके बारे में जानें.
मालिश
आयुर्वेद में, अभ्यंग (तेल मालिश) दैनिक स्व-देखभाल अनुष्ठान है. जिसे शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए नियोजित किया गया है. अश्वगंधा और चंदन जैसे विभिन्न हर्बल तेल के साथ तेल मालिश सेरोटोनिन और डोपामाइन के उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकते हैं और तनाव को कम करते हैं.
योग
योग एक आत्म-सुखदायक तकनीक है, जो तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है. साथ ही तंत्रिका तंत्र को आराम करने में मदद करता है. योग अनुशासन तीन पहलुओं पर केंद्रित है- मन, शरीर और आत्मा. अनूठे मन-शरीर अभ्यास यानी आसन और नियंत्रित सांस पैटर्न के साथ योग वर्तमान मूवमेंट के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है. साथ ही भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देता है.
वैज्ञानिक रूप से योग (गामा-एमिनो ब्यूटिरिक एसिड), सेरोटोनिन, डोपामाइन और ट्रिप्टोफैन जैसे ख़ुश न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को बढ़ाता है और कोर्टिसोल स्तर (तनाव हार्मोन) को कम करता है. आयुर्वेद शरीर और मन को नियंत्रित करने की शक्ति को बढ़ाने के लिए योग के नियमित रूप से अभ्यास की सलाह देता है.
सात्विक आहार
सात्विक आहार शुद्ध शाकाहारी भोजन है, जिसमें मौसमी ताज़े फल, पर्याप्त ताज़ी सब्ज़ियां, साबुत अनाज, दालें, अंकुरित अनाज, सूखे मेवे, बीज, शहद, ताज़ी जड़ी-बूटियां, दूध, डेयरी उत्पाद आदि शामिल हैं.
ये खाद्य पदार्थ सत्व या हमारी चेतना के स्तर को बढ़ाते हैं. सात्विक भोजन प्रेम, कृतज्ञता और जागरूकता के साथ पकाया और खाया जाता है.
आयुर्वेदिक क्लासिक्स के अनुसार, दैनिक आधार पर इस तरह के आहार को शामिल करनेवाला व्यक्ति शांत, सौहार्दपूर्ण और ऊर्जा से भरा होता है. वो उत्साह, स्वास्थ्य, आशा, आकांक्षाएं, रचनात्मकता और संतुलित व्यक्तित्व का धनी होता है.
हर्ब्स
जड़ी-बूटियों की अंतर्निहित शक्ति प्राकृतिक और स्वस्थ तरीक़े से बीमारियों को दूर करने में मदद करती है. आयुर्वेद मेध्या या नॉट्रोपिक जड़ी-बूटियों का एक समूह प्रदान करता है, जो मस्तिष्क की क्षमताओं को बेहतर बनाने में फ़ायदेमंद होते हैं. इन जड़ी बूटियों को हमारे रोज़मर्रा के जीवन में शामिल करना चाहिए.
ब्राह्मी एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है. यह न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन और गाबा को संशोधित करके तंत्रिका तंतुओं के कुशल संचरण में सुधार करके तनाव में लचीलापन बढ़ाता है, जो बदले में भावनाओं को संतुलित करता है.
इसके अलावा जटामांसी, मंडुकपर्णी, शंखपुष्पी आदि भी कोर्टिसोल के स्तर और तनाव को कम करती है. यह तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं और अनिद्रा की समस्या को दूर करने में भी बेहद प्रभावी है.
आयुर्वेद प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट जीवनशैली, आहार, हर्बल और योगिक समाधान प्रदान करता है, जो न केवल तनाव को फैलने से रोकता है, बल्कि मन की स्थायी शांति के लिए एक आधार बनाने में भी मदद करता है.
– ऊषा गुप्ता

सिरदर्द (Headaches) की समस्या बहुत आम है. हममें से ज़्यादातर लोगों को कभी को कभी न कभी सिरदर्द (Sirdard) तो होता ही है, लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए हर बार पेनकिलर घोंट लेना ख़तरनाक हो सकता है, क्योंकि कभी-कभी पेनकिलर भी सिरदर्द का कारण हो सकता है. चौंक गए ना आप! पर सच्चाई यही है. इसलिए सिरदर्द का कारण और उसे ठीक करने का सही तरीक़ा जानना बहुत ज़रूरी है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रमुख सिरदर्द (Types of Headaches) और उनसे निजात पाने के उपाय बता रहे हैं.
टेंशन हेडेक
यह सिरदर्द का सबसे सामान्य प्रकार है. हर कोई अपने जीवन में कम से कम एक बार इसका अनुभव करता है.
लक्षणः इसमें सिर के दोनों ओर या कनपटी के आस-पास हल्का दर्द महसूस होता है. टेंशन हेडेक होने पर सिर पर दबाव जैसा महसूस होता है और ऐसा लगता है कि माथे पर टाइट बैंड बंधा हुआ है. इसमें सामान्यतः दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है.
कारणः यह अनेक कारणों से होता है. तनाव, थकान, ग़लत पोश्चर, नींद की कमी, चाय-कॉफी की आदत होने पर समय से पीना और सिर को बहुत अधिक समय तक ग़लत पोजिशन में रखना इसके प्रमुख कारण हैं.
इलाजः टेंशन हेडेक का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है. अगर नींद की कमी के कारण सिरदर्द है तो आराम कीजिए. अगर इसका कारण तनाव है तो एक्सरसाइज़ व मेडिटेशन कीजिए. अगर आप ठीक तरी़के से खाना नहीं खा रहे तो खाना समय पर खाइए या फिर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी रहे हैं तो ख़ूब पानी पीजिए. आप टेंशन हेडेक दूर करने के लिए उपयुक्त पेन किलर भी ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे पेन किलर का सेवन कभी-कभार ही करना चाहिए. ज़्यादा पेन किलर का सेवन करने से लिवर के क्षतिग्रस्त होने, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का ख़तरा रहता है. अगर इस तरह का सिरदर्द बार-बार हो और ज़्यादा समय तक रहे तो डॉक्टर से संपर्क करें. फिजिकली ऐक्टिव रहने की कोशिश करें. अपने कंधों व गर्दन को नियमित रूप से स्ट्रेच करते रहें.
साइनस हेडेक
इस तरह का सिरदर्द सामान्यतौर पर साइनस इंफेक्शन या एलर्जी के कारण होता है. इसमें सिरदर्द के साथ-साथ बुखार व चेहरे पर सूजन भी होता है. सरल शब्दों में कहें तो जब हमारे साइनस एरिया यानी माथे, चीकबोन्स व दोनों आंखों के बीच के हिस्से पर दबाव पड़ता है तो सिरदर्द होता है.
लक्षणः इस तरह के सिरदर्द में माथे के बीचों-बीच यानी आइब्रोज़ के आस-पास व आंखों के निचले हिस्से पर गहरा दबाव व दर्द महसूस होता है. जल्दी से सिर घूमाने पर दर्द बढ़ जाता है. इसमें सिरदर्द के साथ नाक बहना या ब्लॉक भी हो जाता है और थकान भी महसूस होती है.
कारणः साइनस हेडेक साइनसाइटिस के कारण होता है. कभी-कभी सर्दी या सीज़नल एलर्जी के कारण भी साइनस हेडेक की समस्या होती है.
इलाजः साइनस के कारण होनेवाला सिरदर्द सामान्यतः अपनेआप ठीक हो जाता है. कुछ लोगों को सैलाइन नेज़ल स्प्रे से आराम मिल जाता है, अगर आपको एजर्ली है तो एंटीहिस्टामाइन्स टैबलेट्स से आराम मिल सकता है. अन्य केसेज में बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से संपर्क करें, जो कि आपको अमूमन एंटीबायोटिक्स का सेवन करने की सलाह देंगे.
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माइग्रेन
माइग्रेन में बहुत तेज़ सिरदर्द होता है.यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है. माइग्रेन के समय सिर के नीचे की धमनी बड़ी हो जाती है और कभी-कभी सिरदर्द वाले हिस्से में सूजन भी आ जाती है.
लक्षणः सिर के किसी एक हिस्से में बहुत तेज़ दर्द आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, आंखों के सामने बिजली चमकना, उल्टी, जी मिचलाना, भूख कम लगना, कमज़ोरी, ज़्यादा पसीना निकलना, आवाज़ और रोशनी के प्रति संवेदनशील बढ़ जाना, पसीना आना इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हैं.
कारणः माइग्रेन की बीमारी का प्रमुख कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन आमतौर पर यह आनुवांशिक होता है यानि यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को माइग्रेन हो तो आपको माइग्रेन होने की आशंका बढ़ जाती है, इसके लिए तनाव, उच्च रक्तचाप, असंयम, खान-पान की आदतें, पीरियड्स इत्यादि के कारण से भी माइग्रेन अटैक आता है. कभी-कभी हार्मोनल असंतुलन के कारण भी माइग्रेन होता है.
इलाजः अभी तक माइग्रेन का कोई इलाज नहीं है. माइग्रेन के अटैक से बचने के लिए संतुलित आहार लें, ज़्यादा देर तक भूखे न रहें. भरपूर मात्रा में पानी पीएं. र्प्याप्त नींद लें. अधूरी नींद या ज़्यादा समय तक सोने से भी माइग्रेन का दर्द बढ़ जाता है. डॉक्टर की सलाह लेकर दवाई लें. कुछ दवाओं के कारण भी माइग्रेन उभर जाता है इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा नहीं लेनी चाहिए. तनावमुक्त रहने की कोशिश करें. योग, प्राणायाम या संगीत सुनकर मन को शांत रखने की कोशिश करें. दर्द वाले हिस्से पर ठन्डे पानी की पट्टी रखने से रक्त की धमनियां फैल जाती हैं और दर्द कम हो जाता है. इसके अलावा तेज धूप में बाहर न जाएं. तेज़ रौशनी की तरफ़ न देखें. गर्मी के दिनों में बाहर जाते समय टोपी का इस्तेमाल करें. ज़्यादा नज़दीक से टीवी या कंप्यूटर न देखें. ज़्यादा ऊंचाईवाली जगह पर न जाएं. तेज़ गंध वाले परफ्यूम या डियोड्रेंट का इस्तेमाल न करें.
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क्लस्टर हेडेक
क्लस्टर हेडेक के बारे में ज़्यादा लोगों को जानकारी नहीं है. मात्र 1 प्रतिशत जनसंख्या ही क्लस्टर हेडएक की शिकार है. यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज़्यादा कॉमन है.
लक्षणः जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें नियमित अंतराल पर यानी बार-बार कई दिनों तक सिरदर्द होता है. इसमें आंखों के आस-पास या पिछले हिस्से या सिर के एक तरफ दर्द होता है. यह आमतौर पर नींद के दौरान शुरू होता है. आंखों का लाल होना, पुतलियों का सिकुड़ना, आंखों से पानी निकलना, चेहरा का लाल होना, पसीना आना, नाक बहना, आवाज़ व प्रकाश के प्रति संवेदनशीलना इसके प्रमुख लक्षण है. यह दर्द 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक रहता है. इसमें सामान्यतौर पर रोज़ाना एक ही समय पर दर्द उभरता है. इसलिए इसे अलार्मक्लॉक हेडेक भी कहते हैं.
कारणः अभी तक इसकी प्रमुख वजह के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन आनुवांशिक, तंबाकू का सेवन, शरीर के बायोलॉजिकल क्लॉक में गड़बड़ी इसके प्रमुख कारण हैं.
ट्रीटमेंटः क्लस्टर हेडेक की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. क्योंकि डॉक्टर की इसका सही इलाज कर सकता है. कुछ केसेज़ में डॉक्टर्स ऑक्सिजन थेरैपी भी देते हैं.
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मेन्ट्रुअल माइग्रेन्स
कुछ महिलाओं को माहवारी के एक-दो दिन, माहवारी के दौरान या ओवल्यूशन के दौरान सिरदर्द होता है.
लक्षणः इसके लक्षण माइग्रेन की तरह की होते हैं. सिर के एक तरफ़ तेज़ दर्द, नॉज़िया और प्रकाश व आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता इसके प्रमुख लक्षण हैं.
कारणः जैसा कि नाम से ही पता चलता है इसका संबंध महावारी से है. माहवारी के पहले महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन व प्रोजेस्टेरॉन का स्तर अचानक से कम हो जाता है, जिसके कारण यह दर्द उभरता है. कुछ केसेज़ में गर्भनिरोधक दवाइयों के सेवन के कारण भी यह दर्द उभर जाता है, क्योंकि लगातार तीन हफ़्तों तक ये इन हार्मोन्स के स्तर को नियंत्रित रखते हैं. ऐसे में माहवारी के पहले इनका सेवन नहीं करने पर इन हार्मोन्स का स्तर अचानक घट जाता है, नतीजतन सिरदर्द होता है.
उपचारः मेन्ट्रुअल माइग्रेन होने पर नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग, जैसे-आइब्रुफेन का सेवन किया जा सकता है. यह माइग्रेन के साथ-साथ पीरियड्स क्रैम्प्स को कम करने में भी मदद करते हैं. इसके अलावा यदि आप गर्भनिरोधक दवा का सेवन करती हैं तो डॉक्टर की सलाह लेकर ऐसे पिल लें, जिसमें एस्ट्रोजेन की मात्रा कम हो.
रीबाउंड हेडेक
इसे मेडिकेशन ओवरयूज़ हेडेक के नाम से भी जाना जाता है. जब आप बहुत ज़्यादा दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करते हो, तो इन दवाइयों के कारण ही सिरदर्द शुरू हो जाता है.
लक्षणः इसके लक्षण माइग्रेन की तरह ही होते हैं और यह सामान्यतः प्रतिदिन होता है. ज़्यादातर सुबह के व़क्त. हालांकि दवा लेने से सिरदर्द से आराम मिलता है, लेकिन दवा का असर खत्म होते ही फिर से दर्द शुरू हो जाता है.
कारणः ज़रूरत से ज़्यादा दर्द निवारक दवाइयों का सेवन.
उपचारः रीबाउंड हेडेक से बचने का एकमात्र उपाय है कि पेनकिलर्स से दूरी. सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लगे, लेकिन इसका यही सही इलाज है. शुरुआत के 1-2 हफ़्ते आपको समस्या होगी, लेकिन फिर धीरे-धीरे आपका शरीर दवाओं के साइडइफेक्ट से बाहर आ जाएगा.
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चाहे आपको किसी भी प्रकार का सिरदर्द हो, अगर आपको यह समस्या अक्सर और बहुत ज़्यादा होती है तो बेहतर होगा कि डॉक्टर से कंस्लट करके अपनी परेशानी बताएं और उसी के अनुसार ट्रीटमेंट कराएं.